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RBSE 12th Home Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

April 6, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Home Science Model Papers Set 6 with Answers in Hindi Medium provided here.

RBSE Class 12 Home Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णाक : 56

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:

  1. परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  2. सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  3. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
  4. जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही. लिखें।

खण्ड – अ

प्रश्न 1.
बहुविकल्पी प्रश्न- (9 × 1 = 9)
(i) व्यक्ति के कार्य को किस आधार पर आँकना चाहिए-
(अ) मेहनत के आधार पर
(ब) कार्य की स्थिति के आधार पर
(स) मूल्यों और नैतिकता के आधार पर
(द) कार्य में लगे समय पर
उत्तर:
(स) मूल्यों और नैतिकता के आधार पर

(ii) उत्पादकता का संसाधन है-
(अ) श्रम.
(ब) पूँजी
(स) ऊर्जा
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

(iii) भारतीय अर्थव्यवस्था का उभरता क्षेत्र कहा गया है?
(अ) खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को
(ब) लोह इस्पात उद्योग को
(स) सूती वस्त्र उद्योग को
(द) इंजीनियरिंग उद्योग को
उत्तर:
(अ) खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को

(iv) समग्र पोषण योजना कब प्रारम्भ हुई थी?
(अ) 2012 में
(ब) 2016 में
(स) 2018 में
(द) 2020 में
उत्तर:
(स) 2018 में

(v) उदासीन रंग है-
(अ) सफेद
(ब) काला
(स) धूसर
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

(vi) फैशन है-
(अ) मात्र लोक कला
(ब) शैली
(स) कलाकृति
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) शैली

(vii) जनशक्ति या मानव संसाधन योजना का अंग कौन-सा है?
(अ) प्रतिपूर्ति
(ब) सुरक्षा
(स) जीविका योजना
(द) भर्ती तथा चयन
उत्तर:
(द) भर्ती तथा चयन

(viii) भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कब स्वीकृत किया गया था?
(अ) 1980 में
(ब) 1986 में
(स) 1988 में
(द) 1996 में
उत्तर:
(ब) 1986 में

(ix) टेलीविजन की अपेक्षा रेडियो प्रसारण अधिक लाभदायक है, क्योंकि-
(अ) यह सर्वाधिक सुगम है
(ब) यह अपेक्षाकृत सस्ता है
(स) यह चल माध्यम है
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए- (4 × 1 = 4)
(i) बाल श्रम सामान्यतः …………. वर्ष से कम आयु के बालक द्वारा की गई आर्थिक गतिविधि को कहते हैं।
(ii) होटल और भोजन प्रबंध सेवाएँ ……………. पर्यटन और …………… उद्योग की मदद करते हैं।
(iii) पैकेजिंग का उपयोग एक प्रमुख ……………………. साधन के रूप में किया जाता है।
(iv) सरकारी क्षेत्र अपनी ……………………. को बढ़ाने के लिए समारोह को मैच के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
उत्तर:
(i) पंद्रह,
(ii) पर्यटक, अवकाश,
(iii) विपणन,
(iv) छवि।

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- (8 × 1 = 8)
(i) किन कार्यों को नौकरी’ कहा जाता है?
उत्तर:
वे अधिकांश कार्य जिन्हें धन कमाने के लिए किया जाता है उन्हें परंपरागत रूप से ‘नौकरी’ कहा जाता है।

(ii) शिशु केन्द्र (केच) क्या है?
उत्तर:
शिशु केन्द्र या क्रेच एक संस्थागत शिशु देखभाल की व्यवस्था है। इसे प्राथमिक देखभालकर्ता के रूप में देखा जाता है।

(iii) विशेष शैक्षिक आवश्यकताओं से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अपंग या दिव्यांग बच्चों की जो भिन्न आवश्यकताएँ होती हैं, वे विशेष शैक्षिक आवश्यकताएँ कहलाती हैं।

(iv) अनुप्रयुक्त डिजाइन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अनुप्रयुक्त डिजाइन मुख्य डिजाइन का एक भाग होता है, जो मूल संरचना के ऊपर बनाया जाता है।

(v) स्वचालित मशीन में क्या प्रचलन होते हैं?
उत्तर:
स्वचालित मशीन में निम्न प्रचलन होते हैं-

  • जल भरना
  • जल स्तर नियंत्रण
  • जल के तापमान का नियंत्रण।

(vi) शिक्षा और जीविका संबंधी कार्यक्रम बताए।
उत्तर:
शिक्षा और जीविका संबंधी कार्यक्रम, जैसे-शैक्षिक मेले, वर्कशॉप, सेमिनार, डिबेट प्रतियोगिता, नौकरी विशेष कार्यक्रम आदि।

(vii) परिवार के सदस्यों और मेहमानों के बीच संप्रेषण को सुगम बनाने की प्रक्रिया कौन-सी है?
उत्तर:
पारिवारिक समारोह में आपस में सीधी बातचीत की प्रक्रिया द्वारा परिवार के सदस्यों और मेहमानों के बीच सम्प्रेषण को सुगम बनाया जा सकता है।

(viii) मानव संसाधन विकास से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानव संसाधन विकास संस्था में कर्मचारियों के ज्ञान, कौशलों तथा कार्यक्षमताओं में वृद्धि करने की प्रक्रिया है।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न- (12 × 1.5 = 18)

प्रश्न 4.
जन पोषण विशेषज्ञ की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जन पोषण विशेषज्ञ की भूमिका-पोषण स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण निर्धारक है। पूरे विश्व में परिवर्तित हो रहे स्वास्थ्य परिदृश्य ने जन पोषण विशेषज्ञों की चुनौतियों को बढ़ा दिया है। जन पोषण विशेषज्ञ सामुदायिक पोषण विशेषज्ञ भी कहलाते हैं वे जो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी भली-भाँति प्रशिक्षित और साधन संपन्न होते हैं, वे स्वास्थ्य संवर्धन और बीमारी की रोकथाम की सभी कार्यनीतियों में सहभागी बनने के लिए पूर्ण रूप से उपयुक्त होते हैं। प्रमुख क्षेत्रों में पोषण विज्ञान, पूरे जीवन क्रम में पोषण आवश्यकताएँ, पोषण मूल्यांकन, पोषण देख-रेख, खाद्य विज्ञान और कला, शैक्षिक पद्धतियाँ, जन-संचार माध्यमों का प्रयोग और कार्यक्रम प्रबंधन शामिल है।

प्रश्न 5.
खाद्य सेवा प्रबंधक में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
उत्तर:
खाद्य सेवा प्रबंधक/भोजन प्रबंधक में निम्न गुण होने चाहिए-

  • व्यंजन सूची नियोजन, खाद्य चयन, बनाने व परोसने के उपकरणों का ज्ञान।
  • संगठनात्मक व प्रबंधन कौशल व सफल कार्मिक निदेशन।
  • सफाई व स्वच्छता का निर्धारण करना।
  • लागत नियंत्रण की समुचित प्रणाली का ज्ञान।
  • अपशिष्ट प्रबंधन की पर्याप्त जानकारी।
  • पर्यावरण हितैषी क्रियाकलाप।

प्रश्न 6.
कोडेक्स ऐलिमेन्टैरियस क्या है?
उत्तर:
कोडेक्स ऐलिमेन्टैरियस- कोडेक्स एलिमेन्टेरियस कमीशन एक अंर्तसरकारी संस्था है, जिसे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य मानक, सुरक्षा और खाद्य तथा कृषि व्यापार को सुसाध्य बनाने के लिए स्थापित किया गया है। 1999 में इस संस्था के सदस्य देशों की संख्या 166 थी तथा एक सदस्य संगठन (यूरोपीय समुदाय) की थी इस संस्था द्वारा प्रकाशित प्रलेख को कोडेक्स ऐलिमेन्टैरियस कहा जाता है। इस प्रलेख में उपभोक्ताओं के बचाव और खाद्य व्यापार में निष्कपट पद्धतियों को सुनिश्चित करने के लिए मानक, पद्धति की नियमावली, मार्गदर्शन और अन्य अनुशंसाएँ शामिल हैं। विश्व के अनेक देश अपने राष्ट्रीय मानकों के विकास के लिए कोडेक्स मानकों का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 7.
खाद्य संदूषण एवं खाद्य अपमिश्रण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
खाद्य संदूषण- संसाधन अथवा भण्डारण के समय/पहले या बाद में खाद्य पदार्थ में हानिकारक. अखाद्य अथवा आपत्तिजनक बाहरी पदार्थों जैसे रसायन, सूक्ष्मजीव, तनुकारी पदार्थों की उपस्थिति खाद्य संदूषण कहलाता है।

अपमिश्रण- सस्ती अथवा नकली सामग्री तैयार करने के लिए जानबूझकर या संयोगवश अशुद्ध या अनावश्यक अवयवों को मिलाना अपमिश्रण कहलाता है। यह खाद्य पदार्थ के गुणों और संघटकों को बदल देती है तथा खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता को कम कर देता है।

प्रश्न 8.
अपंग बच्चों के लिए विशेष शिक्षा की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
अपंग बच्चों/विद्यार्थियों के लिए विशेष शिक्षा की प्रमुख आवश्यकताएँ हैं, क्योंकि-

  • विशेष शिक्षा उनके लिए सीखना सरल बनाती है।
  • यह शिक्षा विभिन्न क्रियाकलापों में उनकी भागीदारी संभव बनाती है, जिनमें वे अपनी अक्षमता अथवा विद्यालय के कारण भाग नहीं ले पाते थे।

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

प्रश्न 9.
आंगनबाड़ी विद्यालय पूर्व शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आंगनबाड़ी विद्यालय पूर्व शिक्षाः भारत सरकार ने इस समूह की आवश्यकताओं को आँगनबाड़ी द्वारा विद्यालय पूर्व शिक्षा देकर पूरा किया है जो इसकी समेकित बाल विकास सेवाओं के अन्तर्गत कार्य करती है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आँगनबाड़ियाँ कार्यरत हैं।

प्रश्न 10.
भारत में अनेक परिवार अपने सदस्यों की मूलभूत आवश्कताओं को पूरा करने में असफल क्यों होते हैं?
उत्तर:
भारत में कई कारणों से अनेक परिवार अपने सदस्यों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने अथवा समाज की अन्य संरचनाओं द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं तक पहुँचने और उसका उपयोग करने में असफल होते हैं। इसका एक प्रमुख कारणं परिवार में संसाधनों की विशेष रूप से वित्तीय संसाधनों की कमी है।

दूसरी ओर अनेक बच्चे, युवा एवं वृद्धजन अपने परिवारों से विभिन्न कारणों से अलग हो जाते हैं और अपने दम पर ही जीवनयापन करने के लिए छोड़ दिए जाते हैं। उनको भी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में कठिनाई होती है।

प्रश्न 11.
जब कोई महिला घर के बाहर नौकरी करती है, तब उसके शिशु की देखभाल के लिए कौन-सी वैकल्पिक व्यवस्थाएं हो सकती हैं?
उत्तर:
ऐसी स्थिति में जब कोई महिला घर के बाहर नौकरी करती है, तब उसके शिशु की देखभाल के लिए अग्रलिखित वैकल्पिक व्यवस्थाएँ हो सकती हैं-

  • शिशु की देखभाल के लिए या तो परिवार का कोई सदस्य हो सकता है अथवा वेतन पर रखा गया कोई व्यक्ति हो सकता है।
  • वैकल्पिक देखभाल की व्यवस्था घर में अथवा किसी संस्था अथवा शिशु केन्द्र (क्रेच) में हो सकती है। क्रेच को विशेष रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों की घर में देखभाल करने वालों की अनुपस्थिति में देखभाल के लिए बनाया जाता है।
  • दिवस देखभाल केन्द्र (डे केयर सेन्टर) में भी शिशु एवं विद्यालय पूर्व बच्चों की देखभाल की जाती है।

प्रश्न 12.
वस्त्रों की देखभाल व रख-रखाव की प्राथमिक आवश्यकताएँ कौनसी हैं?
उत्तर:
वस्त्रों की देखभाल और रख-रखाव का क्षेत्र एक तकनीकी क्षेत्र है। इसकी प्राथमिक आवश्यकताएँ हैं-

  • आवश्यक देखभाल के प्रभाव के संदर्भ में सामग्री का ज्ञान अर्थात् इसके रेशों की मात्रा, धागा और कपड़ा उत्पादन तकनीक और कपड़ों का रंग तथा की जाने वाली परिसज्जा।
  • अंतर्निहित प्रक्रियाओं का ज्ञान।
  • प्रक्रिया में प्रयुक्त रसायनों और अन्य अभिकर्मकों का और वस्त्र पर उनके प्रभाव का ज्ञान।
  • मशीनों की आवश्यकताओं और इनकी कार्यप्रणाली का व्यावहारिक ज्ञान।

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प्रश्न 13.
परिसज्जा के दोषों से उत्पन्न कमियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिसज्जा के दोषों से उत्पन्न कमियाँ-

  • झोलदार-जो कपड़ा काटने की मेज़ पर समतल नहीं रहता।
  • रगड़- एक भाग जहाँ कपड़ा रगड़ खाकर या घर्षण से क्षतिग्रस्त हो गया है।
  • कटा हुआ, फटा हुआ, क्रीज़, सलवटें और धुंघराले किनारे।
  • मशीनी चिह्न-कपड़े के किनारे पर बने बड़े पिन के छिद्र अथवा विकृत क्षेत्र जो परिसज्जा के समय कपड़े को चौड़ाई में पकड़ने पर बन जाते हैं। इन्हें पिन के चिह्न भी कहते हैं।
  • विषम परिसज्जा- परिसज्जा जो पूरे कपड़े में एक स्थान से दूसरे स्थान तक एक समान नहीं होती।

प्रश्न 14.
मानव संसाधन प्रबंधन एक बहु-आयामी प्रक्रिया है। कैसे? समझाइए।
उत्तर:
मानव संसाधन प्रबंधन एक बहु- आयामी प्रक्रिया है, क्योंकि इसमें विभिन्न कार्य शामिल किये जाते हैं। कर्मचारियों का चयन तथा स्थानन, उनका प्रवेश तथा प्रशिक्षण, उनके कार्य का मूल्यांकन, जीविका आयोजना तथा कर्मचारियों का संभावित विकास आदि समस्त प्रक्रियाएँ इसमें शामिल होती हैं। मानव संसाधन प्रबंधन की प्रक्रिया अभिप्रेरणा, नेतृत्व संसाधनों का प्रबंधन तथा संस्था में समस्त कर्मचारियों का प्रशिक्षण व विकास भी शामिल होता है। अपनी इस बहु विषयी प्रकृति के कारण ही मानव संसाधन प्रबंधन को बहु आयामी प्रक्रिया माना गया है।

प्रश्न 15.
समारोह को उसकी प्रकृति के आधार पर वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
समारोह को उसकी प्रकृति के आधार पर निम्न वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है-

  • सामाजिक/जीवनचक्र की घटनाएँ जैसे- जन्मदिन की पार्टी, सगाई, विवाह वर्षगाँठ, सेवानिवृत्ति दिवस आदि।
  • शिक्षा और जीविका संबंधी कार्यक्रम जैसे-शैक्षिक मेले, नौकरी विशेष कार्यक्रम, वर्कशॉप, सैमीनार, संगोष्ठी, डिबेट, प्रतियोगिता आदि।
  • खेलकूद समारोह जैसे-ओलंपिक, विश्वकप, मैराथन, विबलडन आदि।
  • मनोरंजन समारोह जैसे- मेले, त्योहार, फैशन-आभूषण प्रदर्शनी, सौंदर्य प्रतियोगिताएँ, स्टेज शो, संगीत संध्या, पुरस्कार वितरण आदि।
  • राजनैतिक समारोह जैसे-राजनैतिक जुलुस, प्रदर्शन, रैली, राजनैतिक कार्यक्रम आदि।

खण्ड – स

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न- (3 × 3 = 9)

प्रश्न 16.
नैदानिक पोषण की महत्त्वता में दिनों-दिन वृद्धि हो रही है। कैसे?
उत्तर:
रोग की स्थितियों पर नियंत्रण, रोकथाम और उपचार के लिए भोजन के उपयोग के तरीकों को सुधारने में गहरी रुचि होने पर हमें नैदानिक पोषण और आहारिकी का क्षेत्र चुनना चाहिए। डॉक्टरी पोषण और आहारिकी का भविष्य उज्ज्वल है। यद्यपि हम में से अधिकांश को आहार विशेषज्ञों और आहार सलाहकारों की भूमिका के बारे में पता है, लेकिन हमें शायद यह जानकारी नहीं है कि बीमारी की परिस्थितियों द्वारा होने वाले शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों पर शोध करने के अवसरों का दायरा बढ़ता जा रहा है। विभिन्न प्रकार की रोग स्थितियों की रोकथाम, उपचार और इलाज में पोषण के महत्त्व की स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है शोध से दवाओं और पोषण पूरकों का विकास; सामाजिक परिवेश में रोगियों के पुनर्वास; आहार संबंधी दिशानिर्देश और पोषण शिक्षा का विकास हुआ है।

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प्रश्न 17.
सरल रेखाक्या ? विभिन्न सरल रेखाओं तथा उनके प्रभावों को समझाइये।
उत्तर:
सरल रेखा- सरल रेखा एक दृढ़ अखण्डित रेखा होती है। सरल रेखाएँ अपनी दिशा के अनुसार विभिन्न प्रभावों का सर्जन एवं मनोवृत्ति का प्रदर्शन भी करती हैं। विभिन्न सरल रेखाओं एवं उनके प्रभाव निम्नलिखित है-

  • ऊर्ध्वाधर रेखाएँ-ये रेखाएँ ऊपर और नीचे गति पर बल देती है, ऊँचाई का महत्व बताती हैं और प्रभाव देती हैं जो तीव्र, सम्मानजनक और सुरक्षित होता है।
  • क्षैतिज रेखाएँ- क्षैतिज रेखायें एक ओर से दूसरी ओर गति पर बल देती हैं और चौड़ाई के भ्रम का सर्जन करती है, क्योंकि ये
    धरातली रेखा की पुनरावृत्ति करती हैं, ये एक . स्थायी एवं सौम्य प्रभाव देती है।
  • तिरछी अथवा विकर्णी रेखाएँ-तिरछी रेखाएँ कोण की कोटि और दिशा पर निर्भर करते हुये चौड़ाई और ऊँचाई को बढ़ाती या घटाती हैं। ये एक सक्रिय, आश्चर्यजनक अथवा नाटकीय प्रभाव सर्जित कर सकती हैं।

प्रश्न 18.
लक्षित श्रोताओं के लिए संचार माध्यम संदेश की विषय-वस्तु पर निर्णय लेने हेतु किन बातों पर विचार किया जाना चाहिए?
उत्तर:
विषय-वस्तु का प्रकार वह सीमा है, जहाँ तक कोई संचार माध्यम संदेश को अपने अभीष्ट अर्थ तथा वास्तविक बोध के साथ सही रूप में तथा सफलतापूर्वक पहुँचा सकने में सक्षम हों। जो यह लक्षित श्रोताओं के लिए नियोजित था लक्षित श्रोताओं के लिए संचार माध्यम संदेश की विषय वस्तु पर निर्णय लेने हेतु निम्नलिखित बातों पर विचार किया जाना चाहिए-

  • शामिल किए जाने वाली विषय-वस्तु के उपयोग संबंध निर्णय।
  • भाषा की किस्म तथा प्रकार के उपयोग संबंधी निर्णय।
  • अवधारणा या मुद्दे की विषय-वस्तु को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए तरीके (केवल मौखिक दृश्य अथवा मिले-जुले) संबंधी निर्णय।
  • अवधारणा एवं मुद्दे की विषय-वस्तु को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने के लिए लिखित (पाण्डुलिपि) अथवा चित्रयुक्त प्रस्तुतीकरण (चित्रों के प्रकार, स्वरूप और गुणवत्ता) संबंधी निर्णय।

निबंधात्मक प्रश्न (2 × 4 = 8)

प्रश्न 19.
विशेष शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान में उपलब्ध प्रमुख पाठ्यक्रम और सेवा-पूर्व प्रशिक्षणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
समावेशी शिक्षा के चार मॉडलों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
वर्तमान में विशेष शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्ध कुछ पाठ्यक्रम तथा सेवापूर्व प्रशिक्षण निम्नलिखित हैं-
(1) बाल्यावस्था विशेष शिक्षा में सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम-इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय (IGNU) की समावेश समर्थित प्रारंभिक बाल्यावस्था विशेष शिक्षा में सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम अभ्यर्थी को बाल्यावस्था विशेष/समावेशी शिक्षक बनने के योग्य बनाता है। इस पाठ्यक्रम को करने हेतु न्यूनतम शैक्षिक योग्यता कक्षा 10 पास होनी चाहिए। उच्च योग्यता प्राप्त व्यक्ति भी इसे कर सकते हैं।

(2) विशेष शिक्षा में स्नातक डिग्री-किसी भी क्षेत्र में स्नातक डिग्री लेने के बाद विशेष शिक्षा में स्नातक डिग्री अभ्यर्थी को विशेष या समावेशी विद्यालय में शिक्षक बनने के योग्य बनाती है। ऐसी डिग्री अभ्यर्थी को विशेष या समावेशी विद्यालय में शिक्षक बनने के योग्य बनाती है। ऐसी डिग्री पारंपरिक विश्वविद्यालयों, दूरस्थ शिक्षा विद्यालयों जैसे इग्नू तथा मानसिक रूप से अक्षम लोगों के लिए राष्ट्रीय संस्थान द्वारा प्रदान की जाती है।

(3) आर.सी.ई. द्वारा मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री पाठ्यक्रमजिन व्यक्तियों के पास बाल विकास, मानव-विकास, मनोविज्ञान अथवा सामाजिक कार्य जैसे क्षेत्रों में स्नातकोत्तर डिग्री है, वे आर.सी.ई द्वारा मान्यता प्राप्त किसी सर्टिफिकेट डिप्लोमा अथवा डिग्री कार्यक्रम को पूरा करके जिनमें प्रवेश के लिए योग्यता स्नातकोत्तर से कम हो, विशेष शिक्षा के क्षेत्र में जीविका प्राप्त कर सकते हैं। ये योग्यताएँ उन्हें विशेष शिक्षकों के रूप में मान्यता प्रदान करती हैं।

(4) अपंगता अध्ययनों में स्नातकोत्तर डिग्री-व्यक्ति अपंगता अध्ययनों में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करके अपंगता के क्षेत्र में वृहत्तर भूमिका निभा सकता है। स्नातकोत्तर डिग्री व्यक्ति को विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षण, अनुसंधान कार्यक्रमों की योजना बनाने और अपना निजी संगठन स्थापित करने के योग्य बनाती है।

(5) मानव-विकास या बाल-विकास में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम-मानव विकास या बाल-विकास के अनेक विभाग विभिन्न विश्वविद्यालयों में गृह विज्ञान संकाय के अन्तर्गत बाल्यावस्था दिव्यांगता से संबंधित पाठ्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। स्नातकोत्तर अध् ययन जिसमें अपंग बच्चों के लिए सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक अध्ययन सम्मिलित हैं, विद्यार्थियों की विभिन्न क्षमताओं के संस्थानों में कार्य करने के लिए तैयार कर सकते हैं। इस प्रकार कोई व्यक्ति उक्त किसी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर विशेष शिक्षा में सर्टिफिकेट/ डिप्लोमा/स्नातक डिग्री प्राप्त करके विशेष शिक्षा के क्षेत्र में जीविका हेतु प्रवेश पा सकता है।

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

प्रश्न 20.
(अ) विकास क्या है? समझाइए।
(ब) सतत् विकास को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
विकास कार्यक्रम चक्र के किन्हीं दो चरणों को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
(अ) विकास- विकास मनुष्य की क्षमताओं, विकल्पों और अवसरों को बढावा देने की वह प्रक्रिया है, जिससे वह दीर्घ, स्वस्थ तथा परिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें। इस प्रक्रिया में मनुष्य के सामर्थ्य और कौशल का प्रसार सम्मिलित है, जिससे वे अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को प्रमाणित करने वाले कारकों तक पहुँचा सकें। व उन पर नियंत्रण कर सकें। विकास का लक्ष्य मनुष्यों द्वारा उनकी क्षमताओं और संसाधनों का पूर्णतया उपयोग करना होता है। विकास एक प्रकार से ऐसी आंतकि शक्ति है जो किसी प्राणी या समाज को उन्नति की ओर ले जाता है। विकास उस स्थिति का नाम है जिससे प्राणी में कार्यक्षमता बढ़ती है। विकास को एक तरह से अभिवृद्धि भी कहा जा सकता है।

(ब) सतत विकास- सतत विकास से हमारा अभिप्राय ऐसे विकास से है, जो हमारी भावी पीढ़ियों की अपनी जरूरतें पूरी करने की योग्यता को प्रमाणित किये बिना वर्तमान समय की आवश्यकताएँ पूरी करे। सतत विकास को प्राप्त करने के लिए वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र संघ में महत्वाकांक्षी ‘सतत विकास लक्ष्य’ प्रस्तुत किए गए। इनमें 17 लक्ष्य निर्धारित किए गए जो वर्ष 2016 से 2030 तक के लिए लक्षित हैं।

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