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RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 शिष्य-परीक्षा

June 29, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 शिष्य-परीक्षा

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास-प्रणोत्तराणि

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 वस्तुनिष्ठ प्रश्ना

प्रश्न 1.
समर्थगुरु-रामदासस्य पीड़ा आसीत्। (समर्थ गुरु रामदास की पीड़ा थी।)
(अ) शिरोवेदना
(ब) पक्षाघात
(स) कर्ण पीडा
(द) उदरपीडा
उत्तराणि:
(द) उदरपीडा

प्रश्न 2.
रामदासस्य रोगस्य उपचारः अस्ति – (रामदास के रोग का उपचार है।)
(अ) व्याघ्रीदुग्धम्
(ब) अजादुग्धम्
(स) उष्ट्रीदुग्धं
(द) गोदुग्धम्
उत्तराणि:
(अ) व्याघ्रीदुग्धम्

प्रश्न 3.
कः व्याघ्री दुग्धम् आनेतुं वनाभिमुखं प्रस्थितवान् – (वाघनी का दूध लाने के लिये कौन वन की ओर प्रस्थान करता है?)
(अ) रामदासः
(ब) माधोदासः
(स) शिवः
(द) जीजाबाई
उत्तराणि:
(स) शिवः

प्रश्न 4.
मातः अपराधं मे क्षमस्व’ अत्र मातः ! इति शब्दः कस्याः कृते प्रयुक्तः- (माँ मेरा अपराध क्षमा करो यहाँ मातः शब्द किसके लिए प्रयुक्त है?)
(अ) जीजाबाई
(ब) गो ……….
(स) व्याघ्री शिशुः
(द) व्याघ्रीः
उत्तराणि:
(द) व्याघ्रीः

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
कः उदरपीडया व्याकुलः? (उदरपीडो से कौन व्याकुल थे?)
उत्तरम्:
गुरु रामदासः उदरपीडया व्याकुलः। (गुरु रामदास उदर पीड़ा से व्याकुल थे।)

प्रश्न 2.
केषां पाश्र्वे उदरपीडाशान्तये विविधाः उपायाः सन्ति। (किनके पास उदर पीड़ा शान्ति के लिए विविध उपाय हैं?)
उत्तरम्:
वैद्यवराणां सविधे उदरपीडा-शान्तये विविधाः प्रयोगाः सन्ति। (वैद्यराजों के पास उदरपीड़ा शान्ति के लिए विविध उपाय है।)

प्रश्न 3.
कः गुरोः सम्मुखे विनम्रः सन् उपविष्टः आसीत्? (गुरु के सम्मुख कौन विनम्र बैठा था ?)
उत्तरम्:
शिवः गुरोः सम्मुखे विनम्रः सन् उपविष्टः आसीत्। (शिवाजी गुरुजी के सामने विनम्र हुए बैठे थे।)

प्रश्न 4.
मातः ! प्रयच्छ मे दुग्धम्’ इति केन उक्तम् ? (माँ ! मुझे दूध दो। यह किसने कहा ?)
उत्तरम्:
‘मातः! प्रयच्छ मे दुग्धम्’ इति शिवराजेन उक्तम्। (‘माँ! मुझे दूध दो’ यह वाक्य शिवाजी ने कहा।)

प्रश्न 5.
के लज्जिताः सन्तः शिवमुखं प्रति पश्यन्ति? (कौन लज्जित हुए शिवाजी के मुख की ओर देखते हैं?)
उत्तरम्:
शिष्याः लज्जिताः सन्तः शिवमुखं प्रति पश्यन्ति। (शिष्य लज्जित हुए शिवाजी के मुख की ओर देखते हैं।)

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 लघूत्तरात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
रामदासः उदरपीडानिवारणार्थं क उपायः कथितवान्? (रामदास ने उदरपीड़ा के निवारण का क्या उपाय बताया?)
उत्तरम्:
समर्थ रामदासः उदरपीडायाः निवारणार्थं व्याघ्री-दुग्धम् एव उपायं कथितवान्। (समर्थ रामदास ने उदरपीडा का निवारण बाघिनी का दूध बताया।).

प्रश्न 2.
‘अहमानयामि सम्प्रत्येव व्याघ्रीदुग्धम्।’ इति वाक्यं कः कम् उक्तवान्? (यह वाक्य किसने किससे कहा?)
उत्तरम्:
एतद् वाक्यं शिवः समर्थ गुरु रामदासम् उक्तवान्। (यह वाक्य शिवाजी ने समर्थ गुरु रामदास से कहा।)

प्रश्न 3.
शिवः व्याघ्रीदुग्धं नीत्वा कुत्र गतः? (शिवाजी बाघिन का दूध लेकर कहाँ गया?)
उत्तरम्:
शिवः व्याघ्री दुग्धं नीत्वा समर्थगुरुरामदासमगच्छत्। (शिवाजी बाघिन का दूध लेकर समर्थ गुरु रामदास के पास गया।)

प्रश्न 4.
शिवः गुहामुखे किमपश्यत्? (शिवाजी ने गुफा के मुख पर क्या देखा?)
उत्तरम्:
शिवः गुहामुखे सिंहशावकम् अपश्यत्। (शिवजी ने गुफा के मुंह पर सिंह का बच्चा देखा।)

प्रश्न 5.
व्याघ्री कीदृशी शान्ता तिष्ठति? (बाघिन कैसी शान्त खड़ी रहती है?).
उत्तरम्:
व्याघ्री गौः इव शान्ता तिष्ठति। (बाघिन गाय की तरह शान्त खड़ी रहती है।)

प्रश्न 6.
रामदासः शिवं काभिः शुभाशीर्भिः अभिनन्दयत्? (रामदास ने शिव के किन आशीर्वादों से अभिनन्दन। किया?)
उत्तरम्:
रामदासः पुनः-पुनः शिवं शुभाशीर्भिः समभिनन्दयत्। (रामदास ने बार-बार शिव को शुभाशीष देकर सम्यक् अभिनन्दन किया।)

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 निबन्धात्मक प्रश्नाः

प्रश्न 1.
समर्थगुरु रामदासः स्वशिष्याणां परीक्षार्थं क उपायः विचारितवान्? (समर्थगुरु रामदास ने अपने शिष्यों की परीक्षा लेने के लिए क्या उपाय किया?)
उत्तरम्:
समर्थ गुरु रामदासः स्वशिष्याणां परीक्षार्थं उदरपीडां नाटयन् तस्य उपायः मात्र व्याघ्री दुग्धम् अकथयत्। (समर्थ गुरु रामदास ने अपने शिष्यों की परीक्षा के लिए उदरपीड़ा का अभिनय करते हुए उसका उपाय मात्र बाघिन का दूध बताया।)

प्रश्न 2.
शिवः गुरुचरणान् स्पृशन् कां प्रतिज्ञां करोति? (शिवाजी गुरु के चरणस्पर्श कर क्या प्रतिज्ञा करता है?)
उत्तरम्:
शिवः गुरुचरणान् स्पृशन् प्रतिज्ञां करोति-‘गुरुवर्य ! अहमानयामि सम्प्रति एव व्याघ्री दुग्धम्। (शिवाजी ने गुरुजी के चरण-स्पर्श करते हुए प्रतिज्ञा की ‘‘हे गुरुजी, मैं अभी बाघिनी का दूध लाता हूँ।)

प्रश्न 3.
रामदासः शिवस्य हस्ते व्याघ्रीदुग्धं दृष्ट्वा के शुभाशीर्भिः अभ्यनन्दयत्? (रामदास शिवाजी के हाथ में बाघिन का दूध देखकर किसको शुभाशीषों से अभिनन्दन किया?)
उत्तरम्:
रामदासः शिवस्य हस्ते व्याघ्री दुग्धं दृष्ट्वा शिवं शुभाशीर्भिः अभ्यनन्दयत्। (रामदास ने शिव के हाथ में वाघिन का दूध देखकर शिव का शुभाशीषों से अभिनन्दन किया।)

प्रश्न 4.
सप्रसंगम् अनुवादं कुरुत –
(i) मातः अपराधं मे क्षमस्व। नाहं भवतीं क्लेशयितुं समागतोऽस्मि। अहं तु गुरोः उदरपीडां शमनाय दुग्धमानेतुमागतोऽस्मि। मातः! प्रयच्छ दुग्धम्। येन मे गुरोः उदरपीडा शान्ता भवेत्।
प्रसङ्गः- यह गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के शिष्य-परीक्षाः पाठ से लिया गया है। यह पाठ वीरशिरोमणि महाराज शिवाजी की बाल्यकाल की घटना पर आधारित है। समर्थ गुरु रामदास उदरपीड़ा का नाटक करके शिष्यों एवं भक्तों की परीक्षा लेते हैं। इन पंक्तियों में शिवाजी बाघिनी से कहते हैं
हिन्दी अनुवादः- माँ अपराध को क्षमा करें। मैं आपको कष्ट देने के लिए नहीं आया हूँ। मैं तो गुरु की उदर पीड़ा शान्त करने के लिए दूध लेने के लिए आया हूँ। माँ दूध दे दो। जिससे मेरे गुरुजी की उदर पीड़ा शान्त हो जाये।

(i) वत्स ! त्वमेवासि राष्ट्रस्य समुद्धारकः तव जन्मना धरेयं वीरप्रसविनी सञ्जाता। न वर्तते में कापि उदरपीडा। भक्त-परीक्षणार्थमेव मया सर्वमुपकल्पितम्। “जयतु जयतु शिववीरः” शिष्या समुद्घोष कुर्वन्ति।
प्रसङ्गः- ये पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के शिष्य-परीक्षाः पाठ से उद्धृत हैं। यह पाठ वीरशिरोमणि शिवाजी महाराज की बाल्यकाल की एक घटना पर आधारित है। इसमें शिवाजी का साहस, वीरता तथा गुरुभक्ति का परिचय देते हुए कहा है। गुरु समर्थ रामदास कहते हैं|
हिन्दी-अनुवादः- बेटा ! तुम्हीं राष्ट्र का उद्धार करने वाले हो। तुम्हारे जन्म से यह पृथ्वी वीरों को जन्म देने वाली हो गई। मेरे कोई उदर पीड़ा नहीं है। भक्तों की परीक्षा के लिए ही मैंने इस सबकी कल्पना की थी।
शिवाजी – विजयी रहें, शिवाजी की जय हो जय हो। शिष्य नारे लगाते हैं।

व्याकरणात्मक प्रश्नोत्तराणि –

प्रश्न 6.
अधोलिखितपदेषु शब्द-लिंग-विभक्ति-वचनानां निर्देशं कुरुत- (निम्न पदों में शब्द, लिंग, विभक्ति, वचनों का निर्देश कीजिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 शिष्य-परीक्षा 1
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 शिष्य-परीक्षा 2

प्रश्न 7.
अधोलिखितपदेषु धातु-लकार-पुरुष-वचनानां निर्देशं कुरुत- (निम्न पदों में धातु, लकार, पुरुष और वचन बताइए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 शिष्य-परीक्षा 3

प्रश्न 8.
अधोलिखित पदेषु उपसर्ग-धातु-प्रत्ययः लेख्याः- (निम्न पदों में उपसर्ग, धातु, प्रत्यय लिखिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 शिष्य-परीक्षा 4

प्रश्न 9.
निम्नलिखित पदानां सन्धि-विच्छेदं कृत्वा सन्धि नाम निर्देशं कुरुत- (निम्न पदों का सन्धि-विच्छेद करके सन्धि का नाम बताइए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 शिष्य-परीक्षा 5
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 शिष्य-परीक्षा 6

प्रश्न 10.
निम्नाङ्कितानां पदानां समास-विग्रहं कृत्वा समासनामापि लिखत – (निम्न पदों का समास-विग्रह करके समास का नाम भी लिखिए-‘)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 शिष्य-परीक्षा 7

प्रश्न 11.
निम्नांकितपदानां विलोम शब्दाः लेख्याः- (निम्न पदों के विलोम शब्द लिखिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 शिष्य-परीक्षा 8

प्रश्न 12.
अधोलिखितानां पदानां प्रयोगं कृत्वा वाक्य-निर्माणं कुरुत- (निम्न पदों का प्रयोग कर वाक्य निर्माण कीजिए-)
उत्तरम्:
RBSE Solutions for Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 शिष्य-परीक्षा 9

RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 16 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि

प्रश्न 1.
समर्थ गुरु रामदासः स्वशिष्यैः परिवृतः कस्मात् उपविष्टः आसीत्? (समर्थ गुरु रामदास अपने शिष्यों से घिरे हुए किसलिए बैठे थे?).
उत्तरम्:
समर्थगुरु रामदासः स्वशिष्यैः परिवृत: शिष्यपरीक्षार्थम् उपविष्टः आसीत्। (समर्थ गुरु रामदास अपने शिष्यों से घिरे हुए शिष्यों की परीक्षा के लिए बैठे थे।)

प्रश्न 2.
कीदृशाः शिष्याः गुरोर्मुखं वीक्ष्यमाणाश्चासन्? (कैसे शिष्यं गुरु के मुख की ओर देख रहे थे।)
उत्तरम्:
सच्चरित्राः विनयावनताः शिष्याः गुरोर्मुखं वीक्ष्यमाणाश्चासन्। (सच्चरित्र, विनयानवत शिष्य गुरु के मुख की ओर देख रहे थे।)

प्रश्न 3.
सर्वेशिष्याः किं वीक्ष्ये सहसा स्तब्धा अभवन्? (सभी शिष्य क्या देखकर स्तब्ध हो गये।)
उत्तरम्:
सर्वे शिष्याः गुरोः वर्धमानाम् उदारपीडां वीक्ष्य सहसा स्तब्धा अभवन्। (सभी शिष्य गुरु की बढ़ती हुई उदरपीड़ा को देखकर सहसा स्तब्ध हो गये।)

प्रश्न 4.
विस्मिताः शिष्याः कथं चिन्तयन्ति? (आश्चर्यचकित शिष्य कैसे सोचते हैं?)
उत्तरम्:
विस्मिताः शिष्याः स्वस्वमस्तकेषु हस्तं निधाय चिन्तयन्ति। (आश्चर्यचकित शिष्य अपने-अपने मस्तक परं हाथ रखकर सोचते हैं।)

प्रश्न 5.
किं गुरु रामदासस्य पूर्वमपि कदाचित् संजाता-भीषण पीडा? (क्या गुरु रामदासके पहले भी कभी भीषण पीड़ा हुई थी?)
उत्तरम्:
पूर्वं कदापि न सजाता। (पहले कभी नहीं हुई।)।

प्रश्न 6.
रामदासस्य उदरपीड़ा कीदृशी आसीत्? (रामदास की उदरपीड़ा कैसी थी ?)
उत्तरम्:
इयम् असाधारणी एवं प्राणान्तकी पीड़ा आसीत्। (यह असाधारण एवं प्राणान्तक पीड़ा थी।)

प्रश्न 7.
शिष्याः गुरोः वचनं श्रुत्वा कीदृशाः अभवन्? (शिष्य गुरु के वचन सुनकर कैसे हो गये?)
उत्तरम्:
शिष्याः गुरोः वचनं श्रुत्वा विषण्णमुखाः अभवन्। (शिष्य गुरु के वचनों को सुनकर उदास मुख वाले हो गये।)

प्रश्न 8.
केषां सविधे उदरपीडा शान्तये विविधाः प्रयोगाः सन्ति? (किनके पास उदर पीड़ा शान्ति के लिए विविध उपाय हैं?)
उत्तरम्:
वैद्यवराणां सविधे उदर पीड़ा शान्तये विविधाः प्रयोगाः सन्ति। (वैद्यराजों के पास उदर पीड़ा शान्ति के विविध प्रयोग हैं।)

प्रश्न 9.
शिष्याः औषधिमानेतुं कथमुत्सकाः आसन्? (शिष्य औषधि लाने के लिए कैसे उत्सुक थे?)
उत्तरम्:
सर्वे शिष्याः औषधिम् आनेतुं ‘अहं पूर्वं अहं पूर्वं’ इति गुरोराज्ञां प्रतीक्षन्ते। (सभी शिष्य औषधि लाने के लिए ‘पहले मैं, पहले मैं इस प्रकार गुरु की आज्ञा की प्रतीक्षा में थे।)

प्रश्न 10.
शिवः कथम् उपविष्टः आसीत्? (शिवाजी कैसे बैठे थे?)
उत्तरम्:
शिवः तु विनम्र: सन् उपविष्टः आसीत्। (शिवाजी विनम्र होकर बैठे थे।)

प्रश्न 11.
रामदासः औषधस्य विषये किम् अकथयत्? (रामदास ने औषधि के विषय में क्या कहा?)
उत्तरम्:
सोऽकथयत् औषधं तु वर्तते परन्तु तदानयने न कोऽपि समर्थः। (उन्होंने कहा-औषध तो है परन्तु उसे लाने में कोई समर्थ नहीं है।)

प्रश्न 12.
शिष्याः कथम् औषधम् आनेतुम् समर्थाः भविष्यन्ति? (शिष्य औषध लाने में कैसे समर्थ थे?)
उत्तरम्:
शिष्याः सर्वे मिलित्वा तदौषधमानेतुं समर्थाः भविष्यन्ति। (शिष्य सभी मिलकर औषध को लाने में समर्थ होंगे।)

प्रश्न 13.
शिष्य परीक्षार्थं रामदासः किं समुद्घोषयति? (शिष्य परीक्षा के लिए रामदास ने क्या घोषणा की?)
उत्तरम्:
इयं न शाम्यते पीड़ा चूर्ण आसवरसायनैः। शान्ता स्यान्मे च पीडेयं व्याघ्री दुग्धेन केवलम्। (यह पीड़ा चूर्ण आसव, रसायनों से शान्त नहीं होगी, केवल व्याघ्री दूध से शान्त होगी)

प्रश्न 14.
गुरोः समुद्घोषणां वीक्ष्य शिष्याः कीदृशाः अभवन्? (गुरु की सम्यग् उद्घोषणा को देखकर शिष्य कैसे हो गये?)
उत्तरम्:
गुरोः समुद्घोषणां वीक्ष्य शिष्याः लज्जावनतमुखाः अभवन्। (गुरु की सम्यक् घोषणा को सुनकर शिष्य लज्जा से नतमस्तक हो गये।)

प्रश्न 15.
शिवः किं कुर्वन् प्रतिज्ञां करोति? (शिवाजी क्या करते हुए प्रतिज्ञा करते हैं?)
उत्तरम्:
शिवः गुरुचरणान् स्पृशन् प्रतिज्ञां करोति। (शिवाजी गुरुचरणों का स्पर्श करके प्रतिज्ञा करते हैं।)

प्रश्न 16.
शिवः गुरुचरणान् स्पृशन् कां प्रतिज्ञा करोति? (शिवाजी गुरुजी के चरण स्पर्श करते हुए क्या प्रतिज्ञा करते हैं?)
उत्तरम्:
शिवः गुरुचरणान् स्पृशन् प्रतिज्ञां करोति यत्-गुरुवर्यः अहम् आनयामि सम्प्रत्येव व्याघ्रीदुग्धम्। (शिवाजी ने गुरुजी के चरणस्पर्श करते हुए प्रतिज्ञा की कि मैं व्याघ्री का दूध अभी लाता हूँ।)

प्रश्न 17.
प्रतिज्ञां कृत्वा शिवः किमकरोत्? (प्रतिज्ञा करके शिवाजी ने क्या किया?)
उत्तरम्:
सः हस्ते पात्रं नीत्वा भीमगर्जनं कुर्वन् वनाभिमुखं प्रतस्थे। (वह हाथ में पात्र लेकर भयंकर गर्जना करते हुए वन की ओर चल पड़ा।)

प्रश्न 18.
शिवस्य प्रतिज्ञां श्रुत्वा सर्वे शिष्याः कीदृशाः अभवन्? (शिवाजी की प्रतिज्ञा को सुनकर सभी शिष्य कैसे हो गये?)
उत्तरम्:
प्रतिज्ञां श्रुत्वा सर्वे शिष्याः लज्जिताः सन्तः शिवमुखं प्रति पश्यन्ति। (प्रतिज्ञा को सुनकर सभी शिष्य लज्जित हुए शिवाजी के मुख की ओर देखते हैं।)

प्रश्न 19.
गुहायाः मुखे शिववीरः किम् अपश्यत्? (गुफा के द्वार पर शिवाजी ने क्या देखा?)
उत्तरम्:
भीषणे वने शिवः गुहामुखे एकाकी क्रीडन्तं व्याघ्री-शिशुमपश्यत्। (भयंकर वन में शिवाजी ने गुफा के द्वार पर अकेले खेलते हुए व्याघ्री शिशु को देखा।)

प्रश्न 20.
सिंहशिशुम् अवलोक्य शिवः किमचिन्तयत् ? (सिंह शिशु को देखकर शिवाजी ने क्या सोचा?)
उत्तरम्:
शिवोचिन्तयत्-गुरोः कृपया मे मनोभिलाषः पूर्णः। (शिवाजी सोचने लगे कि गुरुजी की कृपा से मेरे मन की अभिलाषा पूर्ण हो गई।)

प्रश्न 21.
व्याघ्री शिशुम् अवलोकय शिवः किं निश्चितवान्? (व्याघ्री शिशु को देखकर शिवाजी ने क्या निश्चय किया?)
उत्तरम्:
शिवः व्याघ्री शिशुम् अवलोक्य निश्चितवान् यत् गुहायाम् व्याघ्री अवश्यमेव भवेयम् तेन व्याघ्री दुग्धं लभेम। (शिवाजी ने व्याघ्री के शिशु को देखकर निश्चित किया कि गुफा में व्याघ्री अवश्य ही होनी चाहिए तथा बाघिनी का दूध प्राप्त होना चाहिए।)

प्रश्न 22.
शिवे गुहायां प्रविशति तदा व्याघ्री कीदृशं व्यवहारम् अकरोत्? (शिवाजी के गुफा में प्रवेश करने पर व्याघ्री ने कैसा व्यवहार किया?)
उत्तरम्:
शिवे गुहायां प्रविशति व्याघ्री प्रकुपितेव ताम् हन्तुम् आगच्छति। (शिवाजी के गुफा में घुसने पर व्याघ्री प्रकुपित सी उसे मारने के लिए आयी।)

प्रश्न 23.
शिवः व्याघ्री कथं निवेदितवान्? (शिवाजी ने बाघिनी से कैसे निवेदन किया ?)
उत्तरम्:
शिवः निवेदितवान्-मातः ! अपराधं मे क्षमस्व! नाहं भवर्ती क्लेशमितुम् समागतोऽस्मि। मातः ! प्रयच्छ दुग्धम्। येन में गुरोः उदरपीड़ा शान्ताः भवेत्। (शिवाजी ने निवेदन किया कि माँ मेरा अपराध क्षमा करें। मैं आपको कष्ट देने नहीं आया। माँ! दूध दे दो जिससे मेरे गुरुजी की उदर पीड़ा शान्त हो जाये।)

प्रश्न 24.
शिवः कस्मै व्याघ्री दुग्धम् आनयति? (शिवाजी किसके लिए व्याघ्री का दूध लाते हैं?)
उत्तरम्:
शिवः गुरु उदरपीडां शमनीय व्याघ्री दुग्धम् आनयति। (शिवाजी गुरु की उदर पीड़ा के लिए व्याघ्री का दूध लाता है।)

प्रश्न 25.
अस्मिन् पाठे शिववीरस्य के गुणाः वर्णिताः? (इस पाठ में शिवाजी के किन गुणों का वर्णन है?)
उत्तरम्:
अस्मिन् पाठे शिवस्य वीरता, दृढ़प्रतिज्ञा, गुरुभक्ति अदम्य साहसादयः गुणाः वर्णिताः। (इस पाठ में शिवाजी में वीरता, दृढ़प्रतिज्ञा, गुरुभक्ति, अदम्य साहस आदि गुण वर्णित है।)

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