Students must start practicing the questions from RBSE 12th Physics Model Papers Set 6 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Physics Model Paper Set 6 with Answers in Hindi
पूर्णांक : 56
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों के आंतरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न-निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) एक इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन 1Å दूरी पर स्थित हैं। निकाय का द्विध्रुव आघूर्ण है- [1]
(अ) 3.2 × 10-29 Cm
(ब) 1.6 × 10-19 Cm
(स) 1.6 × 10-29 Cm
(द) 3.2 × 10-19 Cm
उत्तर:
(स) 1.6 × 10-29 Cm
(ii) दो गोलाकार चालकों की त्रिज्याओं का अनुपात 1 : 2 है, तो उनकी धारिताओं का अनुपात होगा- [1]
(अ) 4 : 1
(ब) 1 : 4
(स) 1 : 2
(द) 2 : 1
उत्तर:
(स) 1 : 2
(iii) अपवाह वेग vd की विद्युत क्षेत्र E पर निम्नलिखित में से कौन-सी निर्भरता में ओम के नियम का पालन होता है? [1]
(अ) vd ∝ E2
(ब) vd ∝ E
(स) vd ∝ E1/2
(द) vd = स्थिरांक
उत्तर:
(ब) vd ∝ E
(iv) यदि G प्रतिरोध के धारामापी से मुख धारा की 2% धारा पूर्ण विक्षेप के लिए आवश्यक हो तो पार्श्व पथ (शण्ट) का प्रतिरोध होगा-
[1]
(अ) \(\frac{\mathrm{G}}{50}\)
(ब) \(\frac{\mathrm{G}}{49}\)
(स) 49G
(द) 50G
उत्तर:
(ब) \(\frac{\mathrm{G}}{49}\)
(v) यदि 2 × 10-3H स्वप्रेरण गुणांक वाली कुण्डली में धारा 0.15 में एकसमान रूप से 1A तक बढ़ती है तो प्रेरित
वि. वा. बल का परिमाण होगा [1]
(अ) 2V
(ब) 0.2V
(स) 0.02V
(द) शून्य
उत्तर:
(स) 0.02V
(vi) एक इलेक्ट्रॉन तथा एक प्रोटॉन 10Å विमा के एक रेखीय बॉक्स में रहने हेतु बाध्य हैं। तब इनके संवेगों में अनिश्चितताओं का अनुपात है- [1]
(अ) 1 : 1
(ब) 1 : 1836
(स) 1836 : 1
(द) अपर्याप्त सूचना
उत्तर:
(अ) 1 : 1
(vii) नाभिक \({ }_{34}^{64} \mathrm{Zn}\) की त्रिज्या लगभग है (फर्मी में)- [1]
(अ) 1.2
(ब) 2.4
(स) 4.8
(द) 3.7
उत्तर:
(स) 4.8
(viii) कुचालक में संयोजकता बैंड और चालन बैंड के मध्य वर्जित ऊर्जा अन्तराल निम्नलिखित कोटि का होता है- [1]
(अ) 1ev
(ब) 6ev
(स) 0.1ev
(द) 0.01ev
उत्तर:
(ब) 6ev
(ix) एक द्विनिवेशी OR गेट में निर्गत शून्य होगा, यदि- [1]
(अ) कोई एक निवेश 1 हो
(ब) दोनों निवेश 1 हो
(स) दोनों निवेश 0 हो
(द) एक निवेश 0 हो
उत्तर:
(स) दोनों निवेश 0 हो
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) JC-1 ………………………… का मात्रक है। [1]
(ii) किसी वैद्युत परिपथ में किसी संधि पर मिलने वाली समस्त धाराओं का …………………….. योग शून्य होता है। [1]
(iii) किसी परिपथ का स्वप्रेरकत्व परिपथ में एकांक धारा स्थापित करने के लिए प्रेरित वि. वा. बल के विरुद्ध किए गए कार्य का ………………. होता है। [1]
(iv) ………………………… ताप पर अर्द्धचालक एक आदर्श अंचालक की भाँति व्यवहार करता है। [1]
उत्तर:
(i) विद्युत विभव
(ii) बीजगणितीय
(iii) दोगुना
(iv) परमशून्य
प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर एक पंक्ति में दीजिए-
(i) सेल का विद्युत वाहक बल हमेशा टर्मिनल वोल्टेज से अधिक होता है, क्यों? कारण दीजिए।
उत्तर:
क्योंकि विभव का कुछ भाग सेल के अल्प आन्तरिक प्रतिरोध से व्यय हो जाता है।
(ii) धारामापी के लिए दक्षतांक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
धारामापी में एकांक विक्षेप के लिए आवश्यक धारा के मान को धारामापी का दक्षतांक कहते हैं।
(iii) किसी परिनालिका का स्वप्रेरण गुणांक किन-किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी परिनालिका का स्वप्रेरण गुणांक परिनालिका के भीतर भरे माध्यम (क्रोड) की आपेक्षिक चुम्बकशीलता μr फेरों की संख्या N, परिनालिका की लम्बाई l तथा अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल A पर निर्भर करता है।
(iv) 100 V के विभान्तर से त्वरित इलेक्ट्रॉन की डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन की डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λe = \(\frac{12.27}{\sqrt{V}}\)Å
= \(\frac{12.27}{\sqrt{100}}\) = 1.227Å
(v) क्या फोटॉन की डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य विद्युत चुम्बकीय तरंग के फोटॉन की तरंगदैर्ध्य के समान है?
उत्तर:
हाँ, फोटॉन की तरंगदैर्ध्य एवं फोटॉन की डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य दोनों समान होती हैं।
(vi) नाभिकीय बन्धन ऊर्जा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी नाभिक की बन्धन ऊर्जा, ऊर्जा की वह मात्रा है जो नाभिक को देने पर उसके समस्त न्यूक्लिऑनों को बंधन मुक्त कर दे।
(vii) त्वचा रोग के उपचार के लिए किस रेडियोएक्टिव समस्थानिक का उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
स्ट्रांशियम-90 का उपयोग
(viii) फोटो डायोड का मुख्य उपयोग क्या है?
उत्तर:
फोटो डायोड का उपयोग प्रकाश संसूचक की तरह होता है।
खण्ड – (ब)
प्रश्न 4.
दो आवेश +q तथा -q चित्रानुसार व्यवस्थित हैं, A तथा B बिन्दुओं पर विभव क्रमश: VA तथा VB हैं, तब VA – VB ज्ञात करो। [1½]
उत्तर:
बिन्दु A पर नेट विभव
VA = +q के कारण विभव + (-q) के कारण विभव
बिन्दु B पर नेट विभव
VB = (+q) के कारण विभव + (-q) के कारण विभव
प्रश्न 5.
आरेख में दर्शाए गये परिपथ में संधारित्र C2 का विभवान्तर तथा इसमें संचित ऊर्जा का मान परिकलित कीजिए। दिया गया है:
A पर विभव 90 V, C1 = 20 μF, C2 = 30 μF, C3 = 15 μF. [3/4 + 3/4 = 1½]
उत्तर:
तीनों संधारित्रों की परिणामी धारिता
\(\frac{1}{C}\) = \(\frac{1}{\mathrm{C}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{C}_{2}}+\frac{1}{\mathrm{C}_{3}}\)
= \(\frac{1}{20}+\frac{1}{30}+\frac{1}{15}\) = \(\frac{3+2+4}{60}\) = \(\frac{9}{60}=\frac{3}{20}\)
कुल आवेश = q = CV
= \(\frac{20}{3}\) × 10-6 × (90 – 0)
= 600 × 10-6C
चूँकि श्रेणीक्रम में आवेश समान रहता है।
∴ q = C2V2
V2 = \(\frac{q}{\mathrm{C}_{2}}=\frac{600 \times 10^{-6}}{30 \times 10^{-6}}\) = 20 वोल्ट
संधारित्र C2 की ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\)CV2
= \(\frac{1}{2}\) × 30 × 10-6 × 20 × 20
= 6 × 10-3 जूल
प्रश्न 6.
ओम के नियम का सदिश रूप \(\overrightarrow{\mathbf{J}}=\sigma \overrightarrow{\mathbf{E}}\) प्राप्त कीजिए। [1½]
उत्तर:
इस समीकरण को ओम के नियम का सूक्ष्म रूप कहते हैं।
यही अभीष्ट व्यंजक है।
प्रश्न 7.
एक सेल का वि. वा. बल किसी विभवमापी के तार की 1.55 सेमी लम्बाई पर सन्तुलित होता है। सेल के दोनों सिरो को 9 ओम प्रतिरोध के तार द्वारा जोड़ने पर सन्तुलित बिन्दु 1.35 सेमी पर प्राप्त होता है। सेल के आन्तरिक प्रतिरोध की गणना कीजिए। [1½]
उत्तर:
सेल का आन्तरिक प्रतिरोध
r = (\(\frac{\mathrm{E}-\mathrm{V}}{\mathrm{V}}\))R
यहाँ E सेल का वि. वा. बल तथा V सेल का टर्मिनल विभवान्तर है जबकि सेल को R और प्रतिरोध को सिरों से जोड़ा गया है।
लेकिन E = Kl तथा V = Kl,
r (\(\frac{\mathrm{K} l-\mathrm{K} l_{1}}{\mathrm{~K} l}\))R = (\(\frac{l-l_{1}}{l}\))R
यहाँ l = 1.55 सेमी., l1 = 1.35 सेमी.
तथा R = 9 ओम
r = (\(\frac{1.55-1.35}{1.7}\)) × 9
r = \(\frac{20}{15}=\frac{4}{3}\) = 1.33 ओम
प्रश्न 8.
r1 तथा r2 (r1 < r2) त्रिज्याओं की दो संकेन्द्री वृत्ताकार कुण्डलियों पर विचार कीजिए। जो समाक्ष स्थित हैं तथा जिनके केन्द्र संपाती हैं। इस व्याख्या के लिए अन्योन्य प्रेरकत्व के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। [1½]
उत्तर:
दो समतल कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व
माना दो समतल कुण्डलियों में फेरों की संख्या N1 व N2 है, इनकी त्रिज्याएँ क्रमशः r1 व r2 हैं और ये दोनों एक-दूसरे के पास समाक्ष रूप से रखी हैं। यदि प्राथमिक में धारा I1 प्रवाहित करने पर इसके केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B1 हो,
तो .
B1 = \(\frac{\mu_{0}}{2} \frac{N_{1} I_{1}}{r_{1}}\)
यदि द्वितीयक कुण्डली का क्षेत्रफल A = πr22 हो, तो उसके साथ सम्बद्ध कुल चुम्बकीय फ्लक्स
यदि कुण्डली के मध्य µr आपेक्षिक चुम्बकशीलता का क्रोड रख दिया जाये तो
M = \(\frac{\mu_{0} \mu_{r}}{2}, \frac{\pi N_{1} N_{2} r_{2}^{2}}{r_{1}}\) …………….. (3)
स्पष्ट है कि अन्योन्य प्रेरकत्व कुण्डलियों की ज्यामितीय संरचना (N1, N2, r1, r2) पर निर्भर करने के साथ-साथ उनके मध्य रखे गये क्रोड की प्र आपेक्षिक चुम्बकशीलता µr पर भी निर्भर करता है।
प्रश्न 9.
किसी परिपथ में धारा 0.1 5 में 5.0 A से 0.0 A तक गिरती है। यदि परिपथ में औसत प्रेरित वि. वा. बल 200 V हो, तो परिपथ का स्वप्रेरकत्व ज्ञात कीजिए। [1½]
उत्तर:
स्वप्रेरित वि. वा. बल
eL = -L\(\frac{\Delta \mathrm{I}}{\Delta t}\)
दिया है : Δt = 0.1 s;
ΔI = I2 – I1 = 0 – 5.0 = – 5-0A
eL = 200 V; L= ?
∴ 200 = \(\frac{-\mathrm{L}(-5 \cdot 0)}{0 \cdot 1}\) = 50L
∴ L = \(\frac{200}{50}\) = 4 H
प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्राकृतिक घटनाओं का कारण समझाइए-
(i) खतरे के सिग्नल लाल रंग का होना।
(ii) सूर्योदयं व सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई देता है। [3/4 + 3/4 = 1½]
उत्तर:
(a) खतरे के सिग्नल लाल रंग के होते हैं-
रैले के अनुसार, प्रकीर्णित प्रकाश की तीव्रता
Is ∝ \(\frac{1}{\lambda^{4}}\)
स्पष्ट है कि λ का मान जितना अधिक होगा, उसका प्रकीर्णन उतना ही कम होगा। चूँकि लाल रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होती है अतः इसका प्रकीर्णन सबसे कम होता है, फलस्वरूप लाल रंग काफी दूर तक दिखायी दे जाता है। इसीलिए खतरे के सिग्नल लाल रंग के बनाये जाते हैं।
(b) सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई देता है-रैले के अनुसार छोटी तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का प्रकीर्णन अधिक और बड़ी तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का प्रकीर्णन बहुत कम होता है।
सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय क्षितिज से । आने वाली सूर्य की किरणें वायुमण्डल में एक लम्बी दूरी तय करके हमारे पास आती हैं, अतः वायुमण्डल में छोटी तरंगदैर्ध्य का प्रकाश अधिकांशतः, प्रकीर्णित हो जाता है और शेष प्रकाश में लाल रंग का बाहुल्य होता है, इसीलिए सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य हमें लाल दिखायी देता है।
प्रश्न 11.
सम्पर्क में रखे दो पतले लेंसों के संयोजन की फोकस दूरी का व्यंजक प्राप्त कीजिए। [1½]
उत्तर:
संपर्क में रखे पतले लेंसों का संयोजन
माना f1 व f2 फोकस दूरियों के दो लेन्स L1 व L2 परस्पर सम्पर्क में रखे हैं। इस संयोजन के सम्मुख u दूरी पर एक बिन्दु वस्तु O रखी है जिसका लेन्स संयोजन द्वारा प्रतिबिम्ब I बनता है।
पहले लेन्स द्वारा बना. प्रतिबिम्ब I’ दूसरे लेन्स के लिए आभासी वस्तु का कार्य करता है।
प्रथम लेन्स के लिए, लेन्स-सूत्र से,
\(\frac{1}{v^{\prime}}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f_{1}}\) ……………. (1)
दूसरे लेन्स के लिए,
इस सूत्र की सहायता से लेन्स संयोजन की फोकस दूरी ज्ञात की जा सकती है।
प्रश्न 12.
लेन्स की शक्ति से आप क्या समझते हो। लेन्स की शक्ति का सूत्र एवं मात्रक लिखिए। [1½]
उत्तर:
लेन्स की शक्ति-“लेन्स की मुख्य अक्ष के समान्तर अक्ष से एकांक दूरी पर आने वाली प्रकाश किरणों में जितना विचलन उत्पन्न होता है उसे ही लेन्स की शक्ति या क्षमता कहते हैं।” इसे P से व्यक्त करते हैं।
चित्र में दिखाया गया है कि मुख्य अक्ष से h ऊँचाई पर मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली किरण में δ विचलन उत्पन्न होता है। अतः चित्र से
tan δ = \(\frac{h}{f}\)
यदि δ छोटा है तो tan δ = δ
∴ δ = \(\frac{h}{f}\)
यदि h = 1 तो δ = P (परिभाषानुसार)
∴ P = \(\frac{1}{f}\) …………. (1)
∴ P का मात्रक = \(\frac{1}{m}\) = m-1 = डायोप्टर
प्रश्न 13.
अपवर्तनांक 1.55 के काँच से दोनों फलकों की समान वक्रता त्रिज्या के उभयोत्तल लेन्स निर्मित करने हैं। यदि 20 सेमी फोकस दूरी के लेन्स निर्मित करने हैं तो अपेक्षित वक्रता त्रिज्या क्या होगी ? [1½]
उत्तर:
दिया है : n = 1.55, f = + 20 सेमी
R1 = R2 = R = ?
उभयोत्तल लेन्स के लिए
\(\frac{1}{f}\) = (n – 1) (\(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}\))
= (n – 1) (\(\frac{1}{R}+\frac{1}{R}\)) = (n – 1)\(\frac{2}{\mathrm{R}}\)
∴ \(\frac{1}{20}\) = (1.55 – 1) × \(\frac{2}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{0.55 \times 2}{R}=\frac{1.10}{R}\)
∴ R = 1.10 × 20 = 11.0 × 2 = 22 सेमी
प्रश्न 14.
रेडियोएक्टिव विघटन में अर्द्ध आयुओं की संख्या n तथा शेष नाभिकों की संख्या N में संबंध स्थापित कीजिए। [1½]
उत्तर:
माना प्रारम्भ में किसी पदार्थ के नाभिकों की संख्या N0 है अर्थात् t = 0 पर N = N0 तो एक अर्द्ध-आयु (अर्थात् t = T) के बाद शेष नाभिकों की संख्या
N1 = \(\frac{\mathrm{N}_{0}}{2}\)
अतः N1 = N0(\(\frac{1}{2}\))1
दो अर्द्ध-आयुओं के पश्चात् अर्थात्
t = 2T के बाद शेष नाभिक
N2 = \(\frac{\mathrm{N}_{1}}{2}\) = N1(\(\frac{1}{2}\))
= N0(\(\frac{1}{2}\))(\(\frac{1}{2}\))
अतः N2 = N0 (\(\frac{1}{2}\))2
इसी प्रकार तीन अर्द्ध-आयुओं के बाद (t = 3T) शेष नाभिक
N3 = \(\) N0 = (\(\frac{1}{2}\))2(\(\frac{1}{2}\))
अतः N3 = N0 (\(\frac{1}{2}\))3
इसी प्रकार n अर्द्ध-आयुओं के पश्चात् (t = nT) शेष नाभिक
Nn = N0 (\(\frac{1}{2}\))n
या व्यापक रूप से n अर्द्ध-आयुओं के पश्चात् शेष नाभिकों की संख्या
N = N0 (\(\frac{1}{2}\))n
यही अभीष्ट व्यंजक है।
प्रश्न 15.
क्षयित हो रहे 92U238 की, α-क्षय के लिए अर्द्ध-आयु 4.5 × 109 वर्ष है। 92U238 के 1 g नमूने की सक्रियता क्या है ? [1½]
उत्तर:
दिया है : अर्द्ध-आयु T1/2 = 4.5 × 109 वर्ष = 4.5 × 109 × 3.16 × 107 सेकण्ड
= 1.42 × 1017 सेकण्ड m= 1 g, R= ?
एवोगाद्रो संख्या A = 6.025 × 1023 प्रति मोल
∴ 1 g यूरेनियम में परमाणुओं की संख्या
N = \(\frac{\mathrm{A}}{238}\) = \(\frac{6.025 \times 10^{23}}{238}\) = 25.3 × 1020
∵ सक्रियता R = λN = \(\frac{0 \cdot 6931}{T}\) × N
R = \(\frac{0.6931 \times 25.3 \times 10^{20}}{1.42 \times 10^{17}}\)S-1
= 1.23 × 104 S-1
=1.23 × 104 Bq
खण्ड – (स)
प्रश्न 16.
ऐम्पियर का परिपथीय नियम लिखिए। एक वृत्तीय पथ के लिए ऐम्पियर के नियम की उपपत्ति कीजिए। [1 + 2 = 3]
अथवा
(i) धारामापी का उपयोग व सिद्धान्त लिखिए।
(ii) 1.0 मीटर लम्बी एक परिनालिका की त्रिज्या 1 सेमी है तथा इसमें 100 फेरे हैं। परिनालिका में 5A की धारा प्रावाहित हो रही है। परिनालिका में अक्षीय चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्ञात कीजिए।
यदि एक इलेक्ट्रॉन उसकी अक्ष के अनुदिश 104 न्यूटन/मीटर की चाल की गति करता है तो इलेक्ट्रॉन कितना बल अनुभव करेगा?
[½ + ½ + 2 = 3]
उत्तर:
ऐम्पियर का परिपथीय नियम
कथन-इस नियम के अनुसार, “किसी बन्द वक्र के परितः चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का रेखीय समाकलन उस बन्द वक्र द्वारा घिरी आकृति
में से गुजरने वाली कुल धारा का μ0 गुना होता है।”
गणितीय रूप में,
\(\dot{\oint} \vec{B} \cdot \overrightarrow{d l}\) = μ0 x [कुल धारा]
⇒ \(\dot{\oint} \vec{B} \cdot \overrightarrow{d l}\) = μ0 ………… (1)
जहाँ μ0 = निर्वात् की निरपेक्ष चुम्बकशीलता
उपपत्ति-माना एक लम्बे तार XY में धारा I सिरे X से Y की ओर बह रही है। चालक में धारा बहने से इसके परितः चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा।
चालक को केन्द्र मानते हुए O केन्द्र वाले एवं r त्रिज्या वाले वृत्तीय पथ की कल्पना करते हैं। माना वृत्तीय पथ का एक अल्पांश \(\overrightarrow{\mathrm{PQ}}=\overrightarrow{d l}\) है और बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र \(\) है। दाहिने हाथ के नियमानुसार चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा P पर वृत्तीय पथ की स्पर्श रेखा की दिशा में होगी। स्वाभाविक है कि \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) व अल्पांश \(\overrightarrow{d l}\) एक ही दिशा में होंगे, अतः बन्द वृत्तीय पथ के लिए चुम्बकीय क्षेत्र का रेखीय समाकलन
\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot d \vec{l}=\oint \mathrm{B} d l \cos 0^{\circ}=\oint \mathrm{B} d l\) ……………. (1)
लम्बे एवं सीधे धारावाही चालक के कारण बिन्दु P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र,
B = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{2 \mathrm{I}}{r}\)
अतः समी. (1) से,
\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot d \vec{l}\) = \(\oint \frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{2 \mathrm{I}}{r}\)dl
\(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{2 \mathrm{I}}{r} \oint d l\) = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{2 \mathrm{I}}{r}\)2πr
क्योंकि \(\oint d l\) = 2πr (वृत्त की परिधि) .
या \(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \vec{d}\) = μ0I
यही ऐम्पीयर का नियम है।
प्रश्न 17.
(i) फरमा का अल्पतम समय का सिद्धान्त क्या है?
(ii) काँच के एक पतले उत्तल लेंस की शक्ति 5D है । जब यह एक द्रव में डुबो दिया जाता है, तो यह 1 m फोकस दूरी के अवतल लेंस की तरह व्यवहार करने लगता है। द्रव का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए जबकि काँच का अपवर्तनांक 3/2 है। [2 + 1 = 3]
अथवा
न्यूटन की परावर्ती दूरदर्शी से बनने वाले प्रतिबिम्ब का किरण आरेख बनाते हुए सामान्य समायोजन के लिए दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता का सूत्र लिखिए। [1 + 2 = 3]
उत्तर:
(i) फरमा का अल्पतम समय का सिद्धान्त- एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक अनेक परावर्तनों या अपवर्तनों द्वारा जाने में प्रकाश की किरण उस पथ का अनुसरण करती है जिसमें उसे अल्पतम समय लगता है।
(ii) दिया है : वायु में शक्ति Pa = + 5D, द्रव में फोकस दूरी f1 = – 100 cm, nga = \(\frac{3}{2}\), nla = ?
लेन्स की वायु में फोकस दूरी यदि fa है तो
Pa = \(\frac{100}{f_{a}}\)
प्रश्न 18.
डी-ब्रॉग्ली परिकल्पना का कथन दीजिए। प्लांक की फोटॉन अवधारणा से डी-ब्रॉग्ली परिकल्पना का प्रतिबंध प्राप्त कीजिए। [ 1 + 2 = 3]
अथवा
धातु का कार्यफलन क्या है? यह किन कारकों पर निर्भर करता है? प्रकाश विद्युत प्रभाव के लिए किस आवृत्ति का प्रकाश उपयुक्त है? स्पष्ट करें।
[1 + 1 + 1 = 3]
उत्तर:
डी-ब्रॉग्ली परिकल्पना-परिकल्पना के अनुसार, “जिस प्रकार तरंगों के रूप में विकिरण ऊर्जा से कणों के लाक्षणिक गुणों का सम्बद्ध होना
पाया जाता है, ठीक उसी प्रकार गतिशील द्रव्य क कणों के साथ तरंगों के लाक्षणिक गुण सम्बद्ध होने चाहिए। अर्थात् गतिशील द्रव्य कणों को तरंगों की भाँति व्यवहार करना चाहिए।” इस परिकल्पना स्व को डी-ब्रॉग्ली परिकल्पना कहते हैं और गतिशील द्रव्य कण से सम्बद्ध तरंगों को ‘द्रव्य तरंगें’ कहते है।
अतः डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य λ = \(\frac{h}{p}\)
जहाँ h, प्लांक नियतांक एवं p संवेग है।
उपपत्ति-प्लांक क्वाण्टम सिद्धान्त के अनुसार किसी फोटॉन की ऊर्जा
E = hv …………… (1)
जहाँ h प्लांक नियतांक एवं v आवृत्ति है।
यदि फोटॉन का गतिक द्रव्यमान m हो तो आइन्स्टीन के द्रव्यमान, ऊर्जा सम्बन्ध से
E = m.c2 …………… (2)
जहाँ c, प्रकाश की चाल है। समी.
(1) व (2) से, hv = mc2 ……………… (3)
यदि फोटॉन से सम्बद्ध तरंग की तरंगदैर्ध्य λ है तो
c = vλ ⇒ v = \(\frac{c}{\lambda}\)
∴ समी. (3) से,
\(\frac{h c}{\lambda}\) = mc2
या \(\frac{h}{\lambda}\) = mc = p
जहाँ p = mc = फोटॉन का संवेग
∴ λ = \(\frac{h}{p}\) ……………. (4)
यही अभीष्ट व्यंजक है।
खण्ड – (द)
प्रश्न 19.
समरूप विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव को θ1 स्थिति से θ2 स्थिति तक घुमाने में किए गए कार्य के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए। स्थायी सन्तुलन अवस्था में द्विध्रुव को घुमाने में किये कार्य के लिए सूत्र लिखिए। यदि द्विध्रुव विद्युत क्षेत्र के
(i) लम्बवत
(ii) समानान्तर हो तो कार्य का मान क्या होगा? [2½ + ½ + ½ + ½ = 4]
अथवा
किसी खोखले चालक गोले जिसकी आन्तरिक त्रिज्या r1 तथा बाह्य त्रिज्या r2 के पृष्ठ पर आवेश Q है। इस गोले के केन्द्र पर भी एक बिन्दु आवेश -q रखा है। इस गोले के
(i) आन्तरिक और
(ii) बाह्य पृष्ठ पर पृष्ठीय आवेश घनत्व क्या है? [2 + 1 + 1 = 4]
उत्तर:
यदि कोई वैद्युत द्विध्रुव समरूप वैद्युत क्षेत्र में क्षेत्र के साथ θ विक्षेप की स्थिति में रखा है तो उस पर लगने वाले बलयुग्म का आघूर्ण
τ = pE sin θ
इस स्थिति से dθ कोणीय विस्थापन देने में किया गया कार्य
dW= τ.dθ
अतः θ1 विक्षेप की स्थिति से θ2 विक्षेप की स्थिति तक द्विध्रुव को घुमाने में किया गया कार्य
W = \(\int_{\theta_{1}}^{\theta_{2}} d \mathrm{~W}=\int_{\theta_{1}}^{\theta_{2}} \tau . d \theta\)
= \(\int_{\theta_{1}}^{\theta_{2}} p \mathrm{E} \sin \theta \cdot d \theta\)
= \(p \mathrm{E} \int_{\theta_{1}}^{\theta_{2}} \sin \theta \cdot d \theta\) = \(p \mathrm{E}[-\cos \theta]_{\theta_{1}}^{\theta_{2}}\)
⇒ W = pE [- cos θ2 – (- cos θ1 )]
⇒ W = pE (cos θ1 – cos θ2 ) ……………….. (1)
(i) स्थायी सन्तुलन से θ विक्षेप देने में कृत . कार्य
W = pE (cos 0 – cos θ)
⇒ W = pE (1 – cos θ) ………….. (2)
(ii) स्थायी सन्तुलन से 90° विक्षेप देने में कृत कार्य
W= pE (1 – cos 90°) ⇒ W = pE
(iii) स्थायी सन्तुलन से 180° विक्षेप देने में कृत कार्य
W= PE (1 – cos 180°)
= pE [1 – (-1)] = pE (1 + 1) = 2pE
प्रश्न 20.
(i) AND गेट को संपाती परिपथ क्यों कहते हैं?
(ii) AND गेट का प्रतीक बनाइए।
(iii) AND गेट की सत्यता सारणी दीजिए।
(iv) दो डायोडों के परिपथ चित्र को दर्शाइए जो कि AND गेट का व्यवहार प्रदर्शित करता है। [1 + 1 + 1 + 1 = 4]
अथवा
किसी जेनर डायोड के V-I अभिलाक्षणिक की सहायता से इसकी dc वोल्टता नियंत्रण की भांति क्रियाविधि की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(i) यदि हम निवेशी के निम्न तथा उच्च मानों को क्रमशः 0 तथा 1 से प्रदर्शित करें और इसी प्रकार निर्गत के निम्न तथा उच्च मानों को क्रमशः 0 तथा 1 से प्रदर्शित करें तो हम पाते हैं कि AND गेट का निर्गत Y अवस्था 1 में तभी होता है जब दोनों निवेशी A व B अवस्था 1 में होते हैं अन्यथा निर्गत अवस्था 0 में होता है। इस प्रकार AND गेट का निर्गत अवस्था 1 को तभी प्राप्त होता है जब सभी निवेशी अवस्था 1 में होते हैं। इसीलिए AND गेट को ‘संपाती परिपथ’ भी कहा जाता है।
(ii) AND गेट का प्रतीक इस प्रकार है-
(iii) AND गेट के लिए सत्यता सारणी इस प्रकार है-
(iv) दो डायोडों का परिपथ चित्र इस प्रकार है-
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