Rajasthan Board RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 4 अग्नि की उड़ानता
RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 4 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 4 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
कलाम द्वारा रचित ‘आत्मकथा’ है –
(क) महाशक्ति भारत
(ख) अग्नि की उड़ान
(ग) मेरे सपनों का भारत
(घ) तेजस्वी मंन
उत्तर:
(ख) अग्नि की उड़ान
प्रश्न 2.
मिसाइल-पुरुष के रूप में जाने जाते हैं –
(क) महात्मा गाँधी
(ख) अब्दुल कलाम
(ग) होमी जहाँगीर भाभा
(घ) प्रो. साराभाई।
उत्तर:
(ख) अब्दुल कलाम
RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 4 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कलाम का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
कलाम का पूरा नाम है-अबुल पाकीर जैनुलआबदीन अब्दुल कलाम।
प्रश्न 2.
अब्दुल कलाम के गुरु कौन थे?
उत्तर:
अब्दुल कलाम के गुरु शिव सुब्रह्मण्य अय्यर, आयादुर्र सोलोमन और पनदलाई थे।
प्रश्न 3.
पाँच मिसाइलों के नाम बताइये।
उत्तर:
पाँच मिसाइलों के नाम ये हैं – त्रिशूल, पृथ्वी, आकाश, नाग और अग्नि।
प्रश्न 4.
इसरो’ का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
‘इसरो’ को पूरा नाम है – इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन, अर्थात् भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन।
प्रश्न 5.
टेक्नोलॉजी’ क्या है?
उत्तर:
‘टेक्नोलॉजी’ अर्थात् तकनीक, किसी जटिल विषय पर सफलता से सामूहिक गतिविधि को तकनीक कहते हैं।
RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
तकनीकी प्रबन्धन की स्थितियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
डॉ. कलाम ने बताया कि तकनीकी प्रबन्धन की अवधारणा की जड़े उसके विकासात्मक प्रबन्धन मॉडलों में निहित हैं। मुख्य रूप से प्रबन्धन की दो तरह की स्थितियाँ होती हैं – एक प्राइमल और दूसरी रेशनल। प्राइमल में आर्थिक कर्मचारी का मूल्य महत्त्वपूर्ण होता है और रेशनल में संगठनात्मक कर्मचारी का मूल्य मुख्य होता है। इसके अलावा जहाँ प्राइमल प्रबन्धन स्वतन्त्र उद्यम लेकर चलते हैं, वहाँ रेशनल प्रबन्धन संगठनात्मक सहयोग से काम करता है। इनके अलावा एक, अन्तर्निर्भर संयुक्त प्रबन्धन भी कारगर रहता है।
प्रश्न 2.
सत्तावाद क्या है?
उत्तर:
सत्तावाद लोगों को धन, सम्मान, प्रतिष्ठा, पदोन्नति, एक-दूसरे की जीवन-शैली से प्रभावित रहने, अर्थात् सभी तरह के प्रतिष्ठा-द्योतक अन्तहीन रास्ते पर ले जाने वाला आयोजित सम्मान है। इन लक्षणों को आसानी से प्राप्त करने के लिए सत्तावाद के शिष्टाचार के नियमों को आसानी से सीखते हैं। सत्तावाद से ग्रस्त लोग अपने आपको विशिष्ट रीति-रिवाजों, परम्पराओं तथा आचार संहिता और इसी तरह की दूसरी चीजों में ढालते हैं। अतएव सत्तावाद अलग जीवन-शैली की ओर ले जाने वाला रास्ता है। इस कारण भौतिकतावाद ही सत्तावाद है।
प्रश्न 3.
तकनीकी प्रबन्धन को विकसित करने में किन-किन महान् विभूतियों का योगदान रहा।
उत्तर:
सर्वप्रथम महात्मा गाँधी ने तकनीकी प्रबन्धन पर जोर दिया। जे.आर.डी. टाटा ने इस ओर ले जाने वाला बुनियादी ढाँचा तैयार किया। फिर डॉ. होमी जहाँगीर भाभा, प्रो. विक्रम साराभाई, डॉ. स्वामीनाथन, डॉ. वर्गीज कुरियन, प्रो. सतीश धवन तथा डॉ. ब्रह्मप्रकाश जैसी महान् विभूतियों ने इसे अलग-अलग तरीके से सशक्त एवं विकसित किया। इस प्रकार तकनीकी प्रबन्धन रूपी वृक्ष का विकास करने में इन सभी महापुरुषों का योगदान रहा।
प्रश्न 4.
“टेक्नोलॉजी विज्ञान से भिन्न एक सामूहिक गतिविधि है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
डॉ. कलाम का कथन है कि टेक्नोलॉजी विज्ञान से भिन्न एक सामूहिक गतिविधि है। क्योंकि यह किसी एक व्यक्ति की बुद्धि या समझ पर आधारित नहीं होती है, अपितु कई व्यक्तियों की आपसी बौद्धिक प्रतिभा या परस्पर तालमेल रखने वाली सामूहिक प्रतिभा पर आधारित होती है। उदाहरणार्थ, इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डवलपमेण्ट प्रोग्राम को बड़ी सफलता कई वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों की एकक सर्वश्रेष्ठ टीम की प्रतिभा से प्राप्त हुई और एक निश्चित समय में पाँच मिसाइलें विकसित की जा सकीं। इस तरह सामूहिक गतिविधि या टीम योजना से इस तकनीक को सफलता प्राप्त हुई।
RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 4 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
“एक सफल व्यक्तित्व के निर्माण में अनेक व्यक्तियों का योगदान रहता है।” आत्मकथा के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
डॉ. अब्दुल कलाम ने अपनी आत्मकथा में उन लोगों का भी संक्षेप में उल्लेख किया, जिन्होंने उनके व्यक्तित्व को निखारने में योगदान किया। उन्होंने बताया कि बचपन में भाई की मदद के लिए उन्होंने अखबार बेचे और उनकी इच्छानुसार गाँव की स्कूल में पढ़ाई भी करते रहे। वहीं पर शिवसुब्रह्मण्य अय्यर नामक शिक्षक ने पाँचवीं कक्षा में उन्हें चिड़िया के उड़ने का सिद्धान्त समझाया और भौतिक विज्ञान के अध्ययन के लिए प्रेरित किया। अयादुरै सोलोमन का भी इसमें सहयोग रहा।
फिर पनदलाई जैसे शिक्षकों से मार्गदर्शन मिला और एम.जी.के. मेनन ने उन्हें आगे बढ़ाया। इस तरह रामेश्वरम् से प्रारम्भिक शिक्षा लेकर आगे बढ़े और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में अध्ययन कर ये राकेट एवं ऐरोप्लेन इंजीनियर बने तथा रक्षा अनुसंधान क्षेत्र में कार्य करने लगे। पहले हावर क्राफ्ट परियोजना में काम किया, फिर प्रो. विक्रम साराभाई जैसे महान् वैज्ञानिक ने इनके व्यक्तित्व को निखारा। इसी क्रम में इन्हें अन्य वैज्ञानिकों का सहयोग भी मिला और सफल मिसाइल मैन बनकर उभरे।
प्रश्न 2.
भौतिकवादी जीवन-पद्धति ने मानव को कैसे और कहाँ तक प्रभावित किया है? कलाम के अनुसार राष्ट्र का हित कैसे व्यक्तियों के निर्माण से सम्भव है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान काल में भौतिकवादी जीवन-पद्धति से हर कोई प्रभावित है। अब हर कोई धन-दौलत, सम्मान-प्रतिष्ठा, उच्च पद, जीवन में उन्नति तथा सुखसुविधा की वृद्धि चाहता है। साइकिल वाला स्कूटर, स्कूटर वाला कार और कार वाला हवाई जहाज की यात्रा करने की प्रबल लालसा रखने लगा है। विज्ञान के नये-नये आविष्कारों ने मानव पर भौतिकवादी प्रवृत्ति के पंख लगा दिये हैं। इस जीवन-पद्धति के कारण अपरिमित एवं अन्तहीन लालसाओं का प्रकोप फैल रहा है, जो कि सारे अनाचार, भ्रष्टाचार तथा अन्याय का मूल कारण बनता जा रहा है।
डॉ. कलाम के अनुसार हमें भौतिकता अर्जित करने के लिए कार्य करने की संस्कृति और उससे मिलने वाले प्रतिफल से स्वयं के जीवन को अलग कर देना चाहिए। राष्ट्र का हित ऐसे ही व्यक्ति कर सकते हैं, जो देशहित का ध्यान रखते हैं, शिष्टाचार के नियमों को सीखने का प्रयास करते हैं। समाज की भलाई एवं आन्तरिक शान्ति की कामना के लिए तड़पने वाले लोगों के निर्माण के लिए यह जरूरी है और इन्हीं से राष्ट्रहित भी सम्भव है।
प्रश्न 3.
”तकनीकी प्रबन्धन में कलाम से बढ़कर कोई नहीं।” वैज्ञानिक रूप में कलामजी की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
तकनीकी प्रबन्धन में कलाम ने सामूहिक प्रतिभा एवं टीम भावना का ऐसा विकास किया कि अग्नि आदि मिसाइलों के प्रक्षेपण आदि में भारत को आशातीत सफलता प्राप्त हो सकी। एक सफल वैज्ञानिक के रूप में डॉ. कलाम की जो विशेषताएँ दिखाई दीं, वे इस प्रकार हैं
- टीम प्रबन्धन का कौशल – डॉ. कलाम ने मिसाइल प्रक्षेपण योजना की सफलता के लिए टीम भावना का विकास किया। प्रबन्धन की स्थितियों को उचित दिशा दीं। फलस्वरूप पाँच सौ से अधिक वैज्ञानिकों और अठहत्तर संगठनों ने इस कार्य को सम्पन्न करने में योगदान किया।
- लक्ष्य के प्रति समर्पित – महान् उपलब्धियों के लिए बड़े त्याग करने पड़ते हैं। डॉ. कलाम को जो सफलता मिली, वह उनके त्याग और कठिन परिश्रम का परिणाम है। वे कुछ करके दिखाने के लिए ही अविवाहित रहे, परिवार की जरूरतों को पूरा नहीं कर सके।
- कठिनाइयों से अविचलित – अग्नि की उड़ान में अनेक बाधाएँ आयीं, अनेक लोगों का विरोध झेलना पड़ा तथा तकनीकी मदद के लिए प्रयास करने पड़े, फिर भी डॉ. कलाम सभी कठिनाइयों से अविचलित रहे।
- कृतज्ञ भावना – अपने व्यक्तित्व का निर्माण करने में, सफल मिसाइल मैन बनने में जिन लोगों ने डॉ. कलाम का मार्गदर्शन किया या सहयोग किया, उनके प्रति उन्होंने सरलता से कृतज्ञता की भावना व्यक्त की।
प्रश्न 4.
‘अग्नि की उड़ान’ के लेखक का परिचय दीजिए।
उत्तर:
‘अग्नि की उड़ान’ डॉ. अब्दुल कलाम की आत्मकथा है। उनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है–डॉ. अब्दुल कलाम का जन्म रामेश्वरम् के एक अल्प शिक्षित परिवार में सन् 1931 में हुआ। इनके परदादा अबुल, दादा पकीर और पिता जैनुलआबदीन थे। इनका पूरा नाम अबुल पाकीर जैनुलआबदीन अब्दुल कलाम था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा रामेश्वरम् में हुई, फिर त्रिचिनापल्ली के सेंट जोजेफ कालेज में अध्ययन किया और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में ऐरोप्लेन इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।
शिक्षा समाप्ति के बाद अब्दुल कलाम हावर क्राफ्ट, डी.आर.डी.ओ. तथा आई.जी.एम. डी.पी. आदि परियोजनाओं से जुड़ गये। विक्रम साराभाई अन्तरिक्ष केन्द्र तथा भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़कर इन्होंने उपग्रह प्रक्षेपण और मिसाइलों के स्वदेशी विकास पर महत्त्वपूर्ण कार्य किये । इनके प्रयासों से भारत में पाँच मिसाइलों का विकास हुआ। डॉ. कलाम में देशभक्ति की भावना प्रखर थी। ये महान् भारत के सच्चे प्रतीक, आदर्श नागरिक और सकारात्मक भारतीय थे। ये भारत के राष्ट्रपति बने। इन्हें ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया गया। ये मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्ध हुए। इनका जीवनान्त जुलाई, 2015 को हुआ। ये आखिरी सांस तक देश के युवाओं को विकसित भारत का सन्देश देते रहे।
व्याख्यात्मक प्रश्न –
1. जब आप एक ……………. रूप से जारी रहे।
2. तकनीकी प्रबंधन ………………. निरस्त भी करता चले।
3. हमारे वैज्ञानिकों के ………………… पर ले जाता है।
4. बहुत-सी चीजों : राष्ट्र का हित होगा।
5. मैं नहीं चाहता ……………… वह तो शाश्वत है।
उत्तर:
व्याख्या आगे सप्रसंग व्याख्या भाग में देखिए।
RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 4 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 4 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन का संक्षिप्त नाम है(क) आर.सी.आई.
(ख) आई.टी.आर.
(ग) एस.टी.आई.
(घ) इसरो
उत्तर:
(घ) इसरो
प्रश्न 2.
भारत में परमाणु ऊर्जा पर आधारित उच्च टेक्नोलॉजी की शुरुआत की
(क) डॉ. स्वामीनाथन ने
(ख) प्रो. विक्रम साराभाई ने
(ग) प्रो. सतीश धवन ने
(घ) डॉ. वर्गीज कुरियन ने।
उत्तर:
(ख) प्रो. विक्रम साराभाई ने
प्रश्न 3.
इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डवलपमेण्ट प्रोग्राम को सरकार ने कब स्वीकृत किया था?
(क) सन् 1983 में
(ख) सन् 1998 में
(ग) सन् 1980 में
(घ) सन् 1988 में
उत्तर:
(क) सन् 1983 में
प्रश्न 4.
आई.जी.एम.डी.पी. की सफलता में कितने भागीदार थे?
(क) सत्तर
(ख) अठहत्तर
(ग) छत्तीस
(घ) इकतालीस।
उत्तर:
(ख) अठहत्तर
प्रश्न 5.
डॉ. अब्दुल कलाम ने अपना सारा जीवन लगाया –
(क) समाज-सेवा करने में
(ख) इंजीनियर बनने में
(ग) राकेट विज्ञान को सीखने में
(घ) जटिल तकनीकी प्रशिक्षण में
उत्तर:
(ग) राकेट विज्ञान को सीखने में
RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 4 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एस.एल.बी. परियोजना के शुरुआती वर्षों में डॉ. कलाम को किसका सामना करना पड़ा और क्यों?
उत्तर:
उक्त परियोजना के प्रारम्भिक वर्षों में डॉ. कलाम को अधीरता का सामना करना पड़ा, क्योंकि कार्य की प्रगति का तत्काल परिणाम नजर नहीं आ रहा था।
प्रश्न 2.
तकनीकी प्रबन्धन की अवधारणा किसमें निहित है?
उत्तर:
तकनीकी प्रबन्धन की अवधारणा का मूल रूप विकासात्मक प्रबन्धन मॉडलों में निहित है।
प्रश्न 3.
तकनीकी प्रबन्धन का बुनियादी ढाँचा किसने तैयार किया था?
उत्तर:
तकनीकी प्रबन्धन का बुनियादी ढाँचा जे.आर.डी. टाटा ने तैयार किया था।
प्रश्न 4.
अन्तरिक्ष अनुसंधान में मिशन प्रबन्धन की अवधारणा का विकास किसने किया?
उत्तर:
प्रो. सतीश धवन ने अन्तरिक्ष अनुसंधान में मिशन प्रबन्धन की अवधारणा को विकसित किया।
प्रश्न 5.
डॉ. कलाम के अनुसार तकनीकी प्रबन्धन का वृक्ष कब फैलता है?
उत्तर:
डॉ. कलाम के अनुसार जब सकल रूप में जरूरतों, नवीनीकरण, अन्तर्निर्भरता और प्राकृतिक प्रवाह का स्व-कार्यान्वयन होता है, तब तकनीकी प्रबन्धन का वृक्ष फैलता है।
प्रश्न 6.
भारत में हरित क्रान्ति लाने के लिए किसने क्या प्रयास किया?
उत्तर:
भारत में हरित क्रान्ति लाने के लिए डॉ. एम.एम. स्वामीनाथन ने एकता के एक और प्राकृतिक सिद्धान्त पर काम करने का प्रयास किया।
प्रश्न 7.
डॉ. वर्गीज कुरियन ने किस क्षेत्र में क्रान्ति ला दी थी?
उत्तर:
डॉ. वर्गीज कुरियन ने सहकारिता आन्दोलन को सशक्त बनाकर डेयरी उद्योग में एक नयी क्रान्ति ला दी थी।
प्रश्न 8.
डॉ. कलाम के इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ाने के लिए उनकी बहिन ने क्या किया?
उत्तर:
डॉ. कलाम को इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ाने के लिए उनकी बहिन जोहरा ने अपनी सोने की चूड़ियाँ और हार गिरवी रखा था।
प्रश्न 9.
हवाई जहाज से नीचे देखने पर क्या दिखाई देता है?
उत्तर:
हवाई जहाज से नीचे देखने पर मकान, चट्टान, खेत, पेड़ आदि सभी मिले हुए गड्डमड्ड नजर आते हैं, उनमें फर्क कर पाना कठिन होता है।
प्रश्न 10.
डॉ. कलाम के पिता कहाँ पर रहते थे? उनका नाम भी बताइए।
उत्तर:
डॉ. अब्दुल कलाम के पिता जैनुलआबदीन रामेश्वरम् में मसजिद वाली गली में रहते थे।
RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
तकनीकी परियोजनाओं के सम्बन्ध में डॉ. अब्दुल कलाम के क्या विचार हैं? .
उत्तर:
डॉ. कलाम के विचार हैं कि टेक्नोलॉजी किसी एक व्यक्ति की बुद्धि या समझ पर आधारित नहीं होती है बल्कि सामूहिक प्रतिभा पर आधारित होती है। इस सम्बन्ध में उन्होंने आई.जी.एम.डी.पी. का उदाहरण देते हुए बताया कि इस सबसे बड़ी परियोजना के अन्तर्गत मिसाइल प्रणाली विकसित कर देना एक व्यक्ति के वश की बात नहीं थी। इसके लिए तो कई वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों की एक सर्वश्रेष्ठ टीम तैयार की गई थी और इसी से परियोजना में सफलता भी मिली।
प्रश्न 2.
एस.एल.वी. परियोजना को लेकर प्रारम्भ में लोगों की क्या मान्यता थी?
उत्तर:
डॉ. कलाम बताते हैं कि प्रारम्भ में एस.एल.वी. परियोजना को लेकर लोगों का मानना था कि इतने बड़े संगठन पर नियन्त्रण नहीं रह पायेगा। इस कारण टीमें उच्छृखल हो जायेंगी, अनुशासनहीनता फैलेगी और संगठन में अव्यवस्था आ जायेगी। इस तरह प्रारम्भ में काल्पनिक रूप से आशंकाओं का उठना स्वाभाविक था, क्योंकि उस समय परियोजना के काम की प्रगति धीमी थी, प्रगति तत्काल नजर नहीं आ रही थी और टीमों की प्रतिबद्धता दिखाने का अवसर नहीं मिल रहा था।
प्रश्न 3.
तकनीकी प्रबन्धन की अवधारणा को लेकर डॉ. कलाम के क्या विचार थे?
उत्तर:
तकनीकी प्रबन्धन को लेकर डॉ. कलाम का मानना था कि अन्तर्निर्भर संयुक्त उद्यम की अवधारणा से तकनीकी प्रबन्धन की स्थिति ठीक रहती है। इसमें सभी टीमों को साथ लेकर, अर्थात् नेटवर्क, संसाधनों, कार्यक्रम निर्धारण, मूल्यांकन, लागत आदि सभी समन्वय रखना पड़ता है। जब समस्त रूप से जरूरतों, नवीनीकरण, प्राकृतिक प्रवाह तथा अन्तर्निर्भरता का स्वकार्यान्वयन होता है, तो तकनीकी प्रबन्धन की अवधारणा को वृक्ष फैलने लगता है और उसके विकास की प्रक्रिया को गति मिलती है।
प्रश्न 4.
आई.जी.एम.डी.पी. को मंजूरी मिलते समय वैज्ञानिकों के सामने क्या चुनौतियाँ थीं? बताइये।
उत्तर:
इस सम्बन्ध में डॉ. कलाम ने बताया कि उस समय वैज्ञानिकों के पास पर्याप्त तकनीकी आधार नहीं था। कुछ थोड़े से विशेषज्ञ उपलब्ध थे, लेकिन विशेषज्ञ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पाने की सामर्थ्य भी नहीं थी। कार्यक्रम की इस बहुपरियोजना, अर्थात् एक साथ पाँच मिसाइल प्रणालियों का विकास करना एक बड़ी भारी चुनौती थी। साथ ही इस परियोजना में संसाधनों की विवेचित भागीदारी, टीमवर्क एवं संगठनों की प्राथमिकताएँ स्थापित करने और प्रगतिशील मानव-शक्ति को लगाने की जरूरत थी। तकनीकी प्रबन्धन के लिए टीम-वर्क का निर्धारण करना भी चुनौती का काम था।
प्रश्न 5.
‘अग्नि की उड़ान’ आत्मकथांश में डॉ. कलाम ने जीवन के प्रति क्या दृष्टिकोण व्यक्त किया है?
उत्तर:
आत्मकथांश में डॉ. कलाम ने बताया है कि जीवन ईश्वर द्वारा प्रदत्त कुछ करने और शान्ति से रहने के लिए है। यह जीवन कठिनाइयों से भरा है। इसमें . हम तभी सफल रह पाते हैं जब हम व्यक्ति होने के भाव से पूरित रहें.। इस भाव को प्राप्त करने के लिए हमें बाहरी खतरे उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। जब हम बाहरी दशाओं को दूर करने के लिए आन्तरिक संकेतों का सहारा लेते हैं, तो इससे जीवन अच्छा बन जाता है और समाज भी अच्छा बनता है। जीवन को अपने काम में पूरी तरह खपाने पर सफलता अवश्य मिलती है। स्वयं की जिम्मेदारी से काम करने से व्यक्ति अच्छा इंसान बन जाता है।
RBSE Class 11 Hindi प्रज्ञा प्रवाह गद्य Chapter 4 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
तकनीकी परियोजनाओं में टीमवर्क का क्या योगदान रहता है? पठित पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर:
‘अग्नि की उड़ान’ आत्मकथा से संकलित अंश में डॉ. अब्दुल कलाम ने भारतीय मिसाइल प्रणाली से सम्बन्धित परियोजना को लक्ष्य कर बताया कि तकनीकी परियोजनाएँ एक व्यक्ति या एक संस्था के प्रयास से पूरी नहीं हो सकती, इसके लिए कुशल प्रबन्धन और परस्पर सहयोग की आवश्यकता होती है। किसी भी बड़ी परियोजना की सफलता में पूरी टीम के प्रयासों का हाथ होता है, सामूहिक बौद्धिक प्रतिभा का योगदान रहता है। भारत में मिसाइल के निर्माण-विकास की विशाल तकनीकी परियोजना में भी टीम वर्क का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है जिसे इन शीर्षकों से रेखांकित किया जा सकता है –
- मिशन के वातावरण का निर्माण-टीम-वर्क सामूहिक प्रतिभा से आगे बढ़ता है। इससे निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वातावरण बनता है और परियोजना को उत्तरोत्तर गति मिलती है।
- चुनौतियों की क्षमता-टीम-वर्क से उत्तेजना, ओजस्विता, उत्सुकता तथा जोखिमों का सामना करने की क्षमता आती है और संगठित रूप से चुनौतियों का सामना किया जाता है।
- समन्वयी दृष्टि का विकास-टीम-वर्क से अनेक कार्यकारी संस्थाओं में समन्वयी दृष्टि का विकास होता है। इस प्रकार टीम-वर्क का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है।
प्रश्न 2.
तकनीकी प्रबन्धन का वृक्ष कब फैलता है? पठित पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर:
‘अग्नि की उड़ान’ पाठ में तकनीकी प्रबन्धन की स्थितियों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. अब्दुल कलाम ने बतलाया है कि इसकी अवधारणा की जड़े विकासात्मक प्रबन्धन मॉडलों में निहित होती हैं। इसके लिए प्राइमले, रेशनल और अन्तनिर्भरता की स्थिति अपनायी जा सकती है। वस्तुतः तकनीकी प्रबन्धन एक वृक्ष की तरह तभी फैलता है, जब सकल रूप में जरूरतों, नवीनीकरण, अन्तर्निर्भरता और प्राकृतिक प्रवाह का अपने-आप विकास होता है। विकास की एक प्रक्रिया एवं लक्षण। तभी दिखाई देते हैं, जब उसमें अचानक रूपान्तरण और परिवर्तन का मिला-जुला रूप सामने आता है।
अच्छा प्रबन्धन वृक्ष की डालियों के समान ऊपर उठने या अनवरत विकसित होने की स्थिति में रहता है और वह उसके तात्त्विक आकार को सदा अपनी जगह पर सम्भाले रखता है। इसी सन्दर्भ में डॉ. कलाम बतलाते हैं कि पेड़ का एक तना आणविक ढाँचे की तरह होता है, जिसमें सभी क्रियाएँ रचनात्मक होती हैं, सभी नीतियाँ स्पष्ट दिखाई देती हैं और प्रबन्धन के सभी फैसले संकलनात्मक होते हैं। तकनीकी प्रबन्धन रूपी वृक्ष की शाखाएँ इसके तने के विकास के साथ निरन्तर पोषित होती रहती हैं।
रचनाकार का परिचय सम्बन्धी प्रश्न –
प्रश्न 1.
डॉ. अब्दुल कलाम का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर चार को देखिए।
अग्नि की उड़ान लेखक परिचय-
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म तमिलनाडु के एक छोटे-से द्वीप धनुषकोडी पर सन् 1931 में हुआ। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा रामेश्वरम् में तथा उच्च शिक्षा मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में हुई। रॉकेट इंजीनियर एवं तकनीकी विशेषज्ञ बनने पर ये उपग्रह प्रक्षेपण एवं मिसाइलों के स्वदेशी विकास के कार्यक्रमों से सम्बद्ध रहे। देश की रक्षा शोध एवं विकास कार्यक्रमों के मुखिया रूप में ये मिसाइल-मैन नाम से प्रसिद्ध हुए। सेवानिवृत्ति के बाद ये देश के राष्ट्रपति बने एवं भारतरत्न से सम्मानित हुए। ये प्रखर देशभक्त, आदर्श-नागरिक एवं कर्मठ व्यक्ति थे। इनका व्यक्तित्व हर दृष्टि से आदर्श रहा। इनका निधन सन् 2015 में हुआ।
पाठ-सार-
डॉ. अब्दुल कलाम ने ‘अग्नि की उड़ान’ शीर्षक से आत्मकथा लिखी, प्रस्तुत पाठ उसी से संकलित है। इसका सार इस प्रकार है टेक्नोलॉजी एक सामूहिक गतिविधि-टेक्नोलॉजी किसी एक व्यक्ति की बुद्धि पर आधारित नहीं होती है, इसके लिए कई व्यक्तियों की बौद्धिक प्रतिभा का सहयोग रहता है। भारत में अल्प समय में पाँच मिसाइल प्रणालियों का विकास हुआ, यह वैज्ञानिकों के संगठित टीम-वर्क का परिणाम था।
एस.एल.वी. परियोजना-इस परियोजना के आरम्भिक वर्षों में डॉ. कलाम ने टीमवर्क का परिचय दिया। इसमें कई वैज्ञानिकों के साथ कई संगठनों का भी सहयोग रहा। जब कोई काम टीम रूप में किया जाता है, तो उसमें टीम के प्रमुख की भूमिका सर्वोपरि रहती है, उसे ही सभी सदस्यों से समन्वय रखना पड़ता है।
तकनीकी प्रबन्धन की अवधारणा-डॉ. कलाम ने बताया कि तकनीकी प्रबन्धन की अवधारणा यद्यपि उस योजना से सम्बन्धित कर्मचारियों के समन्वय पर आधारित रहती है। प्राइमल और रेशनल मैनेजमेन्ट के द्वारा कर्मचारियों की दक्षता को मान्यता दी जाती है। भारतीय अन्तरिक्ष मिशन में इस अवधारणा को डॉ. भाभा, प्रो. साराभाई, डॉ. स्वामीनाथन, डॉ. वर्गीज कुरियन एवं डॉ. सतीश धवन ने पूर्णतया विकसित किया।
तकनीकी प्रबन्धन की सफलता-आई.जी.एम.डी.पी. के प्रारम्भिक दिनों में पर्याप्त तकनीकी प्रबन्धन नहीं था। इस योजना की प्राथमिकताएँ स्थापित करने और मिसाइलों को विकसित करने में चुनौतियाँ थीं। फिर भी भारतीय वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय अनुरोध को ध्यान में रखकर सामूहिकता के आधार पर सफलता प्राप्त की तथा लक्ष्यों को प्राप्त करने में आगे बढ़ते रहे।
राकेट विज्ञान को जीवन समर्पित-डॉ. कलाम ने बताया कि उन्होंने अपना सारा जीवन राकेट विज्ञान को समर्पित किया, उसके जटिल विज्ञान एवं तकनीकी प्रबन्धन पर अत्यधिक परिश्रम किया। इसी के परिणामस्वरूप ‘अग्नि’ का प्रक्षेपण कुशलता से कर सके।
आत्मचरित की प्रेरणा-डॉ. कलाम ने ‘अग्नि की उड़ान’ की कहानी अपनी कहानी बतायी। रामेश्वरम् की मस्जिद वाली गली, संयुक्त परिवार, शिक्षकों की प्रेरणा से जीवन को सफल बनाना, अविवाहित रहकर सामान्य-सा जीवन बिताना तथा धन-संचय की लालसा से मुक्त रहकर देश के लिए अपनी प्रतिभा का पल्लवन करना—यही उनके जीवन की कहानी रही। उनकी इस कहानी से लोग प्रेरणा लें और पुण्यभूमि भारत पर ईश्वर की कृपा बनी रहे।
कठिन शब्दार्थ-
प्रतिभा = जन्मजात बुद्धि। तथ्य = सत्य बात। अभिभावक = संरक्षक। माहौल = वातावरण। शीर्ष स्तर = सबसे ऊपर का। सांगठनिक = संगठनों से सम्बन्धित। विरोधाभासी = आपस में मेल-जोल से रहित, निराशाजनक। मापदण्ड = मूल्यांकन के सूत्र। आकलन = अच्छी तरह परीक्षण। पटल = आधारक्षेत्र। अनवरत = लगातार। अपरिहार्य = जिसे नहीं त्यागा जा सके। सत्तावाद = शासन-तंत्र पर एकाधिकार की विचारधारा/द्योतक बतलाने वाला। निवेश = जमा, एकत्रीकरण। सहकर्मी = साथी। आरेखी = खाका, डायग्राम। विलक्षण = अनोखे। नियामत = कृपा।
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