Rajasthan Board RBSE Class 11 Physics Chapter 11 तरल
RBSE Class 11 Physics Chapter 11 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर
RBSE Class 11 Physics Chapter 11 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बादल आसमान में तैरते क्यों हैं?
उत्तर:
अन्तिम वेग शून्य होने के कारण।
प्रश्न 2.
क्रान्तिक वेग किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वह वेग जिसके ऊपर तरल का विक्षुब्ध प्रवाह हो जाता है।
प्रश्न 3.
रेनॉल्ड संख्या से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ये शुद्ध संख्या है जो पाइप में तरल प्रवाह की प्रकृति को बताती है।
प्रश्न 4.
क्या धारा रेखीय प्रवाह में दो धारा रेखायें एक-दूसरे को काटती हैं?
उत्तर:
नहीं।
प्रश्न 5.
द्रव की श्यानता पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
ताप बढ़ाने से श्यानता घटती है।
प्रश्न 6.
किस ताप पर द्रव का पृष्ठ तनाव शून्य हो जाता है?
उत्तर:
क्रान्तिक ताप पर।
प्रश्न 7.
वह ताप बताइए जिस पर जल का पृष्ठ तनाव अधिकतम होगा?
उत्तर:
4°C पर
प्रश्न 8.
पानी में साबुन घोलने पर सम्पर्क कोण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
घटता है।
प्रश्न 9.
खेतों को जोतने से क्या लाभ होता है?
उत्तर:
केशनली टूटने से जमीन से पानी वाष्पित नहीं होता, नमी बनी रहती है।
प्रश्न 10.
आदर्श तरल किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसा द्रव जो असम्पीड्य व अश्यान हो।
प्रश्न 11.
शुद्ध पानी व काँच के लिये सम्पर्क कोण कितना होता है?
उत्तर:
सम्पर्क कोण शून्य होता है।
प्रश्न 12.
पृष्ठ तनाव के लिये उत्तरदायी बल का नाम लिखो।
उत्तर:
ससंजक बल।
RBSE Class 11 Physics Chapter 11 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किसी बहते हुये द्रव में कितनी प्रकार की ऊर्जा होती है?
उत्तर:
आदर्श द्रव के धारा रेखीय प्रवाह में तीन प्रकार की ऊर्जायें होती हैं
(1) दाब ऊर्जा (Pressure Energy)- यदि किसी द्रव के A क्षेत्रफल पर P दाब पड़ रहा हो और यह द्रव इस दाब के कारण l दूरी चले तो
द्रव की दाब ऊर्जा = किया गया कार्य = बल × दूरी
= दाब × क्षेत्रफल × दूरी = P × A × l
द्रव का आयतन = क्षेत्रफल × दूरी = A × l
∴ द्रव के एकांक आयतन की दाल ऊर्जा = \(\frac{P \times A \times l}{A \times l}\) = P
(2) गतिज ऊर्जा (K.E.)- यदि m द्रव्यमान व V आयतन का द्रव, v वेग से बह रहा हो तो उसकी गतिज ऊर्जा \(\frac{1}{2} m v^{2}\) होगी।
∴ द्रव के एकांक आयतन की गतिज ऊर्जा
\(=\frac{1}{2} \frac{m}{V} \cdot v^{2}=\frac{1}{2} \rho \times v^{2}\)
जहाँ पर ρ द्रव का घनत्व है।
(3) स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)- यदि m द्रव्यमान का द्रव्य पृथ्वी तल से h ऊँचाई पर हो तो उसकी स्थितिज ऊर्जा mgh होगी।
∴ द्रव के एकांक आयतन की स्थितिज ऊर्जा = \(\frac{m}{V} g h\) = ρgh
प्रश्न 2.
विक्षुब्ध प्रवाह की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विक्षुब्ध प्रवाह-जब किसी तरल के प्रवाह का वेग क्रांतिक वेग से अधिक होता है तब तरल प्रवाह में कणों की गति व्यवस्थित नहीं रहकर अनियमित टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है एवं तरल के अंदर भंवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं। तरल के इस प्रकार के प्रवाह को ‘विक्षुब्ध प्रवाह’ कहते हैं।
प्रश्न 3.
समुद्र की पेंदी पर उच्च दाब होता है, फिर भी जन्तु कैसे जीवित रहते हैं?
उत्तर:
समुद्र के तल पर पानी का दबाव सतह वाले दबाव की तुलना में कई गुना अधिक होता है। 10 मीटर गहराई पर दाब दो वायुमण्डलीय हो जाता है तथा इसी अनुपात में गहराई के साथ दाब बढ़ता जाता है। समुद्र में रहने वाले जन्तुओं में अधिकांशतः जल ही होता है जो कि उच्च दाब पर भी आसानी से संकुचित नहीं हो सकता है। इसके अतिरिक्त मछलियों में गैस से भरे उछाल मूत्राशय (gasfilled buoyancy bladders) होते हैं जो कि सिकुड़ने योग्य (compressible) होते हैं तथा उच्च दाब पर सिकुड़ जाते हैं और जन्तु उच्च दाब पर भी अपना जीवन-यापन कर सकते हैं।
प्रश्न 4.
धारा रेखीय प्रवाह की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जब कोई द्रव इस प्रकार बहता है कि किसी एक ही बिन्दु में से होकर गुजरने वाले ट्रव के सभी कण एक ही मार्ग पर चलते हैं तो द्रव के प्रवाह को ‘धारा रेखीय प्रवाह’ कहते हैं तथा उस मार्ग को ‘धारा रेखा’ कहते हैं। धारा रेखा के किसी भी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर द्रव के वेग की दिशा को प्रदर्शित करती है।
प्रश्न 5.
गैसों की श्यानता पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ताप बढ़ाने से द्रव पतले हो जाते हैं तथा गैसें गाढ़ी हो जाती हैं। अर्थात् द्रवों की श्यानता कम तथा गैसों की श्यानता अधिक हो जाती है। उच्च ताप पर अन्तरआण्विक टक्करों की आवृत्ति बढ़ जाती है, इस कारण से गैसों की श्यानता अधिक हो जाती है। गैसों की श्यानता लगभग ताप के वर्गमूल के समानुपाती होती है।
प्रश्न 6.
पानी की छोटी बंद गोल लेकिन बड़ी बूंद चपटी होती है, क्यों?
उत्तर:
बूंद की आकृति दो बलों से निर्धारित होती है-पृष्ठ तनाव तथा गुरुत्व बल। बूंद सदैव अपनी न्यूनतम स्थितिज ऊर्जा की स्थिति प्राप्त करने का प्रयास करती है। अत्यधिक छोटी बूंदों का द्रव्यमान नगण्य होने से गुरुत्व बल अप्रभावी रहता है। अतः पृष्ठ तनाव उसका क्षेत्रफल कम से कम करने के लिये गोलाकार आकृति प्रदान करता है। बूंद का आकार बढ़ने पर गुरुत्वीय बल प्रभावी हो जाता है। तथा बूंद चपटी होने लगती है ताकि उसका गुरुत्व केन्द्र नीचे से नीचा हो। अतः बूंद किनारों को छोड़कर शेष भाग में चपटी होने लगती है।
प्रश्न 7.
केशनली में किसी द्रव पृष्ठ की आकृति किन बलों के द्वारा निर्धारित की जाती है?
उत्तर:
माना काँच के समीप जल के मुक्त पृष्ठ पर एक अणु A स्थित है। इस अणु पर निम्न बल कार्य करेंगे
(1) ससंजक बल (P) जो जल के अन्य अणुओं के आकर्षण के कारण जल के अन्दर की ओर लगता है।
(2) आसंजक बल Q जो A के पास वाले काँच के अणुओं के आकर्षण के कारण उत्पन्न होता है तथा यह ठोस के पृष्ठ के लम्बवत्का र्य करता है। जल व काँच के अणुओं के बीच आसंजक बल (Q) जल के अणुओं के ससंजक बल (P) से बड़ा है अतः इनका परिणामी बल R जल के बाहर की ओर होता है (चित्र 1) साम्यावस्था में द्रव का पृष्ठ सदैव परिणामी बल के लम्बवत् होता है। अतः काँच के सम्पर्क में जल का पृष्ठ अवतल आकृति ले लेता है (चित्र II)। इसी प्रकार दो काँच की प्लेट के बीच पानी की बूंद को दबाकर एक पतली फिल्म बना दी जाये तो वह भी दोनों मुक्त सिरों पर अवतल आकृति ग्रहण कर लेती है। जैसा चित्र III में है।
प्रश्न 8.
समुद्र की लहरों को शांत करने के लिए तेल क्यों छिड़कते हैं?
उत्तर:
तेल डाल देने पर, तेज हवा तेल को जल के पृष्ठ पर हवा की दिशा में दूर तक फैला देती है। बिना तेल वाले जल का पृष्ठ तनाव तेल वाले जल से अधिक होता है। अतः बिना तेल वाला जल तेल वाले जल की वायु की विपरीत दिशा में खींचता है, जिससे समुद्र की लहरें शान्त हो जाती हैं।
प्रश्न 9.
पारा तापमापी की काँच की नली में पारे का भरना कठिन कार्य क्यों है?
उत्तर:
किसी केशनली में पारे का चन्द्रतल उत्तल होता है। जब पारे की बूंद को केशनली में डालने का प्रयास किया जाता है तो पारे के चन्द्रतल के नीचे का दाब वायुमण्डलीय दाब से 2T/r अधिक होता है। यह दाब आधिक्य पारे को तापमापी की केशनली में प्रवेश होने से रोकता है। इसलिए तापमापी की नली में पारा भरने में कठिनाई होती है।
प्रश्न 10.
कपूर के छोटे टुकड़े पानी में डालने पर इधर-उधर दौड़ने लगते हैं। क्यों?
उत्तर:
जब कपूर के छोटे टुकड़े पानी के पृष्ठ पर डालते हैं तो उनके जल में घुलने से पृष्ठ तनाव कम होने लगता है। कपूर के टुकड़ों की आकृति अनियमित होती है। अतः उनका एक हिस्सा दूसरी ओर के हिस्से से अधिक घुल जाता है तथा दोनों ओर के पृष्ठ तनाव में अन्तर हो जाता है। अतः कपूर के टुकड़े अधिक पृष्ठ तनाव वाले भाग की ओर खिंच जाते हैं। यह क्रिया चलती रहती है और ये पानी के पृष्ठ पर नाचते दिखाई देते हैं जब तक कि पूरी कपूर घुलकर समाप्त नहीं हो जाता है।
RBSE Class 11 Physics Chapter 11 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बरनौली प्रमेय का कथन लिखते हुये इसे सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
जब कोई असंपीड्य तथा अश्यान द्रव अथवा गैस एक स्थान से दूसरे स्थान तक धारा रेखीय प्रवाह में बहता है तो इसके मार्ग के प्रत्येक बिन्दु पर इसके एकांक आयतन की कुल ऊर्जा अर्थात् दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग एक नियतांक होता है।
दाब ऊर्जा + गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा = स्थिरांक
\(\frac{P}{\rho}+\frac{1}{2} v^{2}+g h\)= स्थिरांक (इकाई द्रव्यमान के लिए)
अथवा
P + \(\frac{1}{2}\) ρv2 + ρgh = स्थिरांक (इकाई आयतन के लिए)
इस प्रकार से बरनौली का प्रमेय एक प्रकार से बहते हुए द्रव (अथवा गैस) के लिए ऊर्जा संरक्षण का सिद्धान्त ही है।
बरनौली प्रमेय का निगमन
(Derivation of Bernoulli’s Theorem)
माना कि एक नली में द्रव चित्र में बताये अनुसार बह रहा है। नली के सिरों के बीच दाबान्तर (P1 – P2) के कारण द्रव का प्रवाह X बिन्दु से Y बिन्दु की ओर होता है।
माना कि नली के एक सिरे (X) पर अनुप्रस्थ काट का मान A1, द्रव का वेग v1, द्रव पर दाब P1 तथा उस सिरे की पृथ्वी से ऊँचाई h1 है। इसी प्रकार A2, v2, P2, और h2 दूसरे सिरे (Y) पर सम्बन्धित राशियाँ हैं। माना प्रति सेकण्ड प्रवाहित जल का आयतन Q है। सांतत्यता के समीकरण से
Q = A1v1 = A2v2 = \(\frac{m}{\rho}\) ………… (1)
यहाँ पर ρ द्रव का घनत्व है, m उसका द्रव्यमान है। इस द्रव पर दाब की दिशा में दाब (P1) के कारण प्रति सेकण्ड किया गया कार्य
W1 = बल × विस्थापन
= P1v1
यहाँ पर v1 = एक सेकण्ड में पार की गई दूरी है। इसी प्रकार से दूसरे सिरे (Y) पर
W2 = P2A2v2 ………….. (2)
अतएवं प्रति सेकण्ड द्रव पर किया गया परिणामी कार्य
W = W1 – W2
W = P1A1v1 – P2A2v2
समीकरण (1) से A1v1 = A2v2 = \(\frac{m}{\rho}\) का मान रखने पर
उपर्युक्त समीकरण (4) से प्रत्येक पद की विमा ऊँचाई की है। \(\frac{\mathrm{P}}{\rho g}\) को दाब शीर्ष तथा \(\frac{v^{2}}{2 g}\) को वेग शीर्ष कहते हैं।
अतएव बरनौली सिद्धान्त को निम्न प्रकार से भी कह सकते हैं। कि किसी धारा रेखीय प्रवाह से बहते हुए असंपीड्य और अविस्कासी द्रव के प्रत्येक बिन्दु पर दाब शीर्ष, वेग शीर्ष और गुरुत्व शीर्ष का योग स्थिर रहता है।
जब तरल विरामावस्था में होता है अर्थात् प्रत्येक स्थान पर कणों का वेग शून्य होता है तब बरनौली समीकरण
P1 + ρgh1 = P2 + ρgh2
⇒ (P1 – P2) = ρg (h2 – h1)
बरनौली प्रमेय की सीमाएँ ।
- यह प्रमेय आदर्श तरल, जिसमें श्यानता शून्य है, के लिये सत्य है।
- यहाँ पर जिस नली में तरल प्रवाहित हो रहा है उसको घर्षण रहित माना गया है जो वास्तव में सम्भव नहीं है। अतः घर्षण में व्यय ऊर्जा को नगण्य नहीं माना जा सकता है।
- यहाँ धारा रेखीय प्रवाह में नली की दीवार के सम्पर्क वाली तरल की परत का वेग शून्य तथा अक्षीय परत का वेग अधिकतम माना गया है। अतः सम्पूर्ण नली में तरल प्रवाह का वेग एकसमान नहीं रहता है।
प्रश्न 2.
किसी टंकी में पानी के धरातल से h मीटर नीचे छिद्र से बहिःस्राव वेग का सूत्र व्युत्पन्न कीजिए। टौरिसैली सिद्धान्त की तुल्यता को भी समझाइए।
उत्तर:
बहिःस्राव वेग (Velocity of Efflux)- माना किसी चौड़े पात्र में H ऊँचाई तक द्रव (जल) भरा हुआ है। उसमें ऊपरी तल की सतह से h दूरी पर छिद्र O है। छिद्र से बाहर निकलने वाले द्रव का बहि:स्राव वेग का मान V है। द्रव की मुक्त सतह पर वायुमण्डल दाब P है तथा छिद्र के ठीक बाहर भी दाब P ही होगा। द्रव की मुक्त पृष्ठ पर द्रव का वेग शून्य है।
अतः किसी छिद्र से किसी द्रव के बहिःस्राव वेग उस वेग के बराबर होता है जो कि द्रव अपने स्वतंत्र तल से छिद्र तक स्वतंत्रतापूर्वक गिरने में प्राप्त कर लेता है। इसे टॉरिसेली प्रमेय (Torricelli’s Theorem) भी कहते हैं।
प्रश्न 3.
वेन्च्यूरी मापी द्वारा नली में प्रति सेकंड बहने वाले द्रव की मात्रा के लिये सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
वेन्यू री प्रवाह मापी (Venturi Flow meter)- यह बरनूली के सिद्धान्त पर आधारित एक ऐसी युक्ति है जो किसी नली में द्रव के बहने की दर ज्ञात करने के काम आती है। चित्र के अनुसार वेन्यूरी प्रवाहमापी नली का एक भाग चौड़ा तथा बीच में संकीर्ण होता है। इन दोनों भागों के बीच दाबान्तरमापी लगा रहता है।
माना चौड़े भाग का अनुप्रस्थ काट A1, द्रव का वेग v1, द्रव का दाब P1 एवं संकीर्ण भाग पर क्रमशः A2, v2, P2, हैं तो बरनूली के सिद्धान्त के अनुसार h1 = h2 = h स्थिति में समीकरण से
यदि दाब नापने वाली नलियों में द्रव स्तम्भों की ऊँचाईयों का अन्तर h हो तब
P1 – P2 = hρmg ………….(2)
इसका मोन समीकरण (1) में रखने पर
hρmg = \(\frac{1}{2}\) ρ(v22 – v12)
2hgρm = (v22 – v12) ρ
सातत्य समीकरण से A1V1 = A2V2 = Q(प्रवाह दर) ……………(3)
अतः h, A1 तथा A2 का मान ज्ञात होने पर द्रव के प्रवाह की दर ज्ञात की जा सकती है। समीकरण (4) से v1 तथा v2 के मान ज्ञात किये जा सकते हैं।
फिल्टर पम्प, बुनसन बर्नर, कणित्र तथा स्प्रेयर इसी सिद्धान्त पर कार्य करते हैं।
प्रश्न 4.
एक अनंत श्यान द्रव (विस्कासी द्रव) में गिर रहे गोले के लिये अन्तिम वेग का सूत्र प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर:
द्रव में गोले का गिरना (Fall of a Sphere in a Liquid)
माना ρ घनत्व व r त्रिज्या का एक गोला, η श्यानता गुणांक व σ घनत्व वाले पूर्णतः समांग तरल माध्यम में गिरता है, माध्यम का विस्तार अनन्त है।
नीचे गिरते हुए गोले पर निम्न बल कार्य करते हैं
(i) गोले का भार F1 = mg
= \(\frac{4}{3}\) πr3 ρg (नीचे की ओर) .
(ii) उत्प्लावन बल F2 = गोले द्वारा हटाए गये द्रव का भार
= \(\frac{4}{3}\) πr3 σg (ऊपर की ओर)
(iii) श्यान बल F = 6πηrvt (ऊपर की ओर)
नीचे गिरते हुए गोले का वेग बढ़ता जाता है व एक स्थिति ऐसी आ जाती है जब वह अन्तिम वेग vt से नीचे गिरेगा। इस स्थिति में इसमें त्वरण शून्य होगा तथा गोले पर ऊपर की ओर लगने वाले बल नीचे की ओर लगने वाले बलों से संतुलित होंगे।
उपरोक्त सूत्र के समी. (2) से स्पष्ट है कि किसी श्यान माध्यम में नीचे गिरते गोले का वेग गोले की त्रिज्या के वर्ग के समानुपाती, गोले तथा माध्यम के घनत्व के अन्तर के समानुपाती तथा माध्यम के श्यानता गुणांक के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
प्रश्न 5.
आणविक बलों के आधार पर पृष्ठ तनाव की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आण्विक बलों के आधार पर पृष्ठ तनाव की व्याख्या (Explanation of Surface Tension on the basis of Inter-molecular Forces)
एक अणु के द्रव के भीतर स्थित A पर विचार करते हैं जिसे चित्र में दिखाया गया है। इस स्थिति में प्रभाव का गोला पूर्ण रूप से द्रव के भीतर होता है। अतएव इस गोले के अन्दर के प्रत्येक अणु केन्द्रीय अणु को अपनी ओर ससंजक बल से आकर्षित करते हैं। चूँकि अणु के चारों ओर अणु हैं, अतएव परिणामी बल शून्य होगा। अन्य स्थिति B पर विचार करते हैं। प्रभावी गोले का कुछ भाग द्रव के बाहर है। अतएव सब ओर अणुओं का आकर्षण एकसमान नहीं होगा।
चित्र से स्पष्ट है कि B को नीचे की ओर खींचने वाला बल ऊपर की ओर खींचने वाले बल से अधिक होगा। स्थिति C में आधा प्रभाव का गोला द्रव के बाहर है। C की स्थिति द्रव की सतह पर है। इस स्थिति में चूँकि आधा प्रभाव का गोला अन्दर की ओर ही है। अतएव नीचे की ओर उसे खींचने वाला बल अधिकतम होगा। इस प्रकार सतह पर द्रव के अणुओं पर एक परिणामी बल अन्दर की ओर लम्बवत् लगता है। इस बल के कारण अणु अन्दर की ओर जाता है। इस कारण धरातल का परिमाण कम होता है। ऊर्जा के रूप में जब किसी अणु को द्रव के अन्दर से ऊपर लाया जाता है तब इस अन्दर की ओर लगने वाले लम्बवत् बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। यह कार्य अणु की स्थितिज ऊर्जा के रूप में होता है, जो परत में स्थित होता है, चूँकि हमेशा न्यूनतम स्थितिज ऊर्जा प्राप्त करने का किसी व्यवस्था का प्रयास होता है, इसलिये अणु परत को कम कर अन्दर की ओर जाने का प्रयास करता है, जहाँ स्थितिज ऊर्जा शून्य रहती है। इस प्रकार द्रव सतह के सिकुड़ने के प्रयास को समझा सकते हैं। यह इस बात को भी बताता है कि किस प्रकार द्रव की सतह बनने में और बढ़ने में कार्य होता है।
प्रश्न 6.
पृष्ठ तनाव पर आधारित दैनिक जीवन में विभिन्न घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृष्ठ तनाव पर आधारित दैनिक घटनायें
(Daily Events Based on Surface Tension)
हमारे दैनिक जीवन में कई उदाहरण हैं जिनमें पृष्ठ तनाव का प्रभाव अत्यन्त महत्वपूर्ण व रोचक है।
(1) जल के पृष्ठ पर कपूर के टुकड़े नाचने लगते हैं- जब कपूर के छोटे टुकड़े पानी के पृष्ठ पर डालते हैं तो उनके जल में घुलने से पृष्ठ तनाव कम होने लगता है। कपूर के टुकड़ों की आकृति अनियमित होती है। अतः उनका एक हिस्सा दूसरी ओर के हिस्से से अधिक घुल जाता है तथा दोनों ओर के पृष्ठ तनाव में अन्तर हो जाता है। अतः कपूर के टुकड़े अधिक पृष्ठ तनाव वाले भाग की ओर खिंच जाते हैं। यह क्रिया चलती रहती है और ये पानी के पृष्ठ पर नाचते दिखाई देते हैं जब तक कि पूरा कपूर घुलकर समाप्त नहीं हो जाता है।
(2) फुहारने से ठंडक उत्पन्न होती है- किसी भी द्रव को फुहारने से असंख्य छोटी बूंदें बनती हैं। इस कारण पृष्ठ क्षेत्रफल काफी बढ़ जाता है तथा द्रव के अन्दर से अणु ऊपर उठकर पृष्ठ पर आ जाते हैं। इसके लिये उन्हें अंतराण्विक बलों के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। अतः उनकी आंतरिक ऊर्जा में कमी आ जाती है जिससे ताप गिर जाता है। इसी प्रकार छोटी बूंदों को मिलाकर बड़ी बूंद बनायें तो परिणामी पृष्ठ क्षेत्रफल कम होने से ठीक उलटा प्रभाव होगा तथा ताप बढ़ जायेगा।
(3) काँच की छड़ को गर्म करने पर उसका सिरा गोल हो जाता है- काँच को गर्म करने पर वह पिघल जाता है तथा दिये गये। आयतन के लिये द्रव का पृष्ठ न्यूनतम क्षेत्रफल (गोलीय रूप में) प्राप्त करने का प्रयास करता है। अतः पिघला हुआ कांच गोलीय आकृति धारण कर लेता है।
(4) गर्म सूप ठंडे सूप की अपेक्षा अधिक स्वादिष्ट लगता है- गर्म सूप का पृष्ठ तनाव ठंडे सूप की अपेक्षा कम होता है। अतः वह जीभ के अधिक क्षेत्रफल पर फैल जाता है तथा स्वादिष्ट लगता है। टूथपेस्ट के झाग को पृष्ठ तनाव भी कम होता है अतः वह दाँतों व मसूड़ों के पूरे क्षेत्रफल पर फैलकर शीघ्रता से सफाई कर देता है। बाजार में घाव को साफ करने वाली दवायें जैसे स्प्रिट अथवा डिटॉल का पृष्ठ तनाव भी काफी कम होता है अतः ये घाव में बनी छोटी-छोटी दरारों में आसानी से पहुँचकर अच्छी तरह से सफाई करते
(5) साधारण जल की तुलना में साबुन मिले पानी से अधिक बड़े बुलबुले बनाये जा सकते हैं- साधारण जल का पृष्ठ तनाव अधिक होता है अतः बड़े क्षेत्रफल की फिल्में तुरन्त टूट जाती हैं। जबकि साबुन मिले पानी का पृष्ठ तनाव काफी कम होने से बड़े बुलबुले बनाये जा सकते हैं जो काफी देर तक स्थाई रहते हैं।
(6) पारे की छोटी बूंद गोल तथा बड़ी बूंद चपटी होती है| बूंद की आकृति दो बलों से निर्धारित होती है- पृष्ठ तनाव तथा गुरुत्व बल बूंद सदैव अपनी न्यूनतम स्थितिज ऊर्जा की स्थिति प्राप्त करने का प्रयास करती है। अत्यधिक छोटी बूंदों का द्रव्यमान नगण्य होने से गुरुत्व बल अप्रभावी रहता है। अतः पृष्ठ तनाव उसका क्षेत्रफल कम से कम करने के लिये गोलाकार आकृति प्रदान करता है। बूंद का आकार बढ़ने पर गुरुत्वीय बल प्रभावी हो जाता है तथा बूंद चपटी होने लगती है ताकि उसका गुरुत्व केन्द्र नीचे से नीचा हो। अतः बूंद किनारों को छोड़कर शेष भाग में चपटी होने लगती है।
प्रश्न 7.
पृष्ठ तनाव व पृष्ठ ऊर्जा में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
पृष्ठ तनाव तथा पृष्ठ ऊर्जा में सम्बन्ध (Relation between Surface Tension and Surface Energy)
माना दिये गये चित्र में ABCD एक तार का आयताकार फ्रेम है। PQ एक अन्य तार है, जो कि चित्रानुसार ABCD पर रखा है तथा बिना घर्षण के उस पर खिसक सकता है। फ्रेम को साबुन के घोल में डुबाते हैं और एक फिल्म PQDC बना ली जाती है। पृष्ठ तनाव के कारण फिल्म का मुक्त पृष्ठ सिकुड़ने की चेष्टा करता है अतः तार PQ अन्दर की ओर चलने लगता है, अतः तार को साम्यावस्था में रखने के लिये एक अतिरिक्त बल माना F दूसरी ओर लगाना पड़ता है। चूँकि फिल्म में दो मुक्त पृष्ठ होते हैं अतः साम्यावस्था में
F = 2Tl ……….(1)
माना तार को Δx दूरी जो कि सूक्ष्म है, दायीं ओर चलाया जाये जिससे ये P’Q’ स्थिति पर आ जाये फिल्म के दोनों पृष्ठों के क्षेत्रफल में वृद्धि होती है अतः बल F द्वारा किया गया कार्य
W = F × Δx …………(2)
समी. (1) से मान रखने पर
W = 2Tl × Δx
या W = T(2lΔx)
या W = TΔA
ΔA पृष्ठ के दोनों ओर की क्षेत्रफल वृद्धि है। …………..(3)
अतः T = \(\frac{W}{\Delta A}\)
इस प्रकार किसी द्रव के क्षेत्रफल में नियत ताप पर इकाई वृद्धि करने के लिये आवश्यक कार्य की मात्रा को पृष्ठ तनाव कहते है।
महत्त्वपूर्ण टिप्पणी
द्रव के विभिन्न नये पृष्ठ बनाने में कार्य का उदाहरण बुलबुला बनाने में किया गया कार्य- पृष्ठीय ऊर्जा एवं पृष्ठ तनाव के सम्बन्ध में आधार पर, द्रवों के नये पृष्ठ बनाने में किए जाने वाले कार्य को ज्ञात किया जा सकता है।
उदाहरणार्थ- साबुन का बुलबुला अन्दर से खोखला होता है, अतः उसके दो स्वतंत्र पृष्ठ होते हैं। अतः R त्रिज्या का बुलबुला बनाने में किये गये कार्य का मान
W = T × ΔA = T × [2 × 4πR2]
W = 8πR2T
प्रश्न 8.
कोशिकाव पर आधारित दैनिक जीवन से जुड़े उदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कोशिकात्व के कुछ व्यावहारिक उदाहरण
(Practical Examples of Capillarity)
- पेड़-पौधों को दिया गया जल तनों में बनी असंख्य केशनलियों में चढ़कर उनकी टहनियों तक आसानी से पहुँच जाता है।
- किसान वर्षा होने पर खेत को जोत देते हैं ताकि मिट्टी में बनी केशनलियाँ टूट जायें तथा जमीन में गया पानी अन्दर ही रहकर नमी बनाये रखे। यह जल फसल के काम आता है अन्यथा जल मिट्टी की केशनलियों से ऊपर आकर वाष्प बनकर उड़ने लगेगा।
- लालटेन में मिट्टी का तेल तथा मोमबत्ती में पिघला हुआ मोम बत्ती के धागों के बीच बनी असंख्य केशनलियों द्वारा ऊपर चढकर जलता रहता है।
- पानी से भरी बाल्टी में तौलिये का सिरा डुबोने पर पानी तौलिये के धागों के बीच बनी केशनलियों में चढ़कर सारे तौलिये को गीला कर देता है।
- स्याही सोखता कागज के द्वारा स्याही को सोखना कागज में उपस्थित केशनलियों के कारण होता है।
- कॉफी पाउडर गर्म जल में बहुत शीघ्र घुल जाता है, क्योंकि गर्म जल कॉफी की महीन कणिकाओं को कोशिकत्व की क्रिया से तुरन्त भिगो देता है।
- पेन की निब बीच में से फटी रहती है। यह फटा हुआ भाग एक केशनली की तरह काम करता है जिसमें से स्याही लगातार प्रवाहित होती रहती है।
- कपड़े पर मोम रगड़ने से वह वाटरप्रूफ बन जाता है। कपड़े में अनेक केशिकायें होती हैं जिनमें पानी भर जाता है, परन्तु जब उन पर मोम को रगड़ देते हैं तो केशिकायें बन्द हो जाती हैं। साथ ही मोम और पानी का आसंजक बल, पानी के ससंजक बल से कम होता है। अतः पानी मोम लगे कपड़े को गीला भी। नहीं कर पाता। अतः कपड़ा वाटरप्रूफ बन जाता है।
प्रश्न 9.
केशनली में विभिन्न द्रवों के लिये नवचन्द्रकों | (Menincus) की आकृति का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कांच की केशिका नली में जल के पृष्ठ की आकृति (Figure of Water Surface in Mirror of Test Tube)
माना काँच के समीप जल के मुक्त पृष्ठ पर एक अणु A स्थित है। इस अणु पर निम्न बल कार्य करेंगे
(1) ससंजक बल (P) जो जल के अन्य अणुओं के आकर्षण के कारण जल के अन्दर की ओर लगता है।
(2) आसंजक बल Q जो A के पास वाले काँच के अणुओं के आकर्षण के कारण उत्पन्न होता है तथा यह ठोस के पृष्ठ के लम्बवत् कार्य करता है। जल व काँच के अणुओं के बीच आसंजक बल (Q) जल के अणुओं के ससंजक बल (P) से बड़ा है अतः इनका. परिणामी बल R जेल के बाहर की ओर होता है (चित्र I) साम्यावस्था में द्रव का पृष्ठ सदैव परिणामी बल के लम्बवत् होता है। अतः काँच के सम्पर्क में जल का पृष्ठ अवतल आकृति ले लेता है (चित्र II)। इसी प्रकार दो काँच की प्लेट के बीच पानी की बूंद को दबाकर एक पतली फिल्म बना दी जाये तो वह भी दोनों मुक्त सिरों पर अवतल आकृति ग्रहण कर लेती है। जैसा चित्र III में है।
काँच की नली में पारे के पृष्ठ की आकृति (Figure of Mercurry Surface in Mirror of Test Tube)
पारे के अणुओं के बीच का ससंजक बल (P) पारे व काँच की दीवारों के बीच लगने वाले आसंजक बल (Q) से काफी अधिक होता है। अतः अणु A जो काँच के सम्पर्क स्थान के निकट है, पर परिणामी बल R की दिशा, पारे के अंदर की ओर होती है (चित्र a) अतः काँच के समीप पारे का तल उत्तल होता है (चित्र b)। इसी प्रकार यदि दो काँच की पट्टिकाओं के बीच पारे की बूंद रखकर दबायी जाती है तो बूंद दोनों मुक्त सिरों पर उत्तल आकृति ले लेती है। (चित्र c)
इन उत्तल (पारे की) व अवतल (पानी की) आकृतियों को नवचन्द्रक (meniscus) कहते हैं।
प्रश्न 10.
कोशिकात्व क्या है? केशनली में चढ़े जलस्तम्भ की ऊँचाई के लिये सूत्र प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर:
दोनों सिरों पर खुली बहुत बारीक सुराख की नली केशनली (Capillary) कहलाती है। जब किसी केशनली को किसी द्रव में सीधी खड़ी करें तो पृष्ठ तनाव के कारण द्रव या तो उसमें ऊपर चढ़ जाता है या नीचे गिर जाता है। इस घटना को ‘कोशिका क्रिया’ (Capillary action) कहते हैं। उदाहरण के लिये पानी केशनली में ऊपर चढ़ता है जबकि पारा नीचे गिरता है (बाहर के तल की अपेक्षा) केशनली जितनी बारीक होती है यह क्रिया उतनी अधिक प्रभावी होती है। जो द्रव केशनली को भिगोते हैं, जैसे जल (जिनके लिये सम्पर्क कोण का मान 90° से कम तथा आसंजक बल ससंजक से अधिक है) वे कांच की केशनली में ऊपर चढ़ते हैं। (जैसाकि चित्र I) दूसरी ओर द्रव केशनली को नहीं भिगोते, जैसे पारा (अर्थात् जिनके लिये सम्पर्क कोण अधिक कोण है तथा ससंजक बल आसंजक बलों से अधिक है) वे कांच की केशनली में नीचे गिरते हैं। (जैसा कि चित्र II)। इस परिघटना को कोशिकावं कहते हैं।
किसी केशनली में स्थित द्रव के वक्र पृष्ठ को नवचन्द्रक कहते हैं। किसी द्रव के नवचन्द्रक की आकृति द्रव में ससंजक बल तथा ठोस व द्रव के मध्य आसंजक बल के परिमाण पर निर्भर करती है।
केशनली में चढ़ने वाले अथवा उतरने वाले द्रव की ऊँचाई का व्यंजक (Derive the derivation of height of liquid in Capillary Rise or down of liquid in Capillary Rise)
माना r त्रिज्या की एक केशनली में h ऊँचाई तक जल चढ़ जाता है। दीवार पर प्रति लम्बाई बल T अन्दर की ओर है और प्रतिक्रिया बल R बाहर की ओर है।
∵ F = T × (2πr)
∴ R = T × (2πr)
R का ऊध्र्वाधर घटक ऊपर की ओर होगा।
R का ऊध्र्ध्वाधर घटक R cos 8θ का मान T × 2πr cos θ सन्तुलन की स्थिति में
T × 2πr cos θ = केशनली में द्रव स्तम्भ का भार
लेकिन द्रव्यमान M = आयतन (V) × घनत्व (2)
शुद्ध जल व स्वच्छ कांच के लिये θ = 0°
∴ cos 0° = 1 मान रखने पर।
अर्थात् केशनली में चढ़े द्रव स्तम्भ की ऊँचाई तथा केशनली की त्रिज्या का गुणनफल नियत रहता है।
अथवा केशिका नली में कोई द्रव जितना चढ़ता या उतरता है। वह ऊँचाई या गहराई केशिका नली की त्रिज्या के व्युत्क्रमानुपाती होती है। इसे ही जूरिन का नियम (Jurin’s Law) कहते हैं।
वैकल्पिक विधि
केशनली में द्रव का चढ़ना एक निश्चित ऊँचाई पर जाकर रुक जाता है जैसाकि चित्र में दर्शाया गया है। यह सन्तुलन की अवस्था होती है। इस स्थिति में, केशनली में चढ़े द्रव स्तम्भ का दाब \(\left(\frac{2 T}{R}\right)\) बराबर होता है।
(यहाँ ρ जल को घनत्व है तथा g गुरुत्वीय त्वरण है।)
माना केशनली की त्रिज्या r है और जल व काँच के बीच सम्पर्क कोण θ है। चित्र II से वक्र पृष्ठ की वक्रता क्रिज्या
समी. (3) के सूत्र से स्पष्ट है कि r का मान जितना कम होगा, h का मान उतना ही अधिक होगा। यही कारण है कि बारीक छिद्र की केशनली में मोटे छिद्र की केशनली की अपेक्षा जल अधिक ऊँचाई तक चढ़ता है।
प्रश्न 11.
द्रव बूंद के लिये दाब आधिक्य सूत्र की स्थापना कीजिए।
उत्तर:
गोल बूंद के अंदर दाब आधिक्य
(Pressure Excess Inside a Spherical Drop)
एक गोल बूंद का पृष्ठ उत्तल होता है अतः इसकी सतह पर प्रत्येक अणु अन्दर की ओर एक परिणामी बल अनुभव करता है। साम्यावस्था के लिये इसके बराबर व विपरीत अर्थात् अवतल पृष्ठ की ओर एक अतिरिक्त दाब के कारण एक बल लगाना आवश्यक होता है। इसे चित्र दिखाया गया है।
अब हम सामने के चित्र में आधी बूंद के संतुलन पर विचार करते हैं। यदि बूंद का, भार नगण्य माने लिया जाये तो इस पर कार्य करने वाले निम्न बल होंगे
(i) समतल पृष्ठ पर चित्र- दव बूंद के अन्दर के बाहर दाब AB पर बाहर की ओर कार्य करने वाला बल, जो कि अतिरिक्त दाब P के कारण होता है। माना यह F है। अतः
(ii) AB की परिधि पर कार्य करने वाला बल, जो पृष्ठ तनाव के कारण लगता है जिसका परिमाण (2πr)T होगा क्योंकि आधी बूंद सन्तुलन में है। अतः P × πr2 = T × 2πr
या P = \(\frac{2 \mathrm{T}}{\mathrm{r}}\) ……….. (2)
प्रश्न 12.
पृष्ठ तनाव पर ताप एवं संदूषण का क्या प्रभाव | पड़ता है? समझाइये।
उत्तर:
द्रव का पृष्ठ तनाव कई कारकों से प्रभावित होता है। कुछ उदाहरण नीचे दिये जा रहे हैं।
(1) ताप का प्रभाव (Effect of Temperature) -ताप बढ़ाने पर द्रव का पृष्ठ तनाव घट जाता है। एक निश्चित ताप (क्रांतिक ताप) पर पृष्ठ तनाव का मान शून्य हो जाता है। क्रान्तिक ताप पर गैस व द्रव के लिये अन्तराण्विक बलों का मान समान होता है व द्रव बिना किसी अवरोध के बढ़ते हैं। कम तापान्तर के लिये पृष्ठ तनाव में रेखीय परिवर्तन होता है जिसे निम्न सूत्र से ज्ञात करते हैं
Tt = T0 (1 – αt)
जहाँ Tt, T0, क्रमशः 1°C व 0°C पर पृष्ठ तनाव है और α पृष्ठ तनाव का ताप गुणांक है। .
(2) संदूषण का प्रभाव (Effect of Contamination)- यदि द्रव की सतह पर कोई चिकनाई जैसे कि ग्रीस, तेल आदि हों तो। पृष्ठ तनाव का मान घट जाता है। इस प्रकार अपमार्जक एक पृथक्ककारी। पृष्ठ की भाँति व्यवहार करता है और यह पृष्ठ तनाव व स्पर्श कोण को कम कर देता है। अपमार्जक की परत ग्रीस को कपड़े से पृथक् कर देती है जिसे आसानी से पानी से धोया जा सकता है।
(3) विलेय का प्रभाव (Effect of Solute)- यदि विलेय घुलनशील हो (जैसे जल में नमक, चीनी) तो द्रव का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है। यदि विलेय कम घुलनशील हो तो पृष्ठ तनाव घटता है। जैसे जल में मिट्टी का तेल डालने पर पृष्ठ तनाव घट जाता है। जिसके कारण मच्छर अब पानी की सतह पर नहीं तैर पाते हैं तथा मरने लगते हैं।
(4) अपमार्जक का प्रभाव (Effect of Detergents)- जब पानी में सर्फ (Detergent Powder) मिलाया जाता है तो पानी का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है। अतः यह साबुन का घोल अब आसानी से कपड़ों को गीला करता है। इस प्रकार यह घोल कपड़ों के उन छोटेछोटे छिद्रों में आसानी से पहुँच जाता है, जहाँ शुद्ध पानी अधिक पृष्ठ तनाव के कारण नहीं जा सकता। क्योंकि इस डिटर्जेन्ट युक्त पानी तथा मैल के बीच आसंजन बल का मान अपने अणुओं के बीच के ससंजक बल से अधिक होता है। अतः यह मैल को अपने साथ कपड़े से बाहर निकालकर कपड़े की अच्छी तरह सफाई करता है। ऊनी तथा कीमती कपड़ों की धुलाई के लिए पेट्रोल को काम में लेते हैं, जिसका पृष्ठ तनाव और भी कम होता है तथा प्रभावी सफाई करता है।
(5) विद्युतीकरण पर (On Electrification)- विद्युतीकरण के कारण द्रव का पृष्ठ तनाव घट जाता है क्योंकि इसके कारण द्रव के मुक्त पृष्ठ के लम्बवत् बाहर की तरफ बल लगता है।
RBSE Class 11 Physics Chapter 11 आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक कार उत्थापक में छोटे पिस्टन की त्रिज्या 5 cm है व बड़े पिस्टन की त्रिज्या 15 cm है। यदि छोटे पिस्टन पर सम्पीडन वायु द्वारा बल F1 लगाकर 1500 किग्रा भार की कार को उठाता है, तो F2 की गणना कीजिए। इस कार्य को करने के लिये संगत दाब बताइये।
हल:
दिया गया है
r1 = 5 cm. = 5 × 10-2 m
r2 = 15 cm. = 15 × 10-2 m
F1 = ? F2 = 1500 Kg
पास्कल के नियम से
प्रश्न 2.
एक गैस का बुलबुला जिसका व्यास 2 cm है, एक द्रव में .90 cm/s, की अचर चाल से गति कर रहा है। द्रव के लिये η का मान ज्ञात करो। गैस का घनत्व नगण्य है तथा द्रव का घनत्व 1.5 gm/cm-3 है।
हल:
दिया गया है
प्रश्न 3.
वर्षा की 10-5 m त्रिज्या वाली बूंद का अन्तिम वेग ज्ञात कीजिए। वायु का श्यानता गुणांक 1.8 × 10-5 Ns/m2 है तथा घनत्व 1.2 kg/m3 एवं पानी का घनत्व 103 kg/m3 दिया है। g = 10 m/s2
हल:
दिया गया है
r = 10-5 m, η = 1.8 × 10-5 Ns/m2
ρहवा = 1.2 kg/m3, ρपानी = 103 kg/m3
g = 10 m/s2
vc = ?
हम जानते हैं
प्रश्न 4.
एक केशनली में 4 cm ऊँचाई तक पानी चढ़ता है। यदि नली को ऊर्ध्व से 30° कोण पर झुकायें तो उसमें जल स्तम्भ की लम्बाई की गणना कीजिए।
हल:
दिया गया है
h = 4 cm, θ = 30°, l = ?
∆ABC में
\(\frac{h}{l}\) = cos 30°
l = \(\frac{h}{\cos 30^{\circ}}=\frac{4}{866}\)
= 4.62 cm
प्रश्न 5.
यदि R1 व R2 त्रिज्या वाले दो साबुन के बुलबुले समतापीय परिस्थिति में मिलकर एक बड़े बुलबुले का निर्माण करते हैं। बुलबुले की परिणामी त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
हल:
ऊर्जा संरक्षण के अनुसार
4πR2 = 4πR12 + 4πR22T
∴ R2 = (R12 + R22)
R = \(\sqrt{\mathrm{R}_{1}^{2}+\mathrm{R}_{2}^{2}}\)
प्रश्न 6.
एक पानी का तालाब H ऊँचाई तक पानी से भरा है। तालाब की एक दीवार में, पानी की सतह से D गहराई पर एक छिद्र किया गया है। दीवार के नीचे वाले सिरे से क्षैतिज दूरी (परास) की गणना करो जहाँ पानी की धारा छिद्र से जमीन पर टकराती है।
हल:
प्रश्न 7.
दो साबुन के बुलबुलों के व्यास का अनुपात क्रमशः 2 : 3 है। इन बुलबुलों के अन्दर दाब आधिक्य की तुलना कीजिए।
हल:
दिया गया है
\(\frac{r_{1}}{r_{2}}=\frac{2}{3}\)
\(\frac{P_{e x_{1}}}{P_{e x_{2}}}\) =?
हम जानते हैं कि साबुन के बुलबुले के अन्दर दाब आधिक्य
P1 = \(\frac{4 \mathrm{T}}{r}\)
∴ \(\frac{P_{1}}{P_{2}}=\frac{r_{2}}{r_{1}}\)
= \(\frac{3}{2}\)
अतः P1 : P2 = 3 : 2 उत्तर
प्रश्न 8.
एक केशनली में जल 10 सेमी. ऊँचाई तक चढ़ता है। यदि जल का पृष्ठ तनाव 73 × 10-3 न्यूटन/मी. तथा घनत्व 1 × 103 किग्रा./मी. हो तथा g = 9.8 मी./से.2 हो तो केशनली की त्रिज्या ज्ञात करो।
हल:
यदि कोई ρ घनत्व का द्रव r त्रिज्या की केशनली में h ऊँचाई तक चढ़ता है, तब
पृष्ठ तनाव T = \(\frac{h r \rho g}{2}\) यहाँ g गुरुत्वीय त्वरण है।
यहाँ h = 10 सेमी. = 0.1 मीटर
T = 73 × 10-3 न्यूटन/मी.
ρ = 1 x 103 किलोग्राम/मीटर3 और
g = 9.8 मीटर/से.2 है।
∴ 73 × 10-3 = \(\frac{0.1 \times\left(1 \times 10^{3}\right) \times 9.8 \times r}{2}\)
2 × 73 × 10-3 = 980 r
∴ r = \(\frac{146 \times 10^{-3}}{980}\) मीटर
= 0.1489 × 10-3 मीटर
r = 0.1489 × 10-3 × 102 सेमी.
= 0.1489 × 10-1 सेमी. .
r = 0.015 सेमी. (Round off करने पर)
प्रश्न 9.
एक असमान परिच्छेद के पाइप में पानी बह रहा है। जिस स्थान पर पाइप की त्रिज्या 2 cm है। पानी का वेग 20 cm/s. है। किसी अन्य स्थान पर पाइप की त्रिज्या 6 cm हो तो पानी का वेग ज्ञात करो।
हल:
दिया गया है
r1 = 2 cm, v1 = 20 cm/s
r2 = 6 cm, v2 = ?
सात्यता प्रमेय से
A1v1 = A2v2
या πr1v12 = πr22v12
या v2 = \(\frac{r_{1}^{2}}{r_{2}^{2}}\)
\(20 \times \frac{4}{36}\)
\(\frac{20}{9}\)
= 2.22 cm/s
प्रश्न 10.
एक जल की बूंद जिसकी त्रिज्या 2 mm है इसके अन्दर दाब आधिक्य की गणना कीजिए। जल का पृष्ठ तनाव.075 N/m है।
हल:
दिया गया है
बूंद की त्रिज्या 2 mm = 2 × 16-3m
अन्दर का दाब आधिक्य = \(\frac{2 \mathrm{T}}{r}\)
= \(\frac{2 \times .075}{2 \times 10^{-3}}\)
= 75 N/m2
प्रश्न 11.
सिद्ध कीजिए कि R त्रिज्या बड़ी बूंद को त्रिज्या वाली n छोटी बूंदों में स्प्रे करने में किया गया कार्य (n1/3 – 1) R2T होगा। जहाँ T द्रव का पृष्ठ तनाव है।
हल:
कार्य = dA × T
जब एक बड़ी बूंद को कई छोटी-छोटी बूंदों में तोड़ा जाता है। तो कुल आयतन तो वही रहेगा, क्षेत्रफल बढ़ जाता है।
प्रश्न 12.
एक हवाई जहाज वायु सुरंग से गुजरता है। इसके पंख के ऊपर व नीचे वाले पृष्ठ पर वायु वेग क्रमशः 70 m/s व 63 ms है तो पंख पर उत्थापक बल (Lift Force) की गणना कीजिए। दिया है-पंख का क्षेत्रफल 2.5 m2 व वायु घनत्व 1.3 kg/m3 है।
हल:
माना पंख के ऊपर तथा नीचे के पृष्ठों पर वायु की चाल क्रमशः v1 व v2 है और ऊपरी तथा निचले पृष्ठों पर वायुदाब P1 और P2 हैं तब
v1 = 70 m/s, v2 = 63 m/s
ρ = 1.3 kg/m3
बरनूली प्रमेय से
वायुयान पर भार = दाबान्तर × पंखे का क्षेत्रफल
= 605.15 × (2.5)
= 1.51 × 103N
प्रश्न 13.
एक असमान परिच्छेद वाली नली में पानी बह रहा है। पाइप में जिस स्थान पर जल का प्रवाह वेग 4 m/s है, वहाँ दाब .1 मीटर पारे के स्तम्भ के बराबर है। किसी अन्य स्थान पर, जल का वेग .5 m/s है तो वहाँ दाब के मान की गणना करो।
हल:
क्षैतिज पाइप में जल प्रवाह के लिए बरनौली प्रमेय के अनुसार,
P1 + \(\frac{1}{2}\) ρv12 = P2 + \(\frac{1}{2}\) ρv22
P1 – P2 = \(\frac{1}{2}\) ρ (v22 – v12)
परन्तु दिया गया है
v1 = 0.4 m/s तथा P1 = 0.1 मीटर पारी स्तम्भ दाब
v2 = 0.5 m/s, जिसका संगत दाब माना P2 है।
ρ = जल का घनत्व = 103 किग्रा./मी3
∴ P1 – P2 = \(\frac{1}{2}\) × 103 ((0.5)2 – (0.4)2) N/m2
= \(\frac{1}{2}\) × 1000 × (0.25 – 0.16) N/m2
\(\frac{1}{2}\) × 100 × 0.09 = 45 N/m2
h मीटर पारा स्तम्भ का दाब P = hρg ⇒ h = \(\frac{\mathrm{p}}{\rho g}\)
जहाँ ρ = पारे का घनत्व = 13.6 × 103 kg/m3 तथा
g = 9.8 m/s3
अतः यहाँ h = \(\frac{P_{1}-P_{2}}{\rho \times g}\)
= \(=\frac{45 \times \mathrm{N} / \mathrm{m}^{2}}{13.6 \times 10^{3} \mathrm{kg} / \mathrm{m}^{3} \times 9.8 \mathrm{m} / \mathrm{s}^{2}}\)
= 0.0003376 मीटर पारा स्तम्भ
∴ P1 – P2 = 0.0003376 मीटर पारा स्तम्भ
P2 = (P1 – 0.0003376) मीटर पारा स्तम्भ
= (0.1 – 0.0003376) मीटर पारा स्तम्भ
= 0.0996624 मीटर पारा स्तम्भ
= 0.0997 मीटर पारा स्तम्भ
प्रश्न 14.
जल की 1000 छोटी बूंदें, जिनमें प्रत्येक की त्रिज्या 10-7 m है, आपस में मिलकर एक बड़ी बूंद का निर्माण करती हैं तो मुक्त ऊर्जा का मान ज्ञात कीजिए। जल का पृष्ठ तनाव 7 × 10-2 N/m है।
हल:
दिया गया है
r = 10-7 m, n = 1000, R = ?, W = ?
W = \(4 \pi \mathrm{R}^{2}(\sqrt[3]{n}-1) \mathrm{T}\)
हम जानते हैं कि
\(\frac{R}{r}=\sqrt[3]{n}\)
R = 10-7 (1000)1/3 = 10 m
∴ W = 4π × 10-12× (10001/3 – 1) × 7 × 10-2
= 28π × 9 × 10-14
= 252 × 3.14 × 10-14
= 2.52 × 3.14 × 10-12 J
= 7.912 × 10-12 J
प्रश्न 15.
एक सीसे की गोली का द्रव्यमान M है। श्यान द्रव में सीमान्त वेग V से नीचे गिरती है। 8 M द्रव्यमान की अन्य शीशे की गोली का उसी द्रव में सीमान्त वेग ज्ञात कीजिए।
हल:
हम जानते हैं कि श्यान द्रव में सीमान्त वेग
प्रश्न 16.
साबुन की एक फिल्म के आकार को 10 cm × 6 cm से बढ़ाकर 10 cm × 11 cm करने में 3.0 × 10-4 जूल कार्य करना पड़ता है। फिल्म का पृष्ठ तनाव निकालिये।
हल:
हम जानते हैं कि
कार्य = ΔA × T
ΔA = 2[(L’× B’) – (L × B)]
= 2[10 × 11 – 10 × 6] × 10-4
= 2 × 10 × 5 × 10-4
= 10-2
∴ 3 × 10-4 = 10-2 × T
∴ T = 3 × 10-2 M/m2
प्रश्न 17.
एक पिटोट् नली (Pitot Tube) नदी में डुबायी जाती है और यहाँ दाब जल स्तम्भ का .05 m प्राप्त होता है। यहाँ पर जल प्रवाह की दर ज्ञात कीजिए।
हल:
पिटोट् नली के सूत्रानुसार
v = \(\sqrt{2 h g}\)
= \(\sqrt{2 \times .05 \times 9.8}\)
= 0.99 m/s
प्रश्न 18.
एक. पानी की टंकी में मुक्त सतह से 3.5 m गहराई पर एक छिद्र है। इस छिद्र पर पानी का बहिःस्राव वेग (Velocity of Efflux) ज्ञात कीजिए।
हल:
बहि:स्राव वेग के सूत्र से
v = \(\sqrt{2 h g}\)
= \(\sqrt{2 \times 9.8 \times 3.5}\)
= \(\sqrt{7 \times 9.8}\)
= 8.28 m/s
प्रश्न 19.
यदि फूक मारकर V आयतन को साबुन का बुलबुला बनाने में W कार्य होता है तो 2V आयतन का बुलबुला बनाने में कितना कार्य होगा?
हल:
साबुन के बुलबुले की त्रिज्या 0 से r करने में किया गया
कार्य
w = πr2 × 2T
\(\frac{4}{3}\) πr3 = V
r2 = \(\left[\frac{3 V}{4 \pi}\right]^{\frac{2}{3}}\)
W ∝ r2 ∝ v2/3
प्रश्न 20.
खून को दिल से मस्तिष्कशीर्ष तक ले जाने में आवश्यक न्यूनतम दाब की गणना कीजिए, यदि दिल से मस्तिष्क की ऊर्ध्व ऊँचाई 5 m हो तथा खून का घनत्व 1040 kg/m3 व g = 9.8 m/s2 (श्यानता नगण्य लेने पर)।
हल:
हम जानते हैं कि
दाब = hρg
दिया गया है
h = 0.5m, ρ = 1040 kg/m3, g = 9.8
∴ P = 0.5 × 1040 × 9.8
= 5.096 × 103 N/m2
Leave a Reply