Rajasthan Board RBSE Class 10 Physical Education Chapter 15 प्रमुख खेल
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 15 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 15 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
फुटबॉल के मैदान की लम्बाई-चौड़ाई बताओ।
उत्तर:
फुटबॉल के मैदान की लम्बाई 100 से 110 मी. तथा चौड़ाई 64 से 75 मी. तक होती है।
प्रश्न 2.
फुटबॉल के खेल में एक टीम में कितने खिलाड़ी खेलते हैं ?
उत्तर:
फुटबॉल के खेल में एक टीम में 11 खिलाड़ी खेलते हैं।
प्रश्न 3.
भारत में पहली बार कुश्ती संघ की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
भारत में पहली बार कुश्ती संघ की स्थापना सन् 1948 में हुई।
प्रश्न 4.
प्रत्येक कुश्ती का समय कितना होता है ?
उत्तर:
प्रत्येक कुश्ती का समय 6 मिनट होता है।
प्रश्न 5.
जूडो के मैदान को किस नाम से जाना जाता
उत्तर:
जूडो के मैदान को शियाजो के नाम से जाना जाता
प्रश्न 6.
जूडो में प्रायः कितने अधिकारी होते हैं ?
उत्तर:
जूडो में प्रायः तीन अधिकारी होते हैं।
प्रश्न 7.
हैण्डबॉल में मैदान के गोल क्षेत्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
गोल पोस्ट।
प्रश्न 8.
हैण्डबॉल के खेल की अवधि बताओ।
उत्तर:
हैण्डबॉल खेल में 30-30 मिनट के दो अर्द्ध होते हैं। दोनों अर्थों के मध्य 10 मिनट का अन्तराल होता है। खेल के बराबर के स्कोर पर टाई होने पर 5 मिटि के अन्तराल के पश्चात् 5-5 मिनट के दो अर्द्ध खेले जाते हैं। इन अद्घ के मध्य एक मिनट का अंतराल लिया जाता है।
प्रश्न 9.
तायक्वॉण्डो प्रतियोगिता में कुल कितने निर्णायक होते हैं ?
उत्तर:
तायक्वॉण्डो प्रतियोगिता में 1 मुख्य जज, 1 टाइमर, 4 कॉर्नर रैफरी एवं 1 सैन्टर रैफरी होते हैं।
प्रश्न 10.
तायक्वॉण्डो पोशाक को किस नाम से पुकारते हैं ?
उत्तर:
तायक्वॉण्डो पोशाक को दो बोक’ नाम से पुकारते
प्रश्न 11.
तैराकी कुण्ड की लम्बाई चौड़ाई बताइये।
उत्तर:
तैराकी कुण्ड की लम्बाई 50 मीटर तथा चौड़ाई 21 मीटर होती है।
प्रश्न 12.
तैराकी खेल के लिए कितने अधिकारी नियुक्त किये जाते हैं ?
उत्तर:
तैराकी खेल के लिए निम्नलिखित अधिकारी नियुक्त किये जाते हैं
रैफरी (1), स्टार्टर (1), मुख्य टाइम-कीपर, (3), मुख्य जज (1), समाप्ति के जज (प्रतिलेन 3), टर्न के इन्सपैक्टर (प्रत्येक लेन में दोनों सिरों पर एक-एक), अनाउंसर (2), रिकॉर्डर (1), क्लर्क ऑफ दी हाऊस (1)।
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 15 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
फुटबॉल खेल के फाउल तथा त्रुटियाँ लिखें।
उत्तर:
यदि कोई भी खिलाड़ी निम्नलिखित अवज्ञा या अपराधों में से कोई भी जान-बूझ कर करता है तो विरोधी दल को अवज्ञा अथवा अपराध वाले स्थान से प्रत्यक्ष फ्री-किक दी जाएगी।
- विरोधी खिलाड़ी को किक मारे या किक मारने की कोशिश करे।
- विरोधी खिलाड़ी पर कूदे या धक्का या मुक्का मारने पर।
- विरोधी खिलाड़ी पर भयंकर रूप से आक्रमण करे।
- विरोधी खिलाड़ी पर पीछे से आक्रमण करे।
- विरोधी खिलाड़ी को पकड़े या उसके वस्त्र पकड़ कर खींचे।
- विरोधी खिलाड़ी को चोट लगाए या लगाने की कोशिश करे।
- विरोधी खिलाड़ी के रास्ते में बाधा बने या टाँगों के प्रयोग से उसे गिरा दे या गिराने की कोशिश करे।
- विरोधी खिलाड़ी को हाथ या भुजा के किसी भााग से धक्का दे।
- गेंद को हाथ में पकड़ता है।
प्रश्न 2.
कुश्ती के इतिहास को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुश्ती का यदि खोजपूर्ण इतिहास लिखा जाए तो कुश्ती को प्रारम्भिक स्थान भारतवर्ष के अतिरिक्त दूसरा न होगा। महाभारत तथा पुराण जो मल्लयुद्ध की गाथाओं से भरे पड़े हैं। पाँच हजार वर्ष की प्राचीनता के सहज प्रमाण हैं रामायण काल व महाभारत काल में बड़े-बड़े मल्लयुद्धों में अपनी इस मल्लविद्या का प्रयोग कर उसमें संसार में अपनी धाक जमा चुके हैं। समय के बदलाव के साथ इस कुश्ती का सुधरा हुआ रूप सामने आने लगी और संसार में इस समय अनेक प्रकार की कुश्तियाँ प्रचलित हैं।
जैसे – सूमो, कराटे, जुजुत्सों, जूडो, केच ऐज कैन स्टाइल, कालर एण्ड एल्बो स्टाइल, बैल्ट रैसलिंग, सैम्बो, चूखे, बारबा स्टाइल, आल इन स्टाइल, अपराइट स्टाइल, कुश्ती ए सारोजी, मल्ल युद्ध, कैम्बद लैंड स्टाइल, वेस्ट मोर लैंड स्टाइल, ग्लीमां, ग्रीकरों रोमन, फ्री स्टाइल कुश्ती आदि। हिन्दुस्तान पाकिस्तान बँटवारे के पूर्व भारतवर्ष में सर्व विजेता पहलवान को ‘रूस्तमें हिन्द’ की उपाधि दी जाती थी। इसके पश्चात् हिन्द केसरी की एक अन्य उपाधि चल पड़ी। भारत वर्ष में सन् 1932 में फ्री स्टाइल कुश्ती का प्रवेश हुआ और सन् 1948 में पहली बार भारतीय कुश्ती संघ की स्थापना हुई और संघ की स्थापना के बाद से भारत केसरी व महान् भारत केसरी की नयी उपाधि दी जाने लगी।
प्रश्न 3.
जूडो मैच के अनुचित कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जूडो मैच के अनुचित कार्य निम्नलिखित हैं –
- पेट को भींचना या सिर या गर्दन को टाँगों के नीचे ले कर मरोड़ना।
- KASETSUE WAZA तकनीक को जोड़ों के ऊपर कुहनी के अतिरिक्त ।
- कोई निश्चित तकनीक अपनाए बिना विरोधी खिलाड़ी को लेटवी स्थिति में धकेलना।
- जिस टाँग पर आक्रामक खिलाड़ी खड़ा है उसे कैंची मारना।
- जो खिलाड़ी पीठ के बल लेटा हो उसे उठा कर मैट पर फेंकना।
- विरोधी खिलाड़ी की टाँग को खड़े होने की स्थिति में खींचना लेटवी स्थिति हो सके।
- विरोधी खिलाड़ी की कमीज के बाजुओं या पायजामें में अंगुलियाँ डाल कर उन्हें पकड़ना।
- पीछे से चिपके हुए विरोधी खिलाड़ी को जानबूझ कर पीछे की ओर गिराना।
- लेटे हुए खिलाड़ी द्वारा खड़े खिलाड़ी की गर्दन पर कैंची मारना, पीठ तथा बगलों को मरोड़ना या फिर जोड़ों को लॉक लगाने वाली तकनीक अपनाना।
- कोई ऐसा कार्य करना जिससे विरोधी खिलाड़ी को हानि पहुँचे या भय का कारण बने ।
- जानबूझ कर स्पर्श या पकड़ से बचने की चेष्टा करना यदि कोई काम सिरे न चढ़ सके।
- पराजित होते समय सुरक्षा का आसन धारण करना।
- विरोधी के मुँह की ओर हाथ या पैर सीधे रूप में बढ़ाना।
- ऐसी पकड़ या लॉक लगाना जिससे विरोधी खिलाड़ी की रीढ़ की हड्डी के लिए संकट पैदा हो जाए।
- जानबूझ कर प्रतियोगिता क्षेत्र से बाहर निकलना या अकारण ही विरोधी को बाहर की ओर धकेलना।
- रैफरी की अनुमति के बिना बैल्ट या जैकेट के बाजू पकड़ना।
- विरोधी खिलाड़ी की बैल्ट या जैकेट के बाजू पकड़ना।
- अनावश्यक इशारे करना, आवाजें कसना या चीखना।
- ऐसे ढंग से खेलना जिससे जूडो खेल की समूची आत्मा को ठेस पहुँचे।
- निरन्तर काफी समय तक अंगुलियाँ फँसा कर खड़े रहना।
प्रश्न 4.
हैण्डबॉल खेल के मैदान का नाप बताकर खेल से सम्बन्धित उपकरणों के बारे में बताइये।
उत्तर:
खेल का मैदान दो गोल क्षेत्रों में विभाजित होता है। खेल के कार्ट का आकार आयताकार होता है जिसकी लम्बाई 40 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर होती है। लम्बी सीमा रेखा, साइड लाइन (5 सेमी. चौड़ी) और छोटी सीमा रेखा, गोल लाइन (8 सेमी. चौड़ी) कहलाती है। प्रत्येक गोल रेखा के मध्य में गोल होते हैं। एक गोल में 2 ऊँचे खड़े स्तम्भ होंगे जो क्षेत्र के कोनों से समान दूरी पर होंगे। स्तम्भ एक दूसरे से 3 मीटर की दूरी पर होंगे तथा इनकी ऊँचाई 2 मीटर होगी एवं ऊपर से क्रॉस बार द्वारा जुड़े होंगे तथा क्रॉस बार की मोटाई 8 सेमी. होगी। खेल सम्बन्धित उपकरण-गोलकीपर के अतिरिक्त टीम के सभी खिलाड़ियों को एक समान वेशभूषा पहनना अनिवार्य है। खिलाड़ियों की जर्सी पर 1-99 तक नम्बर पीठ पर 20 सेमी. एवं सीने पर 10 सेमी. की ऊँचाई के होने चाहिए।
प्रश्न 5.
तायक्वॉण्डों मैच के दौरान होने वाली प्रक्रिया को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
मैदान का नाम एरेना
आकार-वर्गाकार 8 x 8 मीटर
मैट-1 x 1 मीटर
अधिकारियों की संख्या – 1 मुख्य निर्णायक, 1 टाइपर, 4 कॉर्नर रैफरी, 1 सेन्टर रैफरी।
क्रीड़ा क्षेत्र – ‘ऐरिना’ कहा जाता है। मैट के 1 x 1 मीटर के 64 मैट से तैयार होता है। अधिकारी 1 मुख्य जज, 1 टाइमर, 4 कॉर्नर रैफरी एवं 1 सैन्टर रैफरी होते हैं। सेन्टर रैफरी बाउट शुरू करता है तथा मुख्य जज का निर्णय अन्तिम होता है। कॉर्नर रैफरी अंक देते हैं।
पोशाक – इसे दोबोक’ कहा जाता है। इसमें एक Vआकार गले वाली जैकेट एवं पाजामा होता है तथा उस पर बैल्ट बांधी जाती है जो कि पूरी तरह खुली होती है। खिलाड़ी मैच के दौरान इसे पहनते हैं एवं नाखून, अँगूठी, चेन आदि प्रतिबन्धित होती है।
अवधि – 2-2 मिनट के दो राउण्ड होते हैं। फिर स्कोरिंग की जाती है।
आरम्भ – इसमें खिलाड़ियों को रेड और ब्लू क्रमशः टाँग और चोंग कहके बुलाया जाता है तथा 1-मीटर के अन्तराल पर खड़े होते हैं। फिर पहले मुख्य जज व फिर आमने-सामने एक
दूसरे को झुककर तायक्वॉन (सलाम) करते हैं। इसके बाद सीजुक कहकर प्रतियोगिता आरम्भ होती है।
विधि – इसमें खिलाड़ी पैरों से खेलते हैं जिसमें विभिन्न प्रकार की किक (राउण्ड किक, बैक किक, ड्रॉप किक, साइड किक) का इस्तेमाल बैल्ट से ऊपर के हिस्से तक होता है। इसी आधार पर अंक दिये जाते हैं।
प्रश्न 6.
तैराकी में छात्र-छात्राओं की प्रतियोगिताओं के नाम बताइये।
उत्तर:
तैराकी में छात्र-छात्राओं की प्रतियोगिताओं के नाम निम्नलिखित हैं –
(1) बटर फ्लाई स्ट्रोक – इसमें दोनों बाजू पानी की सतह के ऊपर इकट्ठे आगे से पीछे ले जाने पड़ते हैं। मुकाबला शुरू होने पर और समाप्त होने पर छाती ऊपर और दोनों कन्धे पानी की सतह पर संतुलित हों, पांवों की क्रियाएँ इकट्ठी हों।
(2) फ्री स्टाइल – फ्री स्टाइल तैराकी का अर्थ किस प्रकार का ढंग से तैराकी है। इससे भाव तैरने का ढंग जो कि बटर फ्लाई, स्ट्रोक, ब्रैस्ट स्ट्रोक या बैक स्ट्रोक से अलग हो। फ्री स्टाइल में तैराक कुड़ने पर और दौड़ की समाप्ति के समय तैराकी कुंड की दीवारों को हाथ से छूना जरूरी नहीं। वह अपने शरीर के किसी अंग से छू सकता है।
(3) बैक स्ट्रोक इसमें भाग लेने वाले शुरू होने वाले स्थान पर उस ओर मुँह करके हाथ कुण्ड पर रखे, पैर पानी में होने जरूरी है। गढ़े में खड़े नहीं हो सकते। शुरू का संकेत मिलने पर दौड़ते समय बैक से (पीठ से) तैरेंगे।
(4) बैस्ट स्ट्रोक – इसमें शरीर तथा छाती संतुलित और दोनों कन्धे पानी की सतह के बराबर होंगे। हाथों और पाँवों की क्रियाएँ इकट्ठी होंगी जो कि एक लाइन में हों। छाती से दोनों हाथ इकट्ठे आगे, पानी के अन्दर या ऊपर और पीछे जाने चाहिए। टाँगों की क्रिया में पाँव पीछे से आगे की तरफ मुड़ें। मछली की तरह क्रिया नहीं की जा सकती। मुड़ते समय या समाप्ति पर छू दोनों हाथों से पानी के अन्दर या ऊपर जरूरी है। सिर पर हिस्सा पानी की सतह से ऊपर रहना जरूरी है।
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 15 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 15 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
फीफा का गठन किया गया –
(अ) 1904
(ब) 1930
(स) 1951
(द) 1956
उत्तरमाला:
(अ) 1904
प्रश्न 2.
जूडो का पिता’ कहते हैं
(अ) होल्वार नेल्सन
(ब) डॉ. जिगोरो कानो
(स) चोय होंग ही
(द) मैथ्यू बेव
उत्तरमाला:
(ब) डॉ. जिगोरो कानो
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 15 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
इंग्लिश चैनल को पार करने वाला प्रथम व्यक्ति कौन था ?
उत्तर:
मैथ्यू बैव इंग्लिश चैनल को पार करने वाला प्रथम व्यक्ति था।
प्रश्न 2.
एशियाई खेलों में फुटबॉल में भारत ने स्वर्ण पदक कब जीता था ?
उत्तर:
एशियाई खेलों में फुटबॉल में भारत ने स्वर्ण पदक सन् 1951में जीता था।
प्रश्न 3.
1952 के हेलसिंकी ओलम्पिक खेलों में पहली बार किसने रजत पदक जीता था ?
उत्तर:
1952 के हेलसिंकी ओलम्पिक खेलों में के.डी. जाधव ने पहली बार रजत पदक जीता था।
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 15 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
महाभारतकालीन कुश्ती को कितने प्रकारों में बाँटा गया है ?
उत्तर:
महाभारतकालीन कुश्ती को चार भागों में बाँटा जा सकता है –
- भीम सैन कुश्ती – भीम की भाँति शक्ति प्रयोग से लड़ी जाने वाली कुश्ती।
- हनुमंती कुश्ती – दांव-पेचों और चतुराई से लड़ी जाने वाली कुश्ती।
- जाम्वंती कुश्ती – वह कुश्ती जिसमें फँसाने वाले दांव-पेचों अर्थात् तालों का प्रयोग हो।
- जरासंधी कुश्ती – अंगों को तोड़ने-मरोड़ने तथा दाले लगाने वाली कुश्ती जिसमें अंग-भंग भी हो जाता है।
प्रश्न 2.
जूडो की पोशाक का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
खिलाड़ी की पोशाक को जूडोगी कहते हैं। जुडोगी में एक जैकेट, पायजामा तथा एक पेटी होती है। जूडोगी न होने की अवस्था में खिलाड़ी ऐसी पोशाक धारण कर सकता है। जिसकी पेटी इतनी लम्बी हो कि शरीर के गिर्द दो बार आ सके तथा वर्गाकार गाँठ लगाने के पश्चात् 3″ के सिर बच जाए। जैकेट भी इतनी लम्बी हो जिसके साथ पेटी बाँधने के पश्चात् भी कूल्हे ढके जा सके। इसके बाजू खुले होने चाहिए। कफ तथा बाजुओं के मध्य 1.25″ का फासला होना चाहिए तथा ये आधी भुजा तक लटकनी चाहिए। पायजामा भी काफी खुला होना चाहिए। खिलाड़ी, अँगूठी, हार, मालाएँ आदि नहीं पहन सकते क्योंकि इनसे चोट लगने का भय रहता है। खिलाड़ियों के हाथों की अँगुलियों के नाखून कटे होने चाहिए।
प्रश्न 3.
कुश्ती में फाउल पकड़ का वर्णन कीजिए। उत्तर–कुश्ती में निम्नलिखित फाउल पकड़ हैं-
- बालों, माँस, कान या पोशाक इत्यादि को पकड़ना।
- अँगुलियों को मरोड़ना, लड़ाई करना, धक्का देना।
- इस तरह पकड़ करनी कि वह विरोधी खिलाड़ी के लिए जान का भय बन जाए या यह भय हो जाए कि विरोधी खिलाड़ी के अंगों पर चोट लग जाएगी अथवा उसे कष्ट दे, पीड़ा करे ताकि दूसरा खिलाड़ी विवश होकर खेल छोड़ जाएँ।
- विरोधी खिलाड़ी के पाँवों पर अपने पाँव रखना।
- गले से पकड़ना।
- विरोधी खिलाड़ी के चेहरे (आँखों की भौहों से लेकर ठोड़ी तक) को स्पर्श करना।
- खड़ी स्थिति में पकड़ करना।
- विरोधी को उठाना जबकि वह ब्रिज पोजिशन में हो और फिर उसे पैरों से गिराना।
- सिर की ओर से धक्का देकर ब्रिज को तोड़ना।
- विरोधी खिलाड़ी के बाजू को 90 डिग्री के कोण से अधिक मोड़ देना।
- दोनों हाथों से सिर को पकड़ना।
- कोहनी या घुटने से विरोधी खिलाड़ी के पेट को धकेलना।
- विरोधी के बाजू को पीछे की ओर मोड़ना और दबाना।
- किसी तरह से सिर को काबू में करना।
- शरीर को या सिर को टाँगों द्वारा कैंची मारना।
- मैट को पकड़े रखना।
- एक-दूसरे से बातें करना और हानिकारक आक्रमण करना या गिराना।
प्रश्न 4.
तायक्वॉण्डो में किक कितने प्रकार की होती है ? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तायक्वॉण्डो में किक निम्नलिखित प्रकार की होती
- उण्ड किक – पैर को पीछे से राउण्ड कर सामने लाया जाता है।
- ड्रोप किक – पैर को सामने वाले के कंधे के ऊपर से लेते हुए चेहरे से रगड़कर जमीन पर ले जाया जाता है।
- टर्निग किक – पैर को घुमाते हुए पीछे से घुमाकर किक दी जाती है।
- साइड किक – पैर को साइड से स्वयं को हल्का झुकाते हुए पूरे पंजे से किक दी जाती है। प्रायः ये टर्निग किक 180°, 360°, 540° जम्प (दोनों पैर हवा में) राउण्ड करके की जाती है जिसके ज्यादा अंक प्राप्त होते हैं।
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 15 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
तैराकी खेल का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तैराकी खेल – तैराकी खेल का कोई सर्वमान्य इतिहास नहीं है। प्राचीन समय में जब कोई भी आवागमन के साधन उपलब्ध नहीं थे, एक तो एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए पैदल और रास्ते में पानी आने पर तैरकर ही जाया जा सकता था, अतः तैरना एक क्रिया और क्रिया से मनोरंजन और धीरे-धीरे मनोरंजन से यह एक प्रतियोगिता का रूप भी लेने लगा। भारत में ‘Swimming Federation of India’ के नियंत्रण में सभी राज्यों की तैराकी Associations कार्य कर रही हैं।
(1) तैराकी – पानी में तैरने की प्रतियोगिताएँ तैराकी’ कहलाती हैं। ये प्रतियोगिताएँ तरणताल में होती हैं। इन प्रतियोगिताओं में तैराक एक निश्चित दूरी तक तैरते हैं। तैराकी के लिए तरणताल विभिन्न लम्बाई के होते हैं। तालाब को कई गलियारों में बाँटा जाता है। हर तैराक अपने गलियारे में रहता है। तैरते समय ताल के पानी का तापक्रम न्यूनतम 24 डिग्री सेन्टीग्रेड होना चाहिए।
(2) तैरने की अवधारणा – तैरने से शरीर के सभी अंग क्रियाशील बनते हैं और श्वास को रोकने या जल्दी-जल्दी लेने का अभ्यास भी बढ़ता है। शरीर के रोम छिद्र पूर्णरूप से खुलते हैं। और शारीरिक स्वच्छता में भी वृद्धि होती है।
(3) पोशाक – तैरने की पोशाक चुस्त होनी चाहिए। पुरुष केवल जांघिया ही पहनते हैं जबकि महिलाएँ एक ही कपड़े से बनी, जो जाँघों से लेकर छाती तक, बनियान की भाँति बनी होती हैं, पहनती हैं।
(4) तैराकी तरणताल (कुण्ड) – सामान्यतः तैराकी तरणताल की लम्बाई 50 मीटर एवं चौड़ाई 21 मीटर होती है। तरणताल में पानी की गहराई 1.8 मीटर रखी जाती है। कुण्ड में। लेन की संख्या 8 होती है। प्रत्येक लेन के बीच की दूरी 2.5 मीटर होती है। किनारे की दो लेन संख्या 1 व 8 दीवार से 50 सेमी. दूर रहती है। तैराक अलग-अलग लेन में ही तैरते हैं।
(5) तैराकी के नियम –
- स्पर्धा के प्रारम्भ में तैराक स्टार्टिंग ब्लॉक से गोता लगाकर जाता है।
- बैक स्ट्रोक के अलावा अन्य सभी शैलियों में रैफरी के पुकारने पर सभी प्रतियोगी अपने-अपने गलियारों में स्टार्टिंग ब्लॉक के पीछे आ जाते हैं तथा पुनः संकेत मिलते ही तैरना शुरू कर देते हैं। रैफरी का निर्णय ही अंतिम माना जाता है। सभी नियमों का पालन रैफरी ही करवाता है। वही यह देखता है कि कौन तैराक गलियारे में नियम तोड़ रहा है। गलियारे में पलटते समय भी रैफरी यह देखता है कि तैराक ने नियमानुसार पलटा खाया है या नहीं।
- स्टार्टिग ब्लॉक पर पहला फाल्ट करते ही डिस्क्वालिफाई कर दिया जाता है।
- जिस शैली की प्रतियोगिता में भाग ले रहो हो, उसके अतिरिक्त अन्य शैली का प्रयोग न करें। फ्री स्टाइल में ऐसा प्रतिबंध नहीं होता है।
- रिले प्रतियोगिता के दौरान साथी खिलाड़ी जब तक निश्चित दूरी तैर कर पूरा नहीं करता है तथा दीवार को नहीं छूता, तब तक दूसरे प्रतियोगी को पानी में छलांग नहीं लगानी चाहिए।
(6) तैराकी प्रतियोगिताएँ – निम्न हैं –
- फ्री स्टाइल-इसमें तैरने के लिए किसी प्रकार का बंधन नहीं होता है। तैरने वाले अक्सर अपने हाथों को बारी-बारी से हल्का-सा कोहनी को मोड़ते हुए अपने सिर के आगे रखते जाते हैं तथा पैर तेजी से बारी-बारी से पानी में मारते हैं। इसे फ्री स्टाइल शैली कहते हैं।
- बटर फ्लाई – इस विधि में बाजू पानी की सतह के ऊपर इकट्ठे आगे से पीछे की तरफ जाने चाहिए। दोनों पैरों की क्रियाएँ भी एक साथ चलनी चाहिए।
- ब्रेस्ट स्ट्रोक – इसमें शरीर हर समय पानी के समतल रहना चाहिए। हाथ छाती के पास मिलकर आगे की तरफ इस प्रकार घूमते हुए आयें जैसे हाथों से पानी में घेरा बनाने का प्रयत्न कर रहे हों। हाथों से आगे का पानी काटते चलें। पैरों की क्रिया भी हाथों की क्रिया के साथ लयबद्ध होनी चाहिए।
- बैक स्ट्रोक इसमें प्रतियोगी को पूरी प्रतियोगिता पीठ के बल लेटकर तय करनी पड़ती है। हाथों को बारी-बारी से सिर के पीछे सीधे से जाकर कंधों को अर्द्ध – गोलाकार घुमाते हुए साइडों से लाना चाहिए।
- मैडले/मैडलेरिले – मैडले के अन्तर्गत बटर फ्लाई, बैक स्ट्रोक, ब्रेस्ट स्ट्रोक, फ्री स्टाइल चारों प्रकार की शैलियाँ 100-100 मीटर तैरी जाती हैं।
(7) फाउल
- प्रस्थान स्थल पर स्टार्टिंग ब्लॉक के पास उस समय आना जब तैराक प्रतियोगिता शुरू कर चुके हों।
- एक प्रतियोगी यदि दूसरे तैराक का मार्ग रोकता हो।
- दुर्व्यवहार या गाली-गलौच करे।
(8) तैराकी का महत्त्व – कई बार वर्षा या बाढ़ के समय व्यक्ति पानी में फँस जाता है। यदि वह तैरना जानता है तो वह आपत्ति से छुटकारा पा सकता है, नहीं तो किसी दूसरे के सहारे की आवश्यकता पड़ती है अन्यथा आप पानी में डूब सकते हैं, अत: डूबने से बचने के लिए तथा व्यायाम के रूप में तैराकी’ का सीखना अत्यन्त आवश्यक है।
प्रश्न 2.
कुश्ती खेल के इतिहास एवं नियमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कुश्ती खेल का इतिहास – कुश्ती का यदि खोजपूर्ण इतिहास लिखा जाए तो कुश्ती का प्रारम्भिक स्थान भारतवर्ष के अतिरिक्त दूसरा न होगा। महाभारत तथा पुराण जो मल्लयुद्ध की गाथाओं से भरे पड़े हैं, पाँच हजार वर्ष की प्राचीनता के सहज प्रमाण हैं। रामायणकाल व महाभारतकाल में बड़े-बड़े मल्लयोद्धा अपनी इस मल्लविद्या का प्रयोग कर उस काल में संसार में अपनी धाक जमा चुके हैं।
महाबली भीम, जरासंध, जाम्बवान, जीमूत, श्रीकृष्ण, बलराम, शल्य, हिडिम्बज, बकासुर आदि महाभारतकालीन एवं वीर हनुमान, बाली, जामवंत आदि रामायणकालीन मल्ल भारतीय कुश्ती को प्रकाशमय बनाते हैं। महाभारत, भागवत पुराण आदि में वर्णित सहस्रों दाँव पेंच कुश्ती की कहानी का सुन्दर चित्र प्रस्तुत करते हैं। उन ग्रन्थों में स्थान-स्थान पर मल्ल शब्द को पढ़कर भारतीय कुश्ती की प्राचीनता पर किसी को संदेह नहीं है। महाभारतकालीन कुश्ती को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा जा सकता है
- भीमसैनी कुश्ती – भीम की भाँति शक्ति प्रयोग से लड़ी जाने वाली कुश्ती।
- हनुमंती कुश्ती – दाव-पेचों और चतुराई से लड़ी जाने वाली कुश्ती। –
- जामवंती कुश्ती – वह कुश्ती जिसमें फँसाने वाले दाँव-पेचों अर्थात् तालों का प्रयोग हो।
- जरासंधी कुश्ती – अंगों को तोड़ने, मरोड़ने तथा ताले लगाने वाली कुश्ती जिसमें अंग-भंग भी हो जाता है।
समय के बदलाव के साथ इस कुश्ती का सुधरा हुआ रूप सामने आने लगा है और संसार में इस समय अनेक प्रकार की कुश्तियाँ प्रचलित हैं। जैसे – सूमो, कराटे, जुजुत्सो, जूडो, कालर एण्ड एल्बो स्टाइल, बैल्ट रैसलिंग, बारबा स्टाइल, आल इन स्टाइल, कुश्ती ए सारोजी, मल्लयुद्ध, कैम्बद लैड स्टाइल, ग्लीमां, ग्रीको रोमन, फ्री स्टाइल कुश्ती आदि। परन्तु इन सब में प्रभुत्व जानी-मानी तथा प्रचलित कुश्ती ‘फ्री स्टाइल’ कुश्ती का ही है। यही ओलम्पिक खेलों में सम्मिलित विश्व के अन्य देशों में धीरे-धीरे कुश्ती का प्रचलन आरम्भ हुआ।
अमेरिका में ‘कैच ऐज कैन’ नाम से भारतीय कुश्ती को प्रसिद्धि मिली। इसके पश्चात् अमेरिकनों ने इसको फ्री स्टाइल कुश्ती नामकरण दिया। एथलैटिक कालेजियेट कमेटी ने फ्री स्टाइल कुश्ती में कुछ नये नियमों का गठन किया जिसमें पहलवानों का वजन, कुश्ती की पोशाक, कुश्ती की अवधि, अंक प्रणाली वैध दाँव-पेच आदि से कुश्ती को सँवारा गया और मिट्टी के अखाड़ों पर लड़ी जाने वाली कुश्ती को गद्दों पर ले आये। हिन्दुस्तान पाकिस्तान बँटवारे से पूर्व भारतवर्ष में सर्व विजेता पहलवान को ‘रुस्तमे हिन्द’ की उपाधि दी जाती थी। इसके पश्चात् ‘हिन्द केसरी’ की एक अन्य उपाधि चल पड़ी।
भारत वर्ष में सन् 1932 में फ्री स्टाइल कुश्ती का प्रवेश हुआ और सन् 1948 में पहली बार भारतीय कुश्ती संघ की स्थापना हुई और संघ की स्थापना के बाद से भारत केसरी वे महान् भारत केसरी की नयी उपाधि दी जाने लगी। भारत देश के अनेक पहलवानों को कई बार विश्व विजेता बनने का गौरव हासिल हुआ है, परन्तु गद्दों पर होने वाली ओलम्पिक स्तर की प्रतियोगिता में मिट्टी के दुलारे (भारतीय पहलवान) पीछे रह गये। आज भी भारत देश में कुश्ती दोनों प्रकार से लड़ी जाती है। मिट्टी व गद्दे पर। मिट्टी की कुश्ती भारतीय पद्धति तथा गद्दों की कुश्ती ओलम्पिक पद्धति के नाम से जानी जाती है। दोनों ही पद्धतियों के भारतीय कुश्ती संघ बने हुए हैं जिनके अधीन राज्य कुश्ती संघ काम करते हैं।
कुश्ती के नियम-निम्न हैं –
- प्रतियोगी निर्वस्त्र होकर भार देंगे। तौल से पूर्व उनको डॉक्टरी परीक्षण करवाया जायेगा।
- खिलाड़ियों के नाखून अच्छी तरह कटे होने चाहिए।
- प्रत्येक कुश्ती का समय 6 मिनट होता है। यह समय 2-2 मिनट के तीन भागों में बँटा होता है यानि 2-2 मिनट के तीन राउंड कुश्ती के होंगे। हर दो मिनट पश्चात् 30 सैकण्ड का विश्राम होता है।
- कुश्ती उस समय तक जारी रहेगी जब तक कि कोई एक खिलाड़ी चित्त न हो जाए या फिर 6 मिनट तक जारी रहेगी।
- यदि कोई खिलाड़ी अपना नाम पुकारे जाने के पश्चात् 3 मिनट के अन्दर-अन्दर मैट पर नहीं पहुँचता, तो उसे हारा हुआ मान लिया जाता है।
- एक मिनट के विश्राम के समय खिलाड़ी दूसरे साथी खिलाड़ी या कोच, मालिश के लिए या उसके शरीर का पसीना पोंछने के लिए उनके पास जा सकता है।
- कुश्ती के समय कोच की कोचिंग लेने की आज्ञा है।
- 30 सैकण्ड के विश्राम के पश्चात् कुश्ती खड़े होने की अवस्था में आरम्भ होती है।
कुश्ती समाप्ति-घंटी बजने पर कुश्ती समाप्त हो जायेगी। रैफरी की सीटी पर भी कुश्ती रुक जाती है। घंटी बजने और रैफरी की सीटी बजने के बीच कोई भी कार्य उचित नहीं माना जाता। मैट चेयरमैन विनिंग कलर दिखाकर विजेता की सूचना देता है। रैफरी विजेता की कलाई खड़ा करके फैसला बताता है।
कुश्ती में निम्नलिखित बातें वर्जित हैं –
- बिना किसी चोट के कलाई, भुजाओं या टखनों पर पट्टियाँ लपेटना।
- कलाई घड़ी बाँधना।
- शरीर पर किसी चिकनी चीज की लगाना।
- पसीने से तर होकर अंखाड़े में उतरना।
- अँगूठी, हार, कड़ा आदि पहनना।
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