Rajasthan Board RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 भारत की प्राकृतिक वनस्पति
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सागवान के वृक्ष जिस राज्य में नहीं मिलते, वह है-
(अ) जम्मू-कश्मीर
(ब) राजस्थान
(स) मध्य प्रदेश
(द) छत्तीसगढ़
उत्तर:
(अ) जम्मू-कश्मीर
प्रश्न 2.
50 सेमी से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाने वाले वन हैं-
(अ) शुष्क
(ब) मरुस्थलीय
(स) मानसूनी
(द) सदाबहार
उत्तर:
(स) मानसूनी
प्रश्न 3.
पर्वतीय वन के वृक्षों का समुच्चय है-
(अ) चीड़, देवदार, लार्च
(स) आम, बांस, बबूल
(स) बबूल, पीपल, चीड़
(द) नारियल, शीशम, देवदार
उत्तर:
(अ) चीड़, देवदार, लार्च
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
मैन्ग्रोव वृक्ष किन वनों में पाये जाते हैं?
उत्तर:
ज्वारीय वनों में डेल्टाई क्षेत्र मैन्ग्रोव के प्रमुख क्षेत्र होते हैं।
प्रश्न 5.
सामुदायिक वनों पर किसका नियंत्रण होता है?
उत्तर:
सामुदायिक वनों पर स्थानीय नगर निगम/परिषद/नगर पालिकाओं एवं जिला परिषदों का नियंत्रण होता है।
प्रश्न 6.
भारत सरकार की नीति कितने प्रतिशत भूमि को वनाच्छादित करने की है?
उत्तर:
भारत सरकार की 33 प्रतिशत भूमि को वनाच्छादित करने की नीति है।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 7.
राजकीय वन किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे वन जिनकी देखरेख, विकास, सुरक्षा व नियंत्रण पूर्णत: सरकार के हाथ में होता है उन्हें राजकीय वन कहते हैं। भारत में कुल वनों का लगभग 95% प्रतिशत भाग इन्हीं वनों के अन्तर्गत आता है।
प्रश्न 8.
शुष्क वन कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
जहाँ वार्षिक वर्षा का औसत 50 सेमी से 100 सेमी के बीच मिलता है वहाँ इस प्रकार के वन पाए जाते हैं। भारत में ऐसे वनों का क्षेत्र मुख्यत: दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान एवं दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश हैं।
प्रश्न 9.
मानसूनी वनों में कौन-कौन से वृक्ष मिलते हैं?
उत्तर:
मानसूनी वनों में मुख्यतः साल, सागवान, नीम, चंदन, रोजवुड, एबोनी, आम, शीशम, बांस, महुवा, आँवला व जामुन के वृक्ष शामिल किए जाते हैं। ये सभी वृक्ष अधिक शुष्कता की अवधि के दौरान नमी को बनाये रखने हेतु अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 10.
भारतीय वनों से प्राप्त होने वाली उपजों पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
भारतीय वन आर्थिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। वनों से प्राप्त होने वाली उपजों को मुख्यत: दो भागों में बाँटा गया है-
(i) मुख्य उपजे – वनों से प्राप्त होने वाली मुख्य उपजों में मुख्यत: इमारती लकड़ियों, कोयला आदि को शामिल किया गया है। इनका संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है-
(अ) देवदार – यह सामान्य रूप से कठोर, भूरी-पीली व टिकाऊ तथा मूल्यवान लकड़ी होती है। इससे रेल के स्लीपर बनाने के साथ तेल भी निकाला जाता है।
(ब) चीड़ – इसकी लकड़ी हल्की होने से पैकिंग पेटियाँ, नाव व फर्नीचर बनाने के साथ-साथ इससे तारपीन का तेल प्राप्त होता है।
(स) श्वेत सनोवर – इसकी लकड़ी सफेद, नरम एवं टिकाऊ होने के कारण कागज की लुग्दी, दियासलाई, हल्के संदूक, पैकिंग के तख्ते बनाने में प्रयोग होती है।
(द) साल – इसकी लकड़ी कठोर एवं भूरे रंग की होने के कारण रेल के डिब्बे, पुल व मकान बनाने में प्रयोग की जाती है।
(य) सागवान – इससे जहाज, रेल के डिब्बे व फर्नीचर बनाया जाता है।
(र) शीशम – इसकी लकड़ी कठोर, ठोस व भूरे रंग की होने के कारण मकान, रेल के डिब्बे व फर्नीचर निर्माण में प्रयोग किया जाता है।
(ल) बबूल – इसकी गोंद, जड़, छाल से औषधियाँ प्राप्त होती हैं। साथ ही, इसकी छाल चमड़ा रंगने के काम आती है।
(व) खैर – अत्यधिक कठोर होने के कारण इसकी लकड़ी का उपयोग खम्भे, तेल निकालने की घाणियाँ, हल, कृषि उपकरण बनाने के काम में होता है।
(ii) गौण उपजे-वनों से जो गौण उपजें प्राप्त होती हैं उनमें गोंद, लाख, घास, कत्था, तेंदू की पत्तियाँ, खस, शहद एवं मोम महुआ व चमड़ा रंगने के पदार्थ प्राप्त होते हैं। जो निम्नानुसार हैं
(अ) लाख – विश्व का अग्रणी लाख उत्पादक राष्ट्र भारत है जो लेसीफर लक्की नामक कीड़े से प्राप्त चिपचिपे पदार्थ के रूप में प्राप्त करता है।
(ब) गोंद – नीम, पीपल, खेजड़ा, कीकर, बबूल आदि वृक्षों का चिपचिपा रस ही गौंद के रूप में प्राप्त होता है। यह खाने व चिपकाने के काम के साथ-साथ औषधियों में भी प्रयुक्त की जाती है।
(स) घासे – खसखस, रोशा, अग्नि, मुंज, हाथी घास, सेवण व धामण नामक घासे विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त की जाती हैं।
(द) चमड़ा रंगने के पदार्थ – वनों की छालों, पत्तियों व फलों से प्राप्त विविध सामग्री का चमड़ा रंगने में प्रयोग होता है। इन पदार्थों को उत्पन्न करने वाले प्रमुख वृक्ष हरड़, बहेड़ा, आँवला, टारवुड, मैंग्रोव, कच व गैम्बियर आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 11.
भारत में पाये जाने वाले वनों के वितरण प्रारूप पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
भारत एक विशाल भौगोलिक विविधता वाली राष्ट्र है जिसके कारण यहाँ मिलने वाली वनस्पति भी विभिन्न नियंत्रक दशाओं के कारण प्रादेशिक आधार पर भिन्नताओं को दर्शाती है। भारत में मिलने वाले वनों के वितरण का वर्णन निम्नानुसार है-
भौगोलिक आधार पर वन के वितरण को निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।
(अ) सदाबहार वन-इस प्रकार के वन 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। भारत में ऐसे वन पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल, अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह व पूर्वी भारत में बंगाल, असम, मेघालय व तराई प्रदेशों में मिलते हैं।
(ब) पतझड़ या मानसूनी वन-इस प्रकार के वन शुष्क काल में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। इस प्रकार के वन उत्तरी पर्वतीय प्रदेश के निचले भाग, विंध्याचल व सतपुड़ा पर्वत, छोटा नागपुर का पठार व असम की पहाड़ियों, पूर्वी घाट का दक्षिणी भाग एवं पश्चिमी घाट के प्रतिपवन पूर्वी क्षेत्रों में मिलते हैं।
(स) शुष्क वन – जहाँ वर्षा का औसत 50-100 सेमी के बीच मिलता है वहाँ इस प्रकार की वनस्पति मिलती है। इस प्रकार के वन मुख्यत: दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान व दक्षिणी-पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं।
(द) मरुस्थलीय वन-50 सेमी कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इस प्रकार की वनस्पति मिलती है। ये वन दक्षिणी-पश्चिमी पंजाब, पश्चिमी राजस्थान, गुजरात व मध्य प्रदेश में मिलते हैं।
(य) ज्वारीय वन-इस प्रकार के वन महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी आदि प्रायद्वीपीय नदियों के मुहानों पर तथा गंगा-ब्रह्मपुत्र के डेल्टाई भागों में पाए जाते हैं।
(र) पर्वतीय वन-इस प्रकार के वन दक्षिण भारत में महाराष्ट्र के महाबलेश्वर तथा मध्य प्रदेश के पंचमढ़ी आदि ऊँचे भागों में पाए जाते है। यहाँ वृक्ष 15 से 18 मीटर तक लम्बे होते हैं। इन वनों का तना मोटा होता है। उत्तरी भारत में हिमालय व असम की पहाड़ियों पर 180 मीटर से अधिक ऊँचाई वाले भागों में भी ये वनं मिलते हैं।
वनों के इस मुख्य वितरण के प्रारूप को भारत के निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है-
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 12.
भारत के रूपरेखा मानचित्र में शुष्क वन क्षेत्रों का विस्तार दर्शाये।
उत्तर:
प्रश्न 13.
भारत के रूपरेखा मानचित्र में ज्वारीय वन क्षेत्रों का विस्तार दर्शाइये।
उत्तर:
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्ष भर हरे-भरे रहने वाले वन कहलाते हैं?
(अ) सदाबहार वन
(ब) पर्णपाती वन
(स) शुष्क वन
(द) मरुस्थलीय वन
उत्तर:
(अ) सदाबहार वन
प्रश्न 2.
विन्ध्याचल व सतपुड़ा में किस प्रकार के वन मिलते हैं?
(अ) सदाबहार वन
(ब) पर्णपाती वन
(स) शुष्क वन
(द) ज्वारीय वन
उत्तर:
(स) पर्णपाती वन
प्रश्न 3.
50-100 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में किस प्रकार के वन मिलते हैं?
(अ) मानसूनी वन
(ब) सदाबहार वन
(स) शुष्क वन
(द) मरुस्थलीय वन
उत्तर:
(स) सदाबहार वन
प्रश्न 4.
मरुस्थलीय वनों में जो शामिल नहीं है, वह है-
(अ) खेजड़ा,
(ब) खजूर
(स) खैर
(द) एबोनी
उत्तर:
(द) एबोनी
प्रश्न 5.
कीचड़युक्तं एवं दलदली क्षेत्रों में किस प्रकार के वन मिलते हैं?
(अ) मरुस्थलीय वन
(ब) पर्वतीय वन
(स) ज्वारीय वन
(द) शुष्क वन
उत्तर:
(स) पर्वतीय वन
प्रश्न 6.
निम्न में से जो पर्वतीय वन की प्रजाति नहीं है, वह है-
(अ) यूजेनिया
(ब) सुन्दरी
(स) मिचेलिया
(द) सनोवर
उत्तर:
(स) सुन्दरी
प्रश्न 7.
भारत में सुरक्षित वन कितने क्षेत्र में फैले हुए हैं?
(अ) 5 लाख वर्ग किमी
(ब) 6 लाख वर्ग किमी
(स) 7 लाख वर्ग किमी
(द) 8 लाख वर्ग किमी
उत्तर:
(अ) 5 लाख वर्ग किमी
प्रश्न 8.
भारत का कुल वन क्षेत्र कितने वर्ग किमी है?
(अ) 570,612 वर्ग किमी
(ब) 690,899 वर्ग किमी
(स) 740,261 वर्ग किमी
(द) 896,989 वर्ग किमी
उत्तर:
(स) 690,899 वर्ग किमी
प्रश्न 9.
वर्ष 2015 के अनुसार भारत के कितने प्रतिशत क्षेत्र पर वनावरण मिलता है?
(अ) 20.01 प्रतिशत
(ब) 21.01 प्रतिशत
(स) 22.02 प्रतिशत
(द) 23.02 प्रतिशत
उत्तर:
(स) 21.01 प्रतिशत
प्रश्न 10.
राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार वनों के 33 प्रतिशत क्षेत्र में से कितने प्रतिशत वनों का विस्तार पहाड़ी क्षेत्रों में करने का लक्ष्य रखा गया है?
(अ) 40 प्रतिशत
(ब) 60 प्रतिशत
(स) 80 प्रतिशत
(द) 100 प्रतिशत
उत्तर:
(स) 80 प्रतिशत
प्रश्न 11.
तारपीन का तेल निम्न में से किस वृक्ष से प्राप्त होता है?
(अ) देवदार
(ब) चीड़
(स) श्वेत सनोवर
(द) खैर
उत्तर:
(ब) चीड़
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न
स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए-
स्तम्भ अ (वृक्ष प्रजाति) |
स्तम्भ ब (वनों का प्रकार) |
(i) लौह-काष्ठ | (अ) पर्णपाती वन |
(ii) सागवान | (ब) शुष्क वने |
(iii) रामबांस | (स) सदाबहार वन |
(iv) चीड़ | (द) ज्वारीय वन |
(v) बरगद | (य) पर्वतीय वन |
(vi) सोनेरीटा | (र) मरुस्थलीय वन |
उत्तर:
(i) (स), (ii) (अ), (iii) (र), (iv) (य), (v) (ब), (vi) (द)
स्तम्भ अ (वनों का प्रकार) |
स्तम्भ ब (वर्षा की मात्रा) |
(i) सदाबहार वन | (अ) 50 सेमी से कम |
(ii) पतझड़ वने | (ब) 200 सेमी से अधिक |
(iii) शुष्क वन | (स) 100-200 सेमी |
(iv) मरुस्थलीय वन | (द) 50-100 सेमी |
उत्तर:
(i) (ब), (ii) (स), (iii) (द), (iv) (अ)
स्तम्भ अ (वृक्ष प्रजाति) |
स्तम्भ ब (क्षेत्र की लकड़ी) |
(i) साल | (अ) हिमालय क्षेत्र |
(ii) खैर | (ब) मानसूनी क्षेत्र |
(iii) श्वेत सनोवर | (स) शुष्क क्षेत्र |
उत्तर:
(i) (ब), (ii) (स), (iii) (अ)
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में वनस्पति सम्बन्धी भिन्नता क्यों मिलती है?
उत्तर:
भारत में तापमान, वर्षा, मिट्टी, धरातल की प्रकृति, पवनों व सूर्यातप में मिलने वाली भिन्नता के कारण वनस्पति में भिन्नता मिलती है।
प्रश्न 2.
सदाबहार वन किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे वन जो वर्ष पर्यन्त हरे-भरे रहते हैं, उन्हें सदाबहार वन कहते हैं।
प्रश्न 3.
सदाबहार वनों हेतु आवश्यक भौगोलिक दशाएँ क्या हैं?
उत्तर:
सदाबहार वनों हेतु आवश्यक भौगोलिक दशाओं में वार्षिक वर्षा के औसत का 200 सेमी से अधिक होना व वार्षिक औसत तापमान 24° सेल्शियस मिलना मुख्य दशाएँ हैं।
प्रश्न 4.
संदाबहार वनों में कौन-कौन सी वनस्पति मिलती है?
उत्तर:
सदाबहार वनों में मुख्यत: रबर, महोगनी, एबोनी, लौह-काष्ठ, जंगली आम, ताड़, लताएँ आदि मुख्य वनस्पतियाँ मिलती
प्रश्न 5.
पतझड़ वनों से क्या तात्पर्य है?
अथवा
मानसूनी वन किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे वन जो शुष्क काल में नमी को संचित रखने के लिए अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं, उन्हें पतझड़ या मानसूनी वन कहा जाता है।
प्रश्न 6.
पतझड़ या मानसूनी वन कितनी वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलते हैं?
उत्तर:
पतझड़ या मानसूनी वन 100-200 सेमी वार्षिक औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलते हैं।
प्रश्न 7.
शुष्क वनों में कौन से वृक्ष मिलते हैं?
उत्तर:
शुष्क वनों में मुख्यत: बरगद, नीम, आम, महुआ, बबूल, कीकर, करील व खेजड़ा के वृक्ष मिलते हैं।
प्रश्न 8.
मरुस्थलीय वनों में कौन-सी वनस्पति शामिल की जाती है?
उत्तर:
मरुस्थलीय वनस्पति में नागफनी, रामबांस, खेजड़ा, खैर व खजूर आदि वनस्पतियाँ मिलती है।
प्रश्न 9.
सुन्दरी वनों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
भारत में ज्वारीय वनों के अन्तर्गत सुन्दरी नामक वृक्ष मिलता है। इसकी प्रधानता के कारण ज्वारीय वनों को सुन्दरी वनों के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न 10.
भारत में सुन्दरी वन कहाँ पाएँ जाते हैं?
उत्तर:
भारत में सुन्दरी वन मुख्यतः गंगा-ब्रह्मपुत्र के डेल्टाई भाग में पाए जाते हैं।
प्रश्न 11.
ज्वारीय वनों में मिलने वाली वृक्ष प्रजातियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
ज्वारीय वनों में मुख्यत: ताड़, नारियल, हैरोटीरिया, रीजोफोरा, सोनेरीटा, सुन्दरी व मैन्ग्रोव वृक्ष प्रजातियाँ मिलती हैं।
प्रश्न 12.
अधिक ऊँचाई वाले पर्वतीय भागों में कौन-कौन से वृक्ष मिलते हैं?
उत्तर:
अधिक ऊँचाई वाले पर्वतीय भागों में मुख्यत: युजेनिया, मिचेलिया व रोडेनड्रांस नामक वृक्ष मिलते हैं।
प्रश्न 13.
पश्चिमी हिमालय व असम की पहाड़ियों में कौन से वृक्ष मिलते हैं?
उत्तर:
पश्चिमी हिमालय व असम की पहाड़ियों में चीड़, सनोवर, देवदार, स्पूस, बर्च, लार्च, एल्म, मैपल व चैस्टनट के वृक्ष मिलते हैं।
प्रश्न 14.
प्रशासनिक आधार पर वनों को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
प्रशासनिक आधार पर वनों को तीन भागों-सुरक्षित वन, संरक्षित वन व अवर्गीकृत वनों के रूप में बाँटा गया है।
प्रश्न 15.
सुरक्षित वनों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जिन वनों में लकड़ी काटने व पशु-चराने पर पूर्णत: प्रतिबन्ध होता है, उन्हें सुरक्षित वन कहा जाता है।
प्रश्न 16.
अवर्गीकृत वनों से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जिन वनों में लकड़ी काटने व पशु चराने पर सरकार की ओर से कोई प्रतिबन्ध नहीं होता, उन्हें अवर्गीकृत वन कहा जाता है।
प्रश्न 17.
व्यक्तिगत वन किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे वन जिन पर किसी व्यक्ति विशेष या समूह (फर्म) विशेष का अधिकार होता है, उन्हें व्यक्तिगत वन कहते हैं।
प्रश्न 18.
वनों में कमी के प्रमुख कारण क्या हैं?
अथवा
वनों में ह्रास क्यों हुआ हैं?
उत्तर:
कृषि भूमि प्राप्त करने, आवासी भूमि की आवश्यकता तथा लकड़ी प्राप्त करने हेतु की गई अंधाधुन्ध कटाई के कारण वनों का ह्रास हुआ है।
प्रश्न 19.
वनों के किन्हीं तीन प्रत्यक्ष लाभों को लिखिए।
उत्तर:
वनों के तीन प्रत्यक्ष लाभों में ईंधन की प्राप्ति, पशुओं के लिये चारा व विभिन्न प्रकार की औषधियों की प्राप्ति मुख्य है।
प्रश्न 20.
वनों का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व क्यों है?
उत्तर:
वनों के क्षेत्र को तपोभूमि, दार्शनिक चिन्तन व ज्ञानार्जन के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसलिए वनों का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है।
प्रश्न 21.
वृक्षारोपण का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
वायुमंडलीय प्रदूषण को कम करना तथा प्राकृतिक वनस्पति को संरक्षित करना वृक्षारोपण का मुख्य उद्देश्य है।
प्रश्न 22.
वनों से प्राप्त उपजों को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
वनों से प्राप्त उपजों को मुख्यत: दो भागों- मुख्य उपजों एवं गौण उपजों के रूप में बाँटा गया है।
प्रश्न 23.
मुख्य उपजों की लकड़ियों को किन-किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
मुख्य उपजों को मुख्यतः हिमालय प्रदेश की लकड़ियों, मानसून वनों की लकड़ियों व शुष्क वनों की लकड़ियों के रूप में बाँटा गया है।
प्रश्न 24.
हिमालय प्रदेश की लकड़ियों को किन-किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
हिमालय प्रदेश की लकड़ियों को मुख्यत: देवदार, चीड़ व श्वेत सनोवर के रूप में बाँटा गया है।
प्रश्न 25.
देवदार के वृक्ष कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
देवदार के वृक्ष मुख्यत: कश्मीर, पंजाब की पहाड़ियों व गढ़वाल क्षेत्र में पाये जाते हैं।
प्रश्न 26.
चीड़ के वृक्ष कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
चीड़ के वृक्ष 1000-2000 मीटर ऊँचाई वाले कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश व उत्तरांचल के पर्वतीय क्षेत्रों में मिलते हैं।
प्रश्न 27.
श्वेत सनोवर के वृक्ष कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
श्वेत सनोवर के वृक्ष मुख्यतः 2000-3000 मीटर की ऊँचाई वाले पश्चिमी हिमालय प्रदेश में मिलते हैं।
प्रश्न 28.
साल के वृक्ष कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
साल के वृक्ष मुख्यत: हिमालय के निचले ढालों पर तराई प्रदेश में पाये जाते हैं। उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार व उड़ीसा में भी मिलते हैं।
प्रश्न 29.
सागवान के वृक्ष कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
सागवान के वृक्ष मुख्यत: दक्षिणी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु व उड़ीसा में मिलते हैं।
प्रश्न 30.
शीशम के वृक्ष कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
शीशम के वृक्ष मुख्यत: उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु व आन्ध्र प्रदेश में मिलते हैं।
प्रश्न 31.
लाख का उत्पादन भारत में कहाँ होता है?
उत्तर:
लाख का उत्पादन भारत में मुख्यत: गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, मेघालय व पश्चिम बंगाल में किया जाता है।
प्रश्न 32.
भारत लाख का निर्यात किन राष्ट्रों को करता है?
उत्तर:
भारत लाख का निर्यात संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जर्मनी, ब्रिटेन तथा आस्ट्रेलिया को करता है।
प्रश्न 33.
गौंद की प्राप्ति किन-किन वृक्षों से होती है?
उत्तर:
गौंद की प्राप्ति मुख्यत: नीम, पीपल, खेजड़ा, कीकर, बबूल के वृक्षों से होती है।
प्रश्न 34.
भारत में मुख्यतः कौन-कौन सी घासे मिलती हैं?
उत्तर:
भारत में मुख्यतः खसखस घास, रोशा घास, अग्नि घास, मुंज, हाथी घास, सेवण घास, धामण घास व लीलण नामक घासे मिलती हैं।
प्रश्न 35.
गंगा-ब्रह्मपुत्र एवं हुगली नदी डेल्टा में पाये जाने वाले वृक्षों के नाम बताइये।
उत्तर:
गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में सुन्दरी वृक्ष तथा हुगली नदी डेल्टा में मैन्ग्रोव वृक्ष पाये जाते हैं।
प्रश्न 36.
चमड़ा रंगने के पदार्थ किन-किन वृक्षों से प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
चमड़ा रंगने के पदार्थ मुख्यत: हरड़, बहेड़ा, आंवला, टारवुड, मैंग्रोव, कच, गैम्बियर आदि वृक्षों से प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 37.
लाख के प्रमुख उपयोग बताइये।
उत्तर:
लाख विद्युत निरोधक होता है। इसका उपयोग ग्रामोफोन रिकार्ड, पॉलिश, खिलौने, रेडियो तथा टेलीविजन ट्यूब आदि बनाने में होता है।
प्रश्न 38.
भारत के निर्यात में वनों से प्राप्त गौण उपजों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
भारत के निर्यात में वनों से प्राप्त गौण उपजों से प्रतिवर्ष लगभग ₹ 6 करोड़ की आय प्राप्त होती है।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type I
प्रश्न 1.
सदाबहार वनों की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर:
सदाबहार वनों की निम्न विशेषताएँ मिलती हैं-
- ये वन घने स्वरूप को दर्शाते हैं।
- इस प्रकार के वनों में विविध प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं।
- वृक्षों की ऊँचाई अधिक मिलती हैं।
- वृक्षों के ऊपरी सिरे छतरी-नुमा होते हैं।
- वृक्षों की सघनता के कारण सूर्य का प्रकाश धरातल पर नहीं पहुँच पाता है।
- इस प्रकार के वनों में अधिक आर्द्रता पायी जाती है।
- ये वन सदैव हरे-भरे रहते हैं।
प्रश्न 2.
सदाबहार वनों का शोषण कम क्यों हुआ है?
अथवा
सदाबहार वन से अधिक लाभ प्राप्त क्यों नहीं हो पाया है?
उत्तर:
सदाबहार वन अत्यधिक सधन होते हुए भी इनका शोषण नहीं होने के निम्न कारण हैं।
- इनकी लकड़ी कठोर होती है।
- एक ही स्थान पर विविध प्रकार के वृक्ष पाये जाते हैं।
- वृक्षों, लताओं व छोटे-छोटे पौधों की सघनता होती है, जिससे वृक्षों को काटने में असुविधा होती है।
- परिवहन के साधनों की कमी है। इसलिए आर्थिक दृष्टि से इनका उपयोग अधिक नहीं हुआ है।
प्रश्न 3.
पतझड़ी या मानसूनी वनों का अधिक दोहन क्यों हुआ है?
उत्तर:
इन वनों के अधिक दोहन के निम्नलिखित कारण हैं-
- इनकी लकड़ी अधिक कठोर नहीं होती है जिसके कारण ये आसानी से काटे जा सकते हैं।
- ये वन अधिक घने नहीं होते जिसके कारण काटने में सुविधा रहती है।
- इन वनों के क्षेत्र में यातायात के साधनों के विकसित होने के कारण इनका उपयोग अधिक हो रहा है।
- इन वनों की लकड़ी रेल के स्लीपर, जलयान व फर्नीचर बनाने में अधिक उपयुक्त रहती है।
प्रश्न 4.
शुष्क वनों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
शुष्क वनों की निम्न विशेषताएँ हैं-
- ये वन 50-100 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलते हैं।
- इन वृक्षों की जड़े लम्बी होती हैं।
- वर्षा के अभाव में वृक्ष कम ऊँचे होते हैं जो सामान्यतः 6-9 मीटर तक ऊँचे होते हैं।
- इन वनों का स्थानीय महत्व होता है।
प्रश्न 5.
मरुस्थलीय वनों की विशषताएँ बताइये।
अथवा
मरुस्थलीय वनों के लक्षण लिखिए।
उत्तर:
मरुस्थलीय वनों के निम्न लक्षण हैं।
- इस प्रकार के वन 50 सेमी से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मिलते हैं।
- इन वृक्षों में पत्तियाँ कम मिलती हैं।
- इन वृक्षों की पत्तियाँ छोटी होती हैं।
- इन वृक्षों की जड़े लम्बी व मोटी होती हैं।
- इस प्रकार की वनस्पति काँटेदार होती है।
- इन वनों की पत्तियाँ पशुओं को खिलाने के काम आती हैं।
प्रश्न 6.
पर्वतीय वनों की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
पर्वतीय वनों की निम्न विशेषताएँ मिलती हैं-
- पर्वतीय वन मोटे तने वाले होते हैं।
- इन वनों में वृक्षों के नीचे सघन झाड़ियाँ मिलती हैं।
- वृक्षों की पत्तियाँ घनी व सदाबहार होती हैं।
- वृक्षों की टहनियों पर लताएँ छाई रहती हैं।
- वृक्षों की ऊँचाई प्रायः 18-28 मीटर तक होती है।
प्रश्न 7.
भारत में वनों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वनों के महत्व को निम्न बिन्दुओं के माध्यम के स्पष्ट किया गया है-
- वनों का आर्थिक उन्नति व विकास योजनाओं में मुख्य योगदान है।
- मकान निर्माण व मकान निर्माण सामग्री के रूप में वन उत्पादों का उपयोग होता है।
- वनों से पर्यावरण संरक्षित रहता है।
- वेन वर्षा में सहायक हैं।
- वन विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तुओं की शरण स्थली होते हैं।
प्रश्न 8.
भारत में वन विकास के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में लगभग 7 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में वन है जो देश के केवल 22.02 प्रतिशत भू-भाग पर है। विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत में बहुत कम वन हैं। पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत सड़कों व रेलमार्गों के किनारे तथा अन्य स्थानों पर बाढ़ व मरुभूमियों पर नियंत्रण हेतु उगने वाले वृक्ष लगाये जा रहे हैं। वनों की कटाई पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। वन शिक्षा में अनुसंधान कार्यों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिससे राष्ट्रीय वन नीति द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
प्रश्न 9.
भारत में प्राकृतिक वनस्पति वर्षा के वार्षिक वितरण पर आश्रित है कैसे? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जलवायु की परिवर्तनशीलता, विशेष रूप से वर्षा की मात्रा में अन्तर होने के कारण देश के विभिन्न भागों में विविध प्रकार के वन मिलते हैं। पूर्वी एवं पश्चिमी हिमालय, पश्चिमी घाट के पश्चिम व पूर्वी ढालों में सदाबहार वन, उत्तरी-पश्चिमी मैदानों एवं गंगा के मध्यवर्ती एवं निचले भागों में मानसूनी वन मिलते हैं। वर्षा की मात्रा में परिवर्तन के साथ ही वनस्पति का स्वरूप भी बदल जाता है। राजस्थान के पश्चिमी भाग में न्यून वर्षा प्राप्त करने वाले मरुस्थलीय भागों में शुष्क वन दृष्टिगत होते हैं।
प्रश्न 10.
वर्तमान में वायुमण्डलीय प्रदूषण के कोई तीन कारण बताइये।
उत्तर:
वर्तमान औद्योगिक प्रगति काल में वायुमण्डलीय प्रदूषण के प्रमुख तीन कारण निम्न हैं-
- उद्योगों की चिमनियों से निकलता हुआ धुंआ।
- सड़कों पर बढ़ते यातायात के साधनों से निकलता पेट्रोल व डीजल का धुंआ तथा
- शहरों की गन्दगी आदि।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type II
प्रश्न 1.
सदाबहार व मानसूनी वनों की तुलना निम्न बिन्दुओं के आधार पर कीजिए-
- वर्षा
- लकड़ी
- पत्तियाँ
- ऊँचाई
- महत्व
अथवा
सदाबहार व मानसूनी वनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सदाबहार वन मानसूनी वनों से भिन्न हैं, कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सदाबहार व मानसूनी वनों की तुलना निम्न बिन्दुओं के आधार पर की गई है।
क्र.सं. | तुलना का आधार | सदाबहार वन | मानसूनी वन |
1. | वषा | इस प्रकार के वनों में वार्षिक वर्षा का औसत 200 सेमी से अधिक मिलता है। | इन वनों में वार्षिक वर्षा का औसत 100 – 200 सेमी के बीच मिलता है। |
2. | लकड़ी | इने वनों की लकड़ी कठोर होती है। | इन वनों की लकड़ी कठोर नहीं होती है। |
3. | पत्तियाँ | इन वनों में वर्ष भर पत्तियाँ हरी-भरी रहती हैं। | इन वनों में शुष्क काल के दौरान पत्तियाँ सूखकर गिर जाती हैं। |
4. | ऊँचाई | ये वन प्रायः 30-45 मीटर ऊँचे वृक्षों के रूप मिलती है। | इन वनों में वृक्षों की ऊँचाई 30 मीटर से कम में मिलते हैं। |
5. | महत्व | इनका आर्थिक दृष्टि से कम महत्व है। | इन वनों का आर्थिक दृष्टि से अधिक महत्व हैं। |
प्रश्न 2.
शुष्क व मरुस्थलीय वनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
शुष्क व मरुस्थलीय वनों की लुलना निम्न बिन्दुओं के आधार पर कीजिए-
1. वर्षा
2. वृक्ष प्रजाति
3. पत्तियाँ
4. ऊँचाई।
उत्तर:
शुष्क व मरुस्थलीय वनों की तुलना निम्नानुसार है-
क्र.सं. | तुलना का आधार | शुष्क वन | मरूस्थलीय वन |
1. | वर्षा | इन वनों में 50-100 सेमी वर्षा होती है। | इन वनों में 50 सेमी से कम वर्षा होती है। |
2. | वृक्ष प्रजाति | इन वनों में कीकर, बबूल, बरगद, करील, खेजड़ा, नीम, महुआ प्रमुख हैं। | इन वनों में रामबांस खेजड़ा, खैर, खजूर, नागफनी आदि प्रमुख रूप से वृक्ष मिलते हैं। |
3. | पत्तियाँ | इन वनों के वृक्षों में पत्तियाँ मध्यम चौड़ी होती हैं। | इन वनों के वृक्षों में पत्तियाँ छोटी, कम व काँटेदार होती हैं। |
4. | ऊँचाई | इन वनों में वृक्षों की ऊँचाई 6-9 मीटर तक मिलती है। | इन वनों में वृक्षों की ऊँचाई 6 मीटर से कम ही होती है। |
प्रश्न 3.
भारतीय वनों के प्रशासनिक वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत सरकार के वन विभाग द्वारा वनों की व्यवस्था, नियंत्रण व सुरक्षा के आधार पर वनों को निम्न भागों में बाँटा गया है-
- सुरक्षित वन
- संरक्षित वन
- अवर्गीकृत वन
1. सुरक्षित वन – इस प्रकार के वन भारत में 5 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में मिलते हैं। बाढ़ की रोकथाम, भूमि कटाव से बचाव व मरुस्थलों का प्रसार रोकने की दृष्टि से इन वनों का महत्वपूर्ण स्थान है।
2. संरक्षित वन – इन वनों में सरकार से लाइसेंस प्राप्त व्यक्ति ही लकड़ी काट सकते हैं तथा पशु चरा सकते हैं। ये वन लगभग 3 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हुए हैं।
3. अवर्गीकृत वन – इन वनों में लकड़ी काटने व पशु चराने पर सरकार की ओर से कोई प्रतिबन्ध नहीं है। परन्तु उपयोग करने वाले को टैक्स देना पड़ता है। लकड़ी काटने के लिये ये वन प्रायः ठेके पर दिये जाते हैं। इन वनों का विस्तार लगभग 2 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में मिलता है।
प्रश्न 4.
भारतीय वनों के नवीन वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अधिकार क्षेत्र के आधार पर भारतीय वनों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
अधिकार क्षेत्र के आधार पर भारतीय वनों को निम्न भागों में बाँटा गया है-
- राजकीय वन
- सामुदायिक वन
- व्यक्तिगत वन
1. राजकीय वन-हमारे देश के कुल वनों का लगभग 95 प्रतिशत भाग इस वर्ग में आता है। इनका नियंत्रण, देखरेख, विकास व सुरक्षा पूर्णतः सरकार के हाथ में है। भारत में घटते हुए वन क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए अधिकांश वनों को इस श्रेणी में रख गया है।
2. सामुदायिक वन-इस वर्ग के वनों का नियंत्रण, देखरेख, विकास व सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय नगर परिषद/नगर पालिकाओं एवं जिला परिषदों की होती है। हमारे देश के लगभग 3 प्रतिशत वन इस श्रेणी में शामिल हैं।
3. व्यक्तिगत वन-भारत के वन श्रेत्रों के विस्तार की आवश्यकता को देखते हुए व्यक्तिगत स्वामित्व वाले क्षेत्रों में वन विस्तार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह श्रेणी बनाई गई है। इसमें व्यक्तिगत अधिकार वाले वन सम्मिलित हैं। देश के कुल वनों का 2 प्रतिशत भाग इन वनों के अन्तर्गत आता है।
प्रश्न 5.
वनों के प्रत्यक्ष लाभों को स्पष्ट कीजिये।
अथवा
वनों के प्रत्यक्ष फायदों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
भारतीय वनों से निम्नलिखित प्रत्यक्ष लाभ होते हैं-
- वनों से कृषि उपकरण, फर्नीचर व इमारती उपयोग की लकड़ी प्राप्त होती है
- वन क्षेत्रों में पशुओं के लिये चारा उपलब्ध होता है।
- वनों से ईंधन प्राप्त होता है।
- वनों से कोयला मिलता है जो ईंधन के अलावा शक्ति के साधन के रूप में काम आता है।
- वनों से उपयोगी औषधियाँ बनाने के लिए जड़ी-बूटियाँ मिलती हैं।
- वनों से कागज, दियासलाई, खेल के सामान, रबर, रंग आदि उद्योगों के लिये कच्चा माल प्राप्त होता है।
- वनों द्वारा लोगों को व्यवसाय मिलता है; यथा- लकड़ी काटने, लकड़ी चीरने, गाड़ियाँ, दोने, नाव, रस्सी आदि तैयार करने में लोग संलग्न रहते हैं।
- वनों में अरण्डी व शहतूत के वृक्षों पर रेशम के कीड़े पालने से रेशम प्राप्त होता है।
- वनों से एकत्रित विभिन्न सामग्री से सरकार को आय भी होती है।
प्रश्न 6.
वर्तमान सन्दर्भ में वन सम्पदा का संरक्षण क्यों आवश्यक हो गया है?
अथवा
वन संरक्षण के प्रति हमें जागरूकता क्यों अपनानी होगी? स्पष्ट कीजिये।
अथवा
वन जीवन का आधार हैं, कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आज के युग में औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ वायुमंडलीय प्रदूषण बढ़ने लगा है। उद्योगों की चिमनियों से निकलता हुआ धुआँ, सड़कों पर बढ़ते यातायात के साधनों से पैट्रोल व डीजल का धुआँ, शहर की गंदगी आदि प्रदूषण बढ़ाने वाले मुख्य साधन हैं। प्राकृतिक वनस्पति वायुमंडल में गैसीय संतुलन बनाने में योगदान करती है। हमारे देश में वृक्षारोपण अभियान चलाये जाने के पीछे एक उद्देश्य वायुमंडलीय प्रदूषण को कम करना भी है। इस अनुपम भेंट का संरक्षण करना हम सभी का राष्ट्रीय और सामाजिक धर्म है। कुछ स्वार्थी तत्व तात्कालिक लाभ के लिये इन्हें नष्ट कर रहे हैं। इसे नियंत्रित करने में सम्पूर्ण विश्व में जागरूकता की स्थिति उत्पन्न हुई है। अतः हमें भी वनों के प्रति सावधान रहकर वन सम्पदा का संरक्षण करना चाहिये।
प्रश्न 7.
देवदार व साल के वृक्ष की तुलना कीजिये।
उत्तर:
देवदार वे साल के वृक्ष की तुलना निम्न बिन्दुओं के आधार पर की गई है-
क्र.सं. | तुलना आधार | देवदार | साल |
1. | क्षेत्र | यह वृक्ष हिमालय प्रदेश का वृक्ष है | यह वृक्ष मानसूनी क्षेत्र का वृक्ष है |
2. | लकड़ी का स्वरूप | इस वृक्ष की लकड़ी कठोर, भूरी-पीली टिकाऊ व मूल्यवान होती है। | इस वृक्ष की लकड़ी कठोर एवं भूरे रंग की होती है। |
3. | उपयोग | इस वृक्ष की लकड़ी का प्रयोग रेल के स्लीपर व पुल बनाने में किया जाता है। | इस वृक्ष की लकड़ी का उपयोग मकान, भवन निर्माण सामग्री व फर्नीचर हेतु किया जाता है। |
4. | पत्तियाँ | ये नुकीली पत्ती के पेड़ हैं। | ये पतझड़ी पत्ती वाले वृक्ष हैं। |
5. | विस्तार | क्षेत्र इन वृक्षों का क्षेत्र लगभग 5 लाख वर्ग किमी० में मिलता है। | इन वृक्षों का क्षेत्र लगभग 1 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में मिलता है। |
प्रश्न 8.
भारतीय वन व्यवयाय के पिछड़े होने के कारण स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत का वन व्यवसाय पिछड़ी अवस्था में है। क्यों?
उत्तर:
भारतीय वन व्यवसाय के पिछड़े होने के प्रमुख कारण हैं-
- भारत में वन क्षेत्र कम है। प्रति व्यक्ति वन क्षेत्र केवल 2 हैक्टेयर है।
- वन क्षेत्र का वितरण अत्यधिक असमान है।
- भारत में लकड़ी काटने का ढंग पुराना है।
- वन अधिक ऊँचाई पर मिलते हैं, जहाँ कटाई आसान नहीं है।
- वन क्षेत्रों में परिवहन साधनों की कमी है।
- एक प्रकार के वृक्ष एक ही स्थान पर समूह में नहीं मिलते हैं जिससे वनों का आर्थिक महत्व कम है।
- वन व्यवस्था व वन उपज के उपयोग सम्बन्धी वैज्ञानिक अनुसंधानों का अभाव है।
- वनों के संरक्षण हेतु विभागों में सामंजस्य का अभाव पाया जाता है।
- वृक्षारोपण एवं वनों की सुरक्षा का कार्य प्रभावी ढंग से नहीं हो पाता है।
- लोगों में कुशलता व जागरूकता का अभाव है।
प्रश्न 9.
वनों की उन्नति के उपायों को स्पष्ट कीजिये।
अथवा
वन संरक्षण की विधियों का वर्णन कीजिये।
अथवा
वनों को कैसे बचाया जा सकता है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
वनों की उन्नति एवं संरक्षण हेतु निम्न उपाय अपनाये जाने चाहिये-
- वनों की गैर कानूनी व अन्धाधुंध कटाई पर सख्ती से रोक लगाई जानी चाहिये।
- सुरक्षित वनों की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिये।
- प्रत्येक क्षेत्र में न्यूनतम वन भूमि निर्धारित की जानी चाहिये।
- वन अनुसंधान कार्य में तेजी लाई जानी चाहिये।
- वन प्रदेशों में परिवहन साधनों का समुचित विकास होना चाहिये।
- वनों के उपयोग व महत्व के विषय में जन चेतना कार्यक्रम शुरू किये जाने चाहिये।
- वन उद्योग के व्यावसायिक पहलू की ओर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिये। इससे सरकार को अधिक आय होगी तथा देश में रोजगार बढ़ेगा।
- विभिन्न सरकारी विभागों एवं सम्बन्धित गैर-सरकारी संस्थाओं में सामंजस्य स्थापित किया जाना चाहिये।
- अनियंत्रित पशुचारण पर रोक लगानी चाहिए।
- वृक्ष मित्र पुरस्कारों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- पर्यावरण शिक्षा के प्रति जागरूकता अपनायी जानी चाहिये।
प्रश्न 10.
भारत में वन नीति के प्रमुख उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
भारत सरकार द्वारा वनों के संरक्षण व क्षेत्र विवर्धन हेतु 1952 में वन संरक्षण नीति लागू की गई थी। जिसे सन् 1988 में संशोधित किया गया। इस नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे
- वर्तमान में वनों के क्षेत्र 23 प्रतिशत को बढ़ाकर 33 प्रतिशत तक ले जाना।
- वृक्षों की कटाई रोकने के लिये जन-आन्दोलन चलाना।
- मृदा अपरदन, मरुस्थलीकरण, बाढ़ व सूखा पर नियंत्रण करना।
- वनों की उत्पादकता को बढ़ाना।
- सामाजिक वानिकी एवं वनारोपण द्वारा वनावरण का विस्तार करना।
- पारिस्थितिकी असंतुलित क्षेत्रों में वनों को उगाना।
- देश की प्राकृतिक धरोहर, जैव विविधता तथा आनुवंशिक पूल का संरक्षण।
RBSE Class 11 Indian Geography Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वनों के अप्रत्यक्ष लाभों को स्पष्ट कीजिये।
अथवा
वन हमें दीर्घकालिक लाभ प्रदान करते हैं। कैसे? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
वनों से होने वाले अप्रत्यक्ष लाभ निम्नलिखित हैं-
- वन जलवायु को सम व नम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- वन बादलों को अपनी ओर आकृष्ट करके अधिक जलवृष्टि कराने में सहायक होते हैं।
- आँधी और तूफान की प्रचण्डता को वन कम करते हैं।
- वनों के कारण बाढ़ का प्रकोप कम हो जाता है।
- वन भूमि-कटाव व मरुस्थल के प्रसार को रोकने में सहायक होते हैं।
- पेड़ों की पत्तियों से झूमस व जीवांश मिलने के कारण वन मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।
- ये वन्य जीवों के संरक्षण स्थल होते हैं।
- वन सौन्दर्य से परिपूर्ण होते हैं।
- आखेट आदि की दृष्टि से ये मनोरंजन स्थल होते हैं।
- वन क्षेत्र में वर्षा के जल के भूमि में अधिक प्रविष्ट होने के कारण जल-स्तर ऊँचा उठता है।
- वन जैविक संतुलन बनाये रखने में सहायता प्रदान करते हैं।
- वन ध्वनि प्रदूषण को कम करते हैं।
- वनों के कारण वायुमंडलीय प्रदूषण नियंत्रण में रहता है।
- दीर्धकाल में इनके भूमि में दब जाने से कोयला जैसा महत्वपूर्ण शक्ति संसाधन प्राप्त होता है।
- वायु प्रदूषण के कारण बढ़ते हरित गृह प्रभाव को वन संयत करते हैं।
- वनों से, सांस्कृतिक स्वरूप का निर्माण होता है।
- वन जैविक विविधता को बढ़ावा देते हैं।
प्रश्न 2.
भारत में मिलने वाले शुष्क हिमालय, आर्द्र हिमालय, अधो उष्णकटिबंधीय व अल्पाइन वनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में मिलने वाले मुख्य वनस्पति समूहों के अलावा लघु स्तर पर मिलने वाले वनों के उपरोक्त प्रकारों का वर्णन निम्नानुसार है-
- शुष्क हिमालय वन – इस प्रकार के वन भारत में केवल जम्मू-कश्मीर राज्य में हिमालय क्षेत्र में पाये जाते हैं जो मुख्यतः पश्चिमी कश्मीर क्षेत्र में फैले हुए हैं।
- आर्द्र हिमालय वन – इस प्रकार की वनस्पति भारत के उत्तरी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तरांचल में पाये जाते हैं। जम्मू-कश्मीर के दक्षिणी-पश्चिमी भाग, हिमाचल प्रदेश के मध्यवर्ती पश्चिमी भाग तथा उत्तराखंड के दक्षिणी पश्चिमी वपूर्वी भागों में मुख्य रूप से पाये जाते हैं।
- अधो उष्णकटिबंधीय वन – इस प्रकार की वनस्पति शिवालिक श्रेणी के रूप में हिमालय के निम्नवर्ती भागों में पाये जाते हैं। जम्मू-कश्मीर के पश्चिम भाग, पंजाब के उत्तरी भाग, हरियाणा के उत्तरी भाग, हिमाचल प्रदेश के दक्षिणतम भाग व उत्तरांचल सिक्किम व मध्यवर्ती अरुणाचल में पश्चिम से पूर्व तक एक पट्टी के रूप में फैले हुए हैं।
- अल्पाइन वन – इस प्रकार की वनस्पति हिमालय के दक्षिण की पहाड़ियों के उच्चतम भागों में पाई जाती है। यह वनस्पति मध्यवर्ती कश्मीर में तिर्यक रूप से उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व तक फैली हुई है। हिमाचल प्रदेश के उत्तरी-पूर्वी व उत्तराखण्ड के उत्तरी भाग, सिक्किम के उत्तरी भाग, अधिकांश अरुणाचल प्रदेश व नागालैंण्ड की उच्च पहाड़ियों में मुख्य रूप से फैले हुए मिलते हैं। इस प्रकार की वनस्पति दक्षिण भारत में अन्नामलाई, नीलगिरी व इलायची की पहाड़ियों के अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में भी देखने को मिलती हैं। इन सभी वनस्पति प्रारूपों को अग्र रेखाचित्र की सहायता से दर्शाया गया है-
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