These comprehensive RBSE Class 9 Science Notes Chapter 9 बल तथा गति के नियम will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 9 Science Chapter 9 Notes बल तथा गति के नियम
→ बल एवं इसका मात्रक – बल वह है, जो स्थिर वस्तु को गतिमान कर सकता है या गतिमान वस्तु की स्थिति में परिवर्तन कर सकता है।
साधारण शब्दों में, खींचना एवं धक्का देना बल है।
बल एक सदिश राशि है। एम.के.एस. पद्धति में बल का मात्रक ‘न्यूटन’ है। सी.जी.एस. पद्धति में बल का मात्रक ‘डाइन’ है।
→ न्यूटन बल-वह बल जो एक किलोग्राम द्रव्यमान वाली वस्तु में 1 मी./से.2 का त्वरण उत्पन्न कर दे उसे 1 न्यूटन बल कहा जाता है।
1 न्यूटन = 105 डाइन = 100000 डाइन
तुलित बल-किसी वस्तु पर लगने वाले दो या दो से अधिक बलों के कारण परिणामी बल का मान शून्य हो, तो इन्हें संतुलित बल कहा जाता है।
→ असंतुलित बल-किसी वस्तु पर कार्य करने वाले दो या दो से अधिक बलों का परिणामी बल यदि शून्य नहीं हो, तो उन्हें असंतुलित बल कहते हैं।
→ घर्षण बल-यह बल वस्तु की गति का प्रतिरोध करता है। घर्षण बल उन दो सतहों के चिकने या खुरदरेपन पर निर्भर करता है, जो परस्पर सम्पर्क में हैं। घर्षण बल को कुछ सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है।
चिकनी सतहों पर घर्षण बल कम लगता है जबकि खुरदरी सतह पर घर्षण बल अधिक लगता है।
घर्षण के प्रभाव को कम करने के लिए चिकनी काँच या लोहे की गोलियाँ या चिकने समतल का प्रयोग और चिकनाई युक्त पदार्थों का लेप किया जाता है।
→ सी घर्षण-जब कोई वस्तु किसी सतह पर सरकती है तो दोनों के तलों के मध्य लगने वाला घर्षण बल, सी घर्षण बल कहलाता है।
→ लोटनिक घर्षण-जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर लुढ़कती है तो दो सतहों के बीच लगने वाले बल को, लोटनिक घर्षण बल कहा जाता है।
→ जड़त्व-किसी वस्तु के विरामावस्था में रहने या समान वेग से गतिशील रहने की प्रवृत्ति को जड़त्व कहते हैं। इस प्रकार जड़त्व दो प्रकार के होते हैं – (i) स्थिर जड़त्व
(ii) गतिज जड़त्व।
(i) स्थिर जड़त्व-कोई वस्तु अगर विराम अवस्था में है, तो वह तब तक विराम रहेगी, जब तक कि कोई बाहरी बल. लगाकर उसकी विराम अवस्था को बदल नहीं दिया जाता।
(ii) गतिज जड़त्व-यदि कोई वस्तु एकसमान चाल से सीधी रेखा में गमन कर रही है, तो वह तब तक ऐसा करती रहेगी जब तक कि कोई बाहरी बल उसकी इस अवस्था को बदल न दे। भारी वस्तुओं का जड़त्व अधिक तथा हल्की वस्तुओं का जड़त्व कम होता है।
→ गति का प्रथम नियम (First Law of Motion) -“प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में एक समान गति की अवस्था में तब तक बनी रहती है, जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल कार्यरत न हो। अर्थात् सभी वस्तुएँ अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती हैं।” इसे ‘जड़त्व का नियम’ भी कहते हैं।
→ सवेग-किसी गतिशील वस्तु के वेग तथा द्रव्यमान के गुणनफल को वस्तु का सवेग कहते हैं। इसे p से प्रकट करते हैं।
अतः संवेग p = द्रव्यमान × वेग = mv
→ गति का द्वितीय नियम (Second Law of Motion)-किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस वस्तु पर आरोपित असंतुलित बल के समानुपाती होती है तथा संवेग में यह परिवर्तन बल की दिशा में होता है। इसको दो भागों में विभाजित किया गया है –
बल का M.K.S. पद्धति में मात्रक न्यूटन होता है।
1 न्यूटन = 1 किलोग्राम मी./से. 2 होता है।
→ गति के दूसरे नियम से प्रथम नियम को सत्यापित करना –
गति के दूसरे नियम से F = m(v-u)
m (v – u) = Fxt यदि बल F = 0 तब m (v – 1) = 0
v – u = = 0
v = u
यदि u # 0 तो वस्तु बल की अनुपस्थिति में समान वेग से गतिशील रहती है।
या u = 0 है तो वस्तु बल की अनुपस्थिति में स्थिर रहती है।
→ गति का तीसरा नियम-प्रत्येक क्रिया के समान परन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है। अतः क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल समान तथा विपरीत होते हैं। रॉकेट, प्रतिक्रिया टरबाइन, तोप का प्रतिक्षेप वेग आदि क्रिया और प्रतिक्रिया के सिद्धान्त पर आधारित हैं।
→ संवेग संरक्षण का नियम-दो वस्तुओं के संवेग का योग टकराने के पहले और टकराने के बाद बराबर रहता है जब तक कि उन पर कोई असंतुलित बल कार्य न कर रहा हो। इसे संवेग संरक्षण का नियम कहते हैं। दूसरे शब्दों में, इसको इस प्रकार से भी व्यक्त कर सकते हैं कि दो वस्तुओं का कुल संवेग टकराने की प्रक्रिया में अपरिवर्तनीय या संरक्षित रहता है।
दो गेंदें A तथा B जिनका द्रव्यमान क्रमशः mA और mB है, एक ही सरल रेखीय दिशा में अलग-अलग वेग क्रमशः uA और uB से गति कर रही हैं। दोनों गेंदें एक-दूसरे से टकराती हैं और टक्कर का समय 1 है, तब संवेग संरक्षण से टकराने के पहले का कुल संवेग = टकराने के बाद कुल संवेग
mAuA + mBuB = mAVA + mBVB
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