Students must start practicing the questions from RBSE 12th Economics Model Papers Set 2 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Economics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
बहुविकल्पी प्रश्न
(i) चक्रीय प्रवाह में शामिल है
(अ) वास्तविक प्रवाह
(ब) मौद्रिक प्रवाह
(स) (अ) एवं (ब) दोनों
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(स) (अ) एवं (ब) दोनों
(ii) निम्न में कौन-सा सत्य है
(अ) कुल राष्ट्रीय उत्पाद = कुल घरेलू उत्पाद + घिसावट व्यय
(ब) शुद्ध घरेलू उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद + घिसावट व्यय
(स) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद + घिसावट व्यय
(द) कुल राष्ट्रीय उत्पाद = शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद + घिसावट व्यय।
उत्तर :
(स) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद + घिसावट व्यय
(iii) आय की चार क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के चक्रीय प्रवाह में सन्तुलन के लिए शर्त निम्न में से कौन-सी है-
(अ) C + I + G + (X – M)
(ब) C + I + G
(स) C + I
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(अ) C + I + G + (X – M)
(iv) M4 का आशय है-
(अ) M3 + डाकघर में कुल जमा (NSC को छोड़कर)
(ब) M1 + डाकघर की बचत जमाएँ
(स) M1 + बैंकों की निवल जमा
(द) व्यावसायिक बैंकों के पास रखी निवल बैंक जमा
उत्तर :
(अ) M3 + डाकघर में कुल जमा (NSC को छोड़कर)
(v) गुणात्मक साख नियंत्रण का एक प्रकार है
(अ) खुले बाजार की क्रियाएँ
(ब) साख की राशनिंग करना
(स) आरक्षित कोषों के अनुपात में परिवर्तन
(द) बैंक दर में परिवर्तन
उत्तर :
(ब) साख की राशनिंग करना
(vi) भारतीय रिजर्व बैंक का केन्द्रीय बैंकिंग सम्बन्धी कार्य है
(अ) मुद्रा जारी करना
(ब) समाशोधन का कार्य
(स) साख नियंत्रण करना
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(द) उपरोक्त सभी
(vi) बाजार अर्थव्यवस्था का एक उदाहरण है
(अ) भारत
(ब) संयुक्त राज्य अमेरिका
(स) रूस
(द) चीन
उत्तर :
(ब) संयुक्त राज्य अमेरिका
(viii) उपभोक्ता की ऋण में वृद्धि होने पर सामान्य वस्तुओं के लिए माँग वक्र शिफ्ट होता है
(अ) बायीं ओर
(ब) दायीं ओर
(स) (अ) तथा (ब) दोनों
(द) (अ) तथा (ब) दोनों गलत
उत्तर :
(ब) दायीं ओर
(ix) किसी वस्तु की माँग को प्रभावित करते हैं
(अ) वस्तु की कीमत
(ब) उपभोक्ता की आय
(स) (अ) तथा (ब) दोनों
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(स) (अ) तथा (ब) दोनों
(x) एक आगत स्थिर तथा दूसरा परिवर्तनशील होता है
(अ) अल्पकाल में
(ब) दीर्घकाल में
(स) दोनों मे
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(अ) अल्पकाल में
(xi) जिन लागतों में उत्पादन की मात्रा में वृद्धि होने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, उन्हें कहते हैं
(अ) कुल परिवर्ती लागत
(ब) कुल स्थिर लागत
(स) कुल लागत
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ब) कुल स्थिर लागत
(xii) कॉब डगलस उत्पादन फलन का सूत्र है
(अ) q = \(\frac{\Delta q}{\Delta x_{1}}\)
(ब) q = f (x1 × x2)
(स) q = x1a, x xb
(द) q = f (x1, x2)
उत्तर :
(स) q = x1a, × xb
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) विदेशों से क्रय की गयी वस्तुएँ एवं सेवाएँ ……………………………………………. कहलाती हैं। (1)
(ii) सरकार अपनी कर एवं व्यय नीति के माध्यम से समाज में आय के उचित रूप से वितरित करने का प्रयास करती है, इसे ……………………………………………. फलन कहते हैं। (1)
(iii) भारतीय संसद में सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष के समस्त आय-व्यय का एक विवरण प्रस्तुत किया जाता है जिसे ……………………………………………. कहा जाता है। (1)
(iv) मनुष्य द्वारा की जाने वाली ऐसी क्रियाएँ जिनका उद्देश्य धन कमाना होता है वे ……………………………………………. कहलाती हैं। (1)
(v) उपभोक्ता द्वारा वर्तमान बाजार कीमतों पर अपनी आय से जितने बंडलों को खरीदा जा सकता है, वह ……………………………………………. कहलाता है। (1)
(vi) दीर्घकाल में सभी आगत ……………………………………………. होते हैं। (1)
उत्तर :
(i) आपात,
(ii) वितरण,
(iii) सरकारी बजट,
(iv) आर्थिक क्रियाएँ,
(v) बजट सैट,
(vi) परिवर्तनशील।
प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर 10-20 शब्दों में दीजिए- ..
(i) बचत से क्या तात्पर्य है? (1)
उत्तर:
आय का वह भाग जो उपभोग पर खर्च न करके बचा लिया जाता है।
(ii) लाभांश से क्या आशय है? (1)
उत्तर :
लाभ का वह भाग जो अंशधारियों को उनके अंश के बदले में दिया जाता है।
(iii) प्रवाह किसे कहते हैं? (1)
उत्तर :
वे आर्थिक चक्र जो एक समय (काल) से संबंधित होते हैं।
(iv) व्यापारिक बैंक के किन्हीं दो कार्यों को बताइए? (1)
उत्तर :
(i) जमाएँ स्वीकार करना
(ii) ऋण प्रदान करना।
(v) मुद्रा की सट्टा माँग कौन-सा कारक निर्धारित करता है? (1)
उत्तर :
बंधपत्र के मूल्य में वृद्धि या गिरावट की आशा, मुद्रा की सट्टा माँग को निर्धारित करता हैं।
(vi) एक सरकारी बजट में 4800 करोड़ का प्राथमिक घाटा है। ब्याज भुगतान पर राजस्व व्यय ₹ 800 करोड़ है। राजकोषीय घाटा कितना होगा? (1)
उत्तर :
राजकोषीय घाटा = 4800 + 800 = ₹ 5600 करोड़ होगा।
(vii) अनुदान से आप क्या समझते हैं? (1)
उत्तर :
एक राज्य द्वारा अन्य राज्य में दी गयी आर्थिक सहायता।
(vi) आर्थिक समस्या क्यों उत्पन्न होती है? (1)
उत्तर :
उत्पत्ति के साधनों की सीमितता एवं उनके वैकल्पिक प्रयोग के कारण।
(ix) पूर्णतया बेलोच माँग का एक उदाहरण दीजिए। (1)
उत्तर :
दवाइयाँ।
(x) उत्पाद फलन से क्या तात्पर्य है? (1)
उत्तर :
एक फर्म के निर्गत और आगत के बीच के सम्बन्ध को उत्पादन फलन कहते हैं।
(xi) औसत परिवर्ती लागत का सूत्र लिखिए। (1)
उत्तर :
औसत परिवर्ती लागत \(=\frac{\text { कुल परिवर्ती लागत }}{q}\)
यहाँ q = उत्पादित इकाइयाँ हैं।
(xii) एक उद्योग समूह का क्या अर्थ है? (1)
उत्तर :
एक ऐसी फर्मों का समूह जो समरूप वस्तुओं का उत्पादन करे।
खण्ड – (ब)
प्रश्न 4.
कोई फर्म प्रतिवर्ष ₹ 200 मूल्य की वस्तु का उत्पादन करती है। उस वर्ष में ₹ 40 की मध्यवर्ती वस्तुओं का उपयोग किया जाता है, तो फर्म का सकल मूल्यवर्धित परिकलित कीजिए।
उत्तर :
सकल मूल्यवर्धित = वस्तु का उत्पादन – मध्यवर्ती वस्तुओं का उपयोग
= 200 – 40
= ₹ 160
प्रश्न 5.
समष्टि अर्थशास्त्र के चार मुख्य तत्व बताइए।
उत्तर :
- समष्टि अर्थशास्त्र में सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है।
- यह बड़े समूहों के अध्ययन की दृष्टि से उपयोगी है।
- इसमें अगत्यात्मक तथा गत्यात्मक विश्लेषण दोनों के अंश पाये जाते हैं।
- समष्टि अर्थशास्त्र एक सामान्य सिद्धान्त है।
प्रश्न 6.
मुद्रा के दो कार्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
मुद्रा के दो कार्य इस प्रकार से हैं –
- विनिमय का माध्यम-मुद्रा विनिमय का माध्यम होती है। अर्थात बाजार में सभी वस्तुएँ तथा सेवाएँ मुद्रा के माध्यम से ही खरीदी जाती हैं।
- मूल्य का संचय-मुद्रा मूल्य का संचय करती है। आज के समय में मूल्य का संचय मुद्रा के माध्यम से ही किया जाता है।
प्रश्न 7.
विदेशी ऋणों (बाह्य ऋणों) के मुख्य दो दोष बताइए ?
उत्तर :
विदेशों से लिए जाने वाले ऋणों के मुख्य दोष निम्नलिखित हैं-
- विदेशी ऋणों का भार आन्तरिक ऋणों की अपेक्षा अधिक होता है। क्योंकि इनके भुगतान के लिए अपने महत्वपूर्ण आर्थिक संसाधनों को ऋणदाता देश को अन्तरित करना पड़ता है।
- विकासशील देशों को जब ऋण की आवश्यकता होती है तो ऋणदाता देश अपनी राजनीतिक शर्तों को मानने के लिए उन पर अनुचित दबाव डालते हैं।
प्रश्न 8.
ऋण जाल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
सामान्यतः विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ अपनी विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए विदेशों से ऋण प्राप्त करती हैं। फलतः विकासशील देशों पर विदेशी ऋणों के साथ-साथ ऋण ब्याज का भी भार बढ़ता जाता है। इसके परिणामस्वरूप ऋणों को चुकाने के लिए इन्हें पुनः ऋण लेना पड़ता है। अतः ये देश एक स्थान से ऋण लेकर दूसरे स्थान पर चुकाते रहते हैं। इस तरह ये देश उत्तरोत्तर ऋण प्राप्त कर ऋण चक्र में फँसते चले जाते हैं। इसी को ऋण जाल कहा जाता है।
प्रश्न 9.
पूरक बजट से क्या आशय है ?
उत्तर :
पूरक बजट-जब सरकार के किसी विभाग का बजट में स्वीकृत धनराशि से काम नहीं चलता है तो इस स्थिति में अतिरिक्त माँगों को पूरा करने के लिए लोकसभा में एक और बजट प्रस्तुत करके स्वीकृति ली जाती है। इसी को पूरक बजट कहते हैं।
प्रश्न 10.
सरकारी घाटे और सरकारी ऋण-ग्रहण में क्या सम्बन्ध है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
बजटीय घाटे को पूरा करने के लिए वित्त की व्यवस्था करारोपण या ऋण ग्रहण या नई मुद्रा का निर्गमन करके की जाती है। सरकारी घाटे और सरकारी ऋण-ग्रहण में धनात्मक सम्बन्ध पाया जाता है। अतः सरकारी घाटा बढ़ने पर सरकारी ऋण ग्रहण भी बढ़ेगा तथा सरकारी घाटा कम होने पर सरकारी ऋण ग्रहण भी कम होगा।
प्रश्न 11.
उत्पादन सम्भावना वक्र की आधारभूत मान्यताएँ क्या हैं ?
उत्तर :
उत्पादन सम्भावना वक्र की प्रमुख आधारभूत मान्यताएँ-
- उत्पादन संसाधनों की मात्रा सीमित है, उन्हें घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता।
- उत्पादन की तकनीक में कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता, अत: वह स्थिर है।
- अर्थव्यवस्था में दो वस्तुओं या सेवाओं के संयोगों का उत्पादन किया जाता है।
प्रश्न 12.
मान लीजिए, उपभोक्ता दो ऐसी वस्तुओं का उपभोग करना चाहता है जो केवल पूर्णांक इकाइयों में उपलब्ध हैं। दोनों वस्तुओं की कीमत ₹ 10 के बराबर ही है तथा उपभोक्ता की आय ₹ 40 है।
- वे सभी बंडल लिखिए, जो उपभोक्ता के लिए उपलब्ध हैं।
- जो बंडल उपभोक्ता के लिए उपलब्ध हैं उनमें से वे बंडल कौन से हैं जिन पर उपभोक्ता के पूरे ₹40 व्यय हो जायेंगे।
उत्तर :
- उपभोक्ता के लिए उपलब्ध बंडल निम्नलिखित हैं- (0,0) (1,0) (2,0) (3,0) (4,0) (1,1) (1,2) (2,1) (2,2) (0,1)(0,2)(0,3)(0,4)(3,1)(1,3)
- उपभोक्ता की पूरी आय अर्थात् ₹40 व्यय होने वाले बंडल निम्नलिखित हैं- (0, 4) (4,0) और (2, 2) (1,3)(3,1)
प्रश्न 13.
बजट रेखा की प्रवणता नीचे की ओर क्यों होती है ? समझाइए।
उत्तर :
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक उपभोक्ता एक वस्तु की अतिरिक्त इकाई का उपयोग तब तक नहीं कर सकता जब तक कि वह दूसरी वस्तु की कुछ मात्रा का त्याग न करे अर्थात् उसे एक वस्तु की अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने के लिए दूसरी वस्तु की कुछ मात्रा को त्यागना पड़ेगा क्योंकि उसकी आय सीमित है।
प्रश्न 14.
ह्रासमान सीमान्त उत्पाद का नियम क्या है ?
उत्तर :
समान सीमान्त उत्पाद का नियम यह बताता है कि यदि अन्य आगतों की मात्रा स्थिर रहे तो एक परिवर्ती आगत की मात्रा में वृद्धि करने पर उत्पादन के एक स्तर को प्राप्त करने के बाद परिवर्ती आगत का सीमान्त उत्पादन घट जाता है।
प्रश्न 15.
पूर्ति की कीमत लोच का क्या अर्थ है ? हम इसे कैसे मापते हैं ?
उत्तर :
पूर्ति की कीमत लोच-पूर्ति की कीमत लोच, कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के परिणामस्वरूप पूर्ति में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन को व्यक्त करती है।
पूर्ति की कीमत लोच की माप करने के लिए हम निम्नलिखित सूत्रों का प्रयोग करते हैं-
पूर्ति की कीमत लोच (ex) \(=\frac{\text { पूर्ति की मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन }}{\text { कीमत में प्रतिशत परिवर्तन }}\)
प्रश्न 16.
पूर्ति में कमी से क्या आशय है ?
उत्तर :
वस्तु की कीमत स्थिर रहने पर यदि वस्तु की पूर्ति पहले से कम हो जाती है, तो इसे पूर्ति में कमी कहा जाता है।
खण्ड – (स)
प्रश्न 17.
राष्ट्रीय आय की गणना की मूल्य वर्धित विधि को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में क्या अन्तर हैं?
उत्तर :
नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में अन्तर-माल-सूची में परिवर्तन एक निश्चित समयावधि के बाद ही हो सकता है इसलिए इसे प्रवाह परिवर्तन कहा जाता है। इसमें परिवर्तन दो प्रकार से हो सकता है-नियोजित एवं अनियोजित। जब बिक्री में अप्रत्याशित रूप से गिरावट आ जाती है तो फर्म के पास बिक्री के लिए तैयार वस्तुओं का एक अप्रत्याशित स्टॉक बन जाता है, जिसकी उम्मीद उत्पादक को नहीं होती है।
इस प्रकार बने स्टॉक को अनियोजित माल-सूची संचय कहते हैं। इसके विपरीत यदि उत्पादक यह आशा करते हैं कि आने वाले समय में उनकी वस्तु की बिक्री में वृद्धि होगी और ऐसा सोचकर वे वस्तुओं का संचय कर लेते हैं तो इस प्रकार किया गया संचय माल-सूची का नियोजित संचय कहलाता है।
अतः सरल शब्दों में कहा जा सकता है, कि नियोजित माल-सूची संचय में पूर्व नियोजन किया जाता है जबकि अनियोजित माल-सूची संचय नियोजित रूप में नहीं होता है वह आकस्मिक रूप से हो जाता है।
प्रश्न 18.
संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग से क्या आशय है?
अथवा
व्यावसायिक बैंक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
व्यावसायिक बैंक-वे वित्तीय संस्थान जो जनता से जमाएँ स्वीकार करते हैं तथा लाभ कमाने के उद्देश्य से उधार देने और निवेश करने का कार्य करते हैं उन्हें व्यावसायिक बैंक कहते हैं।
व्यावसायिक बैंकों के कार्य-व्यावसायिक बैंक प्रमुख रूप से निम्नलिखित कार्य करते हैं-
- जमाएँ स्वीकार करना-व्यावसायिक बैंक जनता से.निम्न प्रकार के खाते खुलवाकर उनकी बचत को एकत्रित करते हैं :
- चालू खाता
- बचत खाता
- सावधि जमा खाता
- आवर्ती जमा खाता आदि।
- ऋण प्रदान करना-व्यावसायिक बैंक व्यापारियों, उद्योगपतियों, किसानों, उपभोक्ताओं आदि को ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराते हैं। ये बैंक सामान्यतया उत्पादक कार्यों के लिए ऋण प्रदान करते हैं।
- धनराशि का निवेश-बैंक अपने अतिरिक्त कोषों का निवेश केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार की प्रतिभूतियों तथा बैंकिंग अधिनियम, 1949 के तहत अनुमोदित अन्य प्रतिभूतियों में करते हैं।
- साख निर्माण करना-अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से आधुनिक व्यावसायिक बैंक अपनी अंशपूँजी तथा जमाराशि की कुल मात्रा से अधिक ऋण देते हैं। इस तरह बैंक साख का निर्माण करते हैं।
- एजेंसी सम्बन्धी कार्य-बैंक अपने ग्राहकों के वित्तीय एजेण्ट के रूप में निम्नलिखित कार्य करते हैं-
- बैंक अपने ग्राहकों की ओर से डाक धनादेश, डिमांड ड्राफ्ट आदि के माध्यम से कोषों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रेषित करते हैं।
- बैंक अपने ग्राहकों की ओर से चेक, बिल, प्रोमिसरी नोट्स, किराया, आयकर, बीमा प्रीमियम, डिवीडेंड वारंट्स आदि को एकत्रित करते व भुगतान करते हैं।
- बैंक अपने ग्राहकों की ओर से प्रतिभूतियों, जैसे-अंश, ऋणपत्र, बॉण्ड्स आदि का क्रय-विक्रय करते हैं।
प्रश्न 19.
सीमांत उत्पादन संभावना क्या है?
अथवा
सकारात्मक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र को समझाइए।
उत्तर :
अर्थशास्त्र सकारात्मक विज्ञान है इस धारणा को मानने वाले अर्थशास्त्री निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत करते हैं-
- अर्थशास्त्र को विज्ञान के रूप में विकसित करने के लिए अर्थशास्त्री मानते हैं कि इसे वास्तविक विज्ञान तक ही सीमित रखा जाना चाहिए।
- अर्थशास्त्र को श्रम-विभाजन के आधार पर केवल सकारात्मक अथवा वास्तविक विज्ञान माना जाता है।
- सामाजिक मनुष्य के लिए आदर्शों का निर्धारण करना एक जटिल कार्य है। इसलिए यह कहा जाता है कि अर्थशास्त्री को अच्छे-बुरे के निर्णय में नहीं पड़ना चाहिए।
प्रश्न 20.
एक कीमत स्वीकारक फर्म का कुल सम्प्राप्ति वक्र, ऊपर की ओर प्रवणता वाली सीधी रेखा क्या होती है?
अथवा
एक कीमत-स्वीकारक फर्म का बाजार कीमत तथा औसत सम्प्राप्ति में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर :
किसी वस्तु की बिक्री से प्राप्त होने वाली प्रति इकाई सम्प्राप्ति को ही औसत सम्प्राप्ति कहते हैं। एक कीमत स्वीकारक फर्म बाजार कीमत को ही स्वीकार करती है। अत: औसत सम्प्राप्ति तथा वस्तु की कीमत समान होती
सूत्र-
औसत सम्प्राप्ति = वस्तु की कीमत = \(=\frac{\text { कुल सम्ग्राप्ति }}{\text { कुल बेच्ची गई मात्रा }}\) इसलिए एक कीमत स्वीकारक फर्म के लिए औसत सम्प्राप्ति तथा कीमत को एक सीधी रेखा के रूप में दर्शाया जाता है।
खण्ड – (द)
प्रश्न 21.
भारतीय अर्थव्यवस्था में व्यावसायिक बैंकों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
अथवा
गुणात्मक साख नियंत्रण के विभिन्न उपायों को समझाइए।
उत्तर :
गुणात्मक साख नियंत्रण-इसमें निम्न उपकरण शामिल होते हैं –
- चयनात्मक साख नियंत्रण-इसके अंतर्गत रिजर्व बैंक किसी एक या सभी बैंकों को तीन प्रकार के निर्देश देता है-
- मूल्य अन्तर निश्चित करने से सम्बंधित निर्देश।
- ऋण देने पर प्रतिबंध।
- पूर्वानुमति से ऋण लेना।
- साख की राशनिंग करना-रिजर्व बैंक साख नियंत्रण हेतु व्यापारिक बैंकों द्वारा दी जाने वाली साख का सभी क्षेत्रों के मध्य राशनिंग कर देता है।
- नैतिक दबाव-रिजर्व बैंक अनुसूचित बैंकों को समझाकर अपनी साख-नियंत्रण नीति को मानने के लिए प्रेरित करता है।
- प्रत्यक्ष कार्यवाही-किसी भी व्यापारिक बैंक द्वारा केन्द्रीय बैंक के निर्देशों तथा आदेशों की अवहेलना करने पर वह प्रत्यक्ष कार्यवाही करके उस बैंक की ऋण देने की क्रियाओं पर रोक लगा सकता है।
- प्रचार-प्रसार-रिजर्व बैंक गोष्ठियों, प्रेस तथा प्रकाशकों के माध्यम से जनता को साख नियंत्रण सम्बंधी उपायों के विषय में बताता है।
प्रश्न 22.
सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता के सम्बन्ध को रेखाचित्र के माध्यम से समझाइए। ध्यम से समझाइए।
अथवा
माँग की कीमत लोच की ज्यामितीय विधि को सचित्र समझाइए।
उत्तर :
सीमान्त उपयोगिता तथा कल उपयोगिता में सम्बन्ध
- जब कुल उपयोगिता बढ़ती है तो सीमान्त उपयोगिता धनात्मक होती है।
- जब कुल उपयोगिता घटती है तो सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है।
- जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है और यह पूर्ण सन्तुष्टि के स्तर के बाद घटना प्रारम्भ हो जाती है, जबकि सीमान्त उपयोगिता प्रारम्भ से ही घटना शुरू कर देती है।
सीमान्त एवं कुल उपयोगिता के इस सम्बन्ध को निम्नलिखित रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
रेखाचित्र से स्पष्ट है कि छठवीं इकाई तक सीमान्त उपयोगिता में कमी आती है लेकिन कुल उपयोगिता में वृद्धि होती है। सातवीं इकाई पर कुल उपयोगिता अधिकतम तथा सीमान्त उपयोगिता शून्य हो जाती है। इसके बाद सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है तथा कुल उपयोगिता कम होने लगती है।
प्रश्न 23.
दीर्घकाल में लागत की विभिन्न संकल्पनाओं को समझाइए।
अथवा
औसत स्थिर लागत वक्र कैसा दिखता है ? यह ऐसा क्यों दिखता है ?
उत्तर :
जितनी अधिक इकाइयों का उत्पादन किया जाता है औसत स्थिर लागत उतनी ही कम होती जाती है। इसलिए औसत स्थिर लागत वक्र दायीं ओर x अक्ष की तरफ ढलुआ होता है परन्तु x अक्ष को स्पर्श नहीं करता है क्योंकि उत्पादन का स्तर शून्य होने पर भी स्थिर लागत कभी शून्य नहीं होती है।
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