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RBSE Class 12 Hindi Compulsory Model Paper Set 5 with Answers
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
बहुविकल्पी प्रश्न
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर :अपनी उत्तर :पुस्तिका में लिखिए –
सत्य से आत्मा का सम्बन्ध.तीन प्रकार का है। एक जिज्ञासा का सम्बन्ध है, दूसरा प्रयोजन का सम्बन्ध है और तीसरा आनन्द का। जिज्ञासा का सम्बन्ध दर्शन का विषय है, प्रयोजन का सम्बन्ध विज्ञान का विषय है और साहित्य का विषय केवल आनन्द का सम्बन्ध है। सत्य जहाँ आनन्द स्रोत बन जाता है, वहीं वह साहित्य हो जाता है। जिज्ञासा का सम्बन्ध विचार से है, प्रयोजन का सम्बन्ध स्वार्थ-बुद्धि से तथा आनन्द का.सम्बन्ध मनोभावों से है। साहित्य का विकास मनोभावों द्वारा ही होता है। एक ही दृश्य घटना या कांड को हम तीनों ही भिन्न-भिन्न नजरों से देख सकते हैं। हिम से ढके हुएं पर्वत पर उषा का दृश्य दार्शनिक के गहरे विचार की वस्तु है, वैज्ञानिक के लिए अनुसन्धान की और साहित्यिक के लिए विह्वलता की। विह्वलता एक प्रकार का आत्म-समर्पण है। यहाँ हम पृथकता का अनुभव नहीं करते। यहाँ ऊँच-नीच, भले-बुरे का भेद नहीं रह जाता। श्री रामचन्द्र शबरी के जूठे बेर क्यों प्रेम से खाते हैं, कृष्ण भगवान विदुर के शाक को क्यों नाना व्यंजनों से रुचिकर समझते हैं? इसीलिए कि उन्होंने इस पार्थक्य को मिटा दिया है। उनकी आत्मा विशाल है। उसमें समस्त जगत के लिए स्थान है। आत्मा, आत्मा से मिल गयी है। जिसकी आत्मा जितनी ही विशाल है, वह उतना ही महान् पुरुष है। यहाँ तक कि ऐसे महान् पुरुष भी हो गये हैं, जो जड़ जगत् से भी अपनी आत्मा का मेल कर सके हैं।
(i) सत्य से आत्मा के साथ कैसा सम्बन्ध है
(अ) जिज्ञासा का
(ब) प्रयोजन का
(स) आनन्द का
(द) उपर्युक्त तीनों प्रकार का।
उत्तर :
(द) उपर्युक्त तीनों प्रकार का।
(ii) महान होने के लिए किसी पुरुष में कौन-कौन सी विशेषताएँ होनी चाहिए-
(अ) आत्मा की विशालता
(ब) आत्मा की उदारता
(स) पक्षपात व भेदभावरहित
(द) इनमें से सभी।
उत्तर :
(द) इनमें से सभी।
(iii) किसी पुरुष की विशालता किसके आधार पर मापी जाती है ?
(अ) उसकी सम्पन्नता के आधार पर
(ब) उसके हृदय की विशालता के आधार पर
(स) उसके आतंक के आधार पर
(द) उसकी प्रतिष्ठा के आधार पर।
उत्तर :
(ब) उसके हृदय की विशालता के आधार पर
(iv) “विह्वलता’ व्याकरण की दृष्टि से कैसा शब्द है?
(अ) विशेषण
(ब) भाववाचक संज्ञा
(स) व्यक्तिवाचक संज्ञा
(द) जातिवाचक संज्ञा।
उत्तर :
(ब) भाववाचक संज्ञा
(v) उपर्युक्त गद्यांश का समुचित शीर्षक बताइए
(अ) सत्य से जिज्ञासा का सम्बन्ध
(ब) जिज्ञासा और प्रयोजन
(स) सत्य से आनन्द का सम्बन्ध
(द) सत्य से आत्मा का सम्बन्ध।
उत्तर :
(द) सत्य से आत्मा का सम्बन्ध।
(vi) जिज्ञासा का संबंध होता है
(अ) व्यक्ति से
(ब) विचार से
(स) सत्य से
(द) ज्ञान से
उत्तर :
(स) सत्य से
निम्नलिखित अपठित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर :अपनी उत्तरपुस्तिका में लिखिए –
हँस लो दो क्षण खुशी मिली पर
आसमान को छने वाली,
वरना जीवन-भर क्रंदन है।
बे ऊंची-ऊंची मीनारें। किसका
जीवन हैंसी-खुशी में
मिट्टी में मिल जाती हैं ये
इस दुनिया में रहकर बीता ?
छिन जाते हैं, सभी सहारे।
सदा-सर्वदा संघर्षों को
दूर तलक धरती की गाथा
दुनिया में किसने जीता ?
मौन मुखर कहता कण-कण है।
खिलता फूल म्लान हो जाता
यदि तुमको मुसकान मिली तो
हँसता-रोता चमन-चमन है।
मुसकाओ सबके संग जाकर।
कितने रोज़ चमकते तारे
यदि तुमको सामर्थ्य मिला तो
कितने रह-रह गिर जाते हैं
धामो सबको हाथ बढ़ाकर
झोको अपने मन-दर्पण में
जब सावन घन घिर आते हैं।
प्रतिबिंबित सबका आनन है।
उगता-ढलता रहता सूरज
हैस तो दो क्षण खुशी मिली पर
जिसका साक्षी नील गगन है।
वरना जीवन-भर कंदन है।
(vii) कवि के अनुसार जीवन में किसकी अधिकता है?
(अ) आनन्द की
(ब) सुख-सुविधाओं की
(स) दुस्ख व कष्टों को
(द) शान्ति की।
उत्तर :
(स) दुस्ख व कष्टों को
(vii) ऊँची-ऊंची इमारतें मिट्टी में मिलकर संकेत करती है
(अ) उन्नति पर घमण्ड करना व्यर्थ है
(ब) सुख-दुख आते-जाते हैं
(स) नष्ट होना सत्य है
(द) निर्माण में विनाश छिपा है।
उत्तर :
(द) निर्माण में विनाश छिपा है।
(ix) सामर्श की सार्थकता सिद्ध होती है
(अ) अभिमान करने में।
(ब) जीवन-जीने में
(स) सबको सहारा देने में
(द) स्वयं का उद्धार करने में।
उत्तर :
(स) सबको सहारा देने में
(x) ‘प्रतिबिंबित’ शब्द मूल शब्द और प्रस्थय के योग से बना है, दोनों का सही क्रम है
(अ) पतिबिंब + इत
(ब) प्रति + बिंबित
(स) प्रतिबिम् + क्ति
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(अ) पतिबिंब + इत
(xi) उपर्युक्त पद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए
(अ) खिलता फूल
(ब) रोता चमन
(स) व्यर्थ न गवार खुशियों के क्षण
(६) पुसकान।
उत्तर :
(स) व्यर्थ न गवार खुशियों के क्षण
(xii) मौन मुखर कहला कण-कण है-पक्ति में अकसर है
(अ) पुनरुक्ति
(ब) उपमा
(स) श्लेष
(द) उत्प्रेक्षा
उत्तर :
(अ) पुनरुक्ति
प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(i) …………………………………. ही विकसित होकर भाषा का रूप लेती है।
उत्तर :
बोली
(ii) भारत की प्राचीन लिपियाँ ब्राह्मी और …………………………………. थीं।
उत्तर :
खरोष्ठी
(iii) “माता ने छोटे पुत्र से कहा- अँधेरा हो गया है।” वाक्य में …………………………………. शब्द शक्ति है।
उत्तर :
व्यंजना
(iv) …………………………………. शब्द शक्ति में मुख्यार्थ न लेकर उसका लक्ष्यार्थ लिया जाता है।
उत्तर :
लक्षणा
(v) माया दीपक नर पतंग, भ्रमि-भ्रमि इवै पड़न्त। काव्य पंक्ति में …………………………………. अलंकार है।
उत्तर :
रूपक
(vi) पानी गये न ऊबरै, मोती मानुस चून। काव्य पंक्ति में पानी शब्द …………………………………. अर्थ प्रकट करता है। अतः अलंकार है।
उत्तर :
अनेक, श्लेष
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर :एक पंक्ति में दीजिए
(i) निम्न पारिभाषिक शब्दों के अर्थ लिखिए
A. Faculty,
B. Elementary
उत्तर :
A. संकाय,
B. प्रारंभिक
(ii) ‘निरर्हता’ शब्द के लिए पारिभाषिक शब्द लिखिए।
उत्तर :
Disqualification
(iii) “हमारी ज़मीन, हमारे पानी का मजा ही कुछ और है।” ‘नमक’ कहानी के आधार पर इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अपनी जन्मभूमि से हर व्यक्ति को गहरा लगाव होता है । वहाँ की हर वस्तु उसे प्यारी लगती है । भारतीय कस्टम अधिकारी सुनीलदास का यह कथन इसी तथ्य को प्रमाणित करता है।
(iv) फीचर के किन्हीं दो प्रकारों का नाम लिखिए।
उत्तर :
- समाचार पर आधारित फीचर
- विशेष कार्य सम्बन्धी फीचर।
(v) कवि बनने के लिए लेखक आनंद यादव ने किसे गुरु बनाया ?
उत्तर :
मास्टर सौंदलगेकर से लेखक इतना प्रभावित हुआ कि उसने मास्टर जी को अपना गुरु बना लिया।
(vi) यशोधर बाबू के बच्चे उनसे सलाह करके कोई कार्य क्यों नहीं करते थे?
उत्तर :
उनके बच्चों की यही धारणा थी कि जिस बात को “बब्बा जानते ही नहीं उसे उनसे क्यों पूछा जाए ?” इसलिए उनसे पूछे बिना ही वे हर कार्य को करते थे।
(vii) लेखक आनंद यादव की माँ के अनुसार उसके पति ने लेखक को पाठशाला जाने से क्यों रोक दिया?
उत्तर :
लेखक की माँ के अनुसार उसके पति ने खुद काम से बचने के लिए लेखक को पाठशाला जाने से रोक दिया।
(viii) यशोधर बाबू का व्यवहार आपको कैसा लगा ?
उत्तर :
यशोधर डैमोक्रेट हैं। अपनी पत्नी तथा बच्चों पर अपनी बातें थोपते नहीं और उनको अपनी तरह जीने की छूट देते हैं। अतः कहा जा सकता है कि उनका व्यवहार सभी के प्रति सम्मान और सहानुभूति का है।
(ix) ‘जूझ’ के कथानायक का क्या नाम है?
उत्तर :
जूझ’ के कथानायक का नाम आनंदा बताया गया है।
(x) फणीश्वर नाथ रेणु की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
रचनाएँ-
- मैला आँचल
- परती परिकथा।
(xi) रघुवीर सहाय का जन्म कब और कहाँ हुआ।
उत्तर :
रघुवीर सहाय का जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 1929 में हुआ।
खण्ड – (ब)
निम्नलिखित लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 40 शब्दों में दीजिए –
प्रश्न 4.
जनसंचार का सबसे पुराना माध्यम क्या है ? इसके अन्तर्गत क्या-क्या माध्यम आते हैं ?
उत्तर :
जनसंचार का सबसे पुराना माध्यम स्वयं मनुष्य है। पौराणिक काल के देवर्षि नारद को प्रथम समाचारवाचक माना जा सकता है। महाभारतकाल में संजय की परिकल्पना भी अत्यन्त समृद्ध संचार व्यवस्था को इंगित करती है। शिलालेख व पट्टिका का प्रयोग, गुफा चित्र, विविध नाट्य रूपों-कथावाचन, बाउल, सांग, रागनी, तमाशा, लावनी, नौटंकी, जात्रा, गंगा-गौरी एवं यक्ष गान आदि इसी माध्यम के अन्तर्गत आते हैं।
प्रश्न 5.
फोन-इन का क्या आशय है ?
उत्तर :
टी.वी. में सूचनाओं के दूसरे चरण ड्राई एंकर के पश्चात् समाचार का विस्तार होता है। एंकर घटना स्थल पर उपस्थित संवाददाता से फोन पर बात करके सूचनाएँ दर्शकों तक पहुँचाता है। इसमें रिपोर्टर घटनास्थल पर मौजूद रहता है तथा घटना स्थल से जो भी जानकारी मिलती है रिपोर्टर उन्हें ज्यादा-से-ज्यादा दर्शकों तक पहुँचाता है।
प्रश्न 6.
‘दूरदर्शन और अपसंस्कृति’ पर एक फीचर तैयार कीजिए।
उत्तर :
अपने अनेक अकल्पनीय लाभों के साथ ही दूरदर्शन हमारी सामाजिक व्यवस्था, संस्कृति और मूल्यों को कुप्रभावित कर रहा है। दूरदर्शन पर आरोप है कि उसने पश्चिमी अपसंस्कृति का प्रचार किया है। इसने भोगवादी, प्रदर्शन प्रधान, तड़क-भड़क से पूर्ण अभिजात्य वर्ग की जीवन शैली को महिमा मंडित किया है। युवा वर्ग को स्वच्छंद, संस्कारहीन अपनी संस्कृति का तिरस्कार करने वाला बनाया है।
अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की वेश-भूषा, भाषा और आचरण की नकल करने में युवा पागल हो रहे हैं। दूरदर्शन आम आदमी के सामने टोने-टोटके, भविष्यवाणी के प्रदर्शन द्वारा अंधविश्वास बढ़ा रहा है। अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए वह अपसंस्कृति को बढ़ावा दे रहा है।
प्रश्न 7.
‘सबसे तेज बौछारें गयीं, भादों गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर :
भादों वर्षा ऋतु के चार महीनों में से एक है। उस समय तेज हवा के झोंकों के साथ वर्षा होती है। इसके बाद वर्षा नहीं होती या कम हो जाती है। वर्षा ऋतु के पश्चात् शरद ऋतु आती है। दिन की चमक बढ़ जाती है। सवेरा खरगोश की आँखों के समान लाल और चमकीला प्रतीत होता है। आसमान साफ हो जाता है। रास्तों का पानी तथा कीचड़ सूख जाता है।
प्रश्न 8.
‘पतंग’ कविता के बहाने बताएँ कि “सब घर एक कर देने के माने” क्या है?
उत्तर :
‘सब घर एक कर देने के माने’ का अर्थ है सभी प्रकार के भेदभाव दूर करके एकता स्थापित करना। बच्चों के खेल में जाति, गर्म, रंग आदि का कोई भेद-भाव नहीं होता। वे अपने खेल से सच्ची एकता पैदा करते हैं। कविता भी समस्त भेदभाव भुलाकर निष्पक्ष होकर मानवता के दुख-दर्दो को व्यंजित करती है।
प्रश्न 9.
गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहान्त के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा? 2
उत्तर :
लुट्टन पहलवान का ढोल से गहरा रिश्ता था। ढोल की आवाज़ उसे जीने तथा संघर्ष करने की प्रेरणा देती थी। गाँव में महामारी फैली थी। चारों तरफ सन्नाटा और उदासी थी। ढोल की आवाज़ ही इस सन्नाटे को तोड़ती थी। मृत्यु की ओर बढ़ते रोगियों को हिम्मत बँधाती थी। जब लुट्टन के दोनों जवान बेटे मरे तो अपने मन की उदासी और सूनापन दूर करने के लिए वह रातभर ढोलक बजाता रहा।
प्रश्न 10.
मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से जमीन और जनता बँट नहीं जाती है-उचित तर्को व उदाहरणों के जरिये इसकी पुष्टि करें।
उत्तर :
राजनीतिक आधार पर किसी देश का बँटवारा उसको नक्शे में तो अलग-अलग कर सकता है लेकिन उस देश की जनता के दिलों को नहीं बाँट सकता। भारत का विभाजन इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। कहानी के पात्रों- सिख महिला और कस्टम ऑफिसरों की भावनाएँ उपर्युक्त तथ्य को प्रमाणित करती हैं। भारत का विभाजन राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के कारण हुआ न कि जनता की भावनाओं के आधार पर।
प्रश्न 11.
“उलटा अब तो ऐसा लगने लगा कि जितना अकेला रहूँ उतना अच्छा।” कथन के अनुसार आनन्द यादव को अकेला रहना कब से अच्छा लगने लगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जब से लेखक ने स्कूल जाकर पढ़ाई शुरू की थी, उसका ध्यान कविता की ओर हो गया था। वह खेत पर पानी लगाते समय एकान्त में मास्टर से सुनी कविताओं को सस्वर गाता था। मास्टर बैठे-बैठे जैसा अभिनय करते थे, वैसा ही अभिनय वह भी करता था। अतः उसे अब अकेलापन बुरा नहीं अच्छा लगता था। वह सोचता था कि जितना अकेला रहूँ उतना अच्छा।
प्रश्न 12.
यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा देने में किसका योगदान रहा और कैसे ?
उत्तर :
हर व्यक्ति के जीवन में इस प्रकार के आदर्श पुरुष होते हैं। मेरे जीवन पर मेरे हिन्दी के अध्यापक शर्माजी का बड़ा प्रभाव रहा है। उच्च शिक्षा प्राप्त शिक्षक होने के साथ ही वह एक श्रेष्ठ कवि और लेखक भी हैं। समाज की सेवा में भी उनका सदा योगदान रहता है।
वह छात्रों को परिश्रम के साथ पढ़ने-लिखने तथा लोगों के साथ सद्व्यवहार करने की शिक्षा देते हैं। वह छात्रों की समस्याओं को हल करने में व्यक्तिगत रुचि लेते हैं। उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन मेरे जीवन का सम्बल हैं।
खण्ड – (स)
निम्नलिखित दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर :लगभग 250 शब्दों में दीजिए।
प्रश्न 13.
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए उपर्युक्त पंक्तियों का आशय स्पट करते हुए बताइए कि पतंग उड़ाते समय बच्चों की मन:स्थिति कैसी होती है।
अथवा
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के द्वारा पत्रकारिता के अमानवीय पहल पर चोट की गई है। कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि आलोक धन्वा ने इन पंक्तियों में शरद ऋतु के आगमन से होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों का चित्रण किया है। शरद के आने पर दिन अधिक प्रकाशपूर्ण हो जाते हैं। आकाश पर छाये बादल हट जाते हैं तथा वह निर्मल, स्वच्छ और मुलायम हो जाता है। यह समय अर्थात् शरद ऋतु पतंग उड़ाने के लिए सर्वथा उपयुक्त है। दिन का चमकीलापन बच्चों को प्रेरित करता है कि आओ, पतंग उड़ाएँ।।
जब बच्चे पतंग उड़ाने में लगे होते हैं तो उनका ध्यान पूरी तरह आकाश में उड़ती पतंगों पर ही टिका रहता है। वे अपनी सुधबुध भूल जाते हैं। वे तेज गति से छतों पर इधर से उधर दौड़ते हैं। कभी-कभी वे छतों के खतरनाक कोनों पर पहुँच जाते हैं। वहाँ से नीचे गिरने से उनका रोमांचित और लचीला शरीर ही उनको बचाता है। कभी जब वे गिरते हैं और फिर बच जाते हैं तो उनका साहस और बढ़ जाता है। वे निडर होकर छतों पर कूदते-फाँदते पतंग उड़ाते हैं।
प्रश्न 14.
बाजार के कौन-से दो पक्ष हैं? उनकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण विज्ञान के सत्य पर सहज प्रेम की विजय का चित्र प्रस्तुत करता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
बाजार के दो पक्ष हैं। पहला विक्रेता तथा दूसरा ग्राहक। विक्रेता दो प्रकार के होते हैं एक वह जो उतना ही धन कमाना चाहता है जितना उसके लिए जरूरी है। दूसरा वह जो ग्राहक को ठग कर उसका शोषण करता है। पहले विक्रेता की श्रेणी में चूरन वाले भगत जी आते हैं। दूसरे प्रकार के विक्रेता तो आज के बाजार में लगभग सभी हैं। ग्राहक भी तीन प्रकार के होते हैं।
एक, वह जो अपनी आवश्यकता को जानकर बाजार जाते हैं तथा सामान खरीदते हैं। दो, वह जो नहीं जानते कि उनकी क्या जरूरत हैं और बाजार के आकर्षण में फंसकर अनावश्यक सामान खरीदते हैं। तीन, वह जो बाजार में अनिश्चय का शिकार होकर कुछ भी नहीं खरीद पाते और खाली हाथ लौट आते हैं।
प्रश्न 15.
पाठ में ‘जो हुआ होगा’ वाक्य की आप कितनी अर्थ-छवियाँ खोज सकते/सकती हैं?
अथवा
आपके विचार से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का। तर्क सहित उत्तर दें।
उत्तर :
यशोधर बाबू के आदर्श पुरुष किशनदा की मृत्यु बिना किसी बीमारी के हो गई। यशोधर बाबू के पूछने पर उनके एक बिरादर ने उनकी मृत्यु के बारे में रूखा-सा जवाब दे दिया-‘जो हुआ होगा’ यानी पता नहीं क्या हुआ। ‘जो हुआ होगा’ वाक्य से यह भाव प्रकट होता है कि वृद्धावस्था में घर-परिवार और बच्चों के बीच रहने से सुरक्षा रहती है, नहीं तो बिना कारण लोगों की उपेक्षा और उदासीनता के बीच ‘जो हुआ होगा’ यानी ‘पता नहीं क्या हुआ’ से मृत्यु हो जाती है।
इस प्रकार ‘जो हुआ होगा’ वाक्य मृत्यु और जीवन के रहस्य को इंगित करने वाला वाक्य है। मृत्यु एक ऐसा सत्य है जिसका कोई कारण नहीं होता। लेखक मनोहर श्याम जोशी ने यशोधर बाबू के माध्यम से इस तथ्य को उजागर किया है। बच्चों के उपेक्षापूर्ण व्यवहार से तथा अपनी पत्नी द्वारा मातृसुलभ मोह के कारण बच्चों की हर सही या गलत बात का समर्थन करने तथा उनके प्रति उदासीनता दिखाने से व्यथित होकर यशोधर बाबू ‘जो हुआ होगा’ से ही अपनी मृत्यु देखते हैं। इस वाक्य से इस प्रकार की छवियाँ ही प्रकट हो रही हैं।
प्रश्न 16.
रघुवीर सहाय का कवि-परिचय लिखिए।
अथवा
फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ का लेखक-परिचय लिखिए।
उत्तर :
कवि परिचय :- कवि रघुवीर सहाय का जन्म उत्तरप्रदेश के लखनऊ में सन् 1929 में हुआ। रघुवीर सहाय समकालीन हिन्दी कविता के संवेदनशील ‘नागर’ चेहरा हैं। सड़क, चौराहा, दफ्तर, अखबार, संसद, बस, रेल और बाजार की बेलौस भाषा में उन्होंने कविता लिखी। पेशे से वे पत्रकार थे, लेकिन वे सिर्फ पत्रकार ही नहीं, सिद्ध कथाकार और कवि भी थे।
कविता को उन्होंने एक कहानीपन और एक नाटकीय वैभव दिया। आपका निधन नई दिल्ली में सन् 1990 में हुआ। प्रमुख रचनाएँ-अज्ञेय द्वारा संपादित दूसरा सप्तक (1951) में, आरंभिक कविताएँ, महत्त्वपूर्ण काव्य-संकलन सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो-हँसो जल्दी हँसो।
पत्रकारिता : ऑल इंडिया रेडियो के हिन्दी समाचार विभाग से संबद्ध रहे, फिर हैदराबाद से निकलने वाली पत्रिका कल्पना और उसके बाद दैनिक नवभारत टाइम्स तथा दिनमान से सम्बद्ध रहे। सम्मान : साहित्य अकादेमी पुरस्कार।
खण्ड -(द)
प्रश्न 17.
निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए –
आँगन में ठुनक रहा है ज़िदयाया है बालक तो हई चाँद पै ललचाया है दर्पण उसे दे के कह रही है माँ देख आईने में चाँद उतर आया है
अथवा
कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने बाहर भीतर इस घर, उस घर कविता के पंख लगा उड़ने के माने चिड़िया क्या जाने?
उत्तर :
संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कवि कुंवर नारायण की कविता ‘कविता के बहाने’ से लिया गया है। इस अंश में चिड़िया के बहाने से कविता की असीम संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया है।
व्याख्या-कवि कहता है कि कविता कवि के विचारों तथा भावनाओं की कल्पना के पंखों की सहायता से भरी गई उड़ान है। जिस प्रकार चिड़िया पंखों के सहारे उड़ती है, उसी प्रकार कवि भी कल्पना के सहारे कविता में अपने मनोभावों को प्रकट करता है। कवि की कल्पना असीम और अनन्त होती है। उस पर देश और काल का कोई बन्धन नहीं होता। वह अपनी कल्पना के सहारे सम्पूर्ण धरती पर ही नहीं, असीम आकाश में भी उड़ता है।
चिड़िया अपने पंखों से उड़ती तो है परन्तु उसकी उड़ान की एक सीमा है। वह एक घर से दूसरे घर के बाहर और भीतर तक ही उड़ती है। कविता जब कल्पना के पंखों से उड़ती है उसमें बाहर-भीतर की कोई सीमा नहीं होती। कविता की इस असीमित विस्तार वाली उड़ान की तुलना चिड़िया की उड़ान से नहीं की जा सकती।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (2 + 4 = 6)
वर्षा के बादलों के स्वामी हैं इंद्र और इंद्र की सेना टोली बाँध कर कीचड़ में लथपथ निकलती, पुकारते हुए मेघों को, पानी माँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के लिए। पानी की आशा पर जैसे सारा जीवन आकर टिक गया हो। बस एक बात मेरे समझ में नहीं आती थी कि जब चारों ओर पानी की इतनी कमी है तो लोग घर में इतनी कठिनाई से इकट्ठा करके रखा हआ पानी बाल्टी भर-भर कर इन पर क्यों फेंकते हैं ? कैसी निर्मम बरबादी है पानी की। देश की कितनी क्षति होती है इस तरह के अंधविश्वासों से। कौन कहता है इन्हें इंद्र की सेना ? अगर इंद्र महाराज से ये पानी दिलवा सकते हैं तो खुद अपने लिए पानी क्यों नहीं माँग लेते? क्यों मुहल्ले भर का पानी नष्ट करवाते घूमते हैं, नहीं यह सब पाखंड है। अंधविश्वास है। ऐसे ही अंधविश्वासों के कारण हम अंग्रेजों से पिछड़ गए और गुलाम बन गए।
अथवा
लुट्टन के माता-पिता उसे नौ वर्ष की उम्र में ही अनाथ बनाकर चल बसे थे। सौभाग्यवश शादी हो चुकी थी, वरना वह भी माँ-बाप का अनुसरण करता। विधवा सास ने पाल-पोसकर बड़ा किया। बचपन में वह गाय चराता, धारोष्ण दूध पीता और कसरत किया करता था। गाँव के लोग उसकी सास को तरह-तरह की तकलीफ़ दिया करते थे; लुट्टन के सिर पर कसरत की धुन लोगों से बदला लेने के लिए ही सवार हुई थी। नियमित कसरत ने किशोरावस्था में ही उसके सीने और बाँहों को सुडौल तथा मांसल बना दिया था। जवानी में कदम रखते ही वह गाँव में सबसे अच्छा पहलवान समझा जाने लगा। लोग उससे डरने लगे और वह दोनों हाथों को दोनों ओर 45 डिग्री की दूरी पर फैलाकर, पहलवानों की भाँति चलने लगा। वह कुश्ती भी लड़ता था।
उत्तर :
सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित पाठ ‘काले मेघा पानी दे’ से लिया गया है। इसके लेखक धर्मवीर भारती हैं। प्रसंग-इस अंश में लेखक ने ‘इंदर सेना’ जैसे सामाजिक अंधविश्वासों पर व्यंग्य किया हैं।
व्याख्या-लेखक कहता है कि पौराणिक आख्यानों के अनुसार इन्द्रदेव बादलों के स्वामी बताए गए हैं। इसलिए इन्द्र को प्रसन्न करने के लिए ‘इन्दर सेना’ यानी इन्द्रदेव की सेना, टोली बनाकर निकलती थी। वह मेघों को पुकारते हुए प्यासे लोगों और सूखे खेतों के लिए पानी माँगा करती थी। उस समय लगता था सारा मानव जीवन जैसे पानी की आशा पर आधारित हो गया था।
लेखक अपनी शंका या जिज्ञासा प्रकट करते हुए कहता है कि वह यह नहीं समझ पाया था कि पानी की इतनी भारी कमी होते हुए भी लोग बड़े परिश्रम से इकट्ठे किए गए पानी को बाल्टियों में भर-भर कर ‘इन्दर सेना’ पर क्यों उड़ेला करते थे। यह पानी की निर्दय बरवादी थी। लेखाक कहता है कि ‘इन्दर सेना’ जैसे अंधविश्वासों ने देश को बहुत हानि पहुँचाई है। यदि यह इन्द्र की ही सेना थी तो वह अपने लिए पानी क्यों नहीं प्राप्त कर लेती।
एक अंधविश्वास को आधार बनाकर ये सारे मोहल्ले का पानी बरवाद क्यों कराते फिरते थे। लेखक का मानना है कि वह सब पाखण्ड और अंधविश्वास था। ऐसे ही अंधविश्वासों में पड़े रहने के कारण भारतीय अंग्रेजों से पिछड़ गए और उन्हें सैकड़ों वर्षों तक अंग्रेजों की दासता भोगनी पड़ी।
प्रश्न 19.
सचिव, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर की ओर से एक अर्द्धशासकीय पत्र पुलिस महानिदेशक, राजस्थान जयपुर को लिखा जाए, जिसमें बोर्ड परीक्षा प्रश्न-पत्र की सुरक्षा का आग्रह हो।
अथवा
शासन सचिवालय, शिक्षा विभाग जयपुर की ओर से माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में विसंगतियों के बावत् एक ज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर :
राजस्थान सरकार
अनुराधा तँवर
सचिव
माध्य० शिक्षा बोर्ड, राज०
अजमेर
दि० 15 फरवरी, 20_ _
अ०शा०प०क्र० 35/17 (क)/163
प्रिय श्री मल्होत्रा जी,
प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक परीक्षाएँ 10 मार्च से आरंभ होने जा रही हैं। इसमें प्रदेश के 35 लाख परीक्षार्थी सम्मिलित हो रहे हैं। परीक्षाओं के प्रश्न – पत्र प्रदेश के थानों में रखवाने के निर्देश हैं, जो कि 8 मार्च तक पहुँच जाएंगे। प्रश्नपत्रों की गोपनीयता व सुरक्षा की दृष्टि से आप व्यक्तिगत तौर से अपने अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देशित कर सहयोग प्रदान करें। इससे विद्यार्थियों के भविष्य की सुरक्षा के साथ प्रदेश की छवि भी अच्छी बनेगी।
सधन्यवाद।
भवदीय
ह०
(अनुराधा तँवर)
सेवा में,
श्री हरचरण मल्होत्रा
पुलिस महानिदेशक,
राजस्थान, जयपुर
प्रश्न 20.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर सारगर्भित निबंध लिखिए। (शब्द सीमा 300 शब्द) 5
(1) लोकतंत्र में मीडिया का उत्तरदायित्व
(2) मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
(3) नये भारत की आशा युवावर्ग
(4) मरुभूमि का जीवन धन-जल
उत्तर :
लोकतन्त्र में मीडिया का उत्तरदायित्व
संकेत बिंदु –
- प्रस्तावना,
- लोकतंत्रीय शासन व्यवस्था,
- लोकतंत्र में मीडिया का महत्त्व और कर्तव्य,
- स्पर्द्धा की दौड़ में कर्तव्यहीन मीडिया,
- उपसंहार।
प्रस्तावना – लोकतंत्र को जनतंत्र तथा प्रजातंत्र भी कहते हैं। जिस तंत्र में ‘लोक’ अर्थात् जनता की सत्ता सर्वोपरि होती है, वही सचमुच लोकतंत्र होता है। ‘लोकतंत्र’ जनहितकारी तथा न्याय पर आधारित शासन व्यवस्था है। इस व्यवस्था को शुद्ध और पवित्र बनाये रखने के लिए जनता का सुशिक्षित और विवेकशील होना अत्यन्त आवश्यक है। जनता को लोकतन्त्रीय प्रशिक्षण देने में मीडिया की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण होती है।
लोकतंत्रीय शासन व्यवस्था – लोकतंत्र के मूल में लोक है। लोक स्वयं ही अपने आपको शासित करता है। इसके लिए वह देश की विधायी संस्थाओं के लिए अपने प्रतिनिधि चुनता है। अपना सही प्रतिनिधि चुनना जनता का अधिकार ही नहीं कर्तव्य भी होता है। ये निर्वाचित प्रतिनिधि ही मिलकर सरकार बनाते हैं, देश के लिए कानून बनाते हैं तथा उनका पालन कार्यपालिका द्वारा कराते हैं। इस शासन व्यवस्था में जनहित प्रमुख होता है। यदि निर्वाचित प्रतिनिधि जनता की उपेक्षा करते हैंऔर जनविरोधी कार्य करते हैं तो जनता उनको सत्ता से हटा देती है।
लोकतंत्र में मीडिया का महत्त्व और कर्तव्य – मीडिया लोकतंत्र में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होता है। मीडिया को कार्य करने की पूरी स्वतन्त्रता होती है। उसका कर्तव्य होता है कि वह किसी घटना, समाचार आदि को पूर्णतः तटस्थ रहकर जनता के सामने प्रस्तुत करे। वह यह कार्य इस प्रकार करे कि जनता उस पर विश्वास करे तथा फिर स्वयं उस पर कोई निष्पक्ष निर्णय ले सके। कुछ समाचार – पत्र तथा दूरदर्शन के चैनल किसी बात को तटस्थ होकर प्रस्तुत नहीं करते। मीडिया जनता का प्रशिक्षक भी होता है। वह सच्चा प्रशिक्षक तभी बन सकता है, जब वह प्रत्येक पूर्वाग्रह से मुक्त होकर सच्चाई को सामने लाये। लोगों के बीच किसी समाचार – पत्र अथवा दूरदर्शन चैनल की लोकप्रियता अधिक होने के पीछे उसकी कार्य – प्रणाली का ही महत्व होता है।
स्पर्द्धा की दौड़ में कर्तव्यहीन मीडिया – आज का युग स्पर्धा का है। प्रत्येक क्षेत्र में आगे निकलने की होड़ है। मीडिया में भी यह स्पर्धा अत्यन्त प्रबल है। हर समाचार – पत्र चाहता है कि उसकी प्रसार संख्या अथवा ग्राहक संख्या बढ़े। दूरदर्शन के चैनलों में भी गलाकाट प्रतियोगिता है। प्रत्येक चैनल अपना टी. आर. पी. बढ़ाना चाहता है। इसके लिए वह सनसनीखेज तथा लोगों को आकर्षित करने वाले समाचार प्रसारित करता है। मीडिया पर आने वाले विज्ञापन तथा कार्यक्रम इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किये जाते हैं। इसी कारण दूरदर्शन के कार्यक्रमों में अश्लीलता बढ़ रही है। किसी कार्यक्रम को प्रस्तुत करते समय मुख्य लक्ष्य अधिक से अधिक पाठकों या दर्शकों को स्वयं से जोड़ना होता है, यह नहीं देखा जाता कि इसका समाज पर क्या प्रभाव होगा।
उपसंहार – मीडिया को लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ, जनतन्त्र का प्रहरी आदि कहा जाता है। जो स्वयं अनुशासन में नहीं वह लोकतन्त्र का क्या मार्गदर्शन कर पाएगा। इलैक्ट्रानिक मीडिया के कुछ वर्ग तो मनमानी पर उतर आए हैं। इस प्रकृति पर नियन्त्रण आवश्यक है। मीडिया के लिए भी एक आचार संहिता आवश्यक है।
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