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RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 14 वायुराशियाँ, वाताग्र, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात

July 12, 2019 by Fazal Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 वायुराशियाँ, वाताग्र, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 पाठ्य पुस्तक के अभ्यास प्रश्न

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
चक्रवातों व प्रतिचक्रवातों का पालना किसे कहते हैं?
(अ) वाताग्र
(ब) वायुराशियों
(स) विक्षोभ
(द) हरिकेन
उत्तर:
(अ) वाताग्र

प्रश्न 2.
चक्रवातों में हवाओं की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में रहती है-
(अ) घड़ी की सुई के विपरीत
(ब) लम्बवत्
(स) घड़ी की सुई के अनुसार
(द) तिर्यक
उत्तर:
(अ) घड़ी की सुई के विपरीत

प्रश्न 3.
हरिकेन है एक
(अ) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
(ब) उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
(स) प्रति चक्रवात
(द) वाताग्र
उत्तर:
(ब) उष्ण कटिबंधीय चक्रवात

प्रश्न 4.
चक्रवातों की उत्पत्ति का गतिक सिद्धान्त किसने प्रतिपादित किया था?
(अ) बर्कनीज
(ब) लैम्पर्ट तथा शॉ
(स) वेगनर
(द) डेविस
उत्तर:
(ब) लैम्पर्ट तथा शॉ

प्रश्न 5.
निम्न में से जो वाताग्रों का प्रकार नहीं है?
(अ) उष्ण वाताग्र
(ब) शीत वाताग्र
(स) स्थायी वाताग्र
(द) अस्थाई वाताग्र
उत्तर:
(द) अस्थाई वाताग्र

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
उत्पत्ति क्षेत्र के आधार पर वायुराशियों के प्रकार बताइये।
उत्तर:
उत्पत्ति क्षेत्र के आधार पर वायुराशियों को उष्ण कटिबंधीय एवं ध्रुवीय वायुराशियों में बांटा गया है। इसी आधार पर महाद्वीपीय व महासागरीय वायुराशियाँ मिलती हैं।

प्रश्न 7.
उष्ण वाताग्र क्या है?
उत्तर:
गर्म एवं हल्की वायु के तीव्रता से ठण्डी एवं भारी वायु के ऊपर चढ़ने पर बनने वाला वाताग्र उष्ण वाताग्र कहलाता है।

प्रश्न 8.
स्थायी वाताग्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो विपरीत वायुराशियों के समानान्तर रूप में अलग होने एवं वायु की लम्बवत् गति के अभाव में बने वाताग्र को स्थायी वाताग्र कहते हैं।

प्रश्न 9.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति कहाँ होती है?
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति भूमध्य रेखा से दोनों ओर कर्क और मकर रेखाओं के मध्य होती है।

प्रश्न 10.
चक्रवात किसे कहते हैं?
उत्तर:
चक्रवात से अभिप्राय सामान्यतः निम्न वायुदाब के केन्द्र से होता है, जिसके चारों ओर बाहर की ओर वायुदाब क्रमश: बढ़ता जाता है, जिस कारण सभी दिशाओं से हवाएँ अन्दर केन्द्र की तरफ प्रवाहित होने लगती हैं।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 11.
वाताग्र किसे कहते हैं? वाताग्रों के प्रकार बताइये।
उत्तर:
जब दो विपरीत स्वभाव वाली वायु (ठण्डी व गर्म) आकर मिलती हैं तो वे तापमान व आर्द्रता संबंधी अपनी पहचान बनाये रखने की लगातार कोशिश करती हैं। इस प्रक्रिया में इनके बीच में एक ढलुआ सीमा का विकास हो जाता है। जिसे वाताग्र कहते हैं।

वाताग्रों के प्रकार – वाताग्रों को मुख्यत: निम्न भागों में बांटा गया है

  1. उष्ण वाताग्र – गर्म हवा के ठण्डी हवा के ऊपर चढ़ने से बना वाताग्र।
  2. शीत वाताग्र – ठण्डी वायु के द्वारा गर्म हवा को ऊपर उठा देने से बना वाताग्र।
  3. स्थायी वाताग्र/स्थिरवत् वाताग्र – दो विपरीत वायुराशियों के समानान्तरण से निर्मित वाताग्र।
  4. संरोधित या अधिविष्ट वाताग्र – शीत वाताग्र के गर्म वाताग्र से मिलने एवं गर्म वायु का नीचे धरातल से सम्पर्क खत्म होने से निर्मित वाताग्र।

प्रश्न 12.
वाताग्रों की उत्पत्ति के लिए आवश्यक दशाएँ क्या हैं?
उत्तर:
वाताग्रों की उत्पत्ति के लिए निम्न दशाएँ आवश्यक हैं-

  1. भिन्न स्वभाव वाली वायुराशियाँ अर्थात् गर्म व ठण्डी वायुराशियों की उपस्थिति।
  2. आर्द्रता में अन्तर ।
  3. वायुमंडलीय संचार।

1. भिन्न स्वभाव वाली वायुराशियाँ-विपरीत स्वभाव वाली वायुराशियाँ जब आकर मिलती हैं। तो एक-दूसरे के क्षेत्र में प्रविष्ट होने का प्रयास करती हैं जिससे लहरनुमा वाताग्र का निर्माण होता है।
2. आर्द्रता में अन्तर – वायुमंडलीय दशाओं के कारण आर्द्रता को कम व ज्यादा मिलना वाताग्र की उत्पत्ति में सहायक होता है।
3. वायुमंडलीय संचार- हवाओं का क्षैतिज एवं लम्बवत् स्वरूप में चलना व उनका अभिसरण व अपसरण वाताग्र का निर्माण करने में सहायक है।

प्रश्न 13.
चक्रवात व प्रतिचक्रवात में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चक्रवात व प्रतिचक्रवात में निम्न अन्तर मिलते हैं-

तुलना का आधार चक्रवात प्रतिचक्रवात
वायुदाब की स्थिति चक्रवात निम्न वायु दाब के केन्द्र होते हैं। प्रतिचक्रवात उच्च वायुदाब के केन्द्र होते हैं।
हवाओं का प्रवाहन चक्रवात में हवाएँ बाहर से केन्द्र की ओर चलती हैं। प्रतिचक्रवात में हवाएँ केन्द्र से बाहर की ओर चलती हैं।
आकार चक्रवातों का आकार प्रायः अण्डाकार, गोलाकार, या V अक्षर के समान होता है। प्रतिचक्रवातों का आकार प्रायः गोलाकार होता है।
हवाओं की दिशा चक्रवात में हवाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत व दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के अनुसार होती हैं। प्रतिचक्रवाते में हवाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा में तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में चलती हैं।

प्रश्न 14.
हरिकेन क्या है?
उत्तर:
अनेक घिरी समदाब रेखाओं वाले विस्तृत उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को संयुक्त राज्य अमेरिका में हरिकेन कहा जाता है। इनकी गति प्राय: 120 किमी प्रति घंटा होती है। ये अत्यधिक विशालकाय तथा प्रचण्ड होते हैं। इनकी संख्या बहुत कम होती है तथा ये कभी-कभी आते हैं। इस प्रकार के हरिकेन प्राय: अयन रेखाओं के मध्य केवल कुछ खास भागों में ही उत्पन्न होते हैं। इनसे मूसलाधार वर्षा होती है। इनकी दिशा पूर्व से पश्चिम होती है।

प्रश्न 15.
चक्रवातों की उत्पत्ति के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
चक्रवातों की उत्पत्ति के संबंध में निम्न प्रमुख सिद्धान्त प्रतिपादित किये गये हैं-

  1. स्थानीय तापन सिद्धान्त,
  2. गतिक सिद्धान्त,
  3. ध्रुवीय वाताग्र सिद्धान्त।

1. स्थानीय तापन सिद्धान्त – इसे सिद्धान्त के अनुसार जिन भागों में अधिक गर्मी मिलती है या तापमान ऊँचा मिलता है। वहाँ की वायु तेजी से गरम होने लगती है। गर्म हवा ऊपर उठती है तथा निम्न वायुदाब का केन्द्र विकसित होने से चक्रवातीय दशाएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
2. गतिक सिद्धान्त – वायुमण्डल की निचली परतों में अनेक कारणों से भंवर उत्पन्न होते हैं जो चक्रवातों की उत्पति का कारण बनते हैं।
3. ध्रुवीय वाताग्र – बर्कनीज द्वारा प्रतिपादित इस सिद्धान्त के अनुसार चक्रवातों का आविर्भाव वाताग्र के बनने पर आधारित होता है। विभिन्न वायुराशियों के मिलने से बने वाताग्र, चक्रवात का स्वरूप निर्मित करते हैं।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
वाताग्र किसे कहते हैं? इनकी उत्पत्ति की आवश्यक दशाओं को बताते हुए वाताग्रों के प्रकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जब दो विपरीत स्वभाव वाली वायु (ठण्डी व गर्म) आकर मिलती हैं तो वे तापमान व आर्द्रता संबंधी अपनी पहचान बनाये रखने की लगातार कोशिश करती हैं। इस प्रक्रिया में इनके बीच में एक ढलुआ सीमा का विकास हो जाता है इसे वाताग्र कहते हैं।

ब्लेयर ने वाताग्रों की परिभाषा दी है कि जिस सतह या रेखा के सहारे वायुराशियाँ पृथक रहती हैं उसे वाताग्र या सीमाग्र कहते हैं।” वाताग्र की उत्पत्ति हेतु आधारभूत दशाएँ-वाताग्र की उत्पत्ति हेतु निम्न दशाएँ आवश्यक मानी गयी हैं।

  1. भिन्न स्वभाव वाली वायुराशियाँ (ठण्डी व गर्म),
  2. आर्द्रता में अन्तर,
  3. वायुमंडलीय संचार।

1. भिन्न स्वभाव वाली वायुराशियाँ-जब दो भिन्न स्वभाव वाली वायुराशियाँ अर्थात् एक ठण्डी व एक गर्म वायुराशि आपस में आमने-सामने मिलती हैं तो वो एक-दूसरे के क्षेत्र में प्रविष्ट होने का प्रयास करती हैं जिससे एक लहरनुमा वाताग्र बनता है।
2. आर्द्रता में अन्तर–जब तापमान के कम व अधिक होने से वायुमण्डलीय आर्द्रता में क्रमश: अधिकता व कमी मिलती है। तो आर्द्रता के कारण अधिक आर्द्र हवा कम आर्द्र हवा के ऊपर आक्रमण करती है जिससे वाताग्र बनते हैं।
3. वायुमण्डलीय संचार-हवाओं का क्षैतिज व लम्बवत् रूप में चलना तथा उनमें होने वाले अपसरण व अभिसरण की दशाओं से भी वाताग्रे उत्पन्न होते हैं।

वाताग्रों के प्रकार – पेटर्सन नामक विद्धान ने वाताग्रों को निम्न भागों में बांटा है-

  1. उष्ण वाताग्र-गर्म एवं हल्की वायु के तीव्रता से ठण्डी एवं भारी वायु के ऊपर चढ़ने पर बनने वाला वाताग्र उष्ण वाताग्र कहलाता है।
  2. शीत वाताग्र-ठण्डी एवं भारी वायु द्वारा गर्म एवं हल्की वायु को ऊपर उठा देने पर जो वाताग्र बनता है, वह शीत वाताग्र कहलाता है।
  3. स्थिरवत् या स्थायी वाताग्र-दो विपरीत वायुराशियों के समानान्तर रूप में अलग होने एवं वायु की लम्बवत् गति के अभाव में बने वाताग्र को स्थायी वाताग्र कहते हैं।
  4. संरोधित या अधिविष्ट वाताग्र-जब शीत वाताग्र के गर्म वाताग्र से मिलने एवं गर्म वायु को नीचे धरातल से सम्पर्क खत्म हो जाता है तो उससे उत्पन्न होने वाला वाताग्र अधिविष्ट कहलाता
    RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 14 वायुराशियाँ, वाताग्र, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात 1

प्रश्न 7.
चक्रवात क्या है? शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति व प्रकार समझाइये।
उत्तर:
चक्रवात से अभिप्राय सामान्यत: निम्न वायुदाब के केन्द्र से होता है, जिसके चारों ओर बाहर की ओर वायुदाब क्रमशः बढ़ता जाता है। जिस कारण सभी दिशाओं से हवाएँ अन्दर केन्द्र की ओर प्रवाहित होती हैं। इनका आकार प्रायः अण्डाकार, गोलकार या V अक्षर के समान होता है।

शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति – शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति मुख्य रूप से ध्रुवीय वाताग्रों पर होती है। किन्तु अयनवृत्तीय क्षेत्रों से बाहर इनकी उत्पत्ति कहीं भी हो सकती है। इनकी उत्पत्ति व विकास शीत ऋतु में अधिक होता है। उत्तरी ‘गोलार्द्ध में ये चक्रवात उत्तरी प्रशान्त महासागर के पश्चिमी तटवर्ती भागों से अल्यूशियन निम्नदाब क्षेत्र एवं उत्तरी अटलांटिक महासागर के पश्चिमी किनारे से आइसलैण्ड स्थित निम्नदाब क्षेत्र तक तथा इसके अलावा चीन, फिलीपीन्स, साइबेरिया प्रमुख क्षेत्र हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म व शीतकाल में इन चक्रवातों की उत्पत्ति समानरूप से होती है। यहाँ पर 60° दक्षिणी अक्षांश के आसपास सर्वाधिक चक्रवात उत्पन्न होते हैं।

शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के प्रकार – इन चक्रवातों को निम्न भागों में बांटा गया है-

  1. तापीय चक्रवात,
  2. गतिक चक्रवात,
  3. प्रवासी चक्रवात।

1. तापीय चक्रवात – इस प्रकार के चक्रवात शीतोष्ण कटिबंधों में गर्मियों में अधिक ताप के कारण महाद्वीपों पर न्यून दाब केन्द्र बनने से विकसित होते हैं। इनमें बाहर से केन्द्र की ओर हवाएँ चलने लगती हैं। ये प्रायः स्थायी होते हैं। ये प्रायः सागर पर न्यून दाब केन्द्र बनने से निर्मित होते हैं।

2. गतिक चक्रवात – इन चक्रवातों की उत्पत्ति ठंडी ध्रुवीय तथा आर्द्र एवं उष्ण सागरीय वायुराशियों के वाताग्र के सहारे मिलने से होती है। ये चक्रवात सर्वाधिक क्षेत्र को प्रभावित करते हैं।

3. प्रवासी चक्रवात – इस प्रकार के चक्रवात प्राय: कभी-कभी उत्पन्न होते हैं। ये विशिष्ट परिस्थितियों के परिणाम होते हैं।

प्रश्न 18.
चक्रवात व प्रतिचक्रवात क्या है? इनके प्रकार व विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
चक्रवातों, प्रतिचक्रवातों, इनके प्रकारों व विशेषताओं को निम्नानुसार वर्णित किया गया हैचक्रवात क्या हैं-

चक्रवात से अभिप्राय सामान्यत: निम्न वायुदाब के केन्द्र से होता है जिसके चारों ओर बाहर की ओर वायुदाब क्रमशः बढ़ता जाता है। इसी कारण सभी दिशाओं से हवाएँ अन्दर केन्द्र की तरफ प्रवाहित होने लगती हैं। ये प्रायः अण्डाकार, गोलाकार या V अक्षर के आकार वाले होते हैं। चक्रवातों के प्रकार-चक्रवातों के मुख्यतः निम्न दो प्रकार होते हैं-

  1. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात,
  2. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात।

1. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात-इस प्रकार के चक्रवात मध्य अक्षांशों में उत्पन्न होते हैं। मध्य अक्षांशों में बनने वाले वायु-विक्षोभ के केन्द्र में कम दाब तथा बाहर की ओर अधिक दाब होता है। इन्हें प्रायः निम्न या गर्त या ट्रफ कहते हैं। इन चक्रवातों की उत्पत्ति विपरीत स्वभाव वाली वायुराशियों के मिलने से होती है। इन चक्रवातों का क्षेत्र 35° से 65° अक्षांशों के मध्य दोनों गोलाद्ध में मिलता है।
इन चक्रवातों से वायुमण्डल में मेघों की उत्पत्ति होती है। अनुकूल परिस्थितियों में इनसे जलवृष्टि या हिमवृष्टि भी होती है।

2. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात – इस प्रकार के चक्रवात भूमध्य रेखा से दोनों ओर कर्क रेखा एवं मकर रेखा के मध्य पाये जाते हैं। ये अनेक रूपों में दिखाई देते हैं। ये प्रभावित क्षेत्र में तीव्र गति से उग्र रूप धारण कर उत्पात मचाते हैं। शीतोष्ण चक्रवातों के समान इनमें समरूपता नहीं मिलती है। चक्रवातों की विशेषता –

  • चक्रवात निम्न दाब के केन्द्र होते हैं तथा इनमें वायुदाब केन्द्र से बाहर की ओर बढ़ता है।
  • इनमें हवाएँ परिधि से केन्द्र की ओर चलती हैं।
  • इनका आकार अण्डाकार, गोलाकार या V अक्षर के समान होता है।
  • ये मौसम को प्रभावित करते हैं। प्रतिचक्रवात क्या हैं – प्रति चक्रवात वृत्ताकार समवायुदाब रेखाओं द्वारा घिरा एक ऐसा क्रम है जिसके केन्द्र में वायुदाब उच्च होता है और बाहर की ओर वायुदाब क्रमशः घटता जाता है।

प्रतिचक्रवातों के प्रकार – प्रतिचक्रवातों को मुख्यत: निम्न भागों में बांटा गया है-

  1. शीतल प्रतिचक्रवात – इन प्रति चक्रवातों की उत्पत्ति ध्रुवीय क्षेत्रों प्रमुख रूप से आर्कटिक क्षेत्रों में होती है। ये यहाँ पूर्व तथा दक्षिणी पूर्व दिशा में अग्रसर होते हैं। उष्ण प्रति चक्रवातों की तुलना में इनका आकार छोटा होता है।
  2. उष्ण प्रतिचक्रवात – इन प्रतिचक्रवातों की उत्पत्ति शीतोष्ण उच्च वायुदाब की पेटी में होती है। इस पेटी में हवाओं का अपसरण होता है। इनका आकार विशाल होता है। ये कम सक्रिय होते हैं।
  3. अवरोधी प्रति चक्रवात – यह प्रतिचक्रवातों का नवीन प्रकार है। क्षोभ मण्डल के ऊपरी भाग में वायु संचार के अवरोध के कारण इन प्रति चक्रवातों की उत्पत्ति होती है। इनमें वायु प्रणाली तथा मौसम संबंधी विशेषताएँ उष्ण प्रति चक्रवातों के समान होती हैं। इनका आकार छोटा व गति मंद होती है।

प्रतिचक्रवातों की विशेषताएँ

  • प्रति चक्रवात के केन्द्र में उच्च वायुदाब होता है, जो परिधि की ओर कम होता जाता है।
  • इनमें हवाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा में और दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में चलती हैं।
  • आकार में चक्रवातों से बड़े होते हैं। इनका आकार प्रायः गोलाकार होता है।
  • प्रतिचक्रवातों के आने से मौसम साफ, आकाश स्वच्छ तथा हवाएँ मन्द हो जाती हैं।
  • ये उपोष्ण कटिबंधीय उच्च दाब क्षेत्रों में अधिक उत्पन्न होते हैं।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
मानसूनी क्षेत्र कहलाता है-
(अ) दक्षिणी-पूर्वी एशिया
(ब) उत्तरी अफ्रीका
(स) संयुक्त राज्य अमेरिका
(द) यूरोप
उत्तर:
(अ) दक्षिणी-पूर्वी एशिया

प्रश्न 2.
प्रतिचक्रवाती क्षेत्र होते हैं-
(अ) आर्कटिक प्रदेश
(ब) उष्ण कटिबंधीय महासागरीय क्षेत्र
(स) उष्ण कटिबंधीय महाद्वीपीय क्षेत्र
(द) उप ध्रुवीय क्षेत्र
उत्तर:
(ब) उष्ण कटिबंधीय महासागरीय क्षेत्र

प्रश्न 3.
ऑस्ट्रेलिया के मध्य भाग में कौन-सी वायुराशि मिलती है?
(अ) MP
(ब) MT
(स) CP
(द) CT
उत्तर:
(द) CT

प्रश्न 4.
स्थिर वायुराशि के लिए कौन-सा अक्षर प्रयुक्त होता है?
(अ) w
(ब) K
(स) S
(द) U
उत्तर:
(स) S

प्रश्न 5.
MP का क्या अर्थ है?
(अ) समुद्री उष्ण कटिबंधीय
(ब) महाद्वीपीय उष्ण कटिबंधीय
(स) समुद्री ध्रुवीय
(द) महाद्वीपीय ध्रुवीय
उत्तर:
(स) समुद्री ध्रुवीय

प्रश्न 6.
पेटर्सन ने वाताग्रों को कितने भागों में बांटा है?
(अ) 3
(ब) 4
(स) 5
(द) 6
उत्तर:
(ब) 4

प्रश्न 7.
जब गर्म वायु तीव्रता से ठण्डी वायु के ऊपर चढ़ती है तो उससे जो वाताग्र बनता है, वह है-
(अ) उष्ण वाताग्र
(ब) शीत वाताग्र
(स) स्थायी वाताग्र
(द) अधिविष्ट वाताग्र
उत्तर:
(अ) उष्ण वाताग्र

प्रश्न 8.
सर्वाधिक शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात कहाँ उत्पन्न होते हैं?
(अ) 40° अक्षांश के पास
(ब) 50° अक्षांश के पास
(स) 60° अक्षांश के पास
(द) 80° अक्षांश के पास
उत्तर:
(स) 60° अक्षांश के पास

प्रश्न 9.
ध्रुवीय वाताग्र सिद्धान्त के प्रतिपादक हैं-
(अ) डेविस
(ब) बर्कनीज
(स) लैम्पर्ट व शॉ
(द) हैकल
उत्तर:
(ब) बर्कनीज

प्रश्न 10.
प्रतिचक्रवात शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया था?
(अ) गोल्टन ने
(ब) बर्कनीज ने
(स) हैंजिल्क ने
(द) ओडम ने।
उत्तर:
(अ) गोल्टन ने

सुमेलन सम्बन्धी

प्रश्न 1.
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए
(क)

स्तम्भ (अ)
(प्रयुक्त अक्षर)

स्तम्भ
(ब) (अर्थ वायुराशि)

(i) T
(i) P
(i) W
(i) K
(i) S
(i) U

(अ) अस्थिर
(ब) स्थिर
(स) ध्रुवीय
(द) उष्ण
(य) कटिबंधीय
(र) ठण्डी
उत्तर:
(i) द, (ii) स, (iii) य, (iv) र, (v) ब, (vi) अ।

(ख)
स्तम्भ (अ)
(वायुराशि का प्रकार)
स्तम्भ (ब)
(सम्बन्धित क्षेत्र)

(i) MP
उत्तरी अफ्रीका
(ii) ME अलास्का
(iii) MT
दक्षिणी प्रशान्त

(iv) CT
मध्य प्रशान्त

(v) CP
उत्तरी अटलांटिक
उत्तर:
(i) य, (ii) स, (iii) द, (iv) अ, (v) ब।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायुराशि किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायुमण्डल के उस विस्तृत तथा घने भाग को जिसके भौतिक गुण विशेषकर तापमान व आर्द्रता क्षैतिज रूप में लगभग एक समान होते हैं, वायुराशि कहते हैं।

प्रश्न 2.
वायुराशियों की उत्पत्ति कैसे होती है?
उत्तर:
जब किसी विस्तृत समतल धरातल पर वायुमण्डल सम्बन्धी दशाएँ स्थिर होती हैं, तो वहाँ की वायु में धरातल की आर्द्रता तथा तापमान सम्बन्धी विशेषताएँ समाहित हो जाती हैं जिससे वायुराशियों की उत्पत्ति होती है।

प्रश्न 3.
उत्पत्ति क्षेत्र का क्या अर्थ है?
उत्तर:
वे प्रदेश जहाँ वायुराशियाँ उत्पन्न होती हैं, उन्हें उत्पत्ति क्षेत्र कहते हैं।

प्रश्न 4.
आदर्श उत्पत्ति क्षेत्र के लिए कौन-सी दशाएँ आवश्यक होती हैं?
उत्तर:
आदर्श उत्पत्ति क्षेत्र के लिए विस्तृत एवं समान स्वभाव वाला क्षेत्र होना, वायु की गति बहुत कम व इसका अपसरण होना तथा वायुमण्डल सम्बन्धी दशाओं का लम्बे समय तक स्थिर रहना आवश्यक है।

प्रश्न 5.
पृथ्वी पर मिलने वाले आदर्श उत्पत्ति क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वी पर मिलने वाले आदर्श उत्पत्ति क्षेत्रों में ध्रुवीय सागरीय क्षेत्र, उप-ध्रुवीय महाद्वीपीय क्षेत्र, मानसूनी क्षेत्र (दक्षिणी पूर्व एशिया), उष्ण कटिबंधीय महासागरीय क्षेत्र, उष्ण कटिबंधीय महाद्वीपीय क्षेत्र व विषुवत रेखीय क्षेत्र शामिल किये जाते हैं।

प्रश्न 6.
वायुराशियों को किन आधारों पर वर्गीकृत किया गया है?
उत्तर:
वायुराशियों को उत्पत्ति क्षेत्र के स्वभाव व वायुराशि में होने वाले रूपान्तरण के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।

प्रश्न 7.
उष्ण कटिबंधीय वे ध्रुवीय वायुराशि को किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय वायुराशि को समुद्री उष्ण कटिबन्धीय व महाद्वीपीय उष्ण कटिबन्धीय वायुराशि व ध्रुवीय वायुराशि को समुद्री ध्रुवीय व महाद्वीपीय ध्रुवीय वायुराशियों में बाँटा गया है।

प्रश्न 8.
वायुराशियों की आर्द्रता का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
समुद्री वायुराशियों में आर्द्रता अधिक होने के कारण ये अधिक मात्रा में वर्षा करती हैं। इसके विपरीत महाद्वीपीय वायुराशियाँ शुष्क होने से कम वर्षा करती हैं।

प्रश्न 9.
वायुराशियों में कितने प्रकार का रूपान्तरण होता है?
उत्तर:
वायुराशियों में होने वाला रूपान्तरण दो प्रकार का होता है-

  1. ऊष्मागतिक रूपान्तरण,
  2. यांत्रिक रूपान्तरण।

प्रश्न 10.
ऊष्मागतिक रूपान्तरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब धरातल और वायुराशि के आधारीय तल के बीच ऊष्मा के आदान-प्रदान के कारण वायुराशि नीचे से गर्म या ठण्डी होती है तो इसे ऊष्मागतिक रूपान्तरण कहते हैं।

प्रश्न 11.
यांत्रिक रूपान्तरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायुराशि में होने वाला वह रूपान्तरण जो धरातल द्वारा दी गई गर्मी व ठण्डक से मुक्त होता है, यांत्रिक रूपान्तरण कहलाता है।

प्रश्न 12.
ब्लेयर ने सीमाग्र की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर:
ब्लेयर के अनुसार, “जिस सतह या रेखा के सहारे वायुराशियाँ पृथक रहती हैं उसे सीमाग्र (वाताग्र) कहते हैं।”

प्रश्न 13.
शीत वाताग्र क्या है?
उत्तर:
ठण्डी एवं भारी वायु द्वारा गर्म एवं हल्की वायु को ऊपर उठा देने पर जो वाताग्र बनता है वह शीत वाताग्र कहलाता है।

प्रश्न 14.
संरोधित वाताग्र से क्या तात्पर्य है?
अथवा
अधिविष्ट वाताग्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब शीत वाताग्र के गर्म वाताग्र से मिलने एवं गर्म वायु का नीचे धरातल से सम्पर्क खत्म हो जाता है तो उससे उत्पन्न होने वाला वाताग्र अधिविष्ट वाताग्र कहलाता है।

प्रश्न 15.
फैरल का नियम क्या है?
उत्तर:
फैरल के नियम के अनुसार हवाएँ उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा में विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के अनुसार होती हैं। अर्थात् उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दायीं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपनी बायीं ओर मुड़ जाती हैं।

प्रश्न 16.
ट्विार्था ने चक्रवात की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर:
ट्रिवार्था के अनुसार, “चक्रवात अपेक्षाकृत वे निम्न वायुदाब क्षेत्र होते हैं जो संकेन्द्रीय एवं सटी हुई समदाब रेखाओं से घिरे रहते हैं।”

प्रश्न 17.
चक्रवात मौसम को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
चक्रवात आने की स्थिति में वायुदाब गिर जाता है। चन्द्रमा वे सूर्य के चारों तरफ प्रभामण्डल स्थापित होने के साथ ही तीव्र वर्षा होने के रूप में ये मौसम को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 18.
गर्त या ट्रफ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मध्य अक्षांशों में बनने वाले वायु-विक्षोभ के केन्द्र में कम दाब तथा बाहर की ओर अधिक दाब होता है और प्रायः ये गोलाकार, अण्डाकार या अंग्रेजी के V अक्षर के समान होते हैं इसी कारण इन्हें निम्न या गर्त या टूफ कहते हैं।

प्रश्न 19.
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात मुख्यतः कहाँ विकसित होते हैं?
उत्तर:
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात मुख्यत: प्रशान्त महासागर के पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्र से अल्यूशियन निम्नदाब क्षेत्र एवं उत्तरी अटलांटिक महासागर के पश्चिमी किनारे से आइसलैण्ड स्थित निम्नदाब क्षेत्र तक तथा चीन, फिलीपीन्स व साइबेरिया में विकसित होते हैं।

प्रश्न 20.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति कहाँ होती है?
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति 8° से 15° उत्तरी अक्षांशों के मध्य महासागरों पर होती है।

प्रश्न 21.
टारनैडो क्या है?
उत्तर:टारनैडो आकार की दृष्टि से सबसे छोटा किन्तु सर्वाधिक भयंकर एवं विनाशकारी ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात है जो मुख्यत: संयुक्त राज्य अमेरिका की मिसीसिपी घाटी तथा गौण रूप से ऑस्ट्रेलिया में मिलते हैं।

प्रश्न 22.
प्रतिचक्रवात कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
प्रतिचक्रवातों को मुख्यतः तीन भागों-शीतल प्रतिचक्रवात, उष्ण प्रतिचक्रवाते वे अवरोधी प्रतिचक्रवात में बाँटा गया है।

प्रश्न 23.
अस्थायी या क्षणिक प्रतिचक्रवात से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जो प्रतिचक्रवात अधिकतर मार्ग में ही विलीन हो जाते हैं उन्हें अस्थायी या क्षणिक प्रतिचक्रवात कहते हैं। ऐसे प्रतिचक्रवातों में से केवल कुछ ही उष्ण प्रदेशों तक पहुँच पाते हैं।

प्रश्न 24.
शीतल प्रतिचक्रवातों की उत्पत्ति कैसे होती है?
उत्तर:
आर्कटिक प्रदेशों में शीतकाल में विकिरण द्वारा अत्यधिक तापमान के कम होने से तथा सूर्यातप कम मिलने से उच्च वायुदाब बन जाता है, जिससे शीतल प्रतिचक्रवातों की उत्पत्ति होती है।

प्रश्न 25.
अवरोधी प्रतिचक्रवातों की उत्पत्ति कैसे होती है?
उत्तर:
क्षोभमण्डल के ऊपरी भाग में वायु संचार के अवरोध के कारण अवरोधी प्रतिचक्रवातों की उत्पत्ति होती है।

प्रश्न 26.
जेट स्ट्रीम किसे कहते हैं?
उत्तर:
मध्य अक्षांशीय क्षोभमण्डल के ऊपरी स्तरों में क्षोभ सीमा के पास अत्यधिक तीव्र गति से बहने वाली हवाओं को जेट स्ट्रीम कहा जाता है। ये संकरी, सपली एवं तेज गति वाली वायु धाराओं की पट्टियाँ होती हैं।

प्रश्न 27.
जेट स्ट्रीम को कौन-कौन से भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
जेट स्ट्रीम को मुख्यतः दो भागों-उपोष्ण जेट स्ट्रीम तथा मध्य अक्षांशीय या ध्रुवीय वाताग्री जेट-स्ट्रीम में बाँटा गया है।

प्रश्न 28.
मध्य अक्षांशीय जेट स्ट्रीम की स्थिति व उत्पत्ति को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
ध्रुवीय वाताग्री जेट स्ट्रीम कहाँ मिलती है?
उत्तर:
मध्य अक्षांशीय जेट स्ट्रीम की उत्पत्ति तापान्तर के कारण होती है तथा इसका विस्तार दोनों गोलार्डो में 40°-60° अक्षांशों के बीच पाया जाता है।

प्रश्न 29.
जेट स्ट्रीम का मौसम पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
जेट स्ट्रीम चक्रवात, प्रतिचक्रवात, मानसून, प्रचण्ड वायु तथा तूफान जैसी मौसमी घटनाओं को निर्मित करने, प्रेरित करने भयंकर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type I

प्रश्न 1.
वायुराशियों की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए। अथवा वायुराशियों के प्रमुख लक्षणों को बताइए।
उत्तर:
वायुराशियाँ एक विस्तृत क्षेत्र में मिलने वाली वायुमण्डलीय दशा हैं। इसकी निम्न विशेषताएं होती हैं-

  1. वायुराशियाँ सैकड़ों किलोमीटर तक विस्तृत होती हैं।
  2. वायुराशियों में अनेक परतें मिलती हैं।
  3. वायुराशि की प्रत्येक परत में एक समान गुण मिलते हैं।
  4. एक बारे उत्पन्न होने के बाद वायुराशियाँ उद्गम क्षेत्र पर स्थिर नहीं रह पाती हैं।
  5. वायुराशियाँ अपने सम्पर्क में आने वाले क्षेत्र को प्रभावित करती हैं।
  6. क्षेत्र को प्रभावित करने के दौरान इनके स्वयं के गुणों में भी परिवर्तन हो जाता है।
  7. विस्तृत आकार के कारण वायुराशियों में होने वाला परिवर्तन मन्द गति से होता है।

प्रश्न 2.
वायुराशियों के आदर्श उत्पत्ति क्षेत्र के लिए आवश्यक दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायुराशियों की उत्पत्ति आदर्श दशाओं वाले क्षेत्रों में होती है। इन आदर्श क्षेत्रों की उत्पत्ति के लिए निम्न दशाएँ उत्तरदायी होती हैं-

  1. विस्तृत एवं समान स्वभाव वाला क्षेत्र होना चाहिए ताकि उस क्षेत्र में तापमान व आर्द्रता सम्बन्धी दशाएँ समान हों। उत्पत्ति क्षेत्र या-तो पूर्णतः स्थलीय हो या फिर पूर्णत: सागरीय हो।
  2. वायु की गति बहुत कम और इसका अपसरण होना चाहिए, जिससे दूसरे क्षेत्र की वायु प्रवेश न कर सके।
  3. वायुमण्डल सम्बन्धी दशाएँ लम्बे समय तक स्थिर होनी चाहिए, ताकि वायु धरातलीय विशेषताओं को ग्रहण कर सके।

प्रश्न 3.
वायुराशियों का वर्गीकरण किसी एक आधार पर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
वायुराशियाँ मुख्यतः कितने प्रकार की होती हैं? उत्पत्ति क्षेत्र के अनुसार वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
वायुराशियाँ को निम्नलिखित दो आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है-

  1. उत्पत्ति क्षेत्र का स्वभाव, तथा
  2. वायुराशि में होने वाला रूपान्तरण।

उत्पत्ति क्षेत्र के स्वभाव के आधार पर वायुराशियाँ दो प्रकार की होती हैं-उष्ण कटिबन्धीय तथा ध्रुवीय वायुराशि। चूँकि उत्पत्ति क्षेत्र महासागर या महाद्वीप में से कोई भी हो सकता है, इसलिए इन्हें दो-दो उपवर्गों में बाँट सकते हैं—समुद्री उष्ण कटिबन्धीय, महाद्वीपीय उष्ण कटिबन्धीय, समुद्री ध्रुवीय तथा महाद्वीपीय ध्रुवीय। समुद्री वायुराशियों में आर्द्रता अधिक होने के कारण ये अधिक मात्रा में वर्षा करती हैं। इसके विपरीत महाद्वीपीय वायुराशियाँ शुष्क होती हैं और इनसे वर्षा भी कम होती है।

प्रश्न 4.
वायुराशियों में होने वाले रूपान्तरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
वायुराशियों के रूपान्तरण से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वायुराशियों के मूल स्वरूप (उत्पत्ति के समय) में परिवर्तन की प्रक्रिया रूपान्तरण कहलाती है। वायुराशियों में होने वाले इस रूपान्तरण की प्रक्रिया को निम्नानुसार स्पष्ट किया गया हैवायुराशियाँ उत्पत्ति क्षेत्र छोड़ने के बाद जब अन्य क्षेत्रों से गुजरती हैं तो इनका क्रमशः रूपान्तरण होने लगता है। यह रूपान्तरण दो प्रकार का होता है-ऊष्मागतिक रूपान्तरण तथा यान्त्रिक रूपान्तरण। ऊष्मागतिक रूपान्तरण- जब धरातल और वायुराशि के आधारीय तल के बीच ऊष्मा के आदान-प्रदान के कारण वायुराशि नीचे से गर्म या ठण्डी होती है तो इसे ऊष्मागतिक रूपान्तरण कहते हैं।

यान्त्रिक रूपान्तरण – वायुराशि में होने वाले उस रूपान्तरण को, जो धरातल द्वारा दी गई गर्मी और ठण्डक से मुक्त होता है, यांत्रिक रूपान्तरण कहते हैं। उदाहरण के लिए चक्रवातों, प्रतिचक्रवातों तथा वायु के ऊर्ध्वाधर संचरण के कारण होने वाला रूपान्तरण।

प्रश्न 5.
चक्रवातों की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
चक्रवातों में मिलने वाले भौतिक लक्षणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चक्रवातों की विशेषताएँ-

  1. चक्रवात निम्नदाब के केन्द्र होते हैं तथा इनमें वायुदाब केन्द्र से बाहर की ओर बढ़ता है।
  2. इनमें हवाएँ परिधि से केन्द्र की ओर चलती हैं।
  3. चक्रवातों का आकार अण्डाकार, गोलाकार या V अक्षर के समान होता है।
  4. चक्रवात मौसम को प्रभावित करते हैं, जिससे वायुदाब का गिरना, चन्द्रमा व सूर्य के चारों तरफ प्रभा मण्डल का स्थापित होना, तीव्र वर्षा का होना इत्यादि।
  5. उत्तरी गोलार्द्ध में हवाएँ घड़ी की सुई के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के अनुकूल होती है।

प्रश्न 6.
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की विशेषताएं बताइए।
अथवा
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में मिलने वाले विविध भौतिक लक्षणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में मिलने वाले विविध भौतिक लक्षण निम्नानुसार हैं-

  1. इन चक्रवातों के आने से पूर्व आकाश में सफेद बादलों की लम्बी लेकिन पतली टुकड़ियाँ दिखाई देने लगती हैं।
  2. इनके आने से पूर्व बैरोमीटर में निरन्तर पारा गिरने लगता है।
  3. सूर्य व चन्द्रमा के चारों ओर प्रभा मण्डल बनना इनके आने का लक्षण होता है।
  4. इनके आने से पूर्व हवाएँ अपनी दिशा बदलने लगती हैं।
  5. हवा के बंद होने से नालियों में बदबू आने लगे तो इनके आने की सम्भावना स्पष्ट हो जाती है।

प्रश्न 7.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात किन लक्षणों से युक्त होते हैं?
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों में मिलने वाली दशाएँ निम्नानुसार हैं-

  1. इनके केन्द्र में न्यूनदाब होता है तथा इनकी समदाब रेखाओं का आकार गोलाकार होता है।
  2. इनकी गति में भिन्नता पाई जाती है। कहीं पर इनकी गति 32 किमी प्रति घण्टा तथा कहीं पर 200 किमी प्रति घण्टा होती है।
  3. इनके आकारों में काफी भिन्नता होती है। साधारणतया इनका व्यास 80 से 300 किमी तक होता है।
  4. ये चक्रवात स्थायी होते हैं। एक स्थान पर कई दिनों तक वर्षा करते हैं।
  5. ये चक्रवात अधिक विनाशकारी होते हैं।
  6. ये चक्रवात सागरों के ऊपर तीव्र गति से चलते हैं परन्तु स्थल पर आते ही कमजोर पड़ जाते हैं।

प्रश्न 8.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को किन-किन भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को मुख्यत: निम्न भागों में बाँटा गया है-

  1. क्षीण चक्रवात,
  2. प्रचण्ड चक्रवात,
  3. हरिकेन या टाइफून,
  4. टारनैडो।

1. क्षीण चक्रवात – इस प्रकार के चक्रवातों में एक या दो घिरी समदाब रेखाएँ रहती हैं। इसी कारण हवाएँ क्षीण (मन्द) गति से केन्द्र की ओर प्रवाहित होती हैं।
2. प्रचण्ड चक्रवात – इस प्रकार के चक्रवातों में एक से अधिक समदाब रेखाएँ घिरी होने से चक्रवातों की गति अधिक होती है।
3. हरिकेन या टाइफून – हरिकेन उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रचलित नाम है। इन्हें चीन के पूर्वी तट पर टाइफून के नाम से जाना जाता है। ऐसे चक्रवातों में कई घिरी समदाब रेखाएँ होती हैं।
4. टारनैडो – चक्रवात का यह प्रकार आकार की दृष्टि से छोटा किन्तु सर्वाधिक भयंकर व विनाशकारी होता है।

प्रश्न 9.
शीतल प्रतिचक्रवातों को किन भागों में बाँटा गया है?
अथवा
शीतल प्रतिचक्रवातों का विभाजन स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ध्रुवीय क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले शीतल प्रतिचक्रवातों को सक्रियता के आधार पर निम्न भागों में विभाजित किया गया है-

  1. अस्थायी व क्षणिक प्रतिचक्रवात,
  2.  अर्द्ध-स्थायी प्रतिचक्रवात।

1. अस्थायी व क्षणिक प्रतिचक्रवात-इस प्रकार के प्रतिचक्रवात अधिकतर अपने मार्ग में ही समाप्त हो जाते हैं। इनमें से केवल कुछ ही उष्ण प्रदेशों तक पहुंचते हैं।
2. अर्द्ध-स्थायी प्रतिचक्रवात-ये अधिक सक्रिय होते हैं और इस प्रकार के प्रतिचक्रवातों का मार्ग भी लम्बा होता है।

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 लघुत्तरात्मक प्रश्न Type II

प्रश्न 1.
पृथ्वी पर मिलने वाली वायुराशियों के आदर्श उत्पत्ति क्षेत्रों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
वायुराशियों की उत्पत्ति के आदर्श क्षेत्र कहाँ-कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर वायुराशियों के निम्नलिखितं 6 आदर्श उत्पत्ति क्षेत्र पाए जाते हैं-

  1. ध्रुवीय सागरीय क्षेत्र ( अटलाण्टिक एवं प्रशान्त महासागर के उत्तरी क्षेत्र)-इन क्षेत्रों में शीतकाल के दौरान वायुराशियाँ उत्पन्न होती हैं।
  2. उपध्रुवीय महाद्वीपीय क्षेत्र (यूरेशिया तथा उत्तरी अमेरिका के हिमाच्छादित भाग और आर्कटिक प्रदेश)-इन क्षेत्रों में शीतकालीन अवधि में वायुराशियाँ उत्पन्न होती हैं।
  3. मानसूनी क्षेत्र (दक्षिणी-पूर्वी एशिया) – इसमें भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, हिन्द-चीन क्षेत्र शामिल हैं।
  4. उष्ण कटिबन्धीय महासागरीय क्षेत्र (प्रतिचक्रवाती क्षेत्र-शीत एवं ग्रीष्मकाल)
  5. उष्ण कटिबन्धीय महाद्वीपीय क्षेत्र (उत्तरी अफ्रीका, एशिया तथा संयुक्त राज्य अमेरिका का मिसीसिपी घाटी क्षेत्र)
  6. विषुवत रेखीय क्षेत्र – इन क्षेत्रों में संवहनीय स्थिति के कारण वायुराशियों की उत्पत्ति होती है।

प्रश्न 2.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात एवं शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की तुलना कीजिए।
अथवा
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात किस प्रकार शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से भिन्न हैं?
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय तथा शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की तुलना निम्न बिन्दुओं के आधार पर की गई है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 14 वायुराशियाँ, वाताग्र, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात 2
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 14 वायुराशियाँ, वाताग्र, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात 3

प्रश्न 3.
शीतल प्रतिचक्रवात व ऊष्ण प्रतिचक्रवात में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शीतल प्रतिचक्रवातों व ऊष्ण प्रतिचक्रवातों में निम्न अंतर मिलते हैं-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 14 वायुराशियाँ, वाताग्र, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात 4

प्रश्न 4.
जेट स्ट्रीम की संकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
जेट स्ट्रीम क्या है? वर्णित कीजिए।
उत्तर:
मध्य अक्षांशीय क्षोभमण्डल के ऊपरी भागों में क्षोभ सीमा के पास अत्यधिक तीव्र गति से बहने वाली हवाओं को जेट-स्ट्रीम कहते हैं। ये संकरी, सपली एवं तेज गति वाली वायु धाराओं की पट्टियाँ हैं। ये पृथ्वी का चक्कर लगाती रहती हैं। इन तीव्र गति वाली पवनों की चौड़ाई 40-160 किमी और मोटाई 2-3 किमी तक होती है। इनकी गति 120 किमी प्रति घंटा से भी अधिक होती है। शीतकाल में इनकी गति अधिक तीव्र हो जाती है। इन वायु धाराओं की स्थिति मौसम के अनुसार बदलती रहती है। जेट स्ट्रीम के मार्ग गर्मियों में ध्रुवों की ओर तथा सर्दियों में विषुवत रेखा की ओर खिसक जाते हैं। इनके बारे में सर्वप्रथम जानकारी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मिली थी। जेटयानों को चलने में इन पवनों ने सहायता प्रदान की थी। इसी कारण इन्हें जेट स्ट्रीम कहा गया है।

प्रश्न 5.
उपोष्ण जेट स्ट्रीम व ध्रुवीय वाताग्री जेट स्ट्रीम में मिलने वाले अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उपोष्णं जेट स्ट्रीम ध्रुवीय जेट स्ट्रीम से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
उपोष्ण जेट स्ट्रीम व ध्रुवीय वाताग्र जेट स्ट्रीम में मिलने वालों अन्तरों को निम्नानुसार स्पष्ट किया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 14 वायुराशियाँ, वाताग्र, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात 5

RBSE Class 11 Physical Geography Chapter 14 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायुराशियों से क्या अभिप्राय है? वायुराशियों का वर्गीकरण विविध आधारों पर कीजिए।
अथवा
विश्व में मिलने वाली वायुराशियों का वर्गीकरण करते हुए उन्हें प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डल के उस विस्तृत तथा घने भाग को जिसके भौतिक गुण, विशेषकर तापमान और आर्द्रता क्षैतिज रूप में लगभग एक समान होते हैं, वायुराशि कहते हैं। वायुराशियाँ प्रायः सैकड़ों किलोमीटर तक विस्तृत होती हैं। वायुराशियों के वर्गीकरण का आधार–विश्व में मिलने वाली वायुराशियों को मुख्यतः निम्न आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है-

  1. उत्पत्ति क्षेत्र के स्वभाव के आधार पर,
  2. वायुराशि में होने वाले रूपान्तरण के आधार पर।

उत्पत्ति क्षेत्र के आधार पर बायुराशियों को उष्ण कटिबंधीय वायुराशि व ध्रुवीय वायुराशि में बांटा गया है। ये महाद्वीपीय व महासागरीय होती हैं। इन दोनों को पुनः दो-दो भागों – समुद्री उष्ण कटिबंधीय, महाद्वीपीय उष्ण कटिबंधीय और समुद्री ध्रुवीय तथा महाद्वीपीय ध्रुवीय में बांटा गया है। इन दोनों विशेषताओं धरातल व जल की स्थिति व वायुराशियों के ताप के आधार पर विश्व में मिलने वाली. वायुराशियों को निम्न तालिका द्वारा दर्शाया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 14 वायुराशियाँ, वाताग्र, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात 6
विश्व में मिलने वाली मुख्य व गौण वायुराशियों के क्षेत्रों को निम्न रेखाचित्र के माध्यम से दर्शाया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 14 वायुराशियाँ, वाताग्र, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात 7

प्रश्न 2.
चक्रवात को परिभाषित करते हुए उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का वर्णन कीजिए।
अथवा
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति व स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चक्रवात प्रायः निम्न वायुदाब के केन्द्र होते हैं जिनके चारों ओर बाहर की ओर वायुदाब क्रमश: बढ़ता जाता हैं, जिस कारण सभी दिशाओं से हवाएँ अन्दर केन्द्र की तरफ प्रवाहित होती हैं। उष्ण कटिबंधीय चक्रवात-उष्णकटिबंधीय चक्रवात भूमध्य रेखा से दोनों ओर कर्क व मकर रेखाओं के मध्य पाये जाते हैं। ये प्रवाहित क्षेत्र में तीव्र गति से उग्र रूप धारण कर उत्पात मचाते रहते हैं।

उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति – उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति 8° से 15° उत्तरी अक्षांशों के मध्य महासागरों पर होती है। ये ग्रीष्म काल में अधिक उत्पन्न होते हैं। इनका जन्म तथा विकास क्षेत्र सागरीय भाग ही होते हैं। ये स्थल पर आते-आते विलीन हो जाते हैं। ये चक्रवात अत्यधिक शक्तिशाली तथा विनाशकारी तूफान होते हैं। इनको पश्चिमी द्वीप समूह के निकट हरिकेन, चीन, फिलीपीन्स व जापान में टाइफून तथा हिन्द महासागर में साइक्लोन कहते हैं। इन चक्रवातों का विस्तार उत्तरी अटलांटिक महासागर, मैक्सिको की खाड़ी, पश्चिमी द्वीप समूह, कॅरेबियन सागर, उत्तरी तथा दक्षिणी महासागर, चीन सागर तथा प्रशान्त महासागर के अधिकांश क्षेत्रों पर पाया जाता है।

उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के प्रकार – उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को मुख्यत: निम्न भागों में बाँटा गया है-

  1. क्षीण चक्रवात – इस प्रकार के चक्रवातों में एक या दो घिरी समदाब रेखाएँ रहती हैं। इसी कारण ये चक्रवात मंद गति से बढ़ते हैं।
  2. प्रचण्ड चक्रवात- इस प्रकार के चक्रवातों में एक से अधिक समदाब रेखाएँ घिरी होने से चक्रवातों की गति अधिक होती
  3. हरिकेन व टाइफून-उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को संयुक्त राज्य अमेरिका में हरिकेन व चीन के पूर्वी तटीय भागों में टाइफून कहते हैं।
  4. टारनैडो-आकार की दृष्टि से सबसे छोटा किन्तु सर्वाधिक भयंकर एवं विनाशकारी ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात जो मुख्यत: संयुक्त राज्य अमेरिका की मिसीसिपी घाटी तथा गौण क्षेत्र ऑस्ट्रेलिया में आते हैं।

प्रश्न 3.
जेट स्ट्रीम क्या है? इसके प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
जेट स्ट्रीम की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए इसके भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मध्य अक्षांशीय क्षोभमण्डल के ऊपरी स्तरों में, क्षोभ-सीमा के पास, अत्यधिक तीव्र गति स बहने वाली हवाओं को जेट स्ट्रीम’ कहते हैं। ये सँकरी, सली एवं तेज गति वाली वायु धाराओं की पट्टियाँ हैं। ये पृथ्वी का चक्कर लगाती रहती हैं। इनकी चौड़ाई 40 से 160 किमी तक तथा मोटाई 2 से 3 किमी तक होती है। इनकी गति 120 किमी प्रति घण्टा से भी अधिक होती है। शीतकाल में इनकी गति अधिक तीव्र होती है। इन वायु धाराओं की स्थिति मौसम के अनुसार बदलती रहती है। जेट स्ट्रीम के मार्ग गर्मियों में ध्रुवों की ओर तथा सर्दियों में विषुवत रेखा की ओर खिसक जाते हैं। इन वायु धाराओं की सर्वप्रथम जानकारी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई थी। युद्ध समाप्ति के बाद इनके विषय में व्यापक खोजबीन की गई। यद्यपि मौसम वैज्ञानिक इनकी उत्पत्ति एवं कुछ अन्य पहलुओं पर एकमत नहीं हैं, फिर भी इनके विषय में काफी जानकारी जुटा लेने से वायुयान चालकों द्वारा इनके प्रवाह का अनुकूल दिशा में उपयोग कर लिया जाता है। जेट स्ट्रीम के प्रकार-जेट स्ट्रीम को मुख्यत: निम्न दो भागों में बाँटा गया है-

1. उपोष्ण जेट स्ट्रीम – इनकी स्थिति क्षोभ सीमा के पास 30°-35° अक्षांशों के बीच दोनों गोलाद्ध में पाई जाती है। ये वर्षभर बहती है। इनकी उत्पत्ति पृथ्वी की घूर्णन क्रिया के कारण होती है। पृथ्वी का यह घूर्णन विषुवत् रेखा के ऊपर वायुमण्डल में अधिकतम गति उत्पन्न करता है। इसके परिणामस्वरूप विषुवतीय कटिबन्ध में ऊपर उठने वाली वायुधाराएँ ऊपर जाकर उत्तर और दक्षिण की ओर फैलकर अधिक तेज गति से बहने लगती हैं। ये वायु धाराएँ कॉरिआलिस बल के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दाईं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपनी बाईं ओर विक्षेपित हो जाता हैं। ये ही वायुधाराएँ लगभग 30° अक्षांशों पर पहुँचकर उपोष्ण जेट स्ट्रीम बन जाती हैं।

2. मध्य अक्षांशीय या ध्रुवीय वाताग्री जेट स्ट्रीम-इनकी उत्पत्ति तापान्तर के कारण होती है और ध्रुवीय वाताग्र से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं। इनकी स्थिति 40°-60° अक्षांशों के बीच दोनों गोलार्द्ध में होती है। इनकी स्थिति उपोष्ण जेट स्ट्रीम की अपेक्षा अधिक परिवर्तनशील होती है। ग्रीष्म ऋतु में ये ध्रुवों की ओर तथा शीत ऋतु में विषुवत रेखा की ओर खिसक जाती हैं। जेट स्ट्रीम के इन दोनों प्रारूपों को निम्न चित्र की सहायता से दर्शाया गया है-
RBSE Solutions for Class 11 Physical Geography Chapter 14 वायुराशियाँ, वाताग्र, चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात 8
महत्त्व – यद्यपि जेट स्ट्रीम को अभी तक पूर्णत: नहीं समझा जा सका है, तथापि मौसमी दशाओं पर इनका महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। चक्रवात, प्रतिचक्रवात, मानसून, प्रचण्ड वायु तथा तूफान जैसी मौसमी घटनाओं को निर्मित करने, प्रेरित करने और भयंकर बनाने में इन वायुधाराओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

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