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RBSE Class 12 Chemistry Model Paper Set 8 with Answers in Hindi
पूर्णांक: 56
समय: 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
खण्ड – (अ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखें
(i) फलक केन्द्रित घनीय जालक में एक एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की संख्या होगी – (1)
(अ) 2
(ब) 3
(स) 4
(द) 5
उत्तरः
(स) 4
(ii) रूबी कॉपर का सूत्र है (1)
(अ) Cu2O
(ब) CuO
(स) CuO2
(द) Cu2O2
उत्तरः
(अ) Cu2O
(iii) कौन-सा धनायन अमोनिया के साथ ऐमीन संकुल नहीं बनाता है? (1)
(अ) Ag+
(ब) Al3+
(स) Cd2+
(द) Cu2+
उत्तरः
(ब) Al3+
(vi) CCl का द्विध्रुव आघूर्ण कितना होता है (1)
(अ) शून्य
(ब) 5.48 BM
(स) 2.29 BM
(द) अनन्त
उत्तरः
(अ) शून्य
(v) SN2 अभिक्रिया में बनता है? (1)
(अ) संक्रमण अवस्था
(ब) कार्बोनियम आयन
(स) कार्बोनायन
(द) मुक्त मूलक
उत्तरः
(अ) संक्रमण अवस्था
(vi) निम्नलिखित में पिक्रिक अम्ल है (1)
(अ) o-हाइड्रॉक्सी बेन्जोइक अम्ल
(ब) m-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(स) 2,4,6-ट्राइनाइट्रो फीनॉल
(द) 0, ऐमीनो बेन्जोइक अम्ल
उत्तरः
(स) 2,4,6-ट्राइनाइट्रो फीनॉल
(vii) सुक्रोज का रासायनिक सूत्र है (1)
(अ) C12H22O2
(ब) C12H22O11
(स) C6H22O11
(द) C6H12O6
उत्तरः
(ब) C12H22O11
(viii) विटामिन A का अणुसूत्र है? (1)
(अ) C22H29OH
(ब) C21H30OH
(स) C20H29OH
(द) C22H30OH
उत्तरः
(स) C20H29OH
(ix) विटामिन D का रासायनिक नाम है (1)
(अ) टेकोफेरॉल
(ब) ओसाजोन
(स) कैल्सिफेरॉल
(द) एमिलोपेक्टिन
उत्तर:
(स) कैल्सिफेरॉल
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(i) स्टेनलेस स्टील का संगठन Fe = ________ Ni = __________ तथा Cr = ________ होता है। (1)
उत्तर:
74%, 8%, 18%
(ii) क्रायोलाइट का सूत्र __________. (1)
उत्तर:
Na3AIF6
(iii) आवर्त सारणी के d-ब्लॉक में कुल __________ तत्व उपस्थित हैं। (1)
उत्तर:
40
(iv) प्लैटिनम का एक संकुल सिस-प्लैटिन होता है जिसका सूत्र __________ होता है तथा इसका उपयोग __________ के इलाज में किया जाता है। (1)
उत्तर:
[Cis – Pt (NH3)2 Cl2], कैंसर
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
(i) Zn0 गर्म करने पर पीला क्यों दिखाई पड़ता है ? (1)
उत्तर:
ZnO गर्म करने पर ऑक्सीजन का ह्रास करता है तथा ऋणायनों के रिक्त स्थल इलेक्ट्रॉनों द्वारा अध्यासित हो जाते हैं जो दृश्य क्षेत्र से प्रकाश अवशोषित करके पूरक रंग; जैसे-पीला रंग विकिरित करते हैं।
(ii) परासरण दाब किसे कहते हैं ? (1)
उत्तर:
परासरण दाब- किसी विलयन को अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा विलायक से पृथक् करके · उसके परासरण को रोकने के लिए विलयन पर कम-से-कम जितना बाह्य दाब लगाना पड़ता है, विलयन का परासरण दाब कहलाता हैं।
(iii) विलयन की मोललता ज्ञात करने का सूत्र लिखिए। (1)
उत्तर:
(iv) ऐजुराइट तथा सिडेराइट अयस्कों का सूत्र लिखिए। (1)
उत्तर:
ऐजुराइट – 2CuCO3.Cu(OH)2,
सिडेराइट – (FeCO3).
(v) लैन्थेनाइडों की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था लिखिए। (1)
उत्तर:
सभी लैन्थेनाइड तत्व +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं।
(vi) शुद्ध व अशुद्ध ईथरों में कैसे विभेद करेंगे? (1)
उत्तर:
अशुद्ध ईथर KI व स्टॉर्च विलयन के साथ नीला रंग देता है, जबकि शुद्ध ईथर नीला रंग नहीं देता है।
(vii) निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुक्रम में x तथा Y को पहचानिए। (1)
उत्तर:
यौगिक X, R – NH2 है व यौगिक Y, RNC हैं।
(viii) निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में A तथा B को पहचानिए। (1)
उत्तर:
A – फीनॉल, B – 2, 4, 6-ट्राइ ब्रोमो फीनॉल है।
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
धात्विक एवं आयनिक क्रिस्टलों के मध्य विभेद कीजिए तथा ये बताइए कि आयनिक ठोस कठोर एवं भंगुर होते है। (1½)
उत्तर:
धात्विक क्रिस्टल और आयनिक क्रिस्टल में अंतर
धात्विक क्रिस्टल | आयनिक क्रिस्टल |
(i) धातु में संयोजी इलेक्ट्रॉन बँधे नहीं होते, अपितु मुक्त रहते हैं अतः ये ठोस अवस्था में भी विद्युत् का चालन करते हैं। | (i) इनमें आयन ठोस अवस्था में गति करने के लिए स्वतन्त्र नहीं होते, अतः ये ठोस अवस्था में कुचालक होते गलित एवं जलीय विलयन में ये विद्युत् का चालन करते हैं क्योंकि इस अवस्था में आयन मुक्त हो जाते हैं। |
(ii) इस प्रकार के क्रिस्टल में बन्ध प्रबल व दुर्बल दोनों प्रकार के हो सकते हैं। यह इनमें उपस्थित संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या एवं करनेल के आकार पर निर्भर करता है। | (ii) इनमें बन्ध अत्यधिक प्रबल होते हैं। |
(ii) आयनिक ठोस, कठोर व भंगुर होते हैं क्योंकि इनमें प्रबल स्थिर वैद्युत् आकर्षण बल उपस्थित होता है एवं बंध अदिशात्मक होते हैं।
प्रश्न 5.
एक तत्व 400 pm कोशिका के किनारे के साथ f.c.c. क्रिस्टलित होता है। तत्व का घनत्व 7g cm-3 है। तत्व के 280 g में कितने परमाणु वर्तमान हैं? (1½)
उत्तर:
fcc के लिए Z = 4d = 7g cm3 a = 400 pm = 400 × 10-10 cm
प्रश्न 6.
रॉउल्ट के नियम से धनात्मक एवं ऋणात्मक विचलन का क्या अर्थ है तथा ∆mixH का चिह्न इन विचलनों से कैसे सम्बन्धित है ? (1½)
उत्तर:
जब कोई विलयन सभी सान्द्रताओं पर रॉउल्ट के नियम का पालन नहीं करता तो वह अनादर्श विलयन (non-ideal solution) कहलाता है। इस प्रकार के विलयनों का वाष्प दाब रॉउल्ट के नियम द्वारा निर्धारित किए गए वाष्प दाब से या तो अधिक होता है या कम। यदि यह अधिक होता है तो यह विलयन रॉउल्ट नियम से धनात्मक विचलन (positive deviation) प्रदर्शित करता है और यदि यह कम होता है तो यह ऋणात्मक विचलन (negative deviation) प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 7.
उस विलयन की मोलरता की गणना कीजिए, जिसमें 5 g NaOH, 450 mL विलयन में घुला हुआ है। (1½)
उत्तर:
विलेय का द्रव्यमान WB = 5g
विलेय का मोलर द्रव्यमान MB= 40 g/mol
विलयन का आयतन V = 450 mL मोलरता M = ?
दिये गये विलयन की मोलरता
= 0.278 mol/L है।
प्रश्न 8.
आभासी एकाणुक अभिक्रिया को उदाहरण द्वारा समझाइए। (1½)
उत्तर:
वह अभिक्रिया जिसकी कोटि एक हो परन्तु आण्विकता एक न हो, आभासी एकाणुक क्रिया कहलाती है।
उदाहरणार्थ
इन दोनों अभिक्रियाओं की कोटि एक है; क्योंकि H2O के सान्द्रण में कोई परिवर्तन नहीं होता, जबकि इनकी आणविकता दो है। अतः ये आभासी .एकाणुक अभिक्रियाएँ हैं।
प्रश्न 9.
किसी अभिक्रिया के 500 K तथा 700 K पर वेग स्थिरांक क्रमशः 0.02 s-1 तथा 0.07s-1 हैं। Ea एवं A की गणना कीजिए। (1½)
उत्तर:
हम जानते हैं कि
या log 0.02 = log A – 1.904
या -1.699 = logA – 1.904
या 1.904 – 1.699 = log A
या logA = 0.205
या A = Antilog 0.205
A = 1.61
प्रश्न 10.
संक्षेप में स्पष्ट कीजिए कि प्रथम संक्रमण श्रेणी के प्रथम अर्द्ध भाग में बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के साथ +2 ऑक्सीकरण अवस्था कैसे अधिक स्थायी होती जाती है ? (1½)
उत्तर:
संक्रमण तत्व की 3d-श्रेणी के प्रथम अर्द्धभाग में परमाणु क्रमांक के बढ़ने के साथ-साथ IE1 तथा IE2 का योग भी बढ़ता जाता है। अतः मानक अपचायक विभव (Eθ) का मान कम ऋणात्मक होता है। इस कारण M2+ आयन बनाने की प्रवृत्ति भी घट जाती है। Mn की +2 ऑक्सीकरण अवस्था का अधिक स्थायित्व इसके d5 अर्द्धपूरित कक्षक के कारण होता है, वहीं Zn के लिए +2 ऑक्सीकरण अवस्था का अधिक स्थायित्व इसके d10 पूर्णपूरित कक्षक के कारण होता है। इसके अलावा निकिल के लिए + 2 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व इसकी अत्यधिक जलयोजन एन्थैल्पी के कारण है |
प्रश्न 11.
हुण्ड-नियम के आधार पर Ce3+ आयन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को व्युत्पन्न कीजिए तथा ‘प्रचक्रण मात्र’ सूत्र के आधार पर इसके चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए। (1½)
उत्तर:
हुण्ड-नियम के आधार पर Ce3+ आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नवत् व्युत्पन्न किया जा सकता है
58Ce = [Xe] 4f1 5d1 6s2
Ce3+ =[Xe] 4f1
अत: Ce3+ में केवल एक ही अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है अर्थात् n = 1 इसलिए,
चुम्बकीय आघूर्ण (μ) = \(\sqrt{n(n+2)}\)
= \(\sqrt{1(1+2)}\)
= √3 = 1.73 BM
प्रश्न 12.
एक ऐल्कीन C6H12 ओजोनीकरण करने पर दो उत्पाद देती है जिसमें से एक उत्पाद आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है लेकिन टॉलेन अभिकर्मक के साथ क्रिया नहीं करता है जबकि दूसरा उत्पाद टॉलेन परीक्षण देता है परन्तु आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता। ऐल्कीन की संरचना व नाम लिखिए। (1½)
उत्तर:
ओजोनीकरण के बाद बनने वाला उत्पाद धनात्मक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, अत: यह एक मेथिल कीटोन होगा जबकि दूसरा उत्पाद एक ऐल्डिहाइड होगा क्योंकि यह टॉलेन परीक्षण देता है। इस ऐल्डिहाइड में कोई भी मेथिल समूह . नहीं होगा क्योंकि यह आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता है।
अतः ओजोनीकरण से प्राप्त होने वाले उत्पाद निम्न होंगे-
प्रश्न 13.
फीनोल तथा ईथर के प्रमुख उपयोग लिखिए। (1½)
उत्तर:
फीनोल के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं
- इसका प्रयोग पिक्रिक अम्ल (विस्फोटक) के निर्माण में तथा रेशम व ऊन के रंजन में किया जाता है।
- इसका प्रयोग साइक्लोहेक्सेनॉल विलायक के निर्माण में किया जाता है।
- इसका प्रयोग साबुन, लोशन तथा आयण्टमेण्ट में ऐण्टिसेप्टिक के रूप में किया जाता है।
- इसका प्रयोग ऐजो रंजक, फीनॉल्पथेलीन आदि के निर्माण में किया जाता है।
- इसका प्रयोग बैकेलाइट प्लास्टिक के निर्माण में किया जाता है।
- इसका प्रयोग ऐस्प्रिन, सेलॉल आदि औषधियों के निर्माण में किया जाता है।
ईथरों के प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं
- इनका सर्वाधिक प्रयोग प्रयोगशाला एवं उद्योगों में तेल, रेजिन, गोंद आदि के विलायकों के रूप में किया जाता है।
- ईथर का प्रयोग सामान्य बेहोशीकारक के रूप में किया जाता है।
- ऐल्कोहॉल तथा ईथर के मिश्रण का प्रयोग पेट्रोल के विकल्प के रूप में किया जाता है।
- ईथर का प्रयोग प्रशीतक के रूप में किया जाता है क्योंकि यह वाष्पन पर ठण्डक उत्पन्न करता है। ईथर तथा शुष्क बर्फ (ठोस CO2)-110°C ताप उत्पन्न करता है।
- ईथर का प्रयोग धुआँरहित पाउडर बनाने में करते हैं। इनका प्रयोग सुगन्धी उद्योग में भी किया जाता
प्रश्न 14.
नीचे प्रदर्शित अम्लों के प्रत्येक युग्म में कौन-सा अम्ल अधिक प्रबल है ? (¾ + ¾ = 1½)
(अ) CH3COOH अथवा CH2FCOOH
उत्तर:
CH3COOH < FCH2COOH FCH2COOH अम्ल CH3COOH की तुलना में प्रबल है। इसका कारण —F का -1 प्रभाव है जोकि O-H आबन्ध में इलेक्ट्रॉन घनत्व घटा देता है जिसके कारण प्रोटॉन आसानी से निकल जाता
(ब) CH2FCOOH अथवा CH2ClCOOH
उत्तर:
CH2FCOOH > CH2ClCOOH F में Cl की अपेक्षा अधिक प्रबल -I प्रभाव पाया. जाता है जिसके कारण FCH2COO– आयन अधिक . स्थायी हो जाता है एवं CH2FCOOH प्रबल अम्ल (CH2ClCOOH की तुलना में) हो जाता है।
प्रश्न 15.
निम्न में विभेद कैसे करेंगे ? (½ + ½ + ½ = 1½)
(अ) n-प्रोपिल ऐल्कोहॉल और आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
n-प्रोपिल ऐल्कोहॉल आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता है जबकि आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अर्थात् यह I2 तथा NaOH के साथ क्रिया कराने पर आयोडोफॉर्म का पीला अवक्षेप देता है।
(ब) n-ब्यूटिल, sec-ब्यूटिल व tert-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
n-ब्यूटिल, sec-ब्यूटिल व tert-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल इसके लिए ल्यूकास परीक्षण का उपयोग किया जाता है। तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल ल्यूकास अभिकर्मक (ZnCl2 + HCl) से क्रिया कराने पर तुरन्त ही धुंधलापन (Cloudiness) उत्पन्न करता है, जबकि द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल ल्यूकास अभिकर्मक से क्रिया करने के 5 मिनट बाद धुंधलापन उत्पन्न करता है। n-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल ल्यूकास अभिकर्मक से कमरे के ताप पर अभिक्रिया नहीं करता है।
(स) क्लोरोफार्म तथा ऐथेनॉल में।
उत्तर:
क्लोरोफार्म तथा ऐथेनॉल में क्लोरोफॉर्म आइसोसायनाइड परीक्षण देता है जबकि ऐथेनॉल इस परीक्षण को नहीं देता। ऐथेनॉल आयोडोफार्म परीक्षण देता है जबकि क्लोरोफॉर्म इस परीक्षण को नहीं देता है।
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 16.
(अ) अभिक्रिया की कोटि एवं आण्विकता में कोई दो अन्तर लिखिए।
(ब) निम्न अभिक्रिया की कोटि और वेग स्थिरांक की इकाई लिखिए
H + Cl2 → 2HCl
(स) परम ताप 298 K में 10 K की वृद्धि होने पर रासायनिक अभिक्रिया का वेग दोगुना हो जाता है। इस अभिक्रिया के लिए E की गणना कीजिए। (1 + 1 + 1 = 3)
अथवा
(अ) प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं की कोटि क्या होती है?
(ब) प्रथम कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की इकाई ज्ञात कीजिए।
(स) R → P, अभिक्रिया के लिए अभिकारक की सान्द्रता 0-03 M से 25 मिनट में परिवर्तित होकर 0.02 M हो जाती है। औसत वेग की गणना सेकण्ड तथा मिनट दोनों इकाइयों में कीजिए। (1 + 1 + 1 = 3)
उत्तर:
(अ) अभिक्रिया की कोटि व आण्विकता में अन्तर
अभिक्रिया की कोटि | अभिक्रिया की आण्विकता |
1. यह भिन्नात्मक संख्या हो सकती है। | 1. यह सदैव एक पूर्ण संख्या है। |
2. यह शून्य हो सकती है। | 2. यह कभी भी शून्य नहीं होती है। |
3. अभिक्रिया की कोटि उन अणुओं की संख्या है जिनकी सान्द्रताएँ अभिक्रिया के वेग को निर्धारित करती हैं। | 3. यह अभिक्रिया में भाग लेने व वाले अभिकारकों की संख्या है। |
4. इसे हम प्रयोगों द्वारा निकालते हैं। | 4. यह अभिकारकों की संख्या गिनकर निकाली जाती है। |
(ब) अभिक्रिया की कोटि शून्य तथा वेग स्थिरांक की इकाई mol L-1s-1
(स) ताप T1 = 298 K
ताप T2 =308 K
वेग स्थिरांक k2 = 2 × k1
प्रश्न 17.
(अ) बेन्जिलिक क्लोराइड तथा वाइनिलिक क्लोराइड का संरचना सूत्र लिखिए। इन यौगिकों में क्लोरीन परमाणुओं से जुड़े कार्बन परमाणुओं की संकरण अवस्थाएँ भी लिखिए।
(ब) बेन्जिलिक क्लोराइड, क्लोरोबेन्जीन से अधिक क्रियाशील है। क्यों (2 + 1 = 3)
अथवा
(अ) निम्नलिखित एल्किल हैलाइडों की S1 क्रिया के प्रति क्रियाशीलता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए
(ब) निम्नलिखित रासायनिक क्रियाओं को पूर्ण कीजिए एवं उत्पाद लिखिये
(i) CH3-CH2-Cl + KOH (एल्कोहॉली) →
(ii) R-CH = CH2 + HBr (परॉक्साइड) →
(स) ट्राइआयोडोमेथेन (आयोडोफॉर्म) पर एक टिप्पणी लिखिए। (1 + 1 + 1 = 3)
उत्तर:
(अ) (i) बेन्जिलिक क्लोराइड
(ii) वाइनिलिक क्लोराइड
(ब) बेन्जिलिक क्लोराइड, क्लोरोबेन्जीन से अधिक क्रियाशील है क्योंकि बेन्जिलिक क्लोराइड SN1 प्रकार की नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ देती हैं और अभिक्रिया में बनने वाला बेन्जीन कार्बोनियम आयन अनुनाद द्वारा स्थायी हो जाता है। यही कारण है कि यह अधिक क्रियाशील होते हैं।
प्रश्न 18.
(अ) ऐरोमैट्रिक ऐमीनों की तुलना में ऐलिफैटिक ऐमीन प्रबल क्षारक होते हैं। क्यों?
(ब) डाइऐजोटीकरण अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए। (1½ + 1½ = 3)
अथवा
(अ) ग्रैबिएल थैलेमाइड संश्लेषण पर टिप्पणी कीजिए।
(ब) निम्नलिखित परिवर्तन निष्पादित कीजिए
(i) नाइट्रोबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल
(ii) बेन्जीन से m-ब्रोमोफीनॉल – (1 + 2 = 3)
उत्तर:
(अ) ऐरोमैटिक ऐमीन की तुलना में ऐलिफैटिक ऐमीन प्रबल क्षारक होते हैं। क्योंकि ऐरोमैटिक ऐमीन में अनुनाद उपस्थित होता है इस कारण एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेन्जीन वलय पर विस्थानीकृत हो जाते हैं।
ऐनिलीन में अनुनाद जबकि ऐलिफैटिक ऐमीन में अनुनाद भी उपस्थित नहीं है।
(ब) डाइऐजोटीकरण अभिक्रिया-ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन की अभिक्रिया सोडियम नाइट्राइट व तनु HCl के साथ 0-5°C ताप पर कराने पर बेन्जीन डाइऐजोनियम प्राप्त होता है, इस अभिक्रिया को डाइऐजोटीकरण अभिक्रिया कहते हैं। अर्थात् -NH2, समूह का डाइऐजो समूह में परिवर्तन डाइऐजोटीकरण कहलाता है।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 19.
(अ) एकदन्तुर, द्विदन्तुर तथा उभयदन्तुर लिगैण्ड से क्या तात्पर्य है ? प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए।
(ब) निम्नलिखित उपसहसंयोजन सत्ता में धातुओं की ऑक्सीकरण संख्या का उल्लेख कीजिए
(i) [Co(H2O)(CN) (en)2]2+ (ii) [CoBr2(en)2]+
(स) क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त को प्रयुक्त करते हुए समझाइए कि कैसे हेक्साऐक्वामैंगनीज (II) आयन में पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं जबकि हेक्सासायनो आयन में केवल एक ही अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है। (1 + 2 + 1 = 4)
अथवा
(अ) निम्नलिखित उपसहसंयोजन यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए
(i) CO(NH3)6Cl3
(ii) [Co(NH3)5Cl]Cl2
(iii) K3[Fe(CN)6]
(iv) K3[Fe(C2O4)3]
(v) K2[PdCl4]
(vi) Pt(NH3)2 Cl (NH2CH3]Cl
(ब) संयोजकता के आधार पर [Fe(CN)6]4- में आबन्ध की प्रकृति की विवेचना कीजिए। (3 + 1 = 4)
उत्तर:
(अ) एकदन्तुर लिगैण्ड- ऐसा लिगैण्ड जिसमें केवल एक दाता परमाणु होता है, एकदन्तुर लिगैण्ड कहलाता है। उदाहरण-Cl, H2O, NH3, CO, NO3, NO2 आदि। द्विदन्तुर लिगैण्ड-जब लिगैण्ड धातु आयन से दो दाता परमाणुओं द्वारा परिबद्ध होता है तो उसे द्विदन्तुर लिगैण्ड कहते हैं।
उदाहरण-NH2CH2CH2NH2 (एथेन-1, 2डाइऐमीन), C2O42- (ऑक्सेलेट आयन) आदि। उभयदन्तुर लिगैण्ड (Ambidentate ligand)-वह एकदन्तुर लिगैण्ड जो दो भिन्न दाता परमाणुओं द्वारा धातु से जुड़ सकता है, उभयदन्ती लिगैण्ड कहलाता है।
(ब) (i) [Co (H2O) (CN) (en)2]2+
x + 0 + (-1) + 2 × 0 = +2
x – 1 = +2
x = +3
(ii) [CoBr2(en)2]+
x + 2 × (-1) + 2 × 0 = +1
x – 2 = +1
r = +3
(स) [Mn(H2O)6]2+ में Mn की +2 ऑक्सीकरण अवस्था है। इसका विन्यास 3d5 होता है। H2O की उपस्थिति में इन पाँच इलेक्ट्रॉनों का वितरण क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त के आधार पर (t2g)3 (eg)2 है, अर्थात् यहाँ पाँच इलेक्ट्रॉन अयुग्मित रह जाते हैं। CN- लिगैण्ड की उपस्थिति में Mn2+ में 5 इलेक्ट्रॉनों का वितरण (t2g)5 (eg)0 होता है। अर्थात् केवल एक इलेक्ट्रॉन ही अयुग्मित होता है।
प्रश्न 20.
एल्डोल संघनन की क्रियाविधि को समझाइए।
अथवा
(अ) आप निम्न परिवर्तन किस प्रकार करेंगे
(i) ब्यूटेन-1-ऑल से ब्यूटेनोइक अम्ल
(ii) 3-नाइट्रो ब्रोमोबेन्जीन से 3-नाइट्रो बेन्जोइक अम्ल
(ब) साइक्लोहेक्सेनकार्बेल्डिहाइड की निम्नलिखित अभिकर्मकों के साथ अभिक्रिया से बनने वाले उत्पादों को पहचानिए
(i) टॉलेन अभिकर्मक
(ii) एथेनॉल का आधिक्य तथा अम्ल
(स) निम्न की संरचना बनाइए तथा IUPAC नाम लिखिए।
(i) ऐडिपिक अम्ल
(ii) सक्सिनिक अम्ल
उत्तर:
ऐल्डोल संघनन की क्रिया विधि-ऐल्डोल संघनन की क्रिया तीन साम्य चरणों में पूर्ण होती है।
पद 1. प्रथम पद में क्षार अम्लीय α हाइड्रोजन परमाणु को निष्कासित करके इनोलेट आयन बनाता है, जो कि अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त करता है।
पद 2. इनोलेट आयन प्रबल नाभिकरागी होने के कारण ऐसीटेल्डिहाइड के दूसरे अणु के कार्बोनिल समूह पर आक्रमण करता है तथा ऋणायन (I) बनाता है।
पद 3. ऋणायन (I) जल से प्रोटॉन ग्रहण कर ऐल्डोल तथा हाइड्रॉक्साइड आयन बनाता है।
ऐल्डोल संघनन से उत्पाद को तनु अम्लों के साथ गर्म करने पर निर्जलीकरण द्वारा ये α-, β- असंतृप्त । ऐल्डिहाइड तथा कीटोन बनाते हैं। उदाहरणार्थ
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