Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Chapter 8 समान्तर माध्य
RBSE Class 11 Economics Chapter 8 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Economics Chapter 8 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
समंकों की विशेषताओं को सारांश के रूप में प्रकट करने के लिए परिकलन किया जाता है
(अ) सांख्यिकी विधि
(ब) सांख्यिकी माध्य
(स) सांख्यिकीय सूत्र
(द) सारणीयन
उत्तर:
(ब) सांख्यिकी माध्य
प्रश्न 2.
समान्तर माध्य का उद्देश्य है
(अ) पदों का औसत मूल्य
(ब) पदों का समान्तर मूल्य
(स) पदों का मध्य मूल्य
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
प्रश्न 3.
किस माध्य में बीजगणित विवेचन संभव है
(अ) समान्तर माध्य
(ब) माध्यिका
(ग) बहुलक
(द) ये सभी
उत्तर:
(अ) समान्तर माध्य
प्रश्न 4.
यदि X1= 4, X2 = 5, N1 = 10, N2 = 15 है तो सामूहिक माध्य होगा
(अ) 4.5.
(ब) 4.6
(स) 5
(द) 4.8
उत्तर:
(ब) 4.6
प्रश्न 5.
किसी श्रेणी में समान्तर माध्य से लिए विचलनों का योग होता है
(अ) अधिकतम योग
(ब) न्यूनतम योग
(स) शून्य योग
(द) अनन्त
उत्तर:
(स) शून्य योग
RBSE Class 11 Economics Chapter 8 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्थिति सम्बन्धी माध्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
मध्यका (M) तथा बहुलक (Z)।
प्रश्न 2.
सरल एवं भारित समान्तर माध्य में प्रमुख अन्तर बताइये।
उत्तर:
सरल समान्तर माध्य में सभी मूल्यों को समान महत्व दिया जाता है, जबकि भारित समान्तर माध्य में प्रत्येक मूल्य को उसके महत्व के अनुसार भार दिया जाता है।
प्रश्न 3.
समान्तर माध्य में पद-विचलन रीति का कब प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
यदि सतत श्रेणी में वर्ग विस्तार समान हो तथा वर्गान्तरों की संख्या भी अपेक्षाकृत अधिक हो तो लघु रीति को और सरल बनाने के लिए पद विचलन रीति का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 4.
प्रथम श्रेणी के माध्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
समान्तर माध्य को।
प्रश्न 5.
सामूहिक समान्तर माध्य ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
RBSE Class 11 Economics Chapter 8 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
उदाहरण द्वारा सिद्ध कीजिए कि समान्तर माध्य से लिए गए विभिन्न पदों में विचलनों का योग शून्य होता है।
उत्तर:
प्रश्न 2.
एक श्रेणी के समान्तर माध्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि बंटन के प्रत्येक मूल्य में एक निश्चित राशि जोड़े, घटायें, गुणा करें या भाग करें?
उत्तर:
एक श्रेणी के समान्तर माध्य के समस्त पद-मूल्यों में यदि एक स्थिर राशि (K) को जोड़ दिया जाये या घटा दिया जाये तो समान्तर माध्य क्रमश: \(\overline { X } \) + K या \(\overline { X } \) – K हो जायेगा। यदि स्थिर राशि (K) को श्रेणी के समस्त मूल्यों से गुणा या भाग कर दिया जाये तो परिवर्तित समान्तर माध्य उसी अनुसार क्रमश: K\(\overline { X } \) अथवा \(\frac {\overline { X }}{K} \) हो जायेगा।
प्रश्न 3.
एक आदर्श माध्य के कोई चार लक्षण बताइए।
उत्तर:
आदर्श माध्य के चार लक्षण निम्न हैं
- यह सुस्पष्ट परिभाषित होना चाहिए :
माध्य को स्पष्टतः परिभाषित होना चाहिए जिससे कि उसका केवल एक ही अर्थ लगाया जा सके। - यह समझने में सरल तथा गणना करने में आसान होना चाहिए :
माध्य ऐसा होना चाहिए कि वह समझने में सरल तथा गणना करने में आसान हो। - यह सभी मूल्यों पर आधारित होना चाहिए :
एक अच्छे माध्य को श्रेणी के सभी मूल्यों पर आधारित होना चाहिए। इसके बिना माध्य समंक श्रेणी का प्रतिनिधि नहीं बन सकेगा। - यह अन्य बीजगणितीय विवेचन में सहायक होना चाहिए :
एक अच्छे सांख्यिकी माध्य की कुछ ऐसी गणितीय विशेषताएँ होनी चाहिए कि उससे आगे बीजगणितीय विवेचन संभव हो सके।
प्रश्न 4.
सांख्यिकी माध्य को समझाइए।
उत्तर:
सांख्यिकी माध्य समंक श्रेणी का ऐसा प्रतिनिधि मूल्य है जो समंक श्रेणी की प्रमुख विशेषता पर प्रकाश डालता है तथा जिसके चारों ओर समंक श्रेणी के अन्य समंकों को केन्द्रित होने की प्रवृत्ति पायी जाती है। यह सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसका कारण सरल गणना विधि है।
प्रश्न 5.
माध्यों का अध्ययन करने के क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर:
सांख्यिकी माध्यों की व्यवहारिक रूप से काफी उपयोगिता है। इनकी सहायता से अव्यवस्थित एवं जटिल समंकों को सरल रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह समग्र का प्रतिनिधित्व करता है। दो या अधिक समूहों की तुलना की जा सकती है। अन्य सांख्यिकी विश्लेषण की प्रक्रियाओं में यह आधार प्रस्तुत करता है तथा भावी नीतियों के निर्धारण में यह पथ-प्रदर्शक का कार्य करता है।
RBSE Class 11 Economics Chapter 8 निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से क्या अभिप्राय है? एक आदर्श माध्य की विशेषताओं को समझाइये।
उत्तर:
केन्द्रीय प्रवृत्ति के माप से आशय :
प्रत्येक समंक श्रेणी में एक ऐसा बिन्दु होता है जिसके आस-पास अन्य समंकों के केन्द्रित होने की प्रवृत्ति पायी जाती है। यह मूल्य श्रेणी के लगभग केन्द्र में स्थित होता है और उसके महत्वपूर्ण लक्षणों का प्रतिनिधित्व करता है, वह मूल्य ही केन्द्रीय प्रवृत्ति का माप या माध्य कहलाता है।
सिम्पसन एवं काफ्का के अनुसार, “केन्द्रीय प्रवृत्ति का माप एक ऐसा प्रतिरूपी मूल्य है जिसकी ओर अन्य संख्याएँ संकेन्द्रित होती हैं।”
आदर्श माध्य की विशेषताएँ :
- यह सुस्पष्ट परिभाषित होना चाहिए :
माध्य को स्पष्टतः परिभाषित होना चाहिए जिससे कि उसका केवल एक ही अर्थ लगाया जा सके। - यह समझने में सरल तथा गणना करने में आसान होना चाहिए :
माध्य ऐसा होना चाहिए कि वह समझने में सरल तथा गणना करने में आसान हो। - यह सभी मूल्यों पर आधारित होना चाहिए :
अच्छे माध्य को श्रेणी के सभी मूल्यों पर आधारित होना चाहिए।: इसके बिना माध्य समंक श्रेणी का सही प्रतिनिधि नहीं बन सकेगा। - यह चरम मूल्यों (अधिकतम/न्यूनतम) से कम प्रभावित होना चाहिए :
किसी भी समंक श्रेणी अत्यधिक छोटे व अत्यधिक बड़े मूल्यों का माध्य पर प्रभाव न्यूनतम होना चाहिए। - यह अन्य बीजगणितीय विवेचन में आसान होना चाहिए :
एक अच्छे सांख्यिकीय माध्य में कुछ ऐसी गणितीय विशेषताएँ होनी चाहिए कि उससे आगे बीजगणितीय विवेचन संभव हो सके। जैसे यदि हमें कुछ समूहों के मध्य मूल्य और आवृत्ति ज्ञात है तो उनसे उन समूहों का सामूहिक माध्य ज्ञात किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
निम्न सारणी से बच्चों की संख्या ज्ञात कीजिए यदि समान्तर माध्य आयु 11.9 वर्ष हो
आयु (वर्षों में) | बच्चों की संख्या |
0.5-5.5 | 3 |
5.5-10.5 | 17 |
10.5-15.5 | X |
15.5-20.5 | 8 |
20.5-25.5 | 2 |
उत्तर:
प्रश्न 3.
निम्न आवृत्ति बंटन से समान्तर माध्य, माध्यिका तथा बहुलक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
Computation of Mean, Median & Mode
प्रश्न 4.
निम्न आँकड़ों से भारित माध्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
भारित माध्य की गणना
RBSE Class 11 Economics Chapter 8 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Economics Chapter 8 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
चरम पदों की उपस्थिति में कौन-सा औसत सर्वाधिक प्रभावित होता है?
(अ) माध्यिका
(ब) बहुलक
(स) समान्तर माध्य
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) समान्तर माध्य
प्रश्न 2.
समान्तर माध्य से मूल्यों के किसी समुच्चय के विचलन का बीजगणितीय योग है
(अ) -1
(ब) 0
(स) 1
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) 0
प्रश्न 3.
किसी समंक श्रेणी के सभी मूल्यों के योग में मूल्यों की संख्या का भाग देने पर प्राप्त होता है
(अ) माध्यिका
(ब) बहुलक
(स) समान्तर माध्य
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) समान्तर माध्य
प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सा गणितीय माध्य नहीं है?
(अ) समान्तर माध्य
(ब) गुणोत्तर माध्य
(स) बहुलक
(द) हरात्मक माध्य
उत्तर:
(स) बहुलक
प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सा स्थिति सम्बन्धी माध्य है?
(अ) माध्यिका
(ब) समान्तर माध्य
(स) गुणोत्तर माध्य
(द) हरात्मक माध्य
उत्तर:
(ब) समान्तर माध्य
प्रश्न 6.
कौन-सा माध्य सीमान्त मूल्यों से सर्वाधिक प्रभावित होता है?
(अ) बहुलक
(ब) समान्तर माध्य
(स) माध्यिका
(द) गुणोत्तर माध्य
उत्तर:
(ब) समान्तर माध्य
प्रश्न 7.
श्रेणी का प्रत्येक पद गणना में शामिल किया जाता है
(अ) बहुलक में
(ब) माध्यिका में
(स) समान्तर माध्य में
(द) इन सभी में
उत्तर:
(स) समान्तर माध्य में
प्रश्न 8.
10-15 का माध्य मूल्य होगा
(अ) 10
(ब) 12.5
(स) 15 9.
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) 12.5
प्रश्न 9.
केन्द्रीय प्रवृत्ति का माप है
(अ) समान्तर माध्य
(ब) माध्य विचलन
(स) प्रमाप विचलन
(द) सह-सम्बन्ध
उत्तर:
(अ) समान्तर माध्य
प्रश्न 10.
2, 5, 3, 6, 4 में माध्य होगा
(अ) 4
(ब) 3
(स) 7
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(अ) 4
RBSE Class 11 Economics Chapter 8 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्थिति सम्बन्धी माध्य कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
दो
प्रश्न 2.
गणितीय माध्य कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
चार प्रकार के।
प्रश्न 3.
गणितीय माध्य के किन्हीं दो प्रकार के नाम बताइए।
उत्तर:
- समान्तर माध्य,
- गुणोत्तर माध्य।
प्रश्न 4.
सामान्यतः आम आदमी द्वारा दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाला माध्य है।
उत्तर:
समान्तर माध्य।
प्रश्न 5.
समान्तर माध्य को किसके द्वारा व्यक्त किया जाता है?
उत्तर:
\(\overline { X } \) के द्वारा।
प्रश्न 6.
समान्तर माध्य कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
दो प्रकार के।
प्रश्न 7.
समान्तर माध्य के प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- सरल/अभारित समान्तर माध्य।
- भारित समान्तर माध्य।
प्रश्न 8.
व्यक्तिगत श्रेणी में प्रत्यक्ष विधि से समान्तर माध्य का सूत्र लिखो।
उत्तर:
\(\overline { X } \) = \(\frac { \Sigma X }{N} \)
प्रश्न 9.
लघु रीति का प्रयोग किस दिशा में किया जाता है?
उत्तर:
जब किसी श्रेणी में मूल्यों की संख्या अधिक हो, संख्याएँ बड़ी हों, दशमलव में हों तो लघु रीति का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 10.
व्यक्तिगत श्रेणी में लघु रीति से समान्तर माध्य का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
\(\overline { X } \) = A + \(\frac { \Sigma d }{N} \)
प्रश्न 11.
समान्तर माध्य से लिए गए विभिन्न पद-मूल्यों के विचलन का योग कितना होता है?
उत्तर:
सदैव शून्य होता है।
प्रश्न 12.
भार के आधार पर परिकलन किया गया समान्तर माध्य क्या कहलाता है?
उत्तर:
भारित समान्तर माध्य।
प्रश्न 13.
पद विचलन रीति से समान्तर माध्य का सूत्र लिखो।
उत्तर:
\(\overline { X } \) = A + \(\frac { \Sigma fd’ }{N}\times i \)
प्रश्न 14.
सांख्यिकी माध्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
समान्तर माध्य वह मूल्य है जिसकी गणना सभी पद मूल्यों के जोड़ में पद संख्याओं का भाग देकर की जाती है।
प्रश्न 15.
सर्वाधिक किस माध्य का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
समान्तर माध्य का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 16.
सरल समान्तर माध्य एवं भारित समान्तर माध्य के बीच अन्तर बताइए।
उत्तर:
सरल समान्तर माध्य की गणना में सभी पद मूल्यों को समान महत्व दिया जाता है जबकि भारित समान्तर माध्य में प्रत्येक पद को उसके महत्व के आधार पर भार दिया जाता है।
प्रश्न 17.
आदर्श माध्य की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
- यह सुस्पष्ट परिभाषित होना चाहिए।
- यह समझने में सरल तथा गणना करना आसान होना चाहिए।
प्रश्न 18.
व्यापारिक माध्य के नाम लिखिए।
उत्तर:
- चल माध्य,
- प्रगामी माध्य,
- संग्रथित माध्य।
प्रश्न 19.
खण्डित श्रेणी में प्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
\(\overline { X } \) = \(\frac { \Sigma fx }{N} \)
प्रश्न 20.
समान्तर माध्य के दो दोष बताइए।
उत्तर:
- यह चरम मूल्यों से प्रभावित होता है।
- श्रेणी को देखने मात्र से इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
प्रश्न 21.
सांख्यिकी माध्यों के दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
- संख्याओं को संक्षिप्त एवं सरल रूप से प्रस्तुत करना।
- तुलनात्मक आधार पर प्रस्तुत करना।
प्रश्न 22.
भारित समान्तर माध्य की गणना का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
भारित समान्तर माध्य (\(\overline { X }_{W} \)) = \(\frac { \Sigma XW }{\Sigma W} \)
प्रश्न 23.
2, 5, 7, 10, 13, 15 कैसी श्रेणी है?
उत्तर:
व्यक्तिगत श्रेणी है।
प्रश्न 24.
0-10, 10-20, 20-30… किस प्रकार की श्रेणी है?
उत्तर:
सतत श्रेणी है।
RBSE Class 11 Economics Chapter 8 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक आदर्श माध्य के गुण बताइए।
उत्तर:
एक आदर्श माध्य में निम्न गुणों का समावेश होना चाहिए :
- प्रतिनिधित्व :
माध्य ऐसा होना चाहिए जो समग्र का सही प्रतिनिधित्व करता हो। इसका आशय यह है कि उसमें समग्र की अधिकतम विशेषताएँ पायी जानी चाहिए। - सरल :
माध्य समझने एवं गणना करने में आसान होना चाहिए। - सभी पदों पर आधारित :
माध्य सभी पदों पर आधारित होना चाहिए। - बीजगणितीय विवेचन सम्भव :
माध्य का बीजगणितीय विवेचन किया जाना सम्भव होना चाहिए। - परिवर्तन का न्यूनतम प्रभाव :
समग्र की कुछ इकाइयों के परिवर्तन का माध्य पर अधिक असर नहीं होना चाहिए। - सीमान्त मूल्यों से कम प्रभावित :
माध्य पर सीमान्त मूल्यों का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए अन्यथा माध्य भ्रमात्मक हो सकता है। - निश्चित संख्या :
माध्य की एक निश्चित संख्या होनी चाहिए।
प्रश्न 2.
समान्तर माध्य के चार गुण बताइए।
उत्तर:
- इसका बीजगणितीय प्रयोग संभव है।
- इसकी गणना सरल है।
- यह सभी पदों को ध्यान में रखता है।
- तुलनात्मक अध्ययन के लिए यह सर्वाधिक लोकप्रिय माध्य है।
प्रश्न 3.
समान्तर माध्य के चार दोष बताइए।
उत्तर:
- इसकी गणना में सीमान्त मूल्यों का बहुत प्रभाव पड़ता है।
- इसकी गणना बिन्दुरेखीय विधि से सम्भव नहीं है।
- अनुपात व दर आदि के अध्ययन के लिए यह अनुपयुक्त है।
- गुणात्मक सामग्री के लिए इसका प्रयोग नहीं किया जाता है।
प्रश्न 4.
सरल एवं भारित समान्तर माध्य में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सरल एवं भारित समान्तर माध्य में अन्तर :
- सरल समान्तर माध्य में सभी मूल्यों को समान महत्व दिया जाता है, जबकि भारित समान्तर मारध्य में प्रत्येक मूल्य को उसके महत्व के अनुसार भार प्रदान किए जाते हैं।
- सरल समान्तर माध्य श्रेणी का उतना अच्छा प्रतिनिधित्व नहीं करता है जितना भारित समान्तर माध्य करता है।
- सरल समान्तर माध्य के आधार पर निकाले गए निष्कर्ष कभी-कभी बड़े भ्रमात्मक हो जाते हैं, जबकि भारित समान्तर माध्य में ऐसा नहीं होता है।
प्रश्न 5.
भारित समान्तर माध्य को समझाइये। सूत्र लिखो।
उत्तर:
व्यवहार में अनेक समंक श्रेणियों में विभिन्न मूल्यों का अलग-अलग सापेक्षिक महत्व होता है। इकाइयों का सापेक्षिक महत्व निश्चित अंकों द्वारा व्यक्त किया जाता है। इन्हें अंकों का भार कहते हैं। भार के आधार पर परिकलन किया गया समान्तर माध्य भारित समान्तर माध्य कहलाता है।
\(\overline { X }_{w} \) = \(\frac { \Sigma XW }{ \Sigma W } \)
प्रश्न 6.
समान्तर माध्य की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
समान्तर माध्य की निम्न विशेषताएँ हैं :
- समान्तर माध्य से लिए गए विभिन्न पद मूल्यों के विचलन का योग सदैव शून्य होता है। [i.e., Σ(x – \(\overline { x } \)) = 0]
- समान्तर माध्य से लिए गए विभिन्न पद मूल्यों के विचलन के वर्गों का योग न्यूनतम होता है। i.e.. Σ(x – x)² न्यूनतम
- अज्ञात मूल्य का निर्धारण \(\overline { X }\), N व ΣX में से कोई दो माप ज्ञात हो तो तीसरा माप ज्ञात किया जा सकता है
\(\overline { X } \) = \(\frac { \Sigma X }{N} \), ΣX = N\(\overline { x } \), N = \(\frac { \Sigma X }{\overline { x }} \) - सामूहिक समान्तर माध्य ज्ञात करना एक समूह में से दो या दो से अधिक भागों के समान्तर माध्य तथा उनके पदों की संख्या ज्ञात हो, तो उनके आधार पर सामूहिक समान्तर माध्य ज्ञात किया जा सकता है।
प्रश्न 7.
समान्तर माध्य के उपयोग बताइए।
उत्तर:
समान्तर माध्य के उपयोग-सांख्यिकीय माध्यों में समान्तर माध्य सबसे सरल एवं आसान होने के कारण आर्थिक, सामाजिक समस्याओं के अध्ययन हेतु अधिक उपयोगी है। इसका प्रयोग औसत उत्पादन, औसत लागत, औसत लाभ, औसत आयात-निर्यात, औसत बोनस आदि की गणना में अधिक होता है। इसमें चरम मूल्यों के प्रभाव आदि कुछ दोष होने के बावजूद भी इसे आदर्श माध्य माना जाता है।
RBSE Class 11 Economics Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
समान्तर माध्य से आप क्या समझते हैं? समान्तर माध्य के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समान्तर माध्य का आशय-समान्तर माध्य या मध्यक गणितीय माध्यों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसका कारण सरल गणना विधि है। आमतौर से औसत शब्द का प्रयोग इसी माध्य के लिए होता है। समान्तर माध्य से आशय उस मूल्य से होता है जो किसी श्रेणी के समस्त पदों के मूल्य के योग में पदों की संख्या का भाग देने पर प्राप्त होता है।
किंग के अनुसार, “किसी भी श्रेणी के पदों के मूल्यों के योग में उसकी संख्या का भाग देने से जो मूल्य प्राप्त होता है, उसे समान्तर माध्य के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।”
क्रॉम्सटन तथा काउडेन के अनुसार, “किसी समंकमाला का समान्तर माध्य माला के मूल्यों को जोड़कर उसकी संख्या से भाग देने पर प्राप्त होता है।”
इस प्रकार स्पष्ट है कि समान्तर माध्य किसी समंक श्रेणी के सभी मूल्यों के जोड़ में मूल्यों की संख्या का भाग देने पर प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए, यदि पाँच परिवारों की मासिक आय ₹ 2,000, 3,000, 4,000, 5,000 एवं ₹ 6,000 है, तो , इन परिवारों की आय का समान्तर माध्य अथवा औसत आय जानने के लिए इन सभी की आय को जोड़ा जाएगा जो कि जोड़ने पर ₹ 20,000 आती है। इस कुल आय में पदों की संख्या अर्थात् 5 से भाग देने पर औसत मासिक आय ₹ 4,000 आयेगी, यही समान्तर माध्य है। समान्तर माध्य दो प्रकार का होता है
- सरल समान्तर माध्य,
- भारित समान्तर माध्य।
समान्तर माध्य के गुण :
समान्तर माध्य में पाये जाने वाले गुण निम्नलिखित हैं :
- सरल एवं बुद्धिगम्य :
सांख्यिकीय माध्यों में समान्तर माध्य की गणना सबसे सरल है तथा एक सामान्य व्यक्ति भी इसे आसानी से समझ सकता है। - सभी मूल्यों पर आधारित :
समान्तर माध्य श्रेणी के सभी मूल्यों पर आधारित होता है, जबकि बहुलक एवं माध्यिका, श्रेणी के सभी मूल्यों पर आधारित नहीं होते हैं। सभी मूल्यों पर आधारित होने के कारण यह श्रेणी का अच्छा प्रतिनिधित्व करता है। - स्थिरता :
समान्तर माध्य केन्द्रीय प्रवृत्ति का एक स्थाई माप है। इस पर निदर्शन के परिवर्तनों का न्यूनतम प्रभाव पड़ता है। - निश्चितता :
समान्तर माध्य सदैव निश्चित एवं एक ही होता है। इसकी गणना करने में अनुमान का सहारा नहीं लिया जाता है। - तुलनात्मक विवेचन :
इसकी सहायता से दो श्रेणियों में आसानी से तुलना की जा सकती है। - पदों के क्रम बदलने की आवश्यकता नहीं :
समान्तर माध्य निकालते समय पदों के क्रम को बदलने की आवश्यकता नहीं होती है, जबकि माध्यिका निकालने के लिए पद मूल्यों को आरोही अथवा अवरोही क्रम में लगाना आवश्यक होता है। - अपूर्णताओं में भी गणना :
यदि सभी पदों के मूल्य पता न हों, लेकिन उनका योग व पद संख्या ज्ञात हो, तो भी समान्तर माध्य की गणना की जा सकती है। - अज्ञात मूल्यों की गणना :
यदि किसी श्रेणी के समान्तर माध्य, पदों की संख्या तथा पदों के योग में से कोई एक अज्ञात हो, तो उसे दो ज्ञात संख्याओं की सहायता से जाना जा सकता है।
समान्तर माध्य के दोष-समान्तर माध्य में निम्नलिखित दोष पाये जाते हैं :
- चरम मूल्यों का अधिक प्रभाव :
समान्तर माध्य का सबसे बड़ा दोष है कि यह चरम मूल्यों को अधिक महत्व देता है जिसके कारण यह कभी-कभी श्रेणी के सभी मूल्यों का उचित प्रतिनिधित्व नहीं कर पाता है। - भ्रमात्मक निष्कर्ष :
समान्तर माध्य के आधार पर कभी-कभी बड़े ही भ्रमात्मक निष्कर्ष निकलते हैं, यदि समंक श्रेणी की रचना व बनावट पर ध्यान न दिया जाए। - अप्रतिनिधित्व :
प्राय: समान्तर माध्य ऐसा मूल्य होता है जो समंकमाला में विद्यमान ही नहीं होता। ऐसा मूल्य प्रतिनिधि मूल्य कैसे हो सकता है। - अवास्तविक माध्य-कभी :
कभी यह माध्य पूर्णांक में न होकर दशमलव में आता है जो स्थिति को हास्यास्पद बना देता है; जैसे-यदि बाजार में बिकने वाले जूतों के नाप 2, 4, 5 हों, तो इनका समान्तर माध्य के आधार पर औसत नाप 3.67 आएगा, लेकिन ऐसे नाप का कोई जूता आता ही नहीं है। - गणना कठिन :
यदि समंक माला में कोई मूल्य अज्ञात हो, तो इसकी गणना नहीं की जा सकती है। वैसे भी इसमें गणन क्रिया अधिक होने के कारण इसकी गणना कठिन होती है।
प्रश्न 2.
व्यक्तिगत श्रेणी में प्रत्यक्ष रीति एवं लघु रीति द्वारा समान्तर माध्य की गणना विधि स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
व्यक्तिगत श्रेणी में समान्तर माध्य की गणना :
(अ) प्रत्यक्ष रीति से व्यक्तिगत श्रेणी में समान्तर माध्य की गणना करने के लिए सभी पदों का योग करने के बाद उसमें पदों की संख्या का भाग दे दिया जाता है। इसका सूत्र निम्न है
\(\overline { X } \) = \(\frac { \Sigma X }{N} \)
यहाँ \(\overline { X } \) = समान्तर माध्य, ΣX = पद मूल्यों का योग, N = पदों की संख्या।
(ब) लघु रीति से व्यक्तिगत श्रेणी में समान्तर माध्य की गणना की प्रक्रिया निम्न प्रकार है :
- किसी पद मूल्य या संख्या को कल्पित माध्य मान लेते हैं। यह पद मूल्य बीच का हो, तो अधिक अच्छा रहता है।
- प्रत्येक पद मूल्य में से इस कल्पित माध्य को घटाकर पदों से विचलन ज्ञात किए जाते हैं।
- विचलनों का योग लगाकर उसमें पद संख्या का भाग दे देते हैं।
- कल्पित माध्य तथा भाग देने पर आई संख्या को जोड़ देते हैं।
- इस प्रकार प्राप्त मूल्य ही समान्तर माध्य होता है। इसके लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है
\(\overline { X } \) = A+ \(\frac { \Sigma d }{N} \)
यहाँ, \(\overline { X } \) = समान्तर माध्य, A = कल्पित माध्य, Σd = कल्पित माध्य से लिए गए विचलनों का योग, N = पदों की संख्या।
उदाहरण :
निम्नलिखित समंकों से प्रत्यक्ष एवं लघु रीति से समान्तर माध्य की गणना कीजिए :
हल:
प्रश्न 3.
खण्डित श्रेणी में प्रत्यक्ष रीति एवं लघु रीति द्वारा समान्तर माध्य की गणना विधि को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
खण्डित श्रेणी में समान्तर माध्य की गणना
(अ) प्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य की गणना करने के लिए सर्वप्रथम पद मूल्यों (x) तथा आवृत्ति (f) का गुणा करके उनका योग ज्ञात करते हैं अर्थात् Σfx निकालते हैं।
इसके बाद आवृत्तियों (f) का योग Σf ज्ञात करते हैं। तत्पश्चात् समान्तर माध्य का निम्न सूत्र प्रयोग करके समान्तर माध्य की गणना करते हैं :
उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण :
निम्न समंकों से प्रत्यक्ष रीति से समान्तर माध्य की गणना कीजिए :
हल:
(ब) लघु रीति द्वारा खण्डित श्रेणी में समान्तर माध्य की गणना-लघु रीति द्वारा समान्तर माध्य की गणना करने के लिए निम्न प्रक्रिया अपनाते हैं :
- पद मूल्यों में से (विशेष रूप में बीच से कोई मूल्य) किसी संख्या को कल्पित माध्य (A) मान लेते हैं।
- सभी पद मूल्यों में से कल्पित माध्य घटाकर (x – A) विचलन (d) ज्ञात करते हैं।
- इन विचलनों का उनकी आवृत्तियों से गुणा करते हैं (fa) और इनका योग (Σfd) लगा लेते हैं।
- आवृत्ति का योग (Σf) लगाते हैं। इसके बाद निम्न सूत्र का प्रयोग करके समान्तर माध्य ज्ञात कर लेते हैं
उदाहरण :
प्रत्यक्ष रीति से वर्णित प्रश्न को लघु रीति द्वारा हल कीजिए :
हल:
समान्तर माध्य = 8.3
प्रश्न 4.
अखण्डित श्रेणी अथवा संतत श्रेणी में प्रत्यक्ष एवं लघु रीति द्वारा समान्तर माध्य की गणना विधि को उदाहरण की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
अखण्डित श्रेणी एवं खण्डित श्रेणी में समान्तर माध्य की गणना करने की प्रक्रिया तथा सूत्र एक जैसे हैं। सिर्फ अन्तर यह है कि अविछिन्न श्रेणी में जो वर्ग (Groups) दिए होते हैं, उनके मध्य मूल्य (Mid Value) निकाले जाते हैं और यही मध्य मूल्य (x) या पद मूल्य माना जाता है।
उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण :
हल:
प्रश्न 5.
संचयी आवृत्ति वितरण में समान्तर माध्य की गणना एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
जब वर्गान्तरों को संचयी आधार पर दिया गया हो, तो सर्वप्रथम संचयी आवृत्ति से विभिन्न वर्गों की आवृत्तियाँ ज्ञात करते हैं। इसके बाद समान्तर माध्य की गणना की जाती है।
उदाहरण :
निम्नलिखित तालिका से समान्तर माध्य की गणना लघु रीति से कीजिए :
हल:
सर्वप्रथम संचयी आवृत्ति से वर्गों एवं उनकी आवृत्तियों को ज्ञात करेंगे।
समान्तर माध्य = 14.2 अंक
प्रश्न 6.
समान्तर माध्य गणना की पद विचलन रीति क्या है? इस रीति का प्रयोग कब किया जाता है? उदाहरण द्वारा इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समान्तर माध्य गणना की पद विचलन रीति-समान्तर माध्य गणना की पद विचलन रीति गुणन क्रिया को सरल करने के लिए अपनायी जाती है। इसका प्रयोग तभी किया जाता है, जबकि विभिन्न पद मूल्यों के विचलनों को उभयनिष्ठ गुणक (Common Factor) से भाग दिया जा सके। ऐसा करने से विचलन की संख्या छोटी हो जाती है तथा गुणन क्रिया सरल हो जाती है।
जब विभिन्न वर्गों के वर्गान्तर बराबर होते हैं, तो वर्गान्तर से ही विचलनों में भाग देकर पद विचलन ज्ञात कर लिए जाते हैं। पद विचलन रीति से समान्तर माध्य की गणना का सूत्र निम्न प्रकार है
\(\overline { X } =A+\frac { \Sigma f{ d }^{ ‘ } }{ N } \times i\)यहाँ, \(\overline { X } \) = समान्तर माध्य, A = कल्पित माध्य,d’ = पद विचलन, fd’ = पद विचलन का आवृत्ति से गुणनफल, N = पद संख्या, i = वर्गान्तर, Σ = योग।
उदाहरण :
निम्नलिखित सारणी से पद विचलन रीति द्वारा समान्तर माध्य की गणना कीजिए :
हल:
समान्तर माध्य = ₹ 22.2
प्रश्न 7.
भारित समान्तर माध्य से क्या आशय है? इसकी गणना किस प्रकार की जाती है? उदाहरण की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
समान्तर माध्य का एक महत्वपूर्ण दोष यह है कि इसमें श्रेणी के सभी पदों को समान महत्व दिया जाता है, जबकि व्यवहार में पद मूल्यों का महत्व कम या अधिक होता है, समान नहीं होता। इस कारण पद मूल्यों के महत्व को ध्यान में रखकर समान्तर माध्य की गणना की जानी चाहिए।
भारित समान्तर माध्य का आशय :
भारित समान्तर माध्य की गणना में प्रत्येक मद या पद के मूल्य का महत्व निश्चित ता है। इन अंकों को ही भार कहते हैं। भारों के आधार पर निकाले गए समान्तर माध्य को भारित समान्तर माध्य कहते हैं।
बोडिंगटन के शब्दों में, “भारित माध्य वह है जिसे निकालने के लिए प्रत्येक पद को उसके भार से गुणा किया जाता है और इस प्रकार प्राप्त की गई संख्याओं को जोड़कर भार के योग से भाग दे दिया जाता है।”
भारों की आवश्यकता को एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। एक विद्यालय में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता, अध्यापक, लिपिक तथा चपरासी कार्य करते हैं। इन सभी को यदि समान मानकर इनके औसत वेतन की गणना की जाएगी, तो औसत वेतन भ्रमात्मक हो सकता है, लेकिन यदि उनके वेतन में उनकी संख्या का गुणा (भार) करके औसत वेतन निकालेंगे, तो जो औसत वेतन आयेगा वह अधिक सही स्थिति बताएगा।
गणना विधि :
भारित समान्तर माध्य की गणना प्रत्यक्ष एवं लघु दोनों विधियों से की जा सकती है प्रत्यक्ष विधि-इस विधि से भारित समान्तर माध्य निकालने के लिए निम्न प्रक्रिया अपनायी जाती है–
- प्रत्येक पद (X) और उसके भार (W) में गुणा करके पद व भार का गुणनफल (wx) निकालते हैं।
- पद व भार के गुणनफल का योग (ΣWX) ज्ञात करते हैं।
- भार का योग (ΣW) निकालते हैं।
- इसके बाद निम्न सूत्र द्वारा भारित समान्तर माध्य की गणना करते हैं
\({ \overline { X } }_{ W }=\frac { \Sigma WX }{ \Sigma W } \)
लघु विधि :
लघु विधि से भारित माध्य निकालते समय निम्न प्रक्रिया अपनायी जाती है :
- सर्वप्रथम किसी पद मूल्य को कल्पित भारित माध्य माना जाता है।।
- इसके बाद कल्पित भारित माध्य से विभिन्न पद मूल्यों के विचलन निकालते हैं।
- विचलनों का भार से गुणा करके (Wd) निकालते हैं।
- विचलनों के भार से गुणनफल का योग (ΣWd) निकालते हैं।
- इसके बाद निम्न सूत्र का प्रयोग करके भारित समान्तर माध्य की गणना करते हैं
\({ \overline { X } }_{ W }=A+\frac { \Sigma Wd }{ \Sigma W } \)
व्यवहार में, भारित समान्तर माध्य की गणना प्रत्यक्ष रीति से की जाती है।
उदाहरण :
निम्नलिखित तालिका की सहायता से भारित समान्तर माध्य की गणना प्रत्यक्ष एवं लघु दोनों रीतियों से कीजिए :
हल:
RBSE Class 11 Economics Chapter 8 आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक परीक्षा में 10 विद्यार्थियों द्वारा सांख्यिकी में प्राप्त निम्न समंकों से समान्तर माध्य की गणना करो
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्न समंकों से समान्तर माध्य की गणना कीजिए?
उत्तर:
प्रश्न 3.
निम्न श्रेणी का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
उत्तर:
प्रश्न 4.
निम्न सारणी में समान्तर माध्य की गणना कीजिए?
उत्तर:
नोट :
प्रश्न में समावेशी श्रेणी दी है। इसे अपवर्जी श्रेणी में बदलने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि दोनों ही श्रेणियों में मध्य मूल्य समान होते हैं
प्रश्न 5.
निम्न तालिका से समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
उत्तर:
प्रश्न 6.
पद विचलन रीति द्वारा निम्न सूचना से समान्तर माध्य ज्ञात करो
उत्तर:
प्रश्न 7.
सांख्यिकी की परीक्षा में छात्र द्वारा प्राप्त किए गए निम्न अंकों का समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए
उत्तर:
प्रश्न 8.
निम्न आँकड़ों से भारित समान्तर माध्य की गणना कीजिए
उत्तर:
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