• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solutions for Class 11 History Chapter 5 प्रथम विश्व युद्ध

July 17, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 History Chapter 5 प्रथम विश्व युद्ध

RBSE Class 11 History Chapter 5 पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 History Chapter 5 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व नवोदित दो शक्तियों का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व नवोदित दो शक्तियाँ संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान थे।

प्रश्न 2.
मित्र राष्ट्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मित्र राष्ट्र इंग्लैण्ड, फ्रांस, रूस, सर्बिया, जापान, पुर्तगाल, इटली, संयुक्त राज्य अमेरिका, रुमानिया, यूनान, श्याम, साइबेरिया, क्यूबा, पनामा, ब्राजील, ग्वाटेमाला आदि थे।

प्रश्न 3.
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद नवसृजित राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद नवसृजित राज्य थे-चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया, लिथुआनिया, एस्टोनिया, फिनलैण्ड, पोलैण्ड आदि।

प्रश्न 4.
ट्रिपल एंतात में सम्मिलित देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
ट्रिपल एंतात में सम्मिलित होने वाले देश फ्रांस, रूस और इंग्लैण्ड थे।

प्रश्न 5.
शांति सम्मेलन में सम्मिलित प्रमुख व्यक्तियों के नाम लिखिये।
उत्तर:
पेरिस शांति सम्मेलन में सम्मिलित होने वाले प्रमुख व्यक्ति-अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन, इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री लायर्ड जार्ज, फ्रांस के प्रधानमंत्री क्लीमेन्शू तथा इटली के प्रधानमंत्री ओरलेण्डो थे।

प्रश्न 6.
शांति सम्मेलन में देशी राज्यों के प्रतिनिधि के रूप में भारत के किस राजा ने भाग लिया ?
उत्तर:
शांति सम्मेलन में देशी राज्यों के प्रतिनिधि के रूप में भारत के बीकानेर राज्य के महाराजा गंगा सिंह ने भाग लिया।

प्रश्न 7.
बोल्शेविक का अर्थ बताइये।
उत्तर:
बहुमत को रूसी भाषा में बोलशिन्स्वो कहते हैं। इसी से बोल्शेविक शब्द प्रचलित हुआ।

प्रश्न 8.
रासपुटिन कौन था?
उत्तर:
रासपुटिन एक साधु था जिसका रूसी प्रशासन में अत्यधिक हस्तक्षेप था।

प्रश्न 9.
लेनिन का पूरा नाम लिखिये।
उत्तर:
लेनिन का पूरा नाम ब्लादिमिर इलिच उलियानोफ था।

प्रश्न 10.
गैपों के बारे में क्रांतिकारियों की भरणा क्या थी?
उत्तर:
गैपों के बारे में क्रांतिकारियों का यह मानना था कि वह एक सरकारी जासूस था।

RBSE Class 11 History Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मोरक्को संकट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
फ्रांस व जर्मनी के मध्य प्रतिस्पर्धा होने के कारण दोनों के हित उत्तरी अफ्रीका में स्थित मोरक्को को लेकर टकराते थे। 1904 ई. में फ्रांस व ब्रिटेन के मध्य गुप्त संधि हो जाने से फ्रासं को मोरक्को में अपने उपनिवेश स्थापित करने का अवसर मिल गया। जर्मनी ने मोरक्को को फ्रांस के विरुद्ध भड़काया। इससे युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई। इसे ही मोरक्को संकट कहा जाता है।

प्रश्न 2.
रूस द्वारा बाल्कन में रुचि के क्या कारण थे?
उत्तर:
रूस द्वारा बाल्कन में रुचि के निम्नलिखित कारण थे –

  1. बाल्कन क्षेत्र के कई राज्य तुर्की के अधीन थे।
  2. तुर्की व ऑस्ट्रिया के क्षेत्रों में स्लाव रहते थे जो मूल रूप से रूसी जाति के थे। रूस तुर्क साम्राज्य को विभाजित कर वृहद स्लावे राज्य की स्थापना करना चाहता था।
  3. इन स्लावों ने रूस के समर्थन से एक राष्ट्रीय आन्दोलन शुरू किया। इस आन्दोलन का उद्देश्य स्लाव बहुल सर्बिया राज्य को स्वतंत्र कराना था।
  4. ऑस्ट्रिया ने इस आन्दोलन का विरोध किया।
  5. ऑस्ट्रिया ने स्लावे राज्यों बोस्निया तथा हर्जेगोविना को अपने अधिकार में ले लिया।
  6. इस प्रकार ऑस्ट्रिया तथा सर्बिया प्रतिद्वन्द्वी बन गये।
  7. रूस को सर्बिया की रक्षा हेतु बाल्कन की राजनीति में हस्तक्षेप करना पड़ा।

प्रश्न 3.
प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण लिखिये।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण ऑस्ट्रिया द्वारा सर्बिया पर आक्रमण करना था। सर्बिया के कुछ उग्रराष्ट्रवादियों ने 28 जून 1914 ई. को बोस्निया के प्रमुख शहर सेराजिवो में ऑस्ट्रिया के युवराज फर्डीनेण्ड और उनकी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी। प्रतिक्रिया स्वरूप ऑस्ट्रिया ने सर्बिया को कठोर दण्ड देने का निश्चय किया। इसके लिए ऑस्ट्रिया ने सर्बिया से उसकी कुछ शर्तों को मानने को कहा।

सर्बिया ने अधिकांश शर्तों को स्वीकार कर लिया परन्तु दो शर्ते जिसमें ऑस्ट्रिया के अधिकारियों द्वारा सर्बिया में जाँच पड़ताल में भाग लेने की माँग भी सम्मिलित थी, को मानने से मना कर दिया। इन शर्तों के संबंध में सर्बिया ने हेग के अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा जो भी निर्णय हो उसे स्वीकार करने की बात कही, परन्तु ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के उत्तर को अंसतोषजनक मानकर 28 जुलाई 1914 ई. को सर्बिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

प्रश्न 4.
वर्साय की संधि की प्रमुख शर्ते लिखिये।
उत्तर:
28 जून 1919 ई. में जर्मन और मित्र राष्ट्रों के मध्य वर्साय की संधि हुई। इस संधि की प्रमुख शर्ते इस प्रकार थीं –

  1. जर्मनी को उल्सास लारेन के प्रांत फ्रांस को देने पड़े।
  2. खनिज पदार्थों से सम्पन्न जर्मनी की ‘सार घाटी’ दोहन हेतु 15 वर्षों के लिए फ्रांस को दे दी गई।
  3. जर्मन अधिकृत श्लेसविग डेनमार्क को दे दिया गया।
  4. जर्मनी को डेन्जिंग का बंदरगाह राष्ट्रसंघ के संरक्षण में छोड़ना पड़ा।
  5. जर्मनी को समुद्रपार के अपने विस्तृत उपनिवेशों पर सारे अधिर मित्र राष्ट्रों को देने पड़े।

प्रश्न 5.
‘खूनी रविवार की घटना का रूस के इतिहास में महत्व बताये।
उत्तर:
22 जनवरी 1905 ई. को रविवार के दिन लगभग डेढ़ लाख मजदूरों ने पादरी ‘गैंपों’ के नेतृत्व में जार के सम्मुख अपनी राजनीतिक और औद्योगिक माँगों को मनवाने के लिए प्रदर्शन किया। ये शान्तिपूर्वक प्रदर्शन कर आगे बढ़। रहे थे किन्तु जार के सैनिकों ने निहत्थे लोगों पर आक्रमण कर 130 व्यक्तियों को मार दिया। 10/05 ई. की इस खूनी रविवार की घटना का रूसी इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। इस घटना के फलस्वरूप जार ने 30 अक्टूबर 1905 को शासन सुधारों की घोषणा की।

प्रश्न 6.
रूसीकरण की नीति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
रूस की प्रजा विभिन्न जातियों के सम्मिश्रण से बनी थी। रूस की जनः अहूदी, पोल, फिन, उजबेक, तातार, कजाक, आर्मीनियन, रूसी आदि का समावेश था। रूसी इनमें प्रभावशाली होने के कारण शासक बन गये थे। अल्पसंख्यक जातियों के साथ इनको कोई हमदर्दी नहीं थी। इनके विरुद्ध जार अलेक्जेण्डर प्रथम के काल से ही रूसीकरण की नीति अपनाई गई। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य किये गये –

  1. इसमें ‘एक जार एक धर्म’ का नारा दिया गया।
  2. गैर रूसी जनता का दमन किया गया।
  3. इनकी भाषाओं पर प्रतिबन्ध लगाये गये।
  4. इनकी सम्पत्ति छीन ली गई। इस कारण गैर रूसी जनता में असंतोष फैला और वह जारशाही के विरुद्ध हो गई।

प्रश्न 7.
बोल्शेविक क्रांति में लेनिन का योगदान लिखिए।
उत्तर:
लेनिन का जन्म रूस के सिम्बिस्क नगर में 22 अप्रैल 1870 ई. में हुआ था। 8 मई 1887 ई. में जब जार अलेक्जेण्डर तृतीय की हत्या के जुर्म में लेनिन के भाई को फाँसी की सजा दी गई तब लेनिन ने जारशाही को समूल नष्ट करने का संकल्प लिया। 1903 ई. में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी का विभाजन हुआ तथा लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक दल का निर्माण हुआ। लेनिन ने पार्टी के संगठनात्मक ढाँचे, उसके अधिवेशनों, कार्यक्रमों आदि के द्वारा निरन्तर पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत बनाई। लेनिन के कुशल नेतृत्व व मजबूत संगठन के बल पर बोल्शेविक दल 25 अक्टूबर (7 नवम्बर) 1917 ई. को रूस की सत्ता हस्तगत करने में सफल हुआ।

प्रश्न 8.
जारशाही का अंत किस क्रांति के द्वारा हुआ?
उत्तर:
फरवरी 1917 ई. में मास्को के कुलीन वर्ग के एक सम्मेलन में शासन में सुधार की माँग की गई तथा पार्लियामेन्ट का अधिवेशन बुलाने का प्रस्ताव रखा गया, परन्तु सम्राट और उसके सहायकों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। 8 मार्च 1917 ई. को पेट्रोग्राड के कारखाने में मजदूरों ने हड़ताल की। मजदूरों और सैनिकों ने मिलकर क्रांतिकारी सोवियत परिषद का गठन किया एवं शासन के वास्तविक अधिकार अपने हाथ में ले लिए। 14 मार्च 1917 ई. को क्रांतिकारी परिषद और ड्यूमा के सदस्यों की एक समिति ने एक अस्थाई सरकार का गठन किया। इस प्रकार 1917 ई. की रूसी क्रांति द्वारा जारशाही का अंत हो गया।

प्रश्न 9.
स्टालिन ने किस प्रकार से रूस की सत्ता प्राप्त की उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1924 ई. में लेनिन की मृत्यु के पश्चात् सरकार का शीर्षस्थ पद प्राप्त करने हेतु ट्रॉटस्की और स्टालिन के मध्य सत्ता संघर्ष हुआ जिसमें स्टालिन को सफलता मिली। स्टालिन बोल्शेविक दल का महासचिव था तथा सरकार बनने पर उसे राष्ट्रिक जातियों का मंत्री भी बनाया गया। वह समाजवाद को रूस में केन्द्रित करने के पक्ष में था। उसके लम्बे शासन काल में सोवियत संघ ने बहुत प्रगति की तथा द्वितीय महायुद्ध में विजयी होकर महाशक्ति बनकर उभरा।

प्रश्न 10.
पैट्रोग्राड की मजदूर हड़ताल का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
8 मार्च 1917 ई. को पैट्रोग्राड के कपड़े के कारखाने में भर पेट भोजन न मिल पाने को लेकर स्त्री मजदूरों ने हड़ताल कर दी। अगले दिन पुरुष भी इसमें शामिल हो गये। 10 मार्च को पैट्रोग्राड के सभी कारखानों में काम बन्द रहा। उपद्रवकारियों का दमन करने के लिए भेजे गए सैनिकों ने भी आन्दोलनकारियों का साथ दिया। तीन दिन तक यह संघर्ष चलता रहा। फलस्वरूः मजदूरों और सैनिकों ने मिलकर क्रांतिकारी सोवियत (परिषद) का गठन किया व शासन के वास्तविक अधिकार अपने हाथ में ले लिए।

RBSE Class 11 History Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध मानव इतिहास का अब तक लड़ा जाने वाला सबसे विनाशकारी युद्ध था। यह युद्ध 1914 ई. से प्रारंभ होकर चार वर्ष तीन माह और 11 दिन तक चला। इस महायुद्ध के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे –

1. उग्र राष्ट्रीयता:
फ्रांस, जर्मनी आदि देशों की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं ने राष्ट्रीयता की भावना को उग्र रूप दिया। प्रत्येक राष्ट्र अपने विस्तार, सम्मान तथा गौरव की वृद्धि के लिए दूसरे देशों को नष्ट करने की भावना रखने लगा जिसके फलस्वरूप युद्ध की स्थिति बनी।

2. इंग्लैण्ड व जर्मनी के बीच साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा:
जर्मनी की इंग्लैण्ड के बराबर उपनिवेश पाने की इच्छा, उसके द्वारा युद्धपोत इम्परेटर तथा कील नहर के निर्माण ने जर्मनी व इंग्लैण्ड को एक दूसरे का प्रतिद्वन्द्वी बना दिया।

3. जर्मनी व फ्रांस के बीच प्रतिस्पर्धा:
उत्तरी अफ्रीका में मोरक्को को लेकर जर्मनी व फ्रांस में प्रतिस्पर्धा बढ़ी। 1904 ई. में फ्रांस ने ब्रिटेन के साथ गुप्त संधि कर मोरक्को में हस्तक्षेप आरंभ कर दिया। जर्मनी ने प्रतिक्रिया- स्वरूप मोरक्को को फ्रांस के विरुद्ध भड़काया। इस स्थिति से निपटने के लिए फ्रांस को मध्य अफ्रीका स्थित अपने एक उपनिवेश कांगो को जर्मनी को देना पड़ा।

4. गुटों का निर्माण:
संघर्ष व टकराव की स्थिति में कई गुटों का निर्माण हुआ। 1882 ई. में जर्मनी, ऑस्ट्रिया व इटली ने त्रिगुट की स्थापना की। 1907 में इंग्लैण्ड, रूस व फ्रांस ने त्रिदेशीय संधि की। इन देशों में हथियारों व अस्त्र-शस्त्रों की होड़ लग गई जिसका परिणाम प्रथम महायुद्ध था।

5. सर्वस्लाव आन्दोलन तथा बाल्कन राजनीति:
बाल्कन क्षेत्र के कई राज्य तुर्की के अधीन थे। तुर्की व ऑस्ट्रिया के क्षेत्रों में स्लाव रहते थे जो मूल रूप से रूसी जाति के थे। इन स्लावों ने रूस के समर्थन से स्लाव बहुल राज्य सर्बिया को स्वतंत्र कराने के लिए आन्दोलन प्रारंभ कर दिया। ऑस्ट्रिया ने इसका विरोध किया तथा स्लाव राज्यों बोस्निया तथा हर्जेगोविना पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार ऑस्ट्रिया व रूस एक दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी बन गये।

6. कूटनीतिक संधियाँ:
बिस्मार्क ने फ्रांस को पराजित करने के बाद जर्मनी की सुरक्षा के लिए ऑस्ट्रिया तथा इटली से गुप्त संधियों द्वारा त्रिगुट का निर्माण किया। फ्रांस ने भी अपनी सुरक्षा के लिए रूस और इंग्लैण्ड से मैत्री कर ‘ट्रिपल एंतात’ का गठन किया। निरंतर असुरक्षा और भय ने अफवाहों और युद्ध की स्थिति को बढ़ावा दिया।

7. व्यापारिक तथा औपनिवेशिक प्रतिस्पर्धा:
उपनिवेश स्थापित करने तथा अपने राष्ट्रों की उत्पादित वस्तुओं की खपत के लिए उपनिवेशों में व्यापार के प्रसार हेतु यूरोपीय राष्ट्रों में आपसी होड़ प्रथम विश्वयुद्ध का प्रमुख कारण थी।

8. समाचार पत्रों की भूमिका:
इस समय में सभी देशों के समाचार पत्रों ने उग्र राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर बहुत-सी घटनाओं को इस प्रकार से प्रस्तुत किया जिससे जनता में उत्तेजना बढ़ी और शांतिपूर्ण ढंग से समझौता करना कठिन हो गया।

9. अन्तर्राष्ट्रीय अराजकता:
रूस-जापान युद्ध (1904-05), फ्रांस व जर्मनी के मध्य बढ़ते विरोध, 1908-09 ई. में ऑस्ट्रिया द्वारा बोस्निया-हर्जेगोविना को अपने साम्राज्य में मिलाने तथा बाल्कन युद्धों आदि घटनाओं ने अन्तर्राष्ट्रीय अराजकता को बढ़ावा दिया। इससे सैन्यवाद और शस्त्रीकरण की दौड़ और तेज हो गई।

10. तात्कालिक कारण:
प्रथम विश्वयुद्ध प्रारंभ होने का तात्कालिक कारण ऑस्ट्रिया द्वारा 28 जुलाई 1914 ई. को सर्बिया पर आक्रमण करना था। इसके साथ ही यूरोप की सभी बड़ी शक्तियों के मध्य युद्ध प्रारंभ हो गया।

प्रश्न 2.
बोल्शेविक क्रांति के परिणामों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
बोल्शेविक क्रांति के परिणामस्वरूप बोल्शेविक दल नये पंचाग के अनुसार 7 नवम्बर 1917 ई. को लेनिन के सुयोग्य नेतृत्व और मजबूत संगठन के बल पर सत्ता हस्तगत करने में सफल हुआ। इस क्रांति के अत्यन्त दूरगामी परिणाम हुए जो निम्नलिखित हैं –

1. राजनीतिक परिणाम:

  • बोल्शेविक दल की सफलता ने केरेन्सकी सरकार का तख्ता पलट कर दिया।
  • बोल्शेविक ने प्रथम साम्यवादी सरकार की स्थापना कर मार्क्सवाद की साम्यवादी संकल्पना को साकार कर दिया।
  • बोल्शेविक सरकार ने अपनी नीति के अनुसार बिना मित्र राज्यों से परामर्श किये जर्मनी से मार्च 1918 ई. में ब्रेस्ट लिटोवस्क की संधि करके रूस को प्रथम विश्वयुद्ध से पृथक कर दिया।
  • रूस व जर्मनी के मध्य हुई संधि से मित्र राष्ट्र नाराज हो गए। उन्होंने बोल्शेविक सरकार के विरुद्ध रूस से उभरे असंतोष को सैनिक सहायता देकर वहाँ गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न कर दी।
  • साम्यवादी विचारधारा के प्रसार हेतु मार्च 1919 में मास्को में तृतीय (प्रथम कम्युनिस्ट) इण्टरनेशनल या ‘कोमिन्टर्न’ की स्थापना की गई।
  • रूस में कम्युनिस्ट पार्टी को एकमात्र वैधानिक दल घोषित कर दिया गया। इससे असंतुष्ट लोगों का दमन कर दिया जाता था।
  • बोल्शेविकों ने ‘लाल आतंक’ और विरोधी सेनापतियों ने ‘श्वेत आतंक’ द्वारा रूसवासियों को आक्रान्त किया।
  • क्रांति के परिणामस्वरूप रूसे एक महाशक्ति के रूप में उभरा।
  • एशिया और अफ्रीका के पराधीन राज्यों ने रूस की क्रांति से प्रेरणा ग्रहण की।
  • बोल्शेविक क्रांति ने रूस में एक सैद्धान्तिक सर्वसत्तावादी राज्य स्थापित किया।
  • बोल्शेविक क्रांति के बाद विश्व पूँजीवादी व साम्यवादी दो खेमों में बंट गया।

2. सामाजिक परिणाम:

  • बोल्शेविक क्रांति ने कुलीन वर्ग व सर्वहारा वर्ग के मध्य भेद को मिटा दिया।
  • रूसी क्रांति ने लिंग आधारित परम्परागत भेदभाव को भी नष्ट कर दिया। महिलाओं को पुरुषों के समान मताधिकार एवं शिक्षा के अधिकार के साथ आजीविका कमाने का अधिकार दिया गया।
  • पाठ्यक्रम, पाठ्य पुस्तक और अध्यापन सभी स्तरों पर शिक्षा का बोल्शेविकीकरण हो गया।
  • साम्यवादियों ने धर्म के प्रभाव को रोकने के लिए 1925 ई. में एक नास्तिक संघ का गठन किया। चर्च को शोषण और जारशाही को औजार मानने के कारण उसका प्रभुत्व तोड़ा गया तथा उसे राज्य से पूर्णतः पृथक कर दिया गया।

3. आर्थिक परिणाम:

  • रूसी क्रांति के फलस्वरूप जागीरदारों से भूमि का अधिग्रहण कर सरकार ने पुनर्वितरण किया, उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया, निजी व्यापार को सीमित कर उत्पादन-श्रम को अधिक महत्व दिया।
  • क्रांति के पश्चात् रूसी सरकार ने बड़े-बड़े आधारभूत उद्योगों की स्थापना की तथा श्रमिकों की कार्यदशा एवं क्षमता में भी सुधार हुआ।
  • प्रारंभिक वर्षों में गृहयुद्ध की स्थिति झेलने वाली बोल्शेविक सरकार ने कालान्तर में मजदूर वर्ग की आय एवं कार्यदशा में सुधार किया तथा शिक्षा, स्वास्थ्य का प्रबन्ध व्यवस्थित किया, जिससे जीवन स्तर में काफी उन्नति हुई।

प्रश्न 3.
1917 ई. की रूसी क्रांति के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1904-05 ई. की जापान द्वारा रूस की पराजय ने रूस की श्रेष्ठता को छिन्न-भिन्न कर दिया। दूसरी ओर रूस की जनता के विभिन्न वर्गों में विभिन्न कारणों से असंतोष की भावना बढ़ती जा रही थी। शासन की स्वेच्छाचारी एवं निरंकुश नीतियाँ इस असंतोष व अव्यवस्था की जनक थीं। इस असंतोष एवं निरंकुशता का परिणाम 1917 ई. की रूसी क्रांति के रूप में परिलक्षित हुआ। इस क्रांति के अन्य प्रमुख कारण निम्नलिखित थे –

1. जारशाही की निरंकुशता:
उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य तक रूस के नागरिकों के पास कोई अधिकार नहीं थे। शासन का विरोध करने वालों को कठोर दण्ड मिलता था। ऐसी दमनकारी व्यवस्था के कारण जार का निरंकुश शासन असहनीय हो गया था और जनता शासन में सुधारों की माँग करने लगी थी।

2. 1905 ई. की क्रांति तथा ड्यूमा के प्रभाव को कुचलने का प्रयास:
1905 ई. की क्रांति द्वारा नागरिकों को जो अधिकार प्राप्त हुए थे, उनको लागू करने के लिए ड्यूमा का अधिवेशन सफल नहीं हो सका। जार ने ड्यूमा का विघटन कर दिया। इससे जनता में जार के प्रति अविश्वास बढ़ने लगा।

3. कृषकों की दयनीय स्थिति:
रूस में एक तिहाई कृषकों को भूमिहीन होने के कारण जमींदारों की भूमि पर काम करना पड़ता था एवं कई करों का भुगतान भी करना पड़ता था जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। जब वे भूमिकर में कमी की माँग करने लगे तो उनकी अवहेलना की गयी, जिससे वे अधिक उग्र हो गये।

4. श्रमिकों का असंतोष:
औद्योगीकरण के फलस्वरूप भूमिहीन कृषक रोजगार के लिए औद्योगिक केन्द्रों में पहुँचे तो उद्योगपतियों ने उनका शोषण किया। शासन की नीति भी मूलत: उद्योगपतियों के हितों की रक्षा करती थी। परिणामस्वरूप श्रमिकों ने सेन्ट पीटर्सबर्ग में अपनी अलग सरकार बना ली और शासन के विरुद्ध हो गये।

5. आर्थिक व सामाजिक विषमता:
रूस का समाज कुलीन, मध्यम और सर्वहारा वर्ग की तीन श्रेणियों में विभाजित था। सर्वहारा वर्ग अधिकारहीन था, जिसमें किसान व मजदूर सम्मिलित थे। सर्वहारा वर्ग को शासन के साथ कुलीन वर्ग के अत्याचारों को भी सहना पड़ता था। इस प्रकार यह वर्ग रूसी क्रांति का एक महत्वपूर्ण कारण बना।

6. जार की रूसीकरण की नीति:
रूस की प्रजा जातियों के सम्मिश्रण से बनी थी। जार ने रूसी जातियों के अतिरिक्त अन्य अल्पसंख्यक जातियों के साथ रूसीकरण की नीति अपनाई और ‘एक जार एक धर्म’ का नारा अपनाया। गैर रूसी जनता का दमन किया गया, उनकी भाषाओं पर प्रतिबन्ध लगाए गए। इस कारण गैर रूसी जनता जार के विरुद्ध . हो गई।

7. बौद्धिक क्रांति:
रूस के टॉलस्टाय, तुर्गनेव, दोस्तोवस्की आदि उपन्यासकारों की कृतियों ने रूसी जीवन की विफलताओं की ओर जनता का ध्यान आकर्षित किया। साथ ही कार्ल मार्क्स, मैक्सिम गोर्की और बाकुनिन के समाजवादी विचारों का प्रभाव भी देश के श्रमिकों और बुद्धिजीवियों पर पड़ा तथा वे राजनैतिक अधिकारों की माँग करने लगे।

8. रूस में समाजवाद का प्रसार:
1860 ई. के पश्चात् रूस में समाजवाद का प्रसार हुआ। समाजवादी चाहते थे कि रूस के कृषकों को भूमि का स्वामी बनाया जाए और ग्राम सभाओं के माध्यम से भूमि का वितरण किया जाए। यह व्यवस्था कृषकों की पक्षधर थी। अत: जनता का झुकाव इस व्यवस्था की ओर होने लगा। जार ने समाजवादी विचारों पर रोक लगाने का प्रयत्न किया परन्तु उसे सफलता नहीं मिली।

9. जार निकोलस द्वितीय का भ्रष्ट शासन:
रूस का जार निकोलस द्वितीय बहुत ही अयोग्य शासक था जिसमें घटनाओं के महत्व और व्यक्तियों के चरित्र को समझने की शक्ति नहीं थी। उसकी अयोग्यता का लाभ उठाकर रासपुटिन नामक साधु ने प्रशासन में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। फलस्वरूप राज दरबार में रासपुटिन के विरोध में एक दल बना जिसने दिसम्बर, 1916 ई. में उसकी हत्या कर दी।

10. प्रथम विश्व युद्ध में रूस का प्रवेश:
अगस्त 1914 ई. में रूस ने प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों की ओर से भाग लिया। प्रारंभ में उसे कुछ सफलता मिली परन्तु कुछ समय बाद रूस की सेनाएँ पराजित होने लर्गी। युद्ध में प्रवेश लेने से रूस आर्थिक संकट में घिर गया। इस अवस्था के लिए जनता जार की अव्यवस्था और कुप्रबन्ध को उत्तरदायी मानने लगी।

प्रश्न 4.
प्रथम विश्व युद्ध के राजनैतिक परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 ई. में प्रारंभ होकर 11 नवंम्बर 1918 ई. तक चला। यह एक विनाशकारी महायुद्ध था जिसके अनेक दूरगामी परिणाम हुए। इस युद्ध के राजनीतिक परिणाम निम्नलिखित थे –

1. निरंकुश राजतत्रों की समाप्ति:
इस विश्वयुद्ध ने जर्मनी, रूस, ऑस्ट्रिया तथा तुर्की के निरंकुश राजतंत्रों को समाप्त कर दिया। साथ ही उन पर आश्रित सामंती प्रथा भी समाप्त हो गई।

2. जनतंत्र का विकास:
प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् हंगरी, पोलैण्ड, चेकोस्लोवाकिया, लिथुआनिया, एस्टोनिया, लेटविया आदि में जनतंत्रात्मक शासन की स्थापना हुई। तुर्की के शासक मुस्तफा कमाल पाशा ने गणतंत्रात्मक सरकार की स्थापना की।

3. नवीन राज्यों का उदय:
पेरिस शांति संधियों द्वारा चेकोस्लोवाकिया, यूगोस्लाविया, लिथुआनिया, एस्टोनिया, फिनलैण्ड, पोलैण्ड आदि नये राज्यों को उदय हुआ।

4. नवीन विचारधाराओं का उदय:
उन्नीसवीं सदी के अंत तक यूरोप के अनेक देशों में समाजवाद का प्रसार हो चुका था। 1917 ई. में रूस में बोल्शेविक क्रांति से साम्यवाद का प्रभाव बढ़ा। इटली में फासीवाद, जर्मनी में नाजीवाद और जापान में सैन्यवाद का उदय हुआ।

5. संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभाव में वृद्धि:
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् अमेरिका यूरोपीय राष्ट्रों का मुखिया बन गया तथा सम्पूर्ण यूरोप के व्यापार-वाणिज्य पर इसका नियंत्रण हो गया।

6. शस्त्रीकरण की होड़:
वर्साय की संधि के अन्तर्गत नि:शस्त्रीकरण योजना थी जिसका प्रयोग धुरी राष्ट्रों सहित जर्मनी को शक्तिहीन करने के लिए हुआ था। कालान्तर में इसके स्थान पर शस्त्रीकरण की भावना प्रबल हुई एवं आधुनिक अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण होने लगा।

प्रश्न 5.
बोल्शेविक दल के उत्कर्ष में लेनिन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विश्व में प्रथम साम्यवादी सरकार की स्थापना करने का श्रेय लेनिन को है। लेनिन का जन्म रूस की वोल्गा नदी के समीप सिम्बिस्क नगर में 22 अप्रैल 1870 ई. को हुआ था। 8 मई 1887 ई. को जार अलेक्जेण्डर तृतीय की हत्या के जुर्म में लेनिन के भाई को फाँसी दी गई। इस घटना से क्षुब्ध होकर लेनिन ने जारशाही को समूल नष्ट करने का संकल्प लिया। इसके लिए उसने निम्नलिखित कार्य किये –

  1. 1903 ई. में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के विभाजन के फलस्वरूप लेनिन ने बोल्शेविक दल का निर्माण किया।
  2. लेनिन ने पार्टी के संगठनात्मक ढाँचे उसके अधिवेशनों, कार्यक्रमों आदि के द्वारा पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत बनाई तथा विरोधियों को सफाया किया।
  3. 1900-17 ई. के बीच के अधिकांश समय लेनिन विदेशों में रहा। इस बीच लेनिन ने अपने विदेश प्रवास द्वारा यूरोपीय देशों में बोल्शेविकों को एक नेटवर्क विकसित किया।
  4. 23 अक्टूबर 1917 ई. को लेनिन के नेतृत्व में सशस्त्र क्रांति द्वारा बोल्शेविक दल ने सत्ता हस्तगत रने का निर्णय लिया और योजना कार्यान्वित करने के लिए पोलित ब्यूरो की नियुक्ति की।
  5. पेट्रोग्राद सोवियत के प्रधान ट्रॉटस्की ने सोवियत की सैनिक क्रांतिकारी समिति नियुक्त कर दी। इसके बावजूद 7 नवम्बर 1917 ई. को लेनिन के सुयोग्य नेतृत्व और मजबूत संगठन के बल पर बोल्शेविक दल सत्ता प्राप्त करने में सफल हुआ।
  6. 8 नवम्बर को लेनिन की अध्यक्षता में नई सरकार का प्रथम मंत्रिमण्डल (काउन्सिल ऑफ पीपुल्स काम्मिसार) का गठन हुआ।

RBSE Class 11 History Chapter 5 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 History Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
“मैं विश्व युद्ध को नहीं देखूगा परन्तु तुम देखोगे और उसका प्रारंभ पूर्व से होगा।” यह कथन किसका है?
(क) रासपुटिन
(ख) बिस्मार्क
(ग) स्टालिन
(घ) लेनिन
उत्तर:
(ख) बिस्मार्क

प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध कितने वर्ष तक चला?
(क) 9
(ख) 5
(ग) 4
(घ) 3
उत्तर:
(ग) 4

प्रश्न 3.
प्रथम विश्व युद्ध में कितने राष्ट्रों ने भाग लिया ?
(क) 50
(ख) 20
(ग) 30
(घ) 40
उत्तर:
(ग) 30

प्रश्न 4.
सेन्ट जर्मन की संधि किन-किन देशों के मध्य हुई?
(क) आस्ट्रिया-मित्र राष्ट्र
(ख) फ्रांस-जर्मनी
(ग) तुर्की-इंग्लैण्ड
(घ) रूस-अमेरिका
उत्तर:
(क) आस्ट्रिया-मित्र राष्ट्र

प्रश्न 5.
प्रथम विश्व युद्ध कब समाप्त हुआ?
(क) 28 जुलाई 1918
(ख) 11 नवम्बर 1918
(ग) 3 नवम्बर 1919
(घ) 7 नवम्बर 1917
उत्तर:
(ख) 11 नवम्बर 1918

प्रश्न 6.
विश्व के कितने स्थल भू-भाग पर रूस का विस्तार है ?
(क) \(\frac { 1 }{ 2 }\)
(ख) \(\frac { 1 }{ 6 }\)
(ग) \(\frac { 2 }{ 4 }\)
(घ) \(\frac { 1 }{ 3 }\)
उत्तर:
(ख) \(\frac { 1 }{ 6 }\)

प्रश्न 7.
1905 ई. में कृषक प्रतिनिधियों का सम्मेलन जिसमें रूसी कृषक संघ बनाने का निर्णय लिया गया, किस स्थान पर हुआ?
(क) सेण्ट पीटर्सवर्ग
(ख) लेनिनग्राद
(ग) पैट्रोग्राड
(घ) मास्को में
उत्तर:
(घ) मास्को में

प्रश्न 8.
बोल्शेविक सरकार में ट्रॉटस्की को कौन-सा पद प्राप्त हुआ?
(क) विदेशमंत्री
(ख) गृहमंत्री
(ग) राष्ट्रिक जातियों का मंत्री
(घ) प्रधानमंत्री
उत्तर:
(क) विदेशमंत्री

प्रश्न 9.
चेका संगठन का अध्यक्ष कौन था?
(क) फेलिक्स केरजिंस्की
(ख) स्टालिन
(ग) केरेन्सकी
(घ) राइकाव
उत्तर:
(क) फेलिक्स केरजिंस्की

प्रश्न 10.
स्टालिन् का जन्म कब हुआ?
(क) 89 ई.
(ख) 1790 ई.
(ग) 1879 ई.
(घ) 1890 ई.
उत्तर:
(ग) 1879 ई.

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

मिलान कीजिए –
RBSE Solutions for Class 11 History Chapter 5 प्रथम विश्व युद्ध image 1
उत्तर:
1. (ज), 2. (च), 3. (छ), 4. (झ), 5. (क), 6. (ख), 7. (ग), 8. (अ), 9. (घ), 10. (ङ)।

RBSE Class 11 History Chapter 5 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षेत्रफल की दृष्टि से यूरोप का सबसे बड़ा राज्य कौन-सा था?
उत्तर:
क्षेत्रफल की दृष्टि से रूस यूरोप का सबसे बड़ा राज्य था।

प्रश्न 2.
1871 ई. के युद्ध में पराजय के कारण फ्रांस को कौन-से क्षेत्र जर्मनी को देने पड़े?
उत्तर:
1871 ई. के युद्ध में पराजय के कारण फ्रांस को अपने दो उपजाऊ और औद्योगिक क्षेत्र आल्सेस व लारेन जर्मनी को देने पड़े।

प्रश्न 3.
1882 ई. में किन देशों ने त्रिगुट का निर्माण किया?
उत्तर:
1882 ई. में जर्मनी, ऑस्ट्रिया व इटली ने त्रिगुट की निर्माण किया।

प्रश्न 4.
गुप्त संधियों की प्रणाली का जनक कौन था?
उत्तर:
गुप्त संधियों की प्रणाली का जनक बिस्मार्क था।

प्रश्न 5.
बाल्कन क्षेत्र में बुल्गेरिया सबसे अधिक असंतुष्ट राज्य क्यों था?
उत्तर:
बाल्कन क्षेत्र में बुल्गेरिया सबसे अधिक असंतुष्ट राज्य था क्योंकि सर्बिया, यूनान आदि राज्यों ने उससे बहुत-बड़ा भू-भाग छीन लिया था।

प्रश्न 6.
सर्बिया की प्रमुख गुप्त क्रांतिकारी संस्थाएँ कौन-कौन सी थीं?
उत्तर:
सर्बिया की प्रमुख गुप्त क्रांतिकारी संस्थाएँ थीं – काला हाथ तथा संगठन या मृत्यु।

प्रश्न 7.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने रूस पर कब आक्रमण किया?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने रूस पर 1 अगस्त 1914 ई. को आक्रमण किया।

प्रश्न 8.
प्रथम विश्व युद्ध में सम्मिलित धुरी राष्ट्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध में सम्मिलित धुरी राष्ट्र थे – जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, बुल्गेरिया और तुर्की।

प्रश्न 9.
किस घटना के पश्चात् अमेरिका ने प्रथम विश्व युद्ध में प्रवेश किया?
उत्तर:
6 अप्रैल 1917 ई. को जर्मनी द्वारा अमेरिका का जहाज डुबो देने की घटना के पश्चात् अमेरिका ने प्रथम विश्वयुद्ध में प्रवेश किया।

प्रश्न 10.
पेरिस शांति सम्मेलन में कितने देशों को आमंत्रित किया गया?
उत्तर:
पेरिस शांति सम्मेलन में 32 देशों को आमंत्रित किया गया।

प्रश्न 11.
प्रथम विश्व युद्ध के समय अमेरिका के राष्ट्रपति कौन थे?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के समय अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन थे।

प्रश्न 12.
पेरिस शांति सम्मेलन में किन चार बड़े राष्ट्रों की परिषद का निर्माण किया गया?
उत्तर:
पेरिस शांति सम्मेलन में अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस व इटली राष्ट्रों की परिषद का निर्माण किया गया।

प्रश्न 13.
सेब्रे की संधि किन देशों के मध्य हुई?
उत्तर:
सेब्रे की संधि तुर्की एवं मित्र राष्ट्रों के मध्य हुई।

प्रश्न 14.
अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रथम विश्व युद्ध का सबसे बड़ा योगदान क्या था?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रथम विश्व युद्ध का सबसे बड़ा योगदान ‘राष्ट्रसंघ की स्थापना’ था।

प्रश्न 15.
रूस का समाज किन तीन श्रेणियों में बँटा हुआ था?
उत्तर:
रूस का समाज कुलीन, मध्यम और सर्वहारा श्रेणियों में बँटा हुआ था।

प्रश्न 16.
किसका कहना था कि-“जार दुनिया में किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं है।”
उत्तर:
पीटर महान का कहना था कि जार दुनिया में किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं है।

प्रश्न 17.
मार्च 1917 की रूसी क्रांति का आरंभ किस घटना के साथ हुआ?
उत्तर:
मार्च 1917 ई. की रूसी क्रांति का आरंभ पेट्रोग्राड की मजदूर हड़ताल के साथ हुआ।

प्रश्न 18.
‘दास कैपिटल’ किसकी रचना है?
उत्तर:
‘दास कैपिटल’ कार्ल मार्क्स की रचना है।

प्रश्न 19.
रूस में सोशल डेमोक्रेटिक दल की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
रूस में सोशल डेमोक्रेटिक दल की स्थापना 1898 ई. में हुई।

प्रश्न 20.
सोशल डेमोक्रेटिक दल का विभाजन कब हुआ ? विभाजन के परिणामस्वरूप इसके दो दल कौन-से बने ?
उत्तर:
1903 ई. में सोशल डेमोक्रेटिक दल का विभाजन बोल्शेविक और मेन्शेविक दल के रूप में हुआ।

प्रश्न 21.
‘चेका’ को किसने संगठित किया?
उत्तर:
‘चेका’ को लेनिन ने संगठित किया।

प्रश्न 22.
लेनिन की मृत्यु कब हुई?
उत्तर:
लेनिन की मृत्यु 1924 ई. में हुई।

प्रश्न 23.
स्टालिन का पूरा नाम क्या था?
उत्तर:
स्टालिन का पूरा नाम जोसेफ विसरियोनोविच जुगविली था।

प्रश्न 24.
स्टालिन ने किसके सहयोग से ट्रॉटस्की को पराजित कर सर्वोच्च सत्ता अर्जित की?
उत्तर:
स्टालिन ने कमेनेव और जिनोवेव के सहयोग से ट्रॉटस्की को पराजित कर सर्वोच्च सत्ता अर्जित की।

RBSE Class 11 History Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रथम विश्वयुद्ध से पूर्व एशिया व अफ्रीका महाद्वीप में यूरोप के किन देशों के उपनिवेश स्थापित थे?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व एशिया व अफ्रीका महाद्वीप में यूरोप के निम्न देशों ने अपने उपनिवेश स्थापित किये –

  1. एशिया में भारत, लंका, वर्मा एवं मलोया में इंग्लैण्ड के उपनिवेश स्थापित थे तथा फारस, अफगानिस्तान, तिब्बत, नेपाल एवं मध्य पूर्व इंग्लैण्ड के प्रभाव क्षेत्र में थे।
  2. हिन्द, चीन तथा इण्डोनेशिया, फ्रांस के अधीन थे।
  3. अफ्रीका में इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, पुर्तगाल, स्पेन आदि देशों के उपनिवेश स्थापित थे।

प्रश्न 2.
सर्वस्लाव आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
यूरोप में बाल्कन क्षेत्र के कई राज्य आटोमन साम्राज्य के शासक के अधीन थे। 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में जब आटोमन साम्राज्य शक्तिहीन होने लगा तब ऑस्ट्रिया एवं रूस के स्लावों ने रूस के समर्थन से एक राष्ट्रीय आन्दोलन प्रारंभ किया इसे सर्वस्लाव आन्दोलन कहते हैं। इस आन्दोलन का उद्देश्य स्लाव बहुल सर्बिया राज्य को स्वतंत्र कराना था। इस आन्दोलन का ऑस्ट्रिया ने विरोध किया। जिससे रूस व ऑस्ट्रिया के मध्य प्रतिस्पर्धा उत्पन्न हो गयी जो प्रथम विश्व युद्ध का कारण बनी।

प्रश्न 3.
औपनिवेशिक प्रतिस्पर्धा ने किस प्रकार प्रथम विश्व युद्ध को निमंत्रण दिया?
उत्तर:
19वीं शताब्दी में तेजी से बढ़ते औद्योगिक विकास से यूरोपीय देशों को कच्चे माल की आपूर्ति तथा उत्पादित माल को बेचने के लिए नवीन बाजारों की आवश्यकता हुई। बढ़ती जनसंख्या तथा सैनिक आवश्यकताओं आदि ने भी उपनिवेशों की स्थापना के लिए इन देशों को प्रेरित किया। इस प्रतिस्पर्धा में सबसे अधिक क्षेत्र इंग्लैण्ड और फ्रांस को प्राप्त हुए।

1890 ई. के बाद जर्मनी ने भी उपनिवेश प्राप्ति के प्रयास आंरभ किये। रूस तथा ऑस्ट्रिया ने बाल्कन प्रदेश में अपना प्रभाव बढ़ाना आरंभ कर दिया। इटली भी इस प्रतिस्पर्धा में सम्मिलित हो गया। इस औपनिवेशिक प्रतिस्पर्धा ने राष्ट्रों के मध्य घृणा व अविश्वास को जन्म दिया। फलस्वरूप ये राष्ट्र प्रथम विश्व युद्ध के रूप में आमने-सामने आ गए।

प्रश्न 4.
शांति सम्मेलन कब हुआ? इसमें पराजित राष्ट्रों की मित्र राष्ट्रों के साथ हुई संधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर स्थायी शांति की स्थापना हेतु 1919 ई. में पेरिस में एक शांति सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में पराजित राष्ट्रों के साथ मित्र राष्ट्रों की अनेक संधियाँ हुईं, जो निम्नलिखित हैं –

  1. सेन्ट जर्मन की संधि ऑस्ट्रिया के साथ हुई जिसमें ऑस्ट्रिया को दक्षिणी टिरोल, ट्रेन्टिनो, इस्ट्रिया एवं डालमेशिया के कुछ द्वीप इटली को देने पड़े।
  2. हंगरी के साथ हुई ट्रियानो की संधि में उसकी सेना घटाकर 35 हजार कर दी गई।
  3. बुल्गेरिया के साथ हुई न्यूली की संधि में उसे बाल्कन युद्ध में जीते हुये सारे प्रदेश लौटाने पड़े।
  4. तुर्की के साथ सेब्रे की संधि की गई जिसके अनुसार डोडेकनीज द्वीप समूह, रोड्स के प्रदेश इटली को दिये गये।
  5. जर्मनी के साथ वर्साय की संधि हुई जिसमें जर्मनी को अपने कई महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र फ्रांस को देने पड़े।

प्रश्न 5.
रौलट एक्ट क्या था ? भारतीयों ने इसका विरोध किस प्रकार किया ?
उत्तर:
भारत में ब्रिटिश विरोधी क्रांतिकारी गतिविधियों को दबाने के लिए ब्रिटिश संसद ने 1919 ई. में रौलट एक्ट पास किया। इस कानून के माध्यम से इंग्लैण्ड भारतीयों के मौलिक अधिकारों का हनन करना चहता था। इस कानून के द्वारा ब्रिटिश सरकार किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर बिना मुकदमा चलाये जेल में रख सकती थी। भारतीयों ने इसे ‘काले कानून’ की संज्ञा दी तथा जुलूसों, धरनों के माध्यम से इसका विरोध किया।

प्रश्न 6.
प्रथम विश्व युद्ध में भारत के सहयोग के प्रत्युत्तर में अँग्रेजों ने क्या कूटनीति अपनाई ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत से सहयोग मिलने के बदले पर यहाँ संवैधानिक सुधारों को आश्वासन दिया परन्तु विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् अँग्रेजों ने सहयोग के प्रत्युत्तर में भारतीयों का दमन करना आरंभ कर दिया। अंग्रेजों ने भारतीयों के विरुद्ध निम्नलिखित कूटनीतियाँ अपनार्थी

  1. रौलट एक्ट द्वारा इंग्लैण्ड ने भारतीयों के मौलिक अधिकारों का दमन किया।
  2. भारतीय प्रेस पर कठोर नियम लागू किये।
  3. 1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम में भारतीयों को स्वशासन देने का कोई प्रावधान नहीं था।
  4. तुर्की में मुस्लिमों के खलीफा को अपदस्थ कर दिया गया जिसके विरोध में भारतीय मुसलमानों ने खिलाफत आन्दोलन आरंभ किया।
  5. ब्रिटिश सरकार ने अकाल, महामारी की स्थिति में भी भारतीयों को पर्याप्त सहायता प्रदान न करके उनका आर्थिक शोषण किया।

प्रश्न 7.
रूसी साम्राज्य की विदेश नीति के क्या उद्देश्य थे ?
उत्तर:
रूसी साम्राज्य का विस्तार विश्व के सकल भू-भाग के 1/6 भाग पर था। एशिया व यूरोप में विस्तृत होने के साथ उत्तरी अमेरिका की सीमायें भी रूसी साम्राज्य को स्पर्श करती थीं। विशालता के कारण रूस के संबंध एशिया व यूरोप के कई देशों के साथ थे। रूस को अपनी विदेश नीति का पालन कई बिन्दुओं को ध्यान में रखकर करना पड़ता था। रूस की विदेश नीति के निम्नलिखित उद्देश्य थे –

  1. सीमाओं की सुरक्षा।
  2. काला सागर में निर्बाध आवागमन।
  3. मानचित्र से मिटने वाले राज्यों की लूट में अपना यथेष्ट हिस्सा प्राप्त करना।
  4. मध्य एशिया में ब्रिटेन की महत्वाकांक्षाओं पर रोक लगाना।
  5. पूर्वी एशिया में जापानी साम्राज्य विस्तार को रोकते हुए अपना प्रभुत्व कायम रखना।

प्रश्न 8.
बोल्शेविक सरकार को सत्ता में आने के पश्चात् किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
लेनिन के सुयोग्य नेतृत्व व कुशल संगठन के आधार पर बोल्शेविक दल ने 7 नवम्बर 1917 ई. को सत्ता अर्जित की। 8 नवम्बर 1917 ई. को लेनिन की अध्यक्षता में नयी सरकार का गठन किया गया। इस नयी बोल्शेविक सरकार को राजनीतिक दलों के विरोध के साथ ही अन्य प्रकार की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा जो निम्नलिखित हैं।

  1. जिन लोगों की भूमि छिन गई थी वे लोग और सैन्य अधिकारी बोल्शेविक सरकार से असंतुष्ट थे।
  2. मित्र राज्यों ने बोल्शेविक सरकार द्वारा जर्मनी से संधि कर लेने के पश्चात् रूस के प्रतिक्रांतिकारियों का समर्थन कर लेनिन सरकार का संकट बढ़ा दिया।
  3. मित्र राज्यों ने विभिन्न क्षेत्रों में बोल्शेविक विरोधियों के सहयोग से श्वेत सरकारें स्थापित की।
  4. रूसवासियों को बोल्शेविकों द्वारा निर्मित लाल सेना और विरोधी सेनापतियों की ‘श्वेत सेना’ के आंतक का सामना करना पड़ा। परन्तु अंत में लेनिन ने अपनी बोल्शेविक नीति के द्वारा इन सभी चुनौतियों पर विजय पायी।

प्रश्न 9.
रूसी क्रांति ने आर्थिक असमानता को किस प्रकार दूर किया ?
उत्तर:
क्रांति के पूर्व रूस में आर्थिक विषमता थी। समाज में कुलीन वर्ग अधिक सम्पन्न था। सर्वहारा वर्ग के पास कोई अधिकार नहीं थे, तथा उनकी आर्थिक स्थिति भी दयनीय थी। क्रांति के फलस्वरूप रूसी जनता की आर्थिक स्थिति में कई सुधार हुए जिन्होंने आर्थिक असमानता को दूर किया। ये सुधार निम्नलिखित थे –

  1. जागीरदारों से भूमि का अधिग्रहण कर सरकार ने पुनर्वितरण की प्रक्रिया आरंभ की।
  2. उद्योगों को राष्ट्रीयकरण किया गया।
  3. निजी व्यापार को सीमित किया गया एवं उत्पादक-श्रम को महत्व दिया गया।
  4. आय के विषम वितरण पर नियंत्रण स्थापित हुआ।
  5. श्रमिकों एवं कृषकों की कार्यदशा व जीवन स्तर में उन्नति के प्रयास किए गए।

प्रश्न 10.
ट्रॉटस्की कौन था ? उसने बोल्शेविक सरकार में क्या भूमिका निभाई ?
उत्तर:
ट्रॉटस्की पैट्रोग्राड क्रांतिकारी सोवियत (परिषद) का प्रधान था। बाद में यह बोल्शेविक सरकार में विदेशमंत्री के पद पर आसीन हुआ। विदेशी सेनाओं का सामना करने के लिए लाल सेना का नेतृत्व ट्रॉटस्की ने किया। फलस्वरूप बोल्शेविक सरकार की विजय हुई। 1924 ई. में लेनिन की मृत्यु के बाद सरकार का शीर्षस्थ पद प्राप्त करने हेतु ट्रॉटस्की और स्टालिन के मध्य सत्ता संघर्ष प्रारम्भ हुआ, जिसमें स्टालिन को सफलता मिली। ट्रॉटस्की को 1927 ई. में पार्टी से निकाल दिया गया। रूस से निकलकर ट्रॉटस्की कुस्तुन्तुनिया के निकट बस गया, वहाँ उसने अपनी आत्मकथा लिखी, बोल्शेविक क्रांति का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया और स्टालिनवाद पर प्रहार किया।

प्रश्न 11.
टिप्पणी लिखिए –
1. लाल सेना
2. श्वेत सेना
3. चेका।
उत्तर:
1. लाल सेना:
वोल्शेविक पार्टी द्वारा विदेशी सेनाओं तथा जार निकोलस द्वितीय को पूर्व सेनापतियों का सामना करने के लिए एक शक्तिशाली सेना का गठन किया गया जिसे लाल सेना के नाम से जाना जाता था। आगामी समय में ट्राटस्की के नेतृत्व में लाल सेना अत्यधिक शक्तिशाली हो गयी थी उसने मित्र राष्ट्रों को अपनी नीति परिवर्तन करने तथा श्वेत सेना नायकों को पराजित करने में विशेष भूमिका का निर्वाहन किया।

2. श्वेत सेना:
रूस में बोल्शेविक विरोधी (प्रतिक्रान्तिकारी) सेना को श्वेत सेना नाम से जाना जाता था। यह श्वेत सेना जार निकोलस द्वितीय के सेनापतियों द्वारा मित्र राज्यों के सहयोग से वोल्शेविकों का विनाश करने के लिए स्थापित की गई थी।

3. चेका:
रूस में बोल्शेविकों ने प्रतिक्रान्तिकारियों के दमनार्थ एक गुप्त न्यायालय स्थापित किया। जिसे ‘चेका’ के नाम से जाना जाता था। इस न्यायालय का अध्यक्ष फेलिक्सकेरे जिस्की था। जिसके नेतृत्व में हजारों प्रतिक्रांतिकारियों को पकड़कर मार दिया गया था। चेका ने आतंकराज एवं निर्ममतापूर्ण कार्यों से विरोधियों को पूर्ण रूप से नष्ट किया था।

प्रश्न 12.
स्टालिन के जीवन पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
उत्तर:
स्टालिन का जन्म रूस के गोरी नामक गाँव में सन् 1879 ई. में एक चर्मकार परिवार में हुआ था। स्टालिन के बचपन का नाम जोसेफ विसरियो नोविच जुगश्विली था। स्टालिन के पिता उसे पादरी बनाना चाहते थे। परन्तु उसकी रूचि मार्क्सवाद में थी। वह सोश्यल डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ गया। स्टील के आधार पर उसे स्टालिन नाम से भविष्य में जाना गया। सन् 1903 ई. में लेनिन का प्रथम अनुयायी बना। सन् 1902-13 ई. के मध्य स्टालिन को 6 बार कैद करके निर्वासित किया गया।

पाँच बार वह कैद से भागने से सफल रहा किन्तु 1913 ई. में उसे निर्वासित करके आर्कटिक वृत्त भेज दिया गया जहाँ से वह मार्च 1917 ई. की क्रांति के बाद मुक्त हुआ। रूस आने पर स्टालिन को वोल्शेविक पार्टी का महासचिव बनाया गया। बाद में सरकार बनने पर उसे राष्ट्रिक जातियों का मंत्री बनाया गया। लेनिन की मृत्यु के पश्चात् स्टालिन ने अपने निकट प्रतिद्वंद्वी ट्राटस्की को रूस से निर्वासित करके वोल्शेविक सरकार का शीर्ष पद प्राप्त कर लिया तथा उसके लम्बे शासन काल में रूस ने अत्यधिक प्रगति की। 06 मार्च सन् 1953 ई. में स्टालिन की मृत्यु हो गयी।

RBSE Class 11 History Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1900 ई. के पश्चात् कौन-सी ऐसी घटनाएँ घटित हुईं जिनके कारण अन्तर्राष्ट्रीय अराजकता का वातावरण बना तथा प्रथम विश्व युद्ध हुआ ?
उत्तर:
20वीं सदी का आरंभ होते ही विश्व की राजनीति ने एक नया मोड़ लिया। यूरोप के अधिकांश देश उपनिवेशवाद तथा औद्योगीकरण की प्रतिस्पर्धा में व्यस्त हो गये। शक्तिशाली देश छोटे-छोटे राज्यों को बाँटकर अपने स्वार्थों की पूर्ति करने में लग गये। राष्ट्रों की इस नीति ने यूरोप में अशांति व अराजकता को जन्म दिया। 1900 ई. के पश्चात् होने वाली ऐसी प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित थीं –

1. 1904 – 05 ई. का रूस-जापान युद्ध:
1904 – 05 ई. में रूस वे जापान के मध्य हुए युद्ध में रूस की पराजय हुई। इस युद्ध ने रूस की विदेश नीति एवं आर्थिक राजनीति को प्रभावित किया। रूस की पराजय के कारण उसकी दुर्बलता का लाभ उठाने के लिए जर्मनी ने मोरक्को में फ्रांस को चुनौती देकर अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में गंभीर संकट की स्थिति उत्पन्न कर दी।

2. फेज के विद्रोह का दमन:
1911 ई. में फ्रांस ने फेज के विद्रोह को दबाने के लिए वहाँ अपनी सेना भेज दी लेकिन जर्मनी ने इसका विरोध किया। जर्मनी ने अपना पैंथर’ युद्ध पोत अगादियर के बन्दरगाह पर भेज दिया। इससे अन्तर्राष्ट्रीय युद्ध का खतरा बढ़ गया। इंग्लैण्ड की चेतावनी के कारण जर्मनी को झुकना पड़ा तथा फ्रांस को कांगो का एक बड़ा भाग जर्मनी को देना पड़ा। इस घटना से फ्रांस व इंग्लैण्ड के साथ जर्मनी के सम्बन्धों में कटुता आयी।

3. ऑस्ट्रिया द्वारा बोस्निया, हर्जेगोविना पर आक्रमण कर राज्य में मिलाना:
वर्ष 1908-09 ई. में ऑस्ट्रिया द्वारा बोस्निया, हर्जेगोविना को अपने साम्राज्य में मिलाने से एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया। इसके परिणामस्वरूप ऑस्ट्रिया के रूस व इटली के साथ आपसी सम्बन्ध बिगड़ गये।।

4. बाल्कने युद्ध:
वर्ष 1912 – 13 ई. के बाल्कन युद्धों ने भी अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण को अत्यधिक तनावपूर्ण बना दिया। इन युद्धों के कारण सैन्यवाद और शस्त्रीकरण की दौड़ अत्यधिक बढ़ गई।

5. ऑस्ट्रिया द्वारा सर्बिया पर आक्रमण:
28 जुलाई 1914 ई. को ऑस्ट्रिया द्वारा सर्बिया पर आक्रमण किये जाने के साथ ही प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत हो गई, जिसके दूरगामी परिणाम हुए। इस प्रकार उपर्युक्त घटनाओं ने सम्पूर्ण विश्व में अराजकता व तनाव की स्थिति उत्पन्न की जिसने सम्पूर्ण विश्व को प्रथम महायुद्ध की ज्वाला में झोंक दिया।

प्रश्न 2.
वर्साय की संधि जर्मनी के लिए अपमानजनक क्यों थी?
उत्तर:
1919 ई. में पेरिस में हुए शांति सम्मेलन में पराजित राष्ट्रों व मित्र राष्ट्रों के मध्य अनेक संधियाँ हुई जिनमें वर्साय की संधि सबसे महत्वपूर्ण है। यह संधि जर्मनी एवं मित्र राष्ट्रों के मध्य हुई। इस संधि के प्रावधानों ने जर्मनी को आर्थिक रूप से काफी क्षति पहुँचाई तथा सैनिक रूप से भी पंगु बना दिया। वर्साय संधि की कठोर एवं अपमानजनक शर्तों ने जर्मनी के अस्तित्व पर कड़ी प्रहार किया। ये शर्ते निम्नलिखित थीं –

  1. जर्मनी को अल्सास-लारेन के प्रांत फ्रांस को देने पड़े।
  2. खनिज पदार्थों से सम्पन्न जर्मनी की ‘सार घाटी’ दोहन हेतु 15 वर्षों के लिए फ्रांस को दे दी गई।
  3. जर्मनी अधिकृत श्लेसविग’ में जनमत संग्रह कर डेनमार्क को दिया गया।
  4. जर्मनी को डेन्जिंग का बन्दरगाह राष्ट्रसंघ के संरक्षण में छोड़ना पड़ा।
  5. जर्मनी को समुद्रपार के अपने विस्तृत उपनिवेशों पर सारे अधिकार मित्र राष्ट्रों को देने पड़े।
  6. जर्मनी में :अनिवार्य सैनिक सेवा समाप्त कर दी गई तथा जर्मनी की थल सेना अधिकारियों सहित एक लाख निर्धारित की गई।
  7. जर्मनी का वायु सेना रखने का अधिकार समाप्त कर दिया गया।
  8. जर्मनी की नौ सैनिक शक्ति को भी सीमित कर दिया गया।
  9. जर्मनी को 1921 ई. तक 5 अरब डालर की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में देने को विवश किया गया।
  10. जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व भी स्वीकार करना पड़ा।

इस प्रकार वर्साय की संधि जर्मनी के लिए बेहद अपमानजनक संधि थी जिसमें जर्मनी ने अपना सब कुछ खो दिया। जर्मनी के आर्थिक स्रोतों पर अधिकार करने के बाद भी उसे क्षतिपूर्ति की राशि चुकाने के लिए बाध्य किया गया, जो अनुचित था परन्तु इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि अपनी इस स्थित के लिए जर्मनी स्वयं उत्तरदायी था।

प्रश्न 3.
प्रथम विश्व युद्ध से भारत के राजनैतिक वातावरण में क्या परिवर्तन आया ?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के दौर में भारत इंग्लैण्ड का एक विशाल एवं महत्वपूर्ण उपनिवेश था। भारत का प्रथम महायुद्ध से सीधा सम्बन्ध नहीं था परन्तु इंग्लैण्ड ने युद्ध शुरु होते ही भारत को इसमें सम्मिलित कर लिया। भारत के लिए यह युद्ध केवल इंग्लैण्ड के हित के लिए था। 1914 ई. में प्रथम विश्व युद्ध की घोषणा से देश के राजनैतिक वातावरण में जबरदस्त परिवर्तन हुआ। भारत की राजनीतिक संस्था कांग्रेस में तत्कालीन दौर में दो दल थे। उदारवादी एवं उग्रवादीये दोनों दल ब्रिटिश सरकार की नीतियों के संबंध में अलग-अलग विचार रखते थे।

1. जेब इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री ने जनतंत्रवाद की सुरक्षा के लिए जर्मनी की हार को आवश्यक बताया और भारत से मदद माँगी तो कांग्रेस के उदारवादी नेताओं को लगा कि इंग्लैण्ड लोकतंत्रवाद के लिए युद्ध कर रहा है और युद्ध के पश्चात् भारत को भी जनतंत्रवाद की दिशा में कुछ देगा। यह सोचकर भारत ने तन-मन-धन से इंग्लैण्ड की सहायता करने का निश्चय किया।

2. जनवरी 1915 ई. के पश्चात् गाँधीजी भारतीय राजनीति में ब्रिटिश सरकार के सहयोगी के रूप में सामने आये। उन्होंने भारतीयों को ब्रिटिश सरकार की सहायता करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भी यह अनुभव किया कि अँग्रेज उच्च सिद्धान्तों की रक्षा के लिए यह युद्ध लड़ रहे हैं।

3. उग्रवादी नेताओं के विचार इस संबंध में भिन्न थे। वे गाँधी जी और उदारवादियों की तरह अँग्रेजों का साथ नहीं देना चाहते थे। तिलक और एनीबेसेन्ट का मानना था कि अँग्रेज इस समय परिस्थितिवश भारतीयों से मदद माँग रहे हैं, युद्ध के पश्चात् वे फिर से अपनी नीति पर चलेंगे।

उपर्युक्त विरोधाभास के बावजूद भी भारत की शोषित जनता ने अपने समस्त संसाधनों के साथ इंग्लैण्ड का साथ दिया। भारत ने इस युद्ध के लिए 10 करोड़ पौण्ड युद्ध कोष में दिये तथा अपनी सेनाओं पर 30 करोड़ पौण्ड प्रतिवर्ष खर्च किये, परन्तु इंग्लैण्ड से भारतीयों को प्रत्युत्तर में अकाल, महामारी, आर्थिक शोषण, प्रेस के कठोर नियम और अन्य दमनकारी नीतियाँ मिलीं। युद्ध के पश्चात् अँग्रेजों के क्रियाकलापों से यह अच्छी तरह स्पष्ट हो गया कि तिलक तथा एनीबेसेन्ट का आकलन बिल्कुल सही था। अँग्रेजों ने भारतीयों को प्रथम विश्व युद्ध में बलिदानों के बदले में दमन और विश्वासघात दिया।

प्रश्न 4.
प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व यूरोपीय राज्यों की स्थिति का वर्णन कीजिए?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व यूरोपीय राज्यों की स्थिति निम्नांकित रूप से थी –

1. इंग्लैण्ड:
यूरोप में इस समय इंग्लैण्ड सर्वाधिक समृद्ध तथा शक्तिशाली राष्ट्र था। विश्व की सर्वश्रेष्ठ नौ सेना उसके पास थी। इंग्लैण्ड का औपनिवेशिक साम्राज्य विशाल तथा विश्व के प्रत्येक भाग में स्थित था। इस समय इंग्लैण्ड की रूचि यूरोप की आंतरिक राजनीति में न होकर अपने आर्थिक तथा साम्राज्यवादी हितों की वृद्धि एवं रक्षा करने में थी। एशिया में भारत, लंका, वर्मा, मलाया तथा अफ्रीका में भी इंग्लैण्ड अपनी जड़े जमा चुका था। फारस, अफगानिस्तान, तिब्बत, नेपाल तथा मध्यपूर्व इंग्लैण्ड के प्रभाव में थे।

2. जर्मनी:
यूरोप में इस समय जर्मनी के पास विश्व की सर्वाधिक शक्तिशाली थल सेना थी। वह औद्योगिक एवं आर्थिक दृष्टि से समृद्ध एवं शक्तिशाली राज्य बन चुका था किन्तु उपनिवेशों की संख्या उसके पास कम थी। इसलिए वह इंग्लैण्ड को अपना प्रमुख प्रतिद्वन्द्वी मानता था। यूरोप के मध्य में स्थित जर्मनी सम्राट विलियम द्वितीय के नेतृत्व में यूरोप का अधिनायक बनना चाहता था।

3. रूस:
यूरोप में क्षेत्रफल की दृष्टि से रूस सबसे बड़ा राज्य था। यहाँ निरंकुश जारशाही विद्यमान थी। इस समय रूस की रूचि वाल्कन प्रदेश में थी। जहाँ बड़ी संख्या में उसके स्वजातीय स्लाव थे। रूस आहोमन साम्राज्य को नष्ट करके वृहद स्लाव राज्य की स्थापना करना चाहता था। जिसमें आस्ट्रिया सबसे बड़ा प्रतिरोध था।

4. फ्रांस:
फ्रांस इस समय जर्मनी से आल्सेस-लारेन क्षेत्र प्राप्त करके अपने अतीत के गौरव को प्राप्त करने की इच्छा रखता था। फ्रांस हिन्द चीन-इण्डोनेशिया तथा अफ्रीका आदि में अपने अनेक उपनिवेश स्थापित कर चुका था।

5. आस्ट्रिया:
यूरोप में आस्ट्रिया बाल्कन क्षेत्र में रूस तथा सर्बिया से उलझा हुआ था। सन् 1908-09 ई. में आस्ट्रिया द्वारा वोस्निया-हर्जेगोविना क्षेत्र अपने राज्य में मिला लिए जिससे रूस-सर्विया इटली आदि राज्यों से आस्ट्रिया के संबंध बिगड़ गए।

प्रश्न 5.
पेरिस शांति सम्मेलन (1919 ई.) में हुई संधियों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पेरिस शांति सम्मेलन (1919 ई.) में हुई संधियाँ निम्नांकित थीं –

1. सेन्ट जर्मन संधि:
मित्र राज्यों ने आस्ट्रिया-हंगरी का साम्राज्य भंग करके आस्ट्रिया के साथ ‘सेन्ट जर्मन’ की संधि की। इसके द्वारा इटली को आस्ट्रिया के दक्षिणी टिरोल, ट्रेन्टिनो, इस्ट्रिया एवं डालमेशिया के तटवर्ती द्वीप प्राप्त हुए।

2. ट्रियानो संधि:
मित्र राज्यों ने हंगरी के साथ ट्रियानो की संधि की। हंगरी ने गेर मेम्यार लोगों पर अपना अधिकार छोड़ दिया। हंगरी की सेना घटाकर 35 हजार कर दी गयी तथा उसकी नौ सेना को भंग कर दिया गया।

3. न्यली संधि:
मित्र राज्यों ने बल्गेरिया के साथ न्यूली की संधि की। बल्गेरिया को प्रथम विश्व युद्ध तथा वाल्कन युद्धों में जीते सारे प्रदेश लौटाने पड़े। उसकी सैनिक संख्या घटा करे 33 हजार कर दी गई तथा 5 लाख डालर उसे क्षति पूर्ति के रूप में देने पड़े।

4. सेब्रे संधि तथा लुसान संधि:
मित्र राज्यों ने तुर्की के साथ सेब्रे की संधि की। तुर्की को डोडेकनीज द्वीप समूह, रोड्स के प्रदेश इटली को देने पड़े। डाडेनल्स के जलडमक मध्य को अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र घोषित किया। तुर्की की सैनिक संख्या घटाकर 50 हजार निश्चित कर दी गई किन्तु तुर्की में तुर्क आन्दोलन के कारण सेब्रे के स्थान पर मित्र राज्यों ने तुर्की के साथ सन् 1923 ई. में लुसान की संधि की जिसके अनुसार तुर्की को बहुत सा खोया भू-भाग पुनः मिल गया।

5. वर्साय संधि:
मित्र राज्यों ने जर्मनी के साथ वर्साय की संधि की। जिसके अनुसार –

  • आल्सस-लादेन के प्रदेश फ्रांस को पुनः प्राप्त हुए।
  • खनिज पदार्थों वाली सार घाटी 15 वर्षों के दोहन हेतु फ्रांस को दी गई।
  • जर्मन अधिकृत श्लेष विग’ को जनमत के आधार पर डेनमार्क को दिया गया।
  • जर्मनी आस्ट्रिया एवं रूस के पोल क्षेत्रों से स्वतन्त्र पोलैण्ड राज्य का निर्माण किया गया।
  • जर्मनी के सारे उपनिवेशों पर मित्र राष्ट्रों का अधिकार माना गया।
  • जर्मनी ने अनिवार्य सैनिक सेवा समाप्त कर दी गई।
  • जर्मनी की सैन्य संख्या अधिकारियों सहित एक लाख निर्धारित की गई तथा वायु सेना निषिद्ध तथा नौ सेना सीमित की गई।
  • जर्मनी द्वारा राइन नदी के पूर्वी भाग की किलेबंदी को प्रतिबंधित किया गया।
  • जर्मनी को 5 अरब डालर की राशि युद्ध क्षतिपूर्ति के लिए सन् 1921 ई. तक देने को कहा गया।
  • जर्मनी को महायुद्ध का उत्तरदायित्व स्वीकार करना पड़ा।

प्रश्न 6.
प्रथम विश्व युद्ध के आर्थिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के आर्थिक परिणाम निम्नांकित थे –

1. आर्थिक विनाश:
सन् 1918 ई. में महायुद्ध की समाप्ति के पश्चात् युद्ध के आर्थिक नुकसान का आंकलन करने पर ज्ञात हुआ कि इस महायुद्ध में 10 खरब रुपया प्रत्यक्ष रूप से खर्च हुआ तथा अत्यधिक जानमाल की क्षति हुई।

2. जनशक्ति का विनाश:
प्रथम विश्व युद्ध में 80 लाख सैनिकों की मृत्यु तथा लगभग 2 करोड़ व्यक्ति घायल हुए थे। इस विनाशकारी युद्ध में 7 हजार व्यक्ति प्रति दिन मारे गए। बड़ी संख्या में लोग हत्याकांडों, भुखमरी एवं गरीबी से मारे गये।

3. युद्ध ऋण:
महायुद्ध में असाधारण खर्च हुआ जिससे विश्व में सार्वजनिक ऋणों की वृद्धि हुई। सन् 1914 ई. में दोनों पक्षों को सार्वजनिक ऋण 8 हजार करोड़ था तथा सन् 1918 ई. में यह बढ़कर पाँच गुना 40 हजार करोड़ हो गया। इस महायुद्ध में लगभग 13 हजार दो सौ करोड़ रुपयों की सम्पत्ति नष्ट हुई। इतनी भार धन-हानि के फलस्वरूप कीमतों तथा मजदूरी में वृद्धि तथा उत्पादन में कमी हुई। मुद्रा की कीमत में कमी तथा व्यापार-व्यवस्था में अव्यवस्था उत्पन्न हो गयी।

4. व्यापार-वाणिज्य का विनाश:
अरबों रुपयों के विनाश से राष्ट्रों के व्यापार वाणिज्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। प्रत्येक राष्ट्र यह प्रयास कर रहा था कि वह अन्य देशों से कम से कम माल खरीदे और उन्हें अधिक-से- अधिक माल बेचे। ऐसा करने के लिए राष्ट्रों ने अपने तटकरों में वृद्धि कर दी। अमेरिका, जापान आदि देशों ने अनेक देशों के बाजारों पर अपना आर्थिक नियन्त्रण कर लिया था।

5. मुद्रा प्रसार:
प्रथम विश्व युद्ध अरबो रुपये खर्च करके लड़ा गया था तथा यह अरबो रुपये किसी उत्पादक कार्य में न लगाकर विनाश के लिए प्रयुक्त किए गये थे। इस स्थिति में सभी राज्यों ने अपने बढ़े हुए खर्यों को पूरा करने के लिए तथा ऋणों को चुकाने के लिए विशाल मात्रा में कागजी मुद्रा जारी कर दी। जिससे कीमतों में अत्यधिक वृद्धि हो गयी। कागजी मुद्रा का मूल्य बाजार में बहुत गिर गया। इस मुद्रा स्फीति ने बचत को समाप्त करके आर्थिक संकट को पोषित किया।

प्रश्न 7.
प्रथम विश्व युद्ध के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के सामाजिक परिणाम निम्नांकित थे –
1. अल्पसंख्यकों की समस्याओं के समाधान का प्रयास:
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् यह समस्या उत्पन्न हुई कि विश्व में स्थायी रूप से बस चुके अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा किस प्रकार की जाए। शांति सम्मेलन में पोलैण्ड चेकोस्कोवाकिया आदि देशों से अपने राज्य में स्थायी रूप से बसे नागरिकों (अल्पसंख्यक जातियाँ) की भाषा, धर्म, संस्कृति आदि की रक्षा की गारंटी माँगी गई किन्तु इन राज्यों ने इस प्रकार की गारंटी देने से मना कर दिया। परिणाम स्वरूप अल्पसंख्यक जातियों की समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं हो सका उनमें अपनी पृथकता की भावना बनी रही।

2. महिलाओं की स्थिति में सुधार:
प्रथम विश्व युद्ध में स्त्रियों की भूमिका अपने परम्परागत कार्यों के अलावा आर्थिक उत्पादन के कार्यों में भी बढ़ गयी। इस स्थिति में महिलाओं ने कारखानों एवं दुकानों आदि स्थानों पर कार्य किया जिस पर अब तक पुरुष अपना अधिकार समझते थे। इसके पश्चात् प्रत्येक राष्ट्र में महिलाओं को अधिकाधिक प्रतिनिधित्व तथा अधिकार दिए जाने की बात उठने लगी थी।

3. प्रजातियों (नस्लों) की समानता:
विश्व में 19वीं सदी तक यूरोपीय देशों में यह भावना थी कि वे एशिया तथा अफ्रीका की प्रजातियों (नस्लों) से श्रेष्ठ व उत्कृष्ट है। परंतु युद्ध की आवश्यकता के लिए एशिया एवं अफ्रीका के राज्यों से भी सैनिक यूरोप भेजे गए जिन्होंने युद्ध में यूरोपीय नस्लों के समान ही साहस और वीरता को प्रदर्शन किया। अत: यूरोपीय नस्ल की श्रेष्ठता तथा उत्कृष्टता की भावना का विचार निराधार साबित हुआ।

4. अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का विकास:
महायुद्ध से उत्पन्न सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए अनेक अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का निर्माण किया गया। नशीले पदार्थों के व्यापार पर प्रतिबन्ध लगाया गया। श्रमिकों के कल्याण और राजनीतिक समस्याओं के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ तथा राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।

प्रश्न 8.
रूसी क्रांति से पूर्व कृषकों व मजदूरों की स्थिति का वर्णन करो।
उत्तर:
1. रूसी क्रांति से पूर्व कृषकों की स्थिति –

  • कृषि प्रधान देश होने के बावजूद भी रूसी कृषकों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी।
  • बड़े जमींदारों के पास लगभग 1800 लाख एकड़ भूमि थी जबकि एक करोड़ से अधिक कृषकों के पास केवल 1900 लाख एकड़ भूमि थी।
  • एक तिहाई कृषक भूमिहीन थे। ये भूमिहीन कृषक जमीदारों की भूमि पर कार्य करते थे।
  • कृषकों को अनेक प्रकार के कर देने पड़ते थे। जिससे उनकी आर्थिक दशा अधिक शोचनीय हो गई थी।
  • 1861 ई. के कृषि दासों की मुक्ति के नियम से भी कृषकों की दयनीय स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।
  • कृषकों ने भूमिकर में कमी तथा सुविधा अधिकारों की माँग की जिसे अस्वीकार कर दिया गया।
  • 1905 ई. में मास्कों में कृषक प्रतिनिधियों द्वारा ‘रूसी कृषक संघ’ का निर्माण हुआ।
  • 1906 ई. के कानून को ‘कम्यून’ से अपनी भूमि अलग करने का अधिकार दिया गया।
  • परन्तु इससे भूमिहीन कृषकों को कोई लाभ नहीं मिला। फलस्वरूप कृषक शासन व्यवस्था के विरोधी हो गये।

2. रूसी क्रान्ति से पूर्व मजदूरों की स्थिति –

  • औद्योगिक क्रांति के प्रभाव से रूस में औद्योगीकरण का विकास हुआ।
  • भूमिहीन कृषक रोजगार पाने हेतु नगरों के रोजगार केन्द्रों पर पहुँचे।
  • पूँजीपतियों व उद्योगपतियों ने इन श्रमिकों का भरपूर आर्थिक शोषण किया।
  • कठिन जीवन निर्वाह व कम मजदूरी के कारण श्रमिकों की दशा अत्यन्त दयनीय हो गयी।
  • 1885 ई. के बाद कुछ श्रमिक कानून बनाये गये परन्तु इनसे मजदूरों को कोई लाभ नहीं प्राप्त हुआ।
  • शासन की नीतियाँ भी उद्योगपतियों के पक्ष में थीं।
  • समाजवादी दल ने स्थिति का लाभ उठाकर श्रमिकों में समाजवादी सिद्धान्तों का प्रचार किया।
  • 1902 – 03 ई. से ही मजदूरों की हड़ताले प्रारम्भ हो गयी।
  • श्रमिक पूँजीवादी व्यवस्था तथा जारशाही को समाप्त कर सर्वहारा वर्ग का शासन स्थापित करना चाहते थे।
  • यहीं से रूसी क्रांति का आरम्भ हुआ। जिसने जारशाही शासन का अंत किया।

RBSE Solutions for Class 11 History

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 11 Tagged With: RBSE Solutions for Class 11 History Chapter 5, RBSE Solutions for Class 11 History Chapter 5 प्रथम विश्व युद्ध

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 4 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 4 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 4 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions

 

Loading Comments...