Students must start practicing the questions from RBSE 10th Social Science Model Papers Set 4 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 10 Social Science Model Paper Set 4 with Answers in Hindi
पूर्णांक : 80
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प का चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) निम्न में से किस वर्ष महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे? [1]
(अ) 1915 ई.
(ब) 1951 ई.
(स) 1927 ई.
(द) 1918 ई.
उत्तर:
(अ) 1915 ई.
(ii) राष्ट्रवाद का प्रारम्भ जिस देश से हुआ, वह है [1]
(अ) फ्रांस
(ब) जर्मनी
(स) इंग्लैण्ड
(द) इटली
उत्तर:
(अ) फ्रांस
(iii) जमीन को उपजाऊ बनाकर गेहूँ और कपास की खेती हेतु केनाल कॉलोनी’ (नहर बस्ती) निम्न में से कहाँ बसायी गयी? [1]
(अ) हरियाणा
(ब) उत्तर प्रदेश.
(स) गुजरात
(द) पंजाब
उत्तर:
(द) पंजाब
(iv) निम्न में से कौन अजैव संसाधन है? [1]
(अ) चट्टानें
(ब) पशु
(स) पौधे
(द) मछलियाँ
उत्तर:
(अ) चट्टानें
(v) निम्न में से किस राज्य में लाल-पीली मृदा मुख्य रूप से पायी जाती है? [1]
(अ) ओडिशा
(ब) राजस्थान
(स) उत्तर प्रदेश
(द) गुजरात
उत्तर:
(अ) ओडिशा
(vi) चिपको आन्दोलन का सम्बन्ध किस क्षेत्र से है? [1]
(अ) हिमालय क्षेत्र
(ब) प्रायद्वीपीय क्षेत्र
(स) मरुस्थलीय क्षेत्र
(द) ये सभी
उत्तर:
(अ) हिमालय क्षेत्र
(vii) आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ नियन्त्रण और सन्तुलन बनाए रखती हैं। क्षैतिज सत्ता की साझेदारी के आधार पर सही विकल्प की पहचान कीजिए। [1]
(अ) केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय
(ब) विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका
(स) विभिन्न सामाजिक समूहों के मध्य
(द) विभिन्न दबाव समूहों के मध्य
उत्तर:
(ब) विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका
(viii) निम्नलिखित में किस राज्य को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत विशेष शक्तियाँ प्राप्त हैं? [1]
(अ) असम
(ब) नागालैण्ड
(स) मिजोरम
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
(ix) अधिकारों और अवसरों के मामले में स्त्री और पुरुष की समानता मानने वाला व्यक्ति कहलाता है- [1]
(अ) नारीवादी
(ब) जातिवादी
(स) साम्प्रदायिक
(द) धर्मनिरपेक्ष
उत्तर:
(अ) नारीवादी
(x) मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रति व्यक्ति आय 5,000 रुपये है। अगर तीन परिवारों की आय क्रमशः 4,000, 7,000 और 3,000 रुपये है तो चौथे परिवार की आय क्या है ? [1]
(अ) 7,500 रुपये
(ब) 3,000 रुपये
(स) 2,000 रुपये
(द) 6,000 रुपये
उत्तर:
(द) 6,000 रुपये
(xi) किस क्षेत्रक की गतिविधियाँ प्राकृतिक संसाधनों के प्रत्यक्ष उपयोग पर आधारित हैं- [1]
(अ) प्राथमिक क्षेत्रक
(ब) द्वितीयक क्षेत्रक
(स) तृतीयक क्षेत्रक
(द) ये सभी
उत्तर:
(अ) प्राथमिक क्षेत्रक
(xii) वैश्वीकरण से सर्वाधिक लाभान्वित हुए हैं- [1]
(अ) ग्रामीण मजदूर
(ब) शहरी शिक्षित व्यक्ति
(स) धनी वर्ग के उपभोक्ता
(द) ये सभी
उत्तर:
(स) धनी वर्ग के उपभोक्ता
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(i) प्रथम विश्व युद्ध आधुनिक ………………….. युद्ध था। [1]
उत्तर:
औद्योगिक
(ii) भारत में समस्त विश्व की जैव उपजातियों की …………………………… संख्या पायी जाती है। [1]
उत्तर:
8 प्रतिशत
(iii) हमारे देश के लोकतंत्र के लिए एक बड़ी समस्या …………………………… रही है। [1]
उत्तर:
साम्प्रदायिकता
(iv) सात वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात ……………………… कहलाता है। [1]
उत्तर:
साक्षरता दर
(v) हमारे देश में आधे से अधिक श्रमिक ………………………… में कार्यरत हैं। [1]
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्रक
(vi) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के उद्भव के पश्चात् ……………………… विश्वस्तर पर होने लगा। [1]
उत्तर:
व्यापार।
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (प्रश्नों का उत्तर एक शब्द या एक पंक्ति में दीजिए।)
(i) यह किसने कहा था कि “हम बम और पिस्तौल की उपासना नहीं करते बल्कि समाज में क्रांति चाहते हैं।” [1]
उत्तर:
भगतसिंह ने।
(ii) जीतने के लिए स्पेनिश सेनाओं द्वारा प्रयोग किया गया सबसे शक्तिशाली हथियार कौन-सा था ? [1]
उत्तर:
जीतने के लिए स्पेनिश सेनाओं द्वारा प्रयोग किया गया सबसे शक्तिशाली हथियार चेचक जैसे कीटाणु थे।
(iii) जर्मनी के एकीकरण का श्रेय किसे दिया जाता है ? [1]
उत्तर:
ऑटो वॉन बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण का श्रेय दिया जाता है।
(iv) तुंगभद्रा बहुउद्देश्यीय परियोजना में कौन-कौन से राज्य हिस्सेदार हैं? [1]
उत्तर:
कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश।
(v) गेहूँ की कृषि के लिए आवश्यक वार्षिक वर्षा की मात्रा लिखिए। [1]
उत्तर:
50 सेमी से 75 सेमी।
(vi) चाय का पौधा किन क्षेत्रों में उगाया जा सकता है ? [1]
उत्तर:
चाय का पौधा उष्ण व उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु, ह्यूमस व जीवांशयुक्त गहरी मिट्टी तथा सुगम जल निकास वाले ढलवा क्षेत्रों में उगाया जा सकता है।
(vi) बहुसंख्यकवाद कायम करने के लिए श्रीलंका सरकार द्वारा उठाये गये एक कदम का उल्लेख कीजिए। [1]
उत्तर:
श्रीलंका सरकार ने 1956 ई. में एक कानून बनाया जिसके तहत सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित किया गया।
(viii) बेल्जियम ने एकात्मक शासन प्रणाली के स्थान पर कौन-सी शासन प्रणाली को अपनाया है ? [1]
उत्तर:
बेल्जियम ने एकात्मक शासन प्रणाली के स्थान पर संघीय शासन प्रणाली को अपनाया है।
(ix) सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम किन बातों पर निर्भर करता है ? [1]
उत्तर:
- लोगों को अपनी पहचान के प्रति आग्रह की भावना,
- राजनीतिक दलों की माँगें,
- सरकार का दृष्टिकोण।
(x) सतत् पोषणीय विकास से आपका क्या आशय है? [1]
उत्तर:
ऐसा विकास जो पर्यावरण को हानि न पहुँचाए और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं की अवहेलना न करे।
(xi) अन्तिम वस्तुएँ कौन-सी होती हैं ? [1]
उत्तर:
अन्तिम वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जिनका प्रयोग अंतिम उपयोग अथवा पूँजी निर्माण में होता है। इन्हें फिर से बेचा नहीं जाता।
(xii) विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए किन्हीं दो कदमों के नाम लिखिए?| [1]
उत्तर:
- विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना।
- सरकार द्वारा श्रम कानूनों में लचीलापन लाने की अनुमति देना।
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न-प्रश्न सं. 4 से 16 के उत्तर लिखिए। (शब्द सीमा 50 शब्द)
प्रश्न 4.
भारत ने उन्नीसवीं शताब्दी की विश्व अर्थव्यवस्था का रूप तय करने में एक अहम् भूमिका अदा की थी। इस कथन को स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश था। भारत के अतिरिक्त ब्रिटेन ने कई देशों को अपना उपनिवेश बना रखा था। ब्रिटेन ने भारत के साथ व्यापार में लाभ अर्जित किया जबकि अन्य उपनिवेशों में उसे घाटे का सामना करना पड़ा। भारत के साथ व्यापारिक लाभ ने ब्रिटेन को उससे अन्य उपनिवेशों के साथ हए व्यापारिक घाटे को सन्तुलित करने में मदद की। इस तरह कहा जा सकता है कि ब्रिटेन के घाटे की भरपाई में मदद करते हुए भारत ने उन्नीसवीं सदी की विश्व अर्थव्यवस्था का रूप तय करने में एक अहम् भूमिका अदा की थी।
प्रश्न 5.
जॉलवेराइन के विषय में आप क्या जानते हैं ? [2]
उत्तर:
सन् 1834 ई. में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ स्थापित किया गया जिसे जॉलवेराइन के नाम से जाना गया। जॉलवेराइन में अधिकांश जर्मन राज्य सम्मिलित हो गए। इस संघ ने शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया तथा मुद्राओं की संख्या घटाकर दो कर , दी जो उससे पहले तीस से भी ऊपर थी। जॉलवेराइन ने आर्थिक राष्ट्रवाद के आन्दोलन को जन्म दिया जिसने इस समय में पनप रही व्यापक राष्ट्रवादी भावनाओं को मजबूत बनाया।
प्रश्न 6.
महिलाओं ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में किस प्रकार भाग लिया? स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
1930 ई. के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में बड़े पैमाने पर महिलाओं ने भाग लिया। गाँधीजी के नमक सत्याग्रह के दौरान वे अपने घरों से बाहर निकलीं। उन्होंने जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया तथा विदेशी वस्त्रों एवं शराब की दुकानों पर विरोध प्रदर्शन किया। कई महिलाएँ जेल भी गईं। शहरी क्षेत्रों में जो महिलाएँ उच्च जाति वर्ग की तथा ग्रामीण क्षेत्रों में से धनिक कृषक परिवारों में से थीं, वे राष्ट्र की सेवा को अपना पवित्र कर्त्तव्य मानती थीं।
प्रश्न 7.
लेटराइट मृदा का निर्माण एवं उसकी महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइए। [2]
उत्तर:
लेटराइट मृदा का निर्माण/विकास-
लेटराइट मृदा उच्च तापमान एवं अत्यधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में विकसित होती है। यह भारी वर्षा से अत्यधिक निक्षालन का परिणाम है।
लेटराइट मृदा की विशेषताएँ-
- इस मृदा का निर्माण भारी वर्षा के कारण अत्यधिक निक्षालन से होता है।
- इस मृदा में ह्यूमस की मात्रा कम पायी जाती है।
- इस मृदा में कृषि करने के लिए खाद एवं उर्वरकों की पर्याप्त मात्रा डालनी पड़ती है।
- यह मृदा चाय, कॉफी व काजू की फसल के लिए उपयुक्त है।
प्रश्न 8.
वन संसाधनों के सिकुड़ने में कृषि का फैलाव महत्वपूर्ण कारक रहा है। संक्षिप्त व्याख्या कीजिए। [2]
उत्तर:
भारत में कृषि के विस्तार का आरम्भ उपनिवेश काल के दौरान हुआ। भारत में वन सर्वेक्षण के अनुसार, सन् 1951 से 1980 के मध्य लगभग 26,200 वर्ग किमी. वन क्षेत्र कृषि भूमि में परिवर्तित किया गया। अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में विशेषकर मध्य एवं पूर्वोत्तर भारत में स्थानान्तरी कृषि (झूमिंग कृषि) के. कारण वनों की कटाई बहुत अधिक मात्रा में हुई है। अतः कहा जा सकता है कि भारतीय वन संसाधनों के सिकुड़ने में कृषि का फैलाव महत्वपूर्ण कारक रहा है।
प्रश्न 9.
‘रोपण कृषि भी एक प्रकार की वाणिज्यिक खेती है।’ इस कथन को स्पष्ट करते हुए इसकी चार विशेषताएँ बताइए। [2]
उत्तर:
रोपण कृषि भी एक प्रकार की वाणिज्यिक खेती है जिसमें फसलें मुख्य रूप से बाजार एवं व्यापार को ध्यान में रखते हुए उगायी जाती हैं। चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, कहवा, केला आदि महत्वपूर्ण रोपण फसलें हैं।
रोपण कृषि की विशेषताएँ-
- इस कृषि के अन्तर्गत एक ही फसल वृहत स्तर पर उगायी जाती है।
- इस कृषि में अत्यधिक मात्रा में पूँजी निवेश किया जाता है।
- इस कृषि में आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी का प्रयोग किया जाता है।
- इस कृषि के लिए विस्तृत क्षेत्र, कुशल प्रबन्ध, तकनीकी ज्ञान, वैज्ञानिक मशीनरी, उर्वरक, पीड़कनाशी तथा विकसित परिवहन व्यवस्था, बाजार आदि की भी आवश्यकता होती है।
प्रश्न 10.
भारतीय सन्दर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ। [2]
उत्तर:
भारत जनसांख्यिक विविधता वाला देश है, जहाँ समाज में एक जाति व्यवस्था कायम है। प्रत्येक जाति का अपना हित है। अतः किसी संघर्ष तथा राजनीतिक अस्थिरता को कम करने के लिए सत्ता में भागीदारी समान रूप से रखी गयी है। भारत में लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था अपनायी गयी है।
पिछड़े वर्गों को प्राचीनकाल से ही राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया है। जनसंख्या अधिक होने पर भी उनकी राजनीतिक भागीदारी संख्या के आधार पर कम है। अब उन्हें सत्ता में भागीदारी करने का अवसर प्रदान किया जा रहा है। सत्ता की हिस्सेदारी का यह दृष्टिकोण नैतिक दृष्टिकोण कहलाता
है।
प्रश्न 11.
भारत सरकार की भाषा नीति को संक्षेप में बताइए। [2]
उत्तर:
- हमारे संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। हिन्दी को राजभाषा माना गया है पर अन्य भाषाओं के संरक्षण के उपाय भी किये गये हैं।
- भाषा नीति के अन्तर्गत संविधान में 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है। इन्हें संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज किया गया है।
- केन्द्र सरकार के किसी पद का उम्मीदवार संविधान की 8वीं अनुसूची में दर्ज किसी भी भाषा में परीक्षा दे सकता है बशर्ते उम्मीदवार इसको विकल्प के रूप में चुने।
- राज्यों की भी अपनी राजभाषाएँ हैं। राज्यों का अधिकांश कार्य राजभाषा में ही होता है।
प्रश्न 12.
सामाजिक विभिन्नताएँ समान लोगों को एक-दूसरे से अलग करती हैं, परन्तु वही विभिन्नताएँ अलग-अलग तरह के लोगों को मिलाती भी हैं। कार्लोस, स्मिथ और पीटर नार्मन का उदाहरण देते हुए, इस कथन की व्याख्या कीजिए। [2]
उत्तर:
सामाजिक विभिन्नताएँ एक ही प्रकार के लोगों को एक-दूसरे से अलग करते हैं परन्तु वे बिल्कुल भिन्न प्रकार के लोगों को एक-दूसरे से मिलाते भी हैं।
विभिन्न सामाजिक समूहों से सम्बद्ध लोग अपने समूहों की सीमाओं से परे भी समानताओं और असमानताओं का अनुभव करते हैं। उदाहरण के रूप में, कार्लोस व स्मिथ दोनों एफ्रो-अमेरिकी थे जबकि नार्मन श्वेत थे। इन तीनों में एक समानता थी कि वे सभी नस्ल आधारित भेदभाव के विरुद्ध थे। इसी प्रकार यह भी संभव है कि भिन्न-भिन्न धर्म के अनुयायी होकर भी एक जाति वाले लोग स्वयं एक-दूसरे के अधिक समीप महसूस करें।
प्रश्न 13.
राष्ट्रीय विकास क्या है ? राष्ट्रीय विकास के अन्तर्गत किन-किन पक्षों को सम्मिलित किया गया है ? [2]
उत्तर:
राष्ट्रीय विकास-किसी राष्ट्र के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक विकास को राष्ट्रीय विकास के नाम से जाना जाता है।
राष्टीय विकास के अन्तर्गत सम्मिलित विभिन्न पक्ष-राष्ट्रीय विकास के अन्तर्गत निम्नलिखित पक्ष सम्मिलित हैं-
- राष्ट्रीय विकास के अन्तर्गत सरकार यह निर्णय लेती है कि विकास का कौन-सा मार्ग न्यायसंगत व सही है।
- राष्ट्रीय विकास के अन्तर्गत केवल उन्हीं कार्यक्रमों एवं नीतियों को लागू किया जाता है, जिनसे अधिकतम लोगों को लाभ हो।
- राष्ट्रीय विकास के अन्तर्गत विचारों की भिन्नता एवं उनके समाधान के बारे में निर्णय लेना बहुत महत्त्वपूर्ण है।
- राष्ट्रीय विकास के अन्तर्गत हमें यह भी सोचना होगा कि विकास का अन्य कोई बेहतर तरीका है।
प्रश्न 14.
छिपी या प्रच्छन्न बेरोज़गारी क्या है ? यह किन क्षेत्रों में विद्यमान है ? [2]
उत्तर:
कृषि क्षेत्रक में, जहाँ परिवार के सभी सदस्य कार्य करते हैं, प्रत्येक व्यक्ति कुछ-न-कुछ काम करता दिखाई पड़ता है, किन्तु वास्तव में उनका श्रम-प्रयास विभाजित होता है तथा किसी को भी पूर्ण रोज़गार प्राप्त नहीं होता है। यह स्थिति अल्प बेरोज़गारी की स्थिति होती है। इसे छिपी या प्रच्छन्न बेरोज़गारी भी कहते हैं।
यह बेरोज़गारी सेवा क्षेत्रक में भी पायी जाती है। यहाँ हजारों अनियमित श्रमिक पाए जाते हैं, जो दैनिक रोजगार की तलाश में रहते हैं। वे श्रमसाध्य, कठिन और जोखिमपूर्ण कार्य करते हैं किन्तु अपनी क्षमता से कम आय प्राप्त कर पाते हैं।
प्रश्न 15.
सभी लोगों के लिए यथोचित दरों पर ऋण क्यों उपलब्ध होना चाहिए ? [2]
उत्तर:
ऋण किसानों को अपनी फसल उगाने में मदद करता है। यह उद्यमियों के लिए व्यावसायिक इकाइयों की स्थापना, समय पर उत्पादन को पूरा करने एवं उत्पादन के कार्यशील खर्चों को पूरा करने में सहायक होता है। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है। ऋण देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऋण के अधिक ब्याज दर पर मिलने से ऋणी की अधिकांश आय ऋण के ब्याज-भुगतान में ही व्यय हो जाती है। ऋणी के पास अपने लिए बहुत कम आय बचती है। कई बार अत्यधिक ऊँची ब्याज दरों के कारण ऋणी जीवन भर ऋण के बोझ से दबा रहता है और विकास में पिछड़ जाता है। इन सब कारणों से सभी लोगों के लिए यथोचित दरों पर ऋण उपलब्ध होना चाहिए।
प्रश्न 16.
भारत सरकार द्वारा विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे ? बताइए। [2]
उत्तर:
भारत सरकार ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगा दिए थे। ये अवरोधक सन 1991 तक लगे रहे। सरकार ने विदेशी प्रतिस्पर्धा से देश में उत्पादकों की रक्षा करने के लिए यह प्रतिबन्ध लगाए। सन् 1950 एवं 1960 के दशक में भारतीय उद्योग अपनी प्रारम्भिक अवस्था में था। इस अवस्था में आयातों से प्रतिस्पर्धा इन उद्योगों को बढ़ने नहीं देती। यही कारण था कि भारत सरकार ने आयातों को केवल मशीनरी, उर्वरक, खनिज तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं तक ही सीमित रखा और विदेश व्यापार व विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाया।
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-प्रश्न सं. 17 से 20 के उत्तर लिखिए। (शब्द सीमा 100 शब्द)
प्रश्न 17.
उदारवाद क्या है ? उदारवादियों की 1848 की क्रान्ति ने विश्व में किन विचारों को बढ़ावा दिया ? [3]
अथवा
यूरोप में सन् 1871 के पश्चात् बाल्कन क्षेत्र में बनी विस्फोटक परिस्थितियों को लिखिए। [3]
उत्तर:
उदारवाद से आशय-यूरोप में 19वीं शताब्दी में मध्य वर्ग के लोगों एवं बुद्धिजीवियों द्वारा प्रोत्साहित वह विचारधारा, जिसमें उनको राजनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्र में अधिकाधिक अवसर प्राप्त हुए तथा उनकी हिस्सेदारी को महत्व प्रदान किया गया, उदारवाद कहलाया। उदारवादियों ने निम्नलिखित राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया-
- सन् 1848 में खाद्य सामग्री का अभाव एवं बेरोजगारी की बढ़ती हुई समस्या के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका था। इस संकट के समाधान के लिए उदारवादियों के द्वारा क्रान्ति एवं प्रदर्शन पर बल दिया गया।
- सार्वजनिक मताधिकार पर आधारित जनप्रतिनिधि सभाओं (नेशनल एसेम्बली) के निर्माण की माँग बढ़ने लगी।
- जर्मनी, इटली, पोलैण्ड, ऑस्ट्रिया व हंगरी आदि के उदारवादी मध्यम वर्ग के स्त्री-पुरुषों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया।
- उदारवादियों ने जनता के असन्तोष का लाभ उठाया तथा एक राष्ट्र-राज्य के निर्माण की माँगों को आगे बढ़ाया। यह राष्ट्र-राज्य संविधान, प्रेस की स्वतन्त्रता एवं संगठन बनाने की स्वतन्त्रता जैसे संसदीय सिद्धान्तों पर आधारित था।
- भू-दासत्व एवं बँधुआ मजदूरी को समाप्त करने की माँग उदारवादी नेताओं द्वारा की जाने लगी।
प्रश्न 18.
परम्परागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपनाकर जल संग्रहण एवं भण्डारण किस प्रकार किया जा रहा है ? [3]
अथवा
आपके मतानुसार औद्योगीकरण किस जल दुर्लभता के लिए उत्तरदायी है? बताइए। [3]
उत्तर:
परम्परागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपनाकर निम्न प्रकार से जल संग्रहण एवं भण्डारण किया जा रहा है-
- प्राचीन भारत में उत्कृष्ट जल संरचनाओं के साथ-साथ जल संग्रहण टैंक भी बनाये जाते थे।
- पहाड़ी एवं पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों ने : ‘गुल’ अथवा ‘कुल’ (पश्चिमी हिमालय क्षेत्र) जैसी वाहिकाएँ, नदी की धारा का रास्ता बदलकर खेतों में सिंचाई के लिए बनाई है।
- पश्चिमी राजस्थान में पीने का पानी . एकत्रित करने के लिए ‘छत वर्षाजल संग्रहण’ की विधि एक सामान्य प्रचलित विधि है।
- पश्चिमी बंगाल में बाढ़ के मैदान में लोग अपने खेतों की सिंचाई करने के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाते हैं।
- शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में वर्षाजल एकत्रित करने के लिए गड्ढे बनाये जाते हैं ताकि मृदा को सिंचित किया जा सके तथा संरक्षित जल को खेती के लिए प्रयोग में लाया जा सके। उदाहरण- जैसलमेर (राजस्थान) में ‘खादीन (खडीन) एवं अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड़’ बनाये जाते हैं।
- राजस्थान के अर्द्ध शुष्क एवं शुष्क क्षेत्रों विशेषकर फलौदी, बीकानेर व बाड़मेर आदि में लगभग प्रत्येक घर में पीने का पानी संग्रहण के लिए भूमिगत टैंक अथवा टाँका बने हुए है।
- मेघालय में नदियों एवं झरनों के जल को बाँस से बने पाइपों द्वारा एकत्रित करने वाली लगभग 200 वर्ष पुरानी सिंचाई विधि प्रचलन में है। इसे बाँस ड्रिप सिंचाई प्रणाली कहा जाता है।
प्रश्न 19.
विभिन्न तरह की साम्प्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें। [3]
अथवा
भारत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। क्या आप इसके कुछ कारण बता सकते हैं। [3]
उत्तर:
विभिन्न तरह की साम्प्रदायिक राजनीति का ब्यौरा निम्नलिखित है-
(i) धार्मिक पूर्वाग्रह-साम्प्रदायिकता की सबसे आम अभिव्यक्ति दैनिक जीवन में ही देखने को मिलती है। इसमें धार्मिक पूर्वाग्रह, धार्मिक समुदायों के बारे में बनी-बनाई धारणाएँ एवं एक धर्म को दूसरे धर्म से श्रेष्ठ मानने की मान्यताएँ सम्मिलित हैं। ये चीजें इतनी सामान्य हैं कि सामान्यतया हमारा ध्यान इस ओर नहीं जाता है, जबकि ये हमारे अन्दर ही बैठी हुई होती हैं।
(ii) बहुसंख्यकवाद-साम्प्रदायिक सोच अक्सर अपने धार्मिक समुदाय का राजनैतिक प्रभुत्व स्थापित करने की फिराक में रहती है। जो लोग बहुसंख्यक समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं उनकी यह कोशिश बहुसंख्यकवाद का रूप ले लेती है। जो लोग अल्पसंख्यक समुदाय के होते हैं उनमें यह विश्वास अलग राजनीतिक इकाई बनाने की इच्छा का रूप ले लेता है।
(iii) साम्प्रदायिक दंगे-कभी-कभी साम्प्रदायिकता, साम्प्रदायिक हिंसा, दंगा, नरसंहार के रूप में सबसे बुरा रूप अपना लेती है। उदाहरण के लिए, देश विभाजन के समय भारत व पाकिस्तान में भयावह साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। स्वतन्त्रता के पश्चात् भी बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा हुई
थी।
प्रश्न 20.
साख की दो विभिन्न स्थितियाँ बताइए एवं बैंकों से ऋण लेने की आवश्यक शर्तों का उल्लेख कीजिए। [3]
अथवा
अपने तर्कों से ऋण का महत्त्व सिद्ध कीजिए। [3]
उत्तर:
साख की स्थितियाँ-
प्रथम स्थिति—एक स्थिति में ऋण (साख) आय बढ़ाने में सहयोग करता है, जिससे व्यक्ति की स्थिति पहले से बेहतर हो जाती है।
द्वितीय स्थिति—दूसरी स्थिति में फसल बर्बाद होने के कारण ऋण व्यक्ति को अपने जाल में फँसा लेता है। जहाँ से बाहर निकलना काफी कष्टदायक होता है। आमदनी में वृद्धि की बजाय कर्जदार की स्थिति पहले से बदतर हो जाती है। ऋण उपयोगी होगा या नहीं, यह परिस्थितियों के खतरों एवं हानि होने पर प्राप्त सहयोग की सम्भावना पर निर्भर करता है।
बैंकों से ऋण लेने की आवश्यक शर्ते-
बैंकों से ऋण लेने की आवश्यक शर्ते निम्नलिखित हैं-
- सर्वप्रथम ऋण लेने वाले व्यक्ति को यह प्रमाण-पत्र देना होगा कि यह देख लिया जाए कि उसे कितना ऋण दिया जाए, जिसे वह आसानी से उतार सके।
- यदि वह व्यक्ति कहीं नौकरी कर रहा हो तो उसे अपनी आय के विषय में ब्यौरा उपलब्ध कराना होगा।
- बैंक कर्जदार से समर्थक ऋणाधार की माँग कर सकता है, जिसमें भूमि, पशु, सम्पत्ति एवं बैंकों में जमा-पूँजी आदि सम्मिलित होती है।
- बैंक कर्जदार से किसी ऐसे व्यक्ति की गारंटी माँग सकता है जो उसके कर्ज न चुकाने पर रकम वापस कर सके।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न-प्रश्न सं. 21 से 22 के उत्तर लिखिए। (शब्द सीमा 250 शब्द)
प्रश्न 21.
रॉलेट एक्ट क्या था ? गाँधीजी द्वारा रॉलेट एक्ट का विरोध एवं ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति का वर्णन कीजिए। [4]
अथवा
सविनय अवज्ञा आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका का वर्णन कीजिए। [4]
उत्तर:
रॉलेट एक्ट-देश में गाँधीजी के नेतृत्व में संचालित राष्ट्रीय आन्दोलन की बढ़ती हुई लोकप्रियता से ब्रिटिश सरकार चिन्तित थी। अतः उसने आन्दोलन के दमन के लिए एक कठोर कानून बनाने का निश्चय किया। मार्च 1919 में भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने जल्दबाजी में एक कानून पारित किया जिसे रॉलेट एक्ट के नाम से जाना गया। इस . कानून के तहत भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार को राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने एवं राजनीतिक कैदियों को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाये जेल में बन्द करने का अधिकार मिल गया था।
गाँधीजी द्वारा रॉलेट एक्ट का विरोधगाँ-
धीजी रॉलेट एक्ट जैसे अन्यायपूर्ण कानून के विरुद्ध अहिंसात्मक ढंग से नागरिक अवज्ञा चाहते थे। अतः उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का निश्चय किया। उन्होंने 6 अप्रैल, 1919 को देशभर में एक हड़ताल करने का आह्वान किया। गाँधीजी के आह्वान पर देश के विभिन्न शहरों में रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे वर्कशॉप में श्रमिक हड़ताल पर चले गये। दुकानों को बन्द कर दिया गया।
ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति-
गाँधीजी के आह्वान पर रॉलेट एक्ट के विरोध में लोगों द्वारा किये गये आन्दोलन को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति अपनाई। अमृतसर में अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। गाँधीजी के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।
10 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में रॉलेट एक्ट के विरोध में एक शान्तिपूर्ण जुलूस का आयोजन किया गया। पुलिस ने इस शान्तिपूर्ण जुलूस पर गोलियाँ चला दी। ब्रिटिश सरकार के इस दमनकारी कदम के विरोध में उत्तेजित होकर लोगों ने बैंकों, डाकखानों एवं रेलवे स्टेशनों पर हमला करना प्रारम्भ कर दिया। ऐसी स्थिति में ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया तथा जनरल डायर ने सेना की कमान सम्भाल ली।
13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में वार्षिक वैशाखी मेले का आयोजन किया गया जिसमें अनेक लोग एक्ट का शान्तिपूर्ण विरोध करने के लिए भी एकत्रित हुए। शान्तिपूर्ण सभा कर रहे लोगों पर जनरल डायर के निर्देश पर सैनिकों ने अन्धा-धुन्ध गोलाबारी कर दी जिसमें सैकड़ों लोग मारे
गये व हजारों की संख्या में घायल हो गये।
प्रश्न 22.
दबाव-समूहों तथा राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप कैसा होता है ? वर्णन करें। [4]
अथवा
नेपाल के जनसंघर्ष के बारे में बताएँ। [4]
उत्तर:
दबाव समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी सम्बन्धों का स्वरूप निम्नलिखित प्रकार का होता है-
(i) राजनीतिक दलों की. शाखा के रूप में-कई मामलों में दबाव समूह राजनीतिक दलों के ही निर्मित होते हैं अथवा उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के नेता ही करते हैं। कुछ दबाव समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, भारत के अधिकांश मजदूर संगठन एवं छात्र संगठन या तो बड़े राजनीतिक दलों द्वारा निर्मित होते हैं अथवा उनकी संबद्धता राजनीतिक दलों से होती है।
(ii) राजनीतिक दलों का रूप ले लेना-कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप ले लेते हैं। उदाहरण के रूप में, विदेशी लोगों के विरुद्ध छात्रों ने असम आन्दोलन का संचालन किया तथा जब इस आन्दोलन का समापन हुआ तो इसने असम गण परिषद नाम से राजनीतिक दल का रूप ले लिया।
(iii) राजनीतिक दलों के साथ संवाद-अधिकांश दबाव समूह एवं आन्दोलनों का राजनीतिक दलों के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता। दोनों परस्पर विरोधी पक्ष लेते हैं। इसके बावजूद उनके बीच संवाद कायम रहता है तथा समझौते की बातचीत चलती रहती है। आन्दोलनकारी समूहों ने नए-नए मुद्दे उठाये हैं तथा राजनीतिक दलों ने इन मुद्दों को आगे बढ़ाया है। राजनीतिक दलों के अधिकांशतः नए नेता दबाव समूहों अथवा आन्दोलनकारी समूहों से आते हैं।
प्रश्न 23.
दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए- [4]
(क) काकरापारा
(ख) दुर्गापुर
(ग) तुमकुर
(घ) कोरापुट
अथवा
दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए- [4]
(क) कुद्रेमुख
(ख) बेलारी
(ग) डिगबोई
(घ) रानीगंज।
उत्तर:
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