Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Chapter 3 अर्थव्यवस्था या आर्थिक प्रणाली
RBSE Class 11 Economics Chapter 3 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Economics Chapter 3 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें
(अ) सम्पत्ति पर सार्वजनिक स्वामित्व होता है।
(ब) आय के वितरण में समानता होती है।
(स) निजी सम्पत्ति होती है।
(द) नियोजन तन्त्र प्रभावी होता है।
उत्तर:
(स) निजी सम्पत्ति होती है।
प्रश्न 2.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य होता है
(अ) श्रमिकों का कल्याण
(ब) आर्थिक समानता
(स) निजी लाभ को अधिकतम करना
(द) समाजवाद की स्थापना करना
उत्तर:
(स) निजी लाभ को अधिकतम करना
प्रश्न 3.
आर्थिक संगठन की सबसे पुरानी पद्धति निम्नलिखित में से है
(अ) समाजवाद
(ब) मिश्रित
(स) साम्यवादी
(द) पूँजीवादी
उत्तर:
(द) पूँजीवादी
प्रश्न 4.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के सम्भावित खतरे हैं
(अ) वर्ग संघर्ष
(ब) व्यापार चक्रों में वृद्धि
(स) आर्थिक शोषण
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 5.
समाजवादी अर्थव्यवस्था है
(अ) नियोजित अर्थव्यवस्था
(ब) अनियोजित अर्थव्यवस्था
(स) कीमत संयन्त्र वाली
(द) उत्पत्ति के साधनों पर निजी स्वामित्व वाली अर्थव्यवस्था
उत्तर:
(द) उत्पत्ति के साधनों पर निजी स्वामित्व वाली अर्थव्यवस्था
प्रश्न 6.
समाजवादी अर्थव्यवस्था का प्रमुख उद्देश्य है
(अ) वैयक्तिक लाभ
(ब) रोजगार में वृद्धि
(स) राष्ट्रीय आय में वृद्धि
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(ब) रोजगार में वृद्धि
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से समाजवादी अर्थव्यवस्था का लक्षण नहीं है
(अ) केन्द्रीय नियोजन
(ब) कीमत संयन्त्र की भूमिका
(स) अधिकतम सामाजिक कल्याण
(द) उत्पत्ति के साधनों पर सरकारी स्वामित्व
उत्तर:
(ब) कीमत संयन्त्र की भूमिका
प्रश्न 8.
मिश्रित अर्थव्यवस्था में उत्पत्ति के साधनों पर नियन्त्रण होता है
(अ) सरकार को
(ब) निजी व्यक्ति का
(स) निजी एवं सरकार दोनों का
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) निजी एवं सरकार दोनों का
प्रश्न 9.
मिश्रित अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्याओं का समाधान होता है
(अ) कीमत संयन्त्र द्वारा।
(ब) केन्द्रीय नियोजन द्वारा
(स) केन्द्रीय नियोजन एवं कीमत संयन्त्र द्वारा
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) केन्द्रीय नियोजन एवं कीमत संयन्त्र द्वारा
प्रश्न 10.
विश्व बैंक ने राष्ट्रीय आय के आधार पर अर्थशास्त्र को कितने भागों में बाँटा हैं
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) पाँच
उत्तर:
(स) चार
RBSE Class 11 Economics Chapter 3 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अर्थव्यवस्था या आर्थिक प्रणाली किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस संस्थागत संरचना के अन्तर्गत मानव से सम्बन्धित उपभोग, उत्पादन, विनिमय, वितरण एवं राजस्व सम्बन्धी आर्थिक क्रियाओं का सम्पादन होता है उसे आर्थिक प्रणाली कहते हैं।
प्रश्न 2.
विश्व की पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वाले कोई तीन देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- इंग्लैण्ड,
- आस्ट्रेलिया,
- अमेरिका।
प्रश्न 3.
विश्व की दो समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- चीन,
- क्यूबा।
प्रश्न 4.
विकसित अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
विकसित अर्थव्यवस्था वह हैं जिसमें प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय का स्तर बहुत ऊँचा हो। इसमें आर्थिक विकास तेजी से होता है।
प्रश्न 5.
विकासशील अर्थव्यवस्था क्या है?
उत्तर:
विकासशील अर्थव्यवस्था वह है जिसमें प्रति व्यक्ति आय विकसित या सामान्यतः पश्चिमी यूरोप के देशों की आय की तुलना में प्रति व्यक्ति आय कम होती है।
RBSE Class 11 Economics Chapter 3 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अर्थव्यवस्था के प्रमुख तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के प्रमुख तत्व उत्पादन, उपभोग, विनिमय, वितरण है जो व्यक्ति और समूह के जीवन निर्वाह से सम्बन्ध रखती है और निरन्तर जीवन में चलती रहती है। इन्हीं से आर्थिक क्रियाओं का सम्पादन होता है।
प्रश्न 2.
अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- विकासशील राष्ट्रों में राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय का स्तर विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में नीचा होता है।
- अल्पविकसित या विकासशील देशों में प्रति व्यक्ति आय का स्तर कम होने से जीवन स्तर नीचा होता है।
- अल्पविकसित देशों में लगभग 30 से 70 प्रतिशत तक जनसंख्या कृषि पर निर्भर रहती है। कृषि पर निर्भर रहने के बावजूद कृषि विकास का स्तर नीची रहना भी विकासशील अर्थव्यवस्था की एक विशेषता है।
- अल्पविकसित देशों में गरीबी का एक दुष्चक्र चलता आ रहा है। प्रति व्यक्ति आय का स्तर कम होने के कारण तथा आय की असमानता के कारण व्यापक गरीबी पायी जाती है।
प्रश्न 3.
आर्थिक प्रणाली के विभिन्न स्वरूपों को लिखिए।
उत्तर:
आर्थिक प्रणाली के विभिन्न स्वरूप निम्नलिखित है :
(i) उत्पादन के साधनों अथवा स्वामित्व के आधार पर :
- पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
- समाजवादी अर्थव्यवस्था
- मिश्रित अर्थव्यवस्था।
(ii) विकास. के स्तर के आधार पर
- विकासशील अर्थव्यवस्था
- विकसित अर्थव्यवस्था।
प्रश्न 4.
मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है?
उत्तर :
मिश्रित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का पर्याप्त सह-अस्तित्व पाया जाता है। दोनों के कार्यक्षेत्र सरकार द्वारा इस प्रकार नियन्त्रित, निर्धारित होते हैं कि दोनों मिलकर तीव्र आर्थिक विकास तथा अधिकतम सामाजिक कल्याण कर सकें।
प्रश्न 5.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें उत्पत्ति तथा वितरण के साधनों पर निजी स्वामित्व एवं नियन्त्रण होता है।
प्रश्न 6.
विकासशील अर्थव्यवस्था तथा विकसित अर्थव्यवस्था में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
क्र.सं | विकासशील अर्थव्यवस्था | विकसित अर्थव्यवस्था |
1 | इसमें आर्थिक विकास प्रायः धीमा होता है। | इसमें आर्थिक विकास तेजी से होता है। |
2 | प्रतिव्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय का स्तर नीचा होता है। | प्रतिव्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय का स्तर बहुत ऊँच होता है। |
3 | तकनीकी दृष्टि से पिछड़ी होती है। | तकनीकी दृष्टि से उच्च होते हैं। |
4 | कृषि पर निर्भरता होती है। | उद्योगों एवं गैर कृषि व्यवसायों की प्रधानता होती है। |
5 | मानव संसाधनों का प्रबन्धन एवं उपभोग का अभाव पायी जाती है। | मानव संसाधनों का प्रबन्धन एवं उपभोग कुशल तरीके से किया जाता है। |
RBSE Class 11 Economics Chapter 3 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। बताइए कि यह अर्थव्यवस्था किस सीमा तक पूँजीवादी अर्थव्यवस्था तथा समाजवादी अर्थव्यवस्था के गुणों का मिश्रण है?
उत्तर :
मिश्रित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का पर्याप्त सह-अस्तित्व पाया जाता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
- निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों का सह-अस्तित्व :
इस अर्थव्यवस्था की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें निजी तथा सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों का सह-अस्तित्व पाया जाता है। दोनों क्षेत्र साथ-साथ कार्य करते हैं। राष्ट्रीय महत्त्व के उद्योगों; जैसे-आधारभूत उद्योगों, युद्ध सामग्री उद्योग, बिजली उद्योग, आदि सार्वजनिक क्षेत्र के अन्तर्गत संचालित होते हैं। उपभोक्ता वस्तुओं से सम्बन्धित उद्योग, कृषि उद्योग आदि निजी क्षेत्र में संचालित होते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य दोनों में परस्पर सहयोग करना होता है। - निजी सम्पत्ति एवं आर्थिक समानता :
एक ओर व्यक्ति को निजी सम्पत्ति एकत्रित करने, रखने की स्वतन्त्रता होती है। वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा आय एवं धन के वितरण की समानता बनाये रखने के लिए सरकार कठोर नीति निर्माण भी करती है। सरकार निजी सम्पत्ति पर आयकर, सम्पत्ति कर आदि नियन्त्रण रखती है। दूसरी ओर निर्धन लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाएं; जैसे-वृद्धावस्था पेंशन, आधारभूत सुविधाएँ आदि प्रदान करती है। - कीमत संयन्त्र एवं आदेशात्मक नियन्त्रण :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत संयन्त्र एवं केन्द्रीय नियोजन तन्त्र दोनों कार्य करते हैं। कीमत संयन्त्र द्वारा माँग व पूर्ति की शक्तियों द्वारा अर्थव्यवस्था का संचालन होता है। मुख्य आर्थिक निर्णय जैसे क्या उत्पादन हो, कितनी मात्रा में हो, कैसे हो, किसके लिए हो कीमत प्रणाली द्वारा होते हैं। - व्यक्तिगत लाभ प्रेरणा एवं सामाजिक कल्याण दोनों :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में व्यक्तिगत लाभ एवं अधिकतम सामाजिक कल्याण दोनों उद्देश्यों के साथ अर्थव्यवस्था का संचालन होता है। उत्पादन कार्य स्वहित लाभ की प्रेरणा से किया जाता है तथा समाजवादी अर्थव्यवस्था की भाँति अधिकतम सामाजिक कल्याण नियोजन तन्त्र का मुख्य उद्देश्य होता है। यदि निजी उद्योग सामाजिक हित में कार्य नहीं करते हैं तो सरकार उन्हें राष्ट्रीयकरण कर निजी क्षेत्र से सार्वजनिक क्षेत्र में हस्तान्तरित कर देती है। - नियन्त्रित अर्थव्यवस्था :
अर्थव्यवस्था में आय के समान वितरण को बनाये रखने के लिए प्रगतिशील करारोपण, सामाजिक सुरक्षा कार्यों पर व्यय, एकाधिकारी प्रवृत्तियों पर नियन्त्रण आदि नीतियों को अपनाया जाता है। - आर्थिक नियोजन :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक नियोजन के माध्यम से अर्थव्यवस्था में आर्थिक सामाजिक लक्ष्यों की प्राप्ति की जाती है। नियोजन के अभाव में किसी भी अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था नहीं कहा जा सकता। चाहे उसमें राज्य का हस्तक्षेप एवं नियन्त्रण भले ही हो।
मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूँजीवादी एवं समाजवादी दोनों अर्थव्यवस्थाओं के गुण पाये जाते हैं। ये गुण निम्नलिखित हैं
- पर्याप्त स्वतन्त्रता :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्र में पर्याप्त स्वतन्त्रता होती है। व्यक्ति अपनी आय को स्वतन्त्र रूप से व्यय कर सकता है। अपनी योग्यता के अनुसार तथा रुचि के अनुसार व्यवसाय को चुन सकता है। निजी लाभ प्राप्त करने तथा वैयक्तिक सम्पत्ति रखने की निश्चित सीमा तक स्वतन्त्रता होती है। - आर्थिक विषमता में कमी :
आर्थिक विषमता अर्थशास्त्र के लिए एक अभिशाप है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार आर्थिक विषमता को कम करने के लिए प्रगतिशील करारोपण अपनाती है। एकाधिकारी प्रवृत्तियों पर रोक लगाने के प्रयास करती है ताकि अर्थशास्त्र में आर्थिक समानता स्थापित हो। - साधनों का कुशल बँटवारा :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी एवं सार्वजनिक दोनों क्षेत्र साथ-साथ कार्य करते हैं। तथा यह प्रयत्न करते हैं कि साधनों का कुशलतम प्रयोग हो। निजी क्षेत्र निजी लाभ प्रेरणा से साधनों का कुशलतम उपयोग करने का प्रयास करता है। सामाजिक क्षेत्र अधिकतम सामाजिक कल्याण के उद्देश्यों से साधनों का उपयोग करता है अर्थात् मिश्रित अर्थव्यवस्था निजी लाभ तथा सामाजिक लाभ के बीच सम्बन्ध स्थापित करती है। - आर्थिक समानता :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक समानता के उद्देश्यों के बिना आर्थिक स्वतन्त्रता को त्याग किये हुए प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। निजी क्षेत्र की बढ़ती हुई सम्पन्नता को नियन्त्रित कर उसके स्थान पर सामाजिक सुरक्षा तथा आर्थिक समानता स्थापित करने का प्रयास किया जाता है। - शोषण से बचाव :
मिश्रित अर्थव्यवस्था समाज के निर्धन एवं मध्यम वर्ग को एकाधिकारी प्रवृत्तियों से मुक्त करने का प्रयास करती है। सरकार निजी श्रमिकों एवं किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ बनाती है, कानून बनाती है तथा सहकारिता का विकास करती है। - नियोजित, तीव्र आर्थिक विकास :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत संयन्त्र कार्य अवश्य करता है परन्तु उसे पूर्ण स्वतन्त्रता नहीं दी जाती। देश में उपलब्ध साधनों का पर्याप्त सर्वेक्षण कर उनके उपयोग की योजना बनाकर आर्थिक विकास में उनकी सहभागिता निश्चित की जाती है। सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने से देश का सन्तुलित आर्थिक विकास होता है एवं पूँजी निर्माण में गति मिलती है।
प्रश्न 2.
समाजवादी अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
उत्तर :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में अनेक दोष होने के कारण एक नवीन अर्थव्यवस्था का जन्म हुआ जो समाजवादी अर्थव्यवस्था के नाम से जानी जाती है। संसार के अनेक देश; जैसे—क्यूबा, चीन, वियतनाम आदि की अर्थव्यवस्थाएँ समाजवादी अर्थव्यवस्थाएँ कहलाती हैं। इस अर्थव्यवस्था में सरकार द्वारा सामाजिक कल्याण के लिए मुख्य आर्थिक क्रियाओं का नियन्त्रण तथा संचालन किया जाता है। समाजवाद को विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने अपने ढंग से परिभाषित किया।
अर्थ :
समाजवाद आर्थिक प्रणाली को वह रूप है जिसमें उत्पत्ति एवं वितरण के प्रमुख साधनों पर समस्त समाज (सरकार) का स्वामित्व एवं नियन्त्रण होता है तथा सहकारिता के आधार पर इन साधनों को प्रयोग अधिकतम सामाजिक लाभों के लिए किया जाता है।
परिभाषा :
प्रो. लेफ्टविच के शब्दों में समाजवाद में सरकार की भूमिका केन्द्रीय या मुख्य होती है। वह उत्पादन के साधनों का स्वामित्व करती है और आर्थिक क्रियाओं का निर्देशन करती है।”
समाजवाद के बारे में जोड़ ने लिखा है कि समाजवाद एक ऐसी टोपी है जिसका स्वरूप प्रत्येक व्यक्ति के पहनने के कारण बिगड़ गया है अर्थात् समाजवाद का स्वभाव बहुपक्षीय है। समाजवाद में सरकारी हस्तक्षेप सर्वोपरि होता है। राज्य ही अर्थव्यवस्था का प्रभावी रूप से नियन्त्रण करता है तथा संचालन करता है।”
प्रश्न 3.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। इसके प्रमुख गुण व दोष कौन-कौन से हैं?
उत्तर :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें निजी सम्पत्ति हो तथा आर्थिक निर्णय निजी रूप से लिये जाते हैं। पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ :
- निजी सम्पत्ति रखने का अधिकार :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में प्रत्येक व्यक्ति को निजी सम्पत्ति रखने का तथा उसको अपनी इच्छानुसार प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार प्राप्त होता है। निजी सम्पत्ति मृत्यु के पश्चात् अपने उत्तराधिकारियों को भी दी जा सकती है। - आर्थिक स्वतन्त्रता :
पूँजीवाद में प्रत्येक व्यक्ति को इच्छानुसार अपनी सम्पत्ति का प्रयोग करने और उद्योगों का चयन करने की स्वतन्त्रता होती है। - उपभोक्ताओं में सार्वभौमिकता :
इस अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता की सार्वभौमिकता का विशेष स्थान होता है। उपभोक्ता को अपनी रुचि एवं अधिमान के अनुसार उपभोग करने की स्वतन्त्रता होती है। - निजी लाभ का उद्देश्य :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में निजी लाभ प्राप्त करना ही प्रमुख उद्देश्य होता है। कोई भी कार्य बिना निजी लाभ की प्रेरणा के नहीं किया जाता है। - प्रतिस्पर्धा :
पूंजीवाद में वस्तु-बाजारों एवं साधन बाजारों में क्रेताओं एवं विक्रेताओं में प्रतिस्पर्धा पायी जाती है। - मूल्य तन्त्र :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक क्रियाओं का संचालन, समन्वय एवं नियन्त्रण किसी केन्द्रीय सत्ता द्वारा न होकर मूल्य संयन्त्र द्वारा होता है।
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के गुण :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के गुण निम्नलिखित हैं :
- कुशल उत्पादन :
निजी लाभ की प्रेरणा बाजार में पूर्ण प्रतिस्पर्धा होने के कारण हर उद्यमी दूसरे उद्यमी के मुकाबले अच्छी व टिकाऊ वस्तु का उत्पादन करने का प्रयास करता है तथा इस हेतु नयी-नयी तकनीकों का प्रयोग करता है। - लोचशीलता :
इस अर्थव्यवस्था का यह एक महत्त्वपूर्ण गुण है कि यह लोचशील है। समय के अनुसार अपने आप को हर ढाँचे में ढालने की शक्ति इसमें होती है। - व्यक्ति का विकास प्रत्येक व्यक्ति :
इस प्रतियोगिता में अपनी योग्यता बढ़ाने का प्रयास करता है क्योंकि सफलता श्रेष्ठतम व्यक्ति को मिलती है। - जीवन स्तर में वृद्धि :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और पदार्थों में विभाजित होने के कारण उत्पादक बड़े पैमाने पर उत्पादन करने लगता है जिससे उसकी उत्पादन लागत कम हो जाती है तथा वह कम कीमत पर बाजार में बेचता है। जिससे गरीब जनता के जीवन स्तर में वृद्धि होती है। - स्वचालित :
अर्थव्यवस्था के संचालन में मूल्य संयन्त्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप अर्थव्यवस्था में नहीं होता है। - पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में उपलब्ध साधनों का सर्वोत्तम प्रयोग होता है।
- पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादकों में आपसी प्रतिस्पर्धा रहती है। अत: वे नयी-नयी तकनीकों का प्रयोग करते हैं।
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के दोष :
इसके मुख्य दोष निम्नलिखित हैं
- आय और धन का असमान वितरण :
इस अर्थव्यवस्था में आय एवं धन के वितरण में असमानता पायी जाती है। यह असमानता निजी सम्पत्ति, स्वतन्त्र प्रतियोगिता, अत्यधिक लाभ कमाने की इच्छा आदि के कारण उत्पन्न होती है। धनी वर्ग अधिक धनवान हो जाता है तथा निर्धन अधिक निर्धन। - वर्ग संघर्ष :
आय एवं धन की असमानता के कारण इस अर्थव्यवस्था में समाज दो वर्गों में बँट जाता है-ए. अमीर वर्ग दूसरा गरीब वर्ग। अमीर वर्ग आरामदायक जीवन व्यतीत करता है जबकि निर्धन वर्ग को अपने लिए दो समय को भोजन जुटाने में भी मुश्किलें उठानी पड़ती हैं, यह स्थिति आगे चलकर वर्ग संघर्ष को जन्म देती है। - व्यापार चक्र एवं आर्थिक अस्थिरता :
स्वचालित होने के कारण इस अर्थव्यवस्था में निरन्तर उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी अर्थव्यवस्था में व्यापारिक तेजी तथा कभी मंन्दी की स्थिति आ जाती है। तेज़ी की स्थिति में उत्पादन एवं कीमत स्तर तेजी से बढ़ता है तथा मन्दी की अवस्था में उत्पादन तथा कीमत स्तर बहुत कम हो जाता है। - बेरोजगारी, सामाजिक असुरक्षा :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में व्यापार चक्रों के कारण में बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। श्रमिकों के पास काम नहीं होता तथा वे धनी वर्ग पर आश्रित हो जाते हैं। धन का असमान वितरण होने से उनके पास आय का स्तर कम होता है और उनके जीवन में सदैव असुरक्षा बनी रहती है। - शोषण :
पूँजीवादी अर्थव्यव्यवस्था में श्रमिकों का शोषण सर्वाधिक होता है। उनकी सीमान्त उत्पादकता के अनुसार उन्हें इस व्यवस्था में मजदूरी नहीं मिलती। केवल जीवन निर्वाह स्तर की मजदूरी ही उन्हें प्राप्त होती है।
प्रश्न 4.
मिश्रित अर्थव्यवस्था के गुण-दोषों का वर्णन कीजिए। भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
मिश्रित अर्थव्यवस्था के गुण-मिश्रित अर्थव्यवस्था में अग्रलिखित गुण पाये जाते हैं :
- पर्याप्त स्वतंत्रता :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्र में पर्याप्त स्वतन्त्रता होती है। व्यक्ति अपनी आय को स्वतंत्र रूप से व्यय कर सकता है। अपनी योग्यता के अनुसार तथा रुचि के अनुसार व्यवसाय को चुन सकता है। निजी लाभ प्राप्त करने तथा वैयक्तिक सम्पत्ति रखने की निश्चित सीमा तक स्वतन्त्रता होती है। - आर्थिक विषमता में कमी :
आर्थिक विषमता अर्थव्यवस्था के लिए एक अभिशाप है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार आर्थिक विषमता को कम करने के लिए प्रगतिशील करारोपण अपनाती है। एकाधिकारी प्रवृत्तियों पर रोक लगाने के प्रयास करती है ताकि अर्थशास्त्र में समानता स्थापित हो। - साधनों का कुशल बँटवारा :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी एवं सार्वजनिक दोनों क्षेत्र साथ-साथ कार्य करते हैं। तथा यह प्रयत्न करते हैं कि साधनों का कुशलतम उपयोग हो। निजी क्षेत्र निजी लाभ प्रेरणा से साधनों का कुशलतम उपयोग करने का प्रयास करता है। सामाजिक क्षेत्र अधिकतम सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से साधनों का उपयोग करता है। - आर्थिक समानता :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक समानता के उद्देश्य को बिना आर्थिक स्वतन्त्रता का त्याग किये हुए प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। निजी क्षेत्र की बढ़ती हुई सम्पन्नता को नियन्त्रित कर उसके स्थान पर सामाजिक सुरक्षा तथा आर्थिक समानता स्थापित करने का प्रयास किया जाता है। - शोषण से बचाव :
मिश्रित अर्थव्यवस्था समाज के निर्धन एवं मध्यम वर्ग को एकाधिकारी प्रवृत्तियों द्वारा किये जाने वाले शोषण से मुक्त कराने का प्रयास करती है। श्रमिकों एवं किसानों के लिए कल्याणात्मक योजनाएं बनाती है। कानून बनाती है तथा सहकारिता का विकास करती है। - नियोजित तीव्र आर्थिक विकास :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में कीमत संयन्त्र अवश्य कार्य करता है। परन्तु उसे पूर्ण स्वतन्त्रता नहीं दी जाती है। देश में उपलब्ध साधनों का पर्याप्त सर्वेक्षण कर उनके उपयोग की योजना बनाकर आर्थिक विकास में उनकी सहभागिता निश्चित की जाती है। सार्वजनिक क्षेत्र द्वारी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने से देश का सन्तुलित आर्थिक विकास होता है एवं पूँजी निर्माण को गति मिलती है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोष :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में निम्नलिखित दोष होते हैं :
- कुशल क्रियान्वयन कठिन :
मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवादी अर्थव्यवस्था एवं समाजवादी अर्थव्यवस्था दोनों से मिलकर बनी होती है जो एक-दूसरे के विपरीत विचारधाराएँ हैं। अतएव इनके कुशल क्रियान्वयन में कठिनाई आती है। इस अर्थव्यवस्था में न तो आर्थिक नियोजन सफलतापूर्वक कार्य कर पाता है और न ही मूल्य तन्त्र ठीक से कार्य करता है। - अस्थिर अर्थव्यवस्था :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में अस्थिरता विद्यमान रहती है। या तो निजी क्षेत्र सार्वजनिक क्षेत्र को. महत्त्वहीन बना देता है और अर्थव्यवस्था पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो जाती है। या फिर सार्वजनिक क्षेत्र इतना शक्तिशाली बन जाता है कि वह निजी क्षेत्र को समाप्त कर देता है। - अकुशल नियोजन :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में अर्थव्यवस्था का एक बहुत बड़ा भाग ऐसा रह जाता है जिस पर परकार का नियन्त्रण नहीं होता और यह क्षेत्र अपने स्वार्थ हेतु कार्य करता है तथा योजनाओं की सफलता में बहुत बड़ी बाधा बन जाता है। सार्वजनिक क्षेत्र अपना लक्ष्य पूर्ण नहीं कर पाता। - भ्रष्टाचार :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार बड़ी मात्रा में पाया जाता है। राजनैतिक दल अपने स्वार्थ हेतु सार्वजनिक क्षेत्र का अनुचित प्रयोग करते हैं तथा निजी क्षेत्र अपने निजी हित हेतु सरकारी नियन्त्रण से बचने के लिए निरन्तर कानूनों को तोड़ने के लिए भ्रष्टाचार का रास्ता अपनाते हैं जिससे आर्थिक विकास में बाधा आती है। - काला-धन :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में एक दोष यह भी है कि यह अर्थव्यवस्था में काले धन को प्रोत्साहन देती है। प्रजातन्त्र होने के कारण ऐसे कानूनों का निर्माण यहाँ सम्भव हो जाता है जो अर्थव्यवस्था में आय की असमानता को जन्म देता है। अर्थव्यवस्था में एक ओर अधिक करारोपण होता हैं दूसरी ओर करों की चोरी होती है जिससे अर्थव्यवस्था में काला धन बढ़ने लगता है। - लोकतन्त्र को भय :
आर्थिक लोकतन्त्र को आर्थिक नियोजन और सरकार की नीतियाँ धीरे-धीरे समाप्त कर सकती हैं। अर्थव्यवस्था में सदैव तानाशाही पनपने का डर बना रहता है। वास्तव में यह भय मात्र ही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था-एक मिश्रित अर्थव्यवस्था :
भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था का सूत्रपात 1948 की औद्योगिक नीति तथा प्रथम पंचवर्षीय योजना के बाद बनाई गई 1956, 1977, 1991 की औद्योगिक नीतियों से माना जा सकता है जिसमें उद्योगों का श्रेणीवार विभाजन हुआ। भारत की प्रथम पंचवर्षीय योजना में भी सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के विकास कार्यक्रमों एवं लक्ष्यों को पृथक्-पृथक् निर्धारित किया गया। 1954 में समाजवादी समाज की स्थापना के लक्ष्य से प्रेरित होकर योजनाबद्ध आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया गया और तीव्र औद्योगीकरण हुआ।
भारत में लगभग 60 वर्षों के योजनाबद्ध विकास नीतियों से देश में तीव्र आर्थिक विकास, बेकारी निवारण, आर्थिक सत्ता के केन्द्रीयकरण पर रोक, कृषि विकास, सामाजिक कल्याण आदि में प्रगति देखने को मिलती है। प्रो. के. एन. राज ने लिखा है। यद्यपि भारतीय अर्थव्यवस्था मिश्रित बनी हुई है परन्तु मिश्रण के तत्व इसे पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के समान बनाये हुए है न कि समाजवादी अर्थव्यवस्था के समान।
प्रश्न 5.
समाजवादी अर्थव्यवस्था के गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समाजवाद आर्थिक प्रणाली का वह रूप है जिसमें उत्पत्ति एवं वितरण के प्रमुख साधनों पर सरकार (समस्त समाज) का स्वामित्व एवं नियन्त्रण होता है तथा सहकारिता के आधार पर इन साधनों का प्रयोग अधिकतम सामाजिक लाभ के लिए किया जाता है।
समाजवादी अर्थव्यवस्था के गुण :
समाजवादी अर्थव्यवस्था के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं :
- आर्थिक साधनों का श्रेष्ठतम उपयोग :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में समस्त प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों का उपयोग केन्द्रीय नियोजन द्वारा किया जाता है। समाजवाद में केन्द्रीय नियोजन का उद्देश्य अधिकतम सामाजिक कल्याण तथा. सुरक्षा होता है। - व्यापार चक्रों से मुक्ति :
समाजवादी अर्थव्यवस्था नियोजित अर्थव्यवस्था है अतएव मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की तुलना में यहाँ अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव कम आते हैं। सरकार सामाजिक सुरक्षा एवं अधिकतम कल्याण के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए एक नियोजित तरीके से साधनों का उपयोग करती है। अतएव तेजी, मन्दी आने की सम्भावना कम रहती है। - तेजी से आर्थिक विकास :
इस अर्थव्यवस्था का मुख्य निर्णायक योजना प्राधिकरण होता है जो अर्थव्यवस्था के संसाधनों को कुशलता के साथ समन्वित करता है जिसके कारण अर्थव्यवस्था के विकास की गति तेजी से बढ़ती जाती है। - मूलभूत समस्याओं का बेहतर हल :
इस अर्थव्यवस्था में क्या उत्पादन हो, कितनी मात्रा में हो आदि समस्याओं का हल केन्द्रीय नियोजन द्वारा किया जाता है। यहाँ पर सरकार को यह पूर्ण स्वतन्त्रता है कि वह समाज के हित को ध्यान रखते हुए, साधनों का कुशलतम प्रयोग कर, आवश्यक पदार्थों तथा सेवाओं का उत्पादन वास्तविक आवश्यकतानुसार करे।। - संतुलित विकास :
इस अर्थव्यवस्था में नियोजन प्राधिकरण का उद्देश्य आर्थिक विकास करना तो होता ही है। परन्तु साथ ही साथ प्राधिकरण का यह भी प्रयास होता है कि राज्य का आर्थिक विकास संतुलित हो। - वर्ग संघर्ष, शोषण नहीं :
समाजवादी अर्थव्यवस्था का मूल आधार समानता है। यहाँ पर पूँजीपति एवं निर्धन वर्ग अलग-अलग नहीं होता। आर्थिक विकास में केवल एक ही वर्ग की सहभागिता नहीं होती है। सभी वर्गों की समान सहभागिता होती है। - आर्थिक समानता :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में आय एवं धन की असमानता नहीं होती क्योंकि आय के वितरण का निर्णय यहाँ केन्द्रीय संगठन के द्वारा लिया जाता है। धनी वर्ग पर कर की मात्रा अधिक होती है जबकि अल्प आय वर्ग की उन्नति के लिए नि:शुल्क सेवाएँ उपलब्ध रहती हैं।
समाजवादी अर्थव्यवस्था के दोष :
अनेक अर्थशास्त्री; जैसे-रॉबिन्स, डिकिन्स, जॉर्जहॉम, मोरिस डॉव आदि इस अर्थव्यवस्था की कड़ी आलोचना करते हैं
- उत्पादन के साधनों का दोषपूर्ण वितरण :
प्रो. हॉयक ने लिखा है “समाजवादी अर्थव्यवस्था में साधनों का वितरण मूल्य तन्त्र के अभाव में मनमाने ढंग से होता है। इनका मूल आधार यह है कि मूल्य तन्त्र उत्पादन के साधनों का वितरण स्वतः ही महत्त्वपूर्ण उपयोगों में कर देता है। समाजवादी अर्थव्यवस्था में स्वतन्त्र बाजार व्यवस्था न होने से मूल्य तन्त्र प्रणाली के अभाव में साधनों का वितरण विवेकपूर्ण ढंग से नहीं हो सकता है। - उपभोक्ता की सार्वभौमिकता को अन्त :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता माँग पक्ष में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं परन्तु समाजवाद में उपभोक्ता को प्रभुत्व प्रायः समाप्त हो जाता है। क्या उत्पादन हो? कितनी मात्रा में हो? का निर्णय यहाँ पर केन्द्रीय नियोजन द्वारा तय किया जाता है। केन्द्रीय नियोजन उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए। निर्णय लेता है। जो उत्पादन निर्णय केन्द्रीय नियोजन द्वारा तय किया जाता है वह सभी वर्ग को स्वीकार करना होता है। - व्यक्तिगत प्रेरणा का अभाव :
व्यक्तिगत लाभ तथा निजी सम्पत्ति रखने का अधिकार दोनों ऐसे तत्व हैं जो मनुष्य को अधिक कार्य करने की प्रेरणा देते हैं। समाजवादी अर्थव्यवस्था में इन दोनों तत्वों का अभाव पाया जाता है। - उत्पादकता, कुशलता का अभाव :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादक का उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना होता है अतएव वह न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन कुशलता से करने का प्रयास करता है। परन्तु समाजवादी अर्थव्यवस्था में न तो साधनों का विवेकपूर्ण वितरण होता है और न ही व्यक्तिगत लाभ की प्रेरणा होती है। - नौकरशाही :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण दोष नौकरशाही का होना है। इस अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय संगठन निर्णय करने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण तन्त्र होता है। इसके निर्णय लागू करने हेतु कर्मचारी लगाये जाते हैं जिनका कोई निजी हित नहीं होता है। - सत्ता का केन्द्रीयकरण :
समाजवादी अर्थव्यवस्था के बारे में कुछ विद्वान यह भी मत रखते हैं कि यहाँ पर अत्यधिक केन्द्रीयकरण तथा नियोजन प्रणाली होने के कारण मानव शक्ति का दुरुपयोग होता है। जो मानव शक्ति सीधे-सीधे उत्पादन कार्यों के लिए लगायी जा सकती थी। उस मानव शक्ति को योजना बनाने, गणना करने, क्रियान्वयन की देखभाल करने में लगाया जाता है।
RBSE Class 11 Economics Chapter 3 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Economics Chapter 3 बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अर्थव्यवस्था की अनिवार्य प्रक्रियाएँ हैं
(अ) उत्पादन
(ब) उपभोग
(स) विनियोग
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
प्रश्न 2.
पूँजी की मात्रा में गत वर्ष की तुलना में वर्तमान वर्ष में होने वाली विशुद्ध वृद्धि को कहते हैं
(अ) उपभोग
(ब) विनियोग
(स) उत्पादन
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) विनियोग
प्रश्न 3.
विकास के स्तर पर अर्थव्यवस्था को कितने भागो में बाँटा है?
(अ) दो।
(ब) चार
(स) तीन
(द) पाँच
उत्तर:
(अ) दो।
प्रश्न 4.
पूँजीवादी प्रणाली का जन्म किस शताब्दी में हुआ–
(अ) 19वीं
(ब) 18वीं
(स) 15वीं
(द) 16वीं
उत्तर:
(ब) 18वीं
प्रश्न 5.
इंग्लैण्ड की अर्थव्यवस्था है
(अ) समाजवादी
(ब) मिश्रित
(स) पूँजीवादी
(द) ये सभी
उत्तर:
(स) पूँजीवादी
प्रश्न 6.
निजी लाभ उद्देश्य होता है
(अ) समाजवादी अर्थव्यवस्था में
(ब) मिश्रित अर्थव्यवस्था में
(स) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में
प्रश्न 7.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के गुण हैं
(अ) कुशल उत्पादन
(ब) लोचशीलता,
(स) व्यक्ति का विकास
(द) सभी
उत्तर:
(द) सभी
प्रश्न 8.
शोषण किस अर्थव्यवस्था का दोष है?
(अ) पूँजीवादी
(ब) समाजवादी
(स) मिश्रित
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) पूँजीवादी
प्रश्न 9.
सरकारी स्वामित्व किस अर्थव्यवस्था में होता है?
(अ) समाजवादी
(ब) मिश्रित
(स) पूँजीवादी
(द) इनमें से कोई नहीं उत्तरमाला
उत्तर:
(अ) समाजवादी
RBSE Class 11 Economics Chapter 3 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अर्थव्यवस्था की कितनी प्रक्रियाएँ हैं?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था की तीन अनिवार्य प्रक्रियाएँ हैं।
प्रश्न 2.
अर्थव्यवस्था की तीन प्रक्रियाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
उत्पादन, उपभोग, विनियोग।
प्रश्न 3.
उत्पादन क्या है?
उत्तर:
उत्पादन के अन्तर्गत वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्माण या उत्पादन का समावेश होता है।
प्रश्न 4.
उत्पादन किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
उत्पादन आवश्यकता, कुशलता, उत्पादन की तकनीक व आर्थिक साधनों की मात्रा पर निर्भर करता है।
प्रश्न 5.
विनियोग से क्या आशय है?
उत्तर:
पूँजी की मात्रा (स्टॉक) में गत वर्ष की तुलना में वर्तमान वर्ष में होने वाली विशुद्ध वृद्धि को विनियोग कहते
प्रश्न 6.
आर्थिक प्रणाली के अन्तर्गत क्या-क्या सम्मिलित किया जाता है?
उत्तर:
आर्थिक प्रणाली के अन्तर्गत उन तौर तरीकों, नियमों तथा संस्थाओं को शामिल किया जाता है जिनके द्वारा अर्थव्यवस्था का संचालन होता है।
प्रश्न 7.
विनिमय प्रक्रिया की व्यवस्था क्यों करनी पड़ती है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता को चुनाव की स्वतन्त्रता देनी होती है, इसके लिए विनिमय प्रक्रिया की व्यवस्था करनी पड़ती है।
प्रश्न 8.
अर्थव्यवस्था को कितने आधारों पर वर्गीकृत किया है?
उत्तर:
दो आधारों पर।
प्रश्न 9.
अर्थव्यवस्था के वर्गीकरण के दो आधार कौन से हैं?
उत्तर:
- स्वामित्व के आधार पर,
- विकास के स्तर के आधार पर।
प्रश्न 10.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का जन्म कब हुआ?
उत्तर:
18वीं शताब्दी के उपरान्त।
प्रश्न 11.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का जन्म कहाँ से हुआ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड तथा यूरोप से।
प्रश्न 12.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है। जिसमें उत्पत्ति एवं वितरण के साधनों पर निजी स्वामित्व एवं नियन्त्रण होता है।
प्रश्न 13.
वह अर्थव्यवस्था जिसमें उत्पत्ति एवं वितरण के साधनों पर निजी स्वामित्व एवं नियन्त्रण होता है, कहलाती है।
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था।
प्रश्न 14.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के दो गुण लिखिए।
उत्तर:
- कुशल उत्पादन
- लोचशीलता।
प्रश्न 15.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के दो दोष लिखिए।
उत्तर:
- आय और धन का असमान वितरण,
- वर्ग संघर्ष।
प्रश्न 16.
उपभोक्ताओं की सार्वभौमिकता किस अर्थव्यवस्था की विशेषता है?
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की।
प्रश्न 17.
बेरोजगारी, सामाजिक असुरक्षा किस अर्थव्यवस्था का दोष है?
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का।।
प्रश्न 18.
समाजवादी अर्थव्यवस्था से क्या आशय
उत्तर:
वह अर्थव्यवस्था जिसमें उत्पत्ति के साधनों पर सरकार का नियन्त्रण या स्वामित्व होता है, उसे समाजवादी अर्थव्यवस्था कहते हैं।
प्रश्न 19.
केन्द्रीय नियोजन किस अर्थव्यवस्था की विशेषता है?
उत्तर:
समाजवाद अर्थव्यवस्था की।
प्रश्न 20.
संतुलित विकास किस अर्थव्यवस्था का गुण है?
उत्तर:
समाजवादी अर्थव्यवस्था का।
प्रश्न 21.
उपभोक्ताओं की सार्वभौमिकता का अन्त किस अर्थव्यवस्था का दोष है?
उत्तर:
समाजवादी अर्थव्यवस्था का।।
प्रश्न 22.
मिश्रित अर्थव्यवस्था से क्या आशय है?
उत्तर:
ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र एक साथ कार्य करते हैं।
प्रश्न 23.
व्यक्तिगत लाभ प्रेरणा एवं सामाजिक कल्याण दोनों एक साथ किस अर्थव्यवस्था में सम्भव है?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था में।
प्रश्न 24.
साधनों का कुशल बँटवारा किस अर्थव्यवस्था में सम्भव है?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था में।
प्रश्न 25.
अकुशल नियोजन किस अर्थव्यवस्था का दोष है?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था का।
प्रश्न 26.
विकास के स्तर के आधार पर अर्थव्यवस्था के प्रकार बताइए।
उत्तर:
- विकासशील अर्थव्यवस्था,
- विकसित अर्थव्यवस्था।
प्रश्न 27.
राष्ट्रीय आय में सर्वाधिक योगदान किस क्षेत्र का होता है?
उत्तर:
सेवा क्षेत्र का।
प्रश्न 28.
प्रो. ए. जे. ब्राउन द्वारा दी गई आर्थिक प्रणाली की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
“अर्थव्यवस्था का प्रयोग अधिकतर ऐसी प्रणाली के लिये किया जाता है जिसके लिए मानव का जीवन निर्वाह होता है।”
प्रश्न 29.
आर्थिक प्रणाली का स्वरूप किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
आर्थिक प्रणाली का स्वरूप बहुत कुछ राज्य द्वारा की जाने वाली हस्तक्षेप की मात्रा, प्रकृति, सीमा तथा सामाजिक परम्पराओं पर निर्भर करता है।
प्रश्न 30.
उपभोग से क्या आशय है?
उत्तर:
उपभोग के अन्तर्गत व्यक्ति समूह की आवश्यकताओं की सन्तुष्टि वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रयोग द्वारा की जाती है।
प्रश्न 31.
अर्थव्यवस्था की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- अर्थव्यवस्था का आधार व्यक्ति समूह है।
- अर्थव्यवस्था के लिए विनिमय आवश्यक है।
प्रश्न 32.
फग्र्युसन एवं क्रिप्स के शब्दों में पूँजीवाद की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
पूँजीवाद वह प्रणाली है जिसमें निजी सम्पत्ति हो तथा आर्थिक निर्णय निजी रूप से लिये जाते हों।
प्रश्न 33.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की कोई तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- निजी सम्पत्ति रखने का अधिकार,
- आर्थिक स्वतन्त्रता,
- निजी लाभ उद्देश्य।
प्रश्न 34.
प्रो. लेफ्टविच द्वारा दी गई समाजवाद की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
“समाजवाद में सरकार की मुख्य भूमिका अर्थात् केन्द्रीय भूमिका होती है। यह उत्पादन के साधनों का स्वामित्व करती है और आर्थिक क्रियाओं का निर्देशन करती है।
प्रश्न 35.
समाजवादी अर्थव्यवस्था की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- सरकारी स्वामित्व,
- केन्द्रीय विभाजन,
- शोषण का अभाव।
प्रश्न 36.
समाजवादी अर्थव्यवस्था के तीन गुण या लाभ बताइए।
उत्तर:
- आर्थिक साधनों का श्रेष्ठतम उपयोग करना।
- व्यापार चक्रों से मुक्ति।
- तेजी से आर्थिक विकास।
प्रश्न 37.
समाजवादी अर्थव्यवस्था की कड़ी आलोचना किन अर्थशास्त्रियों ने की?
उत्तर:
रॉबिन्स, डिकिन्स, जार्जहॉम, मोरिस डॉव आदि ने अर्थशास्त्र की कड़ी आलोचना की।
प्रश्न 38.
समाजवादी अर्थव्यवस्था के तीन दोष बताइए।
उत्तर:
- उत्पादन के साधनों का दोषपूर्ण वितरण,
- उपभोक्ता की सार्वभौमिकता का अन्त.
- नौकरशाही।
प्रश्न 39.
प्रो. सेम्युलसन द्वारा दी गई मिश्रित अर्थव्यवस्था की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
“मिश्रित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है। जिसमें राजकीय तथा निजी दोनों ही प्रकार की संस्थाओं का आर्थिक जीवन में नियन्त्रण रहता है।”
प्रश्न 40.
मिश्रित अर्थव्यवस्था की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों का सहअस्तिव,
- नियन्त्रित अर्थव्यवस्था,
- आर्थिक नियोजन।
प्रश्न 41.
मिश्रित अर्थव्यवस्था के चार लाभ लिखिए।
उत्तर:
- पर्याप्त स्वतन्त्रता,
- आर्थिक विषमता में कमी,
- आर्थिक समानता,
- शोषण से बचाव।
प्रश्न 42.
मिश्रित अर्थव्यवस्था के चार दोष लिखिए।
उत्तर:
- भ्रष्टाचार,
- काला धन,
- लोकतन्त्र का भय,
- अकुशल नियोजन।
प्रश्न 43.
भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था का सूत्रपात कब हुआ?
उत्तर:
भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था का सूत्रपात 1948 की औद्योगिक नीति या प्रथम पंचवर्षीय योजनाओं के बाद बनायी गई औद्योगिक नीति से माना जा सकता है।
प्रश्न 44.
विकसित अर्थव्यवस्था की कोई तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- ऊँची राष्ट्रीय, प्रतिव्यक्ति आय,
- पूँजी निर्माण की ऊँची दर,
- तकनीकी दृष्टि से उच्च।
प्रश्न 45.
प्रोसेम्युलसन द्वारा दी गई विकासशील अर्थव्यवस्था की परिभाषा दो।
उत्तर:
“एक अल्पविकसित या विकासशील अर्थव्यवस्था वह है जिसमें प्रतिव्यक्ति वास्तविक आय, कनाडा, अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन या सामान्यतः पश्चिमी देशों की प्रतिव्यक्ति आय की तुलना में कम हो।
प्रश्न 46.
विकासशील अर्थव्यवस्था की तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
- निम्न जीवन स्तर,
- कृषि पर अधिक निर्भरता,
- धन उत्पादकता का नीचा स्तर।
प्रश्न 47.
विश्व बैंक ने विश्व की अर्थव्यवस्था को कब व कितने भागों में बाँटा है?
उत्तर:
विश्व बैंक ने 2003 में विश्व के विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय के आधार पर विश्व की अर्थव्यवस्था को चार भागों में बाँटा है।
प्रश्न 48.
विश्व बैंक द्वारा आय के आधार पर विभाजित अर्थव्यवस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
- निम्न आय वाले देश,
- मध्यवर्ती निम्न आय वाले देश,
- मध्यवर्ती उच्च आय वाले देश,
- उच्च आय वाले देश।
RBSE Class 11 Economics Chapter 3 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आर्थिक प्रणाली को समझाइए।
उत्तर:
आर्थिक प्रणाली या अर्थव्यवस्था से आशय उस वैधानिक एवं संस्थागत संरचना से है, जिसके अन्तर्गत सम्पूर्ण आर्थिक क्रियाएँ सम्पादित की जाती है। एक अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत व्यक्ति अपनी आजीविका कमाते हैं तथा आर्थिक प्रणाली के अन्तर्गत.उनके तौर तरीकों, नियमों तथा संस्थाओं को शामिल किया जाता है। जिनके द्वारा अर्थव्यवस्था का संचालन होता है।
प्रश्न 2.
सभी राष्ट्रों में मानवीय आर्थिक क्रियाओं पर राज्य का न्यनाधिक हस्तक्षेप दिखाई पड़ता है क्यों?
उत्तर:
वर्तमान में अर्थशास्त्रियों को अधिक बल आर्थिक संवृद्धि अथवा आर्थिक विकास के पहलू पर रहा है इसलिए सभी राष्ट्रों में मानवीय आर्थिक क्रियाओं पर राज्य का न्यूनाधिक हस्तक्षेप दिखाई पड़ता है। और इसी कारण से अर्थव्यवस्था या आर्थिक प्रणाली का स्वरूप बहुत कुछ राज्य द्वारा की जाने वाली हस्तक्षेप की मात्रा, प्रकृति, सीमा तथा सामाजिक परम्पराओं पर निर्भर करता है।
प्रश्न 3.
अर्थव्यवस्था का आधार व्यक्ति समूह है, कैसे?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था की धारणा किसी निजी क्षेत्र विशेष के लोगों की जीवन निर्वाह पद्धति से सम्बन्धित है। जो आजीविका कमाने के लिए उत्पादन प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं और अपनी आवश्यकताओं की सन्तुष्टि करते हैं अर्थात् अर्थव्यवस्था मानव निर्मित होती है तथा आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन करती है।
प्रश्न 4.
अर्थव्यवस्था की अनिवार्य प्रक्रियाओं को समझाइए।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था की तीन अनिवार्य प्रक्रियाएँ हैं :
- उत्पादन (Production) :
इसके अन्तर्गत वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन का समावेश होता है जो आवश्यक कुशलता, उत्पादन की तकनीकी व आर्थिक साधनों की मात्रा पर निर्भर करता है। - उपभोग (consumption) :
इसके अन्तर्गत व्यक्ति समूह की आवश्यकताओं की सन्तुष्टि वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रयोग के द्वारा की जाती है। - विनियोग (Investment) :
पूँजी की मात्रा (स्टाक) में गत वर्ष की तुलना में वर्तमान वर्ष में होने वाली विशुद्ध वृद्धि को विनियोग कहते हैं।
प्रश्न 5.
अर्थव्यवस्था के लिए विनिमय क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
उत्पादन का अन्तिम लक्ष्य उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की सन्तुष्टि करना होता है। सभी अर्थव्यवस्थाओं में उपभोक्ता को चुनाव की स्वतन्त्रता देनी होती है और इसके लिए विनिमय प्रक्रिया की व्यवस्था करनी पड़ती है। जैसे-खाद्य दुकाने, उपभोक्ता भण्डार आदि।
प्रश्न 6.
अर्थव्यवस्था के विभिन्न रूप दृष्टिगत होते हैं, क्यों?
उत्तर:
मानव की आर्थिक क्रियाओं पर वर्तमान में बढ़ते राज्य के हस्तक्षेप की मात्रा, प्रकृति, सीमा, सामाजिक नियमों, आर्थिक परम्पराओं तथा आर्थिक संगठन की संरचना में भिन्नता के कारण वर्तमान में अर्थव्यवस्था के विभिन्न रूप दृष्टिगत होते हैं।
प्रश्न 7.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की चार विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :
- निजी सम्पत्ति रखने का अधिकारं :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में प्रत्येक व्यक्ति को निजी सम्पत्ति रखने का तथा उसको अपनी इच्छानुसार प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार प्राप्त होता है। - आर्थिक स्वतन्त्रता :
पूँजीवाद में प्रत्येक व्यक्ति को इच्छानुसार अपनी सम्पत्ति का प्रयोग करने और उद्योगों को चयन करने की स्वतन्त्रता होती है। - उपभोक्ताओं में सार्वभौमिकता :
इस अर्थव्यवस्था में उपभोक्ताओं की सार्वभौमिकता का विशेष स्थान होता है। उपभोक्ता को अपनी रुचि एवं अधिमान के अनुसार उपभोग करने की स्वत्रन्त्रता होती है। - निजी लाभ उददेश्य :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में निजी लाभ प्राप्त करना ही प्रमुख उद्देश्य होता है। कोई भी कार्य बिना निजी लाभ की प्रेरणा के नहीं किया जाता।
प्रश्न 8.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के चार गुणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के गुण निम्नलिखित हैं :
- कुशल उत्पादन :
निजी लाभ की प्रेरणा से बाजार में पूर्ण प्रतिस्पर्धा होने के कारण हर उद्यमी दूसरे उद्यमी के मुकाबले अच्छी व टिकाऊ वस्तु का उत्पादन करने का प्रयास करता है तथा इस हेतु नयी-नयी तकनीकों का प्रयोग करता है। यह भी प्रयास करता है कि उत्पादन कम लागत पर अधिकतम हो। - लोचशीलता :
इस अर्थव्यवस्था का यह एक महत्त्वपूर्ण गुण है कि यह लोचशील है समय के अनुसार अपने आप को हर ढाँचे में ढालने की शक्ति इसमें होती है। - व्यक्ति का विकास :
प्रत्येक व्यक्ति इस प्रतियोगिता में अपनी योग्यता बढ़ाने का प्रयास करता है क्योंकि सफ़लता श्रेष्ठतम व्यक्ति को मिलती है। - स्वचालित :
अर्थव्यवस्था के संचालन में मूल्य संयन्त्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप अर्थव्यवस्था में नहीं होता है।
प्रश्न 9.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के दो दोषों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
- आय और धन का असमान वितरण :
इस अर्थव्यवस्था में आय एवं धन के वितरण में असमानता पायी जाती है। यह असमानता निजी सम्पत्ति, स्वतन्त्र प्रतियोगिता, अत्यधिक लाभ कमाने की इच्छा आदि के कारण उत्पन्न होती है। धनिक वर्ग अधिक धनवान होता जाता है तथा निर्धन अधिक निर्धन। - वर्ग संघर्ष :
आय एवं धन की असमानता के कारण इसे अर्थव्यवस्था में समाज दो वर्गों में बँट जाता है-एक अमीर वर्ग और दूसरा गरीब वर्ग। अमीर वर्ग आरामदायक जीवन व्यतीत करता है। जबकि निर्धन वर्ग ( श्रमिक वर्ग) को दो समय को भोजन जुटाने में भी मुश्किल उठानी पड़ती है। यह स्थिति आगे चलकर वर्ग संघर्ष को जन्म देती है।
प्रश्न 10.
अनार्जित आय एवं सामाजिक परजीविता को समझाइये।
उत्तर :
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में सम्पत्ति में निजी स्वामित्व तथा उत्तराधिकार के कारण समाज में कुछ व्यक्तियों को। बिना परिश्रम के ही आय प्राप्त हो जाती है। जमींदारों को लगान मिलता रहता है। पूँजीपतियों को ब्याज व किराया आदि। जिससे वे पीढ़ी दर पीढ़ी दूसरों के श्रम पर जीते हैं।
प्रश्न 11.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का आधुनिक स्वरूप क्या है?
उत्तर:
आधुनिक पूँजीवाद में बाजार में अपूर्णता का होना, आधुनिक नियम व एकीकरण को प्रमुखता देना, श्रमिक संघों का प्रभाव बढ़ना, सार्वजनिक उपक्रमों का बढ़ना, राज्य का नियन्त्रण आदि तत्व नये रूप में उत्पन्न हुए हैं परन्तु आधुनिक पूँजीवाद में आज भी विशुद्ध पूँजीवाद के लक्षण विद्यमान हैं। यद्यपि अब सरकारें मूक दर्शक न रहकर अपनी भूमिका पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में निभाने लगी हैं।
प्रश्न 12.
समाजवाद के बारे में जोड (Joad) के विचार बताइए।
उत्तर:
समाजवाद के बारे में जोड (Joad) ने लिखा है “समाजवाद एक ऐसी टोपी है जिसको स्वरूप प्रत्येक व्यक्ति के पहनने के कारण बिगड़ गया है। अर्थात् समाजवाद का स्वभाव बहुपक्षीय है। समाजवाद में सरकारी हस्तक्षेप सर्वोपरि होता है। राज्य ही अर्थव्यवस्था का प्रभावी रूप से नियन्त्रण करता है तथा संचालन करता है।”
प्रश्न 13.
समाजवाद अथवा नियोजित अर्थव्यवस्था की दो विशेषताओं की व्याख्या करो।
उत्तर:
- सरकारी स्वामित्व :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पत्ति के प्रमुख साधनों पर सरकार का स्वामित्व होता है। निजी सम्पत्ति एवं उत्पादन के सभी साधनों का राष्ट्रीयकरण कर इन्हें सरकारी स्वामित्व में ले लिया जाता है। साधनों का उपयोग अधिकतम लाभ की दृष्टि से योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। प्रत्येक नागरिक सरकार के अधीन कार्य करता है। - केन्द्रीय नियोजन :
समाजवाद में केन्द्रीय नियोजन की प्रभावी व्यवस्था होती है। अर्थव्यवस्था को संचालन निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु केन्द्रीय नियोजन द्वारा किया जाता है। उत्पादन एवं वितरण सम्बन्धी सभी निर्णय भी केन्द्रीय नियोजन ही लेता है।
प्रश्न 14.
समाजवादी अर्थव्यवस्था के तीन गुण लिखिए।
उत्तर:
समाजवादी अर्थव्यवस्था के मुख्य तीन गुण निम्नलिखित हैं :
- आर्थिक साधनों का श्रेष्ठतम उपयोग :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में समस्त प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों का उपयोग केन्द्रीय नियोजन द्वारा किया जाता है। समाजवाद में केन्द्रीय नियोजन का उद्देश्य अधिकतम सामाजिक कल्याण तथा सुरक्षा होता है। - व्यापार चक्रों से मुक्ति :
समाजवादी अर्थव्यवस्था नियोजित अर्थव्यवस्था है अतएव मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की तुलना में यहाँ अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव कम होते हैं। सरकार सामाजिक सुरक्षा एवं अधिकतम कल्याण के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए नियोजित तरीके से साधनों का उपयोग करती है। अतएव तेजी-मन्दी आने की सम्भावना कम रहती है। - तेजी से आर्थिक विकास :
इस अर्थव्यवस्था का मुख्य निर्णायक योजना प्राधिकरण होता है जो अर्थव्यवस्था के संसाधनों को कुशलता के साथ समन्वित करता है जिसके कारण अर्थव्यवस्था के विकास की गति तेजी से बढ़ती जाती है।
प्रश्न 15.
समाजवादी अर्थव्यवस्था के दोषों की व्याख्या करो।
उत्तर:
- उत्पादन के साधनों का दोषपर्ण वितरण :
प्रो. हॉयक ने लिखा है “समाजवादी अर्थव्यवस्था में साधनों का वितरण मूल्य तन्त्र के अभाव में मनमाने ढंग से होता है। समाजवादी अर्थव्यवस्था में स्वतन्त्र बाजार व्यवस्था न होने से, मूल्य तन्त्र प्रणाली के अभाव में साधनों का वितरण विवेकपूर्ण ढंग से नहीं होता। - व्यक्तिगत प्रेरणा का अभाव :
व्यक्तिगत लाभ तथा निजी सम्पत्ति रखने का अधिकार दोनों ऐसे तत्व हैं जो मनुष्य को अधिक कार्य करने की प्रेरणा देते हैं। समाजवादी अर्थव्यवस्था में इन दोनों तत्वों का अभाव पाया जाता है। अब समाजवादी अर्थव्यवस्था में नये-नये प्रयोग किए जा रहे हैं।
प्रश्न 16.
शुम्पीटर के अनुसार समाजवादी अर्थव्यवस्था पूँजीवादी अर्थव्यवस्था से किस प्रकार श्रेष्ठ है?
उत्तर:
शुम्पीटर के अनुसार, “समाजवादी अर्थव्यवस्था पूँजीवादी अर्थव्यवस्था से श्रेष्ठ है क्योंकि समाजवाद में राजकीय प्रबन्ध में उत्पादन कुशलता और साधनों का अधिक विवेकपूर्ण उपयोग होता है। व्यापार चक्रों का अभाव पाया जाता है। एकाधिकारी प्रवृत्तियों का समापन होता है, आर्थिक विषमताएँ कम होती है। बेकारी एवं शोषण का अन्त होता है।’
प्रश्न 17.
मिश्रित अर्थव्यवस्था की दो विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों का सह-अस्तित्व :
इस अर्थव्यवस्था की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें निजी एवं सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों का सह-अस्तित्व पाया जाता है। दोनों क्षेत्र साथ-साथ कार्य करते हैं। - निजी सम्पत्ति एवं आर्थिक समानता :
एक ओर व्यक्ति को निजी सम्पत्ति एकत्रित करने रखने की स्वतन्त्रता होती है वही दूसरी ओर सरकार द्वारा आय एवं धन के वितरण की समानता बनाये रखने के लिए सरकार कठोर नीति निर्माण भी करती है।
प्रश्न 18.
मिश्रित अर्थव्यवस्था के दो लाभ बताइए।
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था के दो लाभ निम्नलिखित हैं
- पर्याप्त स्वतन्त्रता :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्र में पर्याप्त स्वतन्त्रता होती है। व्यक्ति अपनी आय को स्वतन्त्र रूप से व्यय कर सकता है। अपनी योग्यता के अनुसार व्यवसाय को चुन सकता है। निजी लाभ प्राप्त करने तथा वैयक्तिक सम्पत्ति रखने की निश्चित सीमा तक स्वतन्त्रता होती है। - आर्थिक विषमता में कमी :
आर्थिक विषमता अर्थव्यवस्था के लिए एक अभिशाप है। मिश्रित अर्थव्यवस्था में सरकार आर्थिक विषमता को कम करने के लिए प्रगतिशील करारोपण अपनाती है। एकाधिकारी प्रवृत्तियों पर रोक लगाने का प्रयास करती है।
प्रश्न 19.
मिश्रित अर्थव्यवस्था के कोई दो अवगुणों की व्याख्या करो।
उत्तर:
- कुशल क्रियान्वयन कठिन :
मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवादी अर्थव्यवस्था एवं समाजवादी अर्थव्यवस्था दोनों से मिलकर बनी है जो एक-दूसरे के विपरीत विचारधाराएँ हैं। अतएव इनके कुशल क्रियान्वयन से कठिनाई आती है। इस अर्थव्यवस्था में न तो आर्थिक नियोजन सफलतापूर्वक कार्य कर पाता है और न ही मूल्य तन्त्र ठीक से कार्य करता है। - अस्थिर अर्थव्यवस्था :
मिश्रित अर्थव्यवस्था में अस्थिरता विद्यमान रहती है। या तो निजी क्षेत्र सार्वजनिक क्षेत्र को महत्त्वहीन बना देता है और अर्थव्यवस्था पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो जाती है। या फिर सार्वजनिक क्षेत्र इतना शक्तिशाली बन जाता है कि वह निजी क्षेत्र को समाप्त कर देता है जिससे समाजवादी अर्थव्यवस्था की स्थापना हो जाती है।
प्रश्न 20.
विकसित अर्थव्यवस्था की कोई तीन विशेषताओं की व्याख्या करो।
उत्तर:
विकसित अर्थव्यवस्था की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :
- ऊँची राष्ट्रीय प्रतिव्यक्ति आय :
विकसित देशों में प्रति व्यक्ति आय एवं राष्ट्रीय आय की दरें अधिक होती हैं तथा यहाँ के निवासियों को जीवन स्तर बहुत ऊँची होता है। - पूँजी निर्माण की ऊँची दर :
उत्पादन के स्तर को बढ़ाने के दृष्टिकोण से पूँजी निर्माण के महत्त्व को अर्थशास्त्री हमेशा स्वीकार करते रहे हैं जब राष्ट्रीय आय का बड़ा अंश बचाकर पुनः निवेश किया जाता है तो उसे पूँजी निर्माण कहते हैं। विकसित राष्ट्रों की पूँजी निर्माण की दर ऊँची होती है। - उद्योगों एवं गैर कृषि व्यवसायों की प्रधानता :
विकसित अर्थव्यवस्थाओं में जनसंख्या का एक बड़ा भाग गैर कृषि व्यवसायों; जैसे-उद्योग, यातायात, संचार, बैंकिंग, बीमा, आदि में लगा होता है। राष्ट्रीय आय में सेवा क्षेत्र का योगदान। अधिक होता है।
प्रश्न 21.
विकासशील या अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय का नीचा स्तर :
विकासशील राष्ट्रों में राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय का स्तर विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में नीचा होता है। प्रति व्यक्ति निम्न आय के कारण सामान्य जनता का स्तर बहुत नीचा होता है तथा नागरिक सुविधाएँ भी कम प्राप्त हो पाती हैं। - कृषि पर अधिक निर्भरता :
अल्प विकसित देशों में लगभग 30 से 70 प्रतिशत तक जनसंख्या कृषि पर निर्भर रहती है। कृषि पर निर्भर रहने के बावजूद कृषि विकास का स्तर नीचा रहना भी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की एक विशेषता है जिसके कारण राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र को योगदान घटता है तथा कृषि क्षेत्र से प्राप्त होने वाली आय इस व्यवसाय में लगी हुई जनसंख्या के अनुपात से नीची होती है।
प्रश्न 22.
निम्न आय वाले देश तथा मध्यवर्ती निम्न आय वाले देश से क्या आशय है?
उत्तर:
निम्न आय वाला देश :
वे देश जिनकी प्रति व्यक्ति आय 675 डालर अथवा इससे कम है निम्न आय वाले देश कहलाते हैं।
मध्यवर्ती निम्न आय वाले देश :
वे देश जिनकी प्रति व्यक्ति आय 676 डालर से 3035 डालर के मध्य है।
प्रश्न 23.
मध्यवर्ती उच्च आय वाले देश तथा उच्च आय वाले देश से क्या आशय है?
उत्तर:
मध्यवर्ती उच्च आय वाले देश–वे देश जिनकी प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय 3036 डालर से 9385 डालर के मध्य है। उच्च आय वाले देश-वे देश जिनकी प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय 9386 डालर से अधिक है।
RBSE Class 11 Economics Chapter 3 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विकासशील या अल्प विकसित अर्थव्यवस्था से क्या आशय है? इसकी विशेषताएँ भी लिखिए।
उत्तर:
विकासशील अर्थव्यवस्था :
विश्व की वे सभी अर्थव्यवस्थाएँ जिनकी प्रतिव्यक्ति आय का स्तर अमेरिका, आस्ट्रेलिया और पश्चिमी यूरोप के देशों की प्रतिव्यक्ति आय के स्तर से पर्याप्त नीचा हो, अल्प विकसित अर्थव्यवस्थाएँ। कहलाती हैं।
भारतीय योजना आयोग ने प्रथम पंचवर्षीय योजना में परिभाषा दी है कि-“अल्प विकसित देश वह है जिसमें मानव शक्ति (Man Power) का बहुत कम उपयोग हो पा रहा है तथा दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों का पर्याप्त उपयोग नहीं हो पा रहा हो।’
भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान आदि अर्थव्यवस्था विकासशील अर्थव्यवस्था कहलाती है।
विकासशील अर्थव्यवस्था की सामान्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- राष्ट्रीय आय तथा प्रति व्यक्ति आय का नीचा स्तर :
विकासशील राष्ट्रों में राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय का स्तर विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में नीचा होता है। प्रति व्यक्ति निम्न आय के कारण सामान्य जनता का जीवन स्तर बहुत नीचा होता है तथा नागरिक सुविधाएँ भी कम प्राप्त हो पाती हैं। - निम्न जीवन स्तर :
अल्प विकसित या विकासशील देशों में प्रति व्यक्ति आय का स्तर कम होने से जीवन स्तर नीचा होता है। जिसके कारण उसकी कार्यकुशलता भी कम हो जाती है। आवश्यकता की वस्तुएँ; जैसे-भोजन, कपड़ा, मकान आदि का उपभोग स्तर भी कम हो जाता है। - कृषि पर अधिक निर्भरता :
अल्पविकसित देशों में लगभग 30 से 70 प्रतिशत तक जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती। है। कृषि पर निर्भर रहने के बावजूद कृषि विकास का स्तर नीचा रहना भी विकासशील अर्थव्यवस्था की एक विशेषता है जिसके कारण राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र का योगदान घटता है।। - औद्योगिक पिछड़ापन :
अल्प विकसित देशों अथवा विकासशील देशों में औद्योगिक ढाँचा अक्सर पिछड़ा एवं असंतुलित होता है। बुनियादी तथा भारी उद्योगों; जैसे-लोहा और इस्पात, भारी इंजीनियरिंग मशीनी औजार, परिवहन आदि उद्योगों का विकास तुलनात्मक रूप से कम होता है। - श्रम उत्पादकता का नीचा स्तर :
विकासशील देशों में श्रम उत्पादकता का स्तर नीचा होता है। कम उत्पादकता के कारण आय स्तर भी नीचा होता है तथा यह निर्धनता को जन्म देता है। - व्यापक गरीबी :
अल्प विकसित देशों में गरीबी का दुष्चक्र चलता रहता है। प्रति व्यक्ति आय का स्तर कम होने के कारण आय की असमानताओं के कारण व्यापक गरीबी पायी जाती है। - तकनीकी का पिछड़ापन :
विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अनुसन्धान एवं विकास का स्तर नीचा होता है। अर्थव्यवस्थाओं में साधनों के अभाव, पूँजी के अभाव एवं श्रम की अधिकता के कारण नवीन तकनीक के प्रयोग में बाधा आती है। - बेरोजगारी, छिपी बेरोजगारी :
विकासशील देशों में बेरोजगारी का स्तर काफी ऊँचा होता है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में अधिकतर बेरोजगारी अनैच्छिक पायी जाती है जबकि कृषि क्षेत्र में छिपी बेरोजगारी पायी जाती है।
अन्य विशेषताएँ :
- अल्पविकसित देशों में मानव कल्याण का स्तर नीचा होता है। उनकी संभाव्य वास्तविक आय, स्वास्थ्य एवं शिक्षा सम्बन्धी उपलब्धियाँ कम होती हैं।
- अल्प विकसित अर्थव्यवस्थाओं में आय एवं सम्पत्ति के वितरण में असमानता पायी जाती है। विकासशील देशों में कर। प्रणाली, सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था, शिक्षण, प्रशिक्षण, रोजगार की दृष्टि से विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम ध्यान दिया गया है।
प्रश्न 2.
विकसित अर्थव्यवस्था से क्या आशय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विकसित अर्थव्यवस्था (Developed Economy) :
विकसित अर्थव्यवस्था उसे अर्थव्यवस्था को कहा जाता है जिसमें आर्थिक विकास तेजी से हो और प्रतिव्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय का स्तर बहुत ऊँचा हो। संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान आदि की अर्थव्यवस्थाओं को विकसित अर्थव्यवस्था की श्रेणी में रखा जाता है। विकसित , अर्थव्यवस्थओं की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :
- ऊँची राष्ट्रीय, प्रतिव्यक्ति आय :
विकसित देशों में प्रतिव्यक्ति आय एवं राष्ट्रीय आय की दरें अधिक होती है तथा यहाँ के निवासियों का जीवन स्तर बहुत ऊँचा होता है। विश्व बैंक की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार, 2010 में विकसित पूँजीवादी देशों में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद औसतन 38745 डालर था। - पूँजी निर्माण की ऊँची दर :
उत्पादन के स्तर को बढ़ाने के दृष्टिकोण से पूँजी निर्माण का महत्त्वपूर्ण स्थान है। जब राष्ट्रीय आय का बड़ा अंश बचाकर पुनः निवेश किया जाता है तो उसे पूँजी निर्माण कहते हैं। विकसित राष्ट्रों में पूँजी निर्माण
की दर ऊँची होती है। - उद्योगों एवं गैर कृषि व्यवसायों की प्रधानता :
विकसित अर्थव्यवस्थाओं में जनसंख्या का एक बड़ा भाग गैर कृषि व्यवसायों; जैसे-उद्योग, यातायात, संचार, बैंकिंग, बीमा आदि में लगा होता है। राष्ट्रीय आय में सेवाक्षेत्र का योगदान अधिक होता है। - तकनीकी दृष्टि से उच्च :
विकसित अर्थव्यवस्थाएँ तकनीकी दृष्टि से कुशल अर्थव्यवस्थाएँ होती हैं। इन अर्थव्यवस्थाओं में अनुसन्धान एवं तकनीकी पर राष्ट्रीय आय का बड़ा भाग व्यय किया जाता है। उत्पादकता में वृद्धि के लिए निरन्तर उत्पादन तकनीकों में परिवर्तन किया जाता है। - अन्य विशेषताएँ :
- विकसित देशों में मानव संसाधनों का प्रबंधन एवं उपयोग कुशल तरीके से किया जाता है।
- विकसित देशों में आर्थिक विकास की प्रक्रिया की गति तेज करने के प्रयास तुलनात्मक रूप से अधिक होते हैं।
प्रश्न 3.
समाजवादी अथवा नियोजित अर्थव्यवस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
समाजवादी अथवा नियोजित अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ (Characteristics of Socialism or Planned Economy)–एक समाजवादी अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- सरकारी स्वामित्व :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में सभी प्रमुख उत्पत्ति के साधनों पर सरकार का स्वामित्व होता है। निजी सम्पत्ति के एवं उत्पादन के सभी साधनों का राष्ट्रीयकरण कर इन्हें सरकारी स्वामित्व में ले लिया जाता है। साधनों को उपयोग अधिकतम लाभ की दृष्टि से योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है। प्रत्येक नागरिक सरकार के अधीन कार्य करता है। - केन्द्रीय नियोजन :
समाजवाद में केन्द्रीय नियोजन की प्रभावी व्यवस्था होती है। अर्थव्यवस्था का संचालन निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु केन्द्रीय नियोजन द्वारा किया जाता है। - अधिकतम सामाजिक कल्याण का उद्देश्य :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में सरकार उद्देश्य जनता का अधिकतम सामाजिक कल्याण करना होता है। निजी लाभ को यहाँ महत्त्व नहीं दिया जाता। - शोषण का अभाव :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में व्यक्ति का शोषण नहीं होता, क्योंकि अर्थव्यवस्था का संचालन स्वयं सरकार करती है और उसका उद्देश्य अधिकतम कल्याण करना होता है। - समानता :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में राज्य की सम्पूर्ण सम्पत्ति सरकार की होती है। निजी सम्पत्ति, निजी लाभ उद्देश्य यहाँ नहीं होता। अतएव शोषण भी जन्म नहीं लेता तथा समानता स्थापित हो जाती है। - पूर्ण रोजगार :
समाजवादी अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यहाँ पर अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार पाया जाता है। मानवीय साधनों का पूर्ण एवं सर्वोत्तम उपयोग करने के प्रयास के कारण बेरोजगारी भी दिखाई नहीं पड़ती।। - ठोस उद्देश्य :
समाजवादी अर्थव्यवस्था के उद्देश्य निश्चित होते हैं। योजनानुसार इनको प्राप्त करने के लिए कार्य किए जाते हैं। तीव्र औद्योगीकरण, जीवनस्तर में वृद्धि करना, पूर्ण रोजगार स्थापित करना, धन, आय की असमानता को कम करना आदि समाजवादी अर्थव्यवस्था के मुख्य उद्देश्य होते हैं। - प्रतियोगिता का अभाव :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में प्रमुख उद्यमी सरकार या केन्द्रीय नियन्त्रण होने के कारण अर्थव्यवस्था में प्रतियोगिता का अभाव पाया जाता है। गलाकाट प्रतियोगिता के स्थान पर यहाँ पर सरकारी एकाधिकार दिखाई पड़ता है। - आधारभूत भारी उद्योगों का विकास :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में अर्थव्यवस्था पूर्णतया नियन्त्रित एवं नियोजित होने के कारण, भारी उद्योगों एवं आधारभूत उद्योगों का विकास तेजी से होता है। - सामाजिक सुरक्षा :
समाजवादी अर्थव्यवस्था में सरकारी नियन्त्रण होने के कारण प्रत्येक नागरिक को भूख, बीमारी, दुर्घटना आदि से सामाजिक सुरक्षा मिलती है। समाजवाद का उद्देश्य अधिकतम सामाजिक कल्याण होता है।
Leave a Reply