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RBSE Class 12 Hindi Compulsory Model Paper Set 7 with Answers
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड -(अ)
प्रश्न 1.
बहुविकल्पी प्रश्न
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए –
पुस्तकालय से सबसे बड़ा लाभ है ज्ञानवृद्धि। मनुष्य को बहुत थोड़े शुल्क के बदले बहुत सारी पुस्तकें पढ़ने को मिल जाती हैं। वह चाहे तो एक ही विषय की अनेक पुस्तकें पढ़ सकता है। दूसरे, उसे किसी भी विषय की नवीनतम पुस्तक वहाँ से प्राप्त हो सकती है। तीसरे, उसे किसी भी विषय पर तुलनात्मक अध्ययन करने का अवसर मिल जाता है। चौथे, विश्व में प्रकाशित विभिन्न विषयों की पुस्तकें भी यहाँ मिल जाती हैं। यही कारण है कि उच्च कक्षा तथा किसी विषय में विशेष योग्यता प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अपना अधिकांश समय पुस्तकालय में ही व्यतीत करते हैं। पुस्तकालय मनुष्य में पढ़ने की रुचि उत्पन्न करता है। यदि आप एक बार किसी पुस्तकालय में चले जाएँ, तो वहाँ की पुस्तकों को देखकर आप उन्हें पढ़ने के लिए लालायित हो जाएँगे। इस प्रकार पुस्तकालय आपकी रुचि को ज्ञान-वर्द्धन की ओर बदलता है। दूसरे, अवकाश के समय में पुस्तकालय हमारा सच्चा साथी है जो हमें सदुपदेश भी देता है और हमारा मनोरंजन भी करता है। शेष मनोरंजन के साधनों में धन अधिक खर्च होता है, जबकि यह सबसे सुलभ और सस्ता मनोरंजन है।
(i) पुस्तकालय की सबसे बड़ी उपयोगिता है
(अ) मनुष्य का ज्ञान बढ़ाने में
(ब) मनुष्य को राजनीति का परिचय देने में
(स) मनुष्य की वैज्ञानिक ज्ञान वृद्धि में
(द) मनुष्य को भूगोल का परिचय देने में।
उत्तर :
(अ) मनुष्य का ज्ञान बढ़ाने में
(i) मनुष्य के लिए पुस्तकालय का योगदान नहीं है –
(अ) पढ़ने की रुचि उत्पन्न करने में
(ब) अवकाश के क्षणों में सच्चा साथ देने में
(स) उपदेश और मनोरंजन के रूप में
(द) अमानवीय बुराइयों को उभारने के रूप में।
उत्तर :
(द) अमानवीय बुराइयों को उभारने के रूप में।
(iii) कौन-से छात्र अपना अधिकांश समय पुस्तकालय में बिताते हैं ?
(अ) समय का दुरुपयोग करने वाले
(ब) समय का सदुपयोग करने वाले
(स) उच्च कक्षा एवं विशिष्ट योग्यता के इच्छुक
(द) खेलों में दक्षता के अभिलाषी।
उत्तर :
(स) उच्च कक्षा एवं विशिष्ट योग्यता के इच्छुक
(iv) ‘पुस्तकालय’ शब्द ‘पुस्तक. आलय’ दो शब्दों के मेल से बना है। प्रयुक्त सन्धि का नाम है- 1
(अ) व्यंजन सन्धि
(ब) स्वर सन्धि
(स) विसर्ग सन्धि
(द) अयादि सन्धि।
उत्तर :
(ब) स्वर सन्धि
(v) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है-
(अ) पुस्तकालय का महत्त्व
(ब) ज्ञान का भण्डार
(स) पुस्तकों की उपयोगिता
(द) सच्चा साथी।
उत्तर :
(अ) पुस्तकालय का महत्त्व
(vi) अवकाश के समय में हमारा सच्चा साथी है
(अ) पुस्तकालय
(ब) विद्यालय
(स) खेल का मैदान
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(अ) पुस्तकालय
निम्नलिखित अपठित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तरपुस्तिका में लिखिए –
शांति नहीं तब-तक, जब तक, सुख भाग न नर. का सम हो,
नहीं किसी को बहुत अधिक हो, नहीं किसी को कम हो।
ऐसी शांति राज्य करती है, तन पर नहीं हृदय पर,
नर के ऊँचे विश्वासों पर, श्रद्धा, भक्ति प्रणय पर।
न्याय शांति का प्रथम न्यास है, जब तक न्याय न आता,
जैसा भी हो महल शांति को सुदृढ़ नहीं रह पाता।
कृत्रिम शांति सशंक आप, अपने से ही डरती है,
खड्ग छोड़ विश्वास किसी का, कभी नहीं करती है।
और जिन्हें इन शान्ति व्यवस्था, में सुख-भाग सुलभ है,
उनके लिये शांति ही जीवन-सार, सिद्धि दुर्लभ है।
पर, जिनकी अस्थियाँ चबाकर, शोणित पीकर तन का,
जीती है यह शांति, दाह समझो कुछ उनके मन का।
स्वत्व माँगने से न ‘मिलें, तो लड़ के,
तेजस्वी छीनते समर को जीत, या कि खुद मर के।
किसने कहा, पाप है समुचित, स्वत्व-प्राप्ति-हित लड़ना?
उठा न्याय का खड्ग समर में, अभय मारना-मरना ?
क्षमा, दया, तप, तेज, मनोबल, की दे वृथा दुहाई,
धर्मराज, व्यंजित करते तुम, मानव की कदराई,
हिंसा का आघात तपस्या ने, कब कहाँ सहा है ?
देवों का दल सदा दानवों, से हारता रहा है।
(vii) मनुष्य को स्थाई शान्ति कब प्राप्त होती है ?
(अ) प्रत्येक के भाग का असमान वितरण हो
(ब) मनुष्य ताकत के बल से शान्ति प्राप्त करता है
(स) सिद्धियाँ प्राप्त होने के बाद
(द) प्रत्येक मनुष्य की सुख-सुविधाओं का न्यायपूर्ण वितरण हो।
उत्तर :
(द) प्रत्येक मनुष्य की सुख-सुविधाओं का न्यायपूर्ण वितरण हो।
(vi) “स्वत्व माँगने से न मिलें, तो लड़ के” पंक्ति का आशय है
(अ) अधिकार लड़कर नहीं शान्ति से प्राप्त करें
(ब) अपने अधिकार माँगकर नहीं मिलते हैं
(स) माँगने से अधिकार न मिलें तो वीर पुरुष लड़कर प्राप्त करते हैं
(द) लड़कर अपने अधिकार प्राप्त करें।
उत्तर :
(द) लड़कर अपने अधिकार प्राप्त करें।
(ix) अपना अधिकार पाने के लिए युद्ध करना कवि के अनुसार
(अ) पाप है
(ब) पुण्य है
(स) वीरोचित है
(द) पाप नहीं।
उत्तर :
(ब) पुण्य है
(x) “नहीं किसी को कम हो” पंक्ति में निहित अलंकार है
(अ) अनुप्रास
(ब) यमक
(स) श्लेष
(द) रूपका
उत्तर :
(ब) यमक
(xi) पद्यांश का उचित शीर्षक है
(अ) स्वत्व की लड़ाई
(ब) हिंसा का आघात
(स) स्थाई शान्ति का आधार
(द) न्याय का खड्ग।
उत्तर :
(द) न्याय का खड्ग।
(xii) न्याय का विपरीतार्थक है-
(अ) अन्यायी
(ब) न्यायी
(स) अन्याय
(द) आतिनयाय
उत्तर :
(स) अन्याय
प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(i) सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली, कम विकसित, बोलचाल की भाषा …………………………………………… कही जाती है।
उत्तर :
बोली
(ii) …………………………………………… लिपि में हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, मराठी, कोंकणी, नेपाली आदि भाषाएँ लिखी जाती हैं।
उत्तर :
देवनागरी
(iii) जयपुर राजस्थान की राजधानी है। वाक्य में …………………………………………… शब्द शक्ति है।
उत्तर :
अभिधा
(iv) वाच्यार्थ (मुख्यार्थ) का बोध कराने वाली शब्द शक्ति को …………………………………………… कहा जाता है।
उत्तर :
अभिधा
(v) काली घटा का घमण्ड घटा, नभ मण्डल तारक वृन्द खिले। काव्य पंक्ति में …………………………………………… अलंकार है।।
उत्तर :
यमक
(vi) उसकी मधुर मुस्कान किसके हृदयतल में ना बसी। काव्य पंक्ति में ‘म’ वर्ण की …………………………………………… के कारण …………………………………………… अलंकार है।
उत्तर :
आवृत्ति, अनुप्रास
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर :एक पंक्ति में दीजिए
(i) निम्न पारिभाषिक शब्दों के अर्थ लिखिए
A- Doubtful,
B-Exempt
उत्तर :
A – संदिग्ध,
B – छूट देना।
(ii) ‘सशक्तीकरण’ शब्द के लिए पारिभाषिक शब्द लिखिए।
उत्तर :
Empowerment
(iii) इंदर सेना सबसे पहले किसकी जय बोलती है?
उत्तर :
इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय बोलती है।
(iv) फीचर कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
फीचर आठ प्रकार के होते हैं।
(v) यशोधर बाबू व उनके अपने बच्चों का आपस में कैसा व्यवहार था ? ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर बताइए।
उत्तर :
यशोधर बाबू का व्यवहार अपने बच्चों के प्रति स्नेहपूर्ण नहीं है तो उनके बच्चों का व्यवहार भी उनके प्रति आदर का नहीं है।
(vi) लेखक एक जुझारू योद्धा की तरह संघर्ष करके जीवन को ऊँचा बनाता है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर :
जूझ’ उपन्यास का अंश होने से यह बात तो स्वतः सिद्ध होती है कि कहानी का नायक एक योद्धा की तरह संघर्ष करके ही अपने जीवन को योग्य बनाता है।
(vii) वसंत पाटील से दोस्ती होने के बाद लेखक के व्यवहार में कौन-से परिवर्तन हुए ?
उत्तर :
लेखक की दोस्ती वसंत पाटील से हो गई। वह भी गणित में होशियार हो गया। अब दोनों मिलकर कक्षा के अन्य बालकों के सवाल जाँचने लगे थे।
(viii) ‘सिल्वर वैडिंग’ पाठ के यशोधर बाबू समय क साथ ढल सकने में असफल रहते हैं। ऐसा क्यों ?
उत्तर :
यशोधर बाबू पुरानी परम्पराओं को मानते हैं। उन्हें आधुनिक पहनावे, पश्चिमी जीवन-शैली तथा रहन-सहन से नफरत है। अतः वे समय के साथ ढल सकने में समर्थ नहीं हो पाते।
(ix) ‘जूझ’ उपन्यास का नायक पढ़ाई क्यों करना चाहता था ?
उत्तर :
यदि पाठशाला जाकर कुछ पढ़-लिख लेगा तो कहीं भी नौकर हो जायेगा जिससे चार पैसे हाथ में भी रह सकेंगे और वह गाँव के ही एक धनी किसान बिठोबा की तरह कुछ अन्य धंधा-कारोबार भी कर सकेगा।
(x) हरिवंश राय बच्चन की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
रचनाएँ-
- मधुशाला
- निशानिमंत्रण।
(xi) महादेवी वर्मा का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
महादेवी वर्मा का जन्म सन् 1907 ई. में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ।
खण्ड – (ब)
निम्नलिखित लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 40 शब्दों में दीजिए –
प्रश्न 4.
मुदित माध्यम का प्रमख विशषताय क्या है ?
उत्तर :
मुद्रित माध्यम की सबसे प्रमुख विशेषता या शक्ति यह है कि मुद्रित शब्द स्थायी होते हैं। उसे आराम से धीरे- धीरे पढ़ा जा सकता है तथा उस पर सोचा जा सकता है। किसी समाचार-पत्र को पढ़ना किसी भी पृष्ठ से शुरू किया जा सकता है। उसे लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है और सन्दर्भ की तरह प्रयोग किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
इंटरनेट पत्रकारिता का इतिहास संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
इंटरनेट पत्रकारिता का प्रथम दौर 1982 से 1992 तक था। दूसरा दौर 1993 से 2001 तक तथा 2002 से अब तक यह तीसरा दौर चल रहा है। प्रथम दौर प्रयोग का दौर. था। द्वितीय दौर में इसका बहुत विकास हुआ। जिसे देखो वही इंटरनेट और डॉट कॉम की बात करने लगा। सूचनाओं के आदान-प्रदान के माध्यम के रूप में इंटरनेट सर्वोपरि है। 2002 से इंटरनेट पत्रकारिता का तीसरा दौर प्रगति के पथ पर है।
प्रश्न 6.
‘शिक्षा का निजीकरण और महँगा होना’ पर एक फीचर तैयार कीजिए।
उत्तर :
शिक्षा का निजीकरण और महँगी शिक्षा-आज समाज पर वणिक मानसिकता हावी है। शिक्षा भी, जिसे हमारी संस्कृति में निःशुल्क प्रदान करना और कराना महान पुण्य कार्य समझा जाता था, आज व्यवसायी मानसिकता का शिकार हो गई है। शिशु-शिक्षा से लेकर उच्चतम शिक्षा की दुकानें धड़ाधड़ खुलती जा रही हैं। निजीकरण के सर्वग्रासी प्रेत ने अब शिक्षा को भी अपने शोषण के जाल में फंसा लिया है।
इन शिक्षा व्यवसायियों को देश और समाज के हितों से कोई सरोकार नहीं। उनके लिए विद्यालय चलाना एक लाभकारी निवेश से अधिक कुछ नहीं है। यद्यपि पिछले कुछ समय से इन निजी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षण-शुल्कों को तार्किक और नियंत्रित बनाने के प्रयास हुए हैं लेकिन इनके पास कुशल व्यापारियों के समान ग्राहकों की जेब काटने के अन्य अनेक उपाय हैं।
प्रश्न 7.
फ़िराक गोरखपुरी की गज़ल की विशेषता पाठ्य-पुस्तक में संकलित गज़ल के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
फ़िराक की गज़लों में हिन्दी तथा उर्दू शायरी की भरपूर परम्परा है। पाठ्य-पुस्तक में संकलित गज़ल इसका एक अद्भुत नमूना है। इस गज़ल में शायर की ठसक के साथ-साथ गज़ल कहने की कला का श्रेष्ठ स्वरूप भी दिखाई देता है। इसमें भाषा की रवानगी तथा चुटीलापन है। ‘खोलते हैं’, ‘बोलते हैं’ इत्यादि के स्थान पर ‘खोले हैं’, ‘बोले हैं’ प्रयोग गज़ल में स्वाभाविकता तथा प्रभाव को बढ़ाने वाला है।
प्रश्न 8.
‘जादू टूटता है इस उषा का अब’ उषा का जादू क्या है? वह कैसे टूटता है?
उत्तर :
सूर्योदय होते ही प्रकाश तेज हो जाता है। इससे आकाश का कालापन मिट जाता है तथा उषा की लालिमा भी सूर्य की किरणों के रूप में सफेद रंग में बदल जाती है। सूर्य की किरणों के प्रबल होते ही सबेरे की नमी भी सूखने लगती है। जो सौन्दर्य उषा के जादू के समान लगता था, वह सूर्योदय होने पर अदृश्य हो जाता है।
प्रश्न 9.
बाज़ार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है? क्या आपकी नजर में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है?
उत्तर :
भगत जी चूरन बेचते हैं- चौक बाज़ार से काला नमक तथा जीरा खरीदने वह वहाँ जाते हैं। तुष्ट, मग्न और खुली आँख बाज़ार जाते हैं। उनके लिए बाज़ार की उपयोगिता इतनी ही है। अब चाँदनी चौक का सारा आकर्षण उनके लिए अर्थहीन हो जाता है । भगत जी का वह व्यक्तित्व तथा उनका आचरण समाज ‘ में शांति स्थापित करने में मददगार सिद्ध हो होता है।
प्रश्न 10.
जीजी ने ‘इन्दर सेना’ पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया ?
उत्तर :
जीजी ने लेखक को बताया कि हमें कुछ पाने के लिए थोड़ा-सा त्याग करना पड़ता है। किसान 30-40 मन गेहूँ उगाने के लिए पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ बीज के रूप में खेत में बो देता है। इसी प्रकार इन्द्र देवता से वर्षा का जल पाने के लिए थोड़ा-सा पानी इन्दर सेना पर फेंकना एक प्रकार से पानी की बुवाई है। इसके बदले में इन्द्र देवता वर्षा ऋतु में बादलों से झमाझम पानी बरसाते हैं।
प्रश्न 11.
“लेखक का दादा ईख जल्दी पेरता था जबकि गाँव के अन्य किसान बाद में पेरते थे।” लेखक के दादा का जल्दी ईख पेरने का कारण क्या था ?
उत्तर :
ईख पेरने के बारे में गाँववालों का तर्क था कि देर से ईख पेरने से ईख का रस गाढ़ा हो जाता है, परिणामस्वरूप गुड़ अच्छा बनता है और दाम भी अच्छे मिलते हैं। दूसरी ओर लेखक का दादा जल्दी कोल्हू लगाकर ईख पेरने का पक्षधर था कि पहले ईख पेरने से बाजार में अच्छे दाम मिल जाते थे। लेखक का दादा लालची स्वभाव का था। वह गुड़ का ज्यादा दाम जल्दी लेना चाहता था।
प्रश्न 12.
‘जो हुआ होगा’ में यथास्थितिवाद यानी ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेने का भाव है तो समहाउ इम्प्रापर’ में एक अनिर्णय की स्थिति भी है। ये दोनों ही स्थितियाँ हालात को ज्यों का त्यों स्वीकार कर बदलाव को असम्भव बना देने की ओर ले जाती हैं। सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
‘जो हुआ होगा’ वाक्यांश का आशय है-पता नहीं क्या हुआ था ? जो भी हुआ हो उसे ज्यों का त्यों स्वीकार करना ही उचित है। ‘समहाउ इंप्रापर’ से नए विचार, खोज और जीवन-शैली को स्वीकार या अस्वीकार करने में अनिर्णय का भाव व्यक्त होता है। ये दोनों ही मनःस्थितियाँ हालात को ज्यों का त्यों स्वीकार करने के लिए प्रेरित करती हैं और परिवर्तन के प्रति उत्साहित नहीं करती।
खण्ड – (स)
निम्नलिखित दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर :लगभग 250 शब्दों में दीजिए-
प्रश्न 13.
‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’- गीत में कवि बच्चन जी ने क्या संदेश दिया है ?
अथवा
‘पतंग’ कविता के द्वारा कवि आलोक धन्वा क्या संदेश देना चाहते हैं? विस्तार से लिखिए।
उत्तर :
इस कविता में पत्नी के चिर वियोग से व्यथित कवि की मनोदशा सामने आई है। कवि देखता है कि दिनरूपी पथिक जल्दी-जल्दी चल रहा है। पक्षी भी प्रतीक्षा करते बच्चों का ६ यान करके तेजी से घोंसलों की ओर जा रहे हैं। सबको घर पहुँचने की जल्दी है। कवि भी अभ्यास के कारण शीघ्र कदम बढ़ा रहा है। अचानक उसे स्मरण आता है कि घर पर उसकी प्रतीक्षा करने वाला कोई नहीं है। यह विचार उसके मन को व्याकुल कर देता है।
कवि ने इस गीत में इस सत्य को व्यंजित किया है कि मानव जीवन एक निश्चित अवधि तक ही सीमित है। समय तेजी से गुजर रहा है। जो लोग समय के महत्त्व को समझते हैं, वे उसे व्यर्थ नष्ट नहीं करते। वे निश्चित समय पर अपने कार्य पूरे करते हैं। कवि ने समय के महत्त्व को समझने तथा उसके अनुसार अपने काम समय पर पूरे करने का संदेश इस गीत में दिया है।
प्रश्न 14.
भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं-लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?
अथवा
बाजार का जादू क्या है? इससे बचने का क्या उपाय लेखक ने बताया है?
उत्तर :
भक्तिन महादेवी की सेविका थी। उसके गुणों से परिचित महादेवी उसके अवगुणों से भी परिचित थी। भक्तिन में निम्नलिखित अवगुण थे
- भक्तिन दूसरों को अपने मन के अनुसार बना लेना चाहती थी परन्तु स्वयं बिल्कुल भी बदलना नहीं चाहती थी। महादेवी के लाख कहने पर भी उसने अपने आपको नहीं सुधारा।
- वह इधर-उधर पड़े महादेवी के रुपयों को मटकी में छुपा देती थी। अपने इस काम को वह चोरी नहीं मानती थी। उसका तर्क था-अपने घर में रखे रुपयों को सँभालकर रखना तो उसका कर्त्तव्य है।
- महादेवी को प्रसन्न रखने के लिए वह झूठ भी बोलती थी। वह उसको झूठ नहीं मानती थी।
- वह शास्त्रों की व्याख्या अपने हित में अपने अनुसार ही कर लेती थी। . इन बातों के कारण ही लेखिका ने कहा होगा उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं।
प्रश्न 15.
‘जूझ’ के नायक के माध्यम से उपन्यासकार किशोर छात्रों को पढ़ने में रुचि लेने की प्रेरणा देता है। यही इस उपन्यास का उद्देश्य है। सिद्ध कीजिए।
अथवा
‘सिल्वर वैडिंग’ वर्तमान युग में बदलते जीवन मूल्यों की कहानी है। सोदाहरण सिद्ध कीजिए। 3
उत्तर :
‘जूझ’ कहानी की प्रेरणादायी संघर्ष गाथा है। विपरीत पारस्थितियों में माँ को साथ लेकर दत्ताराव को समझाता है, दादा को पढ़ने की अनुमति प्राप्त करता है। खेत में कठोर मेहनत करता हैं विद्यालय में भी कठिनाइयों का सामना करता है। सभी संघर्षों पर विजय पाते हुए लेखक सफलता प्राप्त करता है।
‘जूझ’ उपन्यास का लेखक आत्मकथात्मक शैली में किशोर मन की उलझनों को अपने ढंग से अभिव्यक्ति प्रदान कर किशोर छात्रों को हर बाधा को पार करके भी पढ़ाई करने और लगन के साथ पढ़कर कक्षा में प्रथम आने की प्रेरणा देता है।
साथ ही लेखक का उद्देश्य विद्यार्थियों के मन में यह भाव भी उत्पन्न करना है कि अपने योग्य अध्यापकों से केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं वरन् अन्य गुण जैसे कविता करना आदि भी ग्रहण करना चाहिए। कथानायक अपने मराठी के अध्यापक सौंदलगेकर से कविता करना सीखता है और उनसे भी अच्छा कवि बन जाता है।
इस प्रकार इस उपन्यास की रचना का उद्देश्य किशोरों की व्यक्तिगत समस्याओं को स्वयं संघर्ष करके सुलझाने की प्रेरणा देने के साथ-साथ उन्हें योग्य विद्यार्थी बनाना भी है।
प्रश्न 16.
हरिवंश राय बच्चन का कवि परिचय लिखिए।
अथवा
जैनेन्द्र कुमार का लेखक परिचय लिखिए।
उत्तर :
‘हालावाद’ के प्रवर्तक, कवि-मंच से श्रोताओं को ‘मधुशाला’ का मधुर प्याला पिलाने वाले कवि हरिवंशराय बच्चन का जन्म सन् 1907 में हुआ था। बच्चन जी की प्रारम्भिक रचनाओं पर फारसी के कवि उमर खय्याम के जीवन दर्शन का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। उनकी रचना ‘मधुशाला’ की काव्य मंचों पर धूम मच गई थी। प्रतिभाशाली कवि होते हुए भी उनकी कविता आरम्भ में इश्क, प्यार, पीड़ा और मयखाने तक सीमित रही।
आगे उसमें गम्भीरता और प्रौढ़ चिंतन को भी स्थान मिला। रचनाएँ-कवि हरिवंशराय बच्चन की प्रमुख रचनाएँ हैं-मधुशाला, मधुबाला, मधु कलश, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत, मिलन यामिनी, सतरंगिणी, आरती और अंगारे आदि हैं। चार खण्डों में बच्चन की आत्मकथा तथा कुछ अनूदित पुस्तकें भी हैं। सन् 2003 में बच्चन जी का देहावसान हो गया।
खण्ड – (द)
प्रश्न 17.
निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए –
सोचिए बताइए आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है कैसा यानी कैसा लगता है (हम खुद इशारे से बताएंगे कि क्या ऐसा ?) सोचिए बताइए थोड़ी कोशिश करिए (यह अवसर खो देंगे?) आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते हम पूछ-पूछकर उसको रुला देंगे इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का करते हैं ? (यह प्रश्न पूछ नहीं जाएगा)
अथवा
मैं यौवन का उन्माद लिए फिरता हूँ, उन्मादों में अवसाद लिए फिरता हूँ, जो मुझको बाहर हँसा, रुलाती भीतर, मैं, हाय, किसी की याद लिए फिरता हूँ !
उत्तर :
सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि रघुवीर सहाय की कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से लिया गया है। इस अंश में कवि ने दूरदर्शनकर्मियों की संवेदनहीन कार्य शैली पर प्रकाश डाला है।
व्याख्या-दूरदर्शन का उद्घोषक विकलांग व्यक्ति से कहेगा-अपने दुख के बारे में सोचकर हमें बताइए कि विकलांग होकर आपको कितना दुख होता है ? वह कोई उत्तर नहीं देता तो उद्घोषक स्वयं उसके दुःख का अभिनय करके संकेत से उसे बताएगा। फिर पूछेगा – आपको अपनी विकलांगता को देखकर ऐसा ही लगता है न? कोशिश कीजिए, उत्तर दीजिए।
क्या आप दूरदर्शन के लाखों-करोड़ों दर्शकों को अपना दुःख जताने का ऐसा बहुमूल्य मौका अपने हाथ से जाने देंगे? उद्घोषक दर्शकों को बताएगा कि तरह-तरह के प्रश्न पूछकर वह विकलांग व्यक्ति को रुलाना चाहता है। जिसे देखकर दर्शक भी रो पड़ें और कार्यक्रम सफल हो जाये। क्या दर्शक उसके रोने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह स्वगत कथन है और पूछा नहीं जायेगा।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (2 + 4 = 6)
सेवक-धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है- नाम है लछमिन अर्थात् लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृद्धि भक्तिन के कपाल की कुंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी। वैसे तो जीवन में प्रायः सभी को अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है; पर भक्तिन बहुत समझदार है, क्योंकि वह अपना समृद्धि-सूचक नाम किसी को बताती नहीं। केवल जब नौकरी की खोज में आई थी, तब ईमानदारी का परिचय देने के लिए उसने शेष इतिवृत्त के साथ यह भी बता दिया; पर इस प्रार्थना के साथ कि मैं कभी नाम का उपयोग न करूँ।
अथवा
बाज़ार में एक जादू है। वह जादू आँख की राह काम करता है। वह रूप का जादू है पर जैसे चुम्बक का जादू लोहे पर ही चलता है, वैसे ही इस जादू की भी मर्यादा है। जेब भरी हो, और मन खाली हो, ऐसी हालत में जादू का असर खूब होता है। जेब खाली पर मन भरा न हो, तो भी जादू चल जाएगा। मन खाली है तो बाजार की अनेकानेक चीजों का निमंत्रण उस तक पहुँच जाएगा। कहीं हुई उस वक्त जेब भरी तो फिर वह मन किसकी मानने वाला है!
मालूम होता है यह भी लूँ, वह भी लूँ। सभी सामान ज़रूरी और आराम को बढ़ाने वाला मालूम होता है। पर यह सब जादू का असर है। जादू की सवारी उतरी कि पता चलता है कि फैंसी चीजों की बहुतायत आराम में मदद नहीं देती, बल्कि खलल ही डालती है। थोड़ी देर को स्वाभिमान को जरूर सेंक मिल जाता है पर उससे अभिमान की गिल्टी की और खुराक ही मिलती है। जकड़ रेशमी डोरी की हो तो रेशम के मुलायम स्पर्श के कारण क्या वह कम जकड़ होगी?
उत्तर :
सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग-2′ में संकलित रेखाचित्र ‘भक्तिन’ से लिया गया है। इसकी लेखिका महादेवी वर्मा है।
व्याख्या-भक्तिन महादेवी जी की ऐसी अनन्य सेविका थी कि उसकी तुलना भगवान राम के सेवक हनुमान जी से की जा सकती थी। वह गायें पालने वाली स्त्री की पुत्री थी, जिसका नाम ज्ञात नहीं था। भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था। पर यह नाम उसकी आर्थिक स्थिति से मेल नहीं खाता था। वह निर्धन परिवार की स्त्री थी। महादेवी जी कहती हैं कि उनका ‘महादेवी’ नाम भी उनके जीवन से मेल नहीं खाता। इसे धारण करना और निभाना उनके लिए बड़ा कठिन है। भक्तिन के भाग्य में भी उसके नाम के अनुरूप कुछ नहीं था। वह एक नितान्त निर्धन वृद्धा थी।
संसार में प्रायः सभी के नाम, उनके रूप स्तर और व्यवहार के अनुसार नहीं होते। कंजूस व्यक्ति का नाम दानीराम हो सकता है और कर्कशा महिला का नाम सुशीला हो सकता है। भक्तिन इस मामले में चतुर है। वह अपना ‘लक्ष्मी’ नाम किसी को नहीं बताती। जब वह महादेवी जी के यहाँ नौकरी पाने के लिए आई थी तब उसने अपने सारे इतिहास के साथ अपने असली नाम को भी सच्चाई से बता दिया था। किन्तु उसने महादेवी जी से अनुरोध किया था कि वह उसे उसके वास्तविक नाम से न पुकारें।
प्रश्न 19.
राजस्थान के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कम्प्यूटर एवं अन्य उपकरणों की आपूर्ति हेतु निविदा तैयार कीजिए।
अथवा
निदेशक ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, विभाग, जयपुर राजस्थान की ओर से ‘प्रशासन गाँवों के संग अभियान’ के अन्तर्गत दो दिवसीय शिविर आयोजित होने की विज्ञप्ति तैयार कीजिए।
उत्तर :
राजस्थान सरकार
कार्यालय निदेशक, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, जयपुर क्रमांक-473
दिनांक-14 सितम्बर, 20_ _
निविदा सूचना
राजस्थान के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर एवं अन्य उपकरण सप्लाई करने हेतु पंजीकृत कंपनी से दिनांक 25 सितम्बर, 20_ _ तक निविदाएँ आमंत्रित की जाती हैं। निविदाप्रपत्र विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। प्राप्त निविदाएँ दिनांक 26 सितम्बर, 20_ _ को प्रातः 10:00 बजे उपस्थित निविदादाताओं के समक्ष खोली जायेंगी। विवरण इस प्रकार है-
शर्ते :
- निविदा को निरस्त करने का संपूर्ण अधिकार – अधोहस्ताक्षरकर्ता के पास सुरक्षित रहेगा।
- उपकरण मानक स्तर के अनुरूप न होने पर धरोहर राशि जब्त कर ली जायेगी।
- समस्त न्यायिक परिवादों का क्षेत्र जयपुर रहेगा।
ह.
निदेशक
आयुक्त
प्रश्न 20.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर सारगर्भित निबंध लिखिए। (शब्द सीमा 300 शब्द)
(1) उपभोक्तावाद और भारत की संस्कृति
(2) मोबाइल फोन : संचार क्रांति में योगदान
(3) राष्ट्रीय विकास में महिलाओं का योगदान
उत्तर :
उपभोक्तावाद और भारत की संस्कृति
रूपरेखा-
- प्रस्तावना,
- भारत की संस्कृति,
- उपभोक्तावाद,
- उदारवाद और आर्थिक सुधार,
- उपसंहार।
प्रस्तावना-संसार में अपने लिए तो सभी जीते हैं किन्तु क्या इसको जीवन कहा जा सकता है? जो दूसरों के हितार्थ अपना सुख-चैन त्याग सकता है, वास्तविक जीवन तो वही जी रहा है। व्यक्ति के हित से सामाजिक तथा राष्ट्रीय हित को ऊपर मानना ही समाजवाद है। समाजवाद में संग्रह नहीं त्याग-बलिदान
को ही महत्वपूर्ण माना गया है।
आत्मवत् सर्वभूतानि यः पश्यति सः पण्डितः। विद्या सभी को सुशिक्षित और ज्ञानी बनाने तथा धन दूसरों को दान देने के लिए होता है। इस प्रकार परमार्थ ही भारतीय संस्कृति का लक्ष्य है। यहाँ व्यापार धन कमाकर धनवान् बनने के लिए नहीं किया जाता, समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। भारतीय संस्कृति में शक्ति दूसरों की रक्षा के लिए होती है उत्पीड़न के लिए नहीं।।
उपभोक्तावाद – उपभोक्तावाद क्या है? आज विश्व की अर्थव्यवस्था ‘पूँजी’ केन्द्रित है। उद्योग-व्यापार का लक्ष्य अधिक से अधिक धभोपार्जन है। इस धनोपार्जन का जोर माध्यम पर नहीं है, साधन उचित या अनुचित कोई भी
हो सकता है, बस, वह धन कमाने में सहायक होना चाहिए। उपभोक्ता वह व्यक्ति है जो उद्योग में हुए उत्पादन का प्रयोग करता है। उसको अधिक से अधिक उत्पादन खरीदने को प्रोत्साहित किया जाता है। पुराने आदर्श आवश्यकताएँ कम से कम रखने के स्थान पर आज अधिक-से-अधिक आवश्यकताएँ रखना और उनकी पूर्ति करना सुखी होने के लिए जरूरी है। ऐसी स्थिति में इन्द्रिय दमन और मन के नियन्त्रण की बात ही बेमानी है।
उदारवाद और आर्थिक सुधार-उदारवाद या आर्थिक सुधार पूँजीवाद का नया स्वरूप है। सरकार की यह आर्थिक नीति ऊपर से बड़ी जन हितकारी और सुन्दर लगती है। आर्थिक सुधार तथा उदारवाद के नाम पर पूँजीपतियों को और अधिक सम्पन्न तथा गरीब को और अधिक गरीब बनाया जा रहा है। यह नई पूँजीवादी अर्थव्यवस्था भारतीय जनता (90 प्रतिशत) के शोषण का कारण है। इससे भारतीय समाज में आर्थिक असन्तुलन बढ़ेगा। गरीब और अधिक गरीब तथा अमीर और ज्यादा अमीर होगा।
उपसंहार-भारत एक जनतांत्रिक देश है। जनतंत्र में जनता का हित ही सर्वोपरि होता है। जनता किसी भी देश की जनसंख्या के 90-95 प्रतिशत लोगों को कहते हैं। इनमें किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, छोटे व्यापारी आदि लोग होते हैं। जब तक इनके हित को महत्व नहीं मिलेगा, तब तक कोई आर्थिक नीति कारगर नहीं हो सकती। विदेशी कर्ज से सम्पन्नता का सपना देखना बुद्धिमानी नहीं है। गाँधीजी पागल नहीं थे जो स्वदेशी उद्योगों के पक्षधर थे। गाँधीजी के अनुयायी नेताओं को कम से कम इस बात का ध्यान तो रखना ही चाहिए।
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