Rajasthan Board RBSE Class 12 Business Studies Chapter 15 माल एवं सेवा कर
RBSE Class 12 Business Studies Chapter 15 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
RBSE Class 12 Business Studies Chapter 15 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
माल एवं सेवा कर भारत में कब से लागू होगा। इसे देश में लागू करने की प्रक्रिया क्या होगी।
उत्तर:
माल एवं सेवा कर भारत में 1 जुलाई 2017 – 18 से लागू होगी। देश की 15 विधान सभाएँ अब तक जी एस टी सम्बन्धित संशोधन विधेयक को पारित कर चुकी हैं। अब राष्ट्रपति के मंजूरी मिलने के बाद संविधान संशोधन हो जायेगा। इसके बाद जी एस टी अधिनियम तथा आई जी एस टी अधिनियम को लोक सभा, राज्य सभा द्वारा पारित किया जायेगा। तथा सभी विधान सभाओं द्वारा भी इसे पारित किया जायेगा। कानून बनने के बाद सम्बन्धित नियम बनाते हुये इसे देशभर में लागू किया जायेगा।
प्रश्न 2.
माल एवं सेवाकंर का संक्षिप्त में परिचय दीजिये।
उत्तर:
माल एवं सेवाकर (जी एस टी) एक अप्रत्यक्ष कर है जो माल के उत्पादक एवं विक्रेता पर एक समान रूप से लगाया जायेगा यह कर माल एवं सेवा दोनों पर लगेगा। वर्तमान कर प्रणाली में इस प्रकार के तीन कर है – उत्पाद शुल्क, सेवाकर, राज्य वैट इन तीनों के स्थान पर यह अकेला कर है। तीन करों के स्थान पर एक कर होने से सरलता बढ़ेगी। जी एस टी में स्टेट जी एस टी एवं सेण्ट्रल जी एस टी दो तरह के कर वसूल करने होंगे जो व्यापारी अभी – एक वैट वसूल कर रहे हैं उन्हें जी एस टी के तहत दो प्रकार के कर वसूल करके जमा करने होंगे तथा दो – दो आगम कर जमा प्राप्त करनी होंगी पूरे विश्व में जहाँ भी जी एस टी लागू है वहाँ केवल एक जी एस टी ही लागू होता है लेकिन भारत में इसे परिवर्तित कर दोहरा जी एस टी लागू किया गया है।
प्रश्न 3.
माल एवं सेवाकर अधिनियम में मूल्य वर्धन पर किस प्रकार कर लगेगा। उदाहरण से समझाइये।
उत्तर:
जीएसटी एक तरह का मूल्य संबर्धित कर ही है जो एक बहुस्तरीय कर है यह किसी वस्तु या सेवा के विक्रय के प्रत्येक स्तर पर वर्धित मूल्य पर लगाया जाता है। वर्धित मूल्य से आशय किसी व्यापारी द्वारा माल या सेवा के मूल्य में जोड़े गये मूल्य से है।
उदाहरण – जैसे महेश किंसी माल या सेवा को Rs.8,000 में खरीदकर हमेन्त को को Rs.14,000 में बेचता है तो उसके द्वारा Rs.6,000. अपनी लागत एवं लाभ के जोड़े गये हैं यही उस वस्तु का वर्धित मूल्य होगा तथा इसी वर्धित मूल्य पर कर चुकाना होगा। जी एस टी केन्द्र की दर 12 प्रतिशत व राज्य जी एस टी की दर 6 प्रतिशत है तो जी एस टी की गणना निम्न प्रकार होगी –
(1) महेश द्वारा जो माल या सेवा खरीदी जायेगी उस पर जी एस टी आगम कर जमा बिल में निम्न प्रकार होगी –
(2) महेश द्वारा विक्रय पर जी एस टी निर्गम कर बिल में निम्न प्रकार होगी –
(3) महेश द्वारा देय जी एस टी की गणना निम्न प्रकार होगी –
प्रश्न 4.
जी एस टी की कोई चार विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
“आम आदमी के टैक्स का भार”
कम करेगा जी एस टी का विचार”
जी एस टी की चार विशेषताएँ निम्न हैं –
- यह बिक्री के स्थान के आधार पर लगने वाला कर है।
- यह बिक्री के प्रत्येक स्तर पर लगाया जाने वाला कर है।
- भिन्न – भिन्न प्रकार के टैक्सों की समाप्ति के बाद केवल एक ही कर जी एस टी लगाया जायेगा।
- जी एस जी दो स्तरों पर (दोहरी व्यवस्था) वसूल किया जावेगा (CGST एवं SGST)
प्रश्न 5.
जी एस टी में किन – किन वर्तमान करों को शामिल किया जायेगा?
उत्तर:
निम्न कर जी एस टी में शामिल किये जायेंगे अर्थात निम्न कर समाप्त होकर एक जी एस टी कर ही रहेगा।
केन्द्रीय कर –
- केन्द्रीय उत्पाद शुल्क।
- अतिरिक्त उत्पाद शुल्क।
- उत्पाद शुल्क जो मेडिसिन एवं टायलेटरीज प्रिपेरेशन कानून के तहत वसूल की जाती है।
- अतिरिक्त बीमा शुल्क
- सेवा कर
- सरचार्ज एवं सैस राज्य कर।
- स्टेट वैट विक्रय कर
- केन्द्रीय विक्रय कर
- क्रय कर
- मनोरंजन कर
- विलासिता कर
- एन्ट्री कर
- लाटरी, शर्त, एवं जुएँ पर लगने वाला कर
- सरचार्ज एवं सैस।
प्रश्न 6.
जी एस टी आई एन क्या है? समझाइये।
उत्तर:
GSTIN = Goods and Service Tax Identifcation Number.
प्रत्येक करदाता को GSTIN आबंटित होगा जो 15 अंकों का होगा जिनका ब्रेकअप अग्र प्रकार है –
- प्रथम दो अंक राज्य के होंगे जिसका कर दाता प्रतिनिधित्व करता है।
- अगले 10 अंक कर दाता के पैन नम्बर के होंगे।
- तेरहवां अंक पंजीकरण अन्तर्राज्यीय का है।
- चौदहवां अंक = by Defaut.
- अन्तिम अंक चैक कार्ड का होगा।
प्रश्न 7.
पंजीकरण हेतु आवेदन के साथ लगने वाले किन्हीं चार दस्तावेजों के नाम बताइये।
उत्तर:
पंजीकरण हेतु आवेदन के साथ लगने वाले निम्न चार दस्तावेजों के नाम हैं –
- फर्म के मुख्य स्थान के सबूत के रूप में यदि स्वयं का स्थान है तो मालिकाना हक से सम्बन्धित कागज व किराये के मामले में किरायानामा, यदि बिना किराये की जगह मिली है तो उससे सम्बन्धित सबूत।
- बैंक स्टेटमेन्ट की प्रति।
- अधिकृत प्रतिनिधि के सम्बन्ध में अधिकार पत्र।
- एकल व्यापारी, साझेदार, कर्ता, मैनेजिंग डायरेक्टर मैनेजिंग ट्रस्टी का फोटो।
RBSE Class 12 Business Studies Chapter 15 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
माल एवं सेवाकर का संक्षिप्त परिचय दीजिये। इसकी विशेषताओं को भी समझाइये।
उत्तर:
“एक देश एक टैक्स, एक बाजार”
“Our aim in economical and educational Impowerment of the poor, GST can help as to achieve this aim” – “Narendra Modi”
GST = Goods and Service Tax
जिसे राजकीय तौर पर The Constitution GST Bill 2014 कहा जाता है। यह एक अप्रत्यक्ष कर है जो व्यापक पैमाने पर पूरे देश के निर्माता, व्यापारी वस्तुओं और सेवाओं के उपभोक्ताओं पर लगेगा। यह टैक्स अन्य सभी Taxes को हटा देगा जो कि केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा लगाये जाते हैं। GST बिल लोकसभा में 6 मई, 2015 को तथा राज्य सभा में 3 अगस्त, 2016 को पास हुआ। केन्द्र सरकार जी एस टी बिल को 1 जुलाई 2017 – 18 से लागू करना चाहती है परन्तु इसे लागू करने से पहले संविधान में संशोधन होगा जिसके लिये 50% विधान मण्डलों की स्वीकृति आवश्यक है। केन्द्र सरकार GST के लिये दर का निर्धारण नहीं कर सकती।
GST बिल से पिछड़े राज्यों का विकास संभव है’ भारत में कई सामानों की कीमत विभिन्न राज्यों में अलग – अलग होती है परन्तु जी एस बिल लागू होने के बाद ऐसा नहीं होगा प्रत्येक उत्पाद पर लगने वाले Tax में केन्द्र और राज्य को बराबर – बराबर मिलेगा। स्पष्ट है कि राष्ट्र में वस्तु की कीमत एक जैसी करने के लिये जी एस टी आवश्यक है।
निष्कर्ष के रूप में जी एस टी भारत की अर्थव्यवस्था, व्यापार व विभिन्न व्यक्तियों पर काफी हद तक सकारात्मक प्रभाव होगा यह आम आदमी के लिये काफी फायदे भी देगा क्योंकि आम आदमी को सस्ती वस्तु को प्राप्त करने के लिये दूसरे राज्यों में जाने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि पूरे देश में वस्तु की कीमत समान होगी – इसीलिये यह बात GST से चरितार्थ होती है –
“एक देश, एक टैक्स, एक बाजार”, यह केन्द्र सरकार का एक सराहनीय कदम है।
जी एस टी की विशेषताएँ – जी एस टी की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं –
(1) यह बिक्री के स्थान के आधार पर लगने वाला कर है अर्थात एक राज्य के अन्दर या एक राज्य से दूसरे राज्य में बिक्री कर कने पर यदि एक राज्य के अन्दर बिक्री की जाती है तो GST लगेगा जिस पर केन्द्र और राज्य दोनों की हिस्सेदारी होगी। यदि एक राज्य से दूसरे राज्य में बिक्री होती है तो, IGST लगेगा।
(2) यह बिक्री के प्रत्येक स्तर पर लगेगा GST के अन्तर्गत माल जितनी बार बेचा जायेगा जी एस टी उतनी ही बार निर्धारित दर वे स्थान के आधार पर वसूल किया जायेगा परन्तु पूर्व में चुकाये गये क्रय के आधार पर जी एस टी का समायोजन किया जायेगा।
(3) सभी कर योग्य माल एवं सेवाएँ जो किसी प्रतिफल के लिये होती हैं उन पर यह लागू होगा। निम्न पर जी एस टी नहीं लगेगा
- कर मुक्त माल एवं सेवायें सी जी एस टी एवं एस जी एस टी के लिये एक समान सूची जारी होगी।
- माल एवं सेवायें जो जी एस टी की परिधि के बाहर होंगी।
- एक निर्धारित सीमा से कम लेनदेन ।
(4) दोहरा जी एस टी देश में लागू किया जावेगा – दोहरे जी एस टी का अर्थ है केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा वसूल किया जाने वाला जी एस टी, सेन्ट्रल जी एस टी केन्द्र द्वारा वसूल किया जायेगा (CGST), राज्य सी एस टी राज्य सरकारों द्वारा वसूला जायेगा (SGST).
(5) राज्य के भीतर होने वाली बिक्री या राज्य में प्रदान की जाने वाली सेवा पर SGST और CGST दोनों वसूल किये जायेंगे।
(6) अन्तर्राज्यीय बिक्री के मामले में IGST वसूल किया जायेगा जो कि केन्द्र सरकार द्वारा वसूला जायेगा।
(7) आई जी एस टी राज्य के बाहर से माल आयात करने पर लगेगा तथा माल या सेवाओं के अन्तर्राज्यीय स्टाक हस्तान्तरण पर भी वसूल किया जायेगा।
(8) देश के बाहर होने वाले निर्यात शून्य दर से कर योग्य होंगे। ऐसा होने से माल की खरीद पर इनपुट कर जमा का पुनर्भुगतान प्रतिदाय प्राप्त करने का अधिकार होगा।
(9) पूर्व में जो राज्य माल का निर्माता था उसे 10 प्रतिशत अतिरिक्त जी एस टी वसूल करने का अधिकार था परन्तु अब इसे वसूल नहीं करने का निर्णय किया गया है।
(10) निम्न को छोड़कर सभी माल एवं सेवाएँ जी एस टी के दायरे में आने की संभावना है।
- शराब – इस पर राजकीय उत्पाद शुल्क एवं वैट देय होगा।
- बिजली – इस पर बिजली शुल्क देय होगा।
- रियल एस्टेट इस पर प्रोपर्टी कर एवं स्टाम्प डयूटी देय होगा।
- पैट्रोलियम उत्पाद।
- तम्बाकू उत्पाद, सेन्ट्रल उत्पाद शुल्क विभाग के अधीन होंगे।
(11) निम्नलिखित कर जी एस टी में शामिल किये जायेंगे अर्थात जी एस टी वसूल करने के बाद में Tax समाप्त हो जायेगा एवं वसूल नहीं होंगे
केन्द्रीय कर –
- केन्द्रीय उत्पाद शुल्क
- अतिरिक्त उत्पाद शुल्क
- उत्पाद शुल्क जो मेडीसिन एवं टायलेटरीज प्रिप्रेरेशन कानून के तहत वसूल सीमा शुल्क।
- अतिरिक्त सीमा शुल्क
- सेवा कर
- सरचार्ज एवं सैस राज्य कर
- स्टेट वैट विक्रय कर
- केन्द्रीय विक्रय कर
- क्रय कर
- मनोरंजन कर
- विलासिता कर
- एन्ट्री कर
- लाटरी, शर्त एवं जुए पर लगने वाला कर सरचार्ज एवं सैस।
(12) जी एस टी की चार दरें निर्धारित होंगी –
- आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की दर
- सामान्य वस्तुओं एवं सेवाओं की प्रभापित दर
- कीमती धातुओं की विशेष दर
- शून्य दर।
(13) न्यूनतम कर योग्य राशि सी जी एस टी तथा एस जी एस टी दोनों पर लागू होगी, इसे 20 लाख रखा गया है अर्थात 20 लाख तक की बिक्री करने वाले व्यवहारी जी एस टी के दायरे में नहीं आयेंगे।
(14) कम्पोजीशन स्कीम उन व्यवहारियों के लिए होगी जिनकी एक सीमा तक कर योग्य विक्रय है. इसे 50 लाख रखे जाने का विचार है यानि ऐसे व्यवहारी एक मुश्त राशि जमा करा सकते हैं।
(15) वस्तुओं के वर्गीकरण के लिए एस एस एवं कोड इस्तेमाल किया जायेगा।
(16) सेवाओं के लिये वर्तमान कोडिंग सिस्टम उपयोग में लिया जायेगा।
(17) पूरे देश में उत्पाद या वस्तु की कीमत एक समान होगी।
(18) गरीब वर्ग, आम आदमी को फायदा होगा
(19) टैक्स प्रणाली में सुधार होगा।
प्रश्न 2.
माल एवं सेवा कर के अधीन पंजीकरण प्रक्रिया को समझाइये।
उत्तर:
पंजीकरण:
जी.एस.टी की वसूली केन्द्र एवं राज्य दोनों सरकारों द्वारा की जायेगी लेकिन व्यवहारी को केवल एक ही ऑन लाइन पंजीकरण लेना होगा तथा एक ही रिटर्न भरनी होगी। जी एस टी का कम्प्यूटर सिस्टम केन्द्र एवं राज्य से सम्बन्धित जानकारी उनके बीच में बांट देगी। कोई भी व्यक्ति जो वर्तमान में वैट के तहत अपने राज्य में पंजीकृत है उसे स्वत: ही जी एस टी पंजीकरण नम्बर जारी कर दिया जायेगा लेकिन पंजीकरण जारी करने से पहले उससे कुछ अतिरिक्त जानकारी मांगी जायेगी तथा वह जानकारी प्रस्तुत करने के पश्चात ही उसे जी एस टी पंजीकरण नम्बर जारी किया जायेगा।
जी एस टी पंजीकरण पैन कार्ड नम्बर पर आधारित होगा। जी एस टी पंजीकरण नम्बर 15 अंकों का होगा। पंजीकरण नम्बर इस प्रकार होगा –
वर्तमान पंजीकृत व्यवहारियों की स्थिति जो व्यवहारी वर्तमान वैट या उत्पाद या सर्विस कर कानून में पंजीकृत हैं, उनकी समस्त जानकारी जीएसटी कॉमन पोर्टल पर उपलब्ध हो जायेगी तथा उनका जी एस टी आई एन जनरेट हो जायेगा। अभी कुछ करदाता राज्य या केन्द्रीय कर के तहत पंजीकृत हैं या कुछ करदाता दोनों में ही पंजीकृत हैं जी एस टी कानून में व्यवहारी को राज्य जीएसटी के तहत ही पंजीकृत किया जायेगा। एक राज्य में एक व्यवहारी चाहे तो एक रजिस्ट्रेशन कराये या अपने अलग अलग व्यवसायों के लिए अलग अलग पंजीकरण कराये इस बात की उसे छूट मिलेगी। पंजीकरण डेटा को राष्ट्रीय प्रतिभूति डिपॉजिटरी लिमिटेड एवं जी एस टी एन दोनों उपयोग करेंगे।
जिन व्यवहारियों का डेटा पूरा उपलब्ध नहीं होगा उन्हें अखबार में विज्ञापन देकर सूचित किया जायेगा तथा निश्चित अवधि में उन्हें अपना डेटी विभाग की वेबसाइट पर पूरा करना होगा। इसके बाद पूरा डेटा राज्यों को भेजा जायेगा जो उस डेटा की जांच करेंगे। यदि कोई व्यवहारी निर्धारित अविध में डेटा अपडेशन नहीं करेगा तो उसका पंजीकरण स्थगित कर दिया जायेगा और स्थगन जारी रहेगा।
नये व्यवहारियों का पंजीकरण – ऐसे व्यवहारी जो जी एस टी में पहली बार नया पंजीकरण कराना चाहते हैं उन्हें जी एस टी पोर्टल पर जाकर अपना पंजीकरण करवाना होगा। यदि कोई व्यक्ति एक ही राज्य में एक से ज्यादा पंजीकरण कराना चाहता है या अलग अलग राज्यों में पंजीकरण कराना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है। आवेदन के साथ लगने वाले दस्तावेज प्रत्येक व्यवहारी को ऑन लाइन आवेदन के साथ निम्न दस्तावेज की स्कैन प्रतिलिपि लगानी होगी –
(1) साझेदारी फर्म यदि है तो साझेदारी संलेख, सोसाइटी ट्रस्ट के मामले में पंजीकरण प्रमाण पत्र, कम्पनी के मामले में एमसीए 21 से आन लाइन जाँच की जायेगी कोई दस्तावेज लगाने की आवश्यकता नहीं है।
(2) कार्य के मुख्य स्थान के सबूत के रूप में यदि स्वयं का स्थान है तो मालिकाना हक से संबधित कागज या किराये के मामले में किरायानामा, यदि बिना किराये की जगह मिली है तो उससे सम्बन्धित सबूत लगाने होंगे।
(3) बैंक स्टेटमेन्ट की प्रति।
(4) अधिकृत प्रतिनिधि के सम्बन्ध में अधिकार पत्र।
(5) एकल व्यापारी, साझेदार, कर्ता, मैनेजिंग डायरेक्टर, मैनेजिंग ट्रस्टी की फोटो. आदि दस्तावेज संलग्न करने होंगे।
जी एस टी इन तमाम सूचनाओं को केन्द्र राज्य अधिकारिणी विभाग को भेजेगा जो सम्बन्धित न्यायिक अधिकारी का देंगे, तीन दिन में रिपोर्ट प्रेषित की जायेगी यदि दी गयी जानकारी सही पायी जाती है तो पोर्टल पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी कर देगा यदि जानकारी में कोई अन्तर या कमी पायी जाती है तो या तो अधिकारी सीधे ही आवेदक को जानकारी दे देंगे या कीमत पोर्टल के जरिये इसकी सूचना आहार्थी तक पहुँचा दी जायेगी।
यदि केन्द्र का कोई अधिकारी कोई कमी निकालता है तो इसकी जानकारी राज्य विभाग को भी दी जायेगी यदि राज्य का कोई अधिकारी, कोई कमी निकालता है तो केन्द्र जी एस टी को सूचना दी जायेगी। उपरोक्त से स्पष्ट है कि राज्य एवं केन्द्र दोनों ही जी एस टी विभाग पंजीकरण आवेदन की जाँच करेंगे। इस प्रकार प्रक्रिया पूर्ण करने पर जी एस टी में पंजीकरण होगा।
प्रश्न 3.
दोहरा जी एस टी क्या है? यह किस प्रकार भारत में लागू किया जायेगा? विस्तृत रूप से समझाइये।
उत्तर:
दोहरा जी एस टी:
विश्व के अन्य सभी देशों में जहाँ जी एस टी वसूल किया जाता है वहाँ एक ही तरह की कार्य प्रणाली है अर्थात वहाँ, की केन्द्र सरकार ही इस कर को वसूल करती है परन्तु विश्व में भारत एक ऐसा देश है जहाँ केन्द्र सरकार ही नहीं बल्कि राज्य सरकार भी जी एस टी वसूल करनी है।
दोहरा जी एस टी का अर्थ है – केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा वसूल किया जाने वाला जी एस टी माना कि कुल जी एस टी अर्थात केन्द्र द्वारा वसूला जाने वाला व राज्य द्वारा वसूला जाने वाला कुल योग अन्य देशों के कुल जी एस टी जो कि वहाँ या उस देश की केन्द्र सरकार द्वारा वसूला जाता है के लगभग बराबर होता है।
परन्तु भारत में जी एस टी निम्न प्रकार वसूला जाता है और कहा जाता है –
- सी जी एस टी – जो सी जी एस टी केन्द्र सरकार द्वारा वसूल किया जाये इसे कहते हैं।
- एस जी एस टी – जो एस जी एस टी राज्य सरकार द्वारा वसूल किया जाये उसे के नाम से जाना जाता है।
यह जी एस टी केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा वर्तमान में वसूल किये जा रहे समस्त करों को समाप्त कर नये कर (GST) के रूप में एक ही कर वसूल किया जायेगा तभी तो यह कहा जा रहा है –
“एक देश, एक कर, एक बाजार”
निम्न से और समझा जा सकता है।
CGST: Stand for Central GST
- This is applicable to Supplies within the state.
- A tax collected will be shared to centre.
SGST: Stand for State GST
- This is applicable to supplies within the state.
- A tax collected will be shared by the state.
IGST: Stand for Integrated GST
- This is Applicable on Interstate and Import transaction
- Tax collected will be shared by centre and state.
भारत में किस प्रकार लागू होगा जीएसटी में इनपुट कर जमा-जीएसटी में तीन प्रकार के कर लगाये जाने हैं। अन्तर्राज्यीय बिक्री पर आई जी एस टी देय होगा। राज्य के भीतर माल बेचने पर एस जी एस टी एवं सी जी.एस.टी दोनों कर देय होंगे। तीनों ही कर की राशि के अलग अलग खाते रखने होंगे तथा उन्हें निम्न प्रकार समायोजित किया जायेगा| आई जी एस टी की जमा – यदि कोई व्यापारी अन्तर्राज्यीय खरीद करता है जो उस पर आई जी एस टी का भुगतान किया गया हो तो उसका इनपुट कर जमा सबसे पहले देय आई जी एस टी के निर्गम कर से प्राप्त होगा।
इसके बाद सी जी एस टी के आउटपुट कर से तथा शेष बचे इनपुट को एस जी एस टी के आउटपुट कर से समायोजित किया जा सकता है। उदाहरण के लिये; जय एण्ड कम्पनी ने Rs.6,00,000 का माल दिल्ली से खरीदा जिस पर उसने 18 प्रतिशत की दर से Rs.1,08,000 आई जी एस टी का भुगतान किया। उसका माह के दौरान आई जी एस टी का आउटपुट कर Rs.55,000 बनता है सी जी एस टी का Rs.29,000 तथा एस जी एस टी का Rs.26,000 बनता है तो व्यापारी उपरोक्त आउटपुट कर में से इनपुट कर जमा निम्न प्रकार प्राप्त करेगा –
इस प्रकार समस्त समायोजन के पश्चात व्यापारी को एस एस जी एस टी 2,000 (26,000 – 24,000) जमा कराना होगा।
सी जीएसटी की जमा – यदि व्यापारी राज्य के भीतर माल की खरीद करता है तो उस पर उसने सी जी एस टी एवं एस जी एस टी दोनों कर चुकाये हैं। इस सी जी एस टी का इनपुट कर जमा सर्वप्रथम व्यापारी को सी जी एस टी के आउटपुट कर से प्राप्त होगा। सी जी एस टी के इनपुट जमा का लाभ एस जी एस टी के आउटपुट कर में से प्राप्त नहीं होगा।
एस जीएसटी की जमा – राज्य के भीतर माल खरीदने पर जो एस जी एस टी का भुगतान किया गया है उसका इनपुट कर जमा सर्वप्रथम एस जी एस टी के आउटपुट कर से प्राप्त होगा तथा शेष आई जी एस टी के आउटपुट केर से समायोजित किया जा सकता है। एस जी एस टी के इनपुट जमा का लाभ सी जी एस टी के आउटपुट कर से तथा सी जी एस टी के इनपुट का लाभ एस जी एस टी के आउटपुट कर से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 4.
जी एस टी के अधीन व्यापारी को कौन-कौन सी विवरणियाँ जमा करवानी पड़ती हैं। समझाइये।
उत्तर:
कर विवरणियाँ:
जी एस टी लागू होने के बादं व्यापारियों को मासिक रिटर्न भरना पड़ सकता है। अभी वैट एवं उत्पाद शुल्क में छोटे व्यापारियों को तिमाही रिटर्न भरनी पड़ती है तथा सर्विस कर में छमाही रिटर्न भरे जाने का प्रावधान है। प्रत्येक व्यवहारी को निम्न तीन रिटर्न विवरणी भरकर प्रस्तुत करनी होगी –
(1) बिक्री का विवरण (धारा 25) –
माह के दौरान माल की बिक्री या प्रदान की गई सेवा की जानकारी इस रिटर्न में प्रस्तुत करनी होगी। यह जानकारी माह की समाप्ति से 10 दिन के भीतर प्रस्तुत करनी होगी। इस रिटर्न में शून्य दर पर की गई बिक्री, अन्तर्राज्यीय बिक्री, क्रय वापसी, देश के बाहर निर्यात्, डेबिट नोट, क्रेडिट नोट, आदि सभी को शामिल करना होगा। इस जानकारी को क्रेता द्वारा धारा 26 में पेश की गई रिटर्न से मिलाया किया जायेगी तथा यदि कोई मिस मैच आता है तो उसे ठीक करने का मौका व्यवहारी का दिया जायेगा।
(2) खरीद का विवरण (धारा 26) – माह के दौरान खरीदे गये माल एवं प्रात की गई सेवाओं की जानकारी माह की समाप्ति से 15 दिन के भीतर देनी होगी। इसमें अन्तर्राज्यीय खरीद की जानकारी भी देनी होगी। ऐसी संस्थाए जिन पर रिवर्स चार्ज के तहत सेवा प्राप्तकर्ता को सेवाकर जमा कराना है उन सेवाओं की जानकारी अलग से देनी होगी। आपूर्ति के सम्बन्ध में कोई डेबिट नोट या क्रेडिट नोटं प्राप्त हुए हैं तो उनकी जानकारी भी देनी होगी। इस जानकारी को विक्रेता व्यवहारी द्वारा धारा 25 में प्रस्तुत बिक्री के विवरण से मिलान किया जायेगा तथा यदि कोई
अन्तर आता है तो उसे ठीक करने का मौका व्यवहारी को दिया जायेगा।
(3) मासिक विवरणी (धारा 27) – बिक्री एवं खरीद का विवरण क्रमशः 10 एवं 15 तारीख को प्रस्तुत करने के पश्चात व्यवहारी को 20 तारीख तक अपनी मासिक विवरणी ऑन लाइन प्रस्तुत करनी होगी। मासिक विवरणी में खरीद एवं बिक्री की जानकारी के अतिरिक्त इनपुट कर जमा, चुकाये गये कर की जानकारी एवं अन्य जानकारियाँ प्रस्तुत करनी होंगी। कम्पोजीशन स्कीम के तहत आने वाले व्यवहारी बिक्री विवरण, खरीद विवरण एवं विवरण को तिमाही आधार पर प्रस्तुत करेंगे।
विवरण प्रस्तुत करने से पूर्व देय कर जमा कराना आवश्यक है अन्यथा प्रस्तुत की गई विवरणी को अयोग्य करार दे दिया जायेगा। यदि किसी माह में कोई खरीद बिक्री नहीं है तब भी शून्य की विवरणी प्रस्तुत करना आवश्यक है। कर कटौती करने वाले व्यवहारियों को भी मासिक विवरणी भरनी होगी।
विवरणी समय पर न भरने पर लेट फीस –
यदि कोई व्यक्हारी अपनी विवरणी समय पर प्रस्तुत नहीं कर पाता है तो उस पर लेट फीस लगाये जाने का प्रावधान धारा 33 में किया गया है। धारा 25, 26 में बताये गये बिक्री एवं खरीद विवरण को समय पर प्रस्तुत न करने पर 100 प्रतिदिन अधिकतम 5000 की पेनल्टी लगाई जा सकती है। धारा 30 में प्रस्तुत की जाने वाले वार्षिक विवरणी को देरी से प्रस्तुत करने में देरी होने पर 100 प्रतिदिन की शास्ति (पेनल्टी) लगाई जा सकती है जो विक्रय राशि के 0.25 प्रतिशत तक अधिकतम हो सकती है।
RBSE Class 12 Business Studies Chapter 15 व्यावहारिक प्रश्न
प्रश्न 1.
यदि राजस्थान के एक निर्माता ने Rs.15,00,000 का कच्चा माल जयपुर के एक व्यापारी से खरीदा जिसने सी जी एस टी 12 प्रतिशत तथा राज्य जी एस टी 6 प्रतिशत लगाकर कच्चे माल का विक्रय किया। निर्माता ने इस कच्चे माल से वस्तु क की Rs.56,000 इकाइयाँ निर्मित र्की तथा Rs. 8,60,000 का अतिरक्त व्यय किया। उसने लाभ सहित सभी इकाइयों को Rs.25,00,000 में एक पंजीकृत व्यापारी को बेच दी तथा इस पर सी जी एस टी 12 प्रतिशत तथा राज्य जी एस टी 6 प्रतिशत वसूल की। देय कर की गणना कीजिये।
उत्तर:
(A) निर्माता द्वारा माल। सेवा खरीद पर जी एस टी आगम कर जमा बिल में निम्न प्रकार दर्शाया जायेगा –
(B) निर्माता द्वारा जो माल/सेवा बेची गयी पर जी एस टी निर्गम बिल में निम्न प्रकार दर्शाया जायेगा –
(C) निर्माता द्वारा देय जी एस टी की गणना निम्न प्रकार होगी –
प्रश्न 2.
राजस्थान के एक व्यापारी ने Rs.6,00,000 का माल जयपुर के एक व्यापारी से खरीदा जिस पर सी जी एस टी 12 प्रतिशत तथा एस जी एस टी 6 प्रतिशत लगाया गया है। व्यापारी ने इस माल का 3/4 भाग Rs.8,00,000 में एक पंजीकृत व्यापारी को राजस्थान में बेच दिया इस पर सी जी एस टी 12 प्रतिशत तथा एस जी एस टी 6 प्रतिशत वसूल की। शेष माल Rs.1,00,000 में मध्य प्रदेश के एक व्यापारी को बेच दिया इस पर आई जी एस टी 14 प्रतिशत वसूल की। देय कर की गणना कीजिये।
उत्तर:
(1) व्यापारी द्वारा माल खरीद पर जी एस टी आगम कर जमा बिल में निम्न प्रकार होगी –
(2) व्यापारी द्वारा विक्रय पर जी एस टी निर्गम कर बिल में निम्न प्रकार होगी –
(3) व्यापारी द्वारा देय जी एस टी को गणना –
RBSE Class 12 Business Studies Chapter 15 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1.
कौन – कौन से माल एवं सेवायें हैं जिनके जी एस टी के दायरे में नहीं आने की संभावना है।
उतर:
1. निम्नलिखित माल एवं सेवायें जिनके जी एस टी के दायरे में नहीं आने की संभावना हैं –
- शराब – इस पर राजकीय उत्पाद एवं वैट देय होगा।
- बिजली – इस पर बिजली शुल्क देय होगा।
- रियल एस्टेट इस पर प्रोपर्टी कर एवं स्टाम्प डयूटी देय होगा।
- पैट्रोलियम उत्पाद।
- तम्बाकू उत्पाद सेन्ट्रल उत्पाद शुल्क विभाग के अधीन होंगे।
उपरोक्त माल एवं सेवा में जी एस टी के दायरे से बाहर रखी गयी हैं।
प्रश्न 2.
जी एस टी के लाभ बताइये।
उत्तर:
जी एस टी के निम्नलिखित लाभ हो सकते है –
- भिन्न – भिन्न प्रकार के करों की समाप्ति, सभी करों को मिलाकर एक ही कर।
- निर्माता को अब एक ही टैक्स भरना होगा जिससे वस्तुओं के दामों में गिरावट आयेगी
- पूरे देश में एक – सा टैक्स होने के कारण देशी विदेशी दोनों प्रकार के व्यापारियों को लाभ होगा।
- भारत के सभी राज्यों के मध्य व्यवसाय करना और सरल हो जायेगा
- जी एस टी बिल के लागू होने से जीडीपी (GDP) में 1 से 2% की वृद्धि हो सकेगी।
(6) सभी राज्यों में दाम एक समान होंगे।
अन्त में जीएसटी के लाभों को इस प्रकार भी वर्णित किया जा सकता है –
“GST से टैक्स प्रणाली में सुधार है।
GST से भारत का उद्धार है”
“आम आदमी के टैक्स का भार
कम करेगा जीएसटी का विचार”
“एक देश, एक टैक्स, एक बाजार”
प्रश्न 3.
व्यवहारी का पंजीकरण कौन सी सरकार के हाथ में होता है पंजीकरण का एक नमूना बनाकर बताइये कि इन अंकों की पहचान क्या है?
उत्तर:
व्यवहारी का जीएसटी पंजीकरण राज्य सरकार के हाथ में होता है। राज्य जीएसटी विभाग व्यवहारी का पंजीकरण का कार्य करता है। पंजीकरण का एक नमूना निम्न प्रकार है –
इस प्रकार पंजीकरण में कुल 15 अंक होते हैं जिसमें 1, 2 स्टेट कोड, 3 से 12 पैन कार्ड नं., 13 Entity code राज्य के बाहर/भीतर Blank 14 एवं check code 15
इस प्रकार इनपकी पहचान की जाती है। इस प्रकार पंजीकरण में कुल 15 अंक होते हैं जिनमें 1, 2, स्टेट कोड 3 से 12 पैन कार्ड न., 13 Entity Code राज्य के बाहर/भीतर Blank 14 एवं Check code 15 इस प्रकार इनकी पहचान की जाती है।
प्रश्न 4.
मध्य प्रदेश के एक व्यापारी ने Rs.12,00,000 का माल ग्वालियर (मध्य प्रदेश के दूसरे व्यापारी से खरीदा जिसपर 12 प्रतिशत सी जी एस टी एवं 6 प्रतिशत एस जी एस टी चुकाया। व्यापारी ने इस माल का 1/3 हिस्सा गुजरात के एक व्यापारी को Rs.6,00,000 में देय दिया जिस पर 15% की दर से आई जी एस टी चुकाया। शेष माल ग्वालियर (म. प्र.) के ही व्यापारी को Rs.12,00,000 में बेच दिया जिस पर 12 प्रतिशत सी जी एस टी व 6 प्रतिशत एस जी एस टी चुकाया। देय कर की गणना कीजिये।
(1) व्यापारी द्वारा माल खरीद पर जी एस टी आगम कर जमा बिल में निम्न प्रकार दिखाया जायेगा –
(2) व्यापारी द्वारा विक्रय पर जीएसटी निर्गम कर बिल में निम्न प्रकार दिखाया जायेगा –
(3) व्यापारी द्वारा देय कर की गणना –
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