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RBSE 12th Home Science Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

April 6, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Home Science Model Papers Set 5 with Answers in Hindi Medium provided here.

RBSE Class 12 Home Science Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 56

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:

  1. परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  2. सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  3. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
  4. जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

खण्ड – अ

प्रश्न 1.
बहुविकल्पी प्रश्न- (9 × 1 = 9)
(i) वृद्ध व्यक्तियों की नियुक्ति के विरोध में दिये जाने वाला तर्क है-
(अ) उनके नौकरी छोड़ने की संभावना कम होती है।
(ब) वे युवा सहकर्मियों के उन्नति के अवसरों को रोक सकते हैं।
(स) अब वे कार्य करने के लायक नहीं रह गये हैं।
(द) वे लालची हो गये हैं।
उत्तर:
(ब) वे युवा सहकर्मियों के उन्नति के अवसरों को रोक सकते हैं।

(ii) भारत सरकार की सर्वशिक्षा अभियान के तहत एक योजना के रूप में प्रारम्भ किया गया-
(अ) कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय
(ब) मांटेसरी स्कूल पद्धति विद्यालय
(स) आँगनबाड़ी कार्यक्रम
(द) ये सभी
उत्तर:
(अ) कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय

(iii) निम्न में से जो गैर संक्रामक बीमारी में शामिल नहीं है, वह है-
(अ) मोटापा
(ब) हृदय रोग
(स) टी. बी.
(द) मधुमेह
उत्तर:
(स) टी. बी.

(iv) अल्पपोषण का घरेलू कारण क्या है?
(अ) अक्षमता
(ब) भोजन की अपर्याप्त उपलब्धता
(स) राजनीतिक कारण
(द) वित्तीय कारण
उत्तर:
(ब) भोजन की अपर्याप्त उपलब्धता

(v) मूल रूप से रेखा के प्रकार होते हैं-
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) दो

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

(vi) फैशन चक्र का स्तर है-
(अ) शैली की प्रस्तुति
(ब) लोकप्रियता की पराकाष्ठा
(स) लोकप्रियता में वृद्धि
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

(vii) रोजगार विश्लेषण होता है-
(अ) कर्मचारी का
(ब) प्रबंधक का
(स) कार्य का
(द) व्यवहार का
उत्तर:
(स) कार्य का

(viii) वूलमार्क का सम्बन्ध है-
(अ) रेशम के मानक से
(ब) घरेलू उत्पाद मानक से
(स) स्वर्णाभूषण मानक से
(द) ऊन के मानक से
उत्तर:
(द) ऊन के मानक से

(ix) रेड रिबन एक्सप्रेस किसके बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए एक देशव्यापी अभियान था?
(अ) धूम्रपान की रोकथाम
(ब) साक्षरता को बढ़ावा देना
(स) एच.आई.वी /एड्स
(द) तपेदिक
उत्तर:
(स) एच.आई.वी /एड्स

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए- (4 × 1 = 4)
(i) जेंडर ………………. पहचान पर आधारित है।
(ii) ……………. सूची बनाना सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है।
(iii) मिलावट ………………. अथवा अनजाने में की जाती है।
(iv) विशेषज्ञों से जुड़ जाने से समारोह आयोजन आसान और ……………. हो जाता है।
उत्तर:
(i) सामाजिक,
(ii) व्यंजन,
(iii) जानबूझकर,
(iv) आनन्दप्रद।

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- (8 × 1 = 8)
(i) जब कोई व्यक्ति अर्थपूर्ण कार्य में सम्मिलित होता है तब उसमें किस चीज का बोध विकसित होता है?
उत्तर:
जब कोई व्यक्ति अर्थपूर्ण कार्य में सम्मिलित होता है, तो उसमें पहचान, महत्व और प्रतिष्ठा का बोध विकसित होता है।

(ii) मानव विकास के अध्ययन का एक बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र क्या है?
उत्तर:
प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा, मानव विकास के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

(iii) “विशेष शिक्षा में जीविका” से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जो व्यक्ति विशेष शिक्षक बनने का निश्चय करता है उसकी जीविका विशेष शिक्षा में जीविका मानी जाती है।

(iv) डिजाइन की दृष्टि से रंग को समझने के लिये किसका सन्दर्भ दिया जाता है?
उत्तर:
मिलेश रंग चक्र (Munsell’s Colour Wheel) का।

(v) घरेलू स्तर पर धुलाई में किन उपकरणों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
घरेलू स्तर पर धुलाई अधिकांशतः हाथ से की जाती है जिसमें बाल्टियों, चिलमचियों, तसलों व रगड़ने के तख्तों और ब्रुश जैसे उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

(vi) अनुरूपण किस पर आधारित होता है?
उत्तर:
अनुरूपण ग्राहक की आवश्यकताओं और विपणन उद्देश्यों पर आधारित होता है।

(vii) समारोह प्रबंधन का कार्य कब शुरू होता है?
उत्तर:
विपणन के बाद जानकारी के निश्चित आदेश में बदल जाने पर समारोह प्रबंधन का कार्य शुरू होता है।

(viii) प्रतिभा प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वर्तमान में प्रतिभा प्रबंधन पद का वैश्विक स्तर पर प्रयोग किया जाता है, जो मानव संसाधन व्यावसायिकों के क्रियाकलापों द्वारा कर्मचारियों को आकर्षित करने, उनका विकास करने तथा उन्हें संस्था में जोड़े रखने की प्रक्रियाओं को दर्शाता है।

खण्ड – ब

लघूत्तरात्मक प्रश्न- (12 × 1.5 = 18)

प्रश्न 4.
भारत में स्वास्थ्य देखभाल के तीन स्तर कौन-से हैं? समझाइए।
उत्तर:
भारत में स्वास्थ्य देखभाल तीन स्तरों- प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक पर की जाती है।

प्राथमिक स्तर- व्यक्ति, परिवार या समुदाय का स्वास्थ्य पद्धति से प्रथम सम्पर्क का स्तर होता है। हमारे देश में ये सेवाएँ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पी.एच.सी.) के नेटवर्क द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।

द्वितीय स्तर पर अधिक जटिल स्वास्थ्य समस्याओं का निराकारण जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा किया जाता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र परामर्श देने के पहले स्तर के रूप में कार्य करते हैं। तृतीय स्तर स्वास्थ्य देखभाल का तीसरा और उच्चतम स्तर है।

यह अधिक जटिल समस्याओं को सुलझाता है, जिन्हें पहले- प्रथम स्तरों पर नहीं सुलझाया जा सकता। तृतीयक स्तर के संस्थान मेडिकल कॉलेजों के अस्पताल, क्षेत्रीय अस्पताल, विशिष्ट अस्पताल और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान होते हैं।

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प्रश्न 5.
भोजन सेवा प्रबंधन क्या है? इसके मुख्य तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
प्रबंधन पारस्परिक क्रिया करने वाले विविध तत्वों द्वारा संसाधनों का प्रयोग कर लक्ष्य प्राप्त करने की प्रक्रिया है। प्रबंधक योजना बनाता है, आयोजन, प्रेरित, निदेशित और नियंत्रित करता है। एक अच्छा प्रबंधक दूसरों के योगदान में दूरदृष्टि, क्रम, उद्देश्य, एकीकरण और प्रभावकारिता को जोड़ता है। मुख्यरूप से. वह लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निर्णय लेता है। अतः हम प्रबंधन को पूर्वनिर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के सुस्पष्ट उद्देश्य के लिए निर्णय लेने और लोगों के कार्यों पर नियंत्रण पाने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। इसमें मानवीय और गैर-मानवीय अथवा सामग्री संसाधनों का प्रबंधन सम्मिलित है। ये संसाधन सामान्यतः छः ‘M’ के रूप में जाने जाते हैं- धन (money), सामग्री (material), मनुष्य (man), मशीनें (machines), मिनट (minutes) (समय) और बाज़ार (markets).

प्रश्न 6.
स्टैफलोकॉकस आरियस क्या है?
उत्तर:
स्टैफलोकॉकेस आरियस- खाद्य पदार्थ से रोगाणुओं के नष्ट हो जाने पर भी कुछ जीवाणु रह जाते हैं, जो हानिकारक आविष उत्पन्न करते हैं। ये जीव तभी आविष उत्पन्न करते हैं जब खाद्य पदार्थ अधिक गरम अथवा ठंडे नहीं होते। ‘स्टैफलोकॉकस आरियस’ ऐसे ही जीवों का उदाहरण है। इस प्रकार के जीव वायु, धूल एवं जल में पाए जाते हैं। ये 50 प्रतिशत स्वस्थ व्यक्तियों के नासिका मार्ग, गले एवं त्वचा और बालों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 7.
खाद्य अपमिश्रण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
खाद्य अपमिश्रण (Food Adultration)- यदि किसी भोज्य पदार्थ में कोई बाहरी तत्व मिला दिया जाए या उसमें से कोई अभिन्न तत्व निकाल लिया जाए, उसे अनुचित ढंग से संग्रहित किया जाए या दूषित स्रोत से प्राप्त किया जाये तथा उसकी गुणवत्ता में कमी आ गयी हो तो उस खाद्य सामग्री या भोज्य पदार्थ को मिलावट युक्त भोज्य पदार्थ या खाद्य अपमिश्रण कहते हैं।

प्रश्न 8.
समावेशी शिक्षा क्या है और यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
जब विशेष शिक्षा आवश्यकता वाले बच्चे/ विद्यार्थी सामान्य कक्षाओं में अपने साथियों के साथ पढ़ते हैं तो यह व्यवस्था ‘समावेशी’ कहलाती है जैसा कि इस शब्द से ज्ञात होता है। इस उपागम को निर्देशित करने वाला दर्शन यह है कि विविध आवश्यकताओं (शैक्षिक, शारीरिक, सामाजिक और भावनात्मक) वाले विद्यार्थियों को एक साथ ऐसी आयु-उपयुक्त कक्षाओं/समूहों में रखा जाए, जिससे बच्चे अपनी अधिगम क्षमताओं को इष्टतम रूप से प्राप्त कर सकें। वे जिस विद्यालय अथवा कार्यक्रम के भाग होते हैं, अपनी पाठचर्या, शिक्षण विधियों और भौतिक संरचना में उपयुक्त समायोजन और रूपान्तरण करते हैं जिससे उनकी शिक्षा सुगम हो सके।

प्रश्न 9.
मांटेसरी स्कूल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मॉन्टेसरी स्कूल -छोटे बच्चों के लिए कुछ विद्यालय पूर्व स्कूल (नर्सरी स्कूल) प्रायः मॉन्टेसरी स्कूल कहलाते हैं। ये ऐसे विद्यालय हैं जो प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा के उन सिद्धान्तों पर आधारित है, जिनकी रूपरेखा विख्यात शिक्षाविद् मारिया मॉन्टेसरी द्वारा बनायी गयी।

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प्रश्न 10.
दत्तक ग्रहण (बच्चा गोद लेना) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
दत्तक ग्रहण (बच्चा गोद लेना)- हमारे देश में बच्चा गोद लेने की परंपरा बहुत प्राचीन है। इसके कुछ प्रमुख तथ्य निम्न प्रकार हैं-

  • पहले परिवार में से ही बच्चों को गोद लिया जाता था। इसमें सामाजिक और धार्मिक मान्यताएँ शामिल थीं।
  • बाद में, परिवार के बाहर के बच्चों को गोद लेने की प्रथा को संस्थागत और विधिक बना दिया गया।
  • अब इस संबंध में भारत सरकार और राज्य सरकारें नीतियों और कार्यक्रमों द्वारा सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। वहीं गैर सरकारी संगठन गोद लेने की प्रक्रिया के लिए आवश्यक वितरण प्रणाली प्रदान करते हैं।

प्रश्न 11.
किसी कुशल विद्यालय पूर्व केन्द्र की देखभाल और शिक्षा के छोटे बच्चों को क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:
किसी कुशल विद्यालय पूर्व केन्द्र की देखभाल, और शिक्षा और अनुभव छोटे बच्चों के लिए अत्यधिक लाभदायक पाए गए हैं जैसे-

  • बच्चा, अन्य बच्चों का साथ पसंद करता है और बहुत तेजी से काम करना सीखता है। अतः बच्चे साथियों के साथ बहुत जल्दी सीखते हैं।
  • विद्यालय पूर्व केन्द्र का बाल-केन्द्रित उपागम और खेल-खेल में सीखने का तरीका पढ़ाई को रुचिकर बना देता है। यह तरीका छोटे बच्चों के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
  • जो बच्चे कठिन परिस्थितियों में पलते हैं अथवा जिन्हें सीखने के लिए अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता होती है, उनके लिए विद्यालय पूर्व परिवेश बहुत लाभदायक होता है।

प्रश्न 12.
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में रिकॉर्ड रखने की पद्धति क्या-क्या होती है?
उत्तर:
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में वस्त्र लेते समय उसे जाँच-परखकर ग्राहक को एक रसीद दी जाती है जिसमें वस्त्रों की संख्या, उनका प्रकार, तैयार होने पर देने की तारीख आदि लिखी जाती है। रसीद के अनुरूप वस्त्रों पर सांकेतिक पट्टियों की पद्धति प्रत्येक ग्राहक या रसीद के वस्त्रों को पहचानने में मदद करती है।

प्रश्न 13.
चिह्नित करने की योजना क्या है? समझाइए।
उत्तर:
चिह्नित करने की योजना को मेज़ की एक निर्धारित चौड़ाई में पैटर्न के टुकड़ों को रखकर बनाया जा सकता है और इसे परिवर्तित करते हैं जब तक कि इष्टतम लंबाई न प्राप्त हो जाए। यह बहुत समय लेने वाला काम है, विशेष रूप से जब सम्मिलित पैटर्न के टुकड़ों की संख्या अधिक हो (जैसे कि औपचारिक जैकेट में)। चिह्नित कारक की नकल करना भी एक समस्या है, जिससे कि इसे बहुत से वस्त्रों को चिह्नित करने के लिए दोहराया जा सके। ‘चिह्नितकरण’ नियोजन की अधिक दक्ष तकनीक एक विशिष्ट कम्प्यूटर सॉटवेयर या सी.ए.डी. को उपयोग करता है। इसमें पैटर्न के टुकड़े कम्प्यूटर में डाल दिए जाते हैं और मुद्रित प्रति लेकर मॉनीटर पर योजना बनाई जाती है। यह तकनीक कम समय लेती है और हाथ से बनाई योजना से संबंधित अधिकांश त्रुटियों को दूर कर देती है।

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

प्रश्न 14.
रोजगार विश्लेषण परिणाम हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी हैं?
उत्तर:
रोजगार विश्लेषण परिणाम से हमें विविध प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। इन सूचनाओं के माध्यम से यह निर्धारित किया जाता है कि आवेदकों में कौनसी शारीरिक व मानसिक विशेषताएँ होनी चाहिए। उनमें मिलने वाले विभिन्न प्रकार के गुणों व अभिवृत्तियों का भी हम पता लगा सकते हैं। रोजगार विवरण कार्य विश्लेषण का एक परिणाम होता है जिसके आधार पर कम्पनी भर्ती की योजना तैयार करती है और पदों को विज्ञप्ति करने के लिए विभिन्न पदानुक्रमिक स्तरों पर पदों की संख्या, प्रत्येक पद के लिए व्यक्तियों की संख्या निर्धारित करती है। इसी के आधार पर आवेदन प्राप्ति के पश्चात आवेदन पत्रों की छान-बीन की जाती है तथा साक्षात्कार के लिए उपयुक्त आवेदकों की लघु सूची तैयार की जाती है। इस प्रकार रोजगार विश्लेषण परिणाम हमारे लिए उपयोगी सिद्ध होते हैं।

प्रश्न 15.
समारोह आयोजन और क्रियान्वयन में लोगों को विशेषज्ञों की आवश्यकता क्यों महसूस होने लगी है?
उत्तर:
आधुनिक जीवन शैली, व्यस्त दिनचर्या, छोटे परिवार एवं कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने के कारण समारोह आयोजन एवं क्रियान्वयन के लिए कम जनशक्ति और कम समय मिल पाता है, अतः आजकल लोग समारोह आयोजन एवं क्रियान्वयन के लिए विशेषज्ञों की सेवाएँ लेना ज्यादा पसन्द करते हैं। साथ ही विशेषज्ञों के जुड़ जाने से समारोह और आयोजन, आसान, आनन्दप्रद और तनावमुक्त हो जाते हैं।

खण्ड – स

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न- (3 × 3 = 9)

प्रश्न 16.
डॉक्टरी पोषण और आहार विशेषज्ञों की जीविका के लिए हम कैसे तैयारी कर सकते हैं?
उत्तर:
यदि हम आहार विशेषज्ञ बनना चाहते हैं, तो हमको कम-से-कम आहारिकी में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पास करना होगा और साथ ही इंटर्नशिप करनी होगी, जिससे हम पंजीकृत आहार विशेषज्ञ के योग्य हो सकें।

जिनके पास जीवन विज्ञान, जैवरसायन, सूक्ष्मजैविकी, खाद्य प्रोद्योगिकी या जैवप्रौद्योगिकी में बी.एस.सी. की डिग्री है वे इस क्षेत्र में स्नातकोत्तर डिप्लोमा स्तर पर प्रवेश पा सकते हैं।

खाद्य विज्ञान और पोषण अथवा आहारिकी में एम.एस.सी. किसी भी व्यक्ति को इस क्षेत्र में विशेषज्ञता प्रदान करती है और ऐसे व्यक्ति को कई स्थानों पर नौकरी में वरीयता दी जाती है।

एक आहार विशेषज्ञ अपनी विश्वविद्यालय की शिक्षा पूरी करने के बाद आगे अध्ययन करके ‘पंजीकृत आहार विशेषज्ञ’ की योग्यता का प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं। बहुत से देशों में इस संबंध में नियंत्रक कानून हैं। यदि हम शिक्षण और शोध पर केन्द्रित जीविका का चयन करते हैं तो विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शोध संस्थानों में बहुत से विकल्प खुल जाते हैं।

शिक्षण संबंध पदों के लिए योग्य होने के लिए अब आवश्यक हो गया है कि हम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय अथवा राज्य पात्रता परीक्षा को पास करें। यदि हम शैक्षिक या शोध क्षेत्रों में अपनी जीविका चाहते हैं तो हम पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त कर सकते हैं।

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प्रश्न 17.
बुनावट क्या है? इसको कितने पदों में उल्लेखित किया जा सकता है।?
उत्तर:
बुनावट दिखने और छूने की एक संवेदी अनुभूति है जो वस्त्र की स्पर्शी तथा दृश्य गुणवत्ता को बताती है। प्रत्येक वस्तु की एक विशिष्ट बुनावट होती है। बुनावट को निम्नलिखित पदों में उल्लेखित किया जा सकता है-

  • वह कैसा दिखाई देता है-चमकीला, मंद, अपारदर्शक, घना, पारदर्शक, पारभासी या चिकना।
  • उसकी प्रकृति कैसी है-ढीला, लटका हुआ, कड़ा, बाहर को निकला हुआ, चिपकने वाला, लहराता हुआ।
  • छूने पर कैसा लगता है-नरम, कड़क, रूखा, समतल सतह वाला, ऊबड़-खाबड़, खुरदरा, कणीय, दानेदार।

प्रश्न 18.
संचार माध्यम आयोजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?
उत्तर:
संचार माध्यम आयोजना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पहले से निर्धारित किए गए उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए यह तय किया जाता है कि कम लागत पर कौन-कौन से माध्यमों को सम्मलित किया जाये। यह कार्रवाई के क्रम को डिजाइन करने की एक ऐसी प्रक्रिया है जो दर्शाती है कि किस प्रकार विज्ञापन और विपणन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विज्ञापन समय तथा स्थान का उपयोग किया जा सकता है। इसमें विज्ञापन के लिए मात्रा माध्यम का चयन करने के साथ-साथ विज्ञापनों की विस्तार सीमाओं का भी विश्लेषण किया जाता है। बहुत से संचार माध्यम योजनाकार विज्ञापन करने के अपरंपरागत तरीकों का चयन करते हैं जैसे-चल वाहनों द्वारा विज्ञापन तथा खुदरा बिक्री विज्ञापन।

निबंधात्मक प्रश्न- (2 × 4 = 8)

प्रश्न 19.
विशेष शिक्षा विधियों से आप क्या समझते हैं? इनका महत्व बताइए। इन शिक्षा विधियों के क्रियान्वयन के क्रम को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
विशेष शिक्षक और विशेष शिक्षा को समझाइए। विशेष शिक्षा के लिए क्या व्यवस्था की जाती हैं। समझाइए।
उत्तर:
विशेष शिक्षा विधियाँ-विशेष शिक्षा की कुछ विशिष्ट विधियाँ और प्रक्रियाएँ होती हैं, जो विशेष शिक्षा विधियाँ कहलाती हैं। ये विधियाँ विशेष शिक्षक के लिए विशेष शिक्षा आवश्यकता वाले बच्चों को क्रमबद्ध तरीके से पढ़ना सिखाती हैं।
विशेष शिक्षा विधियों का महत्व-विशेष शिक्षा विधियाँ, अपंग बच्चों को जितना ही सके उतनी जानकारी प्रदान करने में सहायक होती है जिससे उनकी वृद्धि और विकास पूरी क्षमता के साथ हो सके।

विशेष शिक्षा विधियों के क्रियान्वयन का क्रम-इनका क्रम निम्न प्रकार है-

  • विद्यार्थी के स्तर का मूल्यांकनसर्वप्रथम विद्यार्थी के स्तर का विकास और अधिगम के विभिन्न क्षेत्रों में मूल्यांकन किया जाता है। उदाहरणार्थ, संज्ञानात्मक विकास (जैसे गणित की अवधारणाएँ), भाषा विकास अथवा सामाजिक कौशल के क्षेत्रों में विकास।
  • विद्यार्थी के लिए शिक्षा कार्यक्रम विकसित करना-मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर प्रत्येक विद्यार्थी के लिए एक शिक्षा उपयोग विद्यार्थी के साथ व्यवहार करने में मार्गदर्शन के लिए किया जाता है।
  • शिक्षा कार्यक्रम का नियमित मूल्यांकन-शिक्षा कार्यक्रम का नियमित मूल्यांकन किया जाता है जिससे यह निर्धारण किया जा सके कि अधिगम और विकास के लक्ष्य पूरे हुए हैं अथवा नहीं और विद्यार्थी ने कितनी प्रगति की है।
  • सहायक सेवाओं का प्रयोग-पूरे क्रम में सहायक सेवाओं, जैसे वाचिकित्सा, उपचार, परामर्श सेवा आदि तक पहुँच और उनका प्रयोग सुगम बनाया जाता है जिससे विशेष शिक्षा के विद्यार्थी पर वांछित प्रभाव पड़ सके।

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

प्रश्न 20.
विकास-कार्यक्रम की संकल्पना की व्याख्या कीजिए।
अथवा
सतत विकास के कोई चार लक्ष्य बताइए। विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाते समय अधिकांश कार्यक्रमों में कौन-कौन से घटक होते हैं?
उत्तर:
विकास कार्यक्रम की संकल्पना- विकास मनुष्य की क्षमताओं, विकल्पों और अवसरों को बढ़ावा देने की वह प्रक्रिया है, जिससे वह दीर्घ, स्वस्थ और परिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें। इस प्रक्रिया में मनुष्य के सामर्थ्य और कौशलों का प्रसार सम्मिलित है, जिससे वे अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को प्रभावित करने वाले कारकों तक पहुँच सकें एवं उन पर नियंत्रण कर सकें। विकास का लक्ष्य मनुष्यों द्वारा उनकी क्षमताओं और संसाधनों का पूर्णरूप उपयोग करना होता है। विकास कार्यक्रम में दी गई परिस्थितियों को बदलने के लिए सुविचारित प्रयासों पर केन्द्रित है।

विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यक्रमों की एक रूपरेखा बनायी जाती है। कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाते समय अधिकांश कार्यक्रमों में निम्न तीन घटकों में से एक या अधिक होते हैं जो किये जाने वाले क्रियाकलापों के केन्द्र बिन्दु और दृष्टिकोण को दिशा निर्देशित करते हैं। यथाविकासात्मक घटक, संस्थागत घटक और सूचनात्मक घटक।

लोकतांत्रिक क्रियाकलाप के रूप में विकास कार्यक्रम-आजकल विकास कार्यक्रम को लोकतांत्रिक क्रियाकलाप की भाँति देखा जाता है, जिसमें कार्यक्रम, विकास और मूल्यांकन से जुड़े विभिन्न विषयों के बारे में बातचीत और सहमति नीचे दर्शाए अनुसार आवश्यक है-

  1. मुख्य समस्याएँ, आवश्यकताएँ एवं अपेक्षाएँ क्या हैं?
  2. समस्याओं के समाधान के क्या विकल्प हैं।
  3. किस प्रकार के संसाधन, सूचनाएँ और तकनीकों की आवश्यकता है?
  4. किस प्रकार की परियोजनाओं और क्रियाकलापों को कार्यान्वित किया जाना चाहिए-कब, कैसे, कहाँ, कौन करें?
  5. कार्यक्रम का प्रबंधन और नियंत्रण कौन और कैसे करें?
  6. मूल्यांकन को किस प्रकार किया जाना चाहिए? इसे कौन करें और कब करें?

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