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RBSE 12th Hindi Sahitya Model Paper Set 7 with Answers

April 8, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Hindi Model Papers Set 7 with Answers provided here.

RBSE Class 12 Hindi Sahitya Model Paper Set 7 with Answers

समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :

  • परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न – पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  • सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  • प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर – पुस्तिका में ही लिखें।
  • जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

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खण्ड – (अ)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में कोष्ठक में लिखिए – (6 x 1 = 6)

शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब-कुछ कोमल है! यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत होते हैं कि नए फूलों के निकल आने पर भी अपना स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नए फल-पत्ते मिलकर, धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसंत के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्प-पत्र से मर्मरित होती रहती है, शिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की याद आती है, जो किसी प्रकार जमाने का रुख नहीं पहचानते और जब तक नई पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं। मैं सोचता हूँ कि पुराने की यह अधिकार-लिप्सा क्यों नहीं समय रहते सावधान हो जाती? जरा और मृत्यु, ये दोनों ही जगत् के अतिपरिचित और अतिप्रामाणिक सत्य हैं। तुलसीदास ने अफसोस के साथ इनकी सच्चाई पर मुहर लगाई थी- ‘धरा को प्रमान यही तुलसी जो फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना!’ मैं शिरीष के फूलों को देखकर कहता हूँ कि क्यों नहीं फलते ही समझ लेते बाबा कि झड़ना निश्चित है ! सुनता कौन है ?

(i) लेखक ने कवियों की भूल बताई है
(अ) शिरीष के फलों को कोमल मानना
(ब) शिरीष का सब कुछ कोमल मानना
(स) शिरीष के फूलों को सुन्दर मानना
(द) शिरीष के फूलों को बेकार मानना।
उत्तर :
(ब) शिरीष का सब कुछ कोमल मानना

(ii) बढे सोया गया है
(अ) वसन्त के समान
(ब) शिरीष के पुराने फल के समान
(स) वनस्थली के पुष्प के समान
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर :
(ब) शिरीष के पुराने फल के समान

(iii) लेखक के अनुसार चिर-परिचित प्रामाणिक सत्य है
(अ) बचपन और जवानी
(ब) जन्म और मृत्यु
(स) बुढ़ापा और मृत्यु
(द) जवानी और बुढ़ापा।
उत्तर :
(स) बुढ़ापा और मृत्यु

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(iv) ‘प्रमान’ शब्द का तत्सम शब्द होगा
(अ) परिमाण
(ब) प्रमाण
(स) प्रामाणिक
(द) परमान।
उत्तर :
(ब) प्रमाण

(v) उपर्युक्त गद्यांश का निम्नलिखित शीर्षकों में से उचित शीर्षक होगा-
(अ) शिरीष
(ब) धरा का प्रमान
(स) वसन्त का आगमन।
(द) शिरीष की अधिकार लिप्सा।
उत्तर :
(अ) शिरीष

(vi) गद्यांश में किस कवि का नाम आया है
(अ) कबीर
(ब) सूरदास
(स) केशवदास
(द) तुलसीदास।
उत्तर :
(द) तुलसीदास।

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निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर : अपनी उत्तर : पुस्तिका में कोष्ठक में लिखिए – (6 x 1 = 6)

आओ मिलें सब देश बांधव हार बनकर देश के
साधक बनें सब प्रेम से सुख शांतिमय उद्देश्य के।
क्या साम्प्रदायिक भेद से है ऐक्य मिट सकता अहो ?
बनती नहीं क्या एक माला विविध सुमनों की कहो।
रक्खो परस्पर मेल, मन से छोड़कर अविवेकता,
मन का मिलन ही मिलन है, होती उसी से एकता।
सब बैर और विरोध का बल-बोध से वारण करो।
है भिन्नता में खिन्नता ही, एकता धारण करो।
है कार्य ऐसा कौन-सा साधे न जिसको एकता,
देती नहीं अद्भुत अलौकिक शक्ति किसको एकता।
दो एक एकादश हुए किसने नहीं देखे सुने,
हाँ, शून्य के भी योग से हैं अंक होते दश गुने।

(i) कवि किस प्रकार देशवासियों से मिलने की बात कह रहा है ?
(अ) विविध पुष्पों के हार के रूप में
(ब) सुख-शान्ति प्राप्त करने के लिए
(स) संगठित हो जाने के लिए
(द) फूलों का हार भेंट करके।
उत्तर :
(अ) विविध पुष्पों के हार के रूप में

(ii) देशवासियों के लिए एकता ही वरेण्य है, क्योंकि
(अ) एकता से अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है
(ब) एकता से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं
(स) देश में एकता स्थायी नहीं रह सकती
(द) (i) व (ii) दोनों ही।
उत्तर :
(द) (i) व (ii) दोनों ही।

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(iii) साम्प्रदायिक विविधता की तुलना की है।
(अ) देश में अनेक सम्प्रदाय फैले हैं।
(ब) अनेक प्रकार के फूलों से बनी माला से
(स) धर्म-सम्प्रदाय सुन्दर फूलों जैसे हैं
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(ब) अनेक प्रकार के फूलों से बनी माला से

(iv) ‘दो एक एकादश हुए’ पंक्ति मुहावरे का काव्यात्मक प्रयोग है, वह मुहावरा है
(अ) दो और दो चार होते हैं
(ब) एक और एक ग्यारह होते है,
(स) दो और एक एकादश होते हैं
(द) संगठन से ताकत आती है।
उत्तर :
(ब) एक और एक ग्यारह होते है,

(v) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक नीचे लिखे विकल्पों से छाँटिए
(अ) फूलों का हार
(ब) अनेकता में एकता
(स) देश-बांधव
(द) साम्प्रदायिक सदभाव।
उत्तर :
(ब) अनेकता में एकता

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(vi) “विवेकता’ का विपरीतार्थक शब्द पद्यांश में आया है
(अ) विवेकशील
(ब) अविवेकशील
(स) बुद्धिमान
(द) अविवेकता।
उत्तर :
(द) अविवेकता।

प्रश्न 2.
दिए गए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए – (6 x 1 = 6)

(i) ‘होगी जय, होगी जय, हे पुरुषोत्तम नवीन’ में ………………………………………. नामक काव्य गुण है।
उत्तर :
ओज

(ii) करके याद आज इस जन को निश्चय वे मुसकाए।’ पंक्ति में ………………………………………. दोष है। 1
उत्तर :
च्युत संस्कृति

(iii) कुण्डलियाँ छन्द के पहले दो चरणों में ………………………………………. मात्राएँ होती हैं।
उत्तर :
24

(iv) मनहरण कवित्त छंद के प्रत्येक चरण में ………………………………………. वर्ण होते हैं।
उत्तर :
31

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(v) दक्षिण में रहकर भी मैं उत्तर : का अभिलाषी हूँ।’ पंक्ति में ………………………………………. अलंकार है।
उत्तर :
श्लेष

(vi) काली घटा का घमण्ड घटा, नभ मंडल तारक वन्द खिले। पंक्ति में ………………………………………. अलंकार है।।
उत्तर :
यमक

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द-सीमा 20 शब्द है। (12 x 1 = 12)

(i) भजन कयौ तासों भज्यौ, भज्यौ न एकौ बार। दूरिभजन जासों कयौ, सो तैं भज्यौ गँवार।।” इस दोहे में स्थित अलंकार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस दोहे में यमक अलंकार की योजना हुई है क्योंकि ‘भजन’ तथा ‘भज्यों’ शब्दों का एकाधिकार बार भिन्न अर्थों में प्रयोग हुआ है।

(ii) ‘हलधर के प्रिय हैं सदा केशव और किसान।’ इस पंक्ति में निहित अलंकार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस पंक्ति में हलधर’ शब्द के ‘बलराम’ तथा ‘बैल’ अर्थ हैं। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।

(iii) खेल बीट किसे मिलती है ?
उत्तर :
खेल बीट विशेषज्ञता की अपेक्षा रखने वाला खेल बीट पाने का पात्र होता है।

(iv) पत्रकारिता के अंतर्गत विशेष लेखन में किस प्रकार के पत्रकार की आवश्यकता होती है?
उत्तर :
पत्रकारिता के अंतर्गत ‘किसी एक विषय में विशेषज्ञता’ आवश्यक है, आज master of one की माँग हो रही है।

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(v) विशेषीकृत रिपोर्टिंग में हमें किन बातों पर ध्यान देना होता है ?
उत्तर :
सम्बन्धित विषय की गहरी जानकारी के साथ लेखक को अपने पाठकों या दर्शकों की अभिरुचि, समझ का स्तर और भाषा-शैली आदि पर भी ध्यान देना होता है।

(vi) आधुनिक भारत के नए शरणार्थी किनको कहा गया है?
उत्तर :
आधुनिक भारत के नए शरणार्थी नवागाँव क्षेत्र से विस्थापित लोगों को कहा गया है।

(vii) शुक्ल जी के समवयस्क मित्रों की हिन्दी प्रेमी मंडली का नाम लोगों ने क्या रख दिया था?
उत्तर :
शुक्ल जी के समवयस्क मित्रों की हिन्दी प्रेमी मंडली का नाम लोगों ने निस्संदेह लोग रख दिया था।

(vii) कवि ने बनारस’ कविता में किसकी विशेषता का वर्णन किया है?
उत्तर :
कवि ने ‘बनारस’ कविता में बनारस के गरीबों, नदी, घाटों, मंदिरों और गंगा नदी की विशेषताओं का वर्णन किया है।

(ix) सरोज को श्रद्धांजलि के रूप में कवि क्या समर्पित करता है?
उत्तर :
सरोज को श्रद्धांजलि के रूप में कवि पुण्य कर्मों का फल समर्पित करता है।

(x) कविता लेखन के सन्दर्भ में कितने मत हैं?
उत्तर :
कविता लेखन के सन्दर्भ में दो मत हैं।

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(xi) नाटककार एक सफल सम्पादक होना चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नाटककार को सम्पादक इसलिए होना चाहिए क्योंकि उसको जो कथ्य कहानी में निहित है उसके अनुरूप दृश्य तैयार करना आना चाहिए।

(xii) कहानी के चरित्र विकास में संवाद योजना का योगदान लिखिए।
उत्तर :
कहानी के मूल में चरित्र ही होते हैं। बिना चरित्रों के कहानी की कल्पना नहीं की जा सकती। इन चरित्रों का विकास आपस के संवादों से ही संभव होता है।

खण्ड – (ब)

निर्देश–प्रश्न सं 04 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द सीमा 40 शब्द है।

प्रश्न 4.
पूर्णकालिक पत्रकार किसे कहते हैं ? उसके कार्यों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
पूर्णकालिक पत्रकार को संवाददाता या रिपोर्टर भी कहते हैं, वह किसी समाचार संगठन का वेतनभोगी कर्मचारी होता है। वह पूरे समय अखबार में काम करता है तथा निश्चित वेतन पाता है और अपने स्वामी द्वारा निर्दिष्ट क्षेत्र या बीट में जाकर समाचार हेतु अपेक्षित तथ्य एकत्र करता है, महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों का साक्षात्कार लेता है एवं किसी घटना स्थल के शब्द चित्र के रूप में रिपोर्ताज आदि लिखता है।

प्रश्न 5.
अच्छा लेख लिखते समय ध्यान रखने योग्य कोई चार शर्ते लिखिए।
उत्तर :

  • लेखक के विचार तथ्यों और सूचनाओं पर आधरित हों।
  • लेख लिखने के लिए विषय की पूरी जानकारी आवश्यक है।
  • किसी भी विषय पर लेख लिखने से पहले उसकी पृष्ठभूमि सामग्री जुटानी चाहिए।
  • लेख लिखने की शुरुआत ऐसे विषय से करनी चाहिए जिस पर अच्छी पकड़ और जानकारी हो।

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प्रश्न 6.
किस सरकारी घोषणा को सुनकर अमझर गाँव के आम के वृक्षों ने फल देना बंद कर दिया और क्यों? 2
उत्तर :
जब से यह सरकारी घोषणा हुई कि अमरौली प्रोजेक्ट के अन्तर्गत नवागाँव के अनेक गाँव. उजाड़ दिए जाएँगे तब से अमझर गाँव के आम के वृक्षों पर सूनापन है, उनमें कोई फल नहीं आता है। आदमी उजड़ेगा तो पेड़ जीवित रहकर क्या करेंगे? आदमी के विस्थापन के विरोध में पेड़ भी जैसे मूक सत्याग्रह कर रहे है।

प्रश्न 7.
सब जाति फटी दुख की दुपटी कपटी न रहै जहँ एक घटी। इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति में लक्ष्मण जी पंचवटी के वातावरण की प्रशंसा करते हुए उर्मिला से कहते हैं कि वहाँ का वातावरण इतना सुंदर है कि वहाँ पहुँचते ही लोगों का दुःख दूर हो जाता है। अगर किसी व्यक्ति के मन में कोई बुरी भावना और छल-कपट हो भी तो वह खत्म हो जाता है।

प्रश्न 8.
विष्णु खरे अथवा विद्यापति में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय लिखिए।
उत्तर :
साहित्यिक परिचय – भाव – पक्ष – विष्णु खरे कवि, लेखक और अनुवादक हैं। कवि के रूप में वह जनता की समस्याओं से जुड़े हैं। अपनी कविताओं में अपनी भाषा के माध्यम से अभ्यस्त जड़ताओं और अमानवीय स्थितियों के विरुद्ध एक शक्तिशाली नैतिक विरोध को अभिव्यक्ति प्रदान की है।

कला – पक्ष – विष्णु खरे की भाषा सशक्त और वर्ण्य – विषय के अनुकूल है। आपने तत्सम शब्दों के साथ ही बोलचाल के प्रचलित शब्दों को अपनाया है। आपकी भाषा में प्रवाह है तथा भाव – व्यंजना के लिए सर्वथा उपयुक्त है। आपने मुक्त छन्द को अपनाया है तथा जो अलंकार स्वाभाविक रूप से आ गये हैं उनको अपनी कविताओं में स्थान दिया है। कवि ने लक्षणा, बिम्ब विधान तथा पौराणिक सन्दर्भो और पात्रों का भी सहारा लिया है।

प्रमुख कृतियाँ –

  • मरु प्रदेश और अन्य कविताएँ (1960) – टी. एस. इलियट की कविताओं का अनुवाद
  • एक गैर रूमानी समय में (1970) – कविता संग्रह
  • खुद अपनी आँख से (1978) कविता संग्रह
  • सबकी आवाज के परदे में (1994) कविता संग्रह
  • पिछला बाकी – कविता संग्रह।

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प्रश्न 9.
“संवाद पहुँचाने का काम सभी नहीं कर सकते। आदमी भगवान के घर से संवदिया बनकर आता है।” क्या आप कहानीकार के इस कथन से सहमत हैं ?
उत्तर :
संवाद पहुँचाने का काम प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है। अवसर पड़ने पर तथा इसकी शिक्षा मिलने पर हर व्यक्ति कुशल संवदिया हो सकता है। भगवान किसी को संवदिया बनाकर नहीं भेजता। संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक व्यक्ति वातावरण और परिस्थितियों से प्रभावित होता है। वह बहुत से काम अपने अनुभव से भी करता है। अतः इस कथन से सहमत होने का प्रश्न ही नहीं है।

प्रश्न 10.
‘सखि अनकर दुख दारुन रे जग के पतिआए’ के द्वारा नायिका क्या कहना चाहती है?
उत्तर :
विरहिणी नायिका प्रिय (श्रीकृष्ण) के परदेश (मथुरा) चले जाने से अत्यन्त व्याकुल है, उसे चैन नहीं पड़ता। वह अपनी दारुण वेदना सखी से कहती है और यह भी कहती है कि दूसरा व्यक्ति उसके दुःख को तभी समझ सकता है जब वह इस पीड़ा से स्वयं गुजरा हो। अर्थात् ‘जाके पांव न फटी बिवाई सो का जाने पीर पराई।’ मेरे (नायिका के) विरह दुःख को कोई भुक्तभोगी ही जान सकता है अन्यथा संसार के लोगों की तो यह सामान्य प्रवृत्ति है कि वे दूसरे के दारुण दु:ख की कथा पर विश्वास नहीं करते।।

प्रश्न 11.
निर्मल वर्मा अथवा रामचन्द्र शुक्ल में से किसी एक साहित्यकार का साहित्यिक परिचय लिखिए।
उत्तर :
साहित्यिक परिचय – हिन्दी के कथा – साहित्य के क्षेत्र में वर्मा जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। वे नयी कहानी आन्दोलन के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर माने जाते हैं।

निर्मल वर्मा की भाषा सशक्त, प्रभावपूर्ण और कसावट से युक्त है। उनकी भाषा में उर्दू और अंग्रेजी भाषाओं के शब्दों को स्थान मिला है। उन्होंने मिश्र और संयुक्त वाक्यों को प्रधानता दी है। शब्द – चयन स्वाभाविक है।

वर्मा जी ने वर्णनात्मक तथा विवरणात्मक शैलियों को अपनी रचनाओं में अपनाया है। आपके निबन्धों में विवेचनात्मक शैली को भी स्थान मिला है। कहानियों तथा उपन्यासों में संवाद शैली, मनोविश्लेषण शैली, व्यंग्य शैली आदि को भी लेखक ने यथास्थान अपनाया है।

कृतियाँ –
(क) कानी – संग्रह – परिंदे, जलती झाड़ी, तीन एकांत, पिछली गरमियों में, कव्वे और काला पानी, सूखा तथा अन्य कहानियाँ।
(ख) उपन्यास – वे दिन, लाल टीन की छत आदि।
(ग) यात्रा संस्मरण – हर बारिश में, चीड़ों पर चाँदनी, धुंध से उठती धुन।
(घ) निबन्ध – संग्रह शब्द और स्मृति, कला का जोखिम तथा ढलान से उतरते हुए। आपको सन् 1985 ई. में साहित्य अकादमी पुरस्कार (कव्वे और काला पानी) तथा सन् 1999 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

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प्रश्न 12.
‘भाई से मिलकर कैसा लगा, रूप ?’ शेखर ने एकान्त में पूछा- “भाई? बस थोड़ी-सी ही धुंध छंटी है अभी।” इस संवाद में धुंध का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
रूप सिंह ग्यारह वर्ष बाद अपने गाँव लौटा था। वहाँ उसकी भेंट बड़े भाई भूप सिंह से हुई। वह उसे घर ले गये। दूसरे दिन सवेरे शेखर ने रूप से यह प्रश्न किया। इस संवाद में धुंध का तात्पर्य ग्यारह वर्ष के लम्बे समय से है। धुंध किसी वस्तु को देखने में बाधक होती है। लम्बा अलगाव भी दो लोगों के सम्बन्धों में रुकावट बन जाता है। शेखर इससे सहमत था। उसने कहा – भाई तक पहुँचने के लिए उसे समय की इस बाधा को दूर करना पड़ेगा।

प्रश्न 13.
‘चूल्हा ठंडा किया होता तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता’-यह कथन किसका है और इसका आशय क्या है ?
उत्तर :
यह कथन नायकराम का है। जगधर के पूछने पर नायकराम ने व्यंग्यपूर्वक यह बात कही थी कि चूल्हा ठंडा किया होता तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता। इस कथन का आशय यह है कि सूरदास के किसी शत्रु ने ईर्ष्या के कारण उसकी झोंपड़ी जलाई है। झोंपड़ी जलाकर वह अपने मन की शत्रुता की आग को ठंडा करना चाहता था।

प्रश्न 14.
रूप सिंह का अपने साथ नीचे जाकर रहने का प्रस्ताव भूप दादा ने क्यों स्वीकार नहीं किया?
उत्तर :
भूप दादा को रूपसिंह का यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं था कि वह नीचे जाकर उसके साथ रहें। रूप पहले ही घर छोड़कर चला गया था। माँ, बाबा, शैला सभी मर गए थे। महीप भी छोड़कर चला गया। उसने उनकी कोई खोज – खबर नहीं ली थी। गाँव वालों ने भी भूप की कोई सहायता नहीं की थी। सारे कष्ट भूप ने अकेले ही झेले थे। वे किसी की सहायता नहीं चाहते थे। वे आत्म – सम्मान को खोना नहीं चाहते थे। उन्होंने रूप से कहा कि वह उनकी खुद्दारी को बखस दे। अब जिन्दा रहते न बैल उतर सकते न हम।

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प्रश्न 15.
लेखक के लिए त्रासदायी प्रतीति क्या है ? ‘अपना मालवा-खाऊ-उजाडू सभ्यता में’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
लेखक सब नदियाँ, तालाब तथा ताल – तलैया और जलाशय देखना चाहता था। उसे याद आया कि अब वह सत्तर साल का वृद्ध हो चुका है, किशोर नहीं है। इस आयु में पहाड़ों पर चढ़ना तथा नदी – नालों को पार करना संभव नहीं होगा। उसमें इतनी शक्ति भी नहीं कि घास पर लेटकर लुढ़क सके। यह याद आते ही उसका मन दुखी हो उठा। यह उसके लिए त्रासदायी प्रतीति थी। उसकी सब नदियों आदि को देखने की इच्छा पूरी नहीं हो सकती थी।

खण्ड – (स)

प्रश्न 16.
‘प्रेमघन की छाया स्मृति’ संस्मरण में लेखक ने चौधरी साहब के व्यक्तित्व के किन-किन पहलुओं को उजागर किया है ? (उत्तर सीमा 60 शब्द) 3
अथवा
“हे ईश्वर ! उसने कब सोचा था कि मनोकामना का मौन उद्गार इतनी शीघ्र शुभ परिणाम दिखाएगा।’ – ‘दूसरा देवदास’ के आधार पर आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
यह संस्मरण भारतेंदु मंडल के प्रमुख कवि चौधरी बदरीनारायण ‘प्रेमघन’ के बारे में है जिसमें उनके व्यक्तित्व के निम्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है –

  • हिन्दुस्तानी रईस – उपाध्याय बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ एक अच्छे – खासे हिन्दुस्तानी रईस थे और उनके स्वभाव में वे सभी विशेषताएँ थीं जो रईसों में होती हैं।
  • भारतेंदुमंडल के कवि – प्रेमघन, भारतेंदु मंडल के कवि थे और भारतेंदु जी के मित्रों में उनकी गिनती थी। वे मिर्जापुर में रहते थे और उनके घर पर साहित्यिक गोष्ठियों आदि होती रहती थीं।
  • अपूर्व वचन भंगिमा – प्रेमघन जी की बातचीत का ढंग उनके लेखों के ढंग से एकदम भिन्न था। जो बातें उनके मुख से निकलती थीं उनमें एक विलक्षण वक्रता रहती थी। नौकरों तक के साथ उनका संवाद सुनने लायक होता था।
  • मौलिक विचारक – प्रेमघन जी मौलिक विचारक थे और उनके विचारों में दृढ़ता रहती थी। नागरी को वे लिपि न मानकर भाषा मानते थे।
  • वे मिर्जापुर को ‘मीरजापुर’ लिखते थे और उसका अर्थ करते थे – मीर = समुद्र, जा = पुत्री + पुर अर्थात् समुद्र की पुत्री = लक्ष्मी, अतः मीरजापुर = लक्ष्मीपुर।

प्रश्न 17.
‘देवसेना का गीत’ कविता में देवसेना की निराशा के कारणों पर प्रकाश डालिए। (उन्नर-सीमा (4) शब्द) 3
अथवा
‘मुझ भाग्यहीन की तू संबल’ निराला की यह पंक्ति क्या -बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाना’ जैसे कार्य न की माँग करती है?
उत्तर :
देवसेना की निराशा के कई कारण हैं जिनमें दो कारण मुख्य हैं। प्रथम तो हूणों के आक्रमण के कारण उसके भाई बन्धुवर्मा एवं परिवार के सदस्यों को वीरगति प्राप्त हुई और जीवनभर अकेली रहकर उसे संघर्ष करना पड़ा। दूसरा मुख्य कारण यह था कि वह स्कन्दगुप्त से प्रेम करती थी परन्तु उसे स्कन्दगुप्त का प्रेम प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि वह विजया से प्रेम करता था। जब स्कन्दगुप्त ने उसके सामने प्रेम प्रस्ताव रखा तब तक वह आजीवन अविवाहित रहने का व्रत ले चुकी थी। स्कन्दगुप्त के व्यवहार के कारण वह निराश हो गई थी। अकेली रहने के कारण उसे लोगों की कुदृष्टि का सामना करना पड़ा। स्कन्दगुप्त की उपेक्षा के कारण उसे भीख मांगने का कार्य भी करना पड़ा। इसी से वह जीवन में हार गई और निराश हो गई थी।

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प्रश्न 18.
सैलानी (शेखर और रूप सिंह) घोड़े पर चलते हुए उस लड़के के रोज़गार के बारे में सोच रहे थे जिसने उनको, घोड़े पर सवार कर रखा था और स्वयं पैदल चल रहा था। क्या आप भी बाल-मजदूरों के बारे में सोचते हैं ? (उत्तर सीमा 80 शब्द) 4
अथवा
सूरदास जगधर से अपनी आर्थिक हानि को गुप्त क्यों रखना चाहता था ? (उत्तर सीमा 80 शब्द) 4
उत्तर :
शेखर कपूर और रूपसिंह हिमांग पहाड़ की तलहटी में स्थित गाँव माही जा रहे थे। दोनों घोड़ों पर सवार थे। लड़का महीप उनको घोड़ों पर बैठाकर ले जा रहा था और स्वयं शेखर के घोड़े को पकड़कर आगे – आगे पैदल चल रहा था। वे सोच रहे थे कि इतनी छोटी उम्र में उसे घोड़ों पर मुसाफिरों को पहाड़ी स्थानों पर लाने ले जाने का जोखिम भरा – कठिन काम करना पड़ रहा है।पिट के लिए क्या क्या करना पड़ता है?

बर्फ गिरने के दिनों में यह क्या काम करता होगा? इसके परिवार में और कौन – कौन लोग होंगे? इत्यादि। हमारी दृष्टि में भारत में अनेक बच्चों को अपना बचपन पेट भरने के लिए पैसा कमाने में गवाना पड़ता है। स्कूल जाकर पढ़ने, खेलने कूदने और निश्चित होकर घूमने की उम्र उनको कठोर श्रम करने में बितानी पड़ती है। भारत में बाल मजदूरी की समस्या अत्यन्त विकट है।

गैर – कानूनी होने पर भी यह आज भी प्रचलित है, जिसका कारण गरीबी है। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार के साथ ही हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। कोरी सहानुभूति का प्रदर्शन उचित नहीं है।

खण्ड – (द)

प्रश्न 19.
निम्नलिखित पठित काव्यांशों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए – (1 + 4 = 5)

सिंधु तर्यो उनको बनरा तुम पै धनुरेख गई न तरी।
बाँधोई बाँधत सो न बन्यो उन बारिधि बाँधिकै बाट करी।
श्रीरघुनाथ-प्रताप की बात तुम्हें दसकंठ न जानि परी।
तेलनि तूलनि पूँछि जरी न जरी, जरी लंक जराइ-जरी।।
अथवा
जब हम सत्य को पुकारते हैं
तो वह हमसे परे हटता जाता है
जैसे गुहारते हुए युधिष्ठिर के सामने से
भागे थे विदुर और भी घने जंगलों में
सत्य शायद जानना चाहता है
कि उसके पीछे हम कितनी दूर तक भटक सकते हैं।
कभी दिखता है सत्य
और कभी ओझल हो जाता है
और हम कहते रह जाते हैं कि रुको यह हम हैं
जैसे धर्मराज के बार-बार दुहाई देने पर
कि तहरिए स्वामी विदुर
यह मैं हूँ आपका सेवक कुंतीनंदन युधिष्ठिर
वे नहीं ठिठकते
उत्तर :
सन्दर्भ – प्रस्तुत छन्द केशवदास द्वारा रचित ‘रामचन्द्र चन्द्रिका’ के ‘अंगद – रावण संवाद’ से लिया गया है। इसे हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘अन्तरा भाग – 2’ में ‘रामचंद्रचंद्रिका’ शीर्षक से संकलित किया गया है।

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प्रसंग – अंगद जब रावण की सभा में पहुँचा तो रावण ने उससे पूछा कि तू कौन है? अंगद ने अपना परिचय राम के दूत के रूप में दिया तब रावण कहने लगा कि ये राम कौन हैं ? उनका प्रताप क्या है? रावण के ऐसा कहने पर अंगद समझ गया कि यह राम को नीचा दिखाने के लिए ऐसा कह रहा है अतः उसी की भाषा में उत्तर देते हुए अंगद ने जो कहा, उसका वर्णन इस छन्द में कवि ने किया है।

व्याख्या – अंगद रावण से कहने लगा। तू राम के आगे कहीं नहीं ठहरता। कहाँ राम और कहाँ तू? देख, उनका तो छोटा – सा वानर (हनुमान) इतने बड़े समुद्र को लांघकर लंका में आ धमका और तुम धनुष की उस रेखा को भी नहीं लांघ पाए जो लक्ष्मण जी ने सीता की कुटी के चारों ओर खींच दी थी। अब तू ही बता तेरी और उनकी क्या बराबरी? तुम लोगों ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर उनके वानर हनुमान को बाँधने का प्रयास किया, पर उसे बाँध नहीं पाए और उन्होंने समुद्र पर पुल बाँधकर अपनी सेना के लिए रास्ता बना दिया। अब भी तुम्हें श्री राम के प्रताप का बोध नहीं हुआ ?

अरे रावण तुम तो दसकंठ कहे जाते हो, तुम्हारे अन्दर तो ज्यादा बुद्धि होनी चाहिए थी पर तुम दस सिरों वाले होकर भी मूर्ख रहे जो मुझसे श्री राम के प्रताप के बारे में पूछ रहे हो। हनुमान की पूँछ को तेल और रुई लगाकर तुम लोगों ने जलाने का पूरा प्रयास किया पर उसे नहीं जला पाए। हाँ, इस प्रयास में तुम्हारी हीरे – मोती से जड़ी सोने की लंका अवश्य जल गई। हे रावण! यह राम का ही तो प्रताप है और तुम मुझसे पूछ रहे हो कि राम का प्रताप क्या है, क्या अब भी तुम्हें राम का प्रताप समझ में नहीं आया।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित पठित गद्यांशों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (1 + 4 = 5)

जिस गाँव में भद्रमथ का शिलालेख हो सकता है वहाँ संभव है और भी शिलालेख हों। अतः मैं हजियापुर जो कौशाम्बी से केवल चार-पाँच मील था, गया और मैंने गुलजार मियाँ के यहाँ डेरा डाल दिया। उसके भाई को, जो म्युनिसिपैलिटी में नौकर था, साथ ले लिया था। गुलजार मियाँ के मकान के ठीक सामने उन्हीं का एक निहायत पुख्ता सजीला कुँआ था। चबूतरे के ऊपर चार पक्के खम्भे थे जिनमें एक से दूसरे तक अठपहल पत्थर की बँडेर पानी भरने के लिये गड़ी हुई थी। सहसा मेरी दृष्टि एक बँडेर पर गई जिसके एक सिरे से दूसरे सिरे तक ब्राह्मी अक्षरों में एक लेख था।
अथवा
किन्तु कोई भी प्रदेश आज के लोलुप युग में अपने अलगाव में सुरक्षित नहीं रह सकता। कभी-कभी किसी इलाके की संपदा ही उसका अभिशाप बन जाती है। दिल्ली के सत्ताधारियों और उद्योगपतियों की आँखों से सिंगरौली की अपार खनिज संपदा छिपी नहीं रही। विस्थापन की एक लहर रिहंद बाँध बनने से आई थी, जिसके कारण हजारों गाँव उजाड़ दिए गए थे। इन्हीं नयी योजनाओं के अन्तर्गत सेंट्रल कोल फील्ड और नेशनल सुपर थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन का निर्माण हुआ। चारों तरफ पक्की सड़कें और पुल बनाए गए। सिंगरौली जो अब तक अपने सौन्दर्य के कारण ‘बैकुंठ’ और अपने अकेलेपन के कारण ‘काला पानी’ माना जाता था, अब प्रगति के मानचित्र पर राष्ट्रीय गौरव के साथ प्रतिष्ठित हुआ।
उत्तर :
संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ ब्रजमोहन व्यास जी की आत्मकथा के अंश ‘कच्चा चिट्ठा’ से ली गई हैं। यह पाठ हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘अंतरा भाग – 2’ में संकलित है।

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प्रसंग – हजियापुर गाँव में भद्रमथ का शिलालेख मिला, यह जानकर व्यास जी ने सोचा कि यहाँ और भी शिलालेख मिल सकते हैं। यह सोचकर उन्होंने गाँव में गुलजार मियाँ के घर डेरा डाल दिया। उनके कुँए की एक बँडेर ब्राह्मी अक्षरों से लिखी मिली जिसे उन्होंने अपने संग्रहालय के लिए निकलवा लिया।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब हजियापुर में भद्रमथ का शिलालेख मिला तभी उनको लगा कि यहाँ पुरातात्विक महत्त्व के और भी शिलालेख हो सकते हैं। उनकी खोज में लेखक ने हजियापुर गाँव में जो कौशाम्बी से चार – पाँच मील की दूरी पर है, गुलजार मियाँ के यहाँ डेरा डाल दिया। उसके साथ गुलजार मियाँ का छोटा भाई था जो इलाहाबाद नगरपालिका में नौकर था।

गुलजार मियाँ के घर के ठीक सामने एक पुराना पक्का कुँआ था जिस पर चार खम्भे थे और चारों खम्भों को आपस में बँडेरों से जोड़ा गया था। इनमें से एक बँडेर पर व्यास जी (लेखक) को ब्राह्मी अक्षरों में एक सिरे से दूसरे सिरे तक कुछ लिखा हुआ दिखा।

यह देखकर उनकी तबियत फड़क उठी और गुलजार मियाँ ने वह बँडेर संग्रहालय के लिये तुरंत निकलवा दी। पुरातात्विक महत्त्व के उस शिलालेख (बँडेर, जिस पर लेख अंकित था) को संग्रहालय के लिए पाकर व्यास जी को लगा कि भद्रमथ का जो शिलालेख उन्हें नहीं मिल पाया था, उसकी क्षतिपूर्ति हो गई और यहाँ आना सार्थक हो गया।

प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 400 शब्दों में सारगर्भित निबंध लिखिए –
(अ) वरिष्ठ नागरिकों की समस्या
(ब) जनतंत्र और मीडिया
(स) परमाणु शक्ति और भारत
(द) कम्प्यूटर की उपयोगिता
(य) भारतीय भ्रमण
उत्तर :
(अ) वरिष्ठ नागरिकों की समस्या

प्रस्तावना – आजकल वयोवृद्ध, सेवानिवृत्त लोगों को एक सम्मानजनक नाम वरिष्ठ नागरिक दिया गया है। लगभग 60 वर्षीय वृद्ध जन वरिष्ठ नागरिक माने जाते हैं। यह शुभ लक्षण है कि इनकी समस्याओं की ओर समाज का ध्यान जा रहा है। जिन्होंने जीवन भर अपने कार्यों से समाज की विविध रूपों में सेवा की, वृद्धावस्था में उनकी समस्याओं पर ध्यान देना समाज का नैतिक कर्तव्य है। प्रायः समाज का यह वर्ग उपेक्षा का पात्र रहा है। परिवार में और परिवार के बाहर इन लोगों की समस्याओं को समझने और उनका समाधान करने के प्रयत्न बहुत कम ही हुए हैं।

वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएँ – वरिष्ठ नागरिकों की अनेक समस्याएँ हैं। इनमें सर्वप्रथम उनका स्वयं को अकेला अनुभव करना है। घर – परिवार में रहते हुए भी उन्हें लगता है कि उनकी ओर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वे स्वयं को अकेला और उपेक्षित अनुभव करते हैं।

वरिष्ठ नागरिकों की एक प्रमुख समस्या है उनकी अस्वस्थता। वृद्धावस्था में प्रायः अनेक रोग व्यक्ति को पीड़ित करने लगते हैं। उनके स्वास्थ्य पर परिवारीजन अधिक ध्यान नहीं देते। शारीरिक अक्षमता और धन का अभाव दोनों ही उन्हें पीड़ित करते हैं। वरिष्ठ नागरिकों की एक भावनात्मक समस्या है उनको उचित सम्मान न मिलना। परिवार में और परिवार के बाहर उन्हें बेकार का आदमी समझकर समुचित सम्मान नहीं दिया जाता।

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समस्याओं के समाधान – वरिष्ठ नागरिकों के एकाकीपन को दूर करने के लिए परिवार के सदस्यों को उनके साथ कुछ समय बिताना चाहिए। परिवार के बच्चों को उनके साथ वार्तालाप करने तथा खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों के लिए मिलने – बैठने के स्थान, क्लब आदि की व्यवस्था होनी चाहिए।

वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य का परिवार के सदस्यों को ध्यान रखना चाहिए। उनके उपचार की यथासंभव उचित व्यवस्था करनी चाहिए। अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों को विशेष सुविधाएँ मिलनी चाहिए।

वरिष्ठ नागरिक हमारे समाज के सम्माननीय अंग हैं। उनका सम्मान हमारी सामाजिक सभ्यता का परिचायक है। अतः हर स्थान पर उन्हें उचित आदर दिया जाना चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों से अपेक्षाएँ – वरिष्ठ नागरिकों को भी अपने आचार – व्यवहार के प्रति सचेत रहना चाहिए। उन्हें कोई कार्य ऐसा नहीं करना चाहिए जो उनकी गरिमा के प्रतिकूल हो। परिवार में रहते हुए उन्हें संयम और उदारता का परिचय देना चाहिए। परिवार के साथ सामंजस्य बनाकर चलने पर उन्हें विशेष ध्यान देना चाहिए।

उपसंहार – यद्यपि सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए अनेक सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं फिर भी उनको समाज में सुख और सम्मानपूर्वक रहने के लिए बहुत कुछ किया जाना आवश्यक है।

वृद्धावस्था पेंशन, रेलयात्रा में किराए में कटौती, बैंकों में अधिक ब्याज दिया जाना आदि सरकारी सुविधाएँ हैं। इसके अतिरिक्त स्वयंसेवी संगठनों ने भी वृद्धाश्रम तथा क्लब आदि स्थापित किए हैं। आशा है समाज आर्थिक और पारिवारिक रूप से विपन्न वृद्ध लोगों पर विशेष ध्यान देगा।

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