Students must start practicing the questions from RBSE 12th Biology Model Papers Set 1 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Biology Model Paper Set 1 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 56
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश-
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) बहिर्जात (exogenously) बनने वाले अलैंगिक बीजाणु हैं- [1]
(अ) चल बीजाणु (Zoosporse)
(ब) बीजाणु (Spore)
(स) कोनिडिया
(द) एस्कोस्पोर (Ascospores)
उत्तर:
(स) कोनिडिया
(ii) निम्नलिखित घास कुल के एक सदस्य के भ्रूण की ऊर्ध्वाधर काट में A से G तक सही नामांकन करें तथा उचित विकल्प का चयन करें- [1]
(अ) A स्क्यूटेलम, B कोलिओप्टाइल, C प्ररोह शीर्ष, D एपीब्लास्ट, E मूलांकुर, F मूलगोप, G कोलियोराइजा
(ब) A- मूलगोप, B- प्ररोह शीर्ष, C- स्क्युटेलम, D- कोलिओप्टाइल, E- एपीब्लास्ट, F- मूलांकुर, G- कोलियोराइजा
(स) A- कोलियोराइजा, B- मूलांकुर, C- एपीब्लास्ट, D- कोलिओप्टाइल, E- मूलगोप, F- स्क्यू टेलम, G- प्ररोह शार्ष
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) A स्क्यूटेलम, B कोलिओप्टाइल, C प्ररोह शीर्ष, D एपीब्लास्ट, E मूलांकुर, F मूलगोप, G कोलियोराइजा
(iii) कोडोन GUG किस अमीनो अम्ल को कोड करता है? [1]
(अ) ग्लूटेमिक अम्ल
(ब) फिनाइल एलेनीन
(स) वेलीन
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(स) वेलीन
(iv) निम्नलिखित में से कौन दो संलयित एरोमैटिक वलयों का बना होता है? [1]
(अ) केवल साइटोसीन
(ब) केवल ग्वानीन
(स) केवल एडेनीन
(द) एडेनीन व ग्वानीन दोनों
उत्तर:
(द) एडेनीन व ग्वानीन दोनों
(v) निम्न में से कौन-सा रोग एलर्जी द्वारा होता है? [1]
(अ) कुष्ठ रोग
(ब) टायफॉइड
(स) अस्थमा
(द) टिटेनस।
उत्तर:
(स) अस्थमा
(vi) एक्वाकल्चर किसके सम्वर्धन से सम्बन्धित है- [1]
(अ) मछलियों व क्रस्टेशियन
(ब) मौलस्क
(स) जलीय पौधे
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
(vii) निम्न में से प्राथमिक लिम्फ अंग है- [1]
(अ) तिल्ली (spleen)
(ब) थाइमस (thymus)
(स) टांसिल (tonsil)
(द) पेयर पेचेज (Payer Patches)।
उत्तर:
(द) पेयर पेचेज (Payer Patches)।
(viii) पादपों की जेनेटिक इंजीनियरिंग में प्रयुक्त होने वाला जीवाणु है- [1]
(अ) बेसीलस सन्टिलिस
(ब) साल्मोनेला
(स) एग्रोबैक्टीरियम
(द) माइकोबैक्टीरियमा
उत्तर:
(स) एग्रोबैक्टीरियम
(ix) गोल्डन राइस किससे समृद्ध है- [1]
(अ) क्लोरोफिल से
(ब) स्वर्ण भस्म से
(स) बीटा कैरोटिन से
(द) उपर्युक्त सभी से।
उत्तर:
(स) बीटा कैरोटिन से
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) लेगहार्न ………………….. की एक उन्नत नस्ल है। [1]
(ii) रेड डाटा बुक का प्रकाशन ………… द्वारा किया जाता है। [1]
(iii) ……………. ने आनुवंशिक पदार्थ की खोज की। [1]
(iv) ऊर्जा का पिरामिड सदैव …………. होता है। [1]
……………………….
उत्तर:
(i) मुर्गी।
(ii) WWF
(iii) फ्रेडरिक मिशर।
(iv) सीधा।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक पंक्ति में दीजिए-
(i) मानव में अलिंग सूत्री प्रभावी तथा अलिंग सूत्री अप्रभावी मेण्डलीय दोष से प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए। [1]
उत्तर:
अलिंग सूत्री या ऑटोसोमल प्रभावी-मायोटोनिक डिस्ट्राफी
आटोसोमल अप्रभावी-दात्र कोशिका अरक्तता
(ii) वाल्टर व सटन द्वारा प्रस्तुत वंशागति सिद्धान्त का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
वंशागति का क्रोमोसोमीय सिद्धान्त
(iii) खीस ( कोलस्ट्रम) में कौन सी प्रतिरक्षी होती है? [1]
उत्तर:
कोलस्ट्रम में IgA प्रतिरक्षी होती है।
(iv) वांछित लक्षणों के लिए समयुग्मता बढ़ाने के लिए मवेशियों में प्रयोग की जाने वाली कार्यनीति का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
अन्तः प्रजनन।
(v) जैल इलैक्ट्रोफोरेसिस में पराबैंगनी प्रकाश में दिखाई देने के लिए डी एन ए को किस पदार्थ से अभिरंजित (Stain) किया जाता है? [1]
उत्तर:
इथिडियम ब्रोमाइड से।
(vi) कपास के वॉलवर्म तथा कोर्न वोरर को नियंत्रित करने वाले क्राई जीन का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
वालवर्म का नियंत्रण cry IAC व cry II Ab द्वारा; कार्न वोरर का नियंत्रण cry I Ab द्वारा।
(vii) मानव निर्मित किसी जलीय पारितंत्र का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
एक्वेरियम।
(viii) किस वैज्ञानिक को जैव विविधता शब्द को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है? [1]
उत्तर:
एडवर्ड विल्सन।
खण्ड – ब
लघु उत्तरीय प्रश्न ( उत्तर शब्द सीमा 50 शब्द)
प्रश्न 4.
किन्ही तीन यौन संचारित रोगों के नाम लिखिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
यौन संचारित रोगों के नाम-
- सिफिलिस
- गोनोरिया
- एड्स
प्रश्न 5.
हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के तीन प्रमुख कारणों को समझाइए जिन पर आप अपने सहपाठियों से चर्चा करना चाहेंगे। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण हैं जिनमें प्रमुख तीन कारण निम्नवत् हैं-
- मृत्युदर में कमी- आज के समय में चिकित्सीय सुविधाओं के बढ़ जाने के फलस्वरूप मृत्युदर में कमी आयी है जिससे जनसंख्या में वृद्धि हुई है।
- मातृ मृत्युदर में कमी- जनन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी से मातृ मृत्युदर में कमी हुई है।
- शिशु मृत्युदर में कमी- उन्नत चिकित्सीय देखरेख के कारण शिशु मृत्युदर में कमी हुई है। उपरोक्त कारण जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देते हैं।
प्रश्न 6.
हमारी कुछ स्पीसीज (जाति) को फसलों के खेतों में मधुमक्खी पालन क्यों किया जाता है। व्याख्या कीजिए। ऐसी कुछ फसली प्रजातियों के नाम लिखिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
मधुमक्खियाँ कुछ स्पीशीज (जाति) की फसलों में परागणकर्ता का कार्य करती हैं। पुष्पीकरण के समय इसके छत्तों को खेतों/बागों के बीच में रखने से पौधों की परागण क्षमता बढ़ती है। किसान को बढ़ी फसल के साथ शहद की अतिरिक्त आय होती है। इसलिए इन फसलों में मधुमक्खी पालन किया जाता है। उदारहणार्थ- सूर्यमुखी, सरसों, सेब तथा नाशपाती।
प्रश्न 7.
सफल मधुमक्खी पालन के लिए ध्यान में रखने वाले तीन महत्त्वपूर्ण चरणों की सूची बनाइए। मधुमक्खी पालन के प्रमुख उत्पादों के नाम लिखिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
(i) मधुमक्खियों की प्रकृति तथा स्वभाव का ज्ञान।
(ii) मक्खी के छत्तों को रखने के लिए उपयुक्त स्थान का चयन।
(iii) विभिन्न मौसम में छत्तों का प्रबन्धन।
मधुमक्खी पालन के प्रमुख उत्पाद-
(i) शहद
(ii) मोम
(iii) मधुमक्खी विष।
प्रश्न 8.
प्लाज्मिड वाहक की प्रतिलिपि संख्या (copy number) किस प्रकार पुनर्योगज प्रोटीन की उत्पादित मात्रा से जुड़ी है? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
प्लाज्मिड वाहक से ही विजातीय (alien) डी एन ए जोड़कर पुनर्योगज डी एन ए बनाया जाता है। पोषक में जितनी इस प्लाज्मिड की काफी संख्या होगी बाह्य जीन भी उसी के साथ गुणित होगा अतः उत्पाद की मात्रा बढ़ जायेगी।
प्रश्न 9.
पुनर्योगज DNA बनाने के लिए क्या आप एक एक्सोन्यूक्लिएज का चयन करेंगे? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
नहीं, एक्सोन्यूक्लिऐज रैखिक डी एन ए अणु के मुक्त सिरों पर क्रिया करते हैं। इनसे चिपचिपे सिरे वाले डी एन ए खण्डों का निर्माण नहीं होता। अतः यह डी एन ए की लम्बाई कम करते-करते उसे परा विघटित कर देंगे। वर्तुल (circular) प्लाज्मिड को काटने में यह समर्थ नहीं होते।
प्रश्न 10.
(a) एडीनोसीन डिएमीनेज नामक रोग का एंजाइम प्रतिस्थापन चिकित्सा पद्धति द्वारा उपचार किये गये बच्चों के लिए समय समय पर उपचार की आवश्यकता क्यों होती है?
(b) मानव इन्सुलिन में C पेप्टाइड की भूमिका बताइए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
(a) यह पूर्ण व स्थायी उपचार नहीं है क्योंकि रोग, ADA एंजाइम को कोड करने वाली जीन के विलोपन से होता है। अत: इसका उपचार जीन थेरेपी द्वारा ही किया जा सकता है जो ADA का लगातार उत्पादन सुनिश्चित करती है।
(b) मनुष्य में इंसुलिन का उत्पादन प्रोइंसुलिन के रूप में होता है जिसमें A तथा B पेप्टाइड के साथ एक C पेप्टाइड भी होता है। परिपक्वन के समय C पेप्टाइड हटा दिया जाता है। C पेप्टाइड इंसुलिन को असक्रिय अवस्था में बनाये रखने का कार्य करता है।
प्रश्न 11.
स्टेम कोशिका क्या है? सुकेन्द्रकी कोशिकाओं के भीतर mRNA के मौनीकरण में ट्रांसपोजीनों की भूमिका बताइए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
स्टेम कोशिकाएँ विशिष्ट प्रकार की कोशिकाएँ हैं जो बार-बार विभाजित होकर नई स्टेम कोशिकाओं तथा ऐसी वंशज कोशिकाएँ बनाती हैं जो विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में विकसित होने की क्षमता रखती है। जैसे-जन्तु की भ्रूणीय कोशिकाएँ।
किसी परजीवी में आर एन ए अंतरक्षेप (RNA interferance) के लिए ds RNA आवस्यकता होती है। यह mRNA का मौनीकरण कर देते हैं। यूकैरियोटिक कोशिकाओं के लिए इस सम्पूरक (Complemantary) RNA का स्रोत चलायमान जेनेटिक एलीमेंट अर्थात ट्रांसपोजोन हो सकते हैं।
प्रश्न 12.
विभिन्न पोषण स्तरों में ऊर्जा का प्रवाह एक दिशीय व गैर चक्रीय होता है। समझाइये। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
सूर्य की सौर ऊर्जा हरे पौधों के माध्यम से खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करती है। हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में सूर्य की विकिरण ऊर्जा को खाद्य की रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं। पौधों से यह ऊर्जा शाकाहारियों में शाकाहारियों से प्राथमिक मांसाहारी में व प्राथमिक मांसाहारी से द्वितीयक मांसाहारी में 10% के नियमानुसार स्थानान्तरित होती है। इसमें काफी ऊर्जा हर स्तर पर ऊष्मा के रूप में मुक्त हो जाती है तथा पुनः वापस नहीं आती। पोषण स्तरों में स्थानान्तरित ऊर्जा सूर्य की दिशा में वापस नहीं हो सकती। अत: यह एकदिशीय होता है चक्रीय नहीं।
प्रश्न 13.
प्राथमिक उत्पादकता किसे कहते हैं? प्राथमिक उत्पादकता विभिन्न पारितन्त्रों में भिन्न-भिन्न होती है, समझाइये। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
प्राथमिक उत्पादकता-हरे पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण में एक निश्चित समयावधि में प्रति इकाई क्षेत्र द्वारा उत्पादित जैवभार (Biomass) या कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को प्राथमिक उत्पादकता कहते हैं। प्राथमिक उत्पादकता किसी क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रजातियों, उनकी प्रकाश संश्लेषणी दक्षता पोषकों की उपलब्धता तथा अनेक पर्यावरणीय कारकों पर निर्भर करती है, चूंकि विभिन्न पारितन्त्रों में यह परिस्थितियाँ अलग-अलग होती हैं अतः उत्पादकता भी भिन्न-भिन्न होती है।
प्रश्न 14.
हाल ही में विलुप्त हुई किन्हीं तीन वन्य जन्तु जातियों के नाम लिखिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
- डोडो पक्षी (मारीशस)
- क्वागा स्तनी (अफ्रीका)
- थाइलेसिन मार्सपियेल (ऑस्ट्रेलिया)
प्रश्न 15.
एन्डेमिक व विदेशी प्रजाति के बीच क्या अन्तर है? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
स्थानिक या क्षेत्रज (endemic) प्रजाति किसी भौगोलिक क्षेत्र विशेष तक सीमित रहती है तथा अन्य स्थानों पर नहीं पाई जाती। विदेशी या बाहृय (exotic) प्रजाति किसी अन्य पारितंत्र/भौगोलिक क्षेत्र से किसी नये क्षेत्र में प्रवेश करायी जाती है।
खण्ड – स
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा 100 शब्द)
प्रश्न 16.
जीवों के लिए जनन क्यों अनिवार्य है? जनन की अच्छी विधि कौन सी है? और क्यों? अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई संतति को क्लोन क्यों कहा गया है? [3]
अथवा
व्याख्या करें-(i) किशोर चरण (ii) प्रजनन चरण (ii) जीर्णता चरण [3]
उत्तर:
कोई भी जीवधारी अमर (immortal) नहीं होता। जीव मरते हैं लेकिन प्रजाति बनी रहती है। यह कार्य प्रजनन द्वारा ही सम्पन्न होता है। अतः जीवों की प्रजातियों की निरन्तरता को पीढ़ी दर पीढ़ी बनाये रखने के लिए प्रजनन अनिवार्य है। प्रजनन से उत्पन्न हुई विभिन्नताएँ जीव को बदले हुए पर्यावरण हेतु अनुकूलन प्रदान कराती हैं। जनन की लैंगिक विधि को अच्छा माना जाता है क्योंकि लैंगिक जनन के कारण संतति में अधिक विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। यह विभिन्नताएँ युग्मक जनन के समय होने वाले अर्द्धसूत्री विभाजन में गुणसूत्रों के सांयोगिक पृथक्करण, क्रासिंग ओवर तथा युग्मकों के सांयोगिक संलयन के कारण उत्पन्न पुनर्संयोजन होते हैं। विभिन्नताएँ जीव को बदले पर्यावरण में अनुकूलन की संभावना प्रदान करती हैं। अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई संतति आकारिकीय (morphological) व आनुवंशिक (Genetic) रूप से एकमात्र जनक के समान ही होती हैं। अतः इन्हें क्लोन कहा जाता है।
प्रश्न 17.
मेण्डल के प्रभाविता के नियम को समझाइए।प्रभाविता एवं अप्रभाविता में दो अन्तर लिखिए। [3]
अथवा
परीक्षार्थ संकरण क्या है? एक संकर परीक्षार्थ संकरण एवं द्विसंकर परीक्षार्थ संकरण को आरेख द्वारा समझाइए। [3]
उत्तर:
मेण्डल का प्रभाविता का नियम- जब एक जोड़ी विपर्यासी लक्षणों वाले पौधों के बीच संकरण कराया जाता है तो प्रथम पीढ़ी में केवल एक प्रभावी लक्षण ही प्रकट होता है, दूसरा छिप जाता है। इसे प्रभाविता का नियम कहते हैं।
जब मटर के लम्बे पौधे तथा बौने पौधे के बीच संकरण कराया जाता है। तो F पीढ़ी में सभी लम्बे पौधे प्राप्त होते हैं। इसमें लम्बापन प्रभावी तथा बौनापन अप्रभावी उदाहरण को प्रदर्शित करता है।
प्रभाविता और अप्रभाविता में अन्तर
प्रभाविता | अप्रभाविता |
1. वह विशेषक या अलील जो विषमयुग्मजी अवस्था में भी अभिव्यक्त हो जाते हैं प्रभावी विशेषक (trait) या अलील कहलाते हैं तथा घटना प्रभाविता कहलाती है। | 1. वह विशेषक जो विषमयुग्मजी अवस्था में अभिव्यक्त नहीं होते अप्रभावी विशेषक/अलील कहलाते हैं तथा यह घटना अप्रभाविता कहलाती है। अप्रभावी विशेषक समयुग्मजी अवस्था में अभिव्यक्त होते हैं। |
2. प्रभाविता का कारण इसके जीन/अलील द्वारा पूर्ण रूप से कार्यशील एंजाइम का उत्पादन है। | 2. अप्रभाविता की स्थिति जीन में हुए परिवर्तन के फलस्वरूप अकार्यशील एंजाइम निर्माण के कारण बनती है। |
प्रश्न 18.
अमीबी पेचिश अर्थात् अमीबिएसिस रोग के रोगजनक का नाम,संचरण की विधि तथा रोग के लक्षण लिखिए। [3]
अथवा
एस्केरियासिस रोग के रोगजनक का नाम, संचरण की विधि तथा रोग के लक्षण लिखिए। [3]
उत्तर:
अमीबी पेचिश रोग के रोग के रोग जनक का नाम- रोगजनक – एन्टअमीबा हिस्टोलिटिका एन्ट- अमीबा एक परजीवी प्रोटोजाआ, (सूक्ष्म एक कोशिकीय जन्तु है)।
संचरण विधि- अमीबी पेचिश एक जल जन्य रोग है। यह संदूषित जल, फल व सब्जी तथा भोजन का सेवन करने से प्रसारित होता है। संक्रमित व्यक्ति के मल में रोगजनक के सिस्ट होते हैं जहाँ से मक्खियों के द्वारा संदूषण खाद्य एवं पेय वस्तुओं में पहुँचता है।
जब मक्खियाँ संक्रमित मानव के मल पर बैठती हैं तो अपने पैरों और पंखों पर परजीवी के सिस्ट पर चिपकाकर ले आती हैं। जब ये मक्खियाँ खाद्य वस्तुओं पर बैठती हैं तो वहाँ संदूषण छोड़ देती हैं। इसके अलावा मलमूत्र जल स्रोतों में तथा खेतों की मृदा में भी होता है, जहाँ से सब्जियाँ भी संदूषित हो जाती हैं।
लक्षण- कुछ व्यक्तियों में एन्टअमीबा परजीवी आंतों में उपस्थित रह कर सिस्ट के रूप में मल के साथ बाहर आता रहता है, लेकिन यह व्यक्ति अमीबी पेचिश के कोई लक्षण प्रकट नहीं करते। एन्टअमीबा के अन्य विभेद आंतों की भित्ति में प्रवेश कर वहाँ घाव बना देते हैं।
खण्ड – द
निबंधात्मक प्रश्न ( उत्तर शब्द सीमा 100 शब्द)
प्रश्न 19.
एक प्रारूपी आवृत्तबीजी बीजाण्ड का नामांकित चित्र बनाकर इसके विभिन्न भागों का उल्लेख कीजिए। [4]
अथवा
लघुबीजाणुधानी एवं गुरुबीजाणुधानी में अन्तर लिखिए। [4]
उत्तर:
प्रारूपिक बीजाण्ड (एनाटापस बीजाण्ड)- पुष्पीय पौधों में बीजाण्ड या गुरुबीजाणुधानी अण्डाशय के बीजाण्डासन पर स्थित होता है। एक अण्डाशय में एक या अनेक बीजाण्ड हो सकते हैं। इसके विभिन्न भाग निम्नलिखित हैं-
चित्र : एक प्रारूपी एनाट्रॉपस बीजाण्ड
- बीजाण्ड वृंत-बीजाण्ड, एक वृंत जिसे फ्यूनिकिल कहते हैं, द्वारा अण्डाशय के बीजाण्डासन भाग से जुड़ा रहता है। बीजाण्ड का वह भाग जहाँ फ्युनिकिल जुड़ा होता है हायलम (hilum) कहलाता है।
- अध्यावरण-बीजाण्ड एक अथवा दो सुरक्षात्मक आवरणों से ढका रहता है जो अध्यावरण कहलाता है।
- बीजाण्ड द्वार-बीजाण्ड पर एक ओर एक छोटा छिद्र पाया जाता है जो बीजाण्डद्वार कहलाता है। बीज का यह वह भाग है जहाँ अध्यावरण नहीं पाया जाता। परागनलिका बीजाण्डद्वार से ही प्रायः बीजाण्ड में प्रवेश करती
- बीजाण्डकाय-बीज का केन्द्रीय भाग या मुख्य शरीर मृदूतकी कोशिकाओं का बना बीजाण्डकाय होता हैं। बीजाण्ड का बीजाण्डकाय से विपरीत दिशा वाला सिरा निभाग कहलाता
- भ्रूणकोष-बीजाणुधानी के मध्य में मादा युग्मकोद्भिद् या भ्रूणकोष स्थित होता है। एक प्रारूपिक भ्रूणकोष 7 कोशिकीय व 8 केन्द्रकीय होता है। इसमें बीजाण्डद्वारीय सिरे की ओर एक अण्ड कोशिका व दो सहायक कोशिका वाला अण्ड उपकरण तथा विपरीत सिरे की ओर तीन प्रतिमुखी कोशिकाएँ (antipodal cells) होती हैं। बीच की केन्द्रीय कोशिका में दो ध्रुवीय केन्द्रक (Polar nuclei) पाये जाते हैं।
प्रश्न 20.
(a) DNA प्रतिकृतिकरण से आप क्या समझते हैं? DNA प्रतिकृतिकरण को अर्द्धसंरक्षी प्रतिकृतिकरण क्यों कहते हैं?
(b) डी.एन.ए. द्विकुण्डली की कौन-सी विशेषता ने वाटसन व क्रिक को डी.एन.ए. प्रतिकृतिकरण के अर्धसंरक्षी या सेमी-कंजरवेटिव रूप को कल्पित करने में सहयोग किया? इसकी व्याख्या कीजिए। [4]
अथवा
टैंपलेट (डी.एन.ए. या आर.एन.ए.) की रासायनिक प्रकृति व इससे संश्लेषित न्यूक्लिक अम्लों (डी.एन.ए. या आर.एन.ए.) की प्रकृति के आधार पर न्यूक्लिक अम्ल पॉलीमेरज के विभिन्न प्रकारों की सूची बनाइये। [4]
उत्तर:
(a) प्रतिकृतिकरण-डी.एन.ए. प्रतिकृतिकरण (replication) डी.एन.ए. अणु द्वारा अपनी प्रतिकृति (copy या replica) बनाने की प्रक्रिया है।
प्रतिकृतिकरण की प्रक्रिया से डी.एन.ए. द्विकुंडली की एक हू-ब-हू (समान) प्रति का निर्माण हो जाता है। वाटसन व क्रिक ने अपने द्विकुंडली मॉडल के प्रस्तुत करने के बाद स्वयं कहा- “यह हमारे ध्यानेतर नहीं है कि जिस विशिष्ट क्षारक युग्मन को हमने प्रस्तावित किया है वह तत्काल, आनुवंशिक पदार्थ का संभावित प्रतिकृतिकरण सुझाता है।”
डी.एन.ए. के प्रतिकृतिकरण में किसी द्विरज्जुकी डी.एन.ए. के दोनों रज्जुक अलग-अलग होकर नये पूरक (complementary) रज्जुओं के संश्लेषण के लिए साँचे (template) की तरह कार्य करते हैं। प्रतिकृतिकरण के बाद बने दो डी.एन.ए. द्विरज्जुकी अणुओं में से प्रत्येक अणु में एक रज्जुक पैत्रिक (parental) व एक नव संश्लेषित होता है। डी.एन.ए. प्रतिकृतिकरण की यह योजना अर्धसंरक्षी (semiconservative) कहलाती है, क्योंकि प्रत्येक संतति (daughter) डी.एन.ए. अणु में एक पैत्रिक रज्जुक (अर्थात डी.एन.ए. का आधा भाग) संरक्षित (conserved) होता है।
(b) वाटसन व क्रिक के द्विकुण्डली मॉडल की दोनों पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं के बीच के क्षारक युग्मन की विशेषता ने उनको प्रतिकृतिकरण के सेमी-केजरवेटिव रूप को कल्पित करने में सहयोग किया। यह क्षारक युग्मन पॉलीन्यूक्लियोटाइड शृंखलाओं को पूरकता का एक विशिष्ट गुण प्रदान करता है। अर्थात अगर एक रज्जुक में क्षारकों का क्रम ज्ञात है तो दूसरे रज्जुक में क्षारकों के क्रम का अनुमान लगाया जा सकता है। अगर पैत्रिक डी.एन.ए. का प्रत्येक रज्जुक नये रज्जुक के संश्लेषण के लिए साँचे या टेम्पलेट का कार्य करे तो इस प्रकार बने दो डी.एन.ए. अणु पैत्रिक डी.एन.ए. के समान होंगे। प्रत्येक अणु में एक रज्जुक पैत्रिक तथा एक नव संश्लेषित होगा (सेमीकंजरवेटिव)।
यह प्रस्ताव इरविन चारगॉफ के क्षारकों के अनुपात सम्बन्धी प्रेक्षणों तथा मॉरिस विल्किंस व रोजालिन फ्रैंकलिन के एक्स रे डिफ्रेक्शन आँकड़ों पर भी आधारित था। वाटसन व क्रिक ने स्वयं लिखा था “यह हमारे ध्यानेतर नहीं है कि जिस विशिष्ट क्षारक युग्मन को हमने प्रस्तावित किया है, वह तत्काल, आनुवंशिक पदार्थ का प्रतिकृतिकरण सुझाता है’।
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