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RBSE Solutions for Class 11 Hindi आलोक Chapter 6 पृथ्वीराज की आँखें

July 12, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi आलोक Chapter 6 पृथ्वीराज की आँखें

RBSE Class 11 Hindi आलोक Chapter 6 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पृथ्वीराज की प्रेयसी का नाम था –
(क) पद्मावती
(ख) चन्द्रावती
(ग) संयोगिता
(घ) संगीता
उत्तर:
(ग) संयोगिता

प्रश्न 2.
“कवि घोषणा कर दो कि यह माता नहीं पिशाचिनी है।” पृथ्वीराज के इस कथन से उसका कौन-सा मनोभाव व्यक्त हुआ है ?
(क) वेदना
(ख) ग्लानि
(ग) घृणा
(घ) क्रोध
उत्तर:
(ग) घृणा

प्रश्न 3.
मुहम्मद गोरी पराजित सम्राट पृथ्वीराज को बंदी बनाकर कहाँ ले गया ?
(क) कराची
(ख) ईरान
(ग) गोर
(घ) कंधार
उत्तर:
(ग) गोर

प्रश्न 4.
‘चंद तुम प्राणहीन होकर मेरे पास आए हो’, पृथ्वीराज ने कहा, क्योंकि चंद –
(क) निराश मन होकर आया था
(ख) सुलतान से छिपकर आया था
(ग) बहुत उदास होकर आया था
(ध) तलवार विहीन होकर आया था
उत्तर:
(ध) तलवार विहीन होकर आया था

प्रश्न 5.
पृथ्वीराज चौहान कहाँ का सम्राट था ?
उत्तर:
पृथ्वीराज चौहान दिल्ली और अजमेर का सम्राट था।

प्रश्न 6.
पृथ्वीराज चौहान के युद्ध में हारने का मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर:
जयचंद का विश्वासघात पृथ्वीराज चौहान के युद्ध में हारने का मुख्य कारण था।

प्रश्न 7.
चंदबरदाई कौन था ?
उत्तर:
चंदबरदाई महाकवि और पृथ्वीराज का परमप्रिय मित्र था।

प्रश्न 8.
मुहम्मद गोरी ने बंदी पृथ्वीराज के साथ कैसा व्यवहार किया ?
उत्तर:
मुहम्मद गोरी ने बंदी पृथ्वीराज के साथ बहुत अमानवीय व्यवहार किया। उसने पृथ्वीराज को जंजीरों में जकड़कर बंदीगृह में रखा। उसने लोहे की गर्म सलाखों से उनकी दोनों आँखें फोड़कर उन्हें अंधा बना दिया।

प्रश्न 9.
‘शेर पिंजड़े में बंद रहने पर भी शेर ही कहलाता है।’ में शब्द किसने, किससे और कब कहे ?
उत्तर:
प्रस्तुत शब्द चन्दबरदाई ने महाराज पृथ्वीराज से उस समय कहे जब पृथ्वीराज ने उससे कहा कि वह उन्हें बार-बार ‘महाराज’ न कहे क्योंकि वे कैदी हैं।

प्रश्न 10.
“मेरे अच्छे चन्द, महाकवि मित्र, प्यारे, मेरे जीवन की श्मशान के समान भयानक आग शांत कर दो।” पृथ्वीराज के जीवन की श्मशान के समान भयानक आग कौन-सी थी ?
उत्तर:
पृथ्वीराज मुहम्मद गोरी के बंदी थे। गोरी उन्हें क्रूरतम यातनाएँ देता था। वे दिल्ली और अजमेर के सम्राट थे। बंदी रूप में रहना उनके जैसे सम्राट के लिए असह्य था। बंदी रूप में रहना और गोरी की क्रूरतम अमानवीय यातनाएँ पृथ्वीराज के जीवन की श्मशान के समान भयानक आग थी।

प्रश्न 11.
“कुछ नहीं ? बोलो ? अभी तो बोल रहे थे। अंधे के पैर चूम रहे थे, उसकी आँखें नहीं चूमते ? अहो, कैसी खूबसूरत आँखें हैं।” पंक्तियों में गोरी का कौन-सा भाव व्यक्त हुआ है ?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियों में मुहम्मद गोरी का पृथ्वीराज के प्रति व्यंग्य भाव व्यक्त हुआ है।

प्रश्न 12.
चन्दबरदाई कृत पृथ्वीराज चौहान को लेकर लिखे महाकाव्य का नाम लिखिए।
उत्तर:
चन्दबरदाई कृत पृथ्वीराज चौहान को लेकर लिखे गए महाकाव्य का नाम है-पृथ्वीराजरासो।।

प्रश्न 13.
चन्दबरदाई बंदीगृह में पृथ्वीराज से मिलने के लिए अपनी तलवार क्यों नहीं ले जा सका ?
उत्तर:
चन्दबरदाई बंदीगृह में अपनी तलवार लेकर ही पृथ्वीराज से मिलने जा रहा था। लेकिन मुहम्मद गोरी ने उसे साथ में तलवार ले जाने से रोक दिया। गोरी पृथ्वीराज की शक्ति से परिचित था। उसे भय हुआ कि तलवार साथ ले जाने पर दोनों मिलकर कुछ-न-कुछ षड्यंत्र जरूर करेंगे।

प्रश्न 14.
पृथ्वीराज किस विद्या में सिद्धहस्त था ?
उत्तर:
पृथ्वीराज शब्दवेधी बाण चलाने में सिद्धहस्त थे। वे बिना देखे केवल आवाज पर तीर मारते थे। बिना देखे भी उनका निशाना अचूक होता था।

प्रश्न 15.
चन्द कटार निकाल आत्महत्या करना चाहता है। चन्द के द्वारा ऐसा चाहने का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चन्द महाराज पृथ्वीराज से मिलने बंदीगृह पहुँचा। वहाँ उसने पृथ्वीराज की दुर्दशा देखी। उन पर क्रूरतम अत्याचार हो रहे थे। पृथ्वीराज़ ने अपने ऊपर हुए गोरी के अत्याचारों को सुनाया। उसे सुनकर और पृथ्वीराज की दयनीय अवस्था देखकर चन्द को सहन नहीं हो सका। फिर जब पृथ्वीराज ने चन्दबरदाई से उसकी तलवार माँगकर आत्महत्या की बात कही, तो वह उस भयानक दृश्य को देख नहीं सकता था। इसी कारण से चन्द कटार निकाल कर स्वयं आत्महत्या करना चाहता है।

प्रश्न 16.
गोरी ने पृथ्वीराज को बंदीगृह में किस-किस प्रकार की यातनाएँ दीं ? लिखिए।
उत्तर:
गोरी ने पृथ्वीराज को जंजीरों में जकड़कर तथा हाथ-पाँव बाँधकर बंदीगृह में डाल दिया। वहाँ उनपर निर्मम अत्याचार किए गए। सामान्य सिपाही भी उनपर रौब जमाता था। गरम सलाखों से उनकी आँखों की पुतलियाँ जला दी गईं। शरीर को भी दागा गया था। कहीं-कहीं जलने के निशान थे।

प्रश्न 17.
गोरी की कैद में बंदी पृथ्वीराज चौहान की मनःस्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गोरी की कैद में बंदी पृथ्वीराज चौहान की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। गोरी द्वारा जो निर्मम अत्याचार उन पर किए गए, उससे उनका मन अत्यन्त क्षुब्ध है। वे इतने व्यथित हैं कि उनसे ठीक से बोला नहीं जाता, बोली लड़खड़ा जाती है। कभी-कभी वे अपनी प्रेयसी संयोगिता के साथ बिताए मधुर क्षणों की स्मृति में खो जाते हैं। जयचन्द के विश्वासघात से वे युद्ध में पराजित हुए। इस कारण भी उनका मन क्षुब्ध है। उन्हें अपने आप पर इस बात से भी क्रोध है कि उन्होंने पिछले युद्ध में पराजित गोरी को अपने सरदारों के कहने पर क्यों भागने दिया। वे अपनी दुर्दशा से इतने व्यथित हैं कि आत्महत्या के लिए तैयार हो जाते हैं।

प्रश्न 18.
गोरी आत्महत्या के लिए उद्यत चन्द के हाथों से कटार छीन लेता है तथा चन्द से जो कुछ कहता है, उन विचारों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
आत्महत्या के लिए उद्यत चन्द के हाथों से गोरी कटार छीन लेता है। वह चन्द से कहता है कि यह जिन्दगी इतनी मामूली नहीं है। पृथ्वीराज की स्थिति को देखकर उसे दुखी नहीं होना चाहिए, क्योंकि संसार इसी तरह चलता है और भविष्य में भी चलता ही रहेगा। कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन में उत्थान-पतन तो होते ही रहते हैं। गोरी चन्द से कहता है कि वह अपने मालिक का इतना विश्वासपात्र है कि उसकी दुर्दशा नहीं देख सकता। अपनी ईमानदारी के लिए तो उसे इनाम माँगना चाहिए। वह पृथ्वीराज की दुर्दशा पर व्यंग्य करता हुआ कहता है कि उसे अंधे के पैर चूमने के स्थान पर उसकी आँखें चूमनी चाहिए।

प्रश्न 19.
“मैंने कहा, ………………….. मनुष्य जैसे रहना सीखो, खुदा के बंदो। जान से मार डालो, पर एक राजा की इज्जत रहने दो।” ये शब्द किसने, किसको और क्यों कहे थे ?
उत्तर:
प्रस्तुत शब्द पृथ्वीराज ने बंदीगृह में आए मशालचियों के सरदार को इसलिए कहे क्योंकि उसने उनसे कहा कि उनकी आँखें निकाली जाएँगी।

प्रश्न 20.
“उस निर्दय क्षण की बात मत पूछो। बड़ी कठिनाई से उस कष्ट को भुला सका हूँ।”वह कौन-सा कष्ट था जिसे पृथ्वीराज नहीं भुला पा रहा था ?
उत्तर:
पृथ्वीराज मुहम्मद गोरी की कैद में थे। वहाँ उनके शरीर पर निर्मम अत्याचार किए गए। उनकी आँखों की पुतलियों को गरम सलाखों से जला दिया गया। एक शक्तिशाली राजा के साथ अत्यन्त क्रूरता का व्यवहार किया गया। उन यातनाओं से मिले कष्ट को पृथ्वीराज नहीं भुला पा रहे थे।

प्रश्न 21.
चन्द यदि कटार लेकर आत्महत्या कर लेता तो एकांकीकार को कथा में क्या मोड़ देना पड़ता ?
उत्तर:
चन्द यदि केटार लेकर आत्महत्या कर लेता तो अंधा कर दिए जाने के कारण पृथ्वीराज उस दृश्य को देख तो नहीं पाते किन्तु दुख के आवेश में संभवत: वे भी कुछ कर बैठते। ऐसी स्थिति में एकांकीकार वहीं एकांकी समाप्त कर देता।

प्रश्न 22.
चन्द गोरी को अपने ‘अंधेवीर’ का कौन-सा तमाशा दिखाना चाहता था और क्यों ?
उत्तर:
पृथ्वीराज को गोरी ने अंधा बना दिया था। वे शब्दवेधी बाण चलाना जानते थे। वे आवाज पर तीर मारते थे। चन्द गोरी को अपने ‘अंधेवीर’ अर्थात् पृथ्वीराज के शब्दवेधी बाण चलाने की कला का तमाशा दिखाना चाहता था। उसकी योजना थी कि तमाशा दिखाने के बहाने गोरी की हत्या करवा दी जाए। वह अपनी योजना में सफल भी हुआ।

प्रश्न 23.
“दिल्ली और अजमेर को भौंह के संकेत से नचाने वाले चौहान को ये शब्द भी सुनने पड़े।” ऐसे कौन-से, किसके शब्द सुनाई पड़े ?
उत्तर:
‘कैदी, तेरी आँखें निकाली जाएँगी।’ बंदीगृह में आए मशालचियों के सरदार के ऐसे शब्द पृथ्वीराज को सुनाई पड़े।

प्रश्न 24.
गोरी की कैद में बंदी पृथ्वीराज की दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गोरी की कैद में पृथ्वीराज बंदी हैं। बंदीगृह में उनके हाथ साँकलों से बाँध दिए गए हैं। वे अपने घुटनों पर दोनों हाथ झुकाए बैठे हैं। साँकल का एक छोर उनके पैरों तक लटक रहा है, जो हाथों के थोड़ा चलाने भर से ही झूलकर शब्द करने लगता है। उनके बाल बिखरे हुए हैं तथा दाढ़ी बढ़ गई है। उनके कपड़े बहुत मैले हो गए हैं। उनके शरीर पर कहीं-कहीं जलने के निशान पड़ गए हैं। उनके घुटनों के पास फटा हुआ चूड़ीदार पाजामा है, जिस पर खून के धब्बे दिखाई पड़ते हैं तथा पैरों में पुराने जूते हैं। उनकी दशा अत्यन्त दयनीय है।

प्रश्न 25.
‘पृथ्वीराज की आँखें’ एकांकी लिखने के पीछे निहित एकांकीकार के उद्देश्य को सविस्तार लिखिए।
उत्तर:
डॉ. रामकुमार वर्मा द्वारा लिखित ‘पृथ्वीराज की आँखें’ एक ऐतिहासिक एकांकी नाटक है। इस नाटक में भावना की प्रधानता है। प्रस्तुत एकांकी लिखने के पीछे निहित एकांकीकार का उद्देश्य तत्कालीन भारत की राजनैतिक स्थिति का चित्रण करना है। इस एकांकी में एकांकीकार का उद्देश्य घटनाओं के वर्णन की अपेक्षा बंदी भारत-सम्राट पृथ्वीराज की मन:स्थिति को विशेष रूप से दर्शाना है। क्षमा-दान को जीवन-मूल्य मानने वाले पृथ्वीराज पर मुहम्मद गोरी द्वारा किए गए निर्मम अत्याचारों का मर्मान्तक प्रभाव पड़ा। इसका अत्यन्त भावपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी प्रभाव का वर्णन प्रस्तुत एकांकी में किया गया है। अपनी असहाय स्थिति में भी पृथ्वीराज ने जिस धैर्य, साहस, सहिष्णुता, स्वाभिमान एवं कौशल का परिचय दिया वह अतुलनीय है, अद्भुत है।

प्रश्न 26.
पृथ्वीराज चौहान एवं मुहम्मद गोरी की चारित्रिक विशेषताओं को लिखते हुए दोनों के चरित्र की तुलना कीजिए।
उत्तर:
‘पृथ्वीराज की आँखें’ एकांकी में पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी के चरित्र की बहुत थोड़ी झाँकी प्रस्तुत की गई है। लेकिन जितनी भी झाँकी प्रस्तुत की गई है, वह दोनों के संबंध में बहुत कुछ कह देती है। पृथ्वीराज चौहान प्रस्तुत एकांकी के नायक हैं, किन्तु मुहम्मद गोरी खलनायक है। पृथ्वीराज वीर हैं, किन्तु मुहम्मद गोरी कायर है। तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान विजयी होते हैं, किन्तु मुहम्मद गोरी युद्ध में हारकर और पीठ दिखाकर भाग जाता है। पृथ्वीराज चौहान युद्ध में पराजित मुहम्मद गोरी को क्षमा-दान दे देते हैं, किन्तु उसी तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज जयचन्द के विश्वासघात के कारण पराजित हो जाते हैं। गोरी उन्हें बंदी बनाकर गोर के किले में ले जाता है और उनपर तरह-तरह के अमानवीय अत्याचार करता है। वह उनकी आँखें तक फोड़ डालता है। पृथ्वीराज वीर, धैर्यवान, साहसी, सहिष्णु, स्वाभिमानी और क्षमाशील हैं, किन्तु गोरी कायर, क्रूर और धूर्त है।

प्रश्न 27.
मुहम्मद गोरी के स्थान पर यदि पृथ्वीराज ने गोरी को कैद कर लिया होता तो पृथ्वीराज गोरी के साथ कैसा व्यवहार करता ? अपने उत्तर की पुष्टि कल्पना एवं तर्क से कीजिए।
उत्तर:
मुहम्मद गोरी के स्थान पर यदि पृथ्वीराज ने गोरी को कैद कर लिया होता, तो वे गोरी ने उनके साथ जैसा व्यवहार किया वैसा व्यवहार कदापि नहीं करते। पृथ्वीराज भारतीय संस्कृति के पोषक थे। भारतीय संस्कृति में मानवता को विशेष महत्त्व दिया जाता है। शत्रुओं के साथ भी सहानुभूति रखी जाती है। उसके साथ क्रूरता का नहीं, दयालुता एवं मानवता का व्यवहार किया जाता है। मुहम्मद गोरी क्रूर था, उसमें दया नाम की कोई चीज नहीं थी। उसने पृथ्वीराज के साथ क्रूरतापूर्ण अमानवीय व्यवहार किया। पृथ्वीराज की अत्यधिक मानवता एवं दयालुता ने ही गोरी को प्रथम युद्ध में क्षमा किया। पृथ्वीराजे वीर थे, साहसी थे, किन्तु कूटनीतिज्ञ नहीं थे।

प्रश्न 28.
मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज के साथ जो क्रूर व्यवहानर किया, क्या वह उचित था ? इतिहास सम्मत किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए, जिसमें विजेता ने किसी वीर राजा के बंदी हो जाने पर भी उसके साथ इसके विपरीत व्यवहार किया हो।’
उत्तर:
मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज के साथ जो क्रूर व्यवहार किया, वह किसी भी स्थिति में उचित नहीं था। उसकी क्रूरता की पराकाष्ठा तब हुई जब उसने असहाय पृथ्वीराज की दोनों आँखों में गरम सलाखें डालकर उन्हें अंधा बना दिया। यह सत्य है कि सभी विजेता मुहम्मद ग़ोरी की तरह क्रूर नहीं होते। उदाहरणस्वरूप हम सिकन्दर को ले सकते हैं। वह वीर योद्धा था, महात्त्वाकांक्षी था, किन्तु उसमें मानवता भी थी। उसने भारत पर आक्रमण कर यहाँ अनेक राजाओं को पराजित किया। उसने राजा पोरस के साथ भी युद्ध किया। पोरस ने बड़ी वीरता के साथ सिकन्दर से युद्ध किया, किन्तु वह पराजित हो गया। पोरस बंदी रूप में सिकन्दर के सम्मुख उपस्थित किया गया। सिकन्दर ने उससे पूछा कि उसके साथ कैसा व्यवहार किया जाए, तो उसने उत्तर दिया कि जैसा एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है। सिकन्दर ने पोरस का जीता हुआ राज्य उसे लौटा दिया।

पाठ के आसपास :

प्रश्न:
विद्यालय में इस एकांकी का अभिनय कीजिए।
उत्तर:
संकेत : छात्रगण स्वयं इस एकांकी का अभिनय करें।

RBSE Class 11 Hindi आलोक Chapter 6 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Hindi आलोक Chapter 6 लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पृथ्वीराज की आँखें’ एकांकी की रचना लेखक ने किस दृष्टिकोण को सामने रखकर की है ?
उत्तर:
महाकवि चन्दबरदाई ने ‘पृथ्वीराज रासो’ ग्रंथ की रचना की है। रासो के छिपासठ समयो (बड़ी लड़ाई समयो) में मुहम्मद गोरी द्वारा पृथ्वीराज को बंदी बनाकर गोर ले जाने का वर्णन है। सड़सठ समयो (बाणबेध समयों) में पृथ्वीराज की धनुर्विद्या का वर्णन है तथा अन्त में पृथ्वीराज के शब्दवेधी बाण से मुहम्मद गोरी के वध का वर्णन किया गया है। इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर लेखक ने ‘पृथ्वीराज की आँखें’ एकांकी की रचना की है।

प्रश्न 2.
पृथ्वीराज ने कवि चन्द से किस बात की घोषणा करने के लिए कहा ?
उत्तर:
मुहम्मद गोरी बंदी पृथ्वीराज पर क्रूरतम अत्याचार किए। उन अत्याचारों के समय यदि कवि चन्द होता, तो उन्हें देखकर वह भी काँप जाता। पृथ्वीराज का कथन है कि धरती तो सबकी माता है। कोई भी माता अपनी संतान के छोटे से क्लेश पर व्याकुल हो जाती है। उन्हें आश्चर्य है कि धरती माता ने उन पर हुए अत्याचारों को देखकर कैसे सहन किया। अत:उन्होंने कवि से कहा कि वह घोषणा कर दे कि धरती माता नहीं, पिशाचिनी है।

प्रश्न 3.
पृथ्वीराज के यह कहने पर कि उन्हें बार-बार महाराज न कहा जाए, क्योंकि वह कैदी हैं। इस पर कवि चन्द ने क्या कहा ?
उत्तर:
चन्द पृथ्वीराज को बार-बार ‘महाराज’ कहकर संबोधित कर रहा था। इस पर पृथ्वीराज क्रुद्ध होकर ‘महाराज’ संबोधन करने से मना किया। इस पर कवि चन्द ने कहा कि वह गोरी के लिए कैदी हैं, उसके लिए नहीं। फिर वह शरीर से कैदी हैं, आत्मा से नहीं। वह आत्मा से कभी कैदी नहीं हो सकते। पिंजड़े में बंद शेर सदा शेर ही रहता है।

प्रश्न 4.
पृथ्वीराज ने चन्द से तलवार की माँग क्यों की ?
उत्तर:
पृथ्वीराज अपने बंदी जीवन से तंग आ चुके थे। उन पर घोर अत्याचार हो रहे थे। गोरी का क्रूरतम व्यवहार वह अब तक सहते आ रहे थे। अब वह उनकी सहनशक्ति से बाहर से रहा था। वह अब अपने को अपमानित अनुभव कर रहे थे। उनका कहना था कि गौरव से गिरे उन जैसे प्राणी को प्राण की आवश्यकता नहीं है। इसलिए चन्द उन्हें अपनी तलवार दे जिससे वह अपने प्राणों का अन्त कर सकें।

प्रश्न 5.
“पृथ्वीराज तू मूझे किन आँखों से देख रहा है।” गोरी के इस कथन के उत्तर में पृथ्वीराज ने क्या कहा ?
उत्तर:
मुहम्मद गोरी के प्रस्तुत कथन के उत्तर में पृथ्वीराज ने बड़े स्थिर भाव से कहा कि वह (गोरी) देखने लायक है ही कहाँ जो उसे देखा जाए। वह तो अंधा हैं। अपनी अंधी आँखों से यदि वह देख सकते, फिर भी वह उसे देखना पसंद नहीं करते। उन्होंने यह भी कहा कि यह अच्छा हुआ कि उसने आँखों की रोशनी ले ली।

RBSE Class 11 Hindi आलोक Chapter 6 निबंधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पृथ्वीराज के लिए कौन-सी रात भयंकर थी ? उस रात कौन-सी घटना घटी थी ?
उत्तर:
पृथ्वीराज के लिए वह रात अत्यन्त भयंकर थी, जिस रात उनकी आँखों की रोशनी छीन ली गई। उन्हें अंधा बना दिया गया। पृथ्वीराज को इस बात से आश्चर्य था कि इतना कष्ट सहकर भी वे जीवित थे। अंधकार उनकी आँखों में घुसकर जैसे उनकी ओर घूर रहा था। उस रात चार मशालची मशाल लेकर बंदीगृह में आए उनके साथ उनका एक सरदार भी था। मशालों की लौ इधर-उधर इस तरह झूम रही थी मानो अंधकार रूपी भंयकर दैत्य की लपलपाती जिह्वाएँ हों। सरदार के हाथ में एक छुरा था। उसने रोबिले स्वर में कहा कि उनकी (पृथ्वीराज की) आँखें निकाली जाएँगी। ऐसा सुलतान मुहम्मद गोरी का हुक्म था।

प्रश्न 2.
गरम सूजे पृथ्वीराज की आँखों के पास लाने पर उन्हें किस बात की याद आई ?
उत्तर:
दो गरम सूजे (सलाखें) पृथ्वीराज की दोनों आँखों के पास लाए गए। उन्हें उन सलाखों की गरमी धीरे-धीरे पास आती हुई जान पड़ी। उस समय उन्हें संयोगिता के साथ घटित एक अनुभूति की याद आई। उन्हें याद आया कि संयोगिता ने एक बार इसी प्रकार धीरे-धीरे अपने होठों को समीप लाते हुए इन्हीं आँखों को चूमा था। वह क्षण बड़ा मादक था। उस समय उन अधरों की मादकता उनके पास इसी प्रकार धीरे-धीरे आती हुई जान पड़ी थी। जिन आँखों में संयोगिता की मूर्ति अंकित थी, वे आँखें अब नहीं रहीं। जिन आँखों में सौन्दर्य-सुधापान की मादकता थी, वे आँखें अब नहीं रहीं।

पृथ्वीराज की आँखें पाठ-सारांश

डॉ. रामकुमार वर्मा द्वारा लिखित ‘पृथ्वीराज की आँखें भावना-प्रधान ऐतिहासिक नाटक है। इस नाटक की कथावस्तु पृथ्वीराज के मित्र महाकवि चंदबरदाई द्वारा रचित ‘पृथ्वीराज रासो’ महाकाव्य के छियासठवें समयों (बड़ी लड़ाई समय) तथा सड़सठवें समयों (बाणवेध समय) पर आधारित है। तराइन के प्रथम युद्ध में शहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी पराजित होकर भाग गया। उसी तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज जयचंद के विश्वासघात के कारण मुहम्मद गोरी से पराजित हो गए। मुहम्मद गोरी उन्हें बंदी बनाकर गोर ले गया। बंदीगृह में उनसे क्रूरतम व्यवहार किया गया। महाराज पृथ्वीराज की आँखों में गर्म सलाखें डालकर उन्हें अंधा बना दिया गया।

महाराज पृथ्वीराज का परम मित्र महाकवि चन्दबरदाई बंदीगृह में उनसे मिलने आता है। वह वहाँ महाराज के प्रति हुए अमानवीय व्यवहार से आहत होता है। महाराज चन्दबरदाई से कहते हैं कि वह उनकी हत्या कर दे। किन्तु चन्दबरदाई कटार से स्वयं अपनी ही हत्या कर लेने के लिए तैयार हो जाता है। इसी समय मुहम्मद गोरी वहाँ आकर उसे रोक लेता है। वह चन्दबरदाई के ‘महाराज’ शब्द और पृथ्वीराज की आँखों पर व्यंग्य करता है। अवसर पाकर चन्द बरदाई पृथ्वीराज के शब्दवेधी बाण चलाने के चमत्कार की प्रशंसा मुहम्मद गोरी के सामने करता है। मुहम्मद गोरी उस अद्भुत चमत्कार को देखने के लिए तैयार हो जाता है।

कठिन शब्दार्थ

पृष्ठसं. 38, धनुर्विद्या = धनुष चलाने की विद्या, तीरंदाजी। वध = हत्या। दृष्टिकोण = देखने, सोचने-समझने का पहलू। प्रौढ़ = मध्य अवस्था को प्राप्त, तीस से पचास वर्ष की आयु का व्यक्ति। शौर्य = शूरता, वीरता। शौर्य फूटना = वीरता की चमक प्रकट होना। साँक्रल = जंजीर। अंकित = चिह्नितं, लिखा हुआ।

पृष्ठसं. 39. आखेट = शिकार। व्याघ्र = बाघ। तीक्ष्णता = पैनापन, धारदार, तेज। दयार्द्र = दया से द्रवित होने वाला। निस्तेज = तेजरहित। कुंठित = कुंद, भोथरा, गतिहीन। कृत्य = कर्म। पिशाचिनी = राक्षसी। भावोन्मेष = भावों का उदय। उन्माद = पागलपन, सनक। प्रेयसी = प्रियतमा, प्रेमिका। शैथिल्य = शिथिलता।

पृष्ठ सं. 40. सूजे = सलाखें, छड़े, सूआ, बड़ी और मोटी भूई। सुधा = अमृत। रक्त-वर्ण = लाल रंग। लोहा बरसाना (मुहा) = घमासान युद्ध करना।।

पृष्ठसं. 41. वक्षस्थल = उर, छाती, सीना। विचलित = डिगा हुआ, अस्थिर, विकल। आघात = चोट, प्रहार। मायूस = उदास, दुखी। नाचीज = मामूली।।

पृष्ठ सं. 42-43. खुदकुशी = आत्महत्या। अट्टहास = जोर की हँसी, ठहाका। मुस्तैदी = कटिबद्धता, तेजी। मुराद = अभिलाषा, इच्छा। प्रस्थान = गमन, जाना।

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