Rajasthan Board RBSE Class 11 Physics Chapter 3 गतिकी
RBSE Class 11 Physics Chapter 3 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर
RBSE Class 11 Physics Chapter 3 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कणों के गतिकीय व्यवहार से संबंधित अध्ययन की भौतिकी की शाखा क्या कहलाती है?
उत्तर:
गतिकी।
प्रश्न 2.
एक विमीय, द्विविमीय एवं त्रिविमीय गति में कितनेकितने निर्देशांक होते हैं?
उत्तर:
1, 2, 3
प्रश्न 3.
जब कोई कण या कणों के निकाय किसी निश्चित अक्ष के परितः घूर्णन करे तो यह कौनसी गति कहलाती है?
उत्तर:
घूर्णन गति।
प्रश्न 4.
वृत्ताकार गति में एक चक्र में विस्थापन कितना होता
उत्तर:
शून्य
प्रश्न 5.
चाल का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
यदि एक व्यक्ति 4 मीटर पूर्व फिर 3 मीटर दक्षिण तथा पुनः वहाँ से 4 मीटर पश्चिम चले तो उसका विस्थापन कितना होता है।
उत्तर:
3 मीटर दक्षिण में
प्रश्न 7.
ऋणात्मक त्वरण को क्या कहते हैं?
उत्तर:
मन्दन
प्रश्न 8.
एकांक समय में तय विस्थापन को क्या कहते हैं?
उत्तर:
वेग।
प्रश्न 9.
विस्थापन-समय वक्र का ढाल क्या बताता है?
उत्तर:
वेग।
प्रश्न 10.
वेग-समय वक़ का ढाल क्या बताता है?
उत्तर:
त्वरण।
प्रश्न 11.
वेग-समय वक्र का क्षेत्रफल क्या दर्शाता है?
उत्तर:
दूरी।
प्रश्न 12.
यदि कोई कण एक नियत वेग से गतिशील है तो उसका त्वरण कितना होगा?
उत्तर:
शून्य
प्रश्न 13.
किसी वस्तु को अधिकतम दूरी तक प्रक्षेपित करने हेतु उसे कितने डिग्री कोण से प्रक्षेपित किया जाना चाहिए?
उत्तर:
45°
RBSE Class 11 Physics Chapter 3 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
गति की अवधारण समझाइये।
उत्तर:
विश्व की प्रत्येक वस्तु प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गतिमान रहती है। प्रत्यक्ष रूप में, जैसे-हमारा चलना, दौड़ना, साइकिल. सवारी, रेलगाड़ी को चलते हुए देखना, बस का चलना आदि गतिमान अवस्था के उदाहरण हैं। इतना ही नहीं, निद्रावस्था में भी हमारे फेफड़ों में वायु का प्रवेश एवं निष्कासन तथा हमारी धमनियों एवं शिराओं में रुधिर का संचरण आदि अप्रत्यक्ष रूप से गतिमान अवस्था के उदाहरण हैं। तथा अन्य बहुत से उदाहरण हैं। जैसे पेड़ से पत्तों का गिरना, जल का बहना, जिससे वस्तुओं की गति का पता चलता है। इस प्रकार समय के सापेक्ष वस्तु की स्थिति में परिवर्तन को गति कहते हैं, परन्तु गति एक सापेक्ष पद है। यदि एक वस्तु किसी एक प्रेक्षक के लिए विरामावस्था में है। तब वही वस्तु अन्य प्रेक्षक के लिए गतिशील अवस्था में हो सकती है।
प्रश्न 2.
निर्देश तंत्र को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता.एवं महत्त्व पर संक्षिप्त विवरण दीजिये।
उत्तर:
“वह निकाय जिसके सापेक्ष कण की स्थिति का अध्ययन किया जाता है, निर्देश तंत्र कहलाता है।”
उदाहरण-एक रेलगाड़ी एकसमान वेग से गति कर रही गति का पथ है तथा एक प्रेक्षक P रेलगाड़ी सरल रेखीय के अन्दर तथा दूसरा प्रेक्षक Q रेलगाड़ी के निकट ही बाहर पृथ्वी पर स्थित है तो यदि प्रेक्षक P रेलगाड़ी के अन्दर ही एक गेंद को ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंके तो वह देखता है कि चित्र-ट्रेन के साथ गतिशील कुछ ऊँचाई पर जाकर कुछ प्रेक्षक P हेतु गति का पथ सेकण्ड पश्चात् गेंद पुनः उसी स्थान पर लौट आती है, जहाँ से गति का पथ उसे फेंका गया था तथा उसे गेंद परवलयाकार की गति केवल ऊर्ध्व दिशा में तथा गति का पथ सरल रेखीय । की भाँति नजर आता है जबकि यदि प्रेक्षक Q उस गेंद को देखे। तो उसे गेंद की गति ऊर्ध्व एवं क्षैतिज दोनों दिशाओं की परिणामी तथा गति का पथ परवलय आकार नजर आयेगा। यह उदाहरण दर्शाता है कि चित्र-पृथ्वी पर स्थित प्रेक्षक गतिमान वस्तु के वेग के साथ Q हेतु गति का पथ पथ भी स्पष्टतः निर्देश तंत्र पर निर्भर करता है जो कि निर्देश तंत्र की आवश्यकता एवं महत्व को परिलक्षित करता है।
प्रश्न 3.
कार्तीय निर्देश तंत्र का चित्र बनाकर विवरण दीजिये।
उत्तर:
किसी पिण्ड की गति का अध्ययन करने के लिए एक निर्देश तंत्र की आवश्यकता होती है जिसके P (x, y, z) सापेक्ष गति से सम्बन्धित भौतिक राशियों का वर्णन किया जा सके। इसके लिए सामान्यतः तीन पर स्पर लम्बवत् अक्षों (X, Y, Z) का X चित्रानुसार चयन किया जाता है, जिनके सापेक्ष किसी पिण्ड P की दूरियों (x, y, z) का मापन किया जा सके। तीन संख्याओं का यह सेट पिण्ड की आकाश में स्थिति का निर्धारण करता है। इस निर्देश तंत्र को कार्तीय निर्देश तंत्र कहते हैं। बिन्दु ) इस निर्देश तंत्र का मूल बिन्दु (origin) कहलाता है। इस प्रकार के निर्देश तन्त्र की तीनों अक्ष, तीन स्वतन्त्र दिशाओं को इंगित करती हैं क्योंकि किसी भी एक दिशा में परिभाषित किसी सदिश राशि का अन्य दोनों दिशाओं में घटक शून्य होता है। हम इन्हें तीन स्वतन्त्र विमायें कहते हैं।
प्रश्न 4.
निर्देश तंत्र-के आधार पर गति को कितने प्रकार से वर्गीकृत किया गया है? नाम लिखिए।
उत्तर:
निर्देश तन्त्र के आधार पर गति को निम्नानुसार तीन प्रकार से बाँटा गया है
- एकविमीयं गति, जैसे रेल पथ पर रेल की गति।
- द्विविमीय गति, जैसे चींटी की गति।।
- त्रिविमीय गति, जैसे गैस के अणुओं की यादृच्छिक गति।।
प्रश्न 5.
दूरी एवं विस्थापन में क्या अन्तर है? लिखिए।
उत्तर:
दूरी एवं विस्थापन में अन्तर
दूरी | विस्थापन |
(i) यह एक अदिश राशि है। | जबकि विस्थापन सदिश राशि है। |
(ii) दूरी का मान विस्थापन के बराबर या बड़ा होता है। | जबकि विस्थापन का मान दूरी से कम या बराबर हो सकता है। |
(iii) एक गतिशील वस्तु के लिए समय में वृद्धि के साथ-साथ दूरी सदैव बढ़ती है। | जबकि विस्थापन का मान ऐसी स्थिति में बढ़ या घट सकता है। |
(iv) जब कोई वस्तु h ऊँचाई तक जाकर पुनः पृथ्वी पर वापस आती है तब उसकी तय की गई दूरी 2h होगी। | लेकिन यहाँ पर वस्तु का विस्थापन शून्य होगा। |
प्रश्न 6.
स्थानान्तरीय गति का विवरण देते हुए इसे उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
स्थानान्तरीय गति (Translational Motion)गतिशील अवस्था में जब कोई वस्तु (पिण्ड) एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित होता है तब वस्तु (पिण्ड) की गति, स्थानान्तरीय गति कहलाती है। यदि अभीष्ट वस्तु या पिण्ड एक बिन्दु कण (Point particle) की भाँति एक सरल. रेखा के अनुदिश गति करता है तो उसे कण की ऋजुरेखीय गति (Rectilinar Motion) कहते हैं।
उदाहरणार्थ, सीधी सड़क पर चलती हुई कार की गति, निश्चित ऊँचाई से ऊर्ध्वतः नीचे की ओर गिरती हुई वस्तु की गति, उड़ते हुए हैलीकॉप्टर से नीचे गिराई गई कोई वस्तु
प्रश्न 7.
एक व्यक्ति 4 मीटर पूर्व में चलकर 5 मीटर उत्तर की ओर जाता है तथा वहां से पुनः दायीं ओर मुड़कर 8 मीटर सीधा जाता है। व्यक्ति द्वारा चली गई दूरी तथा उसका विस्थापन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
∴ AC = \(\sqrt{169}\)
= 13 मीटर
प्रश्न 8.
औसत व तात्क्षणिक वेग में अन्तर उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
औसत व तात्क्षणिक वेग में अन्तर निम्न परिभाषा से समझे सकते हैं
औसत वेग (Average Velocity)- किसी वस्तु के दिये गये समयान्तराल में कुल विस्थापन तथा उस विस्थापन में लगे कुल समय के अनुपात को औसत वेग कहते हैं। यदि है तथा t + Δt समय पर वस्तु की स्थिति क्रमशः सदिश \(\overrightarrow{\mathbf{x}}\) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{x}}+\Delta \overrightarrow{\mathrm{x}}\) हो तो
औसत वेग \(\overrightarrow{\mathrm{v}}_{\mathrm{av}}=\frac{\Delta \overrightarrow{\mathrm{x}}}{\Delta \mathrm{t}}\)
औसत वेग एक सदिश राशि है जिसकी दिशा वस्तु की गति की दिशा का बोध कराती है।
(ii) तात्क्षणिक वेग (Instantaneous Velocity)— किसी विशिष्ट क्षण पर वस्तु का वेग तात्क्षणिक वेग कहलाता है। दिये गये समय पर, समय के साथ विस्थापन में परिवर्तन की दर को तात्क्षणिक वेग कहते हैं। सामान्य भाषा में वेग का तात्पर्य तात्क्षणिक वेग से ही होता है। माना है तथा t + Δt समय पर वस्तु की स्थितियाँ क्रमशः \(\overrightarrow{\mathbf{x}}\) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{x}}+\Delta \overrightarrow{\mathrm{x}}\) हों तो सीमा Δt → 0 में विशिष्ट क्षण पर
\(\overrightarrow{\mathrm{v}}=\lim _{\Delta \mathrm{t} \rightarrow 0} \frac{\Delta \overrightarrow{\mathrm{x}}}{\Delta \mathrm{t}}=\frac{\mathrm{d} \overrightarrow{\mathrm{x}}}{\mathrm{dt}}\)
को वस्तु (पिण्ड) का तात्क्षणिक वेग कहते हैं।
यहाँ पर \(\frac{d x}{d t}\), x का t के साथ अवकलन है जिसे गणितीय रूप से ज्ञात कर सकते हैं।
प्रश्न 9.
एक धावक 1000 मीटर के एक वृत्ताकार पथ का चक्कर 2 मिनट 5 सेकण्ड में लगाता है। उसकी माध्य चाल क्या है? धावक का माध्य वेग क्या है?
हल:
धावक वृत्ताकार पथ पर दौड़ रहा है इसलिए कुल दूरी = वृत्त की परिधि
= 2πr
= 2 × 3.14 × 1000
= 6280 मीटर
कुल समय = 2 मिनट 5 सेकण्ड = 125 सेकण्ड
औसत चाल = \(\frac{6280}{125}\)
= 50.24 मी./से.
यहाँ पर कुल विस्थापन शून्य है इसलिए माध्य वेग शून्य होगा।
प्रश्न 10.
एक किमी. लम्बाई की ट्रेन दो किमी. प्रति मिनट के वेग से जा रही है। इसे एक किमी लम्बाई की सुरंग से पूर्णतः निकलने में कितना समय लगेगा?
हल:
ट्रेन की लम्बाई = 1 km.
सुरंग की लम्बाई = 1 km.
ट्रेन को एक किमी. लम्बाई की सुरंग से पूर्णतः निकलने में तय दूरी (विस्थापन) करनी पड़ेगी = 1 km + 1 km. = 2 km.
ट्रेन का वेग = 2 km. प्रति मिनट
अर्थात् एक किमी. लम्बाई की सुरंग से पूर्णतः निकलने में 1 मिनट लगेगी।
प्रश्न 11.
एक समान त्वरित गति हेतु वेग-समय आलेख खींचिए। इस आलेख का ढाल क्या निरूपित करेगा?
उत्तर:
इसमें समय के साथ वेग का मान सदैव शून्य रहता है। इसलिए आलेख जो प्राप्त होता है वह x-अक्ष ही है व चित्र नीचे दिये अनुसार होगा। इस आलेख का ढाल शून्य है जो कि शून्य त्वरण को दर्शाता है।
प्रश्न 12.
एक गेंद को u वेग से ऊर्ध्वाधर ऊपर फेंकने पर यह h ऊँचाई तक जाती है। यदि वेग को दुगुना (2u) कर दें तो ऊँचाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
हल:
हम जानते हैं- प्रक्षेप्य की अधिकतम
\(h=\frac{u^{2} \sin ^{2} \theta}{2 g}\)
यदि हम वेग को दुगुना कर दें तब अधिकतम ऊँचाई
अतः यह गेंद पहले वाली ऊँचाई की चारगुनी ऊँची जायेगी।
प्रश्न 13.
प्रक्षेप्य गति किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब किसी वस्तु या कण को प्रारम्भिक वेग देकर पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के प्रभाव में गति करने देते हैं, तब इस वस्तु को प्रक्षेप्य (Projectile) और इसकी गति को प्रक्षेप्य गति कहते हैं।
प्रक्षेप्य गति के निम्न उदाहरण हैं
- धनुष से छोड़े गये तीर की गति
- पृथ्वी सतह से किसी कोण पर फेंकी गई वस्तु की गति
- बन्दूक से छोड़ी गई गोली की गति
- क्षैतिज गति करते हुए हवाई जहाज से गिराये गये बम की गति।
प्रक्षेप गति में सरलता की दृष्टि से हवा का विरोध, पृथ्वी की घूर्णन गति और वक्रता का प्रभाव नगण्य मानते हैं।
RBSE Class 11 Physics Chapter 3 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक समान त्वरित गति हेतु गणितीय विधि से गति के तीनों समीकरण व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
किसी गिरती हुई वस्तु के लिए यदि समान समयान्तराल में वेग समान मात्रा में परिवर्तित हो तो इस प्रकार की गति एकसमान त्वरित गति कहलायेगी। इस गति के अध्ययन हेतु गति से सम्बन्धित विभिन्न भौतिक राशियों यथा वेग (v), समय (f), विस्थापन (x) आदि में सम्बन्ध को दर्शाने वाले समीकरण गति के समीकरण कहलाते हैं, जिन्हें हम निम्न विधियों से प्राप्त कर सकते हैं
गणितीय विधि (Analytical Method)- माना कोई वस्तु एक समान त्वरण (a) से एक सरल रेखा में गतिमान है। इसका प्रारम्भिक वेग u तथा t समय बाद वेग y है तो त्वरण की परिभाषा से
यह गति का प्रथम समीकरण है।
इस गति के दौरान यदि वस्तु t समय में x दूरी (विस्थापन) तय करती है तो
विस्थापन = औसत वेग × समय
यह गति का द्वितीय समीकरण है। पुनः गति के प्रथम समीकरण से
v = u + at
इस समीकरण का वर्ग करने पर
(v)2 = (u + at) 2
या v2 = u2 + 2uat + a2t2
[सूत्र (a + b)2 = a2 + 2ab + b2 से]
या v2 = u2 + \(2 a\left(u t+\frac{1}{2} a t^{2}\right)\) = u2 + 2ax
∵ x = ut + \(\frac{1}{2} a t^{2}\)
या v2 = u2 + 2ax ………………… (3)
यह गति का तृतीय समीकरण है।
प्रश्न 2.
निम्न की परिभाषा दीजिए
(i) विस्थापन (ii) वेग (iii) त्वरण (iv) चाल (v) औसत वेग (vi) तात्क्षणिक वेग (vii) औसत त्वरण (viii) तात्क्षणिक त्वरण।
उत्तर:
विस्थापन (Displacement)
(1) “किसी वस्तु द्वारा निर्धारित पथ के अनुदिश चलकर प्रारंभिक स्थिति से अन्तिम स्थिति में पहुँचने तक प्रारंभिक व अन्तिम स्थिति के बीच की न्यूनतम ( सरल रेखीय) दूरी विस्थापन कहलाती है।” विस्थापन वस्तु की प्रारंभिक व अन्तिम स्थिति पर निर्भर करता है, चले गए पथ की लम्बाई पर निर्भर नहीं करता है। विस्थापन का M.K.S. पद्धति में मात्रक मीटर होता है तथा विस्थापन एक सदिश राशि है।
अतः तुलनात्मक रूप से
- दूरी व विस्थापन दोनों का M.K.S. पद्धति में मात्रक मीटर | ही है।
- दूरी अदिश राशि है जबकि विस्थापन सदिश राशि है।
(2) विस्थापन की दिशा प्रारम्भिक स्थिति से अन्तिम स्थिति की ओर इंगित होती है। मूल बिन्दु के सापेक्ष अन्तिम स्थिति दायीं ओर होने पर विस्थापन सदिश धनात्मक तथा अन्तिम स्थिति बायीं ओर होने पर विस्थापन सदिश ऋणात्मक लिया जाता है।
(i) वृत्ताकार पथ के लिए यदि कोई वस्तु स्थिति A से गतिशील होकर पुनः A पर आ जाये।
दूरी = 2πr
विस्थापन = शून्य
(ii) स्थिति A से B तक जाने पर
दूरी = πr
विस्थापन = 2r
वेग (Velocity) वेग (Velocity)- किसी गतिशील वस्तु द्वारा निश्चित दिशा में एकांक समय में तय की गई दूरी को वस्तु का वेग कहते हैं। यह एक सदिश राशि है अर्थात् वेग का मान धनात्मक, ऋणात्मक, शून्य कुछ भी हो सकता है। इसका M.K.S. पद्धति में मात्रक मीटर/सेकण्ड और C.G.S. पद्धति में सेमी./सेकण्ड होता है। इसका विमीय सूत्र [M0L1T-1] है।
यदि किसी वस्तु का वेग विभिन्न समयों पर भिन्न-भिन्न हो तो वस्तु की गति को असमान गति कहते हैं। यदि समय के बढ़ने पर वेग बढ़ता है तो गति त्वरित गति कहलाती है। इसके विपरीत यदि समय बढ़ने के साथ-साथ वस्तु का वेग घट जाता है, तो गति मन्दित गति कहलाती है।
‘किसी गतिमान वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं।” यह एक सदिश राशि है। इसे हम (a) से प्रदर्शित करते हैं। M.K.S. पद्धति और C.G.S. पद्धति में इसका मात्रक मी./से2. और सेमी./से2. होता हैं। इसे (a) से प्रदर्शित करते हैं। इसका विमीय सूत्र \(\frac{\mathrm{LT}^{-1}}{\mathrm{T}}\) = [M0L1T2] होता है।
चाल (Speed) :
चाल (Speed)-एकांक समय में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी को वस्तु की चाल कहते हैं। चाल एक अदिश राशि है। इसका मात्रक MKS पद्धति में मी./से. और CGS पद्धति में सेमी./से. होता है। इसका विमीय सूत्र [M0L1T-1] है।
औसत वेग (Average Velocity)- किसी वस्तु के दिये गये समयान्तराल में कुल विस्थापन तथा उस विस्थापन में लगे कुल समय के अनुपात को औसत वेग कहते हैं। यदि t तथा t + Δt समय पर वस्तु की स्थिति क्रमशः सदिश \(\overrightarrow{\mathrm{x}}\) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{x}}+\Delta \overrightarrow{\mathrm{x}}\) हो तो
औसत वेग \(\overrightarrow{\mathrm{v}}_{\mathrm{av}}=\frac{\Delta \overrightarrow{\mathrm{x}}}{\Delta \mathrm{t}}\)
औसत वेग एक सदिश राशि है जिसकी दिशा वस्तु की गति की दिशा का बोध कराती है।
तात्क्षणिक वेग (Instantaneous Velocity)- किसी विशिष्ट क्षण पर वस्तु का वेग तात्क्षणिक वेग कहलाता है। दिये गये समय पर, समय के साथ विस्थापन में परिवर्तन की दर को तात्क्षणिक वेग कहते हैं। सामान्य भाषा में वेग का तात्पर्य तात्क्षणिक वेग से ही होता है। माना है तथा t + Δt समय पर वस्तु की स्थितियाँ क्रमशः \(\overrightarrow{\mathrm{x}}\) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{x}}+\Delta \overrightarrow{\mathrm{x}}\) हों तो सीमा Δt → 0 में विशिष्ट क्षण पर
\(\overrightarrow{\mathrm{v}}=\lim _{\Delta t \rightarrow 0} \frac{\Delta \overrightarrow{\mathrm{x}}}{\Delta \mathrm{t}}=\frac{\mathrm{d} \overrightarrow{\mathrm{x}}}{\mathrm{dt}}\)
को वस्तु (पिण्ड) का तात्क्षणिक वेग कहते हैं।
औसत त्वरण (Average Acceleration)- किसी वस्तु के एकांक समय में कुल वेग में परिवर्तन को औसत त्वरण कहते हैं।
तात्क्षणिक त्वरण (Instantaneous Acceleration)- किसी निश्चित समय या क्षण पर वस्तु के त्वरण को तात्क्षणिक त्वरण कहते हैं। इसकी गणना के लिए समय अन्तराल बहुत छोटा लेते हैं। अर्थात्
Δt = 0
\(\therefore \quad \vec{a}=\frac{d}{d t}\left(\frac{d \vec{x}}{d t}\right)=\frac{d^{2} \vec{x}}{d t^{2}}\)
अर्थात् वस्तु का तात्क्षणिक त्वरण वस्तु की स्थिति को द्वितीय | समय अवकलन (second order derivative) है, जिसे हम गणितीय रूप से ज्ञात कर सकते हैं। अतः तात्क्षणिक त्वरण, वेग का समय के साथ अवकलन तथा विस्थापन का समय के साथ द्वितीय अवकलन है।
एकसमान त्वरित गति में औसत त्वरण व तात्क्षणिक त्वरण का मान समान होता है। यदि किसी वृत्ताकार पथ पर गतिमान वस्तु के वेग के परिमाण में परिवर्तन नहीं हो तो भी वृत्तीय पथ पर गति के कारण वस्तु के वेग की दिशा लगातार परिवर्तित होती है। अतः इस प्रकार की गति भी त्वरित गति कहलाती है।
प्रश्न 3.
आलेखीय विधि द्वारा गति के समीकरणों की व्युत्पत्ति कीजिए।
उत्तर:
आलेखीय विधि (Graphical Method)- ग्राफीय विधि से एकसमान त्वरित गति हेतु गति के समीकरण ज्ञात करने के लिए हम चित्रानुसार वेग-समय ग्राफ का अध्ययन करते हैं।
माना कोई वस्तु एकसमान त्वरण (a) से एक सरल रेखा में गतिशील है। वस्तु का प्रारम्भिक वेग u है और t समय बाद इसका वेग बढ़कर v हो जाता है। चूंकि यह एकसमान त्वरित गति है अतः यह आलेख एक सरल रेखा के रूप में होगा, जिसका ढाल त्वरण को व्यक्त करता है। अतः
त्वरण a = रेखा PQ का ढाल = tan θ = \(\frac{Q R}{P R}\)
(जहाँ θ, x अक्ष व रेखा PQ के मध्य कोण है)
या a = \(\frac{\nu-u}{t}\)
या at = v – u
या v = u + at यह गति का प्रथम समीकरण है जो समीकरण (1) के समान है|
इस वेग-समय आलेख का क्षेत्रफल दूरी को व्यक्त करेगा अतः समय में तय दूरी x हो तो
x = आकृति OPQS का क्षेत्रफल = आयत OPRS का क्षेत्रफल + त्रिभुज PQR का क्षेत्रफल
= OS × OP + \(\frac{1}{2}\) × PR × RQ
(आयत का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई)
∵ (त्रिभुज का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) × आधार × ऊँचाई)
या 2ax = 2(uv – u2) + (v2 – 2uv+ u2)
या 2ax = 2uv – 2u2 + v2 – 2uv + u2
या 2ax = v2 – u2
या v2 = u2 + 2ax यह गति का तृतीय समीकरण है जो समीकरण (3) के समान है।
प्रश्न 4.
सिद्ध कीजिए कि प्रक्षेप्य की गति का पथ परवलय होता है।
उत्तर:
प्रक्षेप्य का पथ (Path of a Projectile)
माना एक वस्तु को क्षैतिज से θ कोण पर प्रारम्भिक वेग \(\vec{u}\) से फेंका गया है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। इसके वेग के क्षैतिज और ऊर्ध्व घटक क्रमशः निम्न होंगे
ux = u cos θ …………….. (1)
uy = u sin θ ……………… (2)
प्रक्षेप्य पर जो गुरुत्वीय बल लग रहा है वह नीचे की ओर कार्यरत है। इस कारण प्रक्षेप्य के त्वरण के क्षैतिज और ऊर्ध्व घटक क्रमशः निम्नानुसार हैं
ax = 0 एवं ay = – g
वस्तु जिस बिन्दु से प्रक्षेप्य की गई है उसे यदि हम मूल बिन्दु लें तो किसी समय पर प्रक्षेप्य के निर्देशांक (x, y) गति के द्वितीय समीकरण s = ut + \(\frac{1}{2} a t^{2}\) द्वारा ज्ञात किये जा सकते हैं। इस प्रकार से हमें क्षैतिज और ऊर्ध्व दिशाओं में मूल बिन्दु (O) के सापेक्ष निर्देशांक (विस्थापन) क्रमशः निम्न होंगे–
प्राप्त होता है। समीकरण (3) एक परवलय आकृति को व्यक्त करता है। अतः प्रक्षेप्य का पथ परवलयाकार होता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
(नोट-मूल बिन्दु से गुजरने वाले परवलय का व्यापक समीकरण y = ax – bx2 होता है।) .
प्रश्न 5.
प्रक्षेप्य की गति हेतु उड्डयन काल (T), प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई (H) व प्रक्षेप्य की क्षैतिज परास (R) हेतु व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
प्रक्षेप्य को उड्डयन काल (Time of Flight of Projectile)
माना प्रक्षेप्य का उड्डयन काल T है। प्रक्षेप्य को अपनी अधिकतम ऊँचाई प्राप्त करने में जितना समय लगेगा, उतना ही समय उसे नीचे आने में भी लगेगा। अतः प्रक्षेप्य का उड्डयन काल
T = t1+ t2 = 2t1
एक प्रक्षेप्य को ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर (θ = 90° पर) फेंकने पर यह अधिकतम समय Tmax = \(\frac{2 u}{g}\) तक हवा में रहता है। स्पष्ट है। कि अन्य किसी कोण पर फेंकने पर इसका उड्डयन काल \(\left(\frac{2 u}{g}\right)\) से कम प्राप्त होगा।
प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई (Maximum Height Attained by a Projectile)
चित्र में दिखाये गये प्रक्षेप्य के परवलयाकार पथ में पथ के बिन्दु B पर, प्रक्षेप्य अधिकतम ऊँचाई H पर होता है। प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई पर प्रक्षेप्य के वेग का ऊर्ध्वघटक vy शून्य हो जाता है। अर्थात् यदि अधिकतम ऊँचाई H पर पहुँचने में प्रक्षेप्य को t1 समय लगता है। तब वेग के ऊर्ध्वघटक
vy = uy + ayt से
vy = u sin θ – gt
∵ uy = u sin θ और ay = – g
एक नियत प्रारम्भिक चाल से फेंके गये प्रक्षेप द्वारा अधिकतम ऊँचाई तब प्राप्त हो सकती है जबकि प्रक्षेप कोण θ = 90° हो। जब प्रक्षेप्य को अधिकतम परास R के लिए θ = 45° पर फेंका जाता है, तब अधिकतम ऊँचाई Hmax = \(\frac{1}{2}\) Rmax होती है।
प्रक्षेप्य की परास (Range of Projectile)
प्रक्षेप्य को जिस स्थान से फेंका जाता है, पुनः उसी समतल तक आने में उसके द्वारा तय की गई कुल क्षैतिज दूरी प्रक्षेप्य की परास (Range) कहलाती है। बिन्दु O से फेंके गये प्रक्षेप्य के लिए दूरी OA, प्रक्षेप्य की परास है।
माना प्रक्षेप्य को O से A तक पहुँचने में लगा कुल समय T है।
और मूल बिन्दु O (0, 0) के सापेक्ष बिन्दु A के निर्देशांक (R, 0) हैं तो प्रक्षेप्य के लिए
x = uxt और y = uyt – \(\frac{1}{2}\) gt2
यहाँ पर x = R क्षैतिज दूरी के लिए।
क्षैतिज वेग ux = u cos θ, समय t = T, ऊर्ध्व दूरी y = 0, ऊर्ध्व वेग uy = u sin θ
उपर्युक्त मानों को रखने पर
प्रश्न 6.
द्विविमीय गति हेतु कण के विस्थापन, वेग एवं त्वरण हेतु व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
द्विविमीय गति में कण का विस्थापन, वेग एवं त्वरण तथा इनके सदिश रूप (Displacement, Velocity and Acceleration of a particle in two dimensional motion and their Vector representation)
विस्थापन (Displacement)- माना कोई कण समय t1 पर स्थिति A पर है और किसी अन्य समय t2 पर यह कण स्थिति B पर है। इन समयों पर कण के स्थित सदिश क्रमशः \(\overrightarrow{\mathrm{r}_{1}}=\overrightarrow{\mathrm{O} \mathrm{A}}\) और \(\overrightarrow{\mathrm{r}_{2}}=\overrightarrow{\mathrm{OB}}\) हैं। समय अन्तराल (t2 – t1) में कण का विस्थापन बिन्दु A से बिन्दु B तक हो रहा है। इस विस्थापन को सदिश \(\overrightarrow{\Delta r}=\vec{r}_{2}-\vec{r}_{1}\) से निरूपित करते हैं और इसे विस्थापन सदिश विस्थापन सदिश (Displacement Vector) कहते हैं।
कण के विस्थापन का विस्थापन सदिश
\(\overrightarrow{\Delta r}=\vec{r}_{2}-\vec{r}_{1}\) …………… (1)
स्थिति सदिशों को घटकों के रूप में व्यक्त करने पर
\(\vec{r}_{1}=x_{1} \hat{\mathbf{i}}+y_{1} \hat{\mathbf{j}}\)
अर्थात् द्विविमीय गति में विस्थापन \(\overrightarrow{\Delta r}\), X-अक्ष के अनुदिश विस्थापन के घटक \(\Delta x \hat{i}\) और y-अक्ष के अनुदिश विस्थापन घटक \(\Delta y \hat{j}\) के सदिश योग के बराबर होता है।
जैसा सामने चित्र में दिखाया गया है।
सदिश बीजगणित से विस्थापन का परिमाण
\(\Delta r=\sqrt{(\Delta x)^{2}+(\Delta y)^{2}}\) …………. (3)
समीकरण (3) से दिया जायेगा तथा विस्थापन सदिश \(\overrightarrow{\Delta r}\) की दिशा चित्रानुसार होगी।
वेग (Velocity)-माना समयान्तराल Δt = t2 – t1 में किसी कण का विस्थापन \(\overrightarrow{\Delta r}=\vec{r}_{2}-\vec{r}_{1}\) होता है। विस्थापन \(\overrightarrow{\Delta r}\) और समय अन्तराल Δt के अनुपात को कण की औसत वेग कहते हैं। औसत वेग की दिशा वही होगी जो \(\overrightarrow{\Delta r}\) की होगी।
औसत वेग \(\overrightarrow{\mathrm{v}}_{\mathrm{av}}=\frac{\overrightarrow{\Delta r}}{\Delta \mathrm{t}}=\frac{\overrightarrow{\mathrm{r}_{2}}-\overrightarrow{\mathrm{r}_{1}}}{\mathrm{t}_{2}-\mathrm{t}_{1}}\)
किसी समय अन्तराल में कण का औसत वेग और कण की औसत चाल भिन्न-भिन्न भौतिक राशियाँ हैं। यद्यपि दोनों के लिए समान मात्रक मी./से. तथा समान विमा M0L1T-1 का उपयोग किया जाता है, पर एक व्यापक द्विविमीय गति के लिए, क्योंकि विस्थापन ≤ दूरी अतः औसत वेग ≤ औसत चाल होता है। कार्तीय निर्देशांक X – Y में, एकांक सदिशों \(\hat{i}\) और \(\hat{j}\) का उपयोग करने पर औसत वेग को निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है
Δt . Δt
अतः औसत वेग सदिश संकेतन में समीकरण (3) द्वारा व्यक्त किया जायेगा तथा सदिश बीजगणित से औसत वेग का परिमाण \(\vec{v}_{a v}=\sqrt{\left(\vec{v}_{x}\right)^{2}+\left(\vec{v}_{y}\right)^{2}}\) से दिया जायेगा व इसकी दिशा \(\overrightarrow{\Delta r}\) की दिशा में होगी।
माना द्विविमा में गति कर रहे कण का किसी क्षण t पर स्थिति \(\vec{r}\) सदिश में है। जैसा चित्र में दर्शाया गया है और अल्प समय अन्तराल Δt के बाद स्थिति सदिश \(\vec{r}+\overrightarrow{\Delta r}\) है, तब सीमा Δt → 0 के लिए विस्थापन \(\overrightarrow{\Delta r}\)r और समय अन्तराल Δt के अनुपात को कण का तात्क्षणिक वेग कहते हैं। अर्थात् चित्र तात्क्षणिक वेग
किसी क्षण t पर कण के स्थिति सदिश \(\vec{r}\) की समय के साथ। परिवर्तन की दर, कण के तात्क्षणिक वेग के बराबर होती है। किसी क्षण पर तात्क्षणिक वेग \(\vec{v}\) की दिशा कण के पथ पर डाली गई स्पर्श रेखा (tangent) के अनुदिश होती है। व्यापक द्विविमीय गति में तात्क्षणिक वेग और औसत वेग भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।
अर्थात् द्विविमीय गति में कण का वेग \(\vec{v}\), X-अक्ष के अनुदिश वेग के घटक \(\mathbf{v}_{\mathbf{x}} \hat{\mathbf{i}}\) और Y-अक्ष के अनुदिश वेग के घटक \(\mathbf{v}_{\mathbf{x}} \hat{\mathbf{j}}\)के सदिश योग के बराबर लिखा जा सकता है।
अतः तात्क्षणिक वेग समीकरण (4) से व्यक्त किया जायेगा। सदिश बीजगणित से तात्क्षणिक वेग का परिमाण v = \(\sqrt{v_{x}^{2}+v_{y}^{2}}\) से दिया जायेगा व यदि वेग \(\overrightarrow{\mathrm{v}}\) की दिशा X-अक्ष से θ कोण पर हो तो चित्रानुसार
त्वरण (Acceleration)– माना किसी कण का प्रारम्भिक समय t पर वेग \(\overrightarrow{\mathrm{v}}\) और समय अन्तराल Δt के बाद समय (t + Δt) पर उसका वेग \(\overrightarrow{\mathrm{v}}+\overrightarrow{\Delta \mathrm{v}}\)है तब वेग में परिवर्तन \(\overrightarrow{\Delta \mathrm{v}}\) और समयान्तराल Δt के अनुपात को कण का औसत त्वरण कहते हैं।
सीमा Δt → 0 के लिए कण के वेग में परिवर्तन \(\Delta \overrightarrow{\mathrm{v}}\) और समयान्तराल Δt अनुपात को कण का तात्क्षणिक त्वरण कहते हैं। तात्क्षणिक त्वरण
किसी क्षण पर कण के वेग \(\overrightarrow{\mathrm{v}}\) में समय के साथ परिवर्तन की दर, तात्क्षणिक त्वरण के बराबर होती है।
कार्तीय निर्देशांकों में,
समीकरणों (2), (4) और (7) से हम निम्न व्यापक निष्कर्ष पर पहुँचते हैं।
“द्विविमीय गति के अध्ययन में, एक व्यापक द्विविमीय गति को परस्पर लम्बवत् दो, एकविमीय गतियों का संयोजन मान सकते हैं।”
RBSE Class 11 Physics Chapter 3 आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
जयपुर से कार द्वारा अजमेर आने में 1.5h लगता है। यदि कार का माध्य वेग 80 km/h हो. तो जयपुर से अजमेर की दूरी कितनी है?
हल:
दिया है
समय = 1.5 h
माध्य वेग = 80 km/h
दूरी = माध्य वेग × समय
= 1.5 h × 80 km/h
= 120 km.
प्रश्न 2.
एक बस की चाल 25 km/h से बढ़कर 5 s में 70 km/h हो जाती है। बस का माध्य त्वरण ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है
प्रश्न 3.
कार A व B, 100 km की यात्रा पर एक साथ चलती है। कार A एकसमान चाल 40 km/h से चलती है। कार B 60 km/h की चाल से चलती है। किन्तु प्रथम आधा घण्टा के पश्चात् खराबी के कारण 15 min. रुक जाती है तथा पुनः चलने पर उसकी चाल 50 km/h रह जाती है। उक्त यात्रा हेतु
(i) उक्त यात्रा का चाल-समय वक़ बनाओ।
(ii) बताइये कौनसी कार कितने समय पहले यात्रा समाप्त करेगी।
हल:
(i)
दूसरी कार द्वारा प्रथम आधे घण्टे में तय की गई दूरी = 30 किमी.
चूँकि कार B 60 किमी./घण्टा की चाल से चल रही है।
कार B का रुकने का समय = 15 मिनट
शेष दूरी = 100 – 30 = 70 किमी.
शेष दूरी तय करने में लगा समय = \(\frac{70}{50}\) = 1 घण्टा 24 मिनट
कार B का कुल समय।
= 30 मिनट + 15 मिनट + 1 घण्टा 24 मिनट
अर्थात् समय = 2 घण्टा 9 मिनट
इसलिए कार B का कम समय ।
= 2 घण्टा 30 मिनट – 2 घण्टा 9 मिनट
= 21 मिनट
इसलिए कार B, 21 मिनट पहले पहुँचेगी।
प्रश्न 4.
एक स्थिर बल के प्रभाव में एक दिशा में गतिमान कण का विस्थापन निम्नानुसार दिया जाता है|
\(t=\sqrt{x}+3\) जहाँ x विस्थापन (मीटर में) व t समय (सेकण्ड में) है। जब इसका वेग शून्य हो तो कण का विस्थापन ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है
अतः कण का विस्थापन शून्य होगा।
प्रश्न 5.
एक 200 m ऊँची मीनार से एक पिण्ड नीचे गिराया जाता है। उसी समय एक दूसरा पिण्ड ऊपर की ओर 50 m/s के वेग से फेंका जाता है। ज्ञात कीजिए कि वे दोनों कब और कहाँ मिलेंगे।
हल:
माना कि वे दोनों पिण्ड शीर्ष से h दूरी पर मिलेंगे तथा उनका समय t होगा अतः नीचे गिराई गई वस्तु के लिए
h = \(\frac{1}{2}\) gt2 ………….. (1)
∵ u = 0
ऊपर की ओर फेंकी गई वस्तु के लिए
200 – h = ut – \(\frac{1}{2}\) gt2 ………(2)
समीकरण (1) तथा (2) को जोड़ने पर
h + 200 – h =\(\frac{1}{2}\) gt2 + ut – \(\frac{1}{2}\) gt2
⇒ 200 = u. t
प्रश्न 6.
100 g द्रव्यमान का एक पिण्ड विराम अवस्था से 490 cm नीचे गिरता है तथा रेत में 70 cm धंसकर स्थिर अवस्था प्राप्त कर लेता है। रेत द्वारा पिण्ड पर लगाया गया त्वरण ज्ञात करो। (g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2)
हल:
दिया है
m = 100g
u = 0
h = 490 cm.
s = 70 cm.
रेत द्वारा पिण्ड पर लगाया गया त्वरण a = ?
g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2 = 980 सेमी./से2.
गति के तीसरे समीकरण से
v2 = u2 + 2gh
⇒ v2 = (0)2 + 2 × 980 × 490
⇒ v2 = 980 × 980 ∴ y = 980 cm/s.
यह पिण्ड का वह वेग है जिस वेग से पिण्ड रेत पर टकराता है।
रेत में गति के लिए- रेत पर टकराया हुआ वेग पिण्ड का प्रारम्भिक वेग होगा अर्थात् u = 980 cm/s, होगा, रेत में गति का मंदन होगा। अतः पिण्ड अन्त में रुक जायेगा, गतिक
प्रश्न 7.
ऊध्र्वाधर दिशा में गतिशील (ऊपर की ओर उठ रहे) एक हेलीकाप्टर से 500 m की ऊँचाई से एक पत्थर डाला जाता है। तो वह 6s पश्चात् पृथ्वी पर पहुँचता है। पत्थर को डालते समय हेलीकाप्टर का वेग क्या था? (g = 10 m/s2)
हल:
माना कि हेलीकॉप्टर का वेग u था डाले गये पत्थर का भी वेग = u m/s.
h = 500 m,
g = 10 m/s2
t = 6 s
अतः पत्थर को डालते समय हेलीकॉप्टर का वेग 53.33 m/s था।
प्रश्न 8.
एक व्यक्ति उसके घर से सीधे सड़क पर 5 km/h/ घण्टा की चाल से चलकर 2.5 km दूर उसके कार्यालय जाता है। तथा कार्यालय बन्द होने के कारण तत्काल 7.5 km/h की चाल से पुनः घर लौट आता है तो निम्न समयान्तरालों हेतु उसका औसत वेग तथा औसत चाल ज्ञात करो
(i) 0 से 30 min
(ii) 0 से 50 min
(iii) 0 से 40 min.
हल:
व्यक्ति का कार्यालय पहुँचने में लगा समय
[∵ यात्रा में लिया गया कुल समय = 30 + 20 = 50 मिनट है अतः व्यक्ति घर पर वापस आ जाता है, जिससे कुल विस्थापन का मान शून्य प्राप्त होता है]
उपरोक्त स्थितियों से यह स्पष्ट है कि माध्य वेग शून्य है परन्तु माध्य चाल शून्य नहीं है अतः माध्य चाल को कुल दूरी तथा कुल समय के अनुपात के रूप में व्यक्त करना माध्य वेग के परिमाण के रूप में परिभाषित करने से अच्छा है।
प्रश्न 9.
एक व्यक्ति पूर्व दिशा में 16 s में 18 m चलकर उत्तर की ओर मुड़ जाता है तथा अब उत्तर की ओर 5s में 5 m चलकर पुनः बायीं ओर मुड़कर 8 s में 6 m सीधा चलकर रुक जाता है। इस यात्रा के दौरान व्यक्ति की औसत चाल तथा औसत वेग ज्ञात करो।
हल:
चूँकि A से B तक जाने का समय = 16 मिनट
B से C तक जाने का समय = 5 मिनट
C से D तक जाने का समय = 8 मिनट
प्रश्न 10.
एक समान त्वरण से गतिशील वस्तु गति के दौरान 5वें सेकण्ड में 65 m व 9वें सेकण्ड में 105 m दूरी तय करती है तो यह 20वें सेकण्ड में कितनी दूरी तय करेगी? गति के 20 s में चली गई कुल दूरी भी ज्ञात करो।
हल:
nवें सेकण्ड में पार की गई दूरी का सूत्र
S = 20 × 20 + \(\frac{1}{2}\) × 10 × (20)2
= 400 + 5 × 400
= 400 + 2000 = 2400 m.
अतः 20 सेकण्ड में चली गई कुल दूरी = 2400 m. Ans.
प्रश्न 11.
क्षैतिज से 30° का कोण बनाते हुए बन्दूक से एक गोली दागी जाती है जो 3 km दूर जाकर जमीन पर गिरती है। बन्दूक के नीलमुखी वेग को अपरिवर्तित मानते हुए एवं हवा के घर्षण की उपेक्षा करते हुए क्या इससे 5 km दूर स्थित लक्ष्य को भेदा जा सकता है?
हल:
दिया है
θ1 = 30°
R1 = 3 km. = 3000 m. θ2 = 45°
चूँकि अधिकतम परास प्राप्त करने के लिए कोण 45° का होना चाहिए।
∴ 45° कोण पर फेंकने पर प्रक्षेप्य की परास अधिकतम होगी
Rmax = \(\frac{u^{2}}{g}=2 \sqrt{3}\) किमी.
= 2 × 1.732 किमी.
= 2 × 1.732 × 1000 मीटर
Rmax = 3464 मीटर
अतः इससे 5 km. दूर स्थित लक्ष्य को भेदा नहीं जा सकता है। चूँकि अधिकतम प्रक्षेप्य का परास
Rmax = 3464 मीटर प्राप्त हुआ है।
प्रश्न 12.
किसी प्रक्षेप्य की परास 50 m एवं अधिकतम ऊँचाई 10 m है तो प्रक्षेप्य कोण की गणना करो।
हल:
दिया है
प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचई
प्रश्न 13.
सिद्ध करो कि प्रक्षेप्य की अधिकतम क्षैतिज परास ऊँचाई की चार गुना होती है।
हल:
दिया गया है
Leave a Reply