These comprehensive RBSE Class 9 Science Notes Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 9 Science Chapter 10 Notes गुरुत्वाकर्षण
→ गुरुत्वाकर्षण बल-ब्रह्माण्ड में प्रत्येक कण दूसरे कण को जिस बल से अपनी ओर आकर्षित करता है, उसे गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं।
→ न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम-ब्रह्माण्ड में प्रत्येक कण, दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह आकर्षण बल दोनों कणों के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह बल दोनों कणों को मिलाने वाली रेखा की दिशा में लगता है।
अतः F = G\(\frac{\mathrm{m}_{1} \mathrm{~m}_{2}}{\mathrm{~d}^{2}}\)
G सार्वत्रिक गुरुत्वीय स्थिरांक है।
→ मुक्त पतन-हम जानते हैं कि पृथ्वी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। पृथ्वी के इस आकर्षण बल को गुरुत्वीय बल कहते हैं। अतः जब वस्तुएँ पृथ्वी की ओर केवल इसी बल के कारण गिरती हैं, तो हम कहते हैं कि वस्तु मुक्त पतन में है।
→ गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्त्व-गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम अनेक ऐसी परिघटनाओं की सफलतापूर्वक व्याख्या करता है, जो असम्बद्ध मानी जाती थीं, जैसे –
- हमें पृथ्वी से बाँधे रखने वाला बल
- पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति
- सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति तथा
- चन्द्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार-भाटा।
→ सार्वत्रिक स्थिरांक-यह वह बल है जो परस्पर इकाई दूरी पर रखी दो इकाई द्रव्यमान वाली वस्तुओं के बीच लगता है।
→ पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के प्रभाव से वस्तुओं की गति-मुक्त रूप से गिरती वस्तुओं में गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण लगता है और इसे g से निर्दिष्ट करते हैं।
पृथ्वी की सतह पर या उसके समीप रखी वस्तुओं के लिए गुरुत्वीय त्वरण
g = G \(\frac{\mathrm{M}}{\mathrm{R}^{2}}\)
चूँकि पृथ्वी के निकट g का मान स्थिर होता है, अतः एकसमान त्वरित गति के सभी समीकरण, त्वरण a | के स्थान पर g रखने पर भी मान्य होंगे। ये समीकरण हैं –
v = u + at …..(1)
s = ut + \(\frac{1}{2}\)at2 …..(2)
v2 = u2 + 2as ……… (3)
यहाँ पर u एवं v क्रमशः प्रारम्भिक एवं अंतिम वेग तथा 5 वस्तु द्वारा 1 समय में चली गई दूरी है। इन समीकरणों का उपयोग करते समय, यदि त्वरण (a) गति की दिशा में लग रहा है तो धनात्मक लेंगे और विपरीत लग रहा है तो ऋणात्मक लेंगे।
→ द्रव्यमान-किसी वस्तु में द्रव्य की मात्रा को उसका द्रव्यमान कहते हैं। द्रव्यमान वस्तु के जड़त्व की माप है। यह हमेशा स्थिर रहता हैं।
→ भार-किसी वस्तु का भार वह बल है जिससे यह पृथ्वी की ओर आकर्षित होता है।
अतः F = m × g = mg
वस्तु पर पृथ्वी का आकर्षण बल वस्तु का भार कहलाता है। इसे W से प्रदर्शित करते हैं।
अतःW = m × g = mg
चूँकि यह बल पृथ्वी की ओर आकर्षित होता है, अतः भार का SI मात्रक वही है, जो कि बल का है। अर्थात् इसका मात्रक न्यूटन होगा।
→ भारहीनता-यह वह अवस्था है, जब वस्तु का त्वरण गुरुत्वीय त्वरण के बराबर हो जाता है।
“चन्द्रमा के लिए गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण के मान का छठा भाग होता है। अर्थात् चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान 1.63 मी./से.2 होता है।”
→ दाब-इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को दाब कहते हैं।
दाब (p) = \(\frac{\text { प्रणोद }}{\text { क्षेत्रफल }}\)
कारकों पर निर्भर करता है
(i) प्रणोद का मान
(ii) पृष्ठ का सतही क्षेत्रफल।
→ तरलों में दाब-किसी परिरुद्ध द्रव्यमान के तरल पर लगने वाला दाब सभी दिशाओं में बिना घटे संचरित हो जाता है।
→ उत्प्लावन बल-प्रत्येक द्रव अपने में डूबी हुई वस्तु पर ऊपर की दिशा में बल लगाता है, जिसे उत्प्लावन बल कहते हैं।
→ तैरने के नियम –
(i) जब कोई वस्तु द्रव पर तैरती है तो उसका भार उसके द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर होता है।
(ii) ठोस का गुरुत्व केन्द्र तथा हटाये गये द्रव के गुरुत्व केन्द्र दोनों एक साथ ऊर्ध्वाधर रेखा में होने चाहिए।
→ आर्किमिडीज का सिद्धान्त-यदि किसी वस्तु को किसी द्रव में पूर्णत: या अंशतः डुबाया जाये तथा कोई रासायनिक अभिक्रिया न हो तो वस्तु के भार में एक प्रत्यक्ष कमी होती है। वस्तु के भार में यह कमी विस्थापित द्रव के भार के बराबर होती है।
→ आर्किमिडीज के सिद्धान्त का उपयोग-इसका उपयोग दो तरह से हो सकता है
(i) किसी पदार्थ की शुद्धता की जाँच करना
(ii) किसी पदार्थ का घनत्व ज्ञात करना।
→ आपेक्षिक घनत्व-किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व उसके किसी आयतन के द्रव्यमान और 4°C पर पानी के उसी आयतन के द्रव्यमान का अनुपात होता है।
चूँकि आपेक्षिक घनत्व समान राशियों का एक अनुपात है, अतः इसका कोई मात्रक नहीं होता है।
Leave a Reply