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RBSE Class 12 Chemistry Model Paper Set 7 with Answers in Hindi
पूर्णांक: 56
समय: 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
खण्ड – (अ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए
(i) एक धातु फलक केन्द्रित घनीय जालक में क्रिस्टलित होता है। एकक कोष्ठिका की कोर की लम्बाई 408 pm है। धातु परमाणु का व्यास है (1)
(अ) 288 pm
(ब) 408 pm
(स) 144 pm
(द) 204 pm
उत्तरः
(अ) 288 pm
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा क्षारीय गालक नहीं है? (1)
(अ) CaCO3
(ब) CaO
(स) Si2O,
(द) Mgo
उत्तरः
(स) Si2O,
(iii) [Pt(NH3 )2 Cl2 ] यौगिक के त्रिविम समावयवियों की संख्या है (1)
(अ) 1
(ब) 2
(स) 4
(द) 3
उत्तरः
(ब) 2
(iv) हैलोऐरीन का उदाहरण है (1)
(अ) CH3Cl
(ब) C6 H5 CH2 Cl
(स) C6 H6 Cl6
(द) C6 H5Cl
उत्तरः
(द) C6 H5Cl
(v) कार्बिलेमीन अभिक्रिया में मध्यवर्ती बनता है (1)
(अ) CH3 Cl
(ब) C6H5CH2Cl
(स) C6 H6Cl6
(द) C6H5Cl
उत्तरः
(स) C6 H6Cl6
(vi) आयोडोफॉर्म परीक्षण देने वाला यौगिक है (1)
(अ) CH3 CH2 COCH2CH3
(ब) (CH3)2 CHOH
(स) CH3CH2COCH6H5
(द) CH3CH2CH2-OH
उत्तरः
(ब) (CH3)2 CHOH
(vii) विटामिन B3, का रासायनिक नाम है (1)
(अ) एस्कॉर्बिक अम्ल
(ब) रिबोफ्लेविन
(स) थायमिन
(द) पाइरीडॉक्सीन
उत्तरः
(स) थायमिन
(viii) मानव शरीर में निम्न में से किसका निर्माण नहीं हो सकता है? (1)
(अ) एन्जाइम
(ब) DNA
(स) विटामिन
(द) हार्मोन
उत्तरः
(स) विटामिन
(ix) बायर अभिकर्मक का उपयोग किया जाता है (1)
(अ) ऑक्सीकरण के लिए
(ब) द्वि-बन्ध की जाँच के लिए
(स) ग्लूकोस की जाँच के लिए
(द) अपचयन के लिए
उत्तरः
(अ) ऑक्सीकरण के लिए
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(i) सबसे अशुद्ध आयरन ………………….. है। (1)
उत्तर:
कास्ट आयरन
(ii) फूल्स गोल्ड नाम का उपयोग ………………………. के लिए करते हैं। जो सोने की तरह चमकता है। (1)
उत्तर:
आयरन पायराइट
(iii) Lu(OH)3 की अपेक्षा La(OH)3 ज्यादा ……………………. होता है। (1)
उत्तर:
क्षारीय
(iv) VBT के आधार पर [FeF6]3- संकुल आयन की संरचना …………………………… होती है। (1)
उत्तर:
अष्टफलकीय
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
(i) क्रिस्टलीय ठोसों के घनत्व पर शॉट्की तथा फ्रेंकेल दोषों का क्या प्रभाव होता है ? (1)
उत्तर:
शॉट्की दोष की स्थिति में घनत्व घट जाता है, जबकि फ्रेंकेल दोष की स्थिति में यह समान ही रहता है।
(ii) किसी पदार्थ का 1 मोल 500 mL जल में घोला गया। विलयन की मोलरता की गणना कीजिए। (1)
उत्तर:
मोलरता = \(\frac{1 \times 1000}{500}\) = 2M
(iii) 100 g विलायक में विलेय का मोल घुला है। विलयन की मोललता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विलयन की मोललता
= \(\frac{0.1 \times 1000}{1000}\) = 1m
(iv) बॉक्साइट अयस्क में उपस्थित किन्हीं दो अशुद्धियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सिलिका (SiO2) व आयरन ऑक्साइड (Fe2O3)
(v) जलीय विलयन में Sc3+ रंगहीन होता है जबकि Ti3+ रंगीन है। कारण लिखिए।
उत्तर:
Sc3+ आयन का बाह्यतम इलेक्ट्रानिक विन्यास 3d0 है, जिसमें कोई अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं है। अतः इसमें इलेक्ट्रॉन का उत्तेजन सम्भव नहीं है। इसलिए रंगहीन है। जबकि Ti3+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d1 है। जिसमें एक अयुग्मित इलेक्ट्रान होने के कारण उत्तेजन सम्भव है इसलिए Ti3+ आयन रंगीन है।
(vi) ईथर को रंगीन बोतलों में पूर्ण भर कर क्यों रखा जाता है ?
उत्तर:
ईथर वायु व प्रकाश की उपस्थिति में परॉक्साइड का निर्माण करते हैं जो कि अत्यन्त विषैले होते हैं अत: परॉक्साइड को बनने से रोकने के लिए ईथर को रंगीन बोतलों में पूर्ण भर कर रखते हैं।
(vii) विनाइल सायनाइड का संरचनात्मक सूत्र एवं IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
CH2 = CH – CN विनाइल सायनाइड
IUPAC नाम प्रोप-2-ईन-नाइट्राइल
(viii) मेडियस अपचयन अभिक्रिया समीकरण लिखिए।
उत्तर:
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
NaCl की एक एकक कोष्ठिका में यदि चित्र में दिये गये अक्ष से सभी आयन हटा दिये जायें तो बची एकक कोष्ठिका में कितने-कितने Na+ और Cl–आयन होंगे? (1½)
उत्तर:
NaCl संरचना में C– आयन घन के कोनों और फलकों के केन्द्र पर होते हैं जबकि Na+ आयन किनारों के केन्द्र और घन के केन्द्र पर होते हैं। दिये हुए अक्ष के आयन हटाने पर एक Na+ आयन केन्द्र से और दो Cl– आयन फलकों के केन्द्र से पृथक होंगे अतः
Na+ आयनों की संख्या = 12 × \(\frac{1}{4}\) = 3
Cl– आयनों की संख्या = 8 × \(\frac{1}{8}\) + 4 × \(\frac{1}{2}\) = 3
बची एकक कोष्ठिका में 3 सोडियम आयन (Na+) तथा 3 क्लोराइड आयन (Cl–) होंगे।
प्रश्न 5.
यह मानते हुए परमाणु एक दूसरे के सम्पर्क में हैं, सरल घनीय धातु के क्रिस्टल में संकुलन क्षमता की गणना कीजिए। (1½)
उत्तर:
एक सरल घनीय धातु क्रिस्टल में घन के कोनों पर उपस्थित परमाणु एक दूसरे को स्पर्श करते हैं।
अतः a = 2r
a = घन का किनारा तथा r = परमाणु की त्रिज्या है। सरल घनीय एकक कोष्ठिका में उपस्थित परमाणुओं की
संख्या = \(\frac{1}{8}\) × 8 = 1
घन का आयतन = a3 = (2r)3 = 8r3
= \(\frac{\frac{4}{3} \pi r^{3} \times 1}{8 r^{3}}\) = \(\frac{4 \times 3.14}{3 \times 8}\) = 0.524
या संकुलन क्षमता = 52.4%
प्रश्न 6.
राउल्ट का वाष्य दाब अवनमन नियम लिखिए। इसकी सीमाएँ भी लिखिए। (1½)
उत्तर:
राउल्ट के नियम के अनुसार, “किसी विलयन के वाष्प-दाब का आपेक्षिक अवनमन विलेय पदार्थ के मोल प्रभाज के बराबर होता है।”.
\(\frac{p-p_{s}}{p}\) = \(\frac{n_{1}}{n_{1}+n_{2}}\)
जहाँ, P तथा Ps क्रमशः विलायक तथा विलयन के वाष्प दाब हैं और n1 तथा n2 क्रमशः विलेय तथा विलायक के ग्राम-अणुओं की संख्या है।
सीमाएँ-
- राउल्ट का नियम तनु विलयनों पर लागू होता है। सान्द्र विलयन राउल्ट के नियम से विचलन प्रदर्शित करते हैं।
- यह नियम केवल अवाष्पशील पदार्थों के विलयनों पर लागू होता है।
- वैद्युत-अपघट्यों के विलयनों पर राउल्ट का नियम लागू नहीं होता है।
- जो पदार्थ विलयनों में संगुणित हो जाते हैं, उन पदार्थों के विलयन भी राउल्ट के नियम का पालन नहीं करते हैं।
प्रश्न 7.
12 g ग्लूकोज को 100 g जल में घोलने पर विलयन का क्वथनांक 100.34°C पाया गया। ग्लूकोज के मोलल उन्नयन स्थिरांक की गणना कीजिए। [C = 12, O = 16, H = 1] (1½)
उत्तर:
∆Tb = \(\frac{1000 \times k_{b} \times w}{m \times W}\)
या kb = \(\frac{\Delta T_{b} \times m \times W}{1000 \times w}\)
दिया है, w = विलेय का द्रव्यमान = 12 g
W = विलायक का द्रव्यमान = 100 g
m = विलेय (ग्लूकोज) का अणुभार = 180
∆Tb = Ts – T0 = 100.34 – 100 = 0.34°C
kb = ?
kb = \(\frac{0.34 \times 180 \times 100}{1000 \times 12}\) = 0.51°C/मोलल
प्रश्न 8.
किसी अभिकारक के लिए एक अभिक्रिया द्वितीय कोटि की है। अभिक्रिया का वेग कैसे प्रभावित होगा; यदि अभिकारक की सान्द्रता (अ) दोगुनी कर दी जाये (ब) आधी कर दी जाये। (1½)
उत्तर:
वेग = k[A]2, यदि सान्द्रता = a तो
वेग = ka2
(अ) यदि सान्द्रता दोगुनी कर दी जाये,
[A] = 2a
(वेग)1 = k(a)2
(वेग)2 = k(2a)2
(वेग)2 = 4 × (वेग)1
अर्थात् वेग चार गुना हो जायेगा।
(ब) यदि सान्द्रता आधी कर दी जाये,
[A] = \(\frac{a}{2}\)
अर्थात् वेग एक चौथाई रह जायेगा।
प्रश्न 9.
प्रथम कोटि की अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा समझाइए। (1½)
उत्तर:
प्रथम कोटि की अभिक्रिया-वह अभिक्रिया जिसका वेग केवल एक अभिकारक की सान्द्रता के अनुक्रमानुपाती होता है, प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहलाती है। उदाहरणार्थ-निम्नलिखित अभिक्रिया में केवल शक्कर के अणुओं की सान्द्रता परिवर्तित होती है; अतः यह प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।
प्रथम कोटि की अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है
k = \(\frac{2.303}{t}\) log 10\(\frac{a}{a-x}\)
जहाँ a अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता तथा (a – x) समय 1 पर सान्द्रता है।
लक्षण:
- प्रथम कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक k का मान अभिकारक की सान्द्रता की इकाई पर निर्भर नहीं करता। यह केवल समय की इकाई पर निर्भर करता है।
- इस अभिक्रिया के लिए log [A]0 /[A] और समय के मध्य ग्राफ खींचने पर एक सरल रेखा प्राप्त होती है। जिसका ढाल \(\frac{k}{2.303}\) है।
- प्रथम कोटि की अभिक्रिया का अर्द्ध-आयकाल अभिकारकों के प्रारम्भिक सान्द्रण पर निर्भर नहीं करता।
- अभिक्रिया के पूर्ण होने में अनन्त समय लगता है।
- अभिकारक की सान्द्रता n गुना बढ़ने पर अभिक्रिया का वेग भी n गुना बढ़ जाता है।
प्रश्न 10.
निम्न आयनों का चुम्बकीय आघूर्ण ज्ञात कीजिए (¾ + ¾ = 1½)
(अ) M2+ आयन (Z = 29)
(ब) Cr2+ (जलीय) आयन
उत्तर:
(अ) M2+ आयन (Z = 29) कॉपर का आयन है; क्योंकि Cu का परमाणु क्रमांक 29 होता है।
अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या (n) = 1
चुम्बकीय आघूर्ण (M) = \(\sqrt{n(n+2)}\)
= \(\sqrt{1(1+2)}\) = √3 = 1.732 B.M.
(ब) Cr2+ आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
n = 4 चुत्बकीय आघूर्ण µ = \(\sqrt{n(n+2)}\)
= \(\sqrt{4(4+2)}\) = \(\sqrt{4 \times 6}\) = √24
= 4.89 B.M.
प्रश्न 11.
पायरोलुसाइट अयस्क (MnO2) से KMnO4 के विरचन से सम्बद्ध सन्तुलित रासायनिक समीकरणों को लिखिए। (1½)
उत्तर:
चूर्णित पायरोल्यूसाइट वायु की उपस्थिति या किसी ऑक्सीकारक, जैसे-पोटैशियम नाइट्रेट या पोटैशियम क्लोरेट की उपस्थिति में पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड या पोटैशियम कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया करता है तो हरे रंग के पोटैशियम मैंगनेट का निर्माण होता है।
हरे विलयन में से क्लोरीन या ओजोन या कार्बन डाइ-ऑक्साइड की धारा प्रवाहित करने पर मैंगनेट का परिवर्तन परमैंगनेट में हो जाता है।
प्रश्न 12.
CH,CHO से निम्नलिखित यौगिक (अ) तथा (ब) प्राप्त करने की रासायनिक अभिक्रिया का समीकरण तथा नाम लिखिए। (¾ + ¾ = 1½)
(अ) ब्यूट-2-ईनैल
उत्तर:
यह अभिक्रिया एल्डॉल संघनन है।
(ब) क्लोरोफॉर्म।
उत्तर:
यह अभिक्रिया हैलोफॉर्म है।
प्रश्न 13.
फीनॉल की अम्लीय प्रकृति को प्रदर्शित करने के लिए कोई एक रासायनिक क्रिया समीकरण देते हुए लिखिए। (1½)
उत्तर:
फीनॉल अम्लीय है तथा प्रबल क्षारकों के साथ अभिक्रिया करके लवण बनाता है,
उदाहरणार्थ:
फीनॉक्साइड फीनॉल अम्लीय होते हैं, जबकि ऐल्कोहॉल उदासीन होते हैं। इसका कारण यह है कि फीनॉल में – OH समूह ऋण विद्युती फेनिल समूह से जुड़ा है। फेनिल समूह के (-I) प्रभाव तथा –OH समूह के + M प्रभाव के कारण ऑक्सीजन परमाणु आंशिक धनावेश युक्त होता है, अतः इस समूह में से हाइड्रोजन परमाणु H+ के रूप में पृथक् हो सकता है। ऐल्कोहॉलों में -OH समूह धनविद्युती ऐल्किल समूहों से जुड़ा होता है तथा -OH समूह + M प्रभाव प्रदर्शित नहीं करता है, अतः ऐल्कोहॉलों से H+ प्राप्त नहीं होते हैं।
फीनॉल दुर्बल अम्ल है। यह NaHCO3 या Na2CO3 से अभिक्रिया नहीं करता है। यह कार्बोक्सिलिक अम्लों से दुर्बल अम्ल है।
प्रश्न 14.
(अ) कार्बोक्सिलिक अम्ल, फीनॉल से अधिक अम्लीय क्यों हैं?
(ब) ऐल्डिहाइड नाभिकस्नेही योगात्मक क्रियाओं के प्रति कीटोन की तुलना में अधिक क्रियाशील होते हैं। समझाइए। (¾ + ¾ = 1½)
उत्तर:
(अ) कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल से अधिक अम्लीय होते हैं क्योंकि फीनॉल के आयनन से प्राप्त फीनॉक्साइड आयन में अनुनाद की तुलना में कार्बोक्सिलिक अम्ल के आयनन से प्राप्त कार्बोक्सिलेट आयन (RCOO) में अनुनादी संरचनाएँ समतुल्य होती है।
(ब) एल्डिहाइड नाभिक स्नेही योगात्मक अभिक्रियाओं के प्रति कीटोन की तुलना में अधिक क्रियाशील होते हैं क्योंकि एल्डिहाइड में कार्बोनिल समूह के कार्बन से केवल एक एल्किल समूह जुड़ा होता है, जबकि कीटोन में दो एल्किल समूह जुड़े होते हैं, जिससे + I प्रभाव के कारण कार्बोनिल कार्बन पर धनावेश कम हो जाता है। जिससे कारण नाभिक स्नेही के आक्रमण की सम्भावना कम हो जाती है।
प्रश्न 15.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में सम्मिलित समीकरण लिखिए (¾ + ¾ = 1½)
(अ) राइमर-टीमैन अभिक्रिया
उत्तर:
राइमर-टीमैन अभिक्रिया-फीनॉल की सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया कराने पर सैलिसिलैल्डिहाइड बनता है। यह अभिक्रिया राइमर-टीमैन अभिक्रिया कहलाती है।
(ब) कोल्बे अभिक्रिया।
उत्तर:
कोल्बे अभिक्रिया-फीनॉल की सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ क्रिया कराने पर बने फीनॉक्साइड आयन की क्रिया CO2 के साथ 400K ताप व 4-7 atm दाब पर कराने से सोडियम सैलिसिलेट बनता है जो कि अम्लीय माध्यम में सैलिसिलिक अम्ल बनाता है। यह अभिक्रिया कोल्बे अभिक्रिया कहलाती है।
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 16.
(अ) दर्शाइए कि प्रथम कोटि की अभिक्रिया में अर्द्ध-आयु अभिकारक की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करती है।
(ब) एक अभिक्रिया A + B उत्पाद, के लिए वेग नियम r = k [A]1/2 [B]2 से दिया गया है। अभिक्रिया की कोटि क्या है?
(स) प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए समय तथा सान्द्रता के मध्य ग्राफ खींचिए। (1 + 1 + 1 = 3)
अथवा
(अ) समीकरण 2N2O5 → 2N2O4 + O2 हेतु यदि अर्द्धआयु काल 6.93 सेकण्ड है, तो दर नियतांक ज्ञात कीजिए।
(ब) अभिक्रया 3A उत्पाद के लिए वेग व्यंजक दीजिए।
(स) वेग स्थिरांक तथा साम्य स्थिरांक में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (1 + 1 + 1 = 3)
उत्तर:
(अ) माना कि t = t1/2, तथा [A] = \(\frac{[\mathrm{A}]_{0}}{2}\)
अतः प्रथम कोटि के लिए,
k = \(\frac{2.303}{t}\)log\(\frac{[\mathrm{A}]_{0}}{[\mathrm{~A}]}\)
मान रखने पर, k = \(\frac{2.303}{t_{1 / 2}}\)log\(\)
अतः प्रथम कोटि की अभिक्रिया हेतु अर्द्ध-आयु सान्द्रता पर निर्भर नहीं करती है।
(ब) r = k[A]1/2 [B]2
अभिक्रिया की कोटि = \(\frac{1}{2}\) + 2 = \(\frac{5}{2}\)
(स)
उपर्युक्त ग्राफ प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए है।
प्रश्न 17.
(अ) फ्रीडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
(ब) विहाइड्रोहैलोजनीकरण या डिहाइड्रोहैलोजेनीकरण पर रासायनिक अभिक्रिया समझाइए।
(स) कारण दीजिए-क्लोरोफॉर्म क्लोरीन यौगिक है फिर भी सह सिल्वर नाइट्रेट विलयन के साथ कोई अवक्षेप नहीं देता है, क्यों? (1 + 1 + 1 = 3)
अथवा
(अ) फ्रेऑन क्या है? इसका पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है? (2 + 1 = 3)
(ब) डी. डी. टी. पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
(अ)
यह अभिक्रिया फ्रीडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया कहलाती है।
(ब) ऐल्कोहॉलिक KOH व NaNH2 को गर्म करने पर ऐल्काइन बनते हैं।
इसे विहाइड्रोहैलोजेनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
(स) क्लोरोफॉर्म सहसंयोजी यौगिक है, अत: यह क्लोराइड आयन नहीं देता है। इसलिए यह AgNO3 के साथ किसी प्रकार का अवक्षेप नहीं देता है।
प्रश्न 18.
(अ) डाइऐजोनियम लवण पर टिप्पण लिखिए।
(ब) नाइट्रोबेन्जीन की – NO2 समूह तथा बेन्जीन वलय की एक-एक अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए। (2 + 1 = 3)
अथवा
(अ) एक कार्बनिक यौगिक A के अपचयन से अणुसूत्र C2H7N वाला ऐमीन प्राप्त होता है जो क्लोरोफॉर्म तथा कास्टिक पोटाश के साथ गर्म करने पर तीव्र दुर्गन्ध वाला यौगिक B बनाता है। A तथा B के संरचनात्मक सूत्र तथा नाम लिखिए।
(ब) प्राथमिक ऐमीन का क्वथनांक, तृतीयक ऐमीन से अधिक है, क्यों?
(स) कार्बिलऐमीन अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए। (2 + ½ + ½ = 3)
उत्तर:
(अ) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन का सबसे अधिक क्रियाशील व्युत्पन्न डाइऐजोनियम लवण है जिसका सामान्य सूत्र ArN2+X- होता है।
(ब)- NO2 समूह की अभिक्रिया:
नाइट्रोबेन्जीन में नाइट्रोसमूह बेन्जीन वलय से जुड़ा होता है जो एक ऑक्सीकारक समूह है। इस कारण अभिक्रियाओं में इसका अपचयन होता है।
अपचयन:
नाइट्रोबेन्जीन का अपचयन निम्न पदों में होता है
नाइट्रोबेन्जीन का अपचयन उत्पाद माध्यम के pH और अपचायक की प्रकृति पर निर्भर करता है।
बेन्जीन वलय की अभिक्रिया:
इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापना अभिक्रिया नाइट्रोबेन्जीन में – NO2 समूह बेन्जीन वलय से जुड़ा होता है। नाइट्रकरण-नाइट्रोबेन्जीन को सान्द्र नाइट्रिक अम्ल तथा सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 95 – 100°C पर गर्म करने पर मैटा-डाइनाइट्रो बेन्जीन बनती है।
m- डाइनाइट्रोबेन्जीन m-डाइनाइट्रोबेन्जीन को सधूम नाइट्रक अम्ल और सधूम सल्फ्यूरिक अम्ल के मिश्रण के साथ गर्म करने पर 1, 3, 5-TNB बनती है। यह अभिक्रिया लगभग 5 दिन में पूर्ण होती है।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 19.
लैन्थेनॉइड आकुंचन क्या है ? लैन्थेनॉइड आकुंचन के कारण तथा परिणाम क्या हैं ? (4)
अथवा
संक्रमण धातुओं के अभिलक्षण क्या हैं ? इन्हें संक्रमण धातु क्यों कहा जाता है ? d-ब्लॉक के तत्वों में कौन से तत्व संक्रमण श्रेणी के तत्व नहीं कहे जा सकते? (4)
उत्तर:
लैन्थेनॉइड आकुंचन-लैन्थेनॉइड श्रेणी में परमाणु क्रमांक के बढ़ने के साथ-साथ परमाण्विक व आयनिक त्रिज्याएँ एक तत्व से दूसरे तत्व तक घटती जाती हैं। इसे लैन्थेनॉइड आकंचन कहते हैं। यहाँ तत्वों की त्रिज्याओं में होने वाली कमी अत्यन्त कम होती है। उदाहरण के लिए, Ce से Lu तक जाने पर परमाण्विक त्रिज्या 183 pm से 173 pm तक ही घटती है अर्थात् पूरी श्रेणी में होने oly hd ehek 10 pm ही है। इसी प्रकार Ce3+ से Lu3+ तक आने पर आयनिक त्रिज्या 103 pm से घटकर 85 pm रह जाती है अर्थात् कमी केवल 14 pm ही है।
कारण-लैन्थेनॉइड श्रेणी में एक तत्व से दूसरे तत्व तक जाने पर नाभिकीय आवेश केवल एक इकाई ही बढ़ता है क्योंकि केवल एक इलेक्ट्रॉन ही परमाणु में जुड़ता है। नये इलेक्ट्रॉन आन्तर 4fउपकोशों में प्रवेश करते हैं। यहाँ एक 4f-इलेक्ट्रॉन का दूसरे 4f-इलेक्ट्रॉन पर परिरक्षण प्रभाव (नाभिकीय आवेश से) f-कक्षकों के अत्यन्त विस्तृत आकार के कारण कम होता है। यद्यपि नाभिकीय आवेश प्रत्येक पद पर एक इकाई बढ़ जाता है, इस कारण प्रत्येक 4f-इलेक्ट्रॉन द्वारा अनुभव किया जाने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश भी बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप सम्पूर्ण 4f-इलेक्ट्रॉन कोश प्रत्येक तत्व के जुड़ने पर आकुंचित होता जाता है। परन्तु यह कमी अल्प होती है। इसी कारण परमाणु क्रमांक के बढ़ने पर लैन्थेनॉइडों के आकार में नियमित कमी आती जाती है, जिसे लैन्थेनॉइड आकुंचन कहते हैं।
लन्थेनॉइड आकुंचन के परिणाम-
इसके -निम्नलिखित परिणाम हैं:
(i) द्वितीय तथा तृतीय संक्रमण श्रेणियों में समानता-लैन्थेनॉइड आकुंचन के कारण, इस श्रेणी के बाद के तत्वों (Hf, Ta, W आदि) की परमाणु-त्रिज्याएँ, द्वितीय संक्रमण श्रेणी में स्थित संगत तत्वों (क्रमशः Zr, Nb, Mo, आदि) की आयनिक त्रिज्याओं के एकदम बराबर हो जाती हैं। इसके फलस्वरूप आवर्त सारणी में अत्यन्त निकट समानता वाले Zr-Hf, Nb-Ta तथा MoW जैसे जुड़वां तत्व (Twin-element) पाये जाते हैं। अतः लैन्थेनॉइड आकुंचन ही द्वितीय व तृतीय संक्रमण श्रेणियों में समानता के लिए उत्तरदायी हैं।
प्रश्न 20.
(अ) निम्नलिखित को जल-अपघटन की प्रवृत्ति के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए
CH3COOC2H5, CH3COCl, (CH3CO)2O CH3CONH2.
(ब) हेल-वोल्हार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया का एक उपयुक्त उदाहरण दीजिए।
(स) मेथेनोइक अम्ल तथा ऐसीटिक अम्ल में अन्तर करने वाला एक रासायनिक गुण बताइए।
(द) फॉर्मिक अम्ल अपचायक क्यों है? इसका एक अपचायक गुण लिखिए। (1 + 1 + 1 + 1 = 4)
अथवा
(अ) मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों में अम्लीयता का घटता क्रम क्या है ?
(ब) निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए
(i) CH3 – COOCH3
(ii) CH3CH2COOCH3
(iii) CH3CONH2
(iv) CH3COCI.
(स) सोडियम बाइकार्बोनेट द्वारा कार्बोक्सिलिक अम्ल व फीनॉल में विभेद किस प्रकार करेंगे?
(द) निम्नलिखित यौगिकों को उनकी अम्लीयता के बढ़ते क्रम में लिखिये
(CH3)2CH-COOH,HCOOH; CH3 – COOH; (CH3)3C – COOH (1 + 1 + 1 + 1 = 4)
उत्तर:
(अ) CH3CONH2 < CH3COOC2H5
< (CH3CO)2O < CH3COCl.
(ब)
(स) मेथेनोइक अम्ल अपचायक के रूप में कार्य करता है, इसलिए अम्लीकृत KMnO4 विलयन के गुलाबी रंग को रंगहीन कर देता है, परन्तु ऐसीटिक अम्ल ऐसा नहीं करता।
ऐसीटिक अम्ल के गुलाबी रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता।
(द) फॉर्मिक अम्ल की संरचना में -CHO समूह होता है, इस कारण यह ऐल्डिहाइड के समान अपचायक गुण व्यक्त करता है। यह ऐल्डिहाइड के समान टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करके रजत दर्पण देता है।
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