• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

August 16, 2019 by Prasanna Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

RBSE Class 11 Economics Chapter 15 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर  

RBSE Class 11 Economics Chapter 15 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ब्रिटिश काल से पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था थी
(अ) सम्पन्न
(ब) पिछड़ी
(स) अर्द्धसामंती
(द) अविकसित
उत्तर:
(अ) सम्पन्न

प्रश्न 2.
स्वतन्त्रता से पूर्व आजीविका का मुख्य स्रोत था
(अ) कृषि
(ब) व्यापार
(स) कुटीर उद्योग
(द) सेवा
उत्तर:
(अ) कृषि

प्रश्न 3.
कौनसी शताब्दी में भारत को सबसे अधिक धनी देश माना जाता था?
(अ) 15वीं
(ब) 16वीं
(स) 17वीं
(द) 18वीं
उत्तर:
(स) 17वीं

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 4.
स्वतन्त्रता के समय अधिकांश भूमि का स्वामित्व था
(अ) किसानों के पास
(ब) जागीरदारों के पास
(स) मजदूरों के पास
(द) ये सभी
उत्तर:
(ब) जागीरदारों के पास

प्रश्न 5.
भारत में रेल पटरियों को बिछाने का काम 1853 में शुरू हुआ
(अ) ब्रिटिश उपनिवेश काल में
(ब) मुगल शासकों के काल में
(स) राजाओं के शासनकाल में
(द) आजादी के बाद
उत्तर:
(अ) ब्रिटिश उपनिवेश काल में

RBSE Class 11 Economics Chapter 15 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1,
स्वतंत्रता से पूर्व किसानों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर:
स्वतंत्रता से पूर्व किसानों की स्थिति दयनीय थी। वे मध्यस्थों के द्वारा शोषित किए जाते थे तथा उनसे बेगार कराया जाता था।

प्रश्न 2.
ब्रिटिश काल में भारत कौन-से माल का निर्यातक बनकर रह गया?
उत्तर:
ब्रिटिश काल में भारत कच्चे माल; जैसे-सूती, रेशमी वस्त्र, चावल, जूट, शक्कर, मसाले आदि कृषिगत वस्तुओं का निर्यातक बनकर रह गया।

प्रश्न 3.
19वीं शताब्दी में सूती वस्त्र मिलें कहाँ पर लगायी गईं?
उत्तर:
19वीं शताब्दी में सूती वस्त्र मिलें देश के पश्चिमी क्षेत्र (महाराष्ट्र तथा गुजरात) में लगायी गईं।

प्रश्न 4.
1870 तक भारत में संयुक्त पूँजी वाले बैंकों की संख्या कितनी थी?
उत्तर:
1870 तक भारत में संयुक्त पूँजी वाले बैंकों की संख्या केवल 2 थी।

प्रश्न 5.
ब्रिटिश शासनकाल में सर्वप्रथम जनगणना कौन-से सन में हुई थी?
उत्तर:
ब्रिटिश शासनकाल में सर्वप्रथम जनगणना सन् 1881 में हुई थी।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 6.
स्वतंत्रता के समय भारत में भू-व्यवस्था प्रणाली कौन-कौन सी थी?
उत्तर:
स्वतंत्रता के समय भारत में भू-व्यवस्था की तीन प्रणालियाँ थीं

  1. जमींदारी प्रथा,
  2. महालवाड़ी प्रथा,
  3. रैयतवाड़ी प्रथा।

RBSE Class 11 Economics Chapter 15 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वतंत्रता के समय भारत में औद्योगिक स्थिति को स्पष्ट करो।
उत्तर:
स्वतंत्रता के समय भारत की औद्योगिक स्थिति अच्छी नहीं थी क्योंकि भारत के ब्रिटिश शासन द्वारा वि-औद्योगीकरण (De-industrialization) किया गया; जिसका उद्देश्य भारत को केवल कच्चे माल का निर्यातक बनाना तथा निर्मित माल का आयातक बनाना था। इस प्रकार भारत को कृषि प्रधान देश ही बनाये रखा गया तथा इससे घरेलू उद्योग विकसित नहीं हो पाये तथा अधिकांश लोग बेरोजगार हो गये। यद्यपि 19वीं शताब्दी के अंत तथा 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में कुछ उद्योग विकसित हुए परन्तु भावी औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करने वाले पूँजीगत उद्योगों की स्थापना नहीं हो पाती।

प्रश्न 2.
स्वतंत्रता के समय भारत में आर्थिक आधारभूत संरचना पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
भारत में ब्रिटिश शासकों द्वारा सड़कों, रेलों, जल-परिवहन, पत्तनों तथा डाक-तार आदि संसाधनों को विकसित किया गया परन्तु इन सभी साधनों का विकास ब्रिटिश शासकों ने अपने हितों की पूर्ति के लिए किया था। अंग्रेजों द्वारा सबसे महत्वपूर्ण योगदान 1850 में रेलों की शुरूआत तथा 1 अप्रैल, 1935 को RBI अधिनियम 1934 के तहत् भारतीय रिजर्व बैंक (The Indian Reserve Bank) की स्थापना करना रहा।

प्रश्न 3.
ब्रिटिश शासनकाल में भारत में आयात-निर्यात की स्थिति को समझाइए।
उत्तर:
भारत सूती, रेशमी वस्त्र, चावल, जूट, शक्कर, मसाले आदि कृषिगत वस्तुओं का निर्यात करता था, जिसका फायदा ब्रिटिश शासकों ने उठाया और भारत को कच्चे माल का निर्यातक बना दिया तथा इसी कच्चे माल से वस्तुओं को अपने देश इंग्लैण्ड में तैयार करके भारत में ऊँचे दामों में बेचा जाने लगा। भारत को उन वस्तुओं का आयातक बना दिया, जिससे भारतीय उद्योगों का धीरे-धीरे पतन होता गया।

प्रश्न 4.
स्वतंत्रता के समय भारत में आधारभूत सामाजिक संरचना की स्थिति को स्पष्ट करें।
उत्तर:
आधारभूत सामाजिक संरचना के अंतर्गत मानवीय संसाधनों को सम्मिलित किया जाता है, जिसमें जनसंख्या, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास आदि का अध्ययन किया जाता है। ब्रिटिश शासन के समय भारत में पहली जनगणना 1881 में की गयी थी, जिसके अनुसार भारत की जनसंख्या 25.4 करोड़ थी। अत: भारत की जनसंख्या का आकार सीमित था तथा इसकी वृद्धि दर कम थी। साक्षरता दर 16 प्रतिशत से भी कम थी। 1921 से पूर्व भारत की जन्म-दर तथा मृत्यु-दर दोनों ही उच्च थी. लेकिन 1921 के बाद भारत ने जनांकिकीय संक्रमण के द्वितीय सोपान में प्रवेश किया जिसमें मृत्यु-दर घटना शुरू हो गयी लेकिन जन्म-दर उच्च बनी रही। उस समय स्वास्थ्य सेवाओं का अत्यन्त अभाव था इसलिए लोग संक्रामक रोगों से ग्रसित हो जाते थे। जीवन प्रत्याशा का स्तर मात्र 32 वर्ष का ही था। गरीबी तथा बेरोजगारी की समस्या व्याप्त थी। ब्रिटिश शासकों ने इन समस्याओं के निवारण के कोई उपाय नहीं किए।

RBSE Class 11 Economics Chapter 15 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ब्रिटिश काल से पूर्व भारत में कृषि क्षेत्र की स्थिति का उल्लेख करो।
उत्तर:
ब्रिटिश काल से पूर्व भी भारत कृषि प्रधान देश था। लोगों की आजीविका तथा सरकार की आय का मुख्य साधन कृषि ही थी। गाँवों में तीन प्रकार के वर्ग होते थे कृषक (farmer), दस्तकार (artisan) तथा सेवक (servant)। कृषकों का स्थान इसमें सबसे उच्च था। किसान अपने विभिन्न काम दस्तकारों से कराते थे तथा बदले में फसल के कट जाने पर उन्हें अनाज देते थे। सेवक लगान वसूल करके सरकार को देने का कार्य करते थे।

ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्व भारतीय कृषि अपनी उन्नत अवस्था में थी। सभी कृषक कृषि कार्यों में कुशल थे तथा कृषि की उत्पादकता भी बहुत अधिक थी। अत: भारत की भूमि खाद्यान्नों के रूप में सोने का उत्पादन करती थी। भारत से सूती, रेशमी, वस्त्र, चावल, जूट, शक्कर, मसाले आदि कृषिगत वस्तुओं का अन्य देशों को निर्यात किया जाता था। जिसके बदले में भारत को सोना प्राप्त होता था। अत; यह कहा जा सकता है कि ब्रिटिश शासन से पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था थी तथा यहाँ की अधिकांश जनसंख्या प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्यों में संलग्न थी। भारत में उस समय कृषि पर आधारित उद्योगों का भी विकास हो चुका था। अत: उस समय भारतीय वस्तुएँ पूरे विश्व में प्रतिष्ठित थीं। इस समय भूमि श्रम-अनुपात श्रम के अनुकूल था तथा जोतों का आकार बड़ा था। ब्रिटिश काल से पूर्व भारत की अपनी स्वतंत्र अर्थव्यवस्था थी।

प्रत्येक गाँव, राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न एवं आत्मनिर्भर था। उस समय प्रतिव्यक्ति उत्पादन व उत्पादकता अधिक थी इसलिए भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। ऐसी सम्पूर्ण विश्व के व्यापार का केन्द्र बनी अर्थव्यवस्था से आकर्षित होकर ही विदेशी व्यापारी व्यापार करने भारत आते रहते थे। यहाँ की व्यापारिक गतिविधियों से प्रभावित होकर ईस्ट इण्डिया कम्पनी भी भारत आयी तथा उसने राजनैतिक हस्तक्षेप करके भारत को उपनिवेश बना लिया। उसका मुख्य उद्देश्य भारत के कृषिगत कच्चे माल को निर्यातक बनाना था। इसी शोषण के परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था का पतन हो गया।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 2.
ब्रिटिश काल से पूर्व भारत में आर्थिक आधारभूत संरचना की स्थिति स्पष्ट करो।
उत्तर:
आर्थिक आधारभूत संरचना के अन्तर्गत देश की औद्योगिक दक्षता, तकनीकी ज्ञान, यातायात व शक्ति के साधन, बैंकिंग व्यवस्था, आदि को सम्मिलित किया जाता है। ब्रिटिश काल से पूर्व भारत की आर्थिक आधारभूत संरचना को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. ब्रिटिश काल से पूर्व भारत के उद्योगों की स्थापना हो गयी थी। औद्योगिक दक्षता, तकनीकी कुशलता तथा इन्जीनियरिंग कुशलत की भी झलक ब्रिटिश काल से पूर्व दिखाई देती है। सूती व रेशमी वस्त्र, धातु आधारित तथा बहुमूल्य मणिरत्न से सम्बन्धित शिल्प कलाओं के उत्कृष्ट केन्द्र के रूप में भारत विश्व भर में सु-विश्यात हो चुका था। इन वस्तुओं के निर्यात से भारत को सोना, चाँदी तथा बहुमूल्य रत्न प्राप्त होते थे। 17वीं शताब्दी में भारत को दुनिया का सबसे धनी देश माना जाता था।
  2. ब्रिटिश काल से पूर्व यातायात के साधनों में पशुओं का प्रयोग किया जाता था परन्तु इस समय भारत की सड़कें आधुनिक यातायात के साधनों की तरह उपयुक्त नहीं थीं। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का पर्याप्त विकास नहीं हो पाया था, वर्षा काल ग्रामीण लोगों का जीवन कठिनाइयाँ पूर्ण हो जाता था।
  3. ब्रिटिश काल से पूर्व भारत में बैंकिंग विकास काफी धीमा रहा है जिसके कारण भारतीय उद्यमियों को वित्तीय सुविधाओं का कोई लाभ नहीं मिल पाया था।
  4. ब्रिटिश काल से पूर्व भारत की अपनी स्वतन्त्र अर्थव्यवस्था होने के कारण गाँव आर्थिक रूप से स्वतन्त्र व आत्मनिर्भर थे। गाँवों में कृषक, दस्तकार तथा सेवक तीन वर्ग थे। इनमें किसानों का स्थान सबसे ऊपर था। दस्तकार वर्षभर किसानों के लिए कार्य करते थे तथा सेवकों कार्य लगान वसूल कर सरकार को देना था।
  5. ब्रिटिश काल से पूर्व किसान सर्वाधिक कुशल थे तथा कृषि उत्पादकता भी उन्नत थी। भारत सूती, रेशमी वस्त्र, चावल, जूट, शक्कर, मसाले आदि कृषि वस्तुओं का निर्यात करता था, जिससे भारत को सोने की प्राप्ति होती थीं।

प्रश्न 3.
ब्रिटिश काल के समय कृषि व्यवस्था, औद्योगिक व्यवस्था के विकास में अंग्रेजों की नीति का विस्तार से वर्णन करिये।
उत्तर:
ब्रिटिश काल के समय कृषि व्यवस्था (Agricultural System During the British Period) :
ब्रिटिश काल में भारतीय कृषि में कोई भी तकनीकी सुधारात्मक कार्य नहीं किया गया। शक्ति के साधन के रूप में बैल तथा मुख्य औजार के रूप में लकड़ी का हल ही खेती के कार्य में प्रयोग किए जाते थे। जहाँ भी आंशिक रूप में कृषि का व्यवसायीकरण (commercialization) हुआ। उसका प्रभाव न तो ग्रामीण जीवन पर पड़ा और न ही किसान के आर्थिक जीवन स्तर में सुधार हुआ। 19वीं शताब्दी में लाखों लोग अकाल के कारण मर गये। अकालों की अधिकता का होना कृषि के अल्पविकास के एक प्रमाण के रूप में देखा जा सकता है।

अंग्रेजों ने भारत पर लगभग 200 वर्ष शासन किया परन्तु इतने लम्बे शासनकाल में भी उन्होंने कृषि क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था में कोई भी सुधारात्मक प्रयास नहीं किये। 20वीं शताब्दी में कुछ नहरों का निर्माण अवश्य किया गया। इससे कृषि को कुछ लाभ जरूर मिले परन्तु कृषि में कोई विशेष परिवर्तन देखने को मिला। बल्कि कृषि आधारित उद्योगों के समाप्त हो जाने के कारण भारतीय किसानों की दुर्दशा में वृद्धि हुई तथा भारतीय अर्थव्यवस्था गरीबी एवं बेरोजगारी की चपेट में आ गयी।

ब्रिटिश कल के समय औद्योगिक व्यवस्था (Industrial System During the British Period) :
ब्रिटिश शासन से पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र बनी हुई थी। भारतीय मसाले, दस्तकारी का सामान, कपड़ा आदि पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाये हुए थे। परन्तु जब से अंग्रेजी शासन शुरू हुआ तो उनकी शोषण एवं दमनकारी नीतियों के कारण भारत के दस्तकारी उद्योग का लगातार ह्रास होने लगा क्योंकि इंग्लैण्ड में बने कपड़े तथा अन्य वस्तुओं को भारतीय बाजारों में बेचा जाने लगा।

इसका परिणाम यह हुआ कि बहुत बड़ी संख्या में कपड़ा उद्योग चौपट होने लगा जिससे इसमें लगे सभी कार्यकुशल जुलाहे बेरोजगार हो गये। इसके साथ-ही-साथ लोहे को गलाने का कार्य भी कमजोर पड़ गया तथा धातु उद्योग व कपड़ा उद्योग दोनों में ही बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गयी। बेरोजगारी की वजह से लोग शहर छोड़कर गाँव चले गये। 19वीं सदी में बहुत वर्षों बाद सूती कपड़ा, जूट उद्योगों का विकास हुआ परन्तु इसके साथ औद्योगीकरण की प्रक्रिया बड़े रूप में नहीं शुरू हो पायी। भारत के 1947 में आजाद हो जाने के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान ही रही।

प्रश्न 4.
स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ (Features of the Indian Economy on the Eve of Independence):
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय ब्रिटिश आर्थिक नीतियों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था गतिहीन, अर्द्धसामंती, पिछड़ी तथा कृषि प्रधान बन चुकी थी। अत: इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं।

  • अल्पविकसित अर्थव्यवस्था :
    भारतीय अर्थव्यवस्था स्वतंत्रता प्राप्ति के समय अल्पविकसित अर्थव्यवस्था थी। इसमें प्रतिव्यक्ति आय तथा औद्योगिक विकास का स्तर निम्न था। कृषि पर अधिक निर्भरता थी तथा आधारभूत संरचना बहुत पिछड़ी हुई अवस्था में थी। आयातों पर अधिक निर्भरता थी तथा गरीबी, बेरोजगारी व निरक्षरता जैसी सामाजिक चुनौतियाँ भारत में विद्यमान थीं।
  • गतिहीन अर्थव्यवस्था :
    स्वतंत्रता प्राप्ति के समय पर भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की गति रुक गयी थी। कृषि के उत्पादन व उसकी उत्पादकता में कमी आयी थी तथा विकास की दर घट गयी थी। शोषण अधिक होने लगा था तथा भारतीय उद्योगों का पतन हो चुका था। तकनीकी विकास होना रुक गया था।
  • अर्द्धसामंती अर्थव्यवस्था :
    अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत में कृषि क्षेत्र में जमींदारी प्रथा, जागीरदारी प्रथा तथा महालवाड़ी आदि भू-स्वामित्व की प्रथाओं को बढ़ावा दिया गया था तथा अर्थव्यवस्था में पूँजीवादी व्यवस्था को अपनाया गया था। इन सभी के कारण मध्यस्थों का जन्म हुआ और मध्यस्थों ने किसानों का शोषण करना शुरू कर दिया तथा भारतीय कुशल कारीगरों, किसानों को मात्र वेतनभोगी मजदूर बना कर रख दिया।
  • पिछड़ी अर्थव्यवस्था :
    ब्रिटिश काल में संसाधनों के बहुत अधिक शोषण के फलस्वरूप उत्पादकता में कमी आयी। आधुनिक उद्योग पिछड़ते गये तथा सामाजिक व आर्थिक आधारभूत संरचना का ह्रास होने लगा।
  • विभाजन का प्रभाव :
    देश 15 अगस्त, 1947 को भारत तथा पाकिस्तान दो देशों में विभक्त हो गया था। विभाजन के पश्चात् भारत के हिस्से में 77% भू-भाग तथा 82% जनसंख्या आयी। विभाजन कृषि की दृष्टि से भारत के विपक्ष में तथा औद्योगिक दृष्टि से पक्ष में रहा, परन्तु औद्योगिक कच्चा माल उत्पादित करने वाला उपजाऊ क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया था।

RBSE Class 11 Economics Chapter 15 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Economics Chapter 15 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
17वीं शताब्दी में सबसे धनी देश माना जाता था
(अ) भारत
(ब) अमेरिका
(स) इंग्लैण्ड
(द) जापान
उत्तर:
(अ) भारत

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 2.
ग्रामीण जनसंख्या में वर्ग थे
(अ) कृषक
(ब) दस्तकार
(स) सेवक
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी

प्रश्न 3.
20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में भारत की राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर थी
(अ) 2 प्रतिशत
(ब) 2 प्रतिशत से अधिक
(स) 2 प्रतिशत से कम
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) 2 प्रतिशत से कम

प्रश्न 4.
जमींदारी प्रथा का जन्म हुआ
(अ) ब्रिटिश काल में.
(ब) मुगल काल में
(स) प्राचीन भारत में
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) ब्रिटिश काल में.

प्रश्न 5.
टाटा आयरन स्टील कम्पनी (TISCO) की स्थापना हुई
(अ) 1907 में
(ब) 1807 में
(स) 1970 में
(द) 1820 में
उत्तर:
(अ) 1907 में

प्रश्न 6.
जमींदारी प्रथा के अंतर्गत जमींदारों को किसानों से एकत्रित लगान का भाग सरकार को देना पड़ता था
(अ) \(\frac{10}{11}\)
(ब) \(\frac{9}{11}\)
(स) \(\frac{8}{11}\)
(द) \(\frac{6}{11}\)
उत्तर:
(अ) \(\frac{10}{11}\)

प्रश्न 7.
भारत में रेलों का आरम्भ हुआ
(अ) 1853 में
(ब) 1850 में
(स) 1851 में
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) 1850 में

RBSE Class 11 Economics Chapter 15 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति बताइये।
उत्तर:
स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था एक पिछड़ी हुई, गतिहीन तथा कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था थी।

प्रश्न 2.
भारत लगभग कितने वर्ष ब्रिटिश शासन के अधीन रहा?
उत्तर:
भारत लगभग 200 वर्ष ब्रिटिश शासन के अधीन रहा।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 3.
भारतीय उद्योगों के प्रति ब्रिटिश सरकार की नीति का स्वरूप बताइए।
उत्तर:
भारतीय उद्योगों के प्रति ब्रिटिश सरकार की नीति सौहार्द्रपूर्ण न होकर उद्योगों के विकास को अवरुद्ध करने की थी।

प्रश्न 4.
भारत में प्रथम सरकारी जनगणना किस सन् में हुई?
उत्तर:
भारत में प्रथम सरकारी जनगणना सन् 1881 में की गई थी।

प्रश्न 5.
1921 से पूर्व भारत जनांकिकीय संक्रमण के किस सोपान में था?
उत्तर:
प्रथम सोपान में।

प्रश्न 6.
20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में भारत की राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर कितनी थी?
उत्तर:
20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में भारत की राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर 2% से भी कम थी।

प्रश्न 7.
जमींदारी प्रथा का जन्म किस काल में हुआ।?
उत्तर:
ब्रिटिश काल में।

प्रश्न 8.
जमींदारी प्रथा से पूर्व भूमि पर किसका स्वामित्व था?
उत्तर:
किसानों का।

प्रश्न 9.
भूमि का मालिकाना हक जमींदारों को किसने दिया?
उत्तर:
गवर्नर जनरल कार्नवालिस ने।

प्रश्न 10.
महालवाड़ी व्यवस्था किसके द्वारा लागू की गई थी?
उत्तर:
महालवाड़ी व्यवस्था विलियम बैंटिंक द्वारा लागू की गई थी।

प्रश्न 11.
महालवाड़ी व्यवस्था में मालगुजारी की दृष्टि से इकाई किसे माना गया था?
उत्तर:
महालबाड़ी व्यवस्था में मालगुजारी की दृष्टि से सम्पूर्ण गाँव को इकाई माना गया था।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 12.
रैयतवाड़ी व्यवस्था में भूमि का स्वामी कौन होता था?
उत्तर:
रैयतवाड़ी व्यवस्था में भूमि का स्वामी रैयत अथवा किसान होता था।

प्रश्न 13.
ब्रिटिश काल की उन वस्तुओं की सूची तैयार करें, जिनका भारत से निर्यात होता था।
उत्तर:
रेशम, कपास, ऊन, चीनी, नील, पटसन तथा अन्य प्रकार का कच्चा माल आदि।

प्रश्न 14.
ब्रिटिश काल में भारत द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुएँ बताइये।
उत्तर:
सूती वस्त्र, रेशमी वस्त्र, ऊनी वस्त्र, हल्की मशीनें तथा अन्य अंतिम उपभोक्ता वस्तुएँ।

प्रश्न 15.
आधारभूत संरचना को कितनी श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है?
उत्तर:
आधारभूत संरचना को दो श्रेणियों में विभक्त 1 किया जा सकता है :

  1. आर्थिक आधारभूत संरचना
  2. सामाजिक आधारभूत संरचना।

प्रश्न 16.
आर्थिक आधारभूत संरचना (Economic Infrastructure) से क्या समझते हैं?
उत्तर:
इसके अंतर्गत भौतिक संसाधन, सिंचाई, परिवहन, बैंकिंग, संचार सुविधाएँ, ऊर्जा, तकनीकी ज्ञान को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 17.
पूँजीगत उद्योग (Capital Industries) क्या हैं?
उत्तर:
वे उद्योग जो मशीनों, औजारों तथा कलपुर्जी का उत्पादन करते हैं।

प्रश्न 18.
सामाजिक आधारभूत संरचना (Social Infrastructure) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
इसके अंतर्गत मानवीय संसाधनों को शामिल किया जाता है जिसमें जनसंख्या, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास आदि का अध्ययन करते हैं।

प्रश्न 19.
जमींदारी प्रथा के अंतर्गत लगान की दर कितनी थी?
उत्तर:
जमींदारी प्रथा के अंतर्गत लगान की दर लगभग 34 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक थी।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 20.
टाटा आयरन स्टील कम्पनी (TISCO) की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
टाटा आयरन स्टील कम्पनी (TISCO) की स्थापना सन् 1907 में हुई।

प्रश्न 21.
20वीं सदी के आरम्भ तक संयुक्त पूँजी. वाले बैंकों की संख्या कितनी हो गयी थी?
उत्तर:
बैंकों की संख्या 2 से बढ़कर 9 हो गयी थी।

प्रश्न 22.
भारतीय रिजर्व बैंक (The Indian Reserve Bank) की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
1 अप्रैल, 1935 में RBI अधिनियम, 1934 के अंतर्गत RBI की स्थापना हुई।

प्रश्न 23.
भारतीय रिजर्व बैंक ने क्या कार्य करना प्रारम्भ कर दिया?
उत्तर:
भारतीय रिजर्व बैंक ने नोट निर्गमन (Issuing of Notes) तथा साख नियंत्रण (Credit Control) का कार्य आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 24.
भारत में कितने वर्ष के अंतराल पर जनगणना की जाती है?
उत्तर:
भारत में प्रत्येक 10 वर्ष के अंतराल पर जनगणना की जाती है।

प्रश्न 25.
ब्रिटिश काल में साक्षरता दर कितनी थी?
उत्तर:
ब्रिटिश काल में साक्षरता दर 16 प्रतिशत से भी कम थी, जिसमें महिला साक्षरता केवल 7 प्रतिशत ही थी।

प्रश्न 26.
1881 ई. की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या कितनी थी?
उत्तर:
25.4 करोड़।

प्रश्न 27.
ब्रिटिश शासनकाल में शिशु मृत्यु-दर कितनी थी?
उत्तर:
ब्रिटिश शासनकाल में शिशु मृत्यु-दर बहुत अधिक लगभग 218 शिशु प्रति हजार थी।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 28.
सबसे पहले राष्ट्रीय आय के आँकड़ों का अनुमान किसके द्वारा लगाया गया?
उत्तर:
सबसे पहले राष्ट्रीय आय के आँकड़ों का अनुमान दादा भाई नौरोजी के द्वारा लगाया गया।

प्रश्न 29.
दादा भाई नौरोजी ने राष्ट्रीय आय के अनुमान कब दिए?
उत्तर:
दादा भाई नौरोजी ने सन् 1876 में ब्रिटिश भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वर्ष 1867-68 की राष्ट्रीय आय के अनुमान दिए।

प्रश्न 30.
सन 1881 में लगभग कितने प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर थी?
उत्तर:
लगभग 61 प्रतिशत।

प्रश्न 31.
सन 1951 में भारत की कितने प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर थी?
उत्तर:
लगभग 72 प्रतिशत।

प्रश्न 32.
विभाजन के बाद भारत के हिस्से में कितने प्रतिशत भू-भाग तथा जनसंख्या आयी?
उत्तर:
विभाजन के बाद भारत के हिस्से में 77 प्रतिशत भू-भाग तथा 82 प्रतिशत जनसंख्या आयी थी।

प्रश्न 33.
जमींदारी प्रथा में लगान की दर कितनी थी?
उत्तर:
लगभग 34 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक।

प्रश्न 34.
सूती वस्त्र उद्योगों पर कितने प्रतिशत कर लगाया गया?
उत्तर:
5 प्रतिशत उत्पादन शुल्क।

प्रश्न 35.
औपनिवेशिक काल में जीवन प्रत्याशा दर कितनी थी?
उत्तर:
केवल 32 वर्ष।

प्रश्न 36.
सबसे पहले राष्ट्रीय आय के आँकड़ों का अनुमान किसने लगाया?
उत्तर:
दादा भाई नौरोजी ने।

प्रश्न 37.
भारत में औपनिवेशिक शोषण के दो रूप बताइए।
उत्तर:

  1. त्रुटिपूर्ण व्यापारिक नीतियों के परिणामस्वरूप भारतीय धन का निष्कासन हुआ।
  2. ब्रिटिश कम्पनियों द्वारा भारत से ब्याज, लाभांश और लाभ के रूप में भारतीय धन को बाहर भेजा गया।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 38.
ब्रिटिश काल में कृषि के उत्पादन का स्तर कम था। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत में कृषि की उत्पादकता निम्न बनी हुई थी। कृषकों का कृषि कार्यों में रुचि न लेना, सिंचाई के साधनों का अभाव, सरकार की उदासीनता तथा नई तकनीकी का अभाव, ये कुछ ऐसे कारण थे जो प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि नहीं होने दे रहे थे।

प्रश्न 39.
जमींदारी प्रथा या स्थायी बंदोबस्त (Zamindari Settlement or Permanent Settlement) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जमींदारी प्रथा के अंतर्गत भूमि का स्वामित्व उस पर काम करने वालों का न होकर एक जमींदार का होता था जो खेती करने वालों से लगान वसूल करता था।

प्रश्न 40.
महालवारी प्रथा (Mahalwari Settlement) से क्या आशय है?
उत्तर:
महालवारी प्रथा के अंतर्गत भूमि कर की इकाई किसान का खेत नहीं बल्कि ग्राम या महल होती थी। बंदोबस्त द्वारा गाँव के लिए निर्धारित की गयी मालगुजारी को सरकार के पास जमा कराने का कार्य गाँव के मुखिया का होता था।

प्रश्न 41.
महालवारी प्रथा (Mahalwari Settlement) कहाँ लागू की गयी थी?
उत्तर:
यह प्रथा विलियम बैंटिंक द्वारा आगरा व अवध में लागू की गयी तथा इसके बाद मध्य प्रदेश व पंजाब मे भी लागू की गयी थी। सभी स्थानों पर बंदोबस्त की अवधि तथा मालगुजारी का निर्धारण हर स्थान पर अलग-अलग था।

प्रश्न 42.
रैयतवारी प्रथा (Ryotwari Settlement) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
इस प्रथा के अंतर्गत किसान को ही भूमि का स्वामी माना जाता था तथा मध्यस्थ (जमींदार) की भूमिका समाप्त कर दी गयी थी। इसमें बंदोबस्त भी अस्थायी होता था। रैयत के स्वामित्व की जोतों के लिए मालगुजारी की दर अलग-अलग तय की जाती थी।

प्रश्न 43.
स्वतंत्र व्यापार नीति (Free Trade Policy) से क्या आशय है?
उत्तर:
वह नीति जिसमें किसी प्रकार का कोई भी हस्तक्षेप नहीं पाया जाता है अर्थात् दो देशों के बीच विनिमय में कोई रोक-टोक नहीं की जाती वह स्वतंत्र व्यापार नीति (Free Trade Policy) कहलाती है।

प्रश्न 44.
ब्रिटिश काल में खाद्यान्न फसलों (Food Crops) के स्थान पर किन्न फसलों का उत्पादन किया जाता था?
उत्तर:
ब्रिटिश काल में खाद्यान्न फसलों की उत्पादकता कम होने के कारण किसानों को नकदी फसलों (Cash Crops) का उत्पादन करना पड़ता था। इन फसलों का प्रयोग इंग्लैण्ड के उद्योगों के लिए कच्चे माल के रूप में किया जाता था।

प्रश्न 45.
ब्रिटिश सरकार की वस्तु उत्पादन, व्यापार और सीमा शुल्क की प्रतिबंधकारी नीतियों का भारत के विदेशी व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार की वस्तु उत्पादन, व्यापार और सीमा शुल्क की प्रतिबंधकारी नीतियों का भारत के विदेशी व्यापार की दशा और दिशा को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया। इसके फलस्वरूप भारत रेशम, कपास, ऊन, चीनी, नील, पटसन आदि जैसे कच्चे माल का निर्यातक तथा में इंग्लैण्ड की निर्मित वस्तुओं का आयातक बनकर रह गया।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 46.
रेलों का विकास करने का ब्रिटिश शासकों का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
सन् 1850 में अंग्रेजों ने भारत में रेलों की शुरूआत की। इनके विकास करने का उद्देश्य भारत का हित करना नहीं था बल्कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों से कच्चे माल को आसानी से तथा शीघ्रता से इंग्लैण्ड में पहुँचाना तथा वहाँ निर्मित माल को भारतीय बाजारों में बेचना था।

प्रश्न 47.
रेलों के विकास का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
रेलों के विकास ने भारतीय अर्थव्यवस्था को दो प्रकार से प्रभावित किया :

  1. इनसे लोगों को लम्बी यात्राएँ आसानी से करने का अवसर प्राप्त हुआ।
  2. भारतीय कृषि के व्यवसायीकरण (Commercialization) को प्रोत्साहन मिला। इस व्यवसायीकरण से निर्यात तो बढ़े परन्तु भारतीयों को इसके लाभ नहीं मिले अपितु देश को आर्थिक हानि हुई।

प्रश्न 48.
ब्रिटिश शासनकाल में डाक व तार सेवाओं के विकास पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ब्रिटिश शासनकाल में डाक व तार सेवाओं का विकास हुआ। भारत में महँगी तार व्यवस्था विकसित की गयी थी जिसका मुख्य उद्देश्य देश की कानून व्यवस्था को बनाए रखना था। इन डाक सेवाओं से सामान्य लोगों को सुविधाएँ | प्राप्त हो रही थीं, परन्तु वह अपर्याप्त थी।

प्रश्न 49.
ब्रिटिश शासनकाल में बैकिंग का अधिक विकास नहीं हो पाया। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ब्रिटिश शासनकाल में 1870 ई. तक भारत में मात्र 2 ही संयुक्त पूँजी वाले बैंक थे, जो 20वीं सदी के प्रारम्भ तक बढ़कर 9 हो गये थे परन्तु 1913 में बैंकिंग संकट के कारण भारत के कई बैंक फेल हो गए थे। जिससे भारतीय उद्यमियों को वित्तीय सविधाएँ ठीक प्रकार से नहीं मिल पायी। परन्तु जो उद्योग ब्रिटिश नियंत्रण में थे। उन्हें वित्तीय साधन उपलब्ध करवाये गए।

प्रश्न 50.
ब्रिटिश काल में भारतीय जनसंख्या के प्रथम व द्वितीय सोपानों का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत सन् 1921 से पहले जनांकिकीय संक्रमण के प्रथम सोपान में था, जिसमें जन्म-दर तथा मृत्यु-दर दोनों उच्च थी तथा 1921 ई. के पश्चात् भारत ने द्वितीय सोपान में प्रवेश किया, जिसमें मृत्यु-दर घटती है तथा जन्मदर उच्च बनी रहती है। अत: यह कहा जा सकता है कि ब्रिटिश काल में भारत की जनसंख्या का आकार व वृद्धि दर कम थी।

प्रश्न 51.
ब्रिटिश काल में भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव था। समझाइए।
उत्तर:
ब्रिटिश काल में जन स्वास्थ्य सुविधाएँ आम नागरिकों के लिए अत्यंत दुर्लभ थी। जहाँ भी ये सुविधाएँ उपलब्ध थीं, वहाँ भी पर्याप्त रूप से विद्यमान नहीं थीं। इसी कारण संक्रामक रोगों का बहुत प्रकोप था, जिससे सकल मृत्युदर (Gross Mortality Rate) उच्च थी। विशेष रूप से शिशु मृत्यु-दर (Child Mortality Rate) बहुत उच्च थी।

प्रश्न 52.
ब्रिटिश काल में साक्षरता दर व जीवन प्रत्याशा का क्या स्तर था?
उत्तर:
ब्रिटिश काल में साक्षरता दर 16 प्रतिशत से भी कम थी, इसमें महिला साक्षरता तो केवल 7 प्रतिशत ही थी। जीवन प्रत्याशा का स्तर मात्र 32 वर्ष ही था। ऐसा मृत्यु-दर अधिक होने के कारण था। अत: ब्रिटिश शासनकाल में निम्न साक्षरता तथा निम्न जीवन प्रत्याशा की समस्या व्याप्त थी।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 53.
किसी देश के आर्थिक विकास की स्थिति का अध्ययन किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर:
किसी देश के आर्थिक विकास की स्थिति का अध्ययन राष्ट्रीय आय व प्रति व्यक्ति आय के आँकड़ों के साथ ही देश की गरीबी का विस्तार, गरीबी का स्वरूप, वास्तविक मजदूरी, जनसंख्या का व्यावसायिक विवरण, कृषि कार्यों में तकनीकी सुधार, औद्योगिक विकास आदि में परिवर्तन के आधार पर किया जा सकता है।

प्रश्न 54.
ब्रिटिश काल से पूर्व तक कौन-से उद्योग विकसित हो चुके थे?
उत्तर:
ब्रिटिश काल से पूर्व कटाई, बुनाई, रंगाई, वस्त्र-निर्माण, ईंट, चूना, कटाई, चमड़े का काम, जहाज निर्माण, नमक, चीनी, कागज आदि उद्योग विकसित हो चुके थे।

प्रश्न 55.
ब्रिटिश काल में 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में किन उद्योगों की स्थापना हुई?
उत्तर:
ब्रिटिश काल में 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में कुछ आधुनिक उद्योग अवश्य स्थापित हुए परन्तु उनकी उन्नति बहुत धीमी रही। आरम्भ में भारत ने सूती वस्त्र तथा पटसन उद्योग विकसित हुए। सूती वस्त्र की मिलें भारतीय उद्यमियों द्वारा देश के पश्चिमी क्षेत्र महाराष्ट्र व गुजरात में स्थित थीं। पटसन उद्योग अंग्रेजों द्वारा लगाये गये जो बंगाल प्रांत तक ही सीमित रहे थे।

प्रश्न 56.
बीसवीं शताब्दी में कौन-से उद्योग विकसित हुए?
उत्तर:
बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में लोहा और इस्पात उद्योग विकसित हुआ। टाटा आयरन स्टील कम्पनी (TISCO) की स्थापना 1907 ई. में हुई। दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात् चीनी, सीमेंट, कागज आदि उद्योगों की स्थापना की गयी।

प्रश्न 57.
ब्रिटिश शासनकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था में अल्प विकास के प्रभाव बताइये।
उत्तर:
भारत में अंग्रेजों ने लगभग 200 वर्षों तक शासन किया। ब्रिटिश शासनकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था में अल्प विकास होने के प्रभावों के रूप में प्रति व्यक्ति आय की स्थिरता, गरीबी में वृद्धि, कृषि का परम्परागत स्वरूप, श्रमिकों की मजदूरी में कमी, दस्तकारियों का ह्रास, औद्योगिक विकास का पर्याप्त न होना माना जाता है।

प्रश्न 58.
ब्रिटिश शासकों ने भारत में वि-औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
अंग्रेजों ने भारत में औद्योगीकरण का विकास नहीं होने दिया। इस वि-औद्योगीकरण की नीति के पीछे अंग्रेजों का दोहरा उद्देश्य था। एक तो वे भारत को कच्चे माल का निर्यातक बनाना चाहते थे तथा दूसरा वे इंग्लैण्ड में बने माल के लिए भारत को बाजार बनाना चाहते थे।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

RBSE Class 11 Economics Chapter 15 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व भारतीय कृषि पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व भारतीय कृषि ब्रिटिश शासन के अधीन थी। ब्रिटिश शासन की शोषण पूर्ण निम्नलिखित नीतियों के कारण भारतीय कृषि पिछड़ी और गतिहीन हो गई
(i) ब्रिटिश राज में भू-व्यवस्था प्रणाली :
ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत भू-व्यवस्था की जमींदारी प्रथा (Zamindari System) का चलन हुआ, जिसके अनुसार-जमींदारों को भूमि का स्थायी स्वामी माना गया। जमींदारों को भू-राजस्व के रूप में एक निश्चित राशि सरकार को अदा करनी होती थी। जमींदारों को अपने अधीन किसानों से मनचाही राशि वसूलने की स्वतन्त्रता थी।

इन तीनों कारणों से जमींदार खुलकर किसानों का शोषण करने लगे। विरोध करने वाले किसानों को उनकी भूमि से वंचित कर दिया जाता था जिससे ये किसान भूमिहीन कृषक बन कर रह गये। इसके अतिरिक्त महालवाड़ी प्रथा व रैयतवाड़ी व्यवस्थाएँ भी लागू की गईं। जिनका कृषकों की आर्थिक स्थिति पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ा।

(ii) तकनीक का निम्न स्तर :
औपनिवेशिक काल में दोषपूर्ण भू-स्वामित्व प्रणाली के साथ ही कृषि का स्तर भी कमजोर तथा पिछड़ा हुआ था।

(iii) राजस्व व्यवस्था :
जमींदारों के द्वारा राजस्व व्यवस्था की शर्तों के द्वारा भी कृषकों का अधिक-से-अधिक शोषण किया जाता था।
अतः उपर्युक्त कारणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के समय तक कृषि क्षेत्र पूर्णत: पिछड़ा हुआ व गतिहीन बना रहा।

प्रश्न 2.
स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था एक पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था थी। इस विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ब्रिटिश शासकों की विभिन्न शोषणकारी नीतियों के चलते स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश का आर्थिक ढाँचा अत्यधिक क्षीण हो चुका था। विभिन्न क्षेत्रों में देश की आर्थिक स्थिति कुछ इस प्रकार थी

  • कृषि क्षेत्र की स्थिति (Position of Agriculture) :
    ब्रिटिश काल में देश की लगभग 85 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर ही निर्भर थी। परन्तु कृषि का विकास गतिहीन बना रहा तथा इसमें कोई भी तकनीकी सुधार नहीं कि
  • औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति (Position of Industrial Sector) :
    कृषि की ही तरह ब्रिटिश शासनकाल में औद्योगिक विकास की गति भी अवरुद्ध रही। देश की विश्व प्रसिद्ध शिल्पकलाएँ समाप्त हो गयीं। आधुनिक व बड़े पैमाने के उद्योग स्थापित नहीं हो पाये। भारत मात्र कच्चे माल का निर्यातक व इंग्लैण्ड के निर्मित माल का आयातक बनकर रह गया।
  • आधारभूत संरचना की स्थिति (Position of Infrastructure) :
    आधारभूत संरचना के अंतर्गत सभी उपलब्ध संसाधन शामिल किए जाते हैं-आर्थिक व सामाजिक। दोनों ही रूपों में भारत की स्थिति अधिक महत्वपूर्ण रूप से विकास नहीं कर पायी।

प्रश्न 3.
भारत में औपनिवेशिक शोषण के परिणाम संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भारत में औपनिवेशिक शोषण के परिणाम :

  1. भारत को अपने औद्योगिक ढाँचे का आधुनिकीकरण करने से रोका गया। उसकी हस्तशिल्प कलाओं को समाप्त कर दिया गया तथा उसे (भारत) मात्र निर्मित माल का आयातक देश बनाकर रख दिया गया।
  2. चाय, कॉफी और रबर बागान जैसे उपभोक्ता वस्तु उद्योगों में अंग्रेजों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निवेश किया गया, जबकि भारी और आधारभूत उद्योगों के उज्ज्वल भविष्य के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाये गये।
  3. भारत एक कृषि प्रधान देश होते हुए भी ग्रेट ब्रिटेन के हितों की रक्षार्थ कच्चे माल का निर्यातक तथा वाणिज्यीकृत कृषि क्षेत्र ही बन कर रह गया।

प्रश्न 4.
स्वतंत्रता से पूर्व भारतीय जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनेक अर्थशास्त्रियों के अनुसार 1881 से 1951 के बीच अधिकांश जनसंख्या कृषिगत कार्यों पर ही निर्भर थी। 1881 में लगभग 61 प्रतिशत जनसंख्या कृषि एवं उससे सम्बन्धित व्यवसायों में लगी थी जो कि 1951 तक आते-आते 72 प्रतिशत हो गयी। इसी कारण से यह कहा जा सकता है कि ब्रिटिश शासनकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था का अल्प विकास हुआ था। लगभग 85 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर ही निर्भर थी, जिससे औद्योगिक क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 5.
अंग्रेजी शासन के दौरान भारत के परम्परागत हस्तकला उद्योग का विनाश हुआ। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के पक्ष में कारण बताइये।
उत्तर:
हम इस विचार से पूर्णतः सहमत हैं कि अंग्रेजी शासन के दौरान भारत के परम्परागत हस्तकला उद्योगों का विनाश हुआ। इन उद्योगों के विनाश के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित थे :

  1. अंग्रेजों द्वारा बनाई गई आर्थिक नीतियों का उद्देश्य भारत का आर्थिक विकास करना नहीं था बल्कि वे इनके सहारे अपने मूल देश इंग्लैण्ड के आर्थिक हितों का संरक्षण एवं संवर्धन कर रहे थे।
  2. भारत का हस्तकला उद्योग प्राचीन परम्परागत तकनीकों पर आधारित था जिससे माल की लामत अधिक आती थी।
  3. इंग्लैण्ड से आने वाला माल मशीनों द्वारा तैयार किया जाता था, जिससे वह आकर्षक होता था तथा लागत भी कम आती थी।

प्रश्न 6.
औपनिवेशिक शासनकाल में कृषि की गतिहीनता के मुख्य कारण क्या थे?
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन में कृषि की गतिहीनता के मुख्य कारण निम्नलिखित थे :

  1. समर्थ और असमर्थ सभी वर्ग के किसानों से अधिक लगान वसूली।
  2. सिंचाई सुविधाओं की पर्याप्त व्यवस्था न होना।
  3. देश (भारत) आर्थिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टि से पिछड़ा हुआ था।
  4. औपनिवेशिक शासन द्वारा लागू की गई भू-व्यवस्था प्रणाली संतोषजनक न थी।
  5. प्रौद्योगिकी का स्तर अत्यधिक निम्न था।
  6. खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग पर्याप्त नहीं था।
  7. देश के जमींदार ब्रिटिश शासकों के प्रति वफादार थे तथा किसानों के समस्त लाभ को हड़पते थे।
  8. जमींदारों ने कृषि क्षेत्र एवं कृषकों के विकास पर ध्यान नहीं दिया, वे केवल अधिक-से-अधिक लगान वसूल करने का प्रयास करते थे।

प्रश्न 7.
औपनिवेशिक काल में भारत की जनांकिकीय स्थिति का एक संख्यात्मक चित्रण प्रस्तुत करें।
उत्तर:
भारत में प्रथम जनगणना सन् 1881 ई. में ब्रिटिश शासनकाल में की गई, तब से आज तक प्रत्येक दस साल पर जनगणना की जाती रही है। सन् 1881 में भारत की जनसंख्या 25.4 करोड़ थी। औपनिवेशिक काल में शिशु मृत्यु-दर 218 प्रति हजार थी तथा जीवन प्रत्याशा दर भी बहुत कम मात्र 32 वर्ष ही थी। उस समय भारत में साक्षरता दर मात्र 16 प्रतिशत थी तथा महिला साक्षरता दर मात्र 7 प्रतिशत ही थी। अन्त में यह कहा जा सकता है कि अंग्रेजों के शासनकाल में देश की जनांकिकीय परिस्थितियाँ अच्छी नहीं थीं।

प्रश्न 8.
ब्रिटिश काल में भारतीय कृषि में कोई तकनीकी सुधार नहीं हुआ। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ब्रिटिश शासनकाल में भारतीय कृषि में कोई भी तकनीकी सुधार नहीं हो पाया। शक्ति के साधन के रूप में बैल व मुख्य औजार के रूप में लकड़ी का हल ही खेती के काम आते थे। अधिकांश लोग कृषि पर ही निर्भर थे। जहाँ कहीं आंशिक रूप से खेती का व्यावसायीकरण हुआ उससे भी ग्रामीण जीवन व किसानों की आर्थिक दशा नहीं सुधरी। अकालों की अधिकता का कृषि के अल्प विकास पर अधिक प्रभाव पड़ा। अंग्रेजी शासनकाल में कृषि क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था में सुधार के कोई प्रयास नहीं किये गए।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 9.
ब्रिटिश शासनकाल में भारत की औद्योगिक स्थिति को वर्णित कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटिश शासनकाल में भारत में उन्नत रूप से कार्यरत दस्तकारी उद्योग का ह्रास हुआ तथा इंग्लैण्ड में बने कपड़े व अन्य वस्तुएँ भारतीय बाजारों में बेची जाने लगी। इसके परिणामस्वरूप भारतीय कपड़ा उद्योग नष्ट होने लगा। इसी के साथ लौह उद्योग व कपड़े के उद्योग में बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न हो गयी। 19वीं शताब्दी के पश्चात् सूती कपड़ा व जूट उद्योग विकसित हुए परन्तु इसके साथ औद्योगीकरण की प्रक्रिया की शुरूआत नहीं हो सकी।

प्रश्न 10.
भारतीय उद्योग के पतन के परिणाम बताइए।
अथवा
भारत में वि-औद्योगीकरण के परिणाम स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय उद्योग के पतन के परिणाम :
भारत की व्यापारिक दशा में व्यापक परिवर्तन हुए। भारत तैयार वस्तुएँ विदेशों को निर्यात करता था लेकिन अंग्रेजों की दृष्टि में इंग्लैण्ड की औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप कच्चे माल की माँग की पूर्ति करने की क्षमता भी भारत में ही थी। साथ ही इंग्लैण्ड में निर्मित वस्तुओं की खपत के लिए भारत में ही विशाल बाजार उपलब्ध थे। इसी कारण निर्मित माल का आयात तथा कच्चे माल का निर्यात दोनों में वृद्धि हुई।

प्रश्न 11.
ब्रिटिश शासनकाल में जनांकिकीय रूपरेखा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटिश शासन के मध्य जनांकिकीय स्थिति वह सभी विशेषताएँ बताती है जो एक गतिहीन तथा पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था में देखी जा सकती हैं। जन्म-दर और मृत्यु-दर दोनों के ही आँकड़े बहुत ऊँचे थे। उच्च जन्म-दर तथा मृत्यु-दर की स्थिति लगभग देश के सभी भागों में व्याप्त निर्धनता को दर्शाती थीं। ब्रिटिश शासनकाल में शिशु मृत्यु-दर 1000 शिशुओं पर 218 थी। :

  • जीवन प्रत्याशा (Life expectancy) :
    उस काल में एक व्यक्ति की औसत जीवन अवधि 32 वर्ष हुआ करती थी।
  • साक्षरता दर (Literacy Rate) :
    पढ़े लिखे लोगों का प्रतिशत मात्र 16 था जो सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन का सूचक था। स्री साक्षरता दर अत्यधिक चिन्ताजनक थी अर्थात् मात्र 7% ही थी।

प्रश्न 12.
स्वतन्त्रता के समय भारत की आधारिक संरचना की दशा बताइए।
उत्तर:
ब्रिटिश शासनकाल में रेल, पत्तन, जल परिवहन, डाक तार आदि का विकास अंग्रेजों द्वारा अपने स्वार्थसिद्ध की भावना से किया गया था, उनकी भावना जनसाधारण को अधिक सुविधाएँ उपलब्ध कराना नहीं था। सड़क निर्माण में इस उद्देश्य से सुधार किया गया कि देश के भीतर उनकी सेवाओं के आवागमन में सुविधा तथा माल को नजदीकी बाजारों तक पहुँचाया जा सके। रेल विकास से कृषि के व्यवसायीकरण को बल मिला।

प्रश्न 13.
जनांकिकीय संक्रमण से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जनांकिकीय संक्रमण के इतिहास में सन् 1921 ई. को “महा-विभाजन वर्ष’ के नाम से जाना जाता है। देश में पहली जनगणना सन् 1881 ई. में की गयी थी। तब से आज तक हर 10 वर्ष के अन्तराल पर यह जनगणना की जाती है। सन् 1921 ई. से पूर्व भारत जनांकिकीय संक्रमण के प्रथम सोपान में था जिसमें जन्म-दर व मृत्यु-दर दोनों ही उच्च थी तथा 1921 से भारत द्वितीय सोपान में प्रवेश कर गया, जिसमें मृत्यु-दर घटती है तथा जन्म-दर उच्च बनी रहती है।

प्रश्न 14.
ब्रिटिश काल से पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था-ब्रिटिश काल से पहले भी भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था थी। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कृषिगत कार्यों में ही संलग्न थी। भारतीय कृषिगत भूमि अनाज के रूप में सोना उगलती थी। अत: कृषि की दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था एक समृद्ध अर्थव्यवस्था थी।
  2. औद्योगिक विकास-अंग्रेजी काल से पहले भारत में उद्योगों की स्थापना हो चुकी थी। भारतीय औद्योगिक वस्तुएँ विश्व भर में प्रसिद्ध थीं।
  3. भारत में वस्तु विनिमय प्रणाली (Barter System) का चलन था।
  4. उत्पादन के साधनों में गतिशीलता (Mobility) का अभाव पाया जाता था।
  5. यातायात व शक्ति के साधनों में पशुओं का प्रयोग होता था।
  6. लोगों में औद्योगिक दक्षता, तकनीकी कुशलता तथा इंजीनियरिंग कुशलता पायी जाती थी।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 15.
जमींदारी प्रथा क्या थी तथा इस प्रथा के क्या दोष थे?
उत्तर:
जमींदारी प्रथा (Zamindari System) :
इस प्रथा का जन्म ब्रिटिश काल में हुआ था। इससे पहले भूमि पर किसानों का स्वामित्व होता था। ईस्ट इण्डिया कम्पनी के गवर्नर जनरल कार्नवालिस ने आय में बढ़ोत्तरी करने के उद्देश्य से जमींदारों को कृषि क्षेत्र की भूमि का मालिकाना हक दिया तथा लगान एकत्रित करने की जिम्मेदारी सौंपी। शुरूआत में जमींदारों द्वारा एकत्रित लगान का 19 भाग सरकार के तथा – भाग अपने पास रखना होता था।
जमींदारी प्रथा के दोष-यह निम्नलिखित थे :

  1. कृषि में आधुनिकीकरण का अभाव था।
  2. किसानों को निवेश करने हेतु प्रोत्साहन नहीं दिया गया जिससे वे परम्परागत तकनीक से कृषि करने लगे।
  3. मध्यस्थ बहुत अधिक संख्या में थे।
  4. जमींदार किसानों से मनमाना लगान वसूलते थे।
  5. लगान के साथ-ही-साथ किसानों से बेगार, भेंट, नजराना भी लिया जाता था।
  6. ऋण लेने वाले किसानों की स्थिति दास जैसी हो गई थी।

प्रश्न 16.
ब्रिटिश काल में औद्योगिक विकास अवरुद्ध रहा। इसके विभिन्न कारण बताइए।
उत्तर:
ब्रिटिश काल में भारत में औद्योगिक विकास अवरुद्ध रहने के निम्न कारण हैं

  1. भारतीय शिल्पकारों को नष्ट कर दिया गया था।
  2. भारतीय कारीगरों पर अत्याचार करके उन्हें मजदूर बना दिया गया था।
  3. भारतीय माल पर आयात शुल्क लगाकार भारतीय वस्तुओं के निर्यातों को घटा दिया गया था।
  4. ब्रिटिशों ने भारत में स्वतंत्र व्यापार नीति’ (Free Trade Policy) थोप दी थी तथा इंग्लैण्ड में संरक्षण की नीति लागू की जिससे भारत को बहुत क्षति हुई।
  5. जहाजरानी उद्योग को भी अंग्रेजों ने हतोत्साहित कर दिया था। (vi) देश में उपभोक्ता वस्तुओं (Consumer Goods) के उद्योगों की स्थापना की गयी तथा पूँजीगत वस्तुओं (Capital Goods) के उद्योगों का अभाव बना रहा।

प्रश्न 17.
ब्रिटिश काल में राष्ट्रीय आय की गणना किस प्रकार की जाती थी?
उत्तर:
स्वतंत्रता से पूर्व भारत में राष्ट्रीय आय के आँकड़े व्यवस्थित रूप से एकत्रित नहीं किए जाते थे कि भारतीय लोगों को भारतीय अर्थव्यवस्था की गतिहीनता की जानकारी लगे परन्तु ब्रिटिश शासनकाल में भी कुछ अर्थशास्त्रियों ने राष्ट्रीय आय व प्रतिव्यक्ति आय के अनुमान लगाये जिनमें सबसे पहले राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने वाले व्यक्ति थे दादा भाई नौरोजी। उन्होंने 1876 में वर्ष 1867-68 की राष्ट्रीय आय के अनुमान प्रस्तुत किए। डॉ. वी. के. आर. वी. राव ने इन आँकड़ों में आवश्यकतानुसार संशोधन करके उन्हें तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए अधिक उपयोगी बनाने की कोशिश की।

प्रश्न 18.
ब्रिटिश काल में गरीबी का आकार व स्वरूप (Nature and Extent of Poverty) कैसा था?
उत्तर:
ब्रिटिश काल में गरीबी का आकार व स्वरूप (Nature and Extent of Poverty in British Period) :
किसी भी देश की गरीबी का आकार तथा स्वरूप का बड़ा होना उस देश के अल्प विकास को दर्शाता है। ऐसा कहा जा सकता है कि ब्रिटिश काल में बढ़ती हुई गरीबी आर्थिक रूप से पिछड़ेपन का ही एक कारण थी। अंग्रेजी शासन में गरीबी के आँकड़ों का अभाव था लेकिन सरकारी दस्तावेजों से मिले तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ब्रिटिश काल में गरीबी के आकार में वृद्धि हुई थी। उस समय विश्वसनीय आँकड़ों का अभाव था जिसके कारण तत्कालीन समय में गरीबी का आकार क्या था यह बता पाना कठिन है। सामाजिक व आर्थिक मानकों के विद्वान् विलियम हंटर व सर चार्ल्स एलिएट के लेखों में गरीबी का वर्णन देखने को मिलता है। जिससे पता चलता है कि लोग उस वक्त भुखमरी के शिकार थे।

प्रश्न 19.
ब्रिटिश कालीन भारत में वास्तविक मजदूरी के स्तर व उसकी प्रवृत्तियाँ बताइये।
उत्तर:
ब्रिटिश काल में वास्तविक मजदूरी का स्तर व प्रवृत्तियाँ (Level and Trends in Real Wages in British Period) :
आर्थिक विकास के निर्धारण में वास्तविक मजदूरी का स्तर तथा प्रवृत्तियाँ महत्त्वपूर्ण कारक होती हैं। अंग्रेजी शासनकाल में इनसे सम्बन्धित आँकड़ों का अभाव पाया जाता है। राधाकमल मुखर्जी ने अपने स्तर पर सभी प्रकार से ऐतिहासिक सामग्री को संयुक्त प्रांत (वर्तमान में उत्तर प्रदेश) के लिए एकत्रित किया तथा उनके द्वारा 1600 से 1938 तक के वास्तविक मजदूरी के सूचकांक भी तैयार किए। इन सूचकांकों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि 1807 की तुलना में 1938 में कुशल व अकुशल दोनों ही तरह के श्रमिकों की मजदूरी कम थी लेकिन 1916 से 1928 के बीच स्थिति इतनी अधिक खराब थी कि इन वर्गों के श्रमिकों की मजदूरी 1807 की तुलना में आधी से भी कम रह गई थी।

प्रश्न 20.
ब्रिटिश काल में भारतीय जनसंख्या के व्यावसायिक आधार पर विवरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी भी अर्थव्यवस्था में उत्पादन सम्बन्धी प्रक्रिया को ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि श्रम उत्पादकता कृषि के बजाय विनिर्माण उद्योगों और सेवा क्षेत्र में अधिक होती है। इसी वजह से किसी देश में जनसंख्या के व्यावसायिक आधार पर वितरण से वहाँ के आर्थिक विकास का अनुमान लगाया जाता है। लोगों के कृषि में अधिक संलग्न. होने से वह देश आर्थिक रूप से अधिक विकास नहीं कर पाता। भारत में भी लगभग 85% लोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से, कृषि में लगे थे। अर्थशास्त्रियों के अनुसार 1881 से 1951 तक अधिकांश जनसंख्या कृषि पर ही निर्भर थी।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 21.
क्या अंग्रेजों ने भारत में कुछ सकारात्मक योगदान भी दिया था? विवेचना करें।
उत्तर:
यद्यपि ब्रिटिश शासन के कार्यक्रम और उनकी नीतियाँ शोषण युक्त थीं, फिर भी उनके सकारात्मक प्रभाव को निम्नलिखित बिन्दुओं में देखा जा सकता है :

  • रेल तथा सड़क मार्गों का विस्तार :
    ब्रिटिश शासनकाल में भारत में सर्वप्रथम रेलों का चलन प्रारम्भ हुआ था। अंग्रेजों ने माल को लाने-ले जाने के लिए बड़े पैमाने पर रेल एवं सड़क मार्गों का निर्माण कराया जिससे जनसामान्य को भी लाभ हुआ।
  • कृषि का व्यवसायीकरण :
    कृषि का व्यवसायीकरण भारत में अंग्रेजों की ही देन है। इस काल में लोग नकदी फसलों का उत्पादन बड़ी मात्रा में करने लगे थे।
  • विदेशी व्यापार को बढ़ावा :
    अंग्रेजों ने इंग्लैण्ड के हित में भारत से व्यापार को बढ़ावा दिया। भारत के विदेशी व्यापार पर इंग्लैण्ड का लगभग एकाधिकार था। लेकिन इसकी अच्छी विशेषता यह थी कि इसका निर्यात अधिशेष भारत के पक्ष में था।
  • आधुनिक उद्योगों की स्थापना :
  • उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम भाग में भारत में पटसन उद्योग की शुरूआत अंग्रेजों द्वारा की गई तथा द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् देश में चीनी, सीमेण्ट, कागज आदि उद्योगों का भी विकास हुआ।
  • प्रशासनिक व्यवस्था :
  • ब्रिटिश राज्य की महत्त्वपूर्ण देन भारत के लिए कुशल प्रशासनिक तन्त्र भी था जिससे वह आज तक एक महत्त्वपूर्ण स्थान बनाये हुए है।

प्रश्न 22.
औपनिवेशिक शासनकाल में भारत का विदेशी व्यापार किस स्थिति में था?
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था में औपनिवेशिक शोषण के पश्चात् भारत कच्चे माल की प्राथमिक वस्तुओं (जैसे-कच्चा रेशम, कपास, ऊन, पटसन, नील, चीनी आदि) का मुख्य निर्यातक ब्रिटिश उद्योगों द्वारा उत्पादित वस्तुएँ (जैसे-सूती, रेशमी तथा ऊनी कपड़े) आदि का मुख्य आयातक देश बन गया। इंग्लैण्ड में उत्पादित अधिकांश पूँजीगत पदार्थ हमारे आयातों में शामिल थे। आयातों तथा निर्यातों की यह दशा ब्रिटिश शासन में हमारे देश की पिछड़ी अर्थव्यवस्था की कहानी कहती है।

प्रश्न 23.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था के द्वितीयक क्षेत्र (औद्योगिक क्षेत्र) की दशा बताइए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था के औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति पिछड़ी हुई थी। प्रसिद्ध शिल्प-कलाओं का पतन हो रहा था। भारत को सुदृढ़ औद्योगिक आधार नहीं मिल पा रहा था। इसके पीछे ब्रिटिश शासकों के दो कूटनीतिपूर्ण उद्देश्य थे। भारत को केवल कच्चे माल का निर्यातक देश ही बनाना तथा इंग्लैण्ड में उत्पादित वस्तुओं की खपत के लिए भारत के विशाल बाजार इंग्लैण्ड के उत्पादकों को उपलब्ध कराना। इसके अतिरिक्त सूती वस्त्र तथा पटसन जैसे उपभोक्ता उद्योगों में ही विनियोग किया गया। आधारभूत उद्योग के रूप में TISCO (टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी) की स्थापना सन् 1907 में की गयी। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् चीनी, कागज एवं सीमेंट पर तो ध्यान दिया गया किन्तु पूँजीगत उद्योगों को नजरअन्दाज कर दिया गया। इस समय औद्योगिक क्षेत्र की संवृद्धि दर कम होने के साथ-साथ राष्ट्रीय आय भी बहुत कम थी।

प्रश्न 24.
“कृषि : जीवन-निर्वाह का साधन मात्र” संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कृषि पर अत्यधिक निर्भरता से तात्पर्य है कृषि कार्य में लगी जनसंख्या हेतु प्रति व्यक्ति भूमि की उपलब्धता का लगातार कम होना। इस कारण अधिकतर कृषि को जीवन-निर्वाह का एक साधन मात्र माना जाता था, लाभ देने वाला नहीं।
इस प्रकार स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय कार्यशील जनसंख्या का अधिकांश प्रतिशत कृषि कार्य में लगा हुआ था जिसके फलस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था अत्यन्त पिछड़ेपन की अवस्था में थी अर्थात् जन-सामान्य को दो वक्त की रोटी पाने के लिए अथक परिश्रम करना पड़ता था।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 25.
यद्यपि ब्रिटिश शासनकाल में रेल यातायात को अपने स्वार्थ हेतु सुधारा गया कि क्या उससे भारत को भी कुछ लाभ मिला? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटिश शासनकाल में रेल यातायात सुधारने के पीछे उनकी भावना भारत के हित में न होकर अपने स्वार्थसिद्ध की थी। फिर भी जाने-अनजाने भारतवासियों पर भी कुछ प्रभाव पड़ा। यातायात के भारत पर पड़ने वाले प्रभाव निम्न हैं :

  1. इनसे एक तो लोगों को आसानी से लम्बी यात्राएँ करने की सुविधा प्राप्त हुई।
  2. दूसरा भारतीय कृषि के व्यावसायीकरण (Commercialization of Agriculture) को भी प्रोत्साहन मिला।

परन्तु कृषि के व्यावसायीकरण का भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इससे निर्यातों में तो वृद्धि हुई परन्तु इसके लाभ भारतीयों को न मिल पाने से देश को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 26.
भारत में औपनिवेशिक शासन की आर्थिक नीतियों का केन्द्र-बिन्दु क्या था? उन नीतियों के क्या प्रभाव हुए?
उत्तर:
भारत के औपनिवेशिक शासन की आर्थिक नीतियों का उद्देश्य भारत का आर्थिक विकास करना नहीं था बल्कि वे भारत को कच्चे माल का निर्यातक तथा निर्मित माल का आयातक देश बनाये रखना चाहते थे, जिससे कि उनके मूल देश इंग्लैण्ड के उद्योग तेज गति से विकास कर सकें। ब्रिटिश शासकों की इन नीतियों के कारण भारत के परम्परागत उद्योग समाप्त होने लगे। जो उद्योग बचे रहे उनकी विकास दर काफी नीचे रही।

प्रश्न 27.
ब्रिटिश शासनकाल में तकनीक का स्तर निम्न (Low Level of Technology) था। इसे समझाइये।
उत्तर:
ब्रिटिश शासनकाल में दोषपूर्ण भू-स्वामित्व प्रणाली के साथ-ही-साथ कृषि क्षेत्र में भी तकनीकी का स्तर कमजोर व पिछड़ा हुआ था। किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। परम्परागत कृषि तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था। उच्च किस्म के बीज, रासायनिक खाद, कीटनाशक दवाइयाँ, कृषि यंत्रों, सिंचाई के साधनों व कृषि साख का अत्यंत अभाव व्याप्त था जिससे कृषि उत्पादन व उत्पादकता का स्तर निरंतर कम होता चला गया।

प्रश्न 28.
ब्रिटिश काल में राजस्व व्यवस्था (Revenue System) पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राजस्व व्यवस्था की शर्तों के द्वारा जमींदारों (Zamindars) ने कृषकों को बहुत अधिक शोषित किया। इस काल में राजस्व की एक निश्चित राशि सरकार के कोष में जमा कराये जाने की तिथियाँ पहले से ही निर्धारित होती थी। इन शर्तों के अनुसार यदि जमींदारों ने लगान जमा नहीं करवाया तो उनके अधिकार छीन लिए जाते थे। अत: जमींदार कृषकों से अधिक-से-अधिक लगान वसूल करने के प्रयास में लगे रहते थे।

प्रश्न 29.
आधारभूत संरचना (Infrastructure) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आधारभूत संरचना के अंतर्गत अर्थव्यवस्था के अंतर्गत उपलब्ध सभी संसाधनों को शामिल किया जाता है। किसी भी अर्थव्यवस्था का आर्थिक विकास उस देश के भौतिक व मानवीय संसाधनों की मात्रा तथा उनकी गुणवत्ता पर निर्भर करता है। यदि देश की आधारभूत संरचना मजबूत होती है तो उस देश का आर्थिक विकास भी तेजी से होता है। आधारभूत संरचना को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है

  1. सामाजिक आधारभूत संरचना,
  2. आर्थिक आधारभूत संरचना।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्नं 30.
भारत में आधारिक संरचना विकास की नीतियों से अंग्रेज अपने क्या उद्देश्य पूरा करना चाहते थे?
उत्तर:
औपनिवेशक शासन के अन्तर्गत देश में रेल, पत्तन, जल-परिवहन एवं डाक-तार आदि आवागमन के साधनों का विकास किया गया किन्तु विकास का उद्देश्य जन-सामान्य को अधिक सुविधा देना नहीं बल्कि देश के भीतर प्रशासन एवं पुलिस व्यवस्था को सुदृढ़ करना तथा पूरे देश का कच्चा माल अपने देश (ब्रिटेन) में भेजना तथा अपने देश के तैयार माल को भारत के विस्तृत बाजार में पहुँचाना था।

प्रश्न 31.
ब्रिटिश काल में भारतीय अर्थव्यवस्था के अल्प विकास, पिछड़ेपन तथा गतिहीनता के कारण बताइये।
उत्तर:
इसके निम्नलिखित कारण हैं

  1. अंग्रेजी काल में भारत के विकास विरोधी आर्थिक तथा राजनीतिक नीतियाँ, भू-धारण प्रथाएँ व अधिक लगान वसूली की जाना।
  2. भारतीय उद्योगों में शिल्पकारी उद्योगों का पतन हुआ।
  3. दोषपूर्ण व्यापारिक नीतियाँ लागू करना, जैसे-भारत विरोधी व्यापार नीति को लागू किया जाना।
  4. स्वार्थपूर्ण आधारित संरचना का विकास होना।
  5. शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ आदि सामाजिक सूचकों का पिछड़ापन व अभाव होना।

RBSE Class 11 Economics Chapter 15 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में विकसित की गई भू-व्यवस्था प्रणाली का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटिश काल में भू-व्यवस्था प्रणाली (Land System in British Period) :
ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय कृषि क्षेत्र में जमींदारी व्यवस्था, जागीरदारी व्यवस्था, महालवारी व्यवस्था आदि प्रणालियों को लागू कर दिया गया था। जिससे मध्यस्थ वर्ग ने जन्म लिया। यह मध्यस्थ ही कृषि उपज का अधिकांश भाग लगान के रूप में किसानों से हड़प लिया करते थे। भूमि का स्वामित्व मध्यस्थों को दे दिया गया था। यह ऊँचे लगान वसूलते थे, जिससे किसानों के पास खाने लायक अनाज भी शेष नहीं बच पाता था। इसी कारण किसान आर्थिक व स्वास्थ्य की दृष्टि से कमजोर हो गए।

भारत में भू-धारण प्रणालियाँ (Land Holding Systems in India) :
ब्रिटिश काल में भू-धारण की तीन प्रणालियाँ प्रचलित थीं, जो निम्नलिखित हैं

  1. जमींदारी प्रथा,
  2. महालवारी प्रथा,
  3. रैयतवारी प्रथा।

1. जमींदारी प्रथा या स्थायी बंदोबस्त (Zamindari System or Permanent Settlement) :
जमींदारी प्रथा ब्रिटिश काल में उदित हुई। इससे पहले भूमि पर किसानों का ही स्वामित्व होता था। ईस्ट इण्डिया कम्पनी के गवर्नर जनरल कार्नवालिस ने आय में बढ़ोत्तरी के लिए भारतीय जमींदारों को कृषि क्षेत्र की भूमि का मालिकाना हक दिया था तथा लगान एकत्रित करने की जिम्मेदारी सौंपी।

2. महालबारी प्रथा (Mahalwari System) :
महालवाड़ी व्यवस्था विलियम बैंटिंक द्वारा आगरा तथा अवध में लागू की गयी तथा बाद में मध्य प्रदेश व पंजाब में। इस व्यवस्था में मालगुजारी की दृष्टि से पूरे गाँव को ईकाई माना जाता था। गाँव का मुखिया ही गाँव के सभी भूमिधारियों से लगान वसूल करता था।

3. रैयतवारी प्रथा (Ryotwari System) :
इस व्यवस्था में रैयत या किसान ही भूमि के स्वामी माने जाते थे तथा किसान व सरकार के बीच कोई मध्यस्थ नहीं होता था। इसमें बंदोबस्त अस्थायी प्रकृति का होता था। रैयत के स्वामित्व की जोतों के लिए मालगुजारी अलग-अलग निर्धारित की जाती थी।

RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 15 स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 2.
स्वतंत्रता के समय भारत में आर्थिक आधारभूत संरचना पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
देश के भौतिक संसाधन, सिंचाई, परिवहन, ऊर्जा, संचार, बैंकिंग, तकनीकी ज्ञान आदि को आर्थिक आधारभूत संरचना के अंतर्गत सम्मिलित किया जाता है। स्वतंत्रता के समय, भारत में ब्रिटिश शासकों द्वारा सड़कों, रेलों, जल-परिवहन, पत्तनों तथा डाक-तार आदि संसाधनों का विकास होता देखा गया परन्तु इन सभी साधनों का विकास ब्रिटिश शासकों ने अपने हितों की पूर्ति हेतु किया था। ब्रिटिशों ने सड़कों का निर्माण इसलिए कराया, जिससे कि वे देश के विभिन्न हिस्सों से कच्चा माल निकटतम रेलवे स्टेशनों या पत्तनों तक पहुँचा सकें और वहाँ से भारतीय कच्चे माल को इंग्लैण्ड आसानी से भेजा जा सके तथा इंग्लैण्ड में निर्मित माल को भारतीय बाजारों में पहुँचाया जा सके। परन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का विकास नहीं किया गया, जिससे प्राकृतिक आपदाओं एवं अकाल की स्थिति में ग्रामीण लोगों का जीवन संकटपूर्ण हो जाता था।

अंग्रेजों ने भारत में 1850 में रेलों की शुरूआत की थी। यह उनका भारतीय अर्थव्यवस्था में एक अभूतपूर्व योगदान माना जाता है। परन्तु इनके विकास के लिए किसानों से अधिक मात्रा में लगान वसूल किया जाता था, जिससे किसान कर के बोझ में दबते गये और उनकी आर्थिक दशा कमजोर हो गयी।

रेलवे का विकास होने से दो प्रकार के प्रभाव देखने को मिले। पहला, लोगों को आसानी से लम्बी यात्राएँ करने का मौका, मिला तथा दूसरा भारतीय कृषि का व्यवसायीकरण (Commercialization) हुआ। परन्तु इनका विपरीत प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता पर पड़ा तथा भारतीयों को इसके लाभ नहीं मिल पाये जिससे देश को आर्थिक हानि झेलनी पड़ी।

रेलवे व सड़क परिवहन के साथ-ही-साथ जल परिवहन का भी विकास हुआ परन्तु ये प्रयास अधिक लाभकारी नहीं सिद्ध हुए। डाक व तार सेवाओं को भी विकसित किया गया। प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व भारत में बैंकिंग के विकास की गति बहुत धीमी रही। 1870 तक भारत में मात्र 2 संयुक्त पूँजी वाले बैंक थे जो 20वीं सदी के प्रारम्भ तक 9 हो गये थे, परन्तु 1913 में बैंकिंग संकट के कारण कई बैंक फेल हो गये थे। 1 अप्रैल, 1935 को R.B.I. अधिनियम 1934 के तहत् भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) की स्थापना की गई।

RBSE Solutions for Class 11 Economics

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 11

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Class 5 Hindi रचना पत्र लेखन
  • RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 2 पदार्थ की संरचना एवं अणु
  • RBSE Solutions for Class 5 Hindi परिवेशीय सजगता
  • RBSE Solutions for Class 5 Hindi Chapter 14 स्वर्ण नगरी की सैर
  • RBSE Solutions for Class 5 Hindi Chapter 17 चुनाव प्रक्रिया कब, क्या व कैसे?
  • RBSE Class 5 Hindi व्याकरण
  • RBSE Solutions for Class 5 Hindi Chapter 16 दृढ़ निश्चयी सरदार
  • RBSE for Class 5 English Vocabulary One Word
  • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies Manachitr
  • RBSE Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 वैदिक गणित Additional Questions
  • RBSE Class 5 English Vocabulary Road Safety

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2025 RBSE Solutions