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RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

August 14, 2019 by Prasanna Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

RBSE Class 11 Economics Chapter 13 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर  

RBSE Class 11 Economics Chapter 13 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
उपाध्याय के अनुसार भारतीय संस्कृति का जीवन दर्शन है.
(अ) पूँजीवादी दर्शन
(ब) एकात्म मानव दर्शन
(स) साम्यवादी दर्शन
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) एकात्म मानव दर्शन

प्रश्न 2.
उपभोगवाद, स्पर्धावाद व वर्ग संघर्ष का आधार है.
(अ) अनियंत्रित उपभोग
(ब) अपरमात्रिक उत्पादन
(स) असमान वितरण
(द) समाजवाद
उत्तर:
(अ) अनियंत्रित उपभोग

प्रश्न 3.
उपाध्याय भारी उद्योगों के खिलाफ थे क्योंकि
(अ) ये प्रत्येक बड़े काम के लक्ष्य के प्रतिकूल है
(ब) इनकी उत्पादन व प्रबंध प्रणाली जटिल है
(स) ये पूँजी प्रधान है।
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किस सिद्धांत का संबंध पूँजीवाद से नहीं है
(अ) अस्तित्व के लिए संघर्ष
(ब) सर्वोत्तम का अस्तित्व
(स) प्रकृति का शोषण
(द) सर्वे भवन्तु सुखिनः
उत्तर:
(द) सर्वे भवन्तु सुखिनः

प्रश्न 5.
पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अपने विचारों में कृषि को विशेष महत्त्व दिया क्योंकि
(अ) हमारी राष्ट्रीय आय का 60% भाग कृषि से प्राप्त होता है
(ब) उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध करवाती है
(स) देश खाद्यान्न उत्पादन में स्वावलम्बी हो सकता है
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 6.
उपाध्याय के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सी कृति आर्थिक जीवन को नियंत्रित नहीं करती है?
(अ) उत्पादन
(ब) वितरण
(स) उपभोग
(द) राजस्व
उत्तर:
(द) राजस्व

प्रश्न 7.
उपाध्याय की अर्थ संस्कृति का सूत्र निम्नलिखित में से नहीं है
(अ) अपरमात्रिक उत्पादन
(ब) समान वितरण
(स) संयमित उपभोग
(द) असमान वितरण
उत्तर:
(द) असमान वितरण

RBSE Class 11 Economics Chapter 13 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पं. दीनदयाल उपाध्याय ने विश्व को कौन-सा सिद्धान्त दिया जो सम्पूर्ण मानव जाति का चिन्तन है?
उत्तर:
एकात्म मानव दर्शन।

प्रश्न 2.
एकात्म मानव दर्शन का अर्थ बताइए।
उत्तर:
मानव जीवन की सम्पूर्ण प्रकृति के एकात्मक सम्बन्धों का दर्शन।

प्रश्न 3.
पूंजीवाद जिन चार सिद्धान्तों पर खड़ा है, इनके नाम बताइए।
उत्तर:

  1. अस्तित्व के लिए संघर्ष,
  2. सर्वोत्तम का अस्तित्व,
  3. प्रकृति का शोषण,
  4. व्यक्तिगत अधिकार।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

प्रश्न 4.
पं. दीनदयाल उपाध्याय सहकारी कृषि के विरुद्ध क्यों थे? कारण बताइए।
उत्तर:
पण्डित जी का विश्वास था कि सहकारी खेती हमारे अधिक से अधिक उत्पादन करने के विरुद्ध जाएगी। भूमि का आज का स्वामी भूमिहीन हो जाएगा एवं लोकतंत्र की अपेक्षा तानाशाही प्रवृत्ति मजबूत होगी।

प्रश्न 5.
अपरमात्रिक उत्पादन किसे कहते है?
उत्तर:
अपरमात्रिक अर्थात् उत्पादन में स्वावलम्बन से कुछ अधिक उत्पादन करने वाली उद्योग नीति से है।

प्रश्न 6.
उपाध्याय की अर्थ संस्कृति का सूत्र बताइए।
उत्तर:
उपाध्याय की अर्थ संस्कृति का सूत्र हैअपरमात्रिक उत्पादन, वितरण एवं संयमित उपभोग।

RBSE Class 11 Economics Chapter 13 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एकात्म दर्शन की पश्चिमी व भारतीय सन्दर्भ में विवेचना कीजिए।
उत्तर:
पाश्चात्य जीवन दर्शन एवं भारतीय जीवन दर्शन में व्यक्ति एवं समष्टि के बीच में काफी विरोधाभास है। पाश्चात्य विचारधाराएँ उनके प्रतिक्रिया के रूप में उदित हुई। रोम के धर्मपीठ के लोकतंत्रवाद की प्रतिक्रिया के रूप में लोकतंत्र का उदय हुआ। पाश्चात्य देशों में व्यक्ति जीवन के ही नहीं, समष्टि जीवन के परिवार, विश्व, मानव आदि वृहत् घटकों का विचार पृथक्-पृथक् है।

प्रश्न 2.
उपाध्याय के सम्पत्ति पर स्वामित्व सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपाध्याय सम्पत्ति के स्वामित्व के लिए व्यक्ति व समाज के द्वंद्व को ही गलत मानते हैं। वे कहते हैं कि हर व्यक्ति समाज का प्रतिनिधि है अत: वह समाज की सम्पत्ति के एक हिस्से का न्यासी या संरक्षक है। व्यक्ति स्वयं समाज पुरुष का अंग है अत: वह स्वयं ही समाज की धरोहर है इसलिए सम्पत्ति पर अमोघ अधिकार तो समाज का ही है। उपाध्याय सम्पत्ति पर न तो व्यक्ति का अमर्यादित स्वामित्व स्वीकार करते हैं और न ही अमर्यादित राज्याधिकार।

प्रश्न 3.
उपाध्याय की अपरमात्रिक उद्योग नीति को समझाइए।
उत्तर:
उपाध्याय भारी उद्योगों के विरुद्ध होते हुए भी स्वस्थ औद्योगीकरण के विकास के समर्थक थे। अत: वे अपरमात्रिक अर्थात् उत्पादन में स्वावलम्बन से कुछ अधिक उत्पादन करने वाली उद्योग नीति के पक्ष में थे। उद्योग नीति के निम्नलिखित पहलू होने चाहिए :

  1. वह सबको काम देने में सहायक हो,
  2. उत्पादन के केन्द्रीयकरण के बजाय विकेन्द्रीकरण में सहायक हो,
  3. वह भारत की कृषि ग्राम व्यवस्था के लिए पूरक हो,
  4. वह गाँवों से प्रतिभा पलायन न होने दें।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

प्रश्न 4.
उपाध्याय बड़ी बाँध परियोजना की तुलना में छोटी बाँध परियोजनाओं को महत्त्व क्यों देते थे?
उत्तर:
उपाध्याय जी ने बड़ी बाँध परियोजना के स्थान पर छोटे-छोटे बाँधों को अधिक उपयुक्त माना है। उनके अनुसार छोटी परियोजना के रोके गए पानी में से 95% पानी खेत में काम आ सकता है जबकि बड़ी बाँध परियोजना का केवल 55% पानी का ही उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा बड़ी बाँध परियोजना मुख्यतः पूँजी प्रधान है। जो विदेशों से आयातित सामग्री, तकनीक व साधनों पर निर्भर करती है।

प्रश्न 5.
उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित ‘अर्थ संस्कृति का सूत्र बताइए।
उत्तर:
उपाध्याय के अनुसार मानव जीवन में उत्पादन, वितरण तथा उपभोग; ये तीनों कृतियाँ उसके आर्थिक जीवन को नियंत्रित करती हैं। उपाध्याय की संस्कृति का सूत्र है-अपरमात्रिक उत्पादन, वितरण तथा संयमित उपभोग। उपभोग की आवश्यकता एवं अपेक्षित बचत के लिए पर्याप्त उत्पादन को अपरमात्रिक उत्पादन कहते हैं। वितरण ऐसा होना चाहिए कि रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई और दवाई; ये आवश्यकताएँ प्रत्येक व्यक्ति की पूरी होनी चाहिए।

RBSE Class 11 Economics Chapter 13 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय व तानाशाही प्रकृति का मानते थे। कारण बताइए।
उत्तर:
पं. दीनदयाल उपाध्याय बड़े उद्योगों एवं उत्पादन के केन्द्रीकरण के कारण तथा माँग एवं पूर्ति पर यंत्रवाद के हावी हो जाने के कारण बड़े उद्योग तानाशाही प्रवृत्ति वाले व अमानवीय हो जाते हैं। उपाध्याय भारी उद्योगों के खिलाफ थे। वे भारी उद्योगों को निम्नलिखित कारणों से उन्हें अमानवीय व तानाशाही प्रवृत्ति वाले मानते थे :

  1. इससे भारतीय समाज में समरसता भंग होगी।
  2. ये स्वतंत्र उत्पादक शिल्पी के पूरक नहीं वरन् प्रतिकूल है।
  3. ये प्रत्येक को काम के लक्ष्य के प्रतिकूल है तथा प्रौद्योगिक बेरोजगारी बढ़ाते हैं।
  4. ये पूंजी प्रधान है जो भारतीय उत्पादक के सामर्थ्य के बाहर है।
  5. इनकी आयात निर्भरता बहुत है जो हमारे भुगतान संतुलन पर भारी बोझ डालते हैं।
  6. इनका बहुत सामाजिक मूल्य चुकाना पड़ता है। शहरीकरण के कारण स्वास्थ्य, आवास, जलापूर्ति, आदि की भारी
    समस्याएँ पैदा हो जाती हैं।’
  7. इनकी उत्पादन व प्रबंध प्रणाली जटिल है।
  8. कृषि व उद्योगों के बीच शोषणकारी व दलाल निकायों को जन्म देते हैं।
  9. एक स्थान पर केन्द्रित होने के कारण इससे सार्वदेशिक एवं विस्तृत विकास के मार्ग में बाधा पहुँचाती है।
  10. बड़े उद्योगों की लॉबी इतनी शक्तिशाली हो जाती है कि जो देश की राजनीति पर ही कब्जा कर लेते हैं।
  11. बड़े उद्योग समाज में विषमता का सृजन कर वर्ग संघर्ष की स्थितियों का निर्माण करते हैं। इन सबके अलावा बड़े उद्योगों
    का एक खतरनाक पक्ष यह है कि बड़े उद्योगपतियों की विदेशी पूंजी निवेशकों से सहज ही उनकी दोस्ती हो जाती है।
    उनका मत है कि हमारे देश को विदेशी पूंजी के बल पर औद्योगिकी कृत नहीं किया जाना चाहिए। विदेशी पूंजी के राजनीतिक प्रभाव के अलावा आर्थिक प्रभाव भी अशुभ होते हैं। विदेशी पूंजी का विनियोग स्वदेशी श्रम का शोषण करता है।

प्रश्न 2.
उपाध्याय की विकेन्द्रित अर्थव्यवस्था की अवधारणा समझाइए।
उत्तर:
उपाध्याय के अनुसार अर्थव्यवस्था के आधार पर हमारे ग्राम तथा जनपद होने चाहिए। ग्रामों को उजाड़ने वाले आर्थिक नियोजन अन्तत: भारत को उजाड़ने वाला सिद्ध होगा। जो व्यवस्थाएँ भारी उद्योगों व केन्द्रीकरण के दुश्चक्र में एक बार फंस गई उसे वापस लौटाना कठिन है। उनके अनुसार उत्पादक वस्तुएँ बड़े उद्योग तैयार करें तथा उपभोग वस्तुएँ छोटे उद्योगों द्वारा बनाई जाएँ। उपाध्याय इस बात से सहमत नहीं हैं कि छोटे उद्योगों आर्थिक दृष्टि से किफायती नहीं होते हैं। सत्य तो यह है कि किफायती बड़े पैमाने पर उत्पादन से नहीं अधिक उत्पादन के कारण होती है अगर हम इतिहास देखें तो ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर कपड़ा तैयार होने पर भी भारत का कपड़ा वहां जाकर सस्ता पड़ता था। जापान की जो वस्तुएँ सस्ती बाजार में आकर बाकी माल को निकाल देती हैं। बड़े कारखानों में नहीं घरों में बनती है। यदि छोटे उद्योगों की असुविधा दूर कर दी जाए। तो बड़े उद्योगों को जो अतिरिक्त सुविधाएँ मिलती हैं वो न मिलें तो निश्चित ही छोटे उद्योग बाजी मार ले जाएंगे। बड़े उद्योगों की किफायतों को भ्रमपूर्ण मानते हुए उनके बारे में उपाध्याय के निम्नलिखित विचार हैं

बड़े उद्योगों को किफायतें उचित प्रतियोगिता के कारण नहीं बल्कि उसे दबाकर डाका डालने वाली व्यापारिक क्रियाओं से प्राप्त होती है। बड़े उद्योग बहुधा मजदूरों का शोषण करते हैं। एक बार बाजार का आधिपत्य स्थापित करने के बाद उनकी औद्योगिक कुशलता की प्रेरणा नष्ट हो जाती है। ये उद्योग इतने बड़े हैं कि इनका आर्थिक दृष्टि से संचालन नहीं किया जा सकता है। विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था में छोटे एवं कुटीर उद्योग अर्थव्यवस्था के मेरुदण्ड होंगे पर इनके अनुसार बड़े उद्योगों की एकदम अवहेलना भी नहीं की जा सकती है। अत: वे बड़े उद्योगों की अनिवार्यता को स्वीकार करते हैं। लेकिन उसमें आर्थिक सत्ता का केन्द्रीकरण नहीं होना चाहिए।

वे इस बात से सहमत नहीं थे कि छोटे उद्योग आर्थिक दृष्टि से किफायती नहीं होते। उनका मत है कि बड़े उद्योगों की किफायत एक भ्रम है वास्तविक किफायत छोटे उद्योगों में ही होती है।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

प्रश्न 3.
उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन को समझाइए।
उत्तर:
एकात्म मानव दर्शन का अर्थ है-मानव जीवन की सम्पूर्ण प्रकृति के एकात्म संबंधों का दर्शन। यह एक ऐसा जीवन दर्शन है जो मनुष्य का विचार केवल आर्थिक मानव के एकांगी दृष्टिकोण से न करते हुए जीवन के समग्र पहलुओं तथा मानव के अन्य मानवों एवं मानवेत्तर सृष्टि के साथ पूरक एकात्म सम्बन्धों को भी ध्यान में रखकर समृद्ध पूर्ण जीवन की दिशा दर्शाता है। एकात्म मानव दर्शन भारतीय संस्कृति का जीवन दर्शन है जो शरीर, मन, बुद्धि एवं आत्मा युक्त धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के चतुर्विध पुरुषार्थों की साधना करने वाले दर्शन का केन्द्र बिन्दु है। इन चतुर्विध पुरुषार्थों से पूर्ण मानव ही एकात्म मानव दर्शन का केन्द्र बिन्दु है।

एकात्म मानव दर्शन में परिवार संस्था का बहुत महत्त्व है क्योंकि व्यक्ति को ‘अहम’ से ‘वयम’ की ओर ले जाने वाला समष्टि अर्थशास्त्र का पहला पाठ परिवार में ही दिया जाता है। उपाध्याय जी के अनुसार व्यक्ति के बिना समष्टि की कल्पना करना असंभव है और समष्टि के बिना व्यक्ति का मूल्य शून्य है। व्यक्ति की भाँति समाज के लिए अर्थ पुरुषार्थ की आवश्यकता होती है। पर्याप्त मात्रा में अर्थ उत्पादन न हो तो समाज योगक्षेम सुचारु ढंग से नहीं चलेगा। अर्थ का अभाव या प्रभाव जब समष्टि के सामने भी अनेक समस्या खड़ी हो जाती हैं। हमारे यहाँ व्यक्ति एवं समाज का अस्तित्व, सुख-दुःख, हित-अहित न केवल एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं अपित एक-दूसरे पर निर्भर भी है। यहां व्यक्तिगत जीवन एवं समष्टिगत जीवन का आपस में तालमेल रखने के उद्देश्य से आश्रम व्यवस्था एवं वर्ण व्यवस्था का निर्माण किया था।

प्रश्न 4.
उपाध्याय की एकात्म अर्थनीति समझाइए।
उत्तर:
प्रत्येक अर्थव्यवस्था का उद्देश्य अपने नागरिकों की समृद्ध एवं सुखी जीवनयापन की सुविधाएँ प्रदान करना रहा है। आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति के लिए ये अर्थव्यवस्थाएँ जी तोड़ कर पीछे पड़ी हुई हैं। इस विवशता ने कई तरह के आविष्कारों को जन्म दिया है। आर्थिक साधनों के कई स्रोतों का पता लगा है तथा उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई है। आर्थिक समृद्धि की दौड़ में कई अर्थव्यवस्थाएँ तो आगे निकल गईं तथा कई पिछड़ गईं। परन्तु अतिसमृद्धशील व अभावग्रस्त दोनों ही अर्थव्यवस्थाएं अलग-अलग तरह की समस्याओं से ग्रस्त हैं। इन समस्याओं के समाधान हेतु पश्चिमी देशों में पूँजीवादी तथा समाजवादी विचारधाराएँ पनपीं। पूँजीवादी अपने मूल रूप में आज कहीं भी अस्तित्व में नहीं हैं तथा साम्यवाद व समाजवाद अपने कई रूपों को बदलता हुआ विश्व मानचित्र से लगभग समाप्त हो गया है। पूँजीवाद चार सिद्धान्तों पर खड़ा हुआ है :

  1. अस्तित्व के लिए संघर्ष
  2. सर्वोत्तम का अस्तित्व
  3. प्रकृति का शोषण
  4. व्यक्तिगत अधिकार।

उपाध्याय के अनुसार इन चारों सिद्धान्तों के आधार पर पूँजीवाद का विकास हुआ। पूँजीवाद के विकास में एडम स्मिथ एवं कीन्स के विचारों का काफी योगदान रहा।

एडम स्मिथ एक जगह लिखते हैं कि “कभी किसी का भला मत करो भला करना है तो तब करो जब ऐसा करने से तुम्हारा स्वार्थ सिद्ध होता है।” कीन्स ने कहा “आने वाले कम से कम सौ वर्षों में यदि सच्चाई का उपयोग नहीं है और असत्य ही उपयुक्त है तो हमें चाहिए कि सच को झूठ और झूठ को सच मान लें। अधिकाधिक धन प्राप्त करने की भूख अधिकाधिक लाभ अर्जित करने की स्पर्धा और उसके लिए बरती जाने वाली दक्षता ही आने वाले कुछ समय के लिए हमारे देवता हैं। एडम स्मिथ एवं कीन्स के विचारों ने अस्तित्व के लिए संघर्ष तथा सर्वोत्तम का अस्तित्व जैसे सिद्धान्तों के कारण पूंजीवादी देशों के जीवन को काफी प्रतिस्पर्धापूर्ण बना दिया। प्रत्येक व्यक्ति कहीं दूसरों से पिछड़ के न रह जाए इस डर से रात-दिन मशीन की तरह काम करने लगा जिससे लोगों के जीवन के रक्तचाप, तनाव, हृदय रोग आदि बढ़ गए हैं।

प्रश्न 5.
उपाध्याय की अर्थनीति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अर्थनीति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :

  • भारतीय संस्कृति में अर्थ :
    भारतीय संस्कृति में सदा से ही धर्म को आधारभूत पुरुषार्थ माना गया है और धर्म की आधारभूत नींव पर ही आर्थिक नवनिर्माण के लिए ढाँचे की आवश्यकता है।
  • धर्म का मनोविज्ञान :
    पं. दीनदयाल जी का मत है कि धन का अभाव मनुष्य को चोर बनाता है। समाज में अर्थ का अभाव अथवा अभावमूलक नियोजन समाज में अधर्म को धर्म बना देश है, वैसे ही अर्थ का प्रभाव भी धर्म का नाश कर देता है। इसीलिए वे यह मत प्रतिपादित करते हैं कि समाज के मानदण्ड ऐसे बनाए जाएँ कि हर वस्तु पैसे से न खरीदी जा सके।
  • स्वामित्व का सवाल :
    व्यक्तिवाद तथा समाजवाद के विचारधारात्मक संघर्ष ने एक नवीन आयाम को जन्म दिया है कि संपत्ति पर व्यक्ति का अधिकार हो अथवा सम्पत्ति पर राज्य का अधिकार हो।
  • पूँजीवाद एवं समाजवाद निषेध :
    उपाध्याय कुछ व्यक्तियों के हाथों में असीमित उत्पादन के सामर्थ्य के केन्द्रीयकरण के प्रबल विरोधी थे। पूँजीवाद की प्रवृत्ति वित्तीय सत्ता को कुछ हाथों में केंद्रीकृत कर देने की है।
  • आर्थिक लोकतंत्र :
    उपाध्याय लोकतंत्र को केवल राजनीतिक जीवन का आयाम नहीं मानते उनका मत है कि प्रत्येक का – वोट जैसे राजनीतिक प्रजातंत्र का निष्कर्ष है वैसे ही प्रत्येक को काम यह आर्थिक प्रजातंत्र का मापदण्ड है।
  • भारी औद्योगीकरण का निषेध :
    बड़े उद्योगों के उत्पादन के केन्द्रीकरण के कारण तथा मांग एवं पूर्ति पर यंत्रवाद के हावी हो जाने के कारण बड़े उद्योग तानाशाही प्रवृत्ति वाले व अमानवीय हो जाते हैं।
  • अपरमात्रिक उद्योग नीति :
    उपाध्याय भारी उद्योगों के विरुद्ध होते हुए भी स्वस्थ औद्योगीकरण के विकास के समर्थक थे। अत: वे अपरमात्रिक अर्थात् उत्पादन में स्वावलम्बन से कुछ अधिक उत्पन्न करने वाली उद्योग नीति के पक्ष में थे।
  • विकेंद्रित अर्थव्यवस्था :
    उपाध्याय के अनुसार अर्थव्यवस्था का आधार हमारे ग्राम तथा जनपद होने चाहिए। ग्रामों को उजाड़ने वाला आर्थिक नियोजन अन्तत: भारत को उजाड़ने वाला सिद्ध होगा। जो व्यवस्थाएँ भारी उद्योगों व केन्द्रीकरण के दुश्चक्र में एक बार फंस गईं उसे पास लौटाना कठिन है।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

RBSE Class 11 Economics Chapter 13 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Economics Chapter 13 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘जगद्गुरु शंकराचार्य’ किसकी रचना है?
(अ) जे. के. मेहता
(ब) महात्मा गांधी
(स) पं. दीनदयाल उपाध्याय
(द) टैगोर
उत्तर:
(स) पं. दीनदयाल उपाध्याय

प्रश्न 2.
एकात्म मानव दर्शन किसने दिया?
(अ) महात्मा गांधी
(ब) मदनमोहन मालवीय
(स) दयानन्द सरस्वती
(द) पं. दीनदयाल उपाध्याय
उत्तर:
(द) पं. दीनदयाल उपाध्याय

प्रश्न 3.
पूँजीवाद कितने सिद्धान्तों पर टिका हुआ है?
(अ) पाँच
(ब) चार
(स) तीन
(द) दो
उत्तर:
(ब) चार

प्रश्न 4.
मानव एकता का विचार किस संस्कृति ने दिया?
(अ) पाश्चात्य
(ब) भारतीय
(स) अरबी
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(ब) भारतीय

प्रश्न 5.
किसने कहा है कि “भारतीय संस्कृति के एकरूप दर्शन में एकात्म अर्थनीति तीसरा विकल्प बन सकता है।”
(अ) विवेकानन्द
(ब) पं. दीनदयाल उपाध्याय
(स) अरस्तू
(द) कीन्स
उत्तर:
(ब) पं. दीनदयाल उपाध्याय

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

RBSE Class 11 Economics Chapter 13 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पं. दीनदयाल उपाध्याय का जन्म कहाँ हुआ?
उत्तर:
राजस्थान में जयपुर-अजमेर रेलमार्ग पर धनकिया गाँव में।

प्रश्न 2.
पं. दीनदयाल का लालन-पालन कहाँ हुआ?
उत्तर:
उनके मामा राधारमण शुक्ला के पास हुआ।

प्रश्न 3.
जनसंघ सिद्धान्त और नीति किसकी पुस्तक है?
उत्तर:
पं. दीनदयाल उपाध्याय।

प्रश्न 4.
एकात्म मानव दर्शन किस संस्कृति का जीवन दर्शन है?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति का।

प्रश्न 5.
एकात्म मानव दर्शन में किस संस्था का बहुत महत्त्व है?
उत्तर:
परिवार संस्था का।

प्रश्न 6.
किसके बिना व्यक्ति का मूल्य शून्य है?
उत्तर:
समष्टि के बिना व्यक्ति का मूल्य शून्य है।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

प्रश्न 7.
मानव एकता का विचार किस संस्कृति में किया है?
उत्तर:
मानव एकता का विचार भारतीय संस्कृति में किया है।

प्रश्न 8.
भारतीय संस्कृति कैसी है?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति एकात्मवादी है।

प्रश्न 9.
पूँजीवाद का कोई एक सिद्धान्त बताइए।
उत्तर:
अस्तित्व के लिए संघर्ष।

प्रश्न 10.
पूँजीवाद के विकास में किनके विचारों का योगदान रहा?
उत्तर:
एडम स्मिथ एवं कीन्स।

प्रश्न 11.
भारतीय संस्कृति में सदा से ही किसे आधारभूत पुरुषार्थ माना गया है?
उत्तर:
धर्म को।

प्रश्न 12
वेदों की व्याख्या में धर्म के कितने लक्षण बताइए गए है?
उत्तर:
12 लक्षण बताये गए हैं।

प्रश्न 13.
श्रम का अधिकार मनुष्य का कैसा अधिकार है?
उत्तर:
संवैधानिक अधिकार है।

प्रश्न 14.
श्रम को किसमें मापना असंभव है?
उत्तर:
श्रम को रुपये पैसे में मूल्य आँकना असंभव

प्रश्न 15.
समाजवाद किसके अतिवाद को निषेध करता है?
उत्तर:
समाजवाद व्यक्तिवाद के अतिवाद का निषेध करता है।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

प्रश्न 16.
केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति मनुष्य के किस भाव को मारती है?
उत्तर:
कर्त्तव्य भाव को मारती है।

प्रश्न 17.
मजदूरी का भाव कैसा भाव है?
उत्तर:
मजदूरी का भाव मजबूरी का भाव है।

प्रश्न 18.
आर्थिक प्रजातंत्र का मापदण्ड क्या है?
उत्तर:
प्रत्येक को काम।

प्रश्न 19.
उपाध्याय के अनुसार अर्थव्यवस्था का आधार क्या होने चाहिए?
उत्तर:
हमारे ग्राम तथा जनपद।

प्रश्न 20.
राष्ट्रीय आय में कितना प्रतिशत उत्पादन कृषि से प्राप्त होता है?
उत्तर:
लगभग 60%.

प्रश्न 21.
कितने प्रतिशत लोग कृषि से अपनी आजीविका कमाते हैं?
उत्तर:
लगभग 70%.

प्रश्न 22.
उपाध्याय के अनुसार किसको सुदृढ़ किये बिना देश का औद्योगिकीकरण नहीं हो सकता?
उत्तर:
कृषि विकास को।

प्रश्न 23.
पं. उपाध्याय का जीवन कैसा था?
उत्तर:
उपाध्याय सादा जीवन, उच्च विचार, सरल व्यवहार तथा कर्मठता की साक्षात मूर्ति थे।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

प्रश्न 24.
उपाध्याय ने हाईस्कूल कहाँ से की?
उत्तर:
सीकर के कल्याण हाईस्कूल से हाईस्कूल की परीक्षा दी।

प्रश्न 25.
पंडितजी ने बी.ए. कहाँ से की?
उत्तर:
पंडितजी ने राजस्थान के बिरला कॉलेज से बी.ए. प्रथम श्रेणी में की।

प्रश्न 26.
पूंजीवादी एवं साम्यवादी व्यवस्थाओं से ग्रस्त विश्व को उन्होंने कौन-सा सिद्धान्त दिया?
उत्तर:
एकात्म दर्शन सिद्धान्त दिया।

प्रश्न 27.
पंडितजी की कोई चार पुस्तकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. चन्द्रगुप्त मौर्य,
  2. अखण्ड भारत,
  3. टैक्स या लूट
  4. विश्वासघात।

प्रश्न 28.
एकात्म मानव दर्शन का केन्द्र बिन्दु कौन
उत्तर:
चतुर्विध पुरुषार्थों से पूर्ण मानव ही एकात्म दर्शन का केन्द्र बिन्दु है।

प्रश्न 29.
समष्टि के सामने अनेक समस्याएँ कब खड़ी हो जाती हैं?
उत्तर:
अर्थ का अभाव या प्रभाव जब समष्टिगत होता है तब समष्टि के सामने भी अनेक समस्याएँ खड़ी हो जाती है।

प्रश्न 30.
भारतीय संस्कृति को किसकी संज्ञा दी गई है?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति एकात्मवादी है जिसे सर्पिल या मंडलाकार रचना की संज्ञा दी गई है।

प्रश्न 31.
प्रत्येक अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर:
प्रत्येक अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य अपने नागरिकों को समृद्ध एवं सुखी जीवनयापन की सुविधा प्रदान करना रहा है।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

प्रश्न 32
“कभी किसी का भला मत करो भला करना ही है तो तब करो जब ऐसा करने से तुम्हारा स्वार्थ सिद्ध होता है” किसने कहा है?
उत्तर:
एडम स्मिथ ने।

प्रश्न 33.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के दुष्परिणामों की प्रतिक्रिया में कौन-सा अचिंतन सामने आया?
उत्तर:
मार्क्सवादी अर्धचिंतन।

प्रश्न 34.
अर्थायाम किसे कहा गया है?
उत्तर:
समाज से अर्थ का अभाव-प्रभाव दोनों को मिटाकर उसकी समुचित व्यवस्था करना ही ‘अर्थायाम’ कहा गया है।

प्रश्न 35.
राज्य का पहला कर्त्तव्य क्या है?
उत्तर:
प्रत्येक नागरिक को उसकी योग्यता व क्षमता के अनुसार काम करने का अवसर दे।

प्रश्न 36.
श्रम की प्रतिष्ठा किससे है?
उत्तर:
श्रम की प्रतिष्ठा उसके धर्मत्व से है।

प्रश्न 37.
यंत्र को मनुष्य का सहयोगी बनाने के बजाय क्या बना दिया गया है?
उत्तर:
यंत्र को मनुष्य का सहयोगी बनाने के बजाय उसे यंत्र का पुर्जा बना दिया गया है।

प्रश्न 38.
किसके बिना देश का औद्योगीकरण नहीं हो सकता है?
उत्तर:
कृषि विकास को सुदृढ़ किये बिना देश का औद्योगीकरण नहीं हो सकता है।

प्रश्न 39.
स्वावलम्बन किसको वरीयता देने से हासिल होता है?
उत्तर:
स्वावलम्बन कृषि को ही वरीयता देने से प्राप्त हो सकता है।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

प्रश्न 40.
किस क्षेत्र में थोड़ी पूँजी लगाकर अधिक लोगों को रोजगार देने की क्षमता है।
उत्तर:
कृषि क्षेत्र में थोड़ी पूँजी लगाकर अधिक लोगों को रोजगार देने की क्षमता है।

प्रश्न 41.
पं. दीनदयाल किसके विरुद्ध थे?
उत्तर:
पं. दीनदयाल सहकारी कृषि के विरुद्ध थे।

प्रश्न 42.
कौन समाज में विषमता का सृजन कर वर्ग संघर्ष की स्थिति का निर्माण करते हैं?
उत्तर:
बड़े उद्योग समाज में विषमता का सृजन कर वर्ग संघर्ष की स्थिति का निर्माण करते हैं।

RBSE Class 11 Economics Chapter 13 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पं. दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
उत्तर:
पण्डितजी का जन्म राजस्थान में जयपुर-अजमेर रेलमार्ग पर धनकिया गाँव में उनके नाना श्री चुन्नीलाल शुक्ला के घर में हुआ। उनके नाना धनकिया में स्टेशन मास्टर थे। उनके माता-पिता का देहान्त बाल्यकाल में हो गया था। अत: इनका लालन-पालन उनके मामा श्री राधारमण शुक्ला ने किया। पंडित जी ने सीकर के कल्याण हाईस्कूल से हाईस्कूल की परीक्षा दी और अजमेर बोर्ड से प्रथम श्रेणी में प्रथम रह कर स्वर्णपदक प्राप्त किया। उसके बाद पंडितजी ने राजस्थान के बिरला कॉलेज से बी.ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।

प्रश्न 2.
पं. दीनदयाल की पुस्तकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्न हैं :

  1. चन्द्रगुप्त मौर्य
  2. जगद्गुरु शंकराचार्य
  3. जनसंघ सिद्धान्त और नीति
  4. अखण्ड भारत
  5. अमेरिकी अनाज पी. एल. 480
  6. भारतीय अर्थनीति
  7. बेकारी की समस्या और उसका हल
  8. एकात्मक मानववाद
  9. टैक्स या लूट
  10. राष्ट्र जीवन की समस्याएँ
  11. विश्वासघात।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

प्रश्न 3.
पं. दीनदयाल ने किस विषय पर विचार प्रकट किये हैं?
उत्तर:
पं. दीनदयाल ने एकात्म मानववाद, एकात्म अर्थनीति, पूंजीवाद, समाजवाद, विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था, मशीनीकरण का निषेध, सरकारी खेती का निषेध, विदेशी पूँजी, अर्थ संस्कृति आदि विषयों पर अपने विचार प्रकट किये।

प्रश्न 4.
अर्थनीति का भारतीय संस्कृति में अर्थ समझाइये।
उत्तर:
भारतीय संस्कृति सदा से ही धर्म को आधारभूत पुरुषार्थ माना है और धर्म के आधार पर ही आर्थिक नवनिर्माण के लिए ढाँचे की आवश्यकता है। वेदों की व्याख्या में धर्म के 12 लक्षणों में श्रम को धर्म का पहला लक्षण बताया है। श्रम को अधिकार देना राज्य का मूलभूत कर्त्तव्य है। अत: श्रम का अधिकार मनुष्य का संवैधानिक अधिकार है। राज्य का पहला कर्तव्य है कि प्रत्येक नागरिक को उसकी योग्यता व क्षमता के अनुसार काम करने का अधिकार दे।

प्रश्न 5.
पूँजीवाद एवं समाजवाद के निषेध पर उपाध्याय जी के विचार लिखिए।
उत्तर:
उपाध्याय कुछ व्यक्तियों के हाथों में असीमित उत्पादन के सामर्थ्य के केन्द्रीकरण के प्रबल विरोधी थे। भूमिवाद की प्रवृत्ति वित्तीय सत्ता को कुछ हाथों में केन्द्रित कर देने की है। उपभोगवाद तथा आर्थिक मानव की पूँजीवादी कल्पनाओं ने आर्थिक जीवन एवं मानव को विभक्त कर दिया है। समाजवाद व्यक्तिवाद को अतिवाद का निषेध करता है। व्यक्ति को अव्यवस्था की उपज मानता है। उपाध्याय मानते हैं कि समाजवाद में केन्द्रीकरण में पूँजीवाद के सब दोष विद्यमान रहते हैं।

प्रश्न 6.
भारी औद्योगीकरण का निषेध पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
उत्तर:
बड़े उद्योगों के उत्पादन के केन्द्रीकरण के कारण तथा माँग एवं पूर्ति पर यंत्रवाद के हावी हो जाने के कारण बड़े उद्योग तानाशाही प्रवृत्ति वाले भय अमानवीय हो जाते हैं। उपाध्याय भारी उद्योगों के खिलाफ थे। वे भारी उद्योगों को अमानवीयवाद तानाशाही प्रवृत्ति वाले मानते हैं।

प्रश्न 7.
उपाध्याय जी के आर्थिक लोकतंत्र को समझाइए।
उत्तर:
उपाध्याय लोकतंत्र को केवल राजनैतिक जीवन का आयाम नहीं मानते। उनका मत है कि प्रत्येक का वोट जैसे राजनैतिक प्रजातन्त्र का निष्कर्ष है। वैसे ही प्रत्येक को काम या आर्थिक प्रजातन्त्र का मान है। काम प्रथम तो जीव का उपार्जन ही हो तथा दूसरे व्यक्ति को उसे चुनने की स्वतंत्रता हो। यदि काम के बदले में राष्ट्रीय आय का न्यायोचित भाग से नहीं मिलता है तो उसके काम की गिनती बेकार में होगी। आर्थिक लोकतन्त्र के लिए यह आवश्यक है कि स्वरोजार क्षेत्र का विकास हो। इसके लिए विकेन्द्रीकरण अर्थव्यवस्था आवश्यक है।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 13 पं. दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक विचार

प्रश्न 8.
विकेन्द्रीकरण अर्थव्यवस्था को समझाइए।
उत्तर:
उपाध्याय के अनुसार अर्थव्यवस्था का आधार हमारे ग्राम तथा जनपद होने चाहिए। ग्रामों को उजाड़ने वाला योजन अंतत: भारत को उजाड़ने वाला सिद्ध होगा। जो व्यवस्थाएँ भारी उद्योग व केन्द्रीकरण के दुष्चक्र में एक बार फंस गईं उनको वापिस लौटना कठिन है।।

प्रश्न 9.
अर्थ संस्कृति के बारे में उपाध्याय जी के विचार बताइए।
उत्तर:
उपाध्याय के अनुसार मानव जीवन में उत्पादन, वितरण तथा उपभोग। ये तीन कृतियाँ उसके आर्थिक जीवन को नियंत्रित करती है। अनियंत्रित या असंयमित उपभोग विषमता व लूट को प्रेरित करता है।

उत्पादन की मर्यादा नहीं होती। यह असांस्कृतिक जीवन है। उपाध्याय की अर्थसंस्कृति का सूत्र है-अपरमात्रिक उत्पादन संयमित वितरण तथा संयमित उपभोग।

प्रश्न 10.
पूँजीवाद के चार सिद्धान्तों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. अस्तित्व के लिए संघर्ष
  2. सर्वोत्तम का अस्तित्व
  3. प्रकृति का शोषण
  4. व्यक्तिगत अधिकार

RBSE Class 11 Economics Chapter 13 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारी औद्योगीकरण का निषेध पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बड़े उद्योगों के उत्पादन के केन्द्रीकरण के कारण तथा माँग एवं पूर्ति पर यंत्रवाद के हावी हो जाने के कारण बड़े उद्योग तानाशाही प्रवृत्ति वाले व अमानवीय हो जाते हैं। उपाध्याय भारी उद्योगों के खिलाफ थे। वे भारी उद्योगों को निम्न कारणों से उन्हें अमानवीय व तानाशाही प्रवृत्ति वाले मानते हैं :

  1. इससे भारतीय समाज में समरसता भंग होगी।
  2. ये स्वतंत्र उत्पादक शिल्पी के पूरक नहीं वरन् प्रतिकूल हैं।
  3. ये प्रत्येक को काम के लक्ष्य के प्रतिकूल हैं तथा प्रौद्योगिक बेरोजगारी बढ़ाते हैं।
  4. ये पूँजी प्रधान है जो भारतीय उत्पादक के सामर्थ्य के बाहर है।
  5. इनकी आयात निर्भरता बहुत है जो हमारे भुगतान संतुलन पर भारी बोझ डालते हैं।
  6. इनका बहुत सामाजिक मूल्य चुकाना पड़ता है। शहरीकरण के कारण स्वास्थ्य, आवास, जलापूर्ति आदि की भारी – समस्याएँ पैदा होती हैं।
  7. इनकी उत्पादन व प्रबंध प्रणाली जटिल है।
  8. कृषि व उद्योगों के बीच शोषणकारी व दलाल निकायों को जन्म देते हैं।
  9. एक स्थान पर केन्द्रित होने के कारण इससे सर्ववैदिशक एवं विस्तृत विकास के मार्ग में बाधा पहुँचाती है।
  10. बड़े उद्योगों की लॉबी इतनी शक्तिशाली हो जाती है कि जो देश की राजनीति पर कब्जा कर लेते हैं।
  11. बड़ा उद्योग समाज में विषमता का सृजन कर वर्ग संघर्ष की स्थितियों का निर्माण करते हैं। इन सबके अलावा बड़े उद्योगों का एक खतरनाक पक्ष यह है कि बड़े उद्योगपतियों की विदेशी पूँजी निवेशकों से सहज उनकी दोस्ती हो जाती है। उनका मत है कि हमारे देश का विदेशी पूँजी के बल पर औद्योगीकृत नहीं किया जाना चाहिए।

RBSE Solutions for Class 11 Economics

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