Rajasthan Board RBSE Class 11 Physics Chapter 5 कार्य, ऊर्जा एवं शक्ति
RBSE Class 11 Physics Chapter 5 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उत्तर
RBSE Class 11 Physics Chapter 5 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
गुरुत्व के विरुद्ध किसी मनुष्य द्वारा किया गया कार्य कितना होगा, यदि वह समतल में चल रही हो?
उत्तर:
शून्य, क्योंकि बल एवं विस्थापन लम्बवत हैं।
प्रश्न 2.
एक मनुष्य 10 kg के भार को 1 मिनट तक अपने कन्धों । पर उठाये रखता है। मनुष्य द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
शून्य, विस्थापन शून्य होने के कारण
प्रश्न 3.
एक कुली ने बॉक्स को बस की छत पर 5 मिनट में चढ़ा दिया। दूसरे कुली ने उसी बॉक्स को 2 मिनट में चढ़ा दिया। कौनसे कुली ने अधिक कार्य किया?
उत्तर:
दोनों ने समान कार्य किया, क्योंकि कार्य समय पर निर्भर नहीं करता।
प्रश्न 4.
एक ट्रक तथा एक कार समान गतिज ऊर्जा से सीधी । सड़क पर चल रहे हैं। दोनों के इंजन एक साथ बंद कर देने पर कौनसा कम दूरी पर रुकेगा?
उत्तर:
\(\frac{1}{2} m_{1} v_{1}^{2}=\frac{1}{2} m_{2} v_{2}^{2}\)
माना m1 ट्रक का द्रव्यमान एवं v1 ट्रक का वेग है।
m2 कार का द्रव्यमान तथा v2 कार का वेग है।
m1 > m2
v1 < v2
अतः ट्रक का वेग कम होने पर ट्रक कम दूरी पर रुकेगा।
प्रश्न 5.
एक कुली बॉक्स को पृथ्वी से h ऊंचाई पर एक बस की | छत पर रख देता है। बॉक्स पर कुली तथा गुरुत्वीय क्षेत्र द्वारा किया गया कुल कार्य क्या होगा?
उत्तर:
शून्य, चूँकि कुली द्वारा किया गया कार्य, गुरुत्वीय बल के द्वारा किये गये कार्य के बराबर एवं विपरीत है।
प्रश्न 6.
क्या यांत्रिक ऊर्जा हमेशा संरक्षित रहती है?
उत्तर:
नहीं, सिर्फ विलगित निकाय को जबकि आंतरिक असंरक्षी बल शून्य है।
प्रश्न 7.
घड़ी में चाबी भरने पर स्प्रिंग में कौनसी ऊर्जा संचित होती है? घड़ी के चलते रहने पर यह ऊर्जा कौनसी ऊर्जा में परिवर्तित होती
उत्तर:
घड़ी में चाबी भरने पर स्प्रिंग में स्थितिज ऊर्जा संचित होती है। घड़ी के चलते रहने पर यह ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
प्रश्न 8.
क्या किसी निकाय के संवेग में परिवर्तन किये बिना, गतिज ऊर्जा में परिवर्तन किया जा सकता है?
उत्तर:
हाँ, अप्रत्यास्थ टक्कर में।
प्रश्न 9.
क्या किसी कण की गतिज ऊर्जा परिवर्तित किये बिना इसका संवेग परिवर्तित किया जा सकता है?
उत्तर:
हाँ, एक समान वृत्तीय गति में|
प्रश्न 10.
क्या किसी पूर्णतः अप्रत्यास्थ टक्कर में सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा क्षय हो सकती है?
उत्तर:
हाँ, जबकि टक्कर से पूर्व कणों की कुल संवेग शून्य हो।
प्रश्न 11.
सरल रेखीय प्रत्यास्थ टक्कर में यदि कोई कण समान द्रव्यमान के कण से टकराते हैं तो टक्कर के पश्चात् कणों के वेगों में क्या सम्बन्ध होता है?
उत्तर:
टक्कर के पश्चात् कणों के वेग परस्पर बदल जाते हैं।
RBSE Class 11 Physics Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कार्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
बल एवं विस्थापन के अदिश गुणनफल को कार्य कहते
w = \(\overrightarrow{\mathrm{F}} \overrightarrow{\mathrm{S}}\) = FS cosθ
प्रश्न 2.
शून्य कार्य, धनात्मक कार्य एवं ऋणात्मक कार्य के उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
शून्य कार्य- जब बल एवं विस्थापन लम्बवत् दिशा में होते हैं तब शून्य कार्य होता है।
उदाहरण- यदि कोई वस्तु किसी वृत्ताकार पथ पर नियत चाल से गतिशील है तब अभिकेन्द्रीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा क्योंकि प्रत्येक बिन्दु पर अभिकेन्द्रीय बल एवं विस्थापन परस्पर लम्बवत होते हैं।
धनात्मक कार्य- जब कोई व्यक्ति धरातल पर स्थित किसी वस्तु को खींचता है तब आरोपित बल व विस्थापन समान दिशा में होते हैं। तथा कार्य धनात्मक होता है। स्वतंत्रतापूर्वक गिरती वस्तु में भी कार्य धनात्मक होता है।
ऋणात्मक कार्य- जब बल तथा विस्थापन परस्पर विपरीत दिशा में होते हैं तब कार्य ऋणात्मक होता है। जब किसी वस्तु को खुरदरे धरातल पर खींचा जाता है तब घर्षण बल एवं विस्थापन परस्पर विपरीत दिशा में होते हैं अतः घर्षण बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
प्रश्न 3.
किसी बंदूक से गोली दागी जाती है। बंदूक एवं गोली में से किसकी गतिज ऊर्जा अधिक होगी?
उत्तर:
किसी बंदूक से गोली दागी जाती है तब संवेग संरक्षण नियम का पालन होता है अतः
mG >mb
Kb > KG
गोली की गतिज ऊर्जा अधिक होगी।
प्रश्न 4.
गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी वस्तु में गति के कारण जो निहित ऊर्जा होती है, उसे गतिज ऊर्जा कहते हैं। उदाहरण-गतिशील वाहन, गिरते हुए पत्थर इत्यादि।
गतिज ऊर्जा का मान वस्तु की स्थिर अवस्था से वर्तमान अवस्था तक ले जाने में अथवा वर्तमान अवस्था से स्थिर अवस्था तक लाने में किये गये कार्य के बराबर होता है।
K = \(\frac{1}{2}\)mv2
प्रश्न 5.
स्थितिज ऊर्जा की प्रमुख विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
- स्थितिज ऊर्जा स्थिति की अदिश फलन है।
- स्थितिज ऊर्जा का स्थिति के सापेक्ष अवकलन का ऋणात्मक मान बल का निर्धारण करता है।
\(\overrightarrow{\mathbf{F}}=-\frac{d}{d t} \mathbf{U}_{(x)}\) - स्थितिज ऊर्जा का मान निर्देश तन्त्र पर निर्भर करता है।
- स्थितिज ऊर्जा की अभिधारणा केवल आन्तरिक संरक्षी बलों के लिए परिभाषित होती है, असंरक्षी बलों के लिए नहीं।
- किसी दृढ़ पिण्ड की गति में स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन जारी रहता है क्योंकि दृढ़ पिण्ड की गति में बाह्य बल लगाने पर भी इसके कणों के मध्य की दूरी परिवर्तित नहीं होती।
प्रश्न 6.
संरक्षी बलों को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
संरक्षी बल-यदि बल द्वारा सम्पन्न कार्य, विस्थापन के पथ पर निर्भर न कर केवल प्रारम्भिक व अन्तिम स्थितियों पर निर्भर करे तो बल संरक्षी कहलाते हैं। संरक्षी बल के प्रभाव में पूर्ण चक्र में किया गया कार्य शून्य होता है। उदाहरणार्थ-प्रत्यानयन बल, केन्द्रीय बल, गुरुत्वीय बल आदि
प्रश्न 7.
टक्कर के लिए न्यूटन का नियम लिखिए।
उत्तर:
न्यूटन के अनुसार टक्कर के पश्चात् कणों के दूर जाने के आपेक्षिक वेग तथा टक्कर के पूर्व उनके समीप आने के आपेक्षिक वेग का अनुपात नियत रहता है। यह नियतांक प्रत्यावस्थान गुणांक कहलाता है। इसे e से व्यक्त करते हैं अर्थात्
e = \(\frac{\vec{v}_{2}-\vec{v}_{1}}{\vec{u}_{1}-\overrightarrow{\mathrm{u}}_{2}}\)
प्रत्यास्थ टक्कर के लिये e = 1
पूर्णतः अप्रत्यास्थ टक्कर के लिये e = 0
प्रश्न 8.
किसी वस्तु के संवेग में 50% वृद्धि करें तो उसकी गतिज ऊर्जा में कितनी गुनी वृद्धि हो जायेगी?
उत्तर:
प्रारम्भिक संवेग = p1
K2 = 2.25 \(\frac{\mathrm{p}_{1}^{2}}{2 m}\)
K2= 2.25 K1
K2 = K1 + 1.25 K1
K2 = K1 + 125% of K1
अतः उसकी गतिज ऊर्जा 125% बढ़ जायेगी
प्रश्न 9.
तिर्यक टक्कर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब टक्कर करने वाले पिण्डों के वेग एक रेखा के अनुदिश नहीं होते हैं तो टक्कर के पश्चात् कण विभिन्न कोणों से गतिमान होते हैं। इस प्रकार की टक्कर को तिर्यक टक्कर कहते हैं। तिर्यक टक्कर एक तल में होती है।
RBSE Class 11 Physics Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कार्य किसे कहते हैं? परिवर्ती बेल द्वारा किया गया कार्य किस प्रकार ज्ञात करते हैं? समझाइये।
उत्तर:
आन्तरिक एवं बाह्य कार्य-वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यदि बल द्वारा विस्थापन उत्पन्न किया जाता है तो ही बल द्वारा कार्य किया जाता है।
कुली रेलवे प्लेटफॉर्म पर सामान लेकर खड़ा है, कोई व्यक्ति दीवार को धक्का देता है, यहाँ पर बल द्वारा कोई विस्थापन उत्पन्न नहीं होता है, अतः बल द्वारा कोई कार्य नहीं किया जाता है यद्यपि व्यक्ति को थकान अनुभव होती है। व्यक्ति की माँसपेशियाँ सिकुड़ती वे फैलती हैं एवं माँसपेशियाँ कार्य करती हैं। इस प्रकार का कार्य जिसमें लाभ नहीं मिलता है, आन्तरिक कार्य कहलाता है। यदि कुली वजन उठाकर चलता है, तो प्लेटफार्म के घर्षण बल के विरुद्ध कार्य करता है, जब कोई छात्र मेज पर रखी हुई पुस्तकें उठाता है तो वह गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करता है, कोई छात्र क्षैतिज सड़क पर साइकिल चलाता है तो वह घर्षण बल के विरुद्ध कार्य करता है। यहाँ पर हमने देखा कि प्रत्येक अवस्था में बल द्वारा विस्थापन उत्पन्न होता है, अतः कार्य किया जाता है। इस प्रकार का कार्य जिसमें लाभ मिलता हो, बाह्य कार्य कहलाता है।
स्थिर बल के द्वारा किये गये कार्य की गणना की है। यहां यह मान लिया गया था कि सम्पूर्ण विस्थापन के दौरान बल का मान व दिशा !३पान ही रहती है। यदि बल परिवर्ती हो तो चित्र में दर्शाये गये अनुसार किसी स्थिति में अल्प विस्थापन \(\overrightarrow{\mathrm{d} r}\) में बल \(\overrightarrow{\mathbf{F}}\) द्वारा किया गया कार्य निम्न होगा
dW = \(\overrightarrow{\mathrm{F}} \overrightarrow{\mathrm{d} r}\) = Fdr cos θ
यहाँ \(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) चित्रानुसार किसी बिन्दु P पर बल का मान है, \(\overrightarrow{\mathbf{r}}\) उस बिन्दु का स्थिति सदिश है तथा \(\overrightarrow{\mathrm{d} r}\) उस बिन्दु P पर विस्थापन का अल्पांश है। θ बिन्दु P पर \(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) और \(\overrightarrow{\mathrm{d} r}\) के मध्य कोण है। \(\overrightarrow{\mathrm{d} r}\) का मान इतना अल्प है कि इस दूरी पर \(\overrightarrow{\mathbf{F}}\) का मान स्थिर मान सकते हैं। इस प्रकार अल्प दूरी dr पार करने में किया गया कार्य dW है।
ऐसी स्थिति में सम्पूर्ण विस्थापन A से B के लिये किया गया कार्य ज्ञात करने के लिये हम सम्पूर्ण दूरी को कई अल्पांशों Δr1, Δr2……
………. इत्यादि में बाँट लेते हैं। ये अल्पांश इतने छोटे होने चाहिये कि इस दूरी पर \(\overrightarrow{\mathrm{F}}\) को स्थिर माना जा सके। यदि \(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{1}, \overrightarrow{\mathrm{F}}_{2}\)……………….. इत्यादि सम्बंधित बल हो तो सम्पूर्ण विस्थापन में किया गया कार्य होगा
प्रश्न 2.
गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं? सिद्ध करें कि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा 5m होती है। कार्य ऊर्जा प्रमेय को समझाते हुए व्युत्पन्न कीजिये।
उत्तर:
गतिज ऊर्जा
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)
“किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं।” जैसे-बन्दूक की गोली का निकलना, गिरते हुए पत्थर, नदी का बहता हुआ पानी, चलती हुई साइकिल में गतिज ऊर्जा होती है। गतिज ऊर्जा सदैव धनात्मक होती है। यह एक अदिश राशि है। किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा का मापन उस कार्य से किया जाता है जो गतिशील वस्तु को स्थिर अवस्था तक लाने में या किसी स्थिर वस्तु को गतिशील अवस्था में लाने में किया गया हो।
अर्थात् गतिज ऊर्जा = स्थिर वस्तु को गतिशील करने में किया गया कार्य
या = (-) गतिशील वस्तु को पूर्णतः विरामावस्था में लाने के लिये किया गया कार्य
इसको हम साधारणत: K से प्रदर्शित करते हैं।
यदि m द्रव्यमान की वस्तु \(\overrightarrow{\mathbf{V}}\) वेग से गतिशील होती है तो वस्तु की गतिज ऊर्जा
गतिज ऊर्जा निर्देश तंत्र की स्थिति पर निर्भर करती है। यदि v वेग से गतिशील गाड़ी में m द्रव्यमान का व्यक्ति बैठा हुआ है तो गाड़ी के सापेक्ष व्यक्ति की गतिज ऊर्जा शून्य होती है जबकि पृथ्वी पर स्थित निर्देश तंत्र के सापेक्ष व्यक्ति की गतिज ऊर्जा (K) = \(\frac{1}{2}\)mv2 होगी।
गतिज ऊर्जा का व्यंजक- माना कोई पिण्ड जिसका द्रव्यमान m है, वह वेग v मी./से. के वेग से चल रहा है जिस पर कोई नियत बल F लग रहा है। विरोधी बल के कारण पिण्ड का वेग लगातार घट रहा है। तथा अन्त में आकर स्थिर अवस्था प्राप्त कर लेता है। माना पिण्ड s दूरी तय करने के बाद स्थिर अवस्था में आ जाता है।
अतः पिण्ड की गतिज ऊर्जा।
K = W = F × S
K = W = ma × s ∵ F= ma
∴ K = mas …………….(1)
न्यूटन के तीसरे समीकरण से
v2 = u2 – 2as (∵ मंदन हो रहा है।)
0 = v2 – 2as (∵ यहाँ पर अन्तिम वेग शून्य है।)
∴ a = \(\frac{\mathrm{v}^{2}}{2 s}\)
समीकरण (1) में d का मान रखने पर
कार्य ऊर्जा प्रमेय के अनुसार किसी पिण्ड पर बाह्य बल के द्वारा किया गया कार्य, उसकी गतिज ऊर्जा के परिवर्तन के बराबर होता
अर्थात् W = ΔK
माना कि कोई कण जिसका द्रव्यमान m है, किसी क्षण प्रारंभिक वेग u से गतिमान है। अब यदि कोई बल F उसकी गति की दिशा के विपरीत (अवरोधक बल) लगाने से, वस्तु का s दूरी या स्थानान्तरण के बाद अंतिम वेग v हो जाता है तथा वस्तु में उत्पन्न त्वरण (मन्दन) a है। तो, न्यूटन के गति के दूसरे नियम से
a = \(\frac{\mathbf{F}}{m}\)
am = F
दोनों पक्षों को s से गुणा करने पर
ams = Fs ……………(1)
या ams = W
यहाँ इस समीकरण में दायां पक्ष वस्तु पर आरोपित बल का विस्थापन के अनुदिश घटक और वस्तु के विस्थापन का गुणनफल है, जो किये गये कार्य के तुल्य है। पुनः गति के तीसरे समीकरण से
v2 – u2 = 2as
अतः a = \(\frac{v^{2}-u^{2}}{2 s}\) …………..(2)
समीकरण (2) में त्वरण a का मान प्रतिस्थापित करने पर
\(\frac{v^{2}-u^{2}}{2 s}\) ms = W
W = \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac{1}{2}\) mu2 ……………….. (3)
समीकरण (3) का दायां पक्ष, प्रारम्भिक एवं अंतिम गतिज ऊर्जा का अन्तर है।
अत: Kf – Ki = W …………….(4)
W = ΔK अतः किसी वस्तु पर लगाये गये कुल बल द्वारा सम्पन्न कार्य, वस्तु की दो विशिष्ट अवस्थाओं में विद्यमान गतिज ऊर्जा के अन्तर के बराबर होता है। इसे कार्य ऊर्जा प्रमेय कहते हैं। स्पष्ट है कि सम्पन्न कार्य धनात्मक कार्य है तब Kf > Ki जबकि सम्पन्न कार्य ऋणात्मक होने पर Kf < Ki होगा।
कार्य ऊर्जा प्रमेय से निम्न निष्कर्ष प्राप्त होते हैं
- यदि वस्तु की चाल में कोई परिवर्तन नहीं हो तो बल द्वारा किया | गया कार्य शून्य होता है क्योंकि इस स्थिति में गतिज ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
- यदि वस्तु के वेग एवं गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है तो बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है। इस स्थिति में बल एवं विस्थापन एक ही दिशा में होते हैं।
- यदि वस्तु के वेग एवं गतिज ऊर्जा में कमी होती है तब बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होता है। इस स्थिति में बल एवं विस्थापन परस्पर विपरीत दिशा में होते हैं।
प्रश्न 3.
ऊर्जा को परिभाषित कर उसके विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
किसी वस्तु में उसकी विशेष स्थिति अथवा गति के कारण कार्य करने की क्षमता पाई जाती है। वस्तु द्वारा कार्य करने की कुल क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। किसी वस्तु में विद्यमान ऊर्जा का मापन उस कार्य से किया जाता है, जितना कि वह कर सकती है, जबकि वह कार्य करने के योग्य न रहे। ऊर्जा कार्य के कुल परिमाण को बताती है। ऊर्जा के वही मात्रक होते हैं जो कार्य के हैं। अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति में ऊर्जा का मात्रक जूल (J) होता है। ऊर्जा के अन्य मात्रक किलोवाट घण्टा (kwh) तथा इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV) होते हैं
1kwh = 1 × 103 × 1watt × 1 hour
= 1 × 103 × 1J/s × 3600s
= 3.6 × 106 J
तथा 1 इलेक्ट्रॉन वोल्ट = 1eV
1 इलेक्ट्रॉन आवेश × 1 वोल्ट विभवान्तर
= 1.6 × 10-19J
ऊर्जा के रूप
ऊर्जा के कई रूप होते हैं; जैसे-यांत्रिक ऊर्जा, आन्तरिक ऊर्जा, वैद्युत ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, सौर ऊर्जा, ऊष्मीय एवं नाभिकीय ऊर्जा इत्यादि। प्रकृति में होने वाली विभिन्न घटनाओं में ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित होती रहती है। ऊर्जा के कुछ सामान्य रूप निम्न हैं
(1) यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical Energy)- किसी वस्तु में ऊर्जा, वस्तु की गति के कारण अथवा किसी बल क्षेत्र में उसकी स्थिति या उसके अभिविन्यास के कारण हो सकती है। इन अवस्थाओं के कारण वस्तु में उत्पन्न ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं। उदाहरण के लिये, छत पर स्थित पानी के टैंक में पानी की ऊर्जा, गतिशील गोली की ऊर्जा, बाल पेन में लगी छोटी स्प्रिंग की ऊर्जा, गतिशील वस्तु की ऊर्जा, इत्यादि यांत्रिक ऊर्जा के ही रूप हैं।
(2) आन्तरिक ऊर्जा (Internal Energy)- किसी वस्तु या निकाय के अणुओं की कुल स्थितिज व गतिज ऊर्जाओं के योग को निकाय की आन्तरिक ऊर्जा कहते हैं। अतः अणुओं की ऊर्जा ही वस्तु या निकाय की आन्तरिक ऊर्जा होती है। अणुओं की गति ताप पर निर्भर करती है इसलिए आन्तरिक ऊर्जा का मान भी ताप पर निर्भर करता
( 3 ) ऊष्मा ऊर्जा (Heat Energy)- ऊष्मा भी ऊर्जा का एक स्वरूप है। ऊष्मा ऊर्जा मुख्य रूप से अणुओं की अनियमित गति एवं अणुओं के मध्य कार्यरत ससंजक बलों के प्रभाव में अणुओं की स्थितिज ऊर्जा से सम्बन्धित होती है। ससंजक बल अणुओं में कार्यरत विद्युत चुम्बकीय बलों के कारण उत्पन्न होता है, ऊष्मा ऊर्जा आन्तरिक ऊर्जा से सम्बन्ध रखती है। इस ऊर्जा का अन्य ऊर्जाओं में रूपान्तरण सम्भव है। जैसे भाप इंजन में ऊष्मा ऊर्जा का कार्य में रूपान्तरण किया जाता है।
(4) रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy)- किसी पिण्ड की रासायनिक ऊर्जा उसके परमाणुओं के मध्य विभिन्न रासायनिक बन्ध के कारण होती है। ऐसे पिण्डों को यौगिक कहते हैं। किसी स्थायी रासायनिक यौगिक की ऊर्जा, इसके विभिन्न भागों की ऊर्जा से कम होती है। ऊर्जा में यह अन्तर मुख्यतया यौगिक के भिन्न-भिन्न भागों में अणुओं की व्यवस्था | में भिन्नता एवं यौगिक में इलेक्ट्रॉन व नाभिक की गति के कारण होता है। ऊर्जा में इस अन्तर को रासायनिक ऊर्जा कहते हैं।
जैसे
- एक शुष्क सेल में रासायनिक ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत ऊर्जा में होता है।
- किसी ईंधन के ज्वलन से उत्पन्न ऊर्जा भी रासायनिक ऊर्जा होती है।
(5) विद्युत ऊर्जा. (Electrical Energy)- विद्युत आवेश या धाराएँ एक-दूसरे को आकर्षित अथवा प्रतिकर्षित करती हैं अर्थात् एक
दूसरे पर बल आरोपित करती हैं। अतः विद्युत आवेश को विद्युत क्षेत्र में | एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में कुछ कार्य करना पड़ता है। यह कार्य विद्युत ऊर्जा के रूप में संचित होता है।
( 6 ) नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy)- नाभिक में नाभिकीय कणों के मध्य कार्यरत नाभिकीय बलों के कारण ऊर्जा को | नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं। नाभिकीय ऊर्जा दो प्रकार की होती है| (i) नाभिकीय विखण्डन ऊर्जा (ii) नाभिकीय संलयन ऊर्जा
नाभिकीय विखण्डन में जब U235 पर मन्दगामी न्यूट्रॉन से संघात कराया जाता है तो नाभिक को हल्के नाभिकों में विखण्डन हो जाता है। इस प्रक्रिया में द्रव्यमान की क्षति होती है। द्रव्यमान की यह क्षति ही नाभिकीय ऊर्जा के रूप में रूपान्तरित होकर उत्सर्जित होती है।
नाभिकीय संलयन में छोटे नाभिकों के संलयन से बड़ा नाभिक बनता है, इस प्रक्रिया में भी द्रव्यमान की क्षति होती है, जो नाभिकीय ऊर्जा के | रूप में रूपान्तरित होकर उत्सर्जित होती है।
(7) प्रकाश ऊर्जा- विकिरण ऊर्जा के दृश्य भाग को प्रकाश ऊर्जा कहते हैं। यह आँख के रेटीना पर संवेदना उत्पन्न करती है।
(8 ) ध्वनि ऊर्जा- यह ऊर्जा का ऐसा रूप है जिससे हमारे कानों में संवेदना उत्पन्न होती है। वास्तव में, ध्वनि ऊर्जा, ध्वनि संचरण को प्रयुक्त माध्यम के कणों की कम्पन ऊर्जा है।
(9) सौर ऊर्जा- सूर्य तथा गैलेक्सियों से मिलने वाली ऊर्जा सौर ऊर्जा कहलाती है। सौर ऊर्जा हमें नाभिकीय संलयन प्रक्रिया से प्राप्त होती है।
प्रश्न 4.
यांत्रिक ऊर्जा के संरक्षण का क्या नियम है? सिद्ध करें कि स्वतंत्रतापूर्वक नीचे गिरती हुई वस्तु में यांत्रिक ऊर्जा का संरक्षण होता है।
उत्तर:
इस नियम के अनुसार संरक्षी बलों की उपस्थिति में किसी वस्तु अथवा निकाय की स्थितिज ऊर्जा एवं गतिज ऊर्जा का योग नियत रहता है।
यह नियम कार्य-ऊर्जा प्रमेय व स्थितिज ऊर्जा की परिभाषा से भी प्राप्त किया जा सकता है। कार्य-ऊर्जा प्रमेय से
ΔW = K2 – K1 = ΔK …………… (1)
बल क्षेत्र के विरुद्ध किया गया कार्य उसकी स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होता है।
यो – ΔW = U2 – U1 = ΔU ………….(2)
समीकरण (1) तथा (2) को बराबर करने पर
ΔK = – ΔU
या ΔK + ΔU = 0
या K + U = नियतांक
ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त की सत्यता को प्रकट करने वाले कुछ उदाहरण
(1) स्वतंत्रतापूर्वक गिरते हुए पिण्ड में यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण
(2) सरल आवर्ती दोलक
(3) प्रत्यास्थ स्प्रिंग में यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण
स्वतंत्रतापूर्वक गिरते हुए पिण्ड में यांत्रिक ऊर्जा
संरक्षण- माना m द्रव्यमान का एक पिण्ड पृथ्वी की सतह से h ऊँचाई पर स्थित है। इसकी प्रारंभिक स्थिति को चित्र में दिखाया गया है। पिण्ड स्वतंत्रतापूर्वक गिरता है तथा x दूरी तय करने के बाद स्थिति B तथा h दूरी तय करने के बाद स्थिति C (पृथ्वी की सतह) पर पहुँचता है।
स्थिति A पर
पिण्ड की गतिज ऊर्जा KA = 0 ∵ पिण्ड स्थिर है।
पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा UA = mgh
∴ पिण्ड की कुल ऊर्जा EA = 0 + mgh = mgh …………. (1)
स्थिति B पर
पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा UB = mg (h – X) ………… (2)
यदि इस स्थिति पर पिण्ड को वेग vB है।
न्यूटन के तीसरे नियम से
v2 = u2 + 2as से
v2B = 0 + 2gx ∵ u = 0; a = g
v2B = 2gx
पिण्ड की गतिज ऊर्जा KB = \(\frac{1}{2} m v_{\mathrm{B}}^{2}\)
= \(\frac{1}{2}\)m (2gx) = mgx
= mgx …………..(3)
∴ पिण्ड की कुल ऊर्जा EB = mg (h – x) + mgx
EB = mgh – mgx + mgx = mgh
अतः पिण्ड की कुल ऊर्जा EB = mgh ………………. (4)
स्थिति C पर
स्थितिज ऊर्जा = 0, चूंकि h = 0 है यदि पृथ्वी पर वेग vc है तो
स्पष्ट होता है कि स्वतंत्रतापूर्वक गिरते हुए पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा घटती है तथा गतिज ऊर्जा बढ़ती है, लेकिन पिण्ड की कुल यांत्रिक ऊर्जा प्रत्येक स्थान पर नियत रहती है। गतिज ऊर्जा (K), स्थितिज ऊर्जा (U) व कुल ऊर्जा को पृथ्वी की सतह से विभिन्न ऊँचाई पर ग्राफ के द्वारा दर्शाया गया है। ग्राफ से स्पष्ट होता है कि ऊँचाई घटने पर स्थितिज ऊर्जा रेखीय रूप से घटती है, जबकि गतिज ऊर्जा बढ़ती है, लेकिन देखा यह गया है कि कुल यांत्रिक ऊर्जा (गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा) का मान नियत रहता है।
प्रश्न 5.
प्रत्यास्थ, अप्रत्यास्थ एवं पूर्णतया अप्रत्यास्थ टक्कर में अन्तर स्पष्ट कीजिये। सम्मुख टक्कर (प्रत्यास्थ) के लिये टक्कर के पश्चात् टकराने वाले कणों के वेगों का व्यंजक प्राप्त कीजिये।
उत्तर:
संघट दो प्रकार के होते हैंप्रत्यास्थ टक्कर (Elastic Collision)
(i) किसी प्रत्यास्थ टक्कर में, टक्कर से पूर्व कणों की गतिज ऊर्जा का कुल मान टक्कर के पश्चात् कणों की गतिज ऊर्जा के कुल मान के बराबर होता है। अर्थात् ।
जहाँ u1, u2, एवं v1, v2, क्रमशः टक्कर से पूर्व व पश्चात् m, व m, द्रव्यमान के कणों का वेग हैं।
(ii) प्रत्यास्थ टक्कर में रेखीय संवेग का संरक्षण होता है। टक्कर से पूर्व, टक्कर के दौरान तथा टक्कर के पश्चात् कुल रेखीय संवेग नियत रहता है। अर्थात्
समीकरण (1) तथा (2) में बायां पक्ष टक्कर से पूर्व क्रमशः कुल गतिज ऊर्जा तथा कुल रैखिक संवेग के मान को व्यक्त कर रहा है। अप्रत्यास्थ टक्कर (Inelastic Collision)
अप्रत्यास्थ टक्कर में टक्कर के पश्चात् गतिज ऊर्जा का कुले मान, टक्कर से पूर्व गतिज ऊर्जा के कुल मान के बराबर नहीं होता। सामान्यतः अप्रत्यास्थ टक्कर में, टक्कर के पश्चात् गतिज ऊर्जा का कुल मान टक्कर से पूर्व गतिज ऊर्जा के कुल मान से कम होता है। यहाँ प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा का कुछ भाग तो पिण्डों की आंतरिक ऊर्जा में संचित हो जाता है तथा कुछ भाग ऊष्मा आदि के रूप में परिवर्तित हो | जाता है अर्थात् सामान्यतः अप्रत्यास्थ टक्कर में गतिज ऊर्जा की हानि होती है। लेकिन कुछ अवस्थाओं में टक्कर के पश्चात् कणों की कुल गतिज ऊर्जा का मान टक्कर के पूर्व कणों की कुल गतिज ऊर्जा से अधिक प्राप्त होता है जबकि टक्कर करने वाले कणों में संचित आंतरिक ऊर्जा कणों की गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। ध्यान रहे कि रेखीय संवेग का संरक्षण अप्रत्यास्थ टक्कर के लिये भी सत्य है। साधारण जीवन में प्रेक्षित अधिकांश टक्करें अप्रत्यास्थ होती हैं।
प्रत्यास्थ
माना m1 व m2 द्रव्यमान के दो कण उनके केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश गतिमान हैं, कणों में टक्कर होती है एवं टक्कर के पश्चात् कण समान दिशा में ही गति करते हैं। इस प्रकार की टक्कर को सम्मुख टक्कर कहते हैं। माना टक्कर से पूर्व कोणों के वेग क्रमशः u1, व u2, तथा टक्कर के पश्चात् उनके वेग v1 व v2 हो जाते हैं।
संवेग संरक्षण के नियम से
m1u1 + m2u1= m1v1 + m2V2
⇒ m1 (u1 – v1) = m2 (v2 – u2) …………… (1)
टक्कर प्रत्यास्थ है इस कारण से गतिज ऊर्जा का भी संरक्षण होता है अतः गतिज ऊर्जा के संरक्षण से
अतः टक्कर से पूर्व पास आने की सापेक्ष गति तथा टक्कर के पश्चात् दूर हटने की सापेक्ष गति बराबर होती है। टक्कर के पश्चात् वेग v1 व v2 के मान ज्ञात करने के लिए v2 का मान समीकरण (3) से निकालकर (1) में रखने पर
टक्कर की विशेष स्थितियाँ
(1) समान द्रव्यमान-जब टक्कर करने वाले कणों का द्रव्यमाने समाने हो : m1 = m2 = m हो, तो समीकरण (4) तथा (5) से।
v1 = u2; v2 = u1
अतः सरल रेखीय प्रत्यास्थ टक्कर में यदि कोई कण समान द्रव्यमान के कण से टकराये तो टक्कर के पश्चात् कणों के वेग परस्पर बदल जाते हैं।
(2) समान द्रव्यमान एवं एक कण स्थिर हो-माना m, द्रव्यमान का कण स्थिर हो अर्थात् ।
m1 = m2 = m एवं u2 = 0
∴ v1 = 0, v2 = u1
टक्कर के पश्चात् प्रथम कण रुक जाता है एवं द्वितीय कण प्रथम कण की चाल से चलने लगता है। इस प्रकार की टक्कर में दोनों कणों के संवेग में परिवर्तन अधिकतम होता है। उपरोक्त सिद्धान्त का अनुप्रयोग नाभिकीय भट्टी के न्युट्रॉनों को मन्दित करने के लिये किया जाता है। गतिशील न्यूट्रॉनों की टक्कर, किसी मन्दक (Moderator) के नाभिकों से ही की जाती है। इस सिद्धान्त से न्यूट्रॉन तब ही मन्दित होगा जबकि मन्दक के नाभिक का द्रव्यमान न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के बराबर हो। हाइड्रोजन नाभिक (हाइड्रोजनीय पदार्थ) जैसे भारी पानी, पैराफीन का इसलिये उपयोग किया जाता है।
(3) स्थिर कण का द्रव्यमान दूसरे कण से बहुत अधिक हो-यदि m2 >>> m12 एवं u2 = 0 हो तो m2 की तुलना में m1 को नगण्य माना जा सकता है, अतः समीकरण (4) व (5) से
∴ v1 = -u1; v2 = 0
अतः यदि कोई हल्का कण किसी स्थिर भारी कण से सम्मुख टक्कर करे तो भारी कण स्थिर ही रहता है एवं हल्का कण अपने वेग से विपरीत दिशा में गति करता है।
(4) कोई भारी कण हल्के स्थिर कण से सम्मुख टक्कर करे m1>> m2
यहाँ पर m2 का मान m1 की तुलना में नगण्य लिया जा सकता है। अतः समीकरण (4) व (5) से।
v1 = u1 एवं v2 = 2u1
यहाँ टक्कर के पश्चात् भारी कण समान वेग से चलता है एवं हल्का कण भारी कण के वेग के लगभग दुगुने वेग से गति करता है। यही कारण है कि . कण प्रकीर्णन प्रयोग में c. कण का वेग लक्ष्य परमाणु के इलेक्ट्रॉन से टक्कर होने पर लगभग अप्रभावित रहता है।
अप्रत्यास्थ टक्कर
जब दो कण टक्कर के पश्चात् परस्पर सम्बद्ध हो जाते हैं या टक्कर के पश्चात् एक-दूसरे से चिपक जाते हैं तो यह पूर्णतः अप्रत्यास्थ टक्कर कहलाती है। इस टक्कर में गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं रहती तथा गतिज ऊर्जा का अधिकांश भाग, अन्य प्रकार की ऊर्जा जैसे ऊष्मा आदि में क्षय हो जाता है। इस टक्कर में संवेग अब भी संरक्षित रहता है।
माना दो कण जिनके द्रव्यमान m1 एवं m2 टक्कर से पूर्व उनके वेग u1 एवं u2 हैं। टक्कर के पश्चात् ये सम्बद्ध होकर, एक ही वेग v से गति करते हैं।
अतः टक्कर के पश्चात् गतिज ऊर्जा का मान कम हो जाता है अतः यहाँ पर गतिज ऊर्जा का संरक्षण नहीं होता है।
RBSE Class 11 Physics Chapter 5 आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमण करती है। इसके पथ को वृत्ताकार मानते हुए एक परिक्रमण में गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किये गये की गणना कीजिये।
हल:
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर वृत्ताकार पथ (माना) में परिक्रमण करती है तब आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल, सूर्य एवं पृथ्वी के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल से प्राप्त होता है अर्थात् गुरुत्वाकर्षण बल की दिशा, पृथ्वी की गति की दिशा (विस्थापन की दिशा) के सदैव लम्बवत् रहती है अतः
W = FS cos 90°
W = 0 = शून्य
प्रश्न 2.
किसी 50 kg की वस्तु को सड़क पर 100 m घसीटने में घर्षण बल द्वारा किये गये कार्य की गणना कीजिये। सड़क के लिये सीमान्त घर्षण गुणांक µ = 0.2 है।
हल:
दिया है।
m= 50 kg
s = 100 m
µ = 0.2
माना g= 10 m/s2
W = ?
घर्षण बल F = µ R
F = µ mg ∵ R = mg
कार्य
W = Fs
W = µ mgs
W = 0.2 × 50 × 10 × 100
F = 10000 J
F = 104 J
प्रश्न 3.
60 kg भार का एक व्यक्ति 20 kg भार के एक पत्थर को 30m ऊँचाई तक ले जाता है। व्यक्ति द्वारा किये गये कार्य के मान ज्ञात कीजिये।
हल:
दिया है।
व्यक्ति का भार = 60 किग्रा भार
पत्थर का भार = 20 किग्रा भार
h = 30 m, माना g = 10 m/s2
ऊपर उठाने में लगाया गया भार = बल
F = (60 + 20) किग्रा. भार
F = 80 × 10 न्यूटन
F = 800
न्यूटन व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य
W = Fh
W = 800 × 30
W = 24 × 103
W = 2.4 × 104 J
प्रश्न 4.
एक मनुष्य 2 kg के बॉक्स को अपने हाथ में लेकर एक समतल पर गति कर रहा है। यदि वह 0.5 m/s2 के त्वरण से 40m चलता है तो गति के दौरान मनुष्य द्वारा बॉक्स पर किया गया कार्य कितना होगा?
हल:
दिया है। m = 2 kg
a = 0.5 m/s2
s = 40 m
w = \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac{1}{2}\)mu2
u = 0
W = \(\frac{1}{2}\) mv2
परन्तु v2 = 1u2 + 2as से
u = 0
v2 = 2as
W = \(\frac{1}{2}\) m 2as = mas
W = 2 × 0.5 × 40
W = 40 J
प्रश्न 5.
एक स्टील के तार से 2.5 kg भार लटकाने से उसकी लम्बाई में 0.25 cm की वृद्धि हो जाती है। तार को खींचने में किया गया कार्य ज्ञात कीजिये। (g = 10 m/s2)
हल:
दिया है।
M = 2.5 kg
x = 0.25 cm
x = 0.25 × 10-2 m
∵ Mg = Kx
यहाँ K बल नियतांक है।
K = \(\frac{\mathrm{Mg}}{x}\)
K = \(\frac{2.5 \times 10}{0.25 \times 10^{-2}}=\frac{10 \times 10}{10^{-2}}\)
K= 104 N/m तार को खींचने में किया गया कार्य
w = \(\frac{1}{2}\) Kx2
W = \(\frac{1}{2}\) × 104 × (0.25 × 10-2)2
W = 5000 × 625 × 10-8 J
W = 3125 × 10-5J
W = 0.03125 J
प्रश्न 6.
यदि किसी वाहन की चाल 2 m/s बढ़ाने पर उसकी गतिज ऊर्जा दुगुनी हो जाती है, वाहन की वास्तविक चाल क्या होगी?
हल:
माना वाहन की वास्तविक चाल = y m/s
वाहन की चाल 2 m/s बढ़ाने पर
चाल v1 = (v + 2) m/s
प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा
प्रश्न 7.
एक 2 kg द्रव्यमान का पिण्ड 10m की ऊँचाई से रेती में गिरता है। पिण्ड विरामावस्था में आने से पहले रेती में 2cm तक गति करता है तो औसत प्रतिरोधक बल क्या होगा?
हल:
दिया है।
m = 2 kg
h = 10m
s = 2 cm = 0.02 m
F = ?, g = 9.8 m/s2
v2 = u2 + 2gh से
v2 = 0 + 2gh
v = \(\sqrt{2 \mathrm{gh}}\)
v = \(\sqrt{2 \times 9.8 \times 10}=\sqrt{196}\)
v = 14 m/s
यही वेग रेती के टकराने का प्रारम्भिक वेग है।
uf = v = 14 m/s
vf = 0
कार्य ऊर्जा प्रमेय से
औसत प्रतिरोधी बल F = 9800 न्यूटन
प्रश्न 8.
एक दौड़ते हुए व्यक्ति की गतिज ऊर्जा अपने से आधे द्रव्यमान के लड़के की गतिज ऊर्जा से आधी है। व्यक्ति अपनी गति 1 m/s बढ़ा देता है जिससे उसकी गतिज ऊर्जा, लड़के की गतिज ऊर्जा के बराबर हो जाती है। लड़के व व्यक्ति की प्रारम्भिक गतियों के मान ज्ञात कीजिये।
हल:
माना व्यक्ति व लड़के की प्रारम्भिक चाल क्रमशः u1 व u2 है।
व्यक्ति का द्रव्यमान m है, प्रश्नानुसार लड़के का द्रव्यमान = \(\frac{m}{2}\) होगा।
प्रश्नानुसार
प्रश्न 9.
एक गाड़ी का वेग 40 km/h से 60 km/h हो जाता है। गाड़ी का द्रव्यमान 1000 kg है। गतिज ऊर्जा में परिवर्तन ज्ञात कीजिये। .
हल:
दिया है
प्रश्न 10.
400 m/s चाल से क्षैतिज दिशा में चलती हुई बन्दूक की एक गोली, डोरी से लटकी बालू की थैली में धंसकर उसी से सम्बद्ध हो जाती है। गोली एवं थैली के द्रव्यमान क्रमशः 0.025 kg तथा 1.975 kg हैं।( गोली + थैली) की चाल ज्ञात कीजिये। इस प्रक्रिया में कितनी गतिज ऊर्जा विलुप्त हुई?
हल:
दिया है
गोली का वेग u = 400 m/s
गोली का द्रव्यमान m = 0.025 kg
बालू की थैली का द्रव्यमान M = 1.975 kg
(गोली + थैली) की चाल v = ?
ΔK = ?
संवेग संरक्षण नियम से,
m1u1 + m2u2 = m1v1 + m2v2
mu + 0 = mv + Mv
ΔK = 2000 – 25
ΔK = 1975 J
प्रश्न 11.
एक मोटर 100 L पानी को 20 m ऊँची टंकी तक एक मिनट में ले जाती है। मोटर की शक्ति की गणना (w) वाट में कीजिये।( मान लो g = 10 m/s2)
हल:
दिया है।
v = 100 L
v = 100 × 103 cm2
g = 10 m/s2, h = 20 m, t = 1 min = 60 sec
पानी का द्रव्यमान
P = \(\frac{1000}{3}\)
P = 333.3 वाट
प्रश्न 12.
4 m द्रव्यमान का एक स्थिर पिण्ड अचानक तीन टुकड़ों में विस्फोटित हो जाता है। यदि m द्रव्यमान के दो टुकड़े एक-दूसरे के लम्बवत् v वेग से चलते हों तो 2m द्रव्यमान के तीसरे कण का वेग क्या होगा? विस्फोट के पश्चात् गतिज ऊर्जा में वृद्धि भी परिकलित कीजिये।
हल:
प्रश्न 13.
2m द्रव्यमान का एक गुटका, वेग से गति करते हुए 4m द्रव्यमान के गुटके से, जो कि स्थिरावस्था में है, से टक्कर करता है। टक्कर के पश्चात् प्रथम गुटका स्थिर अवस्था में आ जाता है। प्रत्यावस्थान गुणांक का मान ज्ञात कीजिये।
हल:
रैखिक संवेग संरक्षण के नियम से
m1u1 + m2u2 = m1v1 + m12v2
दिया है- m1 = 2m, m2 = 4m
u1 = v, u2 = 0
v1= 0, v2 = ?
2mv + 4m × 0 = 2m × 0 + 4mv2
v = v2
v2 = v/2
न्यूटन के टक्कर के नियम से,
प्रत्यावस्थान गुणांक
प्रश्न 14.
यूरेनियम-238 के स्थिर नाभिक से एक एल्फा कण उत्सर्जित होता है। यदि एल्फा कण का वेग 1.5 × 107 m/s है तो अवशिष्ट नाभिक की गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिये।
हल:
संवेग संरक्षण नियम से
\(\mathrm{O} \doteq m \vec{v}+\mathrm{M} \overrightarrow{\mathrm{V}}\)
m α- कण का द्रव्यमान तथा v वेग है।
M अवशिष्ट नाभिक का द्रव्यमान तथा V वेग है।
प्रश्न 15.
एक 4 kg का पिण्ड 10 m/s वेग से चलता हुआ विरामावस्था में स्थित 5 kg के पिण्ड से प्रत्यास्थ टक्कर करता है। यदि टक्कर के पश्चात् पिण्ड क्रमशः 30° तथा 60° के कोण पर प्रतिक्षेपित होते हैं तो दोनों पिण्डों को टक्कर के पश्चात् वेग ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
दिया गया है
m1 = 4 Kg, m2 = 5 Kg
u1 = 10 m/s, u2 = 0
θ1 = 30°, θ2 = 60°
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