Students must start practicing the questions from RBSE 12th Chemistry Model Papers Board Model Paper 2022 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Chemistry Board Model Paper 2022 with Answers in Hindi
पूर्णांक: 56
समय: 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
खण्ड – (अ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखें
(i) जिंक ऑक्साइड को गर्म करने पर वह पीला हो जाता है। इस प्रक्रम में उत्पन्न क्रिस्टलीय दोष है- (1)
(अ) धातु आधिक्य दोष
(ब) अशुद्धता दोष
(स) धातु न्यूनता दोष
(द) शॉटकी दोष
उत्तरः
(अ) धातु आधिक्य दोष
(ii) ऑक्साइड अयस्कों का समूह है (1)
(अ) बॉक्साइट, सिडेराइट
(ब) बॉक्साइट, क्युप्राइट
(स) हेमेटाइट, सिडेराइट
(द) हेमेटाइट, कॉपर पाइराइट
उत्तरः
(ब) बॉक्साइट, क्युप्राइट
(iii) [Ni(CO)4] में Ni की ऑक्सीकरण अवस्था है- (1)
(अ) 0
(ब) +1
(स) +2
(द) +4
उत्तरः
(अ) 0
(iv) CH2 = CH – Cl में हैलोजन से जुड़े कार्बन की संकरण अवस्था है (1)
(अ) sp
(ब) sp2
(स) sp3
(द) dsp2
उत्तरः
(ब) sp2
(v)
क्यूप्रस लवण के स्थान पर कॉपर धातु लेने पर उपरोक्त अभिक्रिया का नाम होगा (1)
(अ) सेण्डमेयर अभिक्रिया
(ब) गाटरमान अभिक्रिया
(स) फ्रीडेल क्राफ्ट्स अभिक्रिया
(द) उल्मान अभिक्रिया
उत्तरः
(ब) गाटरमान अभिक्रिया
(vi) फीनॉल को सान्द्र HNO3, तथा सान्द्र H2SO, के मिश्रण में मिलाने पर प्राप्त मुख्य उत्पाद का नाम होगा – (1)
(अ) 2- नाइट्रोफीनॉल
(ब) 4-नाइट्रोफीनॉल
(स) 2, 4-डाई नाइट्रोफीनॉल
(द) 2, 4, 6-ट्राई नाइट्रोफीनॉल
उत्तरः
(द) 2, 4, 6-ट्राई नाइट्रोफीनॉल
(viii) ऐल्डोऐक्सोस मोनो सेकैराइड है (1)
(अ) रेम्नोस
(ब) फ्रक्टोज
(स) ग्लूकोज
(द) सुक्रोज
उत्तरः
(स) ग्लूकोज
(viii) जल में विलेय विटामिन है. (1)
(अ) विटामिन ए
(ब) विटामिन बी
(स) विटामिन सी
(द) विटामिन डी
उत्तरः
(स) विटामिन सी
(ix) ग्लाइसीन तथा ऐलानीन के संयोग से बने यौगिक में पेप्टाइड आबन्धों की संख्या होगी- (1)
(अ) 1
(ब) 2
(स) 3
(द) 4
उत्तरः
(अ) 1
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) हेमेटाइट के प्रगलन हेतु __________ भट्टी का उपयोग करते हैं। (1)
उत्तरः
वात्या
(ii) कॉपर ग्लॉस का रासायनिक सूत्र ___________ है। (1)
उत्तरः
Cu2S
(iii) लैन्थेनॉयड की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था __________ है। (1)
उत्तरः
+3
(iv) [CO(en)3]3+ संकुल में CO की उपसहसंयोजन संख्या __________ है। (1)
उत्तरः
6
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
(i) फ्रेंकेल तथा शॉटकी दोनों प्रकार के दोष दर्शाने वाले ठोस का रासायनिक सूत्र लिखिए। (1)
उत्तर:
AgBr.
(ii) हेनरी का नियम लिखिए। (1)
उत्तर:
किसी गैस का वाष्प अवस्था में आंशिक दाब (P), उस विलयन में गैस के मोल अंश (x) के समानुपाती होता
(iii) बेन्जीन विलयन में एथेनॉइक अम्ल के द्वितयन के लिए उत्तरदायी आबन्ध का नाम लिखिए। (1)
उत्तर:
हाइड्रोजन आबन्ध।
(iv) Fe0 + SiO2 → [A] उपरोक्त अभिक्रिया में यौगिक [A] का रासायनिक सूत्र लिखिए। (1)
उत्तर:
FeSiO2 – फेरस सिलिकेट (धातुमल)।
(v) लैन्थेनॉयड आकुंचन का कारण समझाइए। (1)
उत्तर:
लैन्थेनॉयड में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ नाभिकीय आकर्षण तो बढ़ जाता है, लेकिन उसे संतुलन करने वाला परिरक्षण प्रभाव उतना नहीं बढ़ता जिससे उनके आकार में क्रमिक कमी आती है और उनके परमाणु संकुलित होते जाते हैं। इसको ही लैन्थेनॉयड संकुचन या आकुंचन कहते हैं।
(vi) एथेनॉल को 413K ताप पर सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर प्राप्त मुख्य उत्पाद का रासायनिक सूत्र लिखिए। (1)
उत्तर:
(vii) ऐनीलीन के डाइऐजोकरण का रासायनिक समीकरण लिखिए। (1)
उत्तर:
(viii) ट्राईमेथिल एमीन का कक्षक चित्र बनाइए। (1)
उत्तर:
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
तत्व B के परमाणुओं से CP जालक बनता है और तत्व A के परमाणु 1/3 चतुष्फलकीय रिक्तियों को भरते हैं। A व B तत्वों द्वारा बनने वाले यौगिक का सूत्र क्या है? (1½)
उत्तर:
षट्कोणीय निविड संकुलन में गोलों की संख्या = N, जनित चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या = 2N अतः तत्व ‘B’ hCP बनाता है।
∴ तत्व B के परमाणुओं की संख्या = N, कुल जनित 2N चतुष्फलकीय रिक्तियों में से तत्व ‘A’ केवल \(\frac{1}{3}\) रिक्तियों में ही अध्यासित होते हैं।
अतः तत्व A में परमाणुओं की संख्या = 2N × \(\frac{1}{3}=\frac{2 \mathrm{~N}}{3}\)
तत्वों का अनुपात = A : 7 : N = \(\frac{2 \mathrm{~N}}{3}\) = 2N : 3N = 2 : 3
अत: यौगिक का सूत्र A,B, है।
प्रश्न 5.
अनुचुम्बकत्व तथा लौह-चुम्बकत्व की तुलना कीजिए। (1½)
उत्तर:
अनुचुम्बकत्व | लौह-चुम्बकत्व |
1. इनमें स्थायी चुम्बकीय द्विध्रुव प्राया जाता है। | 1. ये बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा प्रबलता से आकर्षित होते हैं और बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में भी स्थायी चुम्बकत्व प्रदर्शित करते हैं। |
2. ये चम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित होते हैं। | 2. इनमें भी अग्मितं इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं। |
3. जिनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में ये पदार्थ अपने चुम्बकत्व को नष्ट कर देते हैं। उदाहरण Cu2+, Fe3+, TiO, VO2, CuO, CuCl2, आदि। | 3. इनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के चुम्बकीय आघूर्ण एक ही दिशा में स्वतः उत्पन्न हो जाते हैं। उदाहरण – Fe, CO, Ni, CrO2, आदि । |
प्रश्न 6.
प्रतिलोम परासरण प्रक्रम का आरेखीय निरूपण चित्रित कीजिए। (1½)
उत्तर:
प्रश्न 7.
निम्नलिखित के आधार पर आदर्श विलयन को समझाइए (¾ + ¾ = 1½)
(अ) एन्थैल्पी परिवर्तन
उत्तर:
एन्थैल्पी परिवर्तन-अवयव A व B से बने दोनों विलयनों को मिलाने पर एन्थैल्पी में परिवर्तन नहीं होना चाहिए। अर्थात् ∆H(mixing) = 0
(ब) आयतन परिवर्तन
उत्तर:
आयतन परिवर्तन-अवयव A व B से बने दोनों विलयनों को मिलाने पर विलयन का आयतन दोनों अवयवों के आयतन के बराबर होना चाहिए। अर्थात् ∆V(mixing) = 0
अतः हम कह सकते हैं कि वे विलयन जो सभी तापों एवं सान्द्रता परासों पर रॉडल्ट के नियम का पालन करते हैं, अवयव A व B से बने आदर्श विलयन ऊपर दी गयी शर्त (अ) व (ब) को भी पूरा करते हों, आदर्श विलयन कहलाता है।
प्रश्न 8.
उपरोक्त अभिक्रिया की कोटि का मान 1 है जबकि आण्विकता का मान 2 होने का कारण समझाइए। (1½)
उत्तर:
यहाँ जल (H2O) की सान्द्रता में कोई परिवर्तन नहीं होता है। जिससे कोटि तथा आण्विकता 2 होती है। अतः इसकी सान्द्रता में कोई कमी (परिवर्तन) नहीं होने के कारण अभिक्रिया का वेग केवल ऐथिल ऐसिटेट की सान्द्रता पर निर्भर करता है।
प्रश्न 9.
दर्शाइए कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया में 99.9% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगा समय अर्द्धायु (t1/2) का 10 गुना होता है। (1½)
उत्तर:
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए,
k = \(\frac{2 \cdot 303}{t}\)log \(\frac{[\mathrm{A}]_{0}}{[\mathrm{~A}]}\)
99.9% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगा समय
हम जानते हैं कि प्रथम कोटि के लिए, अर्द्ध-आयु काल,
t1/2 = \(\frac{0 \cdot 693}{k}\) ………..(2)
अभिक्रिया (1) व (2) का तुलनात्मक अध्ययन करने पर,
अतः सिद्ध हुआ कि 99.9% अभिक्रिया पूर्ण होने में लगा समय अर्द्ध-आयु का 10 गुना है।
प्रश्न 10.
संक्रमण तत्वों द्वारा प्रदर्शित निम्नलिखित गुणों को समझाइए (¾ + ¾ = 1½)
(अ) परिवर्तनीय ऑक्सीकरण अवस्था
उत्तर:
संक्रमण तत्व विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं। इनके परमाणुओं में (n- 1)d उपकोश एवं ns उपकोश की ऊर्जाओं में अन्तर नगण्य होता है। अत: इनके परमाणुओं में बाह्यतम ns उपकोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के साथ (n – 1) d-उपकोश के कक्षकों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की भी बंध बनाने की प्रवृत्ति होती है। चूँकि एक परमाणु द्वारा भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में बन्ध निर्माण के लिए ns कक्षक के इलेक्ट्रॉनों के साथ-साथ (n – 1)d कक्षकों के इलेक्ट्रॉन अलग-अलग संख्या में प्रयुक्त किये जाते हैं। इसी कारण ये परिवर्तनीय ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं।
(ब) उत्प्रेरकीय गुण
उत्तर:
विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करने का गुण एवं रिक्त d-कक्षक भी इस उत्प्रेरकीय गुण के लिए उत्तरदायी होते हैं। उत्प्रेरक की सतह पर अभिकारक के अणुओं तथा उत्प्रेरक की सतह के परमाणुओं के बीच आबन्धों की रचना होती है।
आबन्ध बनाने के लिए 3d-श्रेणी के तत्व 3d एवं 4s इलेक्ट्रॉनों का उपयोग करते हैं। अतः उत्प्रेरक की सतह पर अभिकारक की सान्द्रता में वृद्धि हो जाती है तथा अभिकारक के अणुओं में उपस्थित आबन्ध दुर्बल हो जाते हैं। सक्रियण ऊर्जा का मान घट जाता है। संक्रमण धातुओं की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तन होने के कारण ये उत्प्रेरक के रूप में अत्यधिक प्रभावी होती
प्रश्न 11.
परमाणु क्रमांक 26 वाले एक तत्व M के द्विधनात्मक आयन के लिए ‘प्रचक्रण मात्र’ चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए। (1½)
उत्तर:
26M का परमाणु क्रमांक = 26
26M2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 1s2, 2s2, 2p6, 3s2, 3p6, 3d6, 4s0
ताताना अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या (n) = 4
चुम्बकीय आघूर्ण (μ) = \(\sqrt{n(n+2)}=\sqrt{4(4+2)}=\sqrt{24}\) = 4.89 BM
प्रश्न 12.
π-आबन्ध को दर्शाते हुए कार्बोनिल समूह का कक्षीय आरेख बनाइए। (1½)
उत्तर:
कार्बोनिल समूह में कार्बन परमाणु sp2 संकरित अवस्था में होता है तथा तीन सिग्मा आबन्ध निर्मित करता है। कार्बन का चौथा असंकरित p-कक्षक ऑक्सीजन के p-कक्षक के सार्थ अतिव्यापन करके एक आबन्ध बनाता है। इसके अतिरिक्त ऑक्सीजन परमाणु पर दो अनाबन्धी इलेक्ट्रॉन युगल उपस्थित होते हैं। इस प्रकार कार्बोनिल समूह का कार्बन तथा इससे आबन्धित तीन परमाणु एक ही तल में होते हैं एवं – इलेक्ट्रॉन अभ्र इस तल के ऊपर एवं नीचे होता है। बन्धन कोण लगभग 120° का होता है तथा समतलीय त्रिकोणीय संरचना में अपेक्षित है।
चित्र-कार्बोनिल समूह निर्माण का कक्षीय आरेख
कार्बोनिल समूह (>C = 0) में ऑक्सीजन की विद्युत ऋणात्मकता कार्बन से अधिक होने के कारण π इलेक्ट्रॉन घनत्व को अपनी ओर खींच लेता है। इस प्रकार ऑक्सीजन परमाणु पर आंशिक ऋणावेश एवं कार्बन परमाणु पर आंशिक धनावेश आ जाता है। अत: कार्बन-ऑक्सीजन बन्ध ध्रुवीय हो जाता है।
प्रश्न 13.
उपरोक्त अभिक्रिया अनुक्रम में [A], [B] तथा [C] के रासायनिक सूत्र लिखए। (1½)
उत्तर:
प्रश्न 14.
HCOOH, CH3COOH, CICH2COOH को उनकी अम्लता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए। (1½)
उत्तर:
CH3COOH < HCOOH< CIH2COOH
प्रश्न 15.
आथों और पैरा स्थितियों पर उपस्थित नाइट्रो समूह फीनॉल की अम्लीय सामर्थ्य को बढ़ाते हैं। समझाइए। (1½)
उत्तर:
प्रतिस्थापित फीनॉलों में नाइट्रो समूह जैसे इलेक्ट्रॉन अपचयन समूह फीनॉल की अम्लीय सामर्थ्य को बढ़ा देते हैं। जब इस प्रकार के समूह ऑर्थो एवं पैरा स्थितियों पर उपस्थित होते हैं तो यह प्रभाव और अधिक प्रबल हो जाता है। इसका कारण इनके फीनॉक्साइड आयन के ऋणावेश का प्रभावी विस्थापन होता है। इस कारण ऑर्थो तथा पैरा नाइट्रोफीनॉल फीनॉल से अधिक अम्लीय होते हैं।
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 16.
अभिक्रिया की कोटि को परिभाषित कीजिए। शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए समाकलित वेग-समीकरण व्युत्पन्न कीजिए। (1 + 2 = 3)
उत्तर:
अभिक्रिया की कोटि-अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले अणुओं की संख्या अभिक्रिया की कोटि बताती है। यह एक प्रायोगिक मान होता है जिसे अभिक्रिया के आधार पर ज्ञात नहीं कर सकते हैं। इसका मान शून्य हो सकता है। शून्य कोटि की अभिक्रियाएँ-वे अभिक्रियाएँ जिनमें अभिक्रिया का वेग अभिकारकों की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता है, शून्य कोटि की अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। अर्थात् अभिक्रिया का वेग अभिकारकों की सान्द्रता के शून्य घात के अनुक्रमानुपाती होता है।
माना, A → उत्पाद
t = 0 समय पर, सान्द्रता = [A]0 तथा t = t समय पर, सान्द्रता = [A]
शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए, अभिकारक को सान्द्रता की घात शून्य होती है।
दर = k[A]0 ……..(i)
वेग नियम से,
दर = \(\frac{-d[\mathrm{~A}]}{d t}\) …….(ii)
चूँकि दोनों समीकरण (i) तथा (ii) दर को बताते हैं अतः
k[A]° = \(\frac{-d[\mathrm{~A}]}{d t}\) [∵ [A]° = 1]
या k = \(\frac{-d[\mathrm{~A}]}{d t}\)
– kdt = d[A] ……….(iii)
समीकरण (iii) का समाकलन करने पर,
– ∫kdt = ∫d[A]
⇒ [A] = – kt + C …………..(iv)
यहाँ C = समाकलन स्थिरांक है।
यदि t = 0 तथा [A] = [A]0 तो इन मानों को समीकरण (iv) में रखने पर,
[A]° = – k × 0 + C = C
C का मान समीकरण (iv) में रखने पर,
⇒ [A] = – kt + [A]
∴ k = \(\frac{[\mathrm{A}]^{0}-[\mathrm{A}]}{t}\) …..(v)
समीकरण (v) शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए समाकलित दर व्यंजक हैं।
अथवा
अभिक्रिया के वेग को परिभाषित कीजिए। अभिक्रिया के वेग की ताप पर निर्भरता को सक्रियण ऊर्जा (E) के आधार पर समझाइए। (1 + 2 = 3)
उत्तर:
अभिक्रिया का वेग-अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले अणुओं की संख्या अभिक्रिया की कोटि बताती है। यह एक सैद्धान्तिक मान होता है जिसे अभिक्रिया के आधार पर ज्ञात कर सकते हैं। इसका मान शून्य नहीं हो सकता है।
अभिक्रिया वेग की ताप पर निर्भरता हम जानते हैं कि ताप बढ़ाने पर रासायनिक अभिक्रियाओं का वेग तेजी से बढ़ जाता है। इसीलिए किसी अभिक्रिया का . वेग हम एक स्थिर ताप पर ज्ञात करते हैं। यदि तापों को परिवर्तित किया जाता रहे तो अभिक्रिया की कोटि तो समान रहती है परन्तु दर स्थिरांक का मान परिवर्तित हो जाता है। यह पाया गया है कि “किसी रासायनिक अभिक्रिया में 10°C ताप वृद्धि से वेग स्थिरांक में लगभग दोगुनी वृद्धि होती है।
अतः 10 K ताप के अन्तर पर दर स्थिरांकों का अनुपात ताप गुणांक कहलाता है।
ताप बढ़ाने पर किसी रासायनिक अभिक्रिया का वेग इसलिए बढ़ता है क्योंकि ताप वृद्धि से अणुओं के मध्य प्रति सेकण्ड होने वाली टक्करों की संख्या बढ़ जाती है फलस्वरूप अभिक्रिया का वेग भी बढ़ जाता है। अतः, अभिक्रिया का वेग ∝ टक्करों की संख्या
सक्रियण ऊर्जा
“अभिकारक अणुओं की औसत ऊर्जा से अधिक वह निश्चित न्यूनतम ऊर्जा जो अणुओं के टकराने पर प्रभावी टक्कर होने के लिए अणुओं में उपस्थित होना अनिवार्य है, सक्रियण ऊर्जा (Ea) कहलाती है।” हम जानते हैं कि किसी भी रासायनिक अभिक्रिया के सम्पन्न होने के लिए अभिकारक अणुओं का परस्पर टकराना आवश्यक है। परन्तु अभिकारक अणुओं के मध्य होने वाली सभी टक्करों के फलस्वरूप उत्पाद नहीं बनते हैं। जिन टक्करों के फलस्वरूप उत्पाद बनते हैं उन्हें प्रभावी टक्करें कहते हैं।
प्रभावी टक्करों की संख्या कुल टक्करों की संख्या की तुलना में बहुत कम होती है। किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारक अणुओं के मध्य प्रभावी टक्कर होने के लिए टकराने से पूर्व उनमें एक निश्चित न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसे देहली ऊर्जा कहते हैं। जिन अणुओं की ऊर्जा देहली ऊर्जा के बराबर या उससे अधिक होती है उनकी टक्करें ही प्रभावी होती हैं तथा जिन अभिकारक अणुओं की ऊर्जा देहली ऊर्जा से कम होती है उन्हें हमें सक्रियण ऊर्जा के बराबर ऊर्जा प्रदान करनी होती है जिससे कि वे भी प्रभावी टक्करें कर सकें।
अत: सक्रियण ऊर्जा = देहली ऊर्जा – औसत ऊर्जा
Ea = ET – ER
यहाँ Ea = सक्रियण ऊर्जा, ET = देहली ऊर्जा,
ER = अभिकारकों की औसत ऊर्जा ।
प्रश्न 17.
(अ) कार्बन-हैलोजन (C – X) आबन्ध की प्रकृति लिखिए।
(ब) बेन्जीन को FeCl3, की उपस्थिति Cl2, के साथ अभिकृत करने पर यौगिक [X] बनता है। यौगिक [X] को शुष्क ईथर की उपस्थिति में सोडियम के साथ मिलाने पर यौगिक [Y] बनता है। यौगिक [X] एवं [Y] के नाम लिखिये तथा निहित रासायनिक अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए। (1 + ½ + ½ + 1 = 3)
उत्तर:
(अ) कार्बन-हैलोजन आबन्ध की प्रकृति ध्रुवीय होती है।
(ब)
अतः [X] = क्लोरोबेन्जीन तथा [Y] = डाइफेनिल/बाईफेनिल
अथवा
(अ) DDT का पूरा नाम लिखिए।
(ब) एथेनॉल को PCI, के साथ अभिकृत करने पर यौगिक [X] बनता है। यौगिक [X] को ऐल्कॉहली KOH के साथ गर्म करने पर यौगिक [Y] बनता है। (1 + ½ + ½ + 1 = 3)
यौगिक [X] व [Y] के नाम लिखिए तथा निहित रासायनिक अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
(अ) DDT : Dichloro Diphenyl Trichloro ethane
(ब)
अतः [X] = ईथाइलक्लोराइड तथा [Y] = एथिलीन।
प्रश्न 18.
(अ) ऐनिलीनियम धनायन की अनुनादी संरचनाएँ दीजिए।
(ब)
के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
(स) ब्यूटेन-1-ऑल की जल में विलेयता ब्यूटेन-1-ऐमीन की तुलना में अधिक होने के कारण लिखिए। (1 + 1 + 1 = 3)
उत्तर:
(ब) +I प्रभाव ∝ क्षारीय प्रकृति (CH3, समूह की संरचना)
अतः क्षारीय सामर्थ्य का बढ़ता क्रम
(स) क्योंकि ब्यूटेन-1-ऑल जल के साथ मजबूत हाइड्रोजन बंध बना लेता है और यह जल में अपेक्षाकृत अधिक घुलनशील होती है।
अथवा
(अ) हिन्सबर्ग अभिकर्मक का रासायनिक नाम तथा संरचना सूत्र लिखिए।
(ब) एथैनेमीन द्वारा प्रदर्शित कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया का सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
(स) CH3NH2 की क्षारीय सामर्थ्य C6H5NH2 की तुलना में अधिक होने का कारण लिखिए। (1 + 1 + 1 = 3)
उत्तर:
(अ) रासायनिक नाम-बेंजीन सल्फोनिल कलोराइड . .
संरचना सूत्रः-C6H5SO2Cl
(स) CH, – NH, की क्षारीय सामर्थ्य C6H5NH2, की तुलना में +I प्रभाव के कारण अधिक होती है। C6H5NH2, में अनुनाद पाया जाता है जबकि CH3 — NH2, में अनुनाद नहीं पाया जाता है।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 19.
(अ) होमोलेप्टिक तथा हेट्रोलेप्टिक संकुल को परिभाषित कीजिए।
(ब) [Ti(H2O)6]3+ का विलयन रंगीन होता है। कारण दीजिए। (स) अष्टफलकीय क्रिस्टल क्षेत्र में मुक्त धातु आयन के समभ्रंश d-कक्षकों के क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन को चित्रित कीजिए। (1 + 1 + 1 + 1 = 4)
उत्तर:
(अ) होमोलेप्टिक तथा हेट्रोलेप्टिक संकुल-ऐसे संकुल जिनमें धातु परमाणु केवल एक प्रकार के दाता समूह से जुड़े रहते हैं, होमोलेप्टिक संकुल कहलाते हैं।
उदाहरण-[Co(NH3)6]3+ , [Cr(en)3]3+, [PtCl6]2- आदि।
ऐसे संकुल जिनमें धातु परमाणु एक से अधिक प्रकार के दाता समूहों से जुड़े रहते हैं, हेट्रोलेप्टिक संकुल कहलाते हैं। उदाहरण-[Co(NH,),Cl,], [Cr(en),Cl], [Pt(NH,),CI]
(ब) [Ti(H2O)6]3+ संकुल में धातु परमाणु Ti छः लिगैण्डों से घिरा हुआ है, अतः यह एक अष्टफलकीय संकुल है। धातु आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास इस प्रकार है
d-कक्षक का एक इलेक्ट्रॉन निम्नतम ऊर्जा अवस्था t2g में है। यह हरे पीले रंग के प्रकाश की आवृत्ति का अवशोषण करके उच्च ऊर्जा अवस्था eg, में चला जाता है। इस कारण संकुल बैंगनी रंग का दिखाई देता है। गर्म करने पर लिगैण्ड जल का अणु बाहर निकल जाते हैं और यह रंगहीन हो जाता है। क्योंकि लिगैण्ड की अनुपस्थिति में क्रिस्टल क्षेत्र. विपाटन नहीं होता है।
(स) जब छः लिगैण्ड धातु परमाणु को चारों ओर से घेरते हैं तो धातु परमाणु के अपभ्रंश d-कक्षक उत्तेजित होकर दो भागों में विपाटन कर देते हैं।
बोर्ड नमूना प्रश्न पत्र (हल सहित)
अष्टफलकीय क्रिस्टल क्षेत्र में d-कक्षकों का विपाटन अष्टफलकीय क्रिस्टल क्षेत्र में कक्षकों का विपाटन-यहाँ दोनों इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों में अर्थात् (t2g) तथा (eg) कक्षकों में 10 Dq का अन्तर होता है। यहाँ दोनों विन्यासों के अन्तर की ऊर्जा क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा कहलाती है।
अथवा
(अ) [Co(NH3)5(SO4)]Br तथा [Co(NH3)5Br]SO4 द्वारा प्रदर्शित समावयवता लिखिए एवं इसे परिभाषित कीजिए।
(ब) [Co(NH3)6]3+ प्रतिचुम्बकीय जबकि [CoF6]3- अनुचुम्बकीय होता है। कारण दीजिए।
(स) चतुष्फलकीय क्रिस्टल क्षेत्र में मुख्य धातु आयन के समभ्रंश d-कक्षकों के क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन को चित्रित कीजिए। (1 + 1 + 1 + 1 = 4)
उत्तर:
(अ) [Co(NH3)5(SO4)]Br तथा [Co(NH3)5Br]SO4, आपस में आयनन समावयवता प्रदर्शित करते हैं। आयनन समावयवता-ऐसी समावयवता जिसने प्रति आयन संभावित लिगैण्ड होता है उसे आयनन समावयवता कहते है।
(ब) [Co(NH3)6]3+ प्रतिचुम्बकीय होता है।
IUPAC नाम = हैक्साऐमीन कोबाल्ट (III) आयन
समावयवी संख्या = 6
लिगैण्ड = NH3, (प्रबल लिगैण्ड है अत: eθ का युग्मन होगा)
Co → [Ar] 3d7 4s2
Co → [Ar] 3d6 45° 4p°
चुम्बकीय आघूर्ण (µ) = \(\sqrt{n(n+2)}\)
n = अयुग्मित e° की संख्या = 0
तथा µ = \(\sqrt{0(0+2)}\) = 0
प्रकृति = प्रतिचुम्बकीय, क्योंकि इससे अयुग्मीत eθ अनुपस्थित होते हैं। [CoF6]3- अनुचुम्बकीय होता है।
IUPAC नाम-हैक्साक्लोरोकोबाल्टेट (III) आयन
समावयवी संख्या-6 लिगैण्ड-F(दुर्बल लिगैण्ड है अतः eθ का युग्मन नहीं होगा)
Co → [Ar]3d7 4s2
Co → [Ar] 3d6 4s° 4p°4d°
चुम्बकीय आघूर्ण (µ) = \(\sqrt{n(n+2)}\), n = अयुग्मित e° की संख्या = 4
तथा (µ) = \(\sqrt{4(4+2)}\) = \(\sqrt{24}\) = 487 B.M
प्रकृति = अनुचुम्बकीय, क्योंकि इसमें 4 अयुग्मित e° पाये जाते हैं।
(स) चतुष्फलकीय उपसहसंयोजक सत्ता में क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन
- चतुष्फलकीय संकुल के विरचन में, d-कक्षकों का विपाटन अष्टफलकीय से उल्टा तथा कम होता है।
- चतुष्फलकीय संकुल में t2g स्तर के कक्षक लिगैण्डों से अधिक प्रतिकर्षित होते हैं। अतः इनकी ऊर्जा e स्तर से अधिक होती है।
- चतुष्फलकीय संकुलों में विपाटन ऊर्जा (∆t) का मान युग्मन ऊर्जा (P) से कम अर्थात् (∆t <P) होने के कारण युग्मन नहीं होता है। इस कारण निम्न चक्रण संकुल बनना सम्भव नहीं है। ऊर्जा
∆t एवं ∆0 में निम्न सम्बन्ध होता है।
∆t = \(\frac{4}{9}\)∆0(समान धातु आयन के लिए)
जहाँ ∆t = चतुष्फलकीय संकुल की क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा
∆0 = अष्टफलकीय संकुल की क्रिस्टल क्षेत्र विपाटन ऊर्जा।
क्रिस्टल क्षेत्र स्थायीकरण ऊर्जा
अष्टफलकीय संकुल हेतु- CFSE = [- 4n(t2g) + 6n (eg)]Dq
काय सकुल – CFSE = [+ 6n(t2g)- 4n (eg)]D1
जहाँ n = इंगित कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या।
प्रश्न 20.
(अ) बेनीला ऐम से प्राप्त ऐल्डिहाइड का नाम व रासायनिक सूत्र लिखिए।
(ब) निम्नलिखित रूपान्तरणों की रासायनिक समीकरण लिखिए.
(i) बेन्जीन से बेन्जैल्डिहाइड
(ii) ऐसीटेल्डिहाइड से ऐसीटेल्डॉक्सिम
(स) ऐल्डिहाइड के -हाइड्रोजन परमाणु की अम्लता का कारण दीजिए। (½ + ½ +1 +1+1 = 4)
उत्तर:
(अ) बेनिलीन रासायनिक सूत्र ⇒ C8H8O3
(ब) (i) बेन्जीन से बेन्जैल्डिहाइड
(ii) ऐसिटेल्डिहाईड से ऐसीटेल्डॉक्सिम
(स) क्योंकि ऐल्डिहाइड के a-हाइड्रोजन परमाणु में अनुनाद पाया जाता है।
अथवा
(अ) दालचीनी से प्राप्त ऐल्डिहाइड का नाम व रासायनिक सूत्र दीजिए।
(ब) निम्नलिखित रूपान्तरणों की रासायनिक समीकरण लिखिए
(i) बेन्जोयल क्लोराइड से बेन्जैल्डिहाइड
(ii) ऐसीटोन से ऐसीटोन हाइड्रेजोन
(स) कार्बोक्सिलिक अम्ल का क्वथनांक समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले ऐल्डिहाइड की तुलना में अधिक होने का कारण दीजिए। (½ + ½ +1 +1+1 = 4)
उत्तर:
(अ) सिनेमैल्डिहाइड रासायनिक सूत्र =
(ब) (i) बेन्जोयल क्लोराईड से बैन्जैल्डिहाइड (रोजेनमुण्डं अपचयन)
(ii) ऐसीटोन से ऐसीटोन हाइड्रेजोन CHG
(स) क्योंकि कार्बोक्सिलिक अम्लों में हाईड्रोजन बंध वाष्प प्रावस्था में भी उपस्थित होता है तथा यह द्विलक के रूप में पाया जाता है।
अतिरिक्त- µ- बंध]
वाष्प प्रावस्था में (द्विलक के रूप)
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