Rajasthan Board RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
भौतिक भूगोल की जिस शाखा में तापमान, वायुदाब, पवनों की दिशा एवं गति, आर्द्रता, वायुराशियाँ, विक्षोभ आदि के विषय में अध्ययन किया जाता है, वह है-
(अ) खगोलीय भूगोल
(ब) समुद्र विज्ञान
(स) मृदा भूगोल
(द) जलवायु विज्ञान
उत्तर:
(द) जलवायु विज्ञान
प्रश्न 2.
वह घटक जो भौतिक भूगोल के अंग के रूप में विवादास्पद है, वह है
(अ) वायुमण्डल
(ब) जलमण्डल
(स) स्थलमण्डल
(द) जैव मण्डल
उत्तर:
(द) जैव मण्डल
प्रश्न 3.
भूगोल की दो प्रमुख शाखाएँ हैं
(अ) कृषि भूगोल एवं आर्थिक भूगोल
(ब) भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल
(स) पादप भूगोल एवं जीव भूगोल
(द) मौसम भूगोल एवं जलवायु भूगोल
उत्तर:
(ब) भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल
प्रश्न 4.
किस भूगोलवेत्ता ने ‘भूगोल (Geography) शब्दावली का सर्वप्रथम उपयोग किया?
(अ) इरेटॉस्थेनीज
(ब) हेरोडोट्स
(स) स्ट्रेबो
(द) टॉलमी
उत्तर:
(अ) इरेटॉस्थेनीज
प्रश्न 5.
पृथ्वी की आयु मानी जाती है।
(अ) 4.8 अरब वर्ष
(ब) 5.0 अरब वर्ष
(स) 4.6 अरब वर्ष
(द) 3.9 अरब वर्ष
उत्तर:
(स) 4.6 अरब वर्ष
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 6.
ब्रह्माण्ड (Universe) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अस्तित्वमान द्रव्य एवं ऊर्जा के सम्मिलित रूप को ब्रह्माण्ड कहते हैं। यह अरबों आकाशगंगाओं, निहारिकाओं, अरबों तारों, अनेक ग्रहों, धूलि कणों, गैस के बादलों, गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव आदि से युक्त है।
प्रश्न 7.
सौरमण्डल (Solar System) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिण्डों के समूह को सौरमण्डल कहा जाता है। सौरमण्डल में सूर्य की केन्द्रीय स्थिति होती है।
प्रश्न 8.
दुग्ध मेखला (Milky way) क्या है?
उत्तर:
ब्रह्माण्ड में अनेक आकाशगंगाएँ हैं। इन आकाशगंगाओं में से एक आकाशगंगा ‘दुग्धमेखला है जिसका सम्बन्ध सौर मण्डल से है। इसे मंदाकिनी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें एक खरब से भी अधिक तारे हैं। हमारा सूर्य भी इनमें से एक है। हमारी आकाशगंगा सर्पिलाकार आकृति में विस्तृत है।
प्रश्न 9.
‘पृथ्वी तल’ (Earth Surface) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पृथ्वी तल, स्थलमण्डल, जलमण्डल, वायुमण्डल व इनमें मिलने वाले जीवों से सम्बन्धित जैवमण्डल की एक आपसी अन्तर्रक्रियात्मक स्थिति है। इन सभी में सम्पन्न होने वाली विविध क्रियाएँ सौरमण्डलीय दशाओं से नियंत्रित समय की एक लम्बी प्रक्रिया का प्रतिफल पृथ्वी तल के रूप में मिलता है।
प्रश्न 10.
जैवमण्डल (Biosphere) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
धरातल एवं वायुमण्डल के मध्य मिट्टी वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं की परत के रूप में विस्तृतं एक संकीर्ण पेटी जैवमण्डल कहलाती है। इसमें समस्त प्रकार के जीवों, जिसमें मानवे, जंतु एवं वनस्पति शामिल हैं आदि की उत्पत्ति, विकास व वितरण का अध्ययन किया जाता है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 11.
भूगोल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
भूगोल अंग्रेजी भाषा में ज्योग्राफी’ शब्द से उत्पन्न है, जो ग्रीक भाषा में ज्योग्राफिया शब्दावली से प्रेरित है। इसमें Geo का अर्थ पृथ्वी तथा Graphy का अर्थ वर्णन से है। इस प्रकार Geography का भावार्थ होता है–पृथ्वी का वर्णन करना। भौगोलिक शब्दकोष के अनुसार, “भूगोल पृथ्वी तल और मानव के पारस्परिक सम्बन्धों का विज्ञान है।” इसमें पृथ्वी का अध्ययन मानव ग्रह के रूप में किया जाता है। यह विषय पृथ्वी सतह के विविधतारूपी लक्षणों को शुद्ध, व्यवस्थित एवं तार्किक वर्णन एवं व्याख्या करता है।
प्रश्न 12.
भूगोल का उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
भूगोल का उद्देश्य मानव की उन्नति एवं विकास से जुड़ा हुआ है। हार्टशोर्न नामक विद्वान ने कहा था कि “पृथ्वी का मानवीय संसार के रूप में वैज्ञानिक रीति से वर्णन तथा विकास में योगदान करना ही भूगोल का उद्देश्य है। मानव समाज से सम्बन्धित आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृश्यभूमि विकास के उपयोग से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को हल करने के उद्देश्य की प्राप्ति हेतु एक-एक कदम बढ़ाया जाता है। इसके अन्त में निहित मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण एवं प्रकृति से समन्वय एवं सहज सानुकूलता से जुड़ा है।
प्रश्न 13.
प्रादेशिक विभिन्नता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पृथ्वी सतह पर मिलने वाली सभी दशाएँ सर्वत्र समान नहीं हैं। चाहे स्थलमण्डलीय दशाओं को देखें या फिर जलमण्डलीय दशाओं को या फिर वायुमण्डलीय दशाओं को देख लिया जाए। इस प्रकार इन सभी के रूप में मिलने वाले जैवमण्डल में भी अनेक भिन्नताएँ देखने को मिलती हैं। पृथ्वी पर भिन्न-भिन्न प्रदेशों में मिलने वाली भिन्नताओं को ही प्रादेशिक विभिन्नता कहते हैं। स्थलमण्डल का विस्तार सर्वत्र नहीं है। जलमण्डल का विस्तार स्थलमण्डल से ढाई गुना अधिक है। वायुमण्डल में भी अलग-अलग क्षेत्रों में दशाएँ अलग-अलग मिलती हैं। जैविक, अजैविक घटक एवं पर्यावरणीय दशाएँ भी अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न मिलती हैं। इस प्रकार के विविधता रूपी स्वरूप को ही प्रादेशिक विभिन्नता कहा जाता है।
प्रश्न 14.
भौतिक भूगोल और मानव भूगोल में क्या अन्तर है?
उत्तर:
भूगोल एक व्यापक एवं विशद् वर्णन वाला विज्ञान है जो जैविक एवं अजैविक सभी घटकों तथा उनकी आपसी अन्त:क्रियात्मक प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल की दो मुख्य शाखाएँ हैं जिनमें निम्नलिखित अन्तर मिलते हैं
क्र.सं. | भौतिक विज्ञान | मानव भूगोल |
1. | इसमें भौतिक दशाओं का अध्ययन किया जाता है | इसमें मुख्यत: मानवीय दशाओं का अध्ययन किया जाता है। |
2. | इसमें अध्ययन का केन्द्र बिन्दु पृथ्वी तल होता है । | इसमें अध्ययन का केन्द्र बिन्दु मानव होता है। |
3. | इसमें भौतिक पर्यावरण के तत्त्वों को मानवे पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन होता है। | इसमें मानव द्वारा किये गये परिवर्तनों का अध्ययन शामिल किया जाता है। |
प्रश्न 15.
‘अन्तरा-अनुशासनिक विज्ञान से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
‘अन्तरा-अनुशासनिक विज्ञान से तात्पर्य है-भूगोल का इसके विविध घटकों के साथ आपस में जुड़ा होना। भूगोल पृथ्वी तल का अध्ययन करने वाला विषय है जो स्वयं जलमण्डल, वायुमण्डल, स्थलमण्डल, जैवमण्डल तथा पृथ्वी की विभिन्न दशाओं के रूप में एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। मानव व प्रकृति के पारस्परिक संबंधों के फलस्वरूप आकाश के नीचे पृथ्वीतल पर होने वाली समस्त घटनाएँ एवं अंतः क्रियाएँ आपस में संयोजित होती हैं। भौतिक, मानवीय एवं सामाजिक विज्ञानों का समाकलित अध्ययन किया जाता है। इसमें सभी विज्ञान आपस में विषय-सामग्री की अदला-बदली करते हैं। इसी कारण भूगोल को एक अन्तरा-अनुशासनिक विज्ञान माना जाता है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 16.
“भूगोल एक वृक्ष है, जिसकी जड़े भौतिक भूगोल में हैं।” इस कथन की आलोचात्मक विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भूगोल एक विशद् एवं क्षेत्र वर्णनी विज्ञान है जिसका अध्ययन क्षेत्र अत्यधिक व्यापक है। पृथ्वी तल पर जो कुछ भी दिखाई देता है वह सब भूगोल की विषय-वस्तु में शामिल किया जाता है। भूगोल एक ऐसे वृक्ष के समान है जिसमें असंख्य शाखाएँ हैं। जो अलग-अलग तथ्यों से जुड़ी हुई हैं, किन्तु सभी शाखाओं से युक्त भूगोल रूपी यह वृक्ष भौतिक भूगोल रूपी जड़ों के ऊपर टिका हुआ है। भूगोल का अस्तित्त्व भौतिक भूगोल की वजह से ही सतत् बना हुआ है। भौतिक वातावरण के बिना भूगोल की कल्पना करना भी व्यर्थ है। भूगोल रूपी वृक्ष की शाखाएँ मानवीय क्रिया-कलाप के प्रत्येक पक्ष का अध्ययन करती हैं। इन सभी मानवीय क्रियाओं का प्रत्यक्षतः सम्बन्ध भौतिक भूगोल रूपी मिट्टी में भूगोल रूपी वृक्ष को स्थायित्व दिए हुए है। भौतिक वातावरण में धरातलीय स्वरूपों, सागरों एवं महासागरों, जैवमण्डल व वायुमण्डल का भौतिक भूगोल के रूप में अध्ययन किया जाता है। इन सभी तथ्यों के अनुसार ही ।
मानव की क्रियाएँ सम्पन्न हो पाती हैं। भौतिक भूगोल अनेक भूमि विज्ञानों का सारांशित अध्ययन है। भौतिक भूगोल सभी मानवीय एवं सामाजिक विज्ञानों को उसी तरह परिपोषित करता है; जैसे-वृक्ष की जड़े तने एवं शाखाओं को पोषण प्रदान करती हैं। बिना जड़ों के जिस प्रकार तने एवं शाखाओं की कल्पना नहीं की जा सकती है, ठीक उसी प्रकार बिना भौतिक भूगोल के भूगोल की कल्पना सम्भव नहीं है। भौतिक भूगोल पृथ्वी की उत्पत्ति के साथ ही विकसित हो गया था। अतः भूगोल के समान ही भौतिक भूगोल का इतिहास काफी पुराना है। भूगोल एवं भौतिक भूगोल दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। भौतिक भूगोल में मुख्यतः पृथ्वी का ही अध्ययन किया जाता है तथा भूगोल का सम्बन्ध भी पृथ्वी से ही है। भौतिक भूगोल का सम्बन्ध विस्तृत और व्यापक है। भौतिक भूगोल में स्थलमण्डल, जलमण्डल, वायुमण्डल एवं जैवमण्डल का अध्ययन शामिल है। ये सभी विभाग आगे चलकर भूगोल की एक-एक विशाल शाखाएँ बन गये हैं। जिनमें अनेक विषयों (विज्ञान) के रूप में उपशाखाओं का विकास हुआ है।
भौतिक एवं जैविक वातावरण के वितरण प्रारूपों एवं अन्तर्सम्बन्धों का विश्लेषणात्मक अध्ययन भौतिक भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है। इन भौतिक एवं जैविक वातावरण के विभिन्न अवयवों एवं उनकी अन्तक्रिया को भूतल भौतिक भूगोल के अन्तर्गत आधार प्रदान करता है। यह ठीक उसी प्रकार अपनी भूमिका निभाता है; जैसे-वृक्ष की जड़ों में वृद्धि व मजबूती से वृक्ष का मजबूत व विकसित होना निश्चित होता है। ठीक उसी प्रकार भौतिक भूगोल की वृद्धि एवं विकास से ही भूगोल रूपी वृक्ष मजबूत एवं विकसित हो सका है। सारांशत: यह कहा जा सकता है कि बिना भौतिक भूगोल के भूगोल का अपना कोई अस्तित्त्व नहीं है। भूगोल के लिए भौतिक भूगोल एक आधारशिला है।
प्रश्न 17.
भौतिक भूगोल के विषय क्षेत्र (Scope) एवं विषय सामग्री (Subject) को समझाइए।
उत्तर:
भूतल, भौतिक भूगोल के अध्ययन का केन्द्र बिन्दु है। भौतिक भूगोल का ज्ञान भूगोल की किसी भी शाखा के अध्ययन में आवश्यक है। भौतिक वातावरण से न केवल मानव का प्रत्येक क्रिया-कलाप अपितु पृथ्वी का कोई भी घटक अछूता नहीं है। वायु, जल तथा स्थल तीनों भागों में भौतिक तथ्यों का समावेश मिलता है तथा ये तीनों ही परस्पर संम्बन्धित हैं। भौतिक वातावरण का मुख्य गुण परिवर्तन है, अत: भौतिक परिस्थितियों के वितरण के ज्ञान के साथ ही परिवर्तनशीलता का भी अध्ययन भौतिक भूगोल में शामिल है। इस परिवर्तनशीलता के समायोजन से ही विभिन्न भौतिक परिस्थितियों की उत्पत्ति होती है।
भौतिक भूगोल के विषय-क्षेत्र के रूप में निम्न चार भागों को मुख्य रूप से शामिल किया गया है
- स्थलमण्डल
- जलमण्डल
- वायुमण्डल
- जैव मण्डल
इस सभी मण्डलों, इनमें सम्पन्न होने वाली क्रियाओं तथा इनके लिए उत्तरदायी कारकों का अध्ययन भौतिक भूगोल की मुख्य विषय-वस्तु हैं। भौतिक भूगोल के इन सभी घटकों में अन्तक्रियात्मक सम्बन्ध पाया जाता है।
इन घटकों के स्वरूप को संक्षिप्त रूप में निम्नानुसार वर्णित किया गया है
- स्थलमण्डल – पृथ्वीतल पर स्थित समस्त स्थलखण्डों व उनके विभिन्न स्वरूपों का अध्ययन मुख्य रूप से स्थलमण्डल के अन्दर किया जाता है। स्थलमण्डल पर मिलने वाले स्वरूपों का आकृति विज्ञान के रूप में विशद् अध्ययन किया जाता है।
- वायुमण्डल – हमारे चारों ओर फैले गैसीय आवरण को वायुमण्डल कहते हैं। इसमें विविध प्रकार की मौसमी व जलवायु सम्बन्धी दशाओं का अध्ययन शामिल किया जाता है। वायुमण्डल की परिस्थितियों का विशद् अध्ययन करना वायुमण्डल की विषय-वस्तु है।
- जलमण्डल – पृथ्वीतल के लगभग 71% भाग पर जो विशाल जलावरण मिलता है उससे सम्बन्धित घटनाओं व उनके कारणों का तार्किक रूप से विश्लेषण जलमण्डल में किया जाता है। सागर एवं महासागरीय जल में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन जलमण्डल में शामिल किया गया है।
- जैवमण्डल – धरातल, वायुमण्डल एवं जलमण्डल में निवासित जीव-जन्तुओं एवं उनसे सम्बन्धित सभी तथ्यों का अध्ययन जैवमण्डल में किया जाता है। यह जैविक जगत की दशाओं का अध्ययन करता है।
भौतिक भूगोल के विषय-क्षेत्र एवं विषय-सामग्री को निम्न चित्र के माध्यम से दर्शाया गया है-
उपर्युक्त चित्र से स्पष्ट हो जाता है कि भौतिक भूगोल को विषय एवं विषय-सामग्री अत्यन्त व्यापक है। यह इस विषय की व्यापक एवं सारगर्भिता को दर्शाता है।
प्रश्न 18.
क्या आप इस कथन से सहमत हैं कि वर्तमान का भूगोल अधिक ‘मानव केन्द्रित हो गया है।” आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
भूगोल भौतिक एवं मानवीय पक्षों का समावेशित अध्ययन है। पृथ्वीतल पर मानव का आगमन सबसे बाद में हुआ है। मानव का जन्म पृथ्वी पर लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व हुआ। मानव ने अपने विकास में भौतिक दशाओं के साथ समायोजन भी किया। किन्तु जैसे-जैसे मानव ने अपने प्राचीन स्वरूप से आधुनिक तकनीकों एवं अनेक विधियों का; यथा-हवाई सर्वेक्षण, दूरस्थ संवेदन तकनीक संचार क्रांति, आधुनिक कम्प्यूटर आधार मानचित्रकला आदि का उपयोग किया है, विकास की परिभाषा ही बदल गयी है। आधुनिकता एवं प्रौद्योगिकी के प्रसार से पृथ्वी की सतह का व्यापक एवं गहन मानवीकरण हुआ है जिससे भूगोल में आधुनिक शोध एवं अनुसंधान बढ़े और मानव के लिए पृथ्वी पर बेहतर अस्तित्त्व के प्रयास भी विषय से गहनता से जुड़े हैं। भूगोल विषय के अधिक ‘मानव केन्द्रित होने से मानव भूगोल सम्बन्धित शाखाओं का प्रसार अधिकाधिक हुआ है। जिससे भौतिक भूगोल थोड़ा पृष्ठभूमि में चला गया है।
भूगोल पृथ्वी तल या भूतल का विज्ञान है। इसमें स्थान व उसके विविध लक्षणों, विवरणों तथा स्थानिक सम्बन्धों का मानवीय संसार के रूप में अध्ययन किया जाता है। पृथ्वी तल भूगोल की आधारशिला है जिस पर सभी भौतिक मानवीय घटनाएँ एवं अन्त:क्रियाएँ सम्पन्न होती रही हैं। 1975 के पश्चात् भूगोल पृथ्वी तल के वैज्ञानिक अध्ययन के रूप में उभरकर आया है। इसके पश्चात् भूगोल में मानववादी दृष्टिकोण लगातार विकसित होता गया और इसे मानव उन्मुख भौगोलिक व्याख्याओं का विज्ञान बनाया गया।
1990 के बाद से सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक क्षेत्रों एवं सार्वजनिक नीतियों के क्रियान्वयन में भौगोलिक ज्ञान अधिकतम उपयोग होने लगा। इससे भूगोल अधिक व्यावहारिक एवं समाज उपयोगी बनता गया और वर्तमान में इसे ‘मानव कल्याणकारी विज्ञान के रूप में देखा जाता है। आज की मानवीय हस्तक्षेप वाली स्थिति के कारण भूगोल में समायोजित चलने वाले भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल में से मानव भूगोल की प्रभुता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। मानव की बढ़ती हुई आवश्यकताओं के अनुसार ही मानव भूगोल से अनेक उपशाखाओं का उदय हुआ है। सारांशत: यह कहा जा सकता है कि वर्तमान आधुनिक एवं प्रौद्योगिक युग में मानवीय प्रभाव का स्वरूप देखने को, मिलता है जो भूगोल के मानव केन्द्रित होने के स्वरूप को दर्शाता है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
हमारी आकाशगंगा का क्या नाम है?
(अ) दुग्ध मेखला
(ब) धूमकेतु
(स) सौरमेखला
(द) उल्कापिण्ड
उत्तर:
(अ) दुग्ध मेखला
प्रश्न 2.
मानव का जन्म पृथ्वी पर कब हुआ?
(अ) 10 लाख वर्ष पूर्व
(ब) 20 लाख वर्ष पूर्व
(स) 30 लाख वर्ष पूर्व
(द) 40 लाख वर्ष पूर्व
उत्तर:
(ब) 20 लाख वर्ष पूर्व
प्रश्न 3.
रिचथोफेन कहाँ के भूगोलवेत्ता थे?
(अ) अमेरिका के
(ब) फ्रांस के
(स) जर्मनी के
(द) ब्रिटेन के
उत्तर:
(स) जर्मनी के
प्रश्न 4.
क्रमबद्ध उपागम का प्रतिपादन किस भूगोलवेत्ता ने किया था?
(अ) रिचथोफेन ने
(ब) हम्बोल्ट ने
(स) रिटर ने
(द) हैटनर ने
उत्तर:
(ब) हम्बोल्ट ने
प्रश्न 5.
प्रादेशिक उपागम के प्रतिपादक कौन हैं?
(अ) ब्लॉश
(ब) हम्बोल्ट
(स) हैटनर
(द) कार्ल रिटर
उत्तर:
(द) कार्ल रिटर
प्रश्न 6.
निम्न में से जो भौतिक भूगोल की शाखा नहीं है, वह है
(अ) समुद्र विज्ञान
(ब) जल विज्ञान
(स) राजनीतिक भूगोल
(द) हिमनद विज्ञान
उत्तर:
(स) राजनीतिक भूगोल
प्रश्न 7.
पृथ्वी की स्थलाकृतियों का अध्ययन करने वाला विज्ञान है
(अ) भू-आकृति विज्ञान
(ब) जलवायु विज्ञान
(स) समुद्र विज्ञान
(द) मृदा विज्ञान
उत्तर:
(अ) भू-आकृति विज्ञान
प्रश्न 8.
भौतिक भूगोल को अनेक भूमि विज्ञानों का समन्वित अध्ययन माना है
(अ) रिर्टर ने
(ब) रिचथोफेन ने
(स) स्ट्राहलर ने
(द) ट्रिवार्थाने
उत्तर:
(स) स्ट्राहलर ने
प्रश्न 9.
अल्पकालिक वायुमण्डलीय दशाओं को कहते हैं
(अ) मौसम
(ब) जलवायु
(स) कटिबंध
(द) संरचना
उत्तर:
(अ) मौसम
प्रश्न 10.
पृथ्वी के कितने प्रतिशत भाग पर जलावरण मिलता है?
(अ) 60 प्रतिशत
(ब) 70.8 प्रतिशत
(स) 78 प्रतिशत
(द) 82 प्रतिशत
उत्तर:
(ब) 70.8 प्रतिशत
प्रश्न 11.
निम्न में से कौन-सा विषय कालिक विश्लेषण करता है?
(अ) मानवशास्त्
(ब) समाजशास्त्र
(स) भूगोल
(द) इतिहास
उत्तर:
(द) इतिहास
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 सुमलेन सम्बन्धी प्रश्न
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए
(क) | स्तम्भ अ (विज्ञान) | स्तम्भ ब (भूगोल की शाखा) |
1. | मौसम विज्ञान | (अ) जनसंख्या भूगोल |
2. | जनांकिकी | (ब) मृदा भूगोल |
3. | समाजशास्त्र | (स) जलवायु विज्ञान |
4. | मृदा विज्ञान | (द) सामाजिक भूगोल |
उत्तर:
(1) स, (2) अ, (3) द, (4) ब.
(ख) | स्तम्भ अ (विद्वान) | स्तम्भ ब (देश का नाम) |
1. | इरेटॉस्थनीज | (अ) संयुक्त राज्य अमेरिका |
2. | काण्ट | (ब) यूनानी (यूनान) |
3. | पीटर हैगेट | (स) जर्मनी |
4. | रिचर्ड हार्टशॉर्न | (द) ब्रिटेन |
उत्तर:
(1) ब, (2) स, (3) द, (4) अ
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भूगोल शब्द का भावार्थ क्या है?
अथवा
भूगोल शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई है?
उत्तर:
भूगोल शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के ज्योग्राफी शब्द से हुई है जो ग्रीक भाषा के ज्योग्राफिया शब्द से प्रेरित हैं। इसमें Geo को अर्थ पृथ्वी तथा graphy शब्द का अर्थ वर्णन करना है। इस प्रकार Geography शब्द का अर्थ है पृथ्वी का वर्णन करना।
प्रश्न 2.
प्राचीन समय में पृथ्वी की आकृति कैसी मानी गयी थी?
उत्तर:
आरम्भिक समय में यूनानी एवं रोमन विद्वानों ने पृथ्वी को चपटा या तश्तरीनुमा माना था जबकि भारतीय विद्वानों ने पृथ्वी को गोलाकार माना था।
प्रश्न 3.
भूगोल में किसका अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
भूगोल पृथ्वी तल या भूतल का विज्ञान है। इसमें स्थान व उसके विविध लक्षणों, वितरणों तथा स्थानिक सम्बन्धों का मानवीय संसार के रूप में अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 4.
रिचर्ड हार्टशॉर्न ने भूगोल की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर:
रिचर्ड हॉर्टशॉर्न के अनुसार-“भूगोल पृथ्वी सतह के विविधतारूपी लक्षणों को शुद्ध, व्यवस्थित एवं तार्किक वर्णन एवं व्याख्या करता है।
प्रश्न 5.
पीटर हैगेट ने भूगोल की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर:
ब्रिटिश भूगोलवेत्ता पीटर हैगेट ने भूगोल को पृथ्वी तल पर मानव वातावरण एवं प्रदेशों के स्थानिक तथा पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन बताया है।
प्रश्न 6.
1990 के पश्चात भूगोल में क्या परिवर्तन आया है? अथवा भूगोल अधिक व्यावहारिक क्यों बन गया?
उत्तर:
1990 के पश्चात् सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक क्षेत्रों एवं सार्वजनिक नीतियों के क्रियान्वयन में भौगोलिक ज्ञान का अधिकतम उपयोग होने लगा। इससे भूगोल अधिक व्यावहारिक एवं समाज उपयोगी बनती गया।
प्रश्न 7.
भूगोल को क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन क्यों माना जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर हमें भौतिक एवं सांस्कृतिक वातावरण के रूप में अनेक विभिन्नताएँ दिखाई देती हैं। अनेक तत्त्वों में समानता एवं असमानता पायी जाती है। अत: भूगोल को क्षेत्रीय भिन्नता का अध्ययन माना जाता है।
प्रश्न 8.
भूगोल के अध्ययन के दो प्रमुख उपागम,कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
(i) विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध) उपागम एवं (ii) प्रादेशिक उपागम।
प्रश्न 9.
क्रमबद्ध एवं प्रादेशिक उपागम का प्रतिपादन किसने किया था?
उत्तर:
क्रमबद्ध उपागम का प्रतिपादन अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट ने जबकि प्रादेशिक उपागम का प्रतिपादन कार्लरिटर ने किया था।
प्रश्न 10.
क्रमबद्ध उपागम से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
इस उपागम में किसी एक तथ्य का सम्पूर्ण वैश्विक स्तर पर अध्ययन किया जाता है। इसके पश्चात क्षेत्रीय स्वरूप के वर्गीकृत प्रकारों की पहचान की जाती है।
प्रश्न 11.
प्रादेशिक उपागम से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
इस उपागम में विश्व को विभिन्न पदानुक्रमिक स्तर के प्रदेशों में विभाजित किया जाता है। इसके पश्चात क्षेत्र विशेष में समस्त भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 12.
भौगोलिक अध्ययन में किस-किस को शामिल किया गया है?
उत्तर:
भौगोलिक अध्ययन में जलवायु, उच्चावच, भू-आकृति, मिट्टी, जल, महासागर, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, प्राकृतिक विषय, जनसंख्या सम्बन्धित घटनाएँ, अधिवास, राजनैतिक, कृषि, खनन, आर्थिकी, विपणन, मनोरजंन, परिवहन, चिकित्सा, सामाजिक वे सांस्कृतिक पहलू आदि शामिल किए जाते हैं।
प्रश्न 13.
वर्तमान में भूगोल के विकास की परिभाषा क्यों बदल गयी है?
अथवा
भूगोल में किन-किने नवीन विधियों का प्रयोग होने लगा है?
उत्तर:
वर्तमान में भूगोल के अन्दर आधुनिक तकनीकों एवं विधियों को प्रयोग किया जाने लगा है। हवाई सर्वेक्षण, दूरस्थ संवेदन, तकनीकी संचार क्रांति, आधुनिक कम्प्यूटर आधारित मानचित्रकला आदि के उपयोग ने भौगोलिक विकास की परिभाषा ही बदल दी है।
प्रश्न 14.
पृथ्वी सतह का गहन मानवीकरण कैसे हुआ है?
उत्तर:
आधुनिकता एवं प्रौद्योगिकी के प्रसार ने पृथ्वी की सतह का व्यापक एवं गहन मानवीकरण किया है।
प्रश्न 15.
भौतिक भूगोल की पाँच उपशाखाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
भौतिक भूगोल की पाँच उपशाखाओं में भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, समुद्र विज्ञान, जैव विज्ञान एवं मृदा विज्ञान प्रमुख हैं।
प्रश्न 16.
मानव भूगोल की पाँच उपशाखाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
मानव भूगोल की पाँच उपशाखाओं में आर्थिक भूगोल, कृषि भूगोल, संसाधन भूगोल, औद्योगिक भूगोल एवं जनसंख्या भूगोल मुख्य हैं।
प्रश्न 17.
किन तथ्यों का अध्ययन भूगोल की प्रत्येक शाखा व उपशाखा में किया जाता है?
उत्तर:
मानचित्रकला, सांख्यिकीय, सर्वेक्षण, गणितीय भूगोल, व्यावहारिक भूगोल तथा दूरस्थ संवेदन व जी.आई.एस. का उपयोग भूगोल की प्रत्येक शाखा व उपशाखा में होता है।
प्रश्न 18.
भूगोल के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति क्यों हुई है?
उत्तर:
पिछली अर्द्ध शताब्दी में भौतिक भूगोल के विभिन्न क्षेत्रों में अनेकानेक अनुसंधानों, अन्वेषणों व शोधों के कारण नवीन जानकारियाँ तथा नवीन तथ्य प्राप्त हुए हैं, जिनसे भूगोल के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति हुई है।
प्रश्न 19.
भूगोल के दो स्पष्ट उपक्षेत्र कौन-कौन से हैं?
अथवा
भूगोल की शाखाएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
अध्ययन की सुविधा तथा विषय के विस्तार को ध्यान में रखते हुए भूगोल के दो स्पष्ट उपक्षेत्र या शाखाएँ विकसित हुई हैं जो वर्तमान में भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल के रूप में जानी जाती हैं।
प्रशन 20.
लोबैक के अनुसार भूगोल की विषय-वस्तु क्या है?
उत्तर:
लोबैक के अनुसार जीव और उसके भौतिक वातावरण के सम्बंधों का अध्ययन भूगोल की विषय वस्तु है।
प्रश्न 21.
भौतिक भूगोल में किनका अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
भौतिक भूगोल में मुख्यत: पृथ्वी तल के धरातलीय स्वरूपों, सागरों एवं महासागरों, जैवमण्डल तथा वायुमण्डल के अध्ययन को भौतिक भूगोल के अन्तर्गत शामिल किया जाता है।
प्रश्न 22.
काण्ट ने भौतिक भूगोल को किस प्रकार परिभाषित किया है?
अथवा
काण्ट के अनुसार भौतिक भूगोल की क्या परिभाषा है?
उत्तर:
काण्ट के अनुसार-“भौतिक भूगोल विश्व के ज्ञान का प्रथम भाग है एवं निश्चित ही विश्व के वस्तुबोध को समझने के लिये एक प्राथमिक आवश्यकता है।”
प्रश्न 23.
पियरे बाइरट ने भौतिक भूगोल की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर:
पियरे बाइरट के अनुसार – “मानव सभ्यता से अप्रभावित पृथ्वी के दृश्य प्राकृतिक धरातल का अध्ययन भौतिक भूगोल है।”
प्रश्न 24.
आर्थर होम्स ने भौतिक भूगोल को कैसे परिभाषित किया है?
उत्तर:
आर्थर होम्स के अनुसार-“भौतिक पर्यावरण का अध्ययन ही स्वयं में भौतिक भूगोल है, जिसके अन्तर्गत स्थलाकृति (भू-आकृति विज्ञान), सागरों व महासागरों (समुद्र विज्ञान), एवं वायुमण्डल (मौसम व जलवायु विज्ञान) का अध्ययन सम्मिलित है।”
प्रश्न 25.
स्थलमण्डल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पृथ्वीतल के ऊपरी भाग में स्थित परत को स्थलमण्डल कहते हैं। यह समस्त स्थलखण्डों व उनके विविध स्वरूपों का अध्ययन करता है।
प्रशन 26.
भू-आकृति विज्ञान से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
स्थलमण्डलीय भाग की ऊपरी सतह पर मिलने वाली विविध प्रकार की स्थलाकृतियों के अध्ययन करने वाले विज्ञान को भू-आकृति विज्ञान कहते हैं। इसकी उत्पत्ति ग्रीक भाषा के Geomorphology नामक शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है Geo = पृथ्वी, Morpho = आकृतियों व Logy = वर्णन करना अर्थात् पृथ्वी की आकृतियों का वर्णन करना।
प्रश्न 27.
वायुमण्डल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
हमारे चारों ओर जो गैसीय आवरण पाया जाता है उसे ही वायुमण्डल कहा जाता है। इस वायु के आवरण ने धरातल को चारों ओर से घेर रखा है।
प्रश्न 28.
जलवायु से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र विशेष में लम्बी अवधि तक वायुमण्डलीय दशाओं के औसत को जलवायु कहा जाता है।
प्रश्न 29.
वायुमण्डलीय दशाओं में क्या-क्या शामिल किया जाता है?
उत्तर:
वायुमण्डलीय दशाओं में वायुमण्डल की संरचना, ऊँचाई, तापमान, वायुदाब, पवनों की गति व दिशा, आर्द्रता के रूप, वायुराशियाँ एवं विक्षोभ, विश्व की जलवायु, मेघाच्छादन व वृष्टि आदि को शामिल किया गया है।
प्रश्न 30.
जलमण्डल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पृथ्वी के दो-तिहाई से अधिक भाग पर जल का विशाल आवरण फैला हुआ मिलता है। इस विशाल जलावरण का स्वरूप सागरों व महासागरों के रूप में मिलता है। इस प्रकार जल में सम्पन्न होने वाली घटनाओं, उनके कारणों तथा जल की क्रियाओं को तार्किक रूप से अध्ययन करने वाला विषय जलमण्डल के रूप में विश्लेषित किया जाता है।
प्रश्न 31.
जलवायु किन-किन कार्यों को नियंत्रित करती है? अथवा जलवायु मानव के किन कार्यों को प्रभावित करती है?
उत्तर:
जलवायु के द्वारा मानव के आवास, वस्त्र, भोजन के साथ-साथ वनस्पति, फसलों के प्रतिरूप, पशुपालन एवं उद्योगों को मुख्य रूप से प्रभावित किया जाता है।
प्रश्न 39.
विश्व में पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन क्यों उत्पन्न हुआ है?
उत्तर:
मानव के द्वारा विकसित की गयी तकनीकी के बढ़ते उपयोग के कारण विश्व में पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन उत्पन्न हुआ है।
प्रश्न 33.
सतत विकास के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर:
सतत् विकास के लिए भौतिक वातावरण का ज्ञान होना अति आवश्यक है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 लघुत्तरात्मक प्रश्न – I
प्रश्न 1.
ब्रह्माण्ड रहस्यमय क्यों है?
उत्तर:
ब्रह्माण्ड एकल रूप में या बहुआयामी रूप से अनेकानेक रहस्यों से भरा है। इस ब्रह्माण्ड का मानव को प्रारम्भिक रूप से भी सही ज्ञान प्राप्त नहीं है। इसमें मिलने वाले अरबों तारे, असंख्य निहारिकाएँ, अरबों आकाशगंगाएँ, तारों से जुड़े ग्रह, धूलिकण, गैस के बादल, गुरुत्वाकर्षण एवं इसके प्रभाव व अन्य बलों के कारण आज भी ब्रह्माण्ड एक रहस्य ही है जिसका पूर्ण अध्ययन कर पाना एक अत्यन्त दुष्कर कार्य है। इसीलिए ब्रह्माण्ड रहस्यमय है।
प्रश्न 2.
वैज्ञानिक भूगोल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रकृति और मानव के पारस्परिक सम्बन्धों के फलस्वरूप, आकाश के नीचे पृथ्वी तल पर होने वाली समस्त घटनाएँ एवं अंत:क्रियाएँ भूगोल के अध्ययन में शामिल की जाती हैं। पृथ्वी तल भूगोल का आधार स्थल है, जिस पर अनेकानेक प्रकार की विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। विभिन्नता रूपी लक्षणों वाले पृथ्वी तल का शुद्ध, व्यवस्थित एवं तार्किक रूप से विश्लेषण एवं वर्णन करना ही वैज्ञानिक भूगोल है।
प्रश्न 3.
भूगोल पृथ्वी तल का विज्ञान है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भूगोल को भूतल का विज्ञान माना गया है क्योंकि इसमें स्थान व उसके विविध लक्षणों, वितरणों तथा स्थानिक सम्बन्धों को मानवीय संसार के रूप में अध्ययन किया जाता है। पृथ्वी तल भूगोल की आधारशिला है। इस पर सभी भौतिक व मानवीय घटनाएँ एवं अन्त:क्रियाएँ सम्पन्न होती रहती हैं। ये सभी क्रियाएँ समय एवं स्थान के परिवर्तनशील सम्बन्ध के रूप में घटित होती हैं। पृथ्वी का अध्ययन करने से जुड़ा होने के कारण भूगोल को पृथ्वी तल का विज्ञान कहा जाता है।
प्रश्न 4.
भूगोल की कोई दो महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ दीजिए।
उत्तर:
भूगोल की दो महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं –
रिचर्ड हार्टशोर्न के अनुसार – “भूगोल का उद्देश्य धरातल की प्रादेशिक अथवा क्षेत्रीय भिन्नता का वर्णन एवं व्याख्या करना है।”
अल्फ्रेड हैटनर के अनुसार – “भूगोल धरातल के विभिन्न भागों में कारणात्मक रूप से सम्बन्धित तथ्यों में भिन्नता का अध्ययन करता है।”
प्रश्न 5.
हमें भूगोल क्यों पढ़ना चाहिए? अथवा भूगोल का अध्ययन क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भूगोल का अध्ययन इसलिए किया जाता है कि हम धरातल पर रहते हैं। हमारा जीवन हमारे आस-पास के वातावरण से प्रभावित होता है। हम जीवनयापन करने के लिए आस-पास के संसाधनों पर निर्भर रहते हैं तथा हम जानते हैं कि प्राकृतिक संसाधन आधार, तकनीकी विकास, भौतिक वातावरण के साथ अनुकूलन एवं उसका परिष्करण, सामाजिक संगठन एवं सांस्कृतिक विकास में विभिन्नता. पायी जाती है। इन सबको जानने के लिए भूगोल का अध्ययन आवश्यक हो जाता है।
प्रश्न 6.
मानव कल्याणकारी भूगोल से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
भूगल व पृथ्वी तल के विविध लक्षणों का संगठित एवं संवेदनशील वैज्ञानिक अध्ययन 1975 के पश्चात् भूगोल में किया जाने लगा जिससे भूगोल में मानववादी दृष्टिकोण का लगातार विकास होता गया। 1990 के बाद से सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक क्षेत्रों एवं सार्वजनिक नीतियों के क्रियान्वयन में भौगोलिक ज्ञान का अधिकतम उपयोग होने लगा। इससे भूगोल अधिक व्यावहारिक एवं समाज उपयोगी बनता गया। इसे ही वर्तमान में मानव कल्याणकारी भूगोल के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 7.
भौतिक भूगोल की उपशाखाएँ कौन-कौन सी हैं?
अथवा
भौतिक भूगोल को किन शाखाओं में बाँटा गया है?
उत्तर:
भौतिक भूगोल, भूगोल की एक मुख्य शाखा है। इस शाखा को निरन्तर विकास होने के कारण इसमें निम्नलिखित उपशाखाएँ विकसित हुई हैं। भू-गणित, भू-भौतिकी, खगोलीय भूगोल, भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, समुद्र विज्ञान, जल विज्ञान, हिमनद विज्ञान, मृदा विज्ञान, जैव विज्ञान, चिकित्सा भूगोल, पारिस्थितिकी व मानचित्र कला आदि।
प्रश्न 8.
मानव भूगोल में किन उपशाखाओं का विकास हुआ है?
अथवा
मानव भूगोल में विकास के साथ-साथ अलग-अलग शाखाओं का विकास हुआ है। इनके नाम लिखिए।
उत्तर:
भूगोल की दूसरी महत्त्वपूर्ण शाखा के रूप में मानव भूगोल का स्थान आता है। यह विज्ञान मानवीय क्रियाओं का अन्तर विश्लेषणात्मक अध्ययन करता है। इस कारण इसकी अनेक उपशाखाओं का समय के साथ उदय हुआ है। इन शाखाओं में मुख्यत:
आर्थिक भूगोल, कृषि भूगोल, संसाधन भूगोल, औद्योगिक भूगोल, परिवहन भूगोल, जनसंख्या भूगोल, अधिवास भूगोल, नगरीय भूगोल, ग्रामीण भूगोल, राजनीतिक भूगोल, सैन्य भूगोल, ऐतिहासिक भूगोल, पौध भूगोल, जन्तु भूगोल, सामाजिक भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, प्रादेशिक नियोजन व दूरस्थ संवेदन व जी.आई.एस. आदि को शामिल किया जाता है।
प्रश्न 9.
भू-आकृति विज्ञान में किसको अध्ययन किया जाता है?
अथवा
भू-आकृति विज्ञान स्थलस्वरूपों का अध्ययन है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भू-आकृति विज्ञान स्थलस्वरूपों का अध्ययन करने वाला विज्ञान है। यह धरातल पर मिलने वाली विविध स्थलाकृतियों का अध्ययन करता है। इसमें मुख्यत: पृथ्वी की उत्पत्ति, ग्लोब के प्रसार, भूपटल के निर्माण, स्थलरूपों तथा स्थलाकृतियों की उत्पत्ति तथा भू-आकृतिक उपक्रमों, पृथ्वी की आन्तरिक संरचना, महाद्वीपों एवं महासागरों की उत्पत्ति, पर्वत निर्माण की प्रक्रिया, ज्वालामुखी, भूकम्प, अनाच्छादन की प्रक्रियाओं के रूप में अपरदन, अपक्षये व इनसे निर्मित होने वाली विविध स्थलाकृतियों का अध्ययन ही भू-आकृति विज्ञान में किया जाता है।
प्रश्न 10.
“भूगोल प्रकृति एवं मानव के समग्र इकाई के रूप में अन्तःप्रक्रिया के अध्ययन से सम्बन्धित है।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भौतिक तथा मानवीय दोनों प्रकार के भौगोलिक तथ्य स्थिर नहीं हैं बल्कि गत्यात्मक हैं। ये सतत् परिवर्तनशील पृथ्वी तथा निरन्तर क्रियाशील तथा निरन्तर मानव के मध्य आबद्ध प्रक्रियाओं के फलस्वरूप कालांतर में परिवर्तन होते रहते हैं। आदिम मानवे समाज अपने निकटवर्ती पर्यावरण पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर रहता था परन्तु वर्तमान में ऐसी स्थिति नहीं है। वह प्रकृति पर अपनी छाप छोड़ता है तथा प्रकृति के सहयोग से नयी संभावनाओं का सृजन करता है।
प्रश्न 11.
जैविक क्रियाएँ भौतिक वातावरण की अन्तःक्रिया का परिणाम होती हैं। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव एवं उसके भौतिक वातावरण में अनेक अन्त:क्रियाएँ होती हैं। वायुमण्डल-स्थलमण्डल एवं . वायुमण्डल-जलमण्डल के मिलन की सकड़ी परत का सम्पर्क क्षेत्र जैविक परत के रूप में मिलता है। इस सम्पर्क क्षेत्र को अन्तरापृष्ठ भी कहा जा सकता है। विभिन्न भौतिक शक्तियों की गहन क्रियाएँ एवं प्रतिक्रियाएँ उक्त सम्पर्क क्षेत्र में होती रहती हैं। इन क्रिया-प्रतिक्रियाओं का एवं उनके परिणामों का वितरण अत्यंत असमान मिलता है। मानव भूतल पर निवास करता है तथा भौतिक वातावरण से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता हैं। अत: जैविक क्रियाएँ भौतिक वातावरण से अन्तर्सम्बन्धित होती हैं।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 लघुत्तरात्मक प्रश्न – II
प्रश्न 1.
मानव ने सबसे बुद्धिमान होने की बात कैसे सिद्ध की है?
अथवा
मानव प्रकृति का बुद्धिमान प्राणी कैसे बन गया है?
उत्तर:
मानव को पृथ्वी पर आगमन सबसे बाद में हुआ, मानव का जन्म पृथ्वी पर लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व हुआ। जंगलों में रहता हुआ मानव सभ्यता की दहलीज पार कर विकास के पथ पर बढ़ता हुआ वर्तमान स्थिति में पहुँचा है। इस दौर में मानव ने अग्नि एवं पहिये के प्रारम्भिक आविष्कार किये। इन आविष्कारों ने मानव विकास में मील के पत्थर की भूमिका निभाई। विकास का यह स्वरूप निरन्तर चलता रहा। विकास के इस दौर में प्रकृति ने मानव को एक मित्र एवं माँ की तरह स्नेह दिया और आगे बढ़ने का मार्ग भी बताया। मानव ने प्रकृति द्वारा प्रदान किये गये संसाधनों का उपयोग अपनी आवश्यकता, पसन्द व क्षमता के अनुसार किया। प्रकृति में रूपान्तरण कर मनुष्य ने अपने सबसे बुद्धिमान प्राणी होने की बात भी सिद्ध कर दी।
प्रश्न 2.
भूगोल की प्रकृति का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर:
भूगोल की प्रकृति समय के साथ-साथ परिवर्तनशील रही है। विकासक्रम के आधार पर भूगोल की प्रकृति को संक्षेप में निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है –
- भूगोल पृथ्वी तल का विज्ञान है – भूगोल मुख्य रूप से पृथ्वी तल का अध्ययन है। किसी तत्त्व के सन्दर्भ में भूगोल की | विषय-वस्तु पृथ्वी तल ही हो सकता है। हम्बोल्ट जैसे भूगोलवेत्ता ने प्रकृति के समष्टि अध्ययन को ही भूगोल का विषय माना था।
- भूगोल विभिन्न तत्त्वों के अन्तर्सम्बन्धों का विज्ञान है – भूगोल में विभिन्न तत्त्वों का अलग-अलग अध्ययन नहीं किया जाता बल्कि विभिन्न तत्त्वों के पारस्परिक सम्बन्धों से उत्पन्न भू – दृश्यों की विस्तृत विवेचना की जाती है। अतः कहा जा सकता है कि भूगोल अन्तर्सम्बन्धों का विज्ञान है।
- भूगोल प्रादेशिक समाकलन का अध्ययन है-भूगोल में अध्ययन की सुविधा के लिए प्रादेशीकरण एवं सीमांकन किया जाता है। एक प्रदेश अपनी समांगता व कार्यात्मक एकता के आधार पर दूसरे प्रदेशों से भिन्न हो जाता है। भूगोल में प्रदेशों के समाकलित अध्ययन पर बल दिया जाता है।
- भूगोल संश्लेषणात्मक विज्ञान है – भूगोल का मुख्य कार्य प्रदेश विशेष के सन्दर्भ में विभिन्न तत्त्वों के अन्तर्सम्बन्धों का समाकलन करना है।
- भूगोल व्यावहारिक समस्या के निराकरण का विज्ञान है – भूगोल एक व्यावहारिक विज्ञान है जिसके अध्ययन का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र/प्रदेश की समस्याओं की खोज करके उसके समाधान हेतुविधि एवं नियोजन प्रस्तुत करना है। वर्तमान समय में भूगोल एक अन्तरानुशासित विज्ञान बन गया है। इसका मुख्य उद्देश्य मानव एवं प्रकृति के अन्तर्सम्बन्धों को समझाते हुए संसाधनों के समुचित उपयोग तथा मानव के विकास हेतु अपनी योजनाएँ प्रस्तुत करना है।
प्रश्न 3.
मानव भूगोल की शाखाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल की प्रमुख शाखाएँ निम्नलिखित हैं
- सामाजिक/सांस्कृतिक भूगोल – इसमें मानव के सामाजिक/सांस्कृतिक पर्यावरण का क्षेत्रीय अध्ययन किया जाता है।
- जनसंख्या एवं अधिवास भूगोल-इसमें जनसंख्या-सरंचना, जनसंख्या वृद्धि सिद्धान्त, कारणों, समाधान के उपाय, ग्रामीण एवं नगरीय जनसंख्या, प्रवास, व्यावहारिक संरचना आदि का अध्ययन होता है। अधिवास भूगोल में अधिवासों की उत्पत्ति, विकास, ग्रामीण एवं नगरीय अधिवास आदि का विस्तृत अध्ययन होता है।
- आर्थिक भूगोल-आर्थिक भूगोल में आर्थिक संसाधनों के वितरण, उपयोग, संरक्षण आदि का विस्तृत विवेचन होता है।
- ऐतिहासिक भूगोल-इसमें भौगोलिक कारकों की ऐतिहासिक व्याख्या की जाती है।
- राजनीतिक भूगोलं-इसमें राजनीतिक घटनाओं की क्षेत्रीय व्याख्या, सीमाओं, पड़ोसी इकाइयों के सम्बन्धों एवं निर्वाचन व्यवहारों तथा इकाइयों का क्षेत्रीय अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 4.
भूगोल के दो पक्षों में क्या परिवर्तन आये हैं?
उत्तर:
भूगोल के दो मुख्य पक्ष हैं-भौतिक अथवा प्राकृतिक वातावरण तथा मानव। किसी भी विज्ञान की उन्नति का एक प्रमाण इसके उपक्षेत्रों तथा विशेष अध्ययनों का विकास भी होता है। वर्तमान में एक ओर भौतिक वातावरण के तत्त्व मानव को प्रभावित करते हैं, तो दूसरी ओर मनुष्य स्वयं एक भौगोलिक कारक के रूप में वातावरण में परिवर्तन करता रहता है। पृथ्वी एवं मानव दोनों ही गतिमान एवं परिवर्तनशील हैं। मानवीय क्रिया-कलापों तथा उसमें उत्पन्न सांस्कृतिक वातावरण के तत्त्वों का अध्ययन मानव भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है। जीव और उसके भौतिक वातावरण के सम्बन्धों का अध्ययन भूगोल की विषय-वस्तु है।
प्रश्न 5.
स्थलमण्डल का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी तल पर स्थित समस्त स्थलखण्डों तथा उनके विभिन्न स्वरूपों का अध्ययन मुख्य रूप से स्थलमण्डल के अन्तर्गत किया जाता है। जिन अवस्थाओं एवं प्रक्रियाओं के फलस्वरूप भूतल वर्तमान दशा में पहुँचा है उस पर भी विचार करके अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार के अध्ययन में मुख्यत: पृथ्वी का भू-वैज्ञानिक इतिहास, भूगर्भ की रचना, शैलों के प्रकार, ढाल, अन्तर्जात एवं बर्हिजात बल, संरचना प्रक्रम, अवस्था आदि सम्मिलित हैं। भू-आकृति-विज्ञान (Geomorphology) के अन्तर्गत स्थलमण्डल की विभिन्न आकृतियों का अध्ययन किया जाता है। स्थलमण्डल के अन्तर्गत जिस भाग पर हम विचरण करते हैं तथा जिस गहराई तक हम इसका उपयोग करते हैं, सम्मिलित है। पृथ्वी का धरातल सर्वत्र समतल नहीं होकर अत्यन्त असमान है। इस धरातल पर कहीं विशाल मैदान है, तो कहीं पर गहरी-गहरी घाटियाँ या विशाल पर्वत शिखर अथवा कहीं-कहीं पर छोटे-छोटे द्वीप स्थित हैं। विभिन्न भूगर्भिक शक्तियों व प्रक्रियाओं का महाद्वीपों के निर्माण से लेकर धरातल के विभिन्न स्वरूपों के निर्माण में योगदान रहा है। विभिन्न प्रकार की शैलों का निर्माण इन्हीं भूगर्भिक शक्तियों के परिणामस्वरूप ही होता है। अतः ये सभी तथ्य स्थलमण्डल के अंग हैं।
प्रश्न 6.
वायुमण्डल का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु के आवरण द्वारा धरातल को चारों ओर से घेरा हुआ है, यही वायुमण्डल होता है। धरातल पर समस्त वायुमण्डलीय दशाओं तथा जीवधारियों के लिए यही वायुमण्डल आवश्यक है। जलवायु विज्ञान के अन्तर्गत इसका अध्ययन किया जाता है। वायुमण्डल की गैसें हमारे लिए महत्त्वपूर्ण, अद्भुत एवं आधारभूत संसाधन हैं। वायुमण्डल भी भौतिक भूगोल के अन्य घटकों की भांति अत्यन्त परिवर्तनशील घटक है। मौसम के अन्तर्गत वायुमण्डलीय अल्पकालिक परिस्थितियों को सम्मिलित किया जाता है। इन वायुमण्डलीय परिघटनाओं के अन्तर्गत वायुमण्डल की संरचना, ऊँचाई, तापमान, वायुदाब, पवनों की गति, दिशा उत्पत्ति एवं प्रकार, आर्द्रता के रूप, वायुराशियाँ एवं विक्षोभ, विश्व की जलवायु, मेघाच्छादन, वृष्टि आदि सम्मिलित हैं।
प्रश्न 7.
जलमण्डल का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी का दो-तिहाई से अधिक क्षेत्र समुद्रों एवं महासागरों से संबंध रखने वाले विभिन्न तथ्यों का अध्ययन होता है। जल का संघटन छोटे अथवा बड़े जलाशयों में भिन्न-भिन्न पाया जाता है। गहराई के साथ भी जल में व्यापक भिन्नताएँ पाई जाती हैं। जलमण्डल में सागरों एवं महासागरों की उत्पत्ति एवं वितरण, समुद्री नितल, जल के भौतिक एवं रासायनिक गुण एवं संरचना, जल संचार, महासागरीय निक्षेप, महासागरों में तापमान, लवणता, घनत्व, ज्वारभाटा, प्रवाल-भित्तियाँ, लहरें, धाराएँ आदि का अध्ययन किया जाता है। जल मण्डल में विभिन्न प्रकार की गतियाँ पाई जाती हैं। जैविक एवं अजैविक संसाधनों का अतुल भण्डार भी जलमण्डल में पाया जाता है। उपरोक्त सभी तथ्यों का अध्ययन जल मण्डल के अंग के रूप में किया जाता है।
प्रश्न 8.
भौतिक भूगोल के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भौतिक भूगोल के अन्तर्गत भूमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल एवं जैवमण्डल का अध्ययन किया जाता है। वर्तमान समय में भौतिक भूगोल प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबन्धन से सम्बन्धित विषय के रूप में विकसित हो रहा है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु भौतिक पर्यावरण एवं मानव के मध्य सम्बन्धों को समझना अति आवश्यक है। भौतिक पर्यावरण संसाधन प्रदान करता है तथा मानव इने संसाधनों का उचित उपयोग कर अपना आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास सुनिश्चित करता है। तकनीकी की सहायता से संसाधनों के बढ़ते उपयोग ने सम्पूर्ण विश्व में पारिस्थैतिक असन्तुलन उत्पन्न कर दिया है। अतः सतत् विकास के लिए भौतिक . वातावरण का ज्ञान अति आवश्यक है जो भौतिक भूगोल के महत्त्व को प्रदर्शित करता है।
RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 1 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भूगोल की प्रमुख शाखाओं का उल्लेख करते हुए उनके विषय में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भूगोल एक अन्तरानुशासिक (Inderdisciplinary) विज्ञान है। जिसमें अनेक भौतिक एवं सामाजिक विज्ञानों को सम्मिलित किया जाता है। वर्तमान समय में भौतिक एवं मानव भूगोल तथा उपागम के अध्ययन के आधार पर क्रमबद्ध एवं प्रादेशिक भूगोल के रूप में इसमें द्वैतवाद (Dualism) भी देखने को मिलता है, किन्तु यह विभाजन केवल सैद्धान्तिक हो सकता है, व्यावहारिक नहीं। वास्तव में भूगोल का अध्ययन इनके समाकलित अध्ययन से ही पूर्ण होता है। भूगोल को शाखाओं एवं उपशाखाओं में निम्न प्रकार से विभाजित किया जाता है –
भूगोल की प्रमुख दो शाखाओं का संक्षिप्त विवेचन निम्न प्रकार है –
(क) भौतिक भूगोल
यह भूगोल की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण शाखा है। इसमें पृथ्वी की उत्पत्ति, आन्तरिक संरचना, चट्टान, ज्वालामुखी एवं भूकम्प, अपक्षये एवं अपरदन के कारकों, वायुमण्डल, जलमण्डल एवं जैवमण्डल आदि का विस्तृत अध्ययन होता है। भौतिक भूगोल की प्रमुख उपशाखाओं का संक्षिप्त विश्लेषण निम्न प्रकार है –
- भू-आकृति विज्ञान – इसमें स्थलरूपों की उत्पत्ति, विकास, संरचना, अपरदन के कारकों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है।
- मौसम एवं जलवायु विज्ञान-इसमें मौसम एवं जलवायु के कारकों, ऋतुओं, जलवायु प्रदेशों एवं उनकी विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।
- समुद्र विज्ञान – इसमें महासागरों, उनके नितल, संरचना एवं उत्त्पत्ति, तापमान, लवणता, सामुद्रिक गतियों आदि का अध्ययन किया जाता है।
- खगोल विज्ञान – इसमें पृथ्वी के ग्रहीय सम्बन्धों तथा सूर्य एवं चन्द्रमा की सापेक्ष स्थिति का अध्ययन सम्मिलित है।
- जैव भूगोल – इसमें वनस्पति तथा जीवों का भौगोलिक विश्लेषण किया जाता है।
- मृदा भूगोल – इसमें मिट्टी की उत्पत्ति, निर्माण प्रक्रिया, विशेषताएँ, वितरण, उत्पादकता आदि का अध्ययन किया जाता है।
- पर्यावरण भूगोल-इसके अन्तर्गत पर्यावरण, पर्यावरणीय कारकों, उनमें परिवर्तन तथा प्रभावों एवं संरक्षण आदि का अध्ययन किया जाता है।
(ख) मानव भूगोल
मानव भूगोल, भूगोल की द्वितीय महत्त्वपूर्ण शाखा है। इसमें मानव, उसकी उत्पत्ति; प्रजातियाँ उनके वितरण तथा उनकी क्रियाओं की . विस्तृत विवेचना तथा उनके पर्यावरणीय सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।
मानव भूगोल की प्रमुख शाखाएँ निम्नलिखित हैं
- ऐतिहासिक भूगोल – इसमें प्राचीन देशों का भौगोलिक अध्ययन किया जाता है।
- आर्थिक भूगोल – इसमें मानव की आर्थिक क्रियाओं का भौगोलिक वर्णन किया जाता है। कृषि भूगोल, औद्योगिक भूगोल, संसाधन भूगोल, परिवहन भूगोल, पर्यटन भूगोल आदि आर्थिक भूगोल की ही शाखाएँ हैं।
- सामाजिक भूगोल – इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रदेशों में निवास करने वाले मानव वर्गों की सामाजिक विशेषताओं और उन पर भौगोलिक प्रभावों का अध्ययन होता है।
- सांस्कृतिक भूगोल – इसमें सांस्कृतिक भू-दृश्यों तथा विभिन्न प्रदेशों के सांस्कृतिक प्रतिरूपों का भौगोलिक विश्लेषण किया जाता है।
- राजनैतिक भूगोल – इसके अन्तर्गत विभिन्न देशों/ प्रदेशों की राजनीतिक सीमाओं, परिसीमाओं, प्रशासनिक व्यवस्थाओं, सीमा क्षेत्रीय विवादों एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों तथा संसाधनों का अध्ययन होता है।
- जनसंख्या भूगोल – इसमें जनसंख्या, वितरण, वृद्धि, प्रवास, संरचना, विशेषताओं एवं जनसंख्या नीतियों की विवेचना सम्मिलित है।
- अधिवास भूगोल – इसमें ग्रामीण एवं नगरीय अधिवासों की उत्पत्ति, प्रतिरूप, प्रकार, कार्यों आदि का अध्ययन होता है।
वास्तव में भूगोल की विभिन्न शाखाओं का विभाजन सैद्धान्तिक आधार पर उपयुक्त हो सकता है किन्तु किसी भी क्षेत्र का समग्र अध्ययन विभिन्न शाखाओं के सामूहिक अध्ययन से ही पूर्ण होता है। भूगोल एक समाकलित विज्ञान है जिसमें विभिन्न विज्ञानों का समाकलित अध्ययन क्रमबद्ध एवं प्रादेशिक रीतियों से किया जाता है।
प्रश्न 2.
भूगोल को परिभाषित कीजिए तथा भौतिक भूगोल के अध्ययन के महत्त्व की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भूगोल वह विज्ञान है जिसमें ‘पृथ्वी तल’ का अध्ययन तथा वर्णन मानव संसार तथा मानव निवास के रूप में उसकी सम्पूर्ण विशेषताओं तथा पारस्परिक सम्बन्धों की दृष्टि से किया जाता है। मानव धरातल पर समान रूप से वितरित नहीं है। मानवीय क्रियायें भी धरातल पर सर्वत्र विभिन्नता लिए हुए हैं। भूगोल इन सबका विस्तृत विवेचन करता है। इसलिए कहा जाता है कि भूगोल वितरणों का विज्ञान है। यह धरातलीय विभिन्नताओं का विश्लेषण करता है। भूगोल की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं
- हैटनर ने अनुसार, “भूगोल धरातल के विभिन्न भागों में कारणात्मक रूप से सम्बन्धित तथ्यों में भिन्नता का अध्ययन करता है।”
- भौगोलिक शब्दकोष के अनुसार, “भूगोल पृथ्वी के धरातल और उसके निवासियों का विज्ञान है।”
- हार्टशोर्न के अनुसार, “भूगोल वह विज्ञान है जो पृथ्वी के एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवर्तनशील स्वरूप का वर्णन और उनकी व्याख्या ‘मानव संसार’ के रूप में करता है।”
भौतिक भूगोल के अध्ययन का महत्त्व
रिचर्ड हार्टशोर्न के अनुसार, “भूगोल का उद्देश्य धरातल की प्रादेशिक/क्षेत्रीय विभिन्नता का वर्णन और व्याख्या करना है।” भौतिक भूगोल में भूमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल एवं जैवमण्डल का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। मिट्टियों का निर्माण एक निश्चित प्रक्रिया द्वारा होता है जिसमें जलवायु की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। समय के साथ-साथ मिट्टियाँ परिपक्व होती हैं तथा मृदा पाश्विका के निर्माण में सहायक होती हैं। भू-आकृतियाँ वे आधार हैं जहाँ पर मानव क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं। अलग-अलग उच्चावच स्वरूपों पर अलग-अलग प्रकार की मानव क्रियाएँ विकसित होती हैं तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के सांस्कृतिक भू-दृश्यों का निर्माण होता है।
पठारी भाग सामान्यतः खनिजों के भण्डार हैं। पर्वतीय भाग पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित हो रहे हैं। यहीं नदियों के उद्गम स्थल भी हैं। भूगोल में जलवायु का अध्ययन महत्त्वपूर्ण है। जलवायु द्वारा मानव अधिवास, उनके रहन-सहन का स्तर, भोजन वस्त्र एवं उनकी संस्कृति प्रभावित होती है। वनस्पति, कृषि, पशुपालन, उद्योग आदि भी बहुत कुछ जलवायु कारकों द्वारा प्रभावित होते हैं। समुद्र संसाधनों के अगाध भण्डार रहे हैं। मछलियों एवं अन्य समुद्री जीवों के अलावा समुद्र खनिजों के भी भण्डार माने गये हैं। भारत ने समुद्री तल से मैगनीज पिण्ड एकत्रित करने की तकनीक का विकास कर लिया है। इसके अलावा समुद्री जीवों से भी विभिन्न प्रकार के उत्पाद प्राप्त किये जाने लगे हैं। समुद्र परिवहन में भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मिट्टी एक ऐसा महत्त्वपूर्ण संसाधन है जो नव्यकरणीय है, जिसमें गुणवृद्धि की जा सकती है और जिसे अधिक समय तक प्रयोजनीय बनाये रखा जा सकता है। यह कृषि का आधार है। यह पौधों, पशुओं एवं सूक्ष्म जीवाणुओं का आधार है। इसका अध्ययन भूगोल में महत्त्वपूर्ण है। संक्षेप में, भौतिक भूगोल वर्तमान समय में भौतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबन्धन से सम्बन्धित विषय के रूप में विकसित हो रहा वर्तमान समय में प्राकृतिक संसाधनों के अधिकाधिक विदोहन से अनेक पर्यावरणीय समस्यायें उत्पन्न हो रही हैं। सतत् विकास के लिए आवश्यक है कि भौतिक पर्यावरण को भली-भाँति समझा जाय। इस दृष्टि से भौतिक भूगोल के महत्त्व को सर्वोपरि माना जा सकता है।
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