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RBSE Class 12 History Model Paper Set 5 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) सिंधु सभ्यता का स्थल भडौंच निम्न में से किस राज्य में स्थित है? [1]
(अ) राजस्थान
(ब) गुजरात
(स) पंजाब
(द) उत्तरप्रदेश
उत्तर:
(ब) गुजरात
(ii) निम्न में से किस सिंधु सभ्यता कालीन स्थल से अग्निकुण्ड के साक्ष्य मिले हैं? [1]
(अ) हड़प्पा
(ब) मोहनजोदड़ो
(स) लोथल
(द) कालीबंगा
उत्तर:
(द) कालीबंगा
(iii) ईसा पूर्व प्रथम सहस्राब्दि के मध्य का काल विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। निम्नलिखित में से गलत विकल्प का चयन कीजिए- [1]
(अ) विश्व के विद्वानों ने इंसानों और विश्व व्यवस्था के बीच संबंधों को समझने की कोशिश की।
(ब) लोग जीवन और पुनर्जन्म का अर्थ समझने के बारे में भली प्रकार जिज्ञासु थे।
(स) वेदों के प्रभुत्व पर बुद्ध और महावीर ने सवालिया निशान उठाए।
(द) महाजनपदों का आविर्भाव और लोहे का उपयोग हुआ।
उत्तर:
(द) महाजनपदों का आविर्भाव और लोहे का उपयोग हुआ।
(iv) प्राचीनतम अभिलेख लिखे जाते थे- [1]
(अ) हिन्दी में
(ब) पालि में
(स) प्राकृत में
(द) अंग्रेजी में।
उत्तर:
(स) प्राकृत में
(v) निम्न में से किस उपनिषद् में कई लोगों को उनके मातृनामों से निर्दिष्ट किया गया था- [1]
(अ) बृहदारण्यक
(ब) कठ
(स) छान्दोग्य
(द) ये सभी।
उत्तर:
(अ) बृहदारण्यक
(vi) भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे समृद्ध ग्रन्थों में से एक है- [1]
(अ) अर्थशास्त्र
(ब) महाभारत
(स) भगवत्गीता
(द) हर्ष चरित
उत्तर:
(ब) महाभारत
(vii) निम्नलिखित में से कौन-सी इब्न बतूता की पुस्तक रिला की विशेषता नहीं है? [1]
(अ) यह पुस्तक फारसी में लिखी गई है।
(ब) यह भारतीय उपमहाद्वीप के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के विषय में बहुत ही प्रचुर और रोचक जानकारियाँ देती है।
(स) इस पुस्तक में लेखक की यात्रा के अनुभव समाहित हैं।
(द) यह पुस्तक ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
उत्तर:
(ब) यह भारतीय उपमहाद्वीप के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के विषय में बहुत ही प्रचुर और रोचक जानकारियाँ देती है।
(viii) नयनार किस मत से सम्बन्धित थे? [1]
(अ) वैष्णव मत से
(ब) शैव मत से
(स) बौद्ध मत से
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) शैव मत से
(ix) अमुक्तमल्यद नामक ग्रन्थ निम्नलिखित में से किस शासक ने लिखा? [1]
(अ) देवराय प्रथम
(ब) देवराय द्वितीय
(स) विरुपाक्ष प्रथम
(द) कृष्णदेव राय।
उत्तर:
(द) कृष्णदेव राय।
(x) दक्कन दंगा आयोग की रिपोर्ट ब्रिटिश संसद में प्रस्तुत की गयी- [1]
(अ) 1870 ई. में
(ब) 1875 ई. में
(स) 1878 ई. में
(द) 1980 ई. में।
उत्तर:
(स) 1878 ई. में
(xi) निम्न में से किस शहर का सम्बन्ध राइस बिल्डिंग से है? [1]
(अ) बम्बई
(ब) दिल्ली
(स) कलकत्ता
(द) मद्रास।
उत्तर:
(स) कलकत्ता
(xii) भारत में गाँधीजी ने प्रथम सत्याग्रह कहाँ किया था- [1]
(अ) चंपारण में
(ब) सूरत में
(स) अहमदाबाद में
(द) खेड़ा में।
उत्तर:
(अ) चंपारण में
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(i) नयनार और अलवार संत …………. कृषकों द्वारा सम्मानित होते थे। [1]
(ii) औपनिवेशिक बंगाल में 1793 ई. में …………. के तहत ईष्ट इंडिया, कम्पनी ने राजस्व की राशि निश्चित कर दी थी जो प्रत्येक जमींदार को देनी होती थी। [1]
(iii) कलकत्ता में …………. लॉटरी बेचकर नगर नियोजन के लिए धन इकट्ठा करती थी। [1]
(iv) 26 जनवरी 1930 को देशभर में पहली बार विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर और देश भक्ति के गीत गाकर …………. मनाया गया। [1]
(v) महाभारत का सबसे महत्वपूर्ण उपदेशात्मक अंश …………. है जो कुरूक्षेत्र के युद्ध क्षेत्र में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है। [1]
(vi) व्यपगत के सिद्धांत के द्वारा …………. ने झाँसी, अवध जैसी रियासतों के पुत्र गोद लेने को अवैध घोषित करके हड़प लिया। [1]
उत्तर:
(i) वेल्लाल,
(ii) इस्तमरारी बंदोबस्त,
(iii) लॉटरी कमेटी,
(iv) स्वतंत्रता दिवस,
(v) भगवद्गीता,
(vi) लार्ड डलहौजी।
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर एक शब्द अथवा एक पंक्ति में दीजिए।
(i) सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के नगर नियोजन की उन दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जो स्वच्छता के लिए आज भी प्रासंगिक हैं? [1]
उत्तर:
- सड़कों तथा गलियों को लगभग एक ‘ग्रिड पद्धति’ (जालनमा) में बनाया गया था और ये एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
- नालियाँ ईंटों या पत्थरों से ढकी होती र्थी।
(ii) कुल और जाति में क्या अन्तर है ? [1]
उत्तर:
संस्कृत ग्रन्थों में कुल शब्द का प्रयोग परिवार के लिए तथा जाति शब्द का प्रयोग बान्धवों (सगे-सम्बन्धियों) के एक बड़े समूह के लिए होता है।
(iii) महाभारत का युद्ध किन दो दलों के मध्य और क्यों हुआ था ? [1]
उत्तर:
महाभारत का युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य भूमि और सत्ता पर नियन्त्रण स्थापित करने के लिए हुआ था।
(iv) मुगलकालीन भारत की तत्कालीन यूरोप से तुलना करते हुए फ्रांस्वा बर्नियर द्वारा लिखी गई पुस्तक का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
‘ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पायर’।
(v) इब्न बतूता ने कितने प्रकार की डाक-व्यवस्था का वर्णन किया है ? [1]
उत्तर:
इब्न बतूता ने दो प्रकार की डाकव्यवस्था का वर्णन किया है-
(i) अश्व आधारित डाक-व्यवस्था, तथा (ii) पैदल डाक-व्यवस्था।
(vi) नयनार परम्परा की उस महिला भक्त का नाम लिखिए, जिसने अपने उद्देश्य की प्राप्ति हेतु घोर तपस्या का मार्ग अपनाया। [1]
उत्तर:
करइक्काल अम्मइयार।
(vii) ‘पद्मावत’ के रचयिता का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
मलिक मुहम्मद जायसी।
(viii) संथाली विद्रोह का नेता कौन था ? [1]
उत्तर:
संथाली विद्रोह का नेता सिद्ध मांझी था।
(ix) बम्बई दक्कन में प्रथम राजस्व बन्दोबस्त कब किया गया ? [1]
उत्तर:
1820 के दशक में बम्बई दक्कन में प्रथम राजस्व बन्दोबस्त किया गया।
(x) कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व किसने किया ? [1]
उत्तर:
नाना साहिब ने।
(xi) अवध के अधिग्रहण के पश्चात् 1856 ई. में कौन-सी ब्रिटिश भू-राजस्व व्यवस्था लागू की गई थी। [1]
उत्तर:
एकमुश्त बंदोबस्त भू-राजस्व व्यवस्था।
(xii) उस किले का नाम लिखिए जिसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा कलकत्ता में बनाया गया। [1]
उत्तर:
फोर्ट विलियम।
खण्ड – ब
रात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 50 शब्द)
प्रश्न 4.
मोहनजोदड़ो के गृह स्थापत्य की कोई दो विशेषताएँ लिखिए। [2]
उत्तर:
मोहनजोदड़ो के गृह स्थापत्य (आवासों) की प्रमुख दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- मोहनजोदड़ो के प्रत्येक घर में एक स्नानागार होता था जिसका फर्श ईंटों से निर्मित होता था। स्नानागार की नालियाँ दीवार के माध्यम से सड़क की नालियों से जुड़ी हुई थीं।
- मोहनजोदड़ो के कई आवासों में कुएँ थे जो प्रायः एक ऐसे कक्ष में बनाए जाते थे जिसमें बाहर से आया जा सकता था। सम्भवतः इनका प्रयोग राहगीरों द्वारा किया जाता था।
प्रश्न 5.
राजा भूमि दान क्यों देते थे? इस बारे में इतिहासकारों के क्या मत हैं? [2]
उत्तर:
- कुछ इतिहासकारों का मत है कि भूमि दान शासक वंश द्वारा कृषि को नए क्षेत्रों में प्रोत्साहित करने की एक रणनीति थी।
- कुछ इतिहासकारों का मत है कि जब किसी शासक का अपने सामंतों पर नियंत्रण ढीला पड़ जाता था तो वह भूमि दान के माध्यम से अपने समर्थक जुटाते थे।
- ऐसा भी माना जाता है कुछ राजा भूमि दान कर स्वयं को उत्कृष्ट स्तर के मानव के रूप में प्रदर्शित करना चाहते थे।
प्रश्न 6.
पितृवंशिकता प्रणाली में क्या विभिन्नताएँ थीं ? बताइए। [2]
उत्तर:
पितृवंशिकता में पुत्र पिता की मृत्यु के पश्चात् उसकी सम्पत्ति का उत्तराधिकारी होता था। राजसिंहासन भी इसमें सम्मिलित था, परन्तु कभी पुत्र के न होने पर एक भाई दूसरे का उत्तराधिकारी हो जाता था तो कभी बन्धु-बान्धव सिंहासन पर बलात अपना अधिकार स्थापित कर लेते थे। कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में स्त्रियाँ (जैसे-प्रभावती गुप्त) सत्ता को उपभोग करती थीं।
प्रश्न 7.
अल बिरूनी ने ब्राह्मणवादी व्यवस्था की अपवित्रता की मान्यता को क्यों अस्वीकार कर दिया ? क्या जाति-व्यवस्था के नियमों का पालन पूर्ण कठोरता से किया जाता था ? [2]
उत्तर:
अल बिरूनी ने जाति व्यवस्था के सम्बन्ध में जो भी विवरण दिया है वह पूर्णतया संस्कृत ग्रन्थों के अध्ययन से प्रभावित है। जिन नियमों का वर्णन इन ग्रन्थों में ब्राह्मणवादी जातिव्यवस्था को संचालित करने हेतु किया गया है वह वास्तविक रूप में समाज में उतनी कठोरता से लागू नहीं थी, इनमें लचीलापन था। उदाहरण हेतु, अंत्यज नामक श्रेणियों के लोग किसानों और जमींदारों द्वारा प्रायः सामाजिक प्रताड़ना का शिकार होते थे लेकिन फिर भी ये आर्थिक तन्त्र में शामिल होते थे।
प्रश्न 8.
‘ज़िम्मी’ तथा ‘उलमा’ कौन थे ? स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
ज़िम्मी एक प्रकार से संरक्षित श्रेणी के लोग थे। जनसंख्या के बहुसंख्यक भाग के लोग इस्लाम धर्म के अनुयायी नहीं थे जिनमें यहूदी और ईसाई भी थे जिन्हें ज़िम्मी (संरक्षित श्रेणी)कहा जाता था। इस्लामी शासक इनसे जज़िया नामक कर लेकर इन्हें संरक्षण प्रदान करते थे। हिन्दुओं को भी इसी संरक्षित श्रेणी में रखा गया। उलमा यानी आलिम, जिसका आशय होता है विद्वान। उलेमा इस्लाम धर्म के विशेषज्ञ होते थे, जिन्हें विशेष दर्जा प्राप्त होता था। उलमाओं का कार्य शासकों को मार्गदर्शन देना होता था कि वे शासन में शरिया का पालन करवाएँ।
प्रश्न 9.
विजयनगर साम्राज्य के सांस्कृतिक विकास में कृष्णदेव राय के योगदान को बताइए। [2]
उत्तर:
कृष्णदेव राय ने विजयनगर में अनेक उत्कृष्ट मंदिरों का निर्माण करवाया। उसने विरुपाक्ष मन्दिर के सामने मण्डप बनवाया तथा दक्षिण भारतीय मंदिरों में भव्य गोपुरमों का निर्माण करवाया। उसने अपनी माँ के नाम पर विजयनगर के समीप ही नगलपुरम् नामक उपनगर की स्थापना की। इसने ‘अमुक्तमल्यद’ नामक पुस्तक का तेलुगु भाषा में लेखन किया।
प्रश्न 10.
विजयनगर राज्य के किन्हीं चार ऐतिहासिक स्मारकों का उल्लेख कीजिए। [2]
उत्तर:
विजयनगर राज्य के चार ऐतिहासिक स्मारक हैं-
- विरुपाक्ष मंदिर
- हजार राम मंदिर
- लोटस महल
- हम्पी।
प्रश्न 11.
दामिन-ए-कोह के बारे में आप क्या जानते हो ? [2]
उत्तर:
सन् 1832 में अंग्रेजों ने राजमहल के पहाड़ी क्षेत्र में जमीन के एक बहुत बड़े क्षेत्र को संथालों के लिए सीमांकित कर दिया, जिसे संथालों की भूमि घोषित किया गया। यहाँ उन्हें स्थायी कृषि करनी थी। इसे ही दामिन-ए-कोह कहा गया।
प्रश्न 12.
1857 ई. के विद्रोह को कुचलने के लिए अंग्रेजों द्वारा उठाये गए कदम बताइए। [2]
उत्तर:
1857 ई. के विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों ने कई कानून पारित किए। उत्तर भारत में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया जिसके तहत सेना के अधिकारियों के अतिरिक्त आम जनता को भी विद्रोहियों पर मुकदमा चलाने एवं सजा देने का अधिकार दे दिया गया। कानून और मुकदमों की सामान्य प्रक्रिया बन्द कर दी गयी तथा विद्रोह की एक ही सजा ‘सजा-ए-मौत’ निर्धारित की गयी।
प्रश्न 13.
असहयोग आन्दोलन में ब्रिटिश सरकार का प्रतिरोध करने के लिए भारतीयों द्वारा कौन-कौन से तरीके अपनाये गये? [2]
उत्तर:
- विद्यार्थियों ने सरकार द्वारा संचालित किये जा रहें स्कूलों और कॉलेज्में में जाना छोड़ दिया।
- वकीलों ने अदालतों में जाने से मना कर दिया।
- कई कस्बों व नगरों में श्रमिक वर्ग हड़ताल पर चला गया।
- किसानों, श्रमिकों और अन्य वर्गों ने इसकी अपने ही ढंग से व्याख्या की तथा औपनिवेशिक शासन के प्रति असहयोग के लिए उन्होंने ऊपर से प्राप्त निर्देशों का पालन करने की बजाय अपने हितों से मेल खाते तरीकों का प्रयोग करते हुए कार्यवाही की।
प्रश्न 14.
सहायक सन्धि ने अवध के नवाब को किस प्रकार असहाय बना दिया था ? [2]
उत्तर:
सहायक संधि के कारण अवध का नवाब वाजिद अली शाह अपनी सैनिक शक्ति से वंचित हो गया जिसके फलस्वरूप वह अपनी रियासत में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिन-प्रतिदिन अंग्रेजों पर निर्भर होता जा रहा था। नवाब का विद्रोही मुखियाओं एवं ताल्लुकदारों पर भी कोई नियंत्रण न था।
प्रश्न 15.
मॉन्टेस्क्यू कौन था? इसका प्राच्य निरंकुशवाद का सिद्धान्त क्या था? [2]
उत्तर:
मॉन्टेस्क्यू एक फ्रांसीसी दार्शनिक था जिसके प्राच्य निरंकुशवाद के सिद्धान्त के अनुसार एशिया में शासक अपनी प्रजा पर असीम प्रभुत्व का उपभोग करते थे और उसे दास्ता व निर्धनता की स्थिति में रखते थे। समस्त भूमि पर शासक का स्वामित्व होता था तथा निजी स्वामित्व का कोई अस्तित्व नहीं था।
प्रश्न 16.
किन कारणों से भारत औपनिवेशिक काल में कभी भी एक आधुनिक तथा औद्योगिक देश नहीं बन पाया? [2]
उत्तर:
भारत निम्न कारणों से औपनिवेशिक काल में कभी भी एक आधुनिक एवं औद्योगिक देश नहीं बन पाया- (1) अंग्रेजों की नीतियाँ अत्यधिक पक्षपातपूर्ण होती थीं, (2) अंग्रेज भारत का उपयोग सिर्फ कच्चे माल को प्राप्त करने के लिए करते थे तथा (3) अंग्रेज भारतीय उद्योगों को विकसित नहीं करना चाहते थे।
खण्ड – स
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)
प्रश्न 17.
इतिहासकार धार्मिक परम्परा के इतिहास का पुनर्निर्माण करने के लिए किन-किन स्रोतों का उपयोग करते हैं? [3]
अथवा
इतिहासकारों ने सिंधु संस्कृति के निर्वाह के तरीकों को किस प्रकार नई दिशा प्रदान की है? व्याख्या कीजिए। [3]
उत्तर:
पुरातत्वविदों को उत्खनन में पर्याप्त सामग्री प्राप्त होती है जिसके आधार पर इतिहासकार सुगमता से इतिहास का निर्धारण कर सकते हैं। हड़प्पा सभ्यता से हमें पर्याप्त मात्रा में स्त्री-प्रतिमा तथा मातृदेवी की मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। एक मूर्ति के गर्भ से पौधा निकल रहा है जिससे पता चलता है कि वे मातृदेवी की पूजा करते थे। इसके अतिरिक्त वे सम्भवतः आद्य शिव की भी आराधना करते थे। सिंधु सभ्यता में पश-पक्षियों की पूजा का भी प्रचलन था। जानवरों में एक श्रृंगी वृषभ की सर्वाधिक आराधना की जाती थी। वहीं पक्षियों में फाख्ता उनका सम्मानीय पक्षी था। हड़प्पा से हमें नाग पूजा तथा पीपल के वृक्ष की पूजा के भी संकेत मिलते हैं।
प्रश्न 18.
मगध सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद कैसे बना? स्पष्ट कीजिए। [3]
अथवा
“भारतीय इतिहास की अवधि निर्धारित करने में सिक्के एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं” दो बिन्दुओं के साथ कथन को न्यायसंगत ठहराइए। [3]
उत्तर:
छठी शताब्दी ई. पू. तक उत्तर तथा मध्य भारतीय क्षेत्र में सोलह महाजनपदों का उद्भव हो चुका था जिनमें मगध सबसे अधिक शक्तिशाली था। मगध के सबसे अधिक शक्तिशाली महाजनपद बनने के प्रमुख कारणों का विवरण इस प्रकार है-
- मगध तीन ओर से सुरक्षित पहाड़ियों से घिरा हुआ था।
- मगध के मध्य से जीवनदायिनी गंगा तथा सोन नदी बहती थीं।
- मगध की सीमाओं में प्रचुर मात्रा में खनिज सम्पदा विशेषकर लोहे की खाने र्थी।
- मगध महाजनपद को शक्तिशाली तथा महत्वाकांक्षी राजाओं की प्राप्ति हुई।
- मगध शासकों ने अपनी कूटनीति तथा वैवाहिक सम्बन्धों से मगध को शक्तिशाली बनाया।
इस प्रकार मगध महाजनपद को एक नहीं अपितु अनेक लाभदायक स्थितियाँ प्राप्त थीं जिसके कारण मगध महाजनपद ही शक्तिशाली महाजनपद बना।
प्रश्न 19.
विजयनगर साम्राज्य ने किस प्रकार अपना उत्थान-पतन देखा? इसे किस प्रकार पुनर्जीवित किया गया? [3]
अथवा
विजयनगर साम्राज्य के राजकीय केन्द्र में संरचना महानवमी डिब्बा के साथ जुड़े अनुष्ठानों और प्रथाओं की पहचान कीजिए। [3]
उत्तर:
विजयनगर अथवा विजय का शहर एक शहर एवं एक साम्राज्य दोनों के लिए प्रयोग किया जाने वाला नाम था जिसकी स्थापना 14वीं शताब्दी में हुई थी। अपने चरमोत्कर्ष में विजयनगर साम्राज्य उत्तर में कृष्णा नदी से लेकर प्रायद्वीप में सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ था।
1565 में बीजापुर, अहमदनगर एवं गोलकुण्डा की संयुक्त सेनाओं ने इस साम्राज्य पर हमला कर इसे लूटा तथा कुछ ही वर्षों के भीतर विजयनगर पूरी तरह से उजड़ गया। 17वीं-18वीं शताब्दियों तक यह पूरी तरह से नष्ट हो गया फिर भी कृष्णा-तुंगभद्रा दोआब क्षेत्र के लोगों की स्मृतियों में यह जीवित रहा। उन्होंने इसे हम्पी नाम से याद रखा जिसका आविर्भाव यहाँ की स्थानीय मातृदेवी पंपादेवी के नाम से हुआ था। इन मौखिक परम्पराओं के साथ-साथ पुरातात्त्विक खोजों, स्थापत्य के नमूनों, अभिलेखों एवं अन्य दस्तावेजों ने विजयनगर के साम्राज्य को पुनः खोजने में विद्वानों की सहायता की।
प्रश्न 20.
भारत में औपनिवेशिक काल के दौरान कुछ पर्वतीय स्थल (हिल स्टेशन) क्यों विकसित किए गये? स्पष्ट कीजिए। [3]
अथवा
औपनिवेशिक शासन में प्रारम्भ रेल परिवहन व्यवस्था का शहरों पर क्या प्रभाव पड़ा? [3]
उत्तर:
छावनियों की तरह पर्वतीय सैरगाह (हिल स्टेशन) भी औपनिवेशिक शहरी विकास का एक विशेष पहलू था। हिल स्टेशनों की स्थापना एवं विकास का सम्बन्ध सर्वप्रथम ब्रिटिश सेना की आवश्यकताओं से था। ये हिल स्टेशन सैनिकों को ठहराने, सीमा की निगरानी रखने एवं शत्रु के विरुद्ध हमला बोलने के लिए महत्वपूर्ण स्थान थे। इनके अतिरिक्त हिल स्टेशनों की जलवायु यूरोप की ठंडी जलवायु से मिलती-जुलती थी इसलिए अंग्रेज शासकों को भी ये क्षेत्र आकर्षित करते थे। इन हिल स्टेशनों को अंग्रेजों ने सेनेटोरियम के रूप में भी विकसित किया जहाँ सिपाहियों को विश्राम करने एवं इलाज कराने के लिए भेजा जाता था। रेलवे के विकास से ये पर्वतीय सैरगाह अनेक प्रकार के लोगों की पहुँच में आ गये। अब भारतीय भी पर्यटन के लिए वहाँ जाने लगे।
खण्ड – द
निबन्धात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 250 शब्द)
प्रश्न 21.
श्री गुरु नानकदेव जी का जीवन परिचय देते हुए, सिख धर्म के विकास और खालसा पंथ की स्थापना का वर्णन कीजिए। [4]
अथवा
उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए कि सम्प्रदाय के समन्वय का इतिहासकार क्या अर्थ निकालते हैं? [4]
उत्तर:
श्री गुरु नानकदेव जी भक्ति शाखा के प्रमुख सन्त थे जिनका जन्म पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) के ननकाना गाँव में 1469 ई. में एक हिन्दू व्यापारी परिवार में हुआ था। गुरु नानक देव जी ने फारसी भाषा का अध्ययन किया और लेखाकार के रूप में भी कार्य किया। अल्पायु में ही विवाहित श्री नानकदेव जी की सूफी सन्तों में विशेष रुचि थी तथा उनका अधिकांश समय सूफी-सन्तों की संगति में ही व्यतीत होता था। सच्चे ज्ञान की खोज तथा अपने सन्देशों के प्रचार-प्रसार के लिये उन्होंने दूर-दूर तक यात्राएँ की और लोगों को ‘एक ओंकार सत नाम’ का सन्देश दिया।
श्री गुरु नानकदेव जी का सन्देश श्री गुरु नानकदेव जी के भजनों और उपदेशों में निहित उनके सन्देशों से ज्ञात होता है कि उन्होंने निर्गुण भक्ति का प्रचार किया। उन्होंने सभी प्रकार के बाह्य आडम्बरों; जैसे- यज्ञ, मूर्ति-पूजा, कठोर तप तथा अन्य आनुष्ठानिक कार्यों का विरोध किया। उनके अनुसार परमात्मा (रब्ब) का कोई निश्चित आकार या रूप नहीं है, उनके अनुसार परमात्मा का निरन्तर स्मरण या नाम जपना उसकी (रब्ब) की उपासना का सबसे सरल मार्ग है। उन्होंने जाति-प्रथा और ऊँच-नीच के भेदभाव को भी अस्वीकार कर दिया। उनके अनुसार मानव-मात्र एक है, सब में उसी एक ओंकार सतनाम का रूप परिलक्षित है।
गुरु नानकदेव जी के विचारों को ‘शबद’ कहा जाता है जिन्हें वे अलग-अलग रागों में गाते थे और उनका शिष्य मरदाना रबाब बजाकर उनका साथ देता था।
सिख धर्म का विकास- गुरु नानकदेव जी ने अपने अनुयायियों को एक समुदाय के रूप में संगठित किया तथा संगत (सामुदायिक उपासना) के नियम निर्धारित किए। संगत में सस्वर ‘शबद’ का सामूहिक पाठ किया जाता था। उन्होंने अपने शिष्य अंगद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। सम्भवतः ऐसा लगता है कि गुरु नानकदेव जी किसी अलग धर्म की स्थापना नहीं करना चाहते थे, लेकिन उनकी मृत्यु के उपरान्त उनके अनुयायियों ने अपने आचार-व्यवहार के अनुरूप संगठन को एक नया रूप दे दिया। यह संगठन ‘सिख धर्म’ के रूप में विकसित हुआ।
गुरुबानी- ‘गुरुबानी’ का संकलन सिखों के पाँचवें गुरु अर्जुन देव जी द्वारा, गुरुनानक देव, बाबा फरीद, संत रविदास जी और कबीर की बानियों को आदि ग्रन्थ साहिब में समावेश करके किया गया। सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी ने नवें गुरु तेगबहादुर जी की रचनाओं का समावेश गुरुबानी में किया और इस ग्रन्थ को ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ का रूप प्रदान किया।
खालसा पंथ (पवित्रों की सेना)- सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह के नेतृत्व में ‘खालसा पंथ’ नामक एक संगठित धार्मिक और सामाजिक सैन्य बल उभरकर सामने आया, जो एक तात्कालिक आवश्यकता थी। खालसा पंथ का अर्थ है- ‘पवित्रों की सेना’। खालसा पंथ के अनुयायियों के लिए पाँच प्रतीकों को अपनाना अनिवार्य था, जो हैं-बिना कटे केश, कृपाण, कच्छ, कंघा और लोहे का कड़ा।
इस प्रकार गुरु नानकदेव जी के प्रयासों ने सिखों अर्थात् अनुयायियों को एकता के संगठित सूत्र में बाँधा।
प्रश्न 22.
असहयोग आन्दोलन एक तरह का प्रतिरोध कैसे था ? वर्णन कीजिए। [4]
अथवा
“चम्पारण, अहमदाबाद और खेड़ा में की गई पहल ने गाँधीजी को एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में उभारा।” कथन को सविस्तार स्पष्ट कीजिए। [4]
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन निम्नलिखित कारणों से एक तरह का प्रतिरोध ही था-
(i) रॉलेट एक्ट की वापसी हेतु प्रतिरोधअसहयोग आन्दोलन गाँधीजी द्वारा ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा थोपे गये रॉलेट एक्ट जैसे कठोर कानून को वापस लेने हेतु जनता के आक्रोश एवं प्रतिरोध प्रकट करने का एक लोकप्रिय माध्यम था।
(ii) जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के जिम्मेदार लोगों को बचाने की कार्यवाही का प्रतिरोध-असहयोग आन्दोलन इसलिए भी एक प्रतिरोध आन्दोलन था क्योंकि देश के राष्ट्रीय नेता उन ब्रिटिश अधिकारियों को दण्डित करवाना चाहते थे जिन्होंने जलियाँवाला बाग में निर्दोष लोगों की हत्या करवायी थी। उन्हें ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने इस घटना के कई महीने बीत जाने के पश्चात् भी किसी प्रकार से दण्डित नहीं किया था।
(iii) खिलाफत आन्दोलन का सहयोगअसहयोग आन्दोलन इसलिए भी प्रतिरोध आन्दोलन था क्योंकि यह खिलाफत आन्दोलन के साथ सहयोग करके देश के दो प्रमुख धार्मिक समुदायों-हिन्दू और मुसलमानों को एक साथ लेकर औपनिवेशिक शासन के साथ जनता के असहयोग को प्रकट करने का एक माध्यम था।
(iv) विदेशी शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार-असहयोग आन्दोलन इसलिए भी प्रतिरोध आन्दोलन था ताकि विदेशी शिक्षण संस्थाओं, सरकारी विद्यालयों एवं कॉलेजों से बाहर विद्यार्थियों व शिक्षकों का आह्वान किया जाए तथा देश के विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रवादी
लोगों द्वारा बनाई गई राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओं में विद्यार्थियों को पढ़ने तथा शिक्षकों को अध्यापन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इस तरह से विदेशी सत्ता को शान्तिपूर्ण अहिंसात्मक प्रतिरोध के माध्यम से उखाड़े जाने के लिए वातावरण निर्मित किया गया।
(v) श्रमिकों द्वारा हड़ताल करना असहयोग आन्दोलन के रूप में इस व्यापक लोकप्रिय प्रतिरोध का प्रभाव अनेक कस्बों एवं शहरों में कार्यरत श्रमिकों पर भी पड़ा क्योंकि उन्होंने कार्य करने से मना कर दिया तथा हड़ताल पर चले गये। एक अनुमान के अनुसार सन् 1921 ई. में 396 हड़ताले हुईं जिनमें 6 लाख से अधिक श्रमिक सम्मिलित हुए तथा 70 लाख कार्य दिवसों का नुकसान हुआ था।
(vi) सरकारी अदालतों का बहिष्कारअसहयोग आन्दोलन के नेताओं ने सरकारी अदालतों का बहिष्कार करने के लिए भी आम जनता एवं वकीलों को कहा। गाँधीजी के आह्वान पर वकीलों ने अदालतों में जाने से मना कर दिया।
(vii) ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिरोध-असहयोग आन्दोलन का प्रतिरोध देश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी दिखाई दे रहा था। किसानों एवं जनजातीय लोगों ने अपने-अपने ढंग से अंग्रेजों का विरोध किया। उदाहरण के लिए; कुमाऊं के किसानों ने अंग्रेज अधिकारियों का सामान ढोने से मना कर दिया, अवध के किसानों ने सरकारी लगान नहीं चुकाया तथा उत्तरी आंध्र प्रदेश की पहाड़ी जनजातियों ने वन कानूनों की खिलाफत करना प्रारम्भ कर दिया। इन विरोध आन्दोलनों को कभी-कभी स्थानीय राष्ट्रवादी नेतृत्व की अवहेलना करते हुए कार्यान्वित किया गया। किसानों, श्रमिकों एवं अन्य लोगों ने इसकी अपने ढंग से व्याख्या की तथा औपनिवेशिक शासन के साथ असहयोग के लिए उच्च स्तर के नेताओं से प्राप्त निर्देशों पर टिके रहने की अपेक्षा अपने हितों से मेल खाते तरीकों का प्रयोग कर कार्यवाही की।
प्रश्न 23.
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित दर्शाइए- [4]
(अ) राखीगढ़ी (ब) मेरठ (स) कलकत्ता (द) नागपुर
अथवा
दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) दिल्ली (ब) खेड़ा (स) बनारस (द) कालीबंगा
उत्तर:
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