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RBSE Class 12 Home Science Model Paper Set 9 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 56
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देशः
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न- (9 × 1 = 9)
(i) सुकार्यिकी द्वारा किन पहलुओं पर विचार किया जाता है-
(अ) श्रमिक क्षमता
(ब) कार्य की माँग
(स) कार्य परिवेश
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
(ii) गृहणियों द्वारा किया गया कार्य कहलाता है-
(अ) कर्त्तव्य
(ब) अहसान
(स) उपकार
(द) उद्यम
उत्तर:
(अ) कर्त्तव्य
(iii) एक आहार विशेषज्ञ विचार करता है-
(अ) पोषण तनाव पर
(ब) मानसिक तनाव पर
(स) परिष्कृत चिकित्सीय आहारों की स्वीकार्यता पर
(द) इन सभी परः
उत्तर:
(द) इन सभी परः
(iv) छोटे बच्चों में अंधेपन का मुख्य कारण है?
(अ) आयोडीन हीनता
(ब) विटामिन A की कमी
(स) लौहतत्वों की कमी
(द) प्रोटीन की कमी
उत्तर:
(ब) विटामिन A की कमी
(v) डिजाइन का तत्व है-
(अ) रेखा
(ब) रूप-रंग
(स) बुनावट
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
(vi) महिलाओं ने जींस पहननी आरम्भ नहीं की थी-
(अ)1990 के दशक तक
(ब) 1920 के दशक तक
(स)1850 के दशक तक
(द) 1950 के दशक तक
उत्तर:
(ब) 1920 के दशक तक
(vii) जीविका का मार्ग है-
(अ) व्यवसाय
(ब) नौकरी
(स) कृषि
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
(viii) कंज्यूमर वॉयस पत्रिका का प्रकाशन करता है-
(अ) वॉयस संगठन
(ब) सी. ई. आर. सी. संगठन
(स) घरेलू संगठन
(द) विश्व व्यापार संगठन
उत्तर:
(अ) वॉयस संगठन
(ix) शिक्षा के क्षेत्र की सेवा के लिए समर्पित उपग्रह है-
(अ) एडुसेट
(ब) इन्सेट
(स) कुरियन
(द) एप्पल
उत्तर:
(अ) एडुसेट
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए- (4 × 1 = 4)
(i) …………………….. मुख्यतः दैनिक जीवन की अधिकांश गतिविधियाँ हैं जिसे सभी व्यक्ति करते हैं।
(ii) व्यंजन सूची …………………… का साधन है।
(iii) सी.ई.आर.सी. जो कि ………………. का उपभोक्ता संगठन है।
(iv) मेले व ……………… संपर्क और जानकारी बढ़ाने के लिए आयोजित किए जाते हैं।
उत्तर:
(i) कार्य,
(ii) संप्रेषण,
(iii) अहमदाबाद,
(iv) सो प्रदर्शनियाँ।
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- (8 × 1 = 8)
(i) जीवन-स्तर और जीवन की गुणवत्ता किस तरह के सूचक हैं?
उत्तर:
जीवन-स्तर और जीवन की गुणवत्ता ऐसे सूचक हैं जो किसी विशेष स्थान और ” निर्धारित समय विशेष पर एक सामान्य चित्र प्रस्तुत करते हैं कि ‘वहाँ जीवन कैसा है।’
(ii) बच्चा अपनी माँ से अत्यधिक लगाव क्यों रखता है?
उत्तर:
बच्चा अपनी माँ से अत्यधिक लगाव रखता है क्योंकि वह जन्म से ही अधिकतर माँ की देखभाल में रहता है।
(iii) समावेशी शिक्षा किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब विशेष शिक्षा आवश्यकता वाले बच्चे सामान्य कक्षाओं में अपने साथियों के साथ पढ़ते हैं तो यह व्यवस्था समावेशी शिक्षा कहलाती है।
(iv) उत्तेजित प्रभाव वाले समूह में आने वाले रंगों के नाम बताइये।
उत्तर:
लाल, नारंगी और पीला।
(v) आलोड़न क्या होता है?
उत्तर:
यह ऊपर से कपड़े डालने वाली मशीनों में प्रयोग में लाया जाता है। आलोड़क में ब्लेड होते हैं जो घूम सकते हैं या दोलन कर सकते हैं। इससे टब में धारा का प्रवाह होता है जिससे जल वेगपूर्वक कपड़े को गीला कर देता है।
(vi) निगमित संस्थान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कानून के अंतर्गत स्थापित की गई कम्पनी को निगमित संस्थान कहते हैं।
(vii) ग्रीन इवेंट क्या है?
उत्तर:
पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना आयोजित किया जाने वाला समारोह ग्रीन इवेंट कहलाता है।
(viii) मानव संसाधन प्रबंधन में किन निर्णयों पर ध्यान दिया जाता है?
उत्तर:
मानव संसाधन प्रबंधन में एक संगठन में उन सभी निर्णयों पर ध्यान दिया जाता है जो एक प्रबंधक द्वारा कर्मचारियों के चयन, भर्ती, प्रशिक्षण व विकास करने के लिए किये जाते हैं।
खण्ड – ब
लघूत्तरात्मक प्रश्न- (12 × 1.5 = 18)
प्रश्न 4.
भारत में पोषण सम्बन्धी समस्याओं को दर्शाने वाले पहलुओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हमारे देश में पोषण संबंधी समस्याओं के आँकड़े खतरे का संकेत देने वाली परिस्थिति को दर्शाते हैं।
भारत में जन्म लेने वाले लगभग 1/5 बच्चे, कम जन्म-भार वाले बच्चे होते हैं अर्थात् जन्म के समय उनका भार 2500 ग्राम या 2.5 किग्रा से कम होता है। ये शिशु इस अक्षमता के साथ जीवन प्रारंभ करते हैं जो उन्हें उनकी विकासशील अवस्था में निरन्तर कष्ट देता रहता है और उनकी प्रौढ़ अवस्था में भी अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवारों के विद्यालयपूर्व आयु के बच्चों में वृद्धि-मंदन व्यापक रूप से पाया जाता है और लगभग आधे बच्चे मध्यम और साधारण अल्पपोषण से ग्रसित होते हैं
बच्चों (और प्रोढ़ों) की बड़ी संख्या गंभीरता के विभिन्न स्तरों पर सक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से पीड़ित हैं। सबसे अधिक महत्त्व वाले सूक्ष्मपोषक लौहतत्व जिंक, विटामिन ए, विटामिन सी, आयोडीन फॉलिक अम्ल और विटामिन बी-12 हैं।
प्रश्न 5.
खाद्य सेवा में प्रमुख कार्य क्षेत्र क्या है?
उत्तर:
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय उद्योग है, जो प्रशिक्षित लोगों को कुछ समय या अपनी पूरी जीविका के लिए विदेशों में काम करने के अवसर उपलब्ध कराता है।
- इस क्षेत्र में काम करने के अन्य अवसर हैं, खान-पान इकाइयों में क्रूज जहाजों, एयरलाइंस और रेलवे को भोजन प्रदान करने आदि में।
- बड़े निजी अस्पतालों में भी रसोई कैफेटेरिया और होस्टल में खान-पान प्रबंधक होते हैं।
प्रश्न 6.
साध मानक से आप क्या समझते हैं? इसके स्तर बताइए।
उत्तर:
खाद्य मानक:
खाद्य के प्रत्येक पहलू में एकीकृत गुणवत्ता लाने, स्वच्छ, पौष्टिक खाद्य की आपूर्ति सुनिश्चित करने के अतिरिक्त देश के भीतर तथा विभिन्न देशों के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए प्रभावी खाद्य मानकों एवं नियंत्रण प्रणालियों की आवश्यकता होती है।
मानकों के स्तर:
मानकों के चार स्तर हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- कंपनी मानक
- राष्ट्रीय मानक
- क्षेत्रीय मानक
- अन्तर्राष्ट्रीय मानक।
प्रश्न 7.
खाय गुणवत्ता क्या है? इसे सुनिश्चित करने के लिए कौन-सी बाते ध्यान में रखनी चाहिए?
उत्तर:
खाद्य गुणवत्ता:
खाद्य गुणवत्ता उन गुणों की ओर संकेत करता है जो उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों के गुणों को प्रभावित करते हैं। इनमें नकारात्मक और सकारात्मक दोनों प्रकार के गुण सम्मिलित हैं।
सुरक्षा, गुणवत्ता का प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण गुण है। सभी खाद्य सेवा उपलब्ध कराने वाले खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निम्न बातों को ध्यान में रखें-
- कच्चे माल एवं जल की गुणवत्ता
- परिसर, कर्मचारियों, उपकरणों, खाद्य निर्माण और भंडारण क्षेत्रों की स्वच्छता
- उपयुक्त ताप पर खाद्य भंडारण
- खाद्य स्वास्थ्य विज्ञान
- बेहतर सेवा के तरीके।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित का विस्तार कीजिए-
(i) IEP (ii) SEN (iii) IGNOU
उत्तर:
(i) IEP = वैयक्तिक शिक्षा कार्यक्रम
(ii) SEN = विशेष शिक्षा आवश्यकता
(iii) IGNOU = इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय।
प्रश्न 9.
छोटे बच्चे की संस्थागत देखभाल का बच्चों को क्या लाभ है?
उत्तर:
छोटे बच्चे की संस्थागत देखभाल का बड़े बच्चों को लाभ- प्रायः सुदूर क्षेत्रीय अथवा कम संसाधन वाले परिवारों में छोटे बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी बड़े विद्यालयी बच्चों को दे दी जाती है जिससे उनकी पढ़ाई रुक जाती हैं ऐसी स्थिति में छोटे बच्चों की संस्थागत देखभाल, बड़े बच्चों के लए लाभदायक हो जाती है और बड़े बच्चे भी स्कूल जा पाते हैं। इस प्रकार विद्यालय पूर्व केन्द्र या संस्थाएँ अगली पीढ़ी के बच्चों के भविष्य निर्माण और विकास के काम में समाज की सहायता करते हैं।
प्रश्न 10.
युवाओं के लिए किस प्रकार के कार्यक्रम उपयुक्त होते हैं?
उत्तर:
युवाओं के लिए कार्यक्रम:
- सामाजिक रूप से उपयोगी और आर्थिक रूप से उत्पादक होने के लिए युवाओं को उचित शिक्षा और प्रशिक्षण, लाभदायक रोजगार और व्यक्तिगत विकास एवं तरक्की के लिए उचित अवसरों की आवश्यकता होती है।
- युवाओं को अपेक्षित आश्रय, स्वच्छ परिवेश और अच्छी मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं, सभी प्रकार के शोषणों के विरुद्ध सामाजिक सुरक्षा, संरक्षण और युवाओं से संबंधित मुद्दों से सरोकार रखने वाली निर्णायक संस्थाओं और सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मामलों में उपयुक्त भागीदारी के अवसरों तक पहुंच कराने वाले कार्यक्रम उपयुक्त होते हैं।
- युवाओं के लिए खेलों, शारीरिक शिक्षा, साहसी और मनोरंजनात्मक अवसरों तक पहुँच कराने वाले कार्यक्रम उपयुक्त रहते हैं।
प्रश्न 11.
आजकल संस्थागत शिशु देखभाल के प्रावधान की आवश्यकता क्यों बढ़ती जा रही है? समझाए।
उत्तर:
अधिकांश मामलों में बच्चे कुछ वर्षों तक मात्र अपने परिवार में ही पलते हैं। कुछ मामलों में जहाँ माँ घर के बाहर काम के लिए जाती है, वहाँ बच्चों की देखभाल के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की आवश्यकता होती है। सामान्यतया पारंपरिक रूप से बच्चे की देखभाल परिवार की अन्य महिला पर होती थी जो स्थाई रूप से परिवार के साथ रहती थी जैसे कि संयुक्त परिवारों में आधुनिक समय में एकल परिवार होने, पति-पत्नी दोनों के कामकाजी होने या घर में कोई अन्य देखभाल करने वाले का न होने की स्थिति में संस्थागत देखभाल के प्रावधान की आवश्यकता बढ़ती जा रही है।
प्रश्न 12.
वस्त्र की देखभाल व रख-रखाव के क्षेत्र में कार्यक्षेत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यह एक क्षेत्र है जहाँ वस्त्र निर्माण और पोशाक निर्माण, वस्त्र और परिधान में विशेषज्ञता प्राप्त लोग स्वउद्यमी गतिविधियों में प्रवेश करने का प्रयास कर सकते हैं। ये सेवाएँ ग्राहकों को महानगरीय क्षेत्रों में बहुत मदद और सहायता दे सकती हैं, जहाँ महिलाएँ घर से बाहर काम करने जाती हैं। इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में, उपचार गृह, छोटे अस्पताल, दिवस “देखभाल केंद्र, इत्यादि भी हो सकते हैं जिन्हें नियमित रूप से इन सेवाओं की आवश्यकता रहती है। कोई व्यक्ति रेलवे, विमान कंपनियों, पोत-परिवहन कंपनियों, होटलों और अस्पतालों अर्थात् संस्थाओं और प्रतिष्ठानों की उच्च तकनीक वाले धुलाई घरों में काम का चयन कर सकता है, जहाँ अंदर ही उनके अपने वस्त्रों और पोशाकों की देखभाल और रख-रखाव की व्यवस्था रहती है।
प्रश्न 13.
गुणवत्ता से संबंधित निम्न शब्दावली क्या है?
(i) गुणवत्ता नियंत्रण
(ii) गुणवत्ता आश्वासन
(iii) गुणवत्ता प्रबंधन।
उत्तर:
गुणवत्ता नियंत्रण- ‘शून्य दोष’ वाला उत्पाद पाने के उद्देश्य से समस्या समाधान की प्रक्रिया।
गुणवत्ता आश्वासन- निवारक समस्या प्रबंधन की वह प्रक्रिया जहाँ समस्या की पहले से संभावना है और समाधान निकाल
लिया जाता है ताकि समस्या उत्पन्न ही न हो।
गुणवत्ता प्रबंधन- गुणवत्ता प्रणालियों के क्रियान्वयन और निगरानी की प्रक्रिया अर्थात् पूर्ण गुणवत्ता प्रबंधन आई.एस.ओ. इत्यादि ।
प्रश्न 14.
मानव संसाधन प्रबंधन की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
मानव संसाधन प्रबंधन अध्ययन का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। जिसका आविर्भाव संसाधन प्रबंधन से होता है। इसका किसी व्यक्ति तथा संस्थाओं की दक्षता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। किसी संस्था में लोगों के चयन, भर्ती, प्रशिक्षण, कौशल प्रदान करने व उनसे सम्बन्धित विभिन्न प्रकार की दशाओं के निर्धारण हेतु मानव संसाधन प्रबंधन की आवश्यकता होती है। मानव संसाधन प्रबंधन आधुनिक युग की एक महती आवश्यकता बन गयी है। जीविका के सम्भावित विकल्पों की खोज में भी इसका अहम् योगदान सिद्ध हो रहा है।
प्रश्न 15.
समारोह प्रबंधन के क्षेत्र में जीविका के अवसर कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
समारोह प्रबंधन के क्षेत्र में जीविका संबंधी अनेक विकल्प उपलब्ध हैं। यदि कोई नवागंतुक है तो उसके लिए निम्न विकल्प हो सकते हैं। जैसे-समारोह योजनाकार/समारोह प्रबंधक, समारोह समन्वयक, सूचना प्रबंधक आदि।
- यदि समारोह प्रबंधन के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहते हैं तो उसके लिए निम्न विकल्प हो सकते हैं।
- ग्राफिक डिजाइनर, संकल्पनाकार, सर्जनात्मक डिजाइनर, तकनीकी प्रबंधक, समारोह प्रबंधक, खाद्य एवं पेय प्रबंधक, विपणन प्रबंधक, मानव संसाधन (एच. आर.) प्रबंधक, संभारिकी (लॉजिस्टिक्स) प्रबंधक, सुरक्षा प्रबंधक, आधारभूत संरचना प्रबंधक, गुणवत्ता आश्वासन प्रबंधक, वित्त प्रबंधक।
खण्ड – स
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न- (3 × 3 = 9)
प्रश्न 16.
तरलता में परिवर्तन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
तरलता में परिवर्तन- परिस्थितियों के अनुसार, रोगियों को तरल, नरम या नियमित आहार/ठोस खाद्य पदार्थ लेने की सलाह दी जा सकती है।
(i) तरल आहार कमरे के ताप पर सामान्यतः द्रव अवस्था में रहते हैं। इन्हें पूर्व तरल आहार के रूप में भी जाना जाता है। इनमें ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं जो फाइबर से मुक्त होते हैं और पोषक रूप से पर्याप्त होते हैं। इसका लाभ यह है कि यदि जठरांत्र (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) क्षेत्र सामान्य रूप से कार्य कर रहा है तो पोषक भली-भाँति अवशोषित हो जाते हैं। इस प्रकार के आहार लेने की सलाह उन व्यक्तियों को दी जाती है जो सामान्य रूप से चबा या निगल नहीं सकते। पोस्ट ऑपरेटिव रोगी या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों (जैसे-अल्सर) के रोगियों आदि को। इस प्रकार के आहारों के उदाहरण हैं-नारियल पानी, फलों के रस, सूप, दूध, छाछ, मिल्क शेक, इत्यादि। परंतु इनकी सीमा यह है कि व्यक्ति की पोषण आवश्यकताओं को इनसे पूर्ण रूप से पूरा करना आसान नहीं है।
(ii) नरम आहार-नरम परंतु ठोस भोजन पदार्थ उपलब्ध कराता है, जो हलके पकाए जाते हैं। इनमें अधिक रेशेदार या गैसे बनाने वाले खाद्य पदार्थ नहीं होते। इन आहारों को चबाना और पचाना आसान होता है।
प्रश्न 17.
डिजाइन विश्लेषण क्या है? इसके अध्ययन के पहलुओं को बताइये?
उत्तर:
डिजाइन विश्लेषण- चाही गई वस्तु की रचना के लिये डिजाइन एक योजना के अनुसार व्यवस्थित होती है। यह योजना के कार्यात्मक भाग में एक कदम आगे होती है और एक परिणाम देती है, जिससे सौंदर्यबोधक सन्तोष मिलता है। इसका अध्ययन दो पहलुओं में होता है-
(1) संरचनात्मक डिजाइन-संरचनात्मक डिजाइन वह डिजाइन वह है जो रूप पर निर्भर करता है, न कि ऊपरी सजावट पर। वस्त्र उत्पादन में संरचनात्मक डिजाइन में सम्मिलित है- रेशों का मूल संसाधन, रेशों और धागों के प्रकार, बुनाई इत्यादि में विविधता और वे स्थितियाँ जहाँ रंग मिलाना है। पोशाक में यह कपड़े की मूल कटाई या आकार से सम्बन्ध रखता है।
(2) अनुप्रयुक्त डिजाइन-अनुप्रयुक्त डिजाइन मुख्य डिजाइन का एक भाग होता है जो मूल संरचना के ऊपर बनाया जाता है। वस्त्र की सज्जा में रँगाई तथा छपाई, कसीदीकारी और विलक्षण सुई-धागे का काम उसके रूप को बदल देता है। इसमें पोशाकों पर सँवारने का तथा बाँधने की युक्तियाँ सम्मिलित रहती हैं, जो अन्तिम उत्पाद के महत्व को बढ़ा देती हैं।
प्रश्न 18.
व्यक्तियों को समझाने-मनाने के लिए संचार साधन के रूप में संचार माध्यम आयोजना महत्वपूर्ण क्यों हो गई हैं?
उत्तर:
व्यक्तियों को समझाने-मनाने के लिए संचार साधन के लिए संचार माध्यम आयोजना महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि-
- संचार माध्यम आयोजना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पहले से निर्धारित किए गए उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए यह तय किय जाता है कि कम लागत में संचार के कौन-कौन से माध्यमों को शामिल किया जाये।
- संचार माध्यम आयोजना व्यक्तियों को समझाने-मनाने की कार्यवाही के क्रम को डिजाइन करने की ऐसी प्रक्रिया है जो दर्शाती है कि किस प्रकार विज्ञापन और विपणन के उद्देश्यों को प्राप्त, करने के लिए विज्ञापन समय तथा स्थान का उपयोग किया जा सकता है।
- संचार माध्यमों की आयोजना में विज्ञापन के लिए मात्रा माध्यम का चयन करने के साथ ही साथ विज्ञापनों की विस्तार सीमाओं का भी विश्लेषण किया जाता है।
- संचार माध्यम आयोजना में मुद्दे अथवा विचार के प्रस्तुतीकरण की लागत पर भी विचार किया जाता है।
- संचार माध्यम योजनाकार संचार माध्यम के बजट तथा उसकी पहुँच को देखते हुए किसी संचार माध्यम का चयन करता है। अधिकतम पहुँच वाले सस्ते संचार माध्यम का चयन किया जाता है।
- सूचना संप्रेषण के लिए संचार माध्यम आयोजना की जाती है जिससे कि आवश्यक परिवर्तन लाये जा सकें। इस सम्बंध में संचार माध्यम योजना का चार मुख्य मानदण्डों का यान दे सकता है- पहुँच, बारंबारता, निरंतरता और लागत।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि व्यक्तियों को समझाने -मनाने के लिए संचार साधन के लिए संचार माध्यम आयोजना महत्वपूर्ण हो गई है।
निबंधात्मक प्रश्न- (2 × 4 = 8)
प्रश्न 19.
समावेशी शिक्षा/विशेष शिक्षा के मॉडल बताइए। विशेष और समावेशी शिक्षा के प्रभावी होने के लिए सहायक सेवाएँ कौन-सी हैं?
अथवा
टिप्पणी लिखिए-
(i) विशेष शिक्षा
(ii) समावेशी शिक्षा
(iii) विशेष शिक्षक
(iv) विशेष आवश्यकता वाले बच्चे।
उत्तर:
समावेशी शिक्षा/विशेष शिक्षा के मॉडल:
- समावेशी शिक्षा- जब विशेष शिक्षा आवश्यकता वाले विद्यार्थी सामान्य कक्षाओं में अपने साथियों के साथ पढ़ते हैं तो यह व्यवस्था समावेशी शिक्षा कहलाती है।
- विशेष विद्यालय- कुछ विद्यालय केवल दिव्यांग बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं। ऐसे विद्यालय विशेष विद्यालय की श्रेणी में आते हैं।
- सामान्य शिक्षा विद्यालय- विशेष बच्चों के लिए शिक्षा कार्यक्रम, एक सामान्य शिक्षा विद्यालय के परिसर में भी चलाया जा सकता है।
- समावेशी सामान्य विद्यालय-इनमें विशेष शिक्षा आवश्यकता वाले विद्यार्थी नियमित कक्षाओं में पढ़ते हैं।
विशेष और समावेशी शिक्षा के प्रभावी होने के लिए सहायक सेवाएँ-विशेष और समावेशी शिक्षा के प्रभावशाली होने के लिए बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों और अभिभावकों के लिए सहायता सेवाएँ भी उपलब्ध होनी चाहिए। ये विद्यालय में अथवा – समुदाय में स्थित हो सकती हैं, जहाँ ये 5 आसानी से परिवार की पहुँच में हों। ये सहायक सेवाएँ हैं-
- विशेष शिक्षा की आवश्यकता वाले रे विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए संसाधन सामग्री
- विद्यार्थियों के लिए परिवहन सेवा
- वाक् चिकित्सा
- शारीरिक और व्यावसायिक चिकित्सा
- बच्चों, माता-पिता और शिक्षकों के लिए परामर्श सेवा
- चिकित्सा सेवाएँ।
प्रश्न 20.
विकास कार्यक्रमों और मूल्यांकन के क्षेत्र में आवश्यक ज्ञान एवं कौशल तथा कार्यक्षेत्र को विस्तार से समझाइये।
अथवा
विकास कार्यक्रम के विभिन्न घटकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विकास कार्यक्रमों और मूल्यांकन के क्षेत्र में आवश्यक ज्ञान एवं कौशल- विकास-कार्यक्रम और मूल्यांकन संचार एवं विस्तार विषय के मूल क्षेत्र की भाँति इसके व्यवसायियों से नयी भूमिकाओं की अपेक्षा रखता है जैसे-विकास कार्यक्रमों के मूल्यांकन, कार्यक्रम योजनाकार, प्रबंधक, कार्यान्वयनकर्ता आदि। इन भूमिकाओं में विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान और कौशल की माँग होती है। आज विकास कार्यक्रम में सहभागिता के दृष्टिकोण को अपनाया जाता है। जिसमें डिजाइन करने, बजट बनाने आँकड़े एकत्र करने के तरीकों और आँकड़ों के विश्लेषण व प्रस्तुतीकरण में उसी परम्परागत तकनीकी ज्ञान व कौशल की आवश्यकता होती है, लेकिन नए दृष्टिकोण में विशेष रूप से राजनैतिक एवं नैतिक क्षेत्र में अतिरिक्त कौशल और तैयारी की आवश्यकता होती है। यथा-
1. राजनैतिक क्षेत्र-राजनैतिक क्षेत्र में विस्तार कार्मिक में संस्थागत संदर्भ एवं सत्ता ढाँचे का विश्लेषण करने में अपनी वार्ता की क्षमताओं को सुधार करने का कौशल होना चाहिए। इसमें श्रवण कौशल और विभिन्न व्यक्तियों तथा संस्थाओं के साथ काम करते हुए आपसी विश्वास विकसित करना और क्षमताएँ गठन करना सम्मिलित है।
2. नैतिक क्षेत्र-नैतिक क्षेत्र में, विस्तार और संचार से जुड़े रहने के साथ-साथ कार्यक्रम से संबंधित दूसरे पक्ष के हितों, मूल्यों और प्रतिबद्धता से मूल्यांकन की क्षमता भी होनी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि प्रोत्साहित करने के लिए किस प्रकार के परिवर्तनों पर विचार करें और किस प्रकार के प्रतिकूल प्रभावों से बचा जाए।
3. पणधारियों एवं सहभागियों के सहयोग की क्षमता को सुनिश्चित करने का कौशल-रचनात्मक और प्रभावी कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए समस्त संबंधित पण रियों और सहभागियों के सहयोग और एकजुट कार्य करने की क्षमता को सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है।
4. विकास शिक्षा के सिद्धान्तों को समझना-विकास कार्यक्रम के व्यावसायिकों को विकास शिक्षा के सिद्धान्तों को समझना और प्रयोग में अवश्य लाना चाहिए। कार्यक्षेत्र विकास कार्यक्रम और मूल्यांकन ऐसे क्रियाकलाप हैं जो व्यष्टि एवं समष्टि दोनों स्तरों पर बहुत प्रभाव डालते हैं। यथा-
- व्यष्टि स्तर पर विकास कार्यक्रम और मूल्यांकन से कार्यक्रमों की प्रभावशीलता और क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है और इनसे हिताधिकारियों को कार्यक्रम से लाभ पहुँचाने में सहायता मिलती है।
- समष्टि स्तर पर कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में बुनियादी स्तर की वास्तविकताओं के लिए अमूल्य अंतर्दृष्टि और प्रबंधन संभार-तंत्र के द्वारा सूचना उपलब्ध होती है। इससे वर्तमान नीतियों को बदलने और भविष्य की नीतियों को आकार देने में सहायता मिलती है।
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