• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 3 with Answers in Hindi

April 7, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Drawing Model Papers Set 3 with Answers in Hindi Medium provided here.

RBSE Class 12 Drawing Model Paper Set 3 with Answers in Hindi

समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 24

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:

  1. परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  2. सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  3. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
  4. जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

खण्ड – अ

प्रश्न 1.
दिये गये बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखें-
(i) मेवाड में निर्मित रामायण के यद्ध कांड का चित्रकार कौन था? (\(\frac {1}{2}\))
(अ) साहिबदीन
(ब) मनोहर
(स) बिहारी
(द) जगतसिंह
उत्तर:
(अ) साहिबदीन

(ii) बणी-ठणी का चित्र किस शैली से सम्बन्धित है? (\(\frac {1}{2}\))
(अ) किशनगढ़ शैली
(ब) मेवाड़ शैली
(स) बीकानेर शैली
(द) बूंदी शैली
उत्तर:
(अ) किशनगढ़ शैली

(iii) किस मुगल शासक के समय चित्रशालाओं में बहुत बड़ी संख्या में चित्रों का निर्माण हुआ था? (\(\frac {1}{2}\))
(अ) जहाँगीर
(ब) शाहजहाँ
(स) अकबर
(द) औरंगजेब
उत्तर:
(स) अकबर

(iv) ‘तारीफ-ए-हुसैन शाही’ ग्रन्थ का चित्रण किस शैली में हुआ? (\(\frac {1}{2}\))
(अ) अहमदनगर
(ब) मुगल
(स) फारसी
(द) बीजापुर
उत्तर:
(अ) अहमदनगर

(v) अपने चमकदार रंगों के लिए प्रसिद्ध पहाड़ी शैली है- (\(\frac {1}{2}\))
(अ) कांगड़ा
(ब) गुलेर
(स) बसौली
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) बसौली

(vi) वर्ली चित्रण में खेत के रक्षक को किस नाम से जाना जाता है? (\(\frac {1}{2}\))
(अ) पंच सिर्य
(ब) गौंड
(स) भोपा
(द) शहतीर
उत्तर:
(अ) पंच सिर्य

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 3 with Answers in Hindi

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) जहाँगीर कालीन चित्रों में हाशिए या बोर्डर को …………………. से बनाया जाता था। (\(\frac {1}{2}\))
(ii) समग्र घोड़ा …………….. शैली का चित्र है। (\(\frac {1}{2}\))
(ii) अवनीन्द्रनाथ के चित्र …………….. में मुगल और पहाड़ी शैली का प्रभाव दिखाई देता है। (\(\frac {1}{2}\))
(iv) पश्चिम बंगाल में पट्ट चित्रण करने वाले कलाकार को ………………. कहा जाता है। (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
(i) सोने के रंग,
(ii) गोलकुंडा,
(iii) यात्रा का अंत,
(iv) पटूवा।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर एक पंक्ति में दीजिए-
(i) रसिक प्रिया की रचना किसने की? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
ओरछा के दरबारी कवि केशवदास ने।

(ii) गोलकुंडा चित्र शैली के शुरुआती प्रमाण कौन से चित्र हैं? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
दीवाने-ए-हसिफ के 5 लघु चित्र।

(iii) भारतीय आधुनिक कला शैली की शुरुआत किस स्थान से हुई? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
कोलकाता से।

(iv) ढोकरा मूर्ति क्या है? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
मोम को हटाकर काँसे की मूर्तियों की ढलाई करना ढोकरा मूर्ति कहलाता है।

(v) गौंड चित्रण परम्परा में मुख्य रूप से किनका अंकन किया जाता है? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों का अंकन।

(vi) फड़ वाचन किन लोगों के द्वारा किया जाता है? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
चारण जाति के लोगों द्वारा।

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 3 with Answers in Hindi

खण्ड – ब

निम्नलिखित लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 40 शब्दों में दीजिए-

प्रश्न 4.
हम्जानामा चित्रावली के बारे में बताइए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
हम्जानामा चित्रावली का चित्र हुमायूँ के समय में प्रारम्भ हुआ और अकबर के समय तक इसका कार्य निन्तर चलता रहा। इसका रचनाकाल सन् 1567-1582 ई. का है। हम्जानामा में 14 खण्ड हैं, जिसमें 1400 चित्र हैं जिन्हें पूरा करने में 25 वर्ष का समय लगा। इस चित्रित ग्रन्थ का चित्रण दो फारसी चित्रकार मीर सैयद अली और अब्दुसम्मद शिराजी की देख-रेख में पूरा हुआ। हम्जानामा के चित्र कपड़े पर बनाये गये।

प्रश्न 5.
जहाँगीर के समय मुगल चित्रकला अधिक लोकप्रिय क्यों हुई थी? (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
जहाँगीर की कला में अत्यधिक रुचि थी। उसने बारीक अलंकृत और वैज्ञानिक सटीकता और उच्चता दिखाई देती है। जहाँगीर ने यूरोपीय चित्रों का संग्रह किया। प्रचलित भारतीय व ईरानी शैली में यूरोपीयन विचारों के मिश्रण से जहाँगीरकालीन कला और अधिक जीवंत हो गई।

प्रश्न 6.
अहमदनगर तथा बीजापुर की कला के विषय में आप क्या जानते हैं? (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
अहमदनगर की कला में ‘तारीफ-ए-हुसैन शाही’ नामक ग्रंथ का चित्रण हुआ, जिसमें हुसैन निजाम शाही के विवाह दृश्यों में नारी आकृतियों का मनोहारी व भावपूर्ण चित्रण हुआ है, जिनकी वेशभूषा उत्तर भारतीय है तथा बीजापुर की कला में ‘सघन वन में स्त्री’, ‘चाँद बीबी पोलो खेलते हुए’, ‘हाथियों की लड़ाई’ आदि चित्र सृजित किये गये हैं।

प्रश्न 7.
योगिनी किस शैली का चित्र है? वर्णन कीजिए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
योगिनी एक दक्कनी शैली का चित्र है, जिसमें योग में विश्वास करने वाली स्त्री को चित्रित किया गया है। इस चित्र में योगिनी को शारीरिक व भावनात्मक रूप से अनुशासित जीवन जीने वाली बताया गया है। योगिनी को गहनों से सजाया गया है तथा लम्बा दुपट्टा उसके शरीर के चारों ओर लयबद्ध रूप में लहराता दिखाया गया है। इसके चारों ओर उत्कृष्ट वनस्पतियों का चित्रण है तथा योगिनी मैना नामक पक्षी के साथ ऐसे व्यस्त है मानो उससे बात कर रही हो।

प्रश्न 8.
‘सुल्तान इब्राहिम आदिलशाह द्वितीय’ नामक चित्र का वर्णन कीजिए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
सुल्तान इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय का यह चित्र संवेदनशीलता और असाधारण ऊर्जा का प्रतीक है। इस चित्र में सुल्तान को घोड़े पर बैठे चित्रित किया है, घोड़ा तीव्र गति से दौड़ रहा है। सुल्तान का चेहरा कोमल रूप से चित्रित किया गया है तथा उसके हाथ में एक बाज पक्षी को अंकित किया गया है।

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 3 with Answers in Hindi

प्रश्न 9.
दक्कनी चित्र शैली के किन्हीं दो लोकप्रिय विषयों का उल्लेख कीजिए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
दक्कनी चित्र शैली एक समृद्ध व विभिन्नतायुक्त विषयों से परिपूर्ण शैली रही है। इस शैली के दो लोकप्रिय विषय निम्नलिखित हैं-

  • धार्मिक व ऐतिहासिक चित्रण की प्रधानता-दक्कनी चित्रशैली में चित्रांकन की कला ऐतिहासिक व धार्मिक चित्रों अथवा आकृतियों का प्रतिनिधित्व करती है।
  • युद्ध के दृश्यों का चित्रण-दक्कनी कला में युद्ध के चित्रों को मुख्य रूप से चित्रित किया गया है, जिसके उदाहरण 12 लघु चित्रों के रूप में देखने को मिलते है।

प्रश्न 10.
बसौली शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
बसौली शैली, पहाड़ी चित्रशैली की एक उपशैली है। बसौली के शासक कृपाल पाल (1678-1695) के शासन काल में बसौली एक विशेष और शानदार शैली के रूप में विकसित हुई। यह चित्र शैली अपनी सरलता, भावपूर्ण व्यंजना तथा चटक व ओजपूर्ण वर्ण विन्यास के कारण विशेष महत्व रखती है। इस शैली के विकास में मनकोट; नूरपुर, कुल्लू, मंडी, बिलासपुर चम्बा, गुलेर, काँगड़ा, काश्मीर तथा स्थानीय शैलियों का योगदान रहा है।

प्रश्न 11.
काँगड़ा शैली में चित्रित प्रकृति चित्रण का संक्षेप में वर्णन कीजिए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
काँगड़ा शैली में प्रकृति चित्रण बहुत ही सुंदर तरीके से किया गया है। इस शैली के चित्रों में पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, लताओं, झाड़ियों, बादलों, जल, जंगल आदि का मनोहारी चित्रण किया गया है। अँधेरी काली रात व चाँदनी रात का भी चित्रकारों ने बड़ी ही कुशलता से चित्रण किया है। विभिन्न ऋतुओं का भी आकर्षक तरीके से चित्रण हुआ है। विशेष कर बसंत ऋतु का चित्रण तो बड़ा ही मनोहारी रूप में किया गया है। चित्रों में प्रकृति का चित्रण प्रतीकात्मक रूप में हुआ है।

प्रश्न 12.
फड़ चित्रण से आप क्या समझते हैं? (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
राजस्थान में भीलवाड़ा के आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले कलाकारों द्वारा ग्रामीण परिवेश के लोग देवताओं के सम्मान में लम्बे क्षितिजाकार कपड़े पर वीरतापूर्ण कहानियों का अंकन फड़ चित्रण कहलाता है। प्रमुख लोकदेवता गोगाजी, रामदेव जी, तेजाजी, देव नारायण जी, पाबूजी व हडबूजी का चित्रण किया जाता है। फड़ चित्रण जोशी जाति के लोगों द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 13.
ढोकरा ढलाई मूर्तिकला के बारे में लिखिए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
ढोकरा ढलाई मूर्तिकला-लोकप्रिय मूर्तिकला परम्पराओं में ढोकरा ढलाई मूर्तिकला या धातु मूर्तिकला है। यह मोम को हटाकर अथवा सीयर परड्यू तकनीक द्वारा बनाई जाती है। यह तकनीक बस्तर, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के मिदनापुर की प्रमुख धातु कलाओं में से एक है। इसमें काँसे की ढलाई मोम को हटाकर की जाती है। प्रमुख मूर्तियों में स्थानीय देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, पूजा के लिए सर्प, हाथी, घोड़े की मूर्ति तथा आभूषण आदि बनाये जाते हैं।

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 3 with Answers in Hindi

खण्ड – स

निम्नलिखित दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग 200 शब्दों में दीजिए-

प्रश्न 14.
राजस्थानी चित्र शैली में चित्रित किन्हीं दो काव्य ग्रन्थों के बारे में लिखिए। 1(\(\frac {1}{2}\))
अथवा
किशनगढ़ चित्र शैली के विकास एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए। 1(\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
रसमंजरी:- 14वीं शताब्दी में बिहार के एक मैथिली ब्राह्मण द्वारा रसमंजरी की रचना की गई। जिसे ‘आनंद का गुलिस्ता’ भी कहा जाता है। संस्कृत भाषा में रचित यह एक रस ग्रंथ है जो आयु बाल, तरुण, प्रौढ़ आदि के शारीरिक लक्षण जैसे-पद्मिनी, चित्रिणी, शंखनी, हस्तिनी और भावुक विषयों में खंडिता, वासक सज्जा, अभिसारिका, उत्का आदि के आधार पर नायक और नायिकाओं में अंतर किया गया है। रसमंजरी में कृष्ण का उल्लेख नहीं है किंतु चित्रकार ने उन्हें एक आदर्श प्रेमी के रूप में प्रस्तुत किया है।

रसिक प्रिया:- ओरछा के दरबारी कवि केशवदास ने 1591 ई. में रसिकप्रिया की रचना की, जिसका अनुवाद ‘पारखी की प्रसन्नता’ के रूप में किया गया है। इस काव्य में जटिल व्याख्या की गई है। ग्रन्थ की रचना धनिक व शासक वर्ग के आनंद के लिए की गई है। इस काव्य में राधा कृष्ण के रूप के विभिन्न भावों जैसे-प्रेम, ईर्ष्या, एकजुटता, झगड़ा और उसके बाद होने वाले अलगाव व क्रोध आदि को दोनों प्रेमियों के माध्यम से व्यक्त किया गया है।

प्रश्न 15.
मुगल चित्रकला के रंग और तकनीक का वर्णन कीजिए। 1(\(\frac {1}{2}\))
अथवा
‘दाराशिकोह की बारात’ चित्र का विस्तार से वर्णन कीजिए। 1(\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
मुगल चित्रकला के रंग और तकनीक:- कला शालाओं के चित्रकार रंग बनाने में दक्ष थे। यह रंग अपारदर्शी होते थे और रंगों को प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त कर सही रंग बनाने के लिए रंग पदार्थों को पीसकर और मिलाकर प्रयोग किया जाता था। ब्रश बनाने के लिए गिलहरी, बिल्ली के बच्चों के बालों और वृक्षों का प्रयोग किया जाता था। कार्यशाला में चित्रकारों के समूह का संयुक्त प्रयास होता था। जिसमें प्रारंभिक रेखांकन, रंगों को पीसना, रंग भरना और विवरण तैयार करना आदि कार्य चित्रकारों को बाँट दिए जाते थे। इस प्रकार मुगल काल में कलाकृतियाँ कलाकारों के समूह का एक सहयोगात्मक प्रयास होती थीं। जिस चित्रकार की जिस कार्य में दक्षता होती वह चित्रकार चित्रण कार्य करता था।

मुगल काल में कलाकारों को उनके कार्य के अनुसार वेतन और प्रोत्साहन राशि में वृद्धि की जाती थी। चित्र के पूर्ण हो जाने के बाद रंगों में चमक देने या चिकना बनाने के लिए सुलेमानी पत्थर (एक एजेट) को चित्र पर रगड़ा जाता था। रंगों में मुगल चित्रकार हिंगुल (सिनेबार) से सिंदूरी, लेपिस लजूली से नीला, हरीताल से पीला, गोले (शेल) से सफेद, चारकोल या काजल से काला आदि रंग प्राप्त करते थे। चित्र में विशेष प्रभाव दिखाने के लिए सोने और चाँदी को रंगों के साथ मिलाकर चित्र पर छिड़काव कर अभूतपूर्व दिखाया जाता था।

प्रश्न 16.
काँगड़ा शैली के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए। 1(\(\frac {1}{2}\))
अथवा
बसौली शैली में नारी चित्रण का वर्णन कीजिए। 1(\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
काँगड़ा शैली:
परिचय- काँगड़ा चित्र शैली अब भारतीय शैलियों की सबसे काव्यात्मक और गीतात्मक चित्र शैली है जो सौन्दर्य और कोमलता के साथ प्रस्तुत की जाती है।

उद्भव- काँगड़ा चित्र शैली का उद्भव काँगड़ा से हुआ जो काँगड़ा रजवाड़े की देन है। इस शैली के चित्रों का परिचय लगभग 1780 से होता है। इस शैली के चित्रों का एक प्रारंभिक चरण आलमपुर में देखा गया। काँगड़ा चित्रशैली राजा संसारचंद (17751823) के समय में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गयी है।

काँगड़ा शैली के प्रमुख केन्द्र- काँगड़ा चित्र शैली से सम्बन्धित केन्द्र है-टीहरा, सुजानपुर, नूरपुर तथा गुलेर। हालांकि गुलेर की अपनी एक शैली भी थी।

काँगड़ा चित्र शैली को आश्रय देने वाले शासक- काँगड़ा चित्र शैली गाना हमीर. चंद (1700-1747), अभय चंद (1747-1750), घमंड चंद (1751-1756) संसारचंद (1775 से 1823) तथा अनिरुद्ध (1823-1831) के शासन काल में आश्रय पाकर विकसित हुई।

राजा संसारचंद के समय में काँगड़ा चित्र शैली अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँची। संसारचंद का शासन काल काँगड़ा शैली का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है। राजा संसारचंद की चित्रकला में अत्यधिक रुचि होने के कारण उन्होंने चित्रकारों को उदारतापूर्वक संरक्षण दिया। उनका संरक्षण एवं प्रोत्साहन पाकर चित्रकारों ने अत्यंत उत्कृष्ट चित्रों का निर्माण किया। ये चित्र भारतीय चित्रकला के इतिहास में ही नहीं विश्व में भी महान कलाकृतियों के रूप में सामने आये।

काँगड़ा शैली में चित्रों के विषय- राजा संसारचंद के समय में भागवत पुराण, गीत गोविंद, बिहारी सतसई, रसिक प्रिया, कवि प्रिया, नल दमयंती आदि कथाएँ चित्रित हुईं, कृष्ण संबंधी लीलाओं का विशेष रूप से चित्रांकन किया गया।

प्रमुख चित्रकार- काँगड़ा शैली के प्रमुख चित्रकारों में मनकू या मानक, खुशाला, परखू, फटू, किशन लाल आदि का नाम उल्लेखनीय है। काँगड़ा में नैनसुख तथा उसके पारिवारिक चित्रकारों का भी विशेष योगदान रहा।

काँगड़ा चित्र शैली की विशेषताएँ- काँगड़ा चित्र शैली की मुख्य विशेषताएँ रेखा की कोमलता, रंगों की चमक, सूक्ष्मता से सजावटी विवरण, महिला के चेहरे का चित्रण आदि हैं। काँगडा शैली में महिला के चेहरे का चित्रण माथे के साथ तथा सीधी नाक के साथ किया जाता था, जो 1790 के आस-पास प्रचलन में आया। काँगड़ा शैली में स्त्री और पुरुष दोनों को ही आभूषण पहने हुए दिखाया गया है। पुरुषों को घेरादार पाजामा तथा पगड़ी पहने हुए चित्रित किया गया है, जबकि स्त्रियों को चोली तथा पारदर्शी चुनरी ओढ़े दिखाया गया है।

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 3 with Answers in Hindi

खण्ड – द

निबन्धात्मक प्रश्नों के उत्तर लगभग 250 शब्दों में दीजिए-

प्रश्न 17.
मेवाड़ शैली के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए। (2)
अथवा
राजस्थानी शैली के निम्नलिखित चित्रों पर प्रकाश डालिए- (2)
1. राग दीपक
2. मारू रागिनी
उत्तर:
मेवाड़ शैली का उद्भव एवं विकास- राजस्थान में मेवाड़ चित्रकला का एक महत्वपूर्ण प्रारम्भिक केन्द्र माना जाता है। मेवाड़ में सत्रहवीं शताब्दी के पूर्व से विशिष्ट प्रभाव वाली चित्रकला का परम्परागत ढंग से निर्माण किया जाता रहा। चित्रकला की यह स्वेदशी पद्धति तब तक निरन्तर चलती रही, जब तक कि महाराणा कर्ण सिंह का मुगलों से सम्पर्क नहीं हुआ। मुगलों के साथ मेवाड़ के शासकों के निरन्तर युद्ध होने से अधिकांश प्रारम्भिक चित्र नष्ट हो गये।

मेवाड़ के बदलते राजनीतिक परिवेश में कुम्भलगढ़, चित्तौड़गढ़, चावण्ड और उदयपुर प्रारम्भिक मेवाड़ी चित्रशैली के केन्द्रों के रूप में उभरे। मेवाड़ शैली का उद्भव विशेष रूप से निसारदीन नामक चित्रकार द्वारा 1605 ई. में चावण्ड में चित्रित रागमाला चित्रों के संग्रह के साथ सम्बन्धित है।

विकास- अकबर के आक्रमणों का सामना करते हुए राणा उदयसिंह (1509-1528) ने चित्तौड़ छोड़कर एक नयी राजधानी उदयपुर की नींव रखी। इनके शासनकाल में भागवत पुराण (1504 ई.) का चित्रांकन किया गया। महाराणा प्रताप के शासनकाल में ढोला मारू (1592 ई.) का चित्रण हुआ। राणा अमर सिंह प्रथम (1597-1620 ई.) के समय में रागमाला (1605 ई.) के चित्र चावण्ड में चित्रित हुए। रागमाला के चित्रकार निसारदीन था। रागमाला के चित्रों में चमकीले चटकदार रंगों का प्रयोग हुआ है। इस प्रकार का चित्रांकन कर्ण सिंह व जगतसिंह के प्रथम के शासनकाल तक चलता रहा।

कर्णसिंह के उत्तराधिकारी महाराणा जगत सिंह के प्रथम (1628-1652 ई.) के शासनकाल में वल्लभ सम्प्रदाय के प्रकार के कारण श्री कृष्ण के जीवन से प्रेरित अनेक चित्रों का चित्रांकन हुआ। इनमें रागमाला (1628 ई.) रसिक प्रिया (1628ई.) प्रमुख हैं। रागमाला के अन्य चित्रों में गीत गोविन्द (1629 ई.), सूरसागर, रसिकप्रिया व बिहारी सतसई से सम्बद्ध चित्र, नायक-नायिका भेद, उदयपुर के महाराजाओं के व्यक्ति चित्र भागवत पुराण (1648 ई.) भागवत पुराण साहिबदीन द्वारा चित्रित है। इसके साथ ही 1652 ई. में रामायण का युद्ध काण्ड चित्रित किया। मनोहर ने 1850 ई. में रामायण का बालकांड चित्रित किया।

1628 ई. से 1652 ई. के मध्य मेवाड़ चित्रशैली में बड़ा निखार आ गया और 17वीं शताब्दी के अंत तक इसने उच्चतर स्थान प्राप्त कर लिया। साहिबदीन और मनोहर उस समय के प्रमुख चित्रकार थे। मेवाड़ शैली को स्वाभाविकता और मौलिकता प्रदान करने में इन दोनों चित्रकारों ने बहुत योगदान दिया। महाराणा जगतसिंह और रामसिंह का शासनकाल चित्रकला की दृष्टि से स्वर्णकाल कहा जाता है। महाराणा रामसिंह का मुगलों के विरुद्ध युद्ध ‘श्री नाथ जी’ की मूर्ति के लिए किया गया। इस मूर्ति की स्थापना नाथ द्वारा में की गयी थी। कालान्तरों में नाथद्वारा वैष्णव कला का मुख्य केन्द्र बन गया। यह विकसित चित्रकला, पिछवाई चित्रकला के नाम से प्रसिद्ध हुई। जगन्नाथ नामक चित्रकार ने 1719 ई. में बिहारी की सतसई को चित्रित किया।

18वीं शताब्दी में चित्रकला ग्रन्थ चित्रावलियों से फिसलकर दरबारी कार्य-कलापों और शाही लोगों के विनोद-विहार करने की ओर बढ़ते गये। मेवाड़ चित्रकार सामान्यतया एक चमकीली पटिया को प्राथमिकता से प्रयोग कर रहे थे, जिसमें लाल व पीले रंग प्रमुख होते थे। मेवाड़ चित्रकला का वातावरण 18वीं शताब्दी में आगे बढ़ते हुए लौकिक और दरबारी हो गया। न केवल चित्रांकन सम्मोहन का विकास हुआ, अपितु बृहदाकार और चटकीले रंगों वाले दरबारी दृश्यों, शिकार, उत्सवों और खेलों आदि को भी विषयों के रूप में व्यापक स्तर पर पसंद किया गया।

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 3 with Answers in Hindi

प्रश्न 18.
बंगाल शैली के उद्भव, विकास और विशेषताओं पर एक लेख लिखिए। (2)
अथवा
राजा रवि वर्मा का कलात्मक परिचय दीजिए। (2)
उत्तर:
बंगाल शैली का उद्भव और विकास-
(1) सन् 1884 ई. में ई. वी. हैवेल मद्रास कला विद्यालय के प्राचार्य बने। भारत में कांग्रेस की स्थापना होने से कला जागृति के क्षेत्र में कुछ उत्थान हुआ। हैवेल ने भी इस कार्य में अपना अपूर्व योगदान दिया। उन्होंने सारी दुनिया का ध्यान भारत की प्राचीन कला की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि “यूरोपीय कलाएँ तो केवल सांसारिक वस्तुओं का ज्ञान कराती हैं परन्तु भारतीय कला सर्वव्यापी अमर तथा अपार है।”

(2) कुछ समय बाद ई. वी. हैवेल ‘कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट’ के प्रिंसिपल बने। यहाँ उनके सम्पर्क में अबनीन्द्र नाथ टैगोर आए जिन्होंने आगे चलकर बंगाल शैली अथवा स्वदेशी शैली का सूत्रपात किया।

(3) अबनीन्द्रनाथ टैगोर की कला पर पश्चिमी, ईरानी, चीनी, जापानी, मुगल तथा अजन्ता शैलियों का प्रभाव था। इन समस्त शैलियों के समन्वय से इन्होंने एक नई शैली का सूत्रपात किया जिसे आगे चलकर बंगाल शैली के नाम से जाना गया।

(4) अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने कई होनहार शिष्य तैयार किए, जिन्होंने देश के विभिन्न भागों में कार्य करते हुए बंगाल शैली और स्वदेशी कला का प्रचार किया। इन शिष्यों में नन्दलाल बसु, क्षितिन्द्रनाथ मजूमदार, गगनेन्द्रनाथ टैगोर एवं जैमिनी रॉय का नाम उल्लेखनीय है। व्यक्तिगत विशेषताएँ होते हुए भी इन सब पर अबनीन्द्र नाथ का काफी प्रभाव पड़ा।

(5) बंगाल शैली का आरम्भ एक आन्दोलन के रूप में हुआ। प्रारम्भ में इसका सर्वत्र विरोध भी हुआ किन्तु आन्दोलन में भाग लेने वाले कलाकार तथा कला आलोचक दृढ़ता से अपने मार्ग पर बढ़ते रहे और अन्ततः देशभर में अपनी कला का प्रभाव फैलाने में सफल रहे। भारत में बाहर भी इसके चित्रों की प्रदर्शनियाँ आयोजित की गईं।

(6) शान्ति निकेतन में कला भवन की स्थापना की गई। यहाँ चित्रकला विभाग की अध्यक्षता के लिए कवि और दार्शनिक रविन्द्रनाथ टैगोर ने नन्दलाल बसु को आमन्त्रित किया। यहाँ राष्ट्रीय कला की भाषा पर ध्यान दिया गया तथा नई तकनीक वॉश पद्धति को तैल चित्रण के विकल्प के तौर पर अपनाया गया। कला भवन ने कई युवा कलाकारों को राष्ट्रवादी दृष्टि को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार यह कई कलाकारों के लिए एक प्रशिक्षण मैदान बन गया।

बंगाल शैली की विशेषताएँ- बंगाल शैली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • बंगाल शैली सरल एवं सुस्पष्ट है।
  • इस शैली में भड़कीले छाया प्रकाश के बजाय शान्त रंग योजना का सहारा लिया गया है।
  • इस शैली में रेखांकन के महत्व को पुनः प्रतिष्ठित किया गया।
  • इस शैली के चित्रों में वास्तु व प्रकृति के प्रखर आलंकारिक रूप का अभाव रहा है।
  • रहस्यात्मक वातावरण वॉश तकनीक के आधार पर बनाने की विशेष चित्रण परम्परा का प्रयोग हुआ।
  • इस शैली में विदेशी कागज व जल रंगों का प्रयोग भी हुआ।
  • लघु चित्रों एवं आम जनजीवन को विषय के तौर पर लिया गया।
  • विषयवस्तु के सन्दर्भो में इस शैली में पौराणिक कथाएँ, सामाजिक जनजीवन व ऐतिहासिक प्रेम गाथाएँ आदि विषय अधिक चित्रित किए गए।

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Model Papers

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 4 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 4 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 4 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions