Rajasthan Board RBSE Class 10 Physical Education Chapter 7 संतुलित भोजन: कब खायें कितना खायें
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 7 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव शरीर कौनसे पाँच तत्त्वों से निर्मित है?
उत्तर:
मानव शरीर पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि और आकाश आदि पाँच तत्त्वों से निर्मित है।
प्रश्न 2.
मानव शरीर में खनिज लवण का क्या उपयोग है ?
उत्तर:
मानव शरीर में खनिज लवण शरीर द्रव को सन्तुलित रखते हैं। ये उन्हें न तो अम्लीय होने देते हैं और न ही क्षारीय होने देते हैं। खनिजों से रक्त एवं हड्डियों को लाभ पहुँचता है।
प्रश्न 3.
विटामिन बी-1 की कमी से कौनसा रोग हो। जाता है ?
उत्तर:
विटामिन बी-1 की कमी से बेरी-बेरी नामक रोग हो जाता है।
प्रश्न 4.
एनिमिया रोग कौन से पोषक तत्त्व की कमी से होता है ?
उत्तर:
एनिमिया रोग पोषक तत्त्व लोहे की कमी से होता है।
प्रश्न 5.
भोजन मंत्र लिखिए। उत्तर-भोजन मंत्र
ब्रह्मार्पण ब्रह्महविर्ब्रह्माग्न ब्रह्माणा हुतम्।।
ब्रमेव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समानि। ऊँ सह नाववतु।
सह न भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनाव, तमस्तु।
मा विविषाव है।।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भोजन कब खाना चाहिए विस्तार से समझाइये।
उत्तर:
शरीर की मूलभूत आवश्यकताओं में भोजन सबसे प्राथमिक आवश्यकताओं में से पहली आवश्यकता है, लेकिन इसके लिए भी हमें कुछ आवश्यक जानकारियाँ रखनी होंगी कि हमें भोजन कब-कब करना चाहिए और कब नहीं। यदि यह ध्यान नहीं रखा गया तो वही भोजन जो हमारे शरीर के और स्वास्थ्य व जीवन के लिए जरूरी है वह विष का कार्य प्रारम्भ कर देता है। भोजन एक बहुत ही पवित्र कर्म है। श्रेष्ठ भोजन वह है, जो हित भूख, मित भूख और तुभूख हो अर्थात् वह भोजन जो शरीर के हित और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया गया हो वह भोजन जो मितव्ययिता के साथ किया गया हो तथा वह भोजन जो तु और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया गया हो वह भोजन श्रेष्ठ भोजन कहलाता है। भोजन कब करें इसके बारे में निम्नांकित तथ्यों पर हमें ध्यान देना चाहिए।
- भोजन का समय निश्चित होना चाहिए।
- प्रात:काल शौचादि से निवृत्त होकर ही नाश्ता करना चाहिए।
- कुछ शारीरिक श्रम करने के पश्चात् ही दोपहर का भोजन करना चाहिए।
- सायंकालीन भोजन सूर्यास्त से पहले ही कर लेना चाहिए।
- भोजन हमेशा भूख लगने पर ही करना चाहिए।
- भूख लगना ही भोजन करने का सही समय है।
- जिन लोगों की पाचन क्रिया मंद है उन्हें निरोगी रहने के लिए केवल एक वक्त ही भोजन करना चाहिए बाकी समय हल्का नाश्ता या दूध या सलाद आदि लेना चाहिए या फलों का रस लेना चाहिए।
- भोजन हमेशा तनाव रहित होकर स्वच्छ चित्त से करना चाहिए।
- भोजन हमेशा प्रार्थना करने के पश्चात ही करना चाहिए।
भोजन से पहले उस किसान को धन्यवाद दें जिसने वह अन्न उगाया, उस प्रकृति को धन्यवाद दें जिसने बारिश व धूप और हवा दी। उस व्यक्ति को धन्यवाद दें, जिसने उस अन्न को बेचा। उस व्यक्ति को धन्यवाद दें जिसने वह आप तक पहुँचाया। उस व्यक्ति को धन्यवाद दें जिसने भोजन पकाया। अन्त में ईश्वर को धन्यवाद दें जिसने हमें भूख दी ताकि हम उस अन्न को पाकर संतुष्टि करके तृप्त हुए।
प्रश्न 2.
विभिन्न भोज्य पदार्थों में कितनी कैलोरी मिलती है, विस्तार से समझाइये।
उत्तर:
विभिन्न खाद्य सामग्री के रूप में काम आने वाले पदार्थों या तत्त्वों के अन्दर कितनी मात्र में कैलोरी होती है, यह जानना जरूरी है। इस तालिका के माध्यम से हम जान सकते हैं। कि विभिन्न भोज्य पदार्थों में कितनी कैलोरीज होती है।
प्रश्न 3.
सन्तुलित भोजन से क्या अभिप्राय है ? विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
सन्तुलित भोजन-सन्तुलित भोजन वह भोजन है जिसमें शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में मिलते हों।
सामान्य परिश्रम करने वाले वयस्क व्यक्ति की सन्तुलित आहार तालिका –
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 7 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
शरीर के सन्तुलित विकास हेतु आवश्यक है
(अ) सन्तुलित भोजन
(ब) भ्रमण की व्यवस्था
(स) पौष्टिक भोजन
(द) व्यायाम व संतुलित भोजन
उत्तरमाला:
(द) व्यायाम व संतुलित भोजन
प्रश्न 2.
विटामिन ‘सी’ की कमी से होने वाला रोग है –
(अ) स्कर्वी
(ब) रतौंधी
(स) बेरी-बेरी
(द) चेचक
उत्तरमाला:
(अ) स्कर्वी
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 7 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रोटीन तत्त्व की कमी से होने वाले रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रोटीन तत्त्व की कमी से एनिमिया, रुधिर की कमी, वजन घटना, पैरों में सूजन आदि रोग हो जाते हैं।
प्रश्न 2.
आवश्यकता से अधिक प्रोटीनों का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
शरीर में आवश्यकता से अधिक प्रोटीन की मात्रा होने पर शरीर उन्हें वसा अर्थात् चर्बी में बदल देता है जिससे शरीर में मोटापा बढ़ता है।
प्रश्न 3.
आयोडीन की कमी से कौनसा रोग होता है?
उत्तर:
आयोडीन की कमी से पेंघा रोग हो जाता है।
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 7 लघूत्तररात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जल हमारे लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
जल शरीर के तन्तुओं के लिए आवश्यक है। जल शरीर की रासायनिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है। पाचक रसों के निर्माण में जल की आवश्यकता पड़ती है। जल की सहायता से शरीर के निरर्थक पदार्थ, जैसे–पसीना, मल-मूत्र आदि बाहर निकल जाते हैं। जल से गुर्दे साफ रहते हैं। जल के कारण ही रक्त द्रव के रूप में रहता है। शरीर का 90 प्रतिशत भाग जल है। यह पाचन के दौरान बहुत से तत्वों के लिए विलेयक के रूप में कार्य करता है। शरीर का तापक्रम भी जले पर निर्भर रहता है। शरीर में पानी लगातार पसीने, मूत्र और मल के रूप में निकलता रहता है, इसीलिये दिनभर में कम से कम 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए। जल के मुख्य स्रोत पीने का पानी एवं हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दूध, तरबूज, खीरा, ककड़ी आदि हैं। विभिन्न रासायनिक क्रियाप्रतिक्रियाएँ जल की सहायता से होती हैं।
प्रश्न 2.
प्रोटीन की आवश्यकता शरीर को क्यों होती है? लिखिए।
उत्तर:
प्रोटीन से हमें ऊर्जा मिलती है तथा इसे तंतु उत्पादक तत्त्व कहा जाता है। हमारे शरीर में असंख्य कोशिकाओं का समूह है और यह पूरा समूह प्रोटीन्स का बना होता है। प्रोटीन टूट-फूटे उत्तकों की मरम्मत करता है। हार्मोन्स की उत्पादन भी काफी हद तक प्रोटीन के माध्यम से होता है। प्रोटीन का निर्माण 16 अम्लों के द्वारा होता है। प्रोटीन में मुख्यतः कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, गांक एवं फास्फोरस नामक तत्त्व पाये जाते हैं। नाइट्रोजन इसका मुख्य संघटक होता है।
प्रोटीन भोजन का एक आवश्यक भाग या तत्त्व है यह शरीर की रोगों से रक्षा करता है। इस तत्व की कमी से एनिमिया, रुधिर की कमी, वजन घटना, पैरों में सूजन आदि रोग हो जाते हैं तथा किडनी एवं यकृत के रोग होने की समस्या भी बढ़ जाती है। प्रोटीन मुख्य रूप से हमें दूध, अंडा, गेहूँ, जौ, बाजरा, चना आदि अनाजों, सूखे मेवों एवं सभी प्रकार की दालों और हरी सब्जियों में मिलता है। शरीर में आवश्यकता से अधिक प्रोटीन होने पर शरीर उसे वसा या चर्बी में बदल देता है जिससे शरीर में मोटापा बढ़ता है।
प्रश्न 3.
शरीर में कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता को समझाइये।
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर को गर्मी एवं शक्ति प्रदान करता है। शरीर की वृद्धि में भी इसका महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। यह हाइड्रोजन व ऑक्सीजन तत्त्वों का संगठन है। अत्यधिक परिश्रम करने वाले लोगों को इसकी अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है, इसमें हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के तत्त्वों का अनुपात 2 : 1 होता है।
ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं –
- शर्करा – यह मीठे फलों से, गन्ने, खजूर, चुकन्दर, शक्कर में मिलती है तथा जल में घुलनशील है।
- स्टार्च – यह आलू, चावल व गेहूँ में ज्यादा मिलता है, ये जल में घुलनशील नहीं हैं।
- सेल्यूलोज – यह फलों एवं सब्जियों से प्राप्त होता है तथा जल में अघुलनशील है। हमारी पाचन क्रिया प्रणाली इन्हें ग्लूकोज में परिवर्तित करके शरीर में खपा लेती है। कार्बोहाइड्रेट को भली भाँति पचाने के लिए विटामिन की आवश्यकता होती है। कार्बोहाइड्रेट शरीर के ताप को नियंत्रित करता है।
RBSE Class 10 Physical Education Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भोजन के पोषक तत्त्व कौन-कौन से हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भोजन के पोषक तत्त्वे – भोजन के विशेषज्ञों के अनुसार मानव शरीर के समुचित विकास और वृद्धि के लिए निम्नलिखित पोषक तत्त्वों की आवश्यकता पड़ती है –
(1) कार्बोहाइड्रेट्स-यह कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का एक कार्बन यौगिक है। यह चावल, गेहूँ, मक्का, जौ, आलू, शलजम, गाजर, मटर, अरबी आदि से प्राप्त किया जा सकता है। साबूदाना, ज्वार, बाजरा, बादाम, काजू, आम, केला, गन्ना, खजूर आदि से भी कार्बोहाइड्रेट्स प्राप्त हो जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति को 500 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स युक्त पदार्थ प्रतिदिन के भोजन में लेना आवश्यक है। इससे शरीर में ऊर्जा व शक्ति प्राप्त होती है। माँसपेशियों के निर्माण में भी कार्बोहाइड्रेट्स सहायक होते हैं।
(2) वसा वसा भी कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का एक यौगिक है। वसा से शरीर में शक्ति उत्पन्न होती है। यह माँस, अंडे, दूध, घी, नारियल, मूंगफली, सरसों के तेल आदि में पाया जाता है। बादाम, काजू, अखरोट, पिस्ता आदि से भी वसा प्राप्त की जा सकती है। वसा शरीर में चिकनाई पैदा करती है। वसा के कारण शरीर की गर्मी नष्ट होती है। शरीर में सुडौलता वसा के ही कारण आती है। वसा शरीर के कोमल अंगों को क्षति होने से बचाती है।
(3) प्रोटीन – प्रोटीन में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन के अतिरिक्त नाइट्रोजन, गन्धक और खनिज लवण विद्यमान होते यह पोषक तत्त्व दूध, अंडे, मक्खन, दही, मक्का, गेहूँ, माँस, मछली, सोयाबीन, मटर, दालों आदि में मिलता है। पनीर, गाजर, बादाम, पत्ता गोभी आदि में भी प्रोटीन की मात्रा होती है। प्रोटीन से मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है। पाचक रसों के निर्माण में प्रोटीन सहायक होता है। प्रोटीन से शरीर के तन्तुओं का निर्माण होता है तथा क्षतिग्रस्त तन्तुओं की मरम्मत होती है। प्रोटीन के कारण शरीर में रोग निवारण क्षमता का विकास होता है। शारीरिक वृद्धि में भी प्रोटीन सहायता प्रदान करते हैं। बच्चों, दूध पिलाने वाली माताओं तथा गर्भवती स्त्रियों को प्रोटीन की आवश्यकता अधिक होती है।
(4) खनिज लवण – खनिज लवण के अन्तर्गत मुख्य रूप से कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, आयोडीन, ताँबा, गन्धक, मैग्नीशियम आदि पदार्थ आते हैं। अधिकांश खनिज लवणे दूध, दही, पनीर, अंडे, हरी सब्जियाँ, मछली, प्याज, टमाटर, गेहूँ तथा फलों से प्राप्त होते ‘ हैं। समुद्री पानी तथा खानों में नमक (सोडियम क्लोराइड) प्राप्त होता है। लवणों में जीवन क्रियाएँ नियमित रूप से होती हैं। भिन्न-भिन्न लवण अलग-अलग ऊतकों के लिए आवश्यक है। मैग्नीशियम तथा मुलायम ऊतकों में पोटेशियम मिलता है। खनिज लवण शरीर के विकास में सहायता करते हैं। हड्डियों को विकसित करने में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। कैल्शियम दाँतों को मजबूत बनाता है।
(5) जल – जल शरीर के तन्तुओं के लिए आवश्यक है। जल शरीर की रासायनिक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है। जल की सहायता से शरीर के निरर्थक पदार्थ, जैसे–पसीना, मलमूत्र आदि बाहर निकल जाते हैं। जल से गुर्दे साफ रहते हैं। जल के कारण ही रक्त द्रव के रूप में रहता है। शरीर का 90 प्रतिशत भाग जल है। यह पाचन के दौरान बहुत से तत्त्वों के लिए विलायक के रूप में कार्य करता है। शरीर का तापक्रम भी जल पर निर्भर रहता है। दिन भर में कम से कम 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए। जल के मुख्य स्रोत – पीने का पानी एवं हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दूध, तरबूज, खीरा, ककड़ी आदि हैं।
(6) विटामिन – यह कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन का विशेष यौगिक है। विटामिन के द्वारा शरीर निरोग और स्वस्थ रहता है। विटामिन की उपस्थिति में भोजन के पोषक तत्त्वों में सक्रियता आ जाती है।
कुछ विटामिन पानी में घुलनशील होते हैं और कुछ विटामिन वसा में घुलते हैं। विटामिन की कमी के कारण शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति नष्ट हो जाती है तथा दाँतों, नेत्रों एवं हड्डियों में विकार पैदा हो जाते हैं। हमारे शरीर के लिए विटामिन ‘ए’, विटामिन ‘बी’, विटामिन ‘सी’, विटामिन ‘डी’, विटामिन ‘ई’ व विटामिन ‘के’ आवश्यक
प्रश्न 2.
विटामिन से क्या अभिप्राय है ? विभिन्न विटामिनों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विटामिन – यह कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन आदि का विशेष यौगिक है। सन् 1912 में डॉ. फक द्वारा विटामिन का नाम दिया गया। विटामिन की कमी के कारण अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। मुख्य विटामिन – निम्न प्रकार हैं
(1) विटामिन ‘ए’ – यह विटामिन अण्डे की जरदी, मछली के तेल, दूध, पनीर, मक्खन, क्रीम, पालक, टमाटर, गाजर, गोभी, लहसुन आदि में मिलता है। बच्चों तथा गर्भवती स्त्रियों को विटामिन ‘ए’ की आवश्यकता अधिक होती है। इस विटामिन से हड्डियों का विकास होता है।
(2) विटामिन ‘बी’ – विटामिन ‘बी’ में अनेक विटामिन सम्मिलित होते हैं। इनको ‘बी-1′, ‘बी-2’, ‘बी-6’, ‘बी-12’ आदि नाम दिये गये हैं। यह विटामिन अण्डे की जरदी, खमीर, चावल, गेहूँ, हरी सब्जियाँ, मटर, सैम, सोयाबीन, गाजर, गोभी, लहसुन, दूध आदि में मिलता है। यह विटामिन पाचन शक्ति में वृद्धि तथा नेत्र के रोगों को दूर करता है। शरीर की वृद्धि के लिए यह विटामिन अनिवार्य है। इसके अभाव में बेरी-बेरी नामक रोग हो जाता है।
(3) विटामिन ‘सी’ – यह विटामिन अंगूर, टमाटर, नींबू, संतरा, आँवला, अंकुरित दाल, पत्तागोभी, हरीमिर्च, शलजम, आलू, नाशपाती, केला, बेर आदि में मिलता है। शरीर में स्फूर्ति रखने तथा रक्त को शुद्ध करने में यह विटामिन सहायक होता है। यह दाँतों तथा हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसकी कमी से स्कर्वी तथा हड्डियों का रोग हो जाता है।
(4) विटामिन ‘डी’ – यह विटामिन सूर्य की किरणों में पर्याप्त मात्रा में होता है। दूध, दही, मक्खन, घी, मछली के तेल, अण्डे की जरदी आदि में मिलता है। यह हड्डी तथा दाँतों को मजबूत बनाता है तथा बालों की वृद्धि में सहायक है। इस विटामिन को पर्याप्त मात्रा में ग्रहण करने से काली खाँसी तथा चेचक रोग नहीं होते हैं।
(5) विटामिन ‘ई’ – यह विटामिन अंकुरित गेहूँ, माँस, दूध, मक्खन, अण्डे तथा पत्तेदार सब्जियों में मिलता है। यह विटामिन स्त्री तथा पुरुषों की प्रजनन शक्ति को बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। इसके अभाव में पुरुषों में नपुंसकता तथा स्त्रियों में बाँझपन का रोग हो जाता है।
(6) विटामिन ‘के’ – यह विटामिन पत्तागोभी, फूलगोभी, पालक, सोयाबीन, गाजर, अण्डा, गेहूँ, टमाटर, आलू, दूध, मक्खन आदि में मिलता है। यह विटामिन रक्त के जमने के लिए आवश्यक है। इसके अभाव में तीत्र रक्त स्राव होने का भय बना रहता है। दूध पिलाने वाली माताओं तथा गर्भवती स्त्रियों को इसकी अधिक आवश्यकता पड़ती है।
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