RBSE Class 6 Hindi व्याकरण कारक are part of RBSE Solutions for Class 6 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi व्याकरण कारक.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 6 |
Subject | Hindi |
Chapter | Hindi व्याकरण |
Chapter Name | कारक |
Number of Questions Solved | 7 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi व्याकरण कारक
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य में प्रयुक्त अन्य शब्दों के साथ उसका संबंध ज्ञात होता है, उसे ‘कारक’ कहते हैं। जैसे–राम ने रावण को मारा।
कारक आठ प्रकार के होते हैं। इन कारकों को ‘विभक्ति’ भी कहते हैं। प्रत्येक कारक का चिह्न निर्धारित है। कारकों के चिह्नों को विभक्ति–चिह्न भी कहते हैं।
कारक एवं उनके चिह्न
- कर्ता कारक (चिह्न-ने) – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, उसे ‘कर्ता कारक’ कहते हैं। जैसे-‘”राम ने पत्र लिखा।”
- कर्म कारक (चिह्न-को) – वाक्य में प्रयुक्त जिस शब्द पर कर्ता द्वारा किये जाने वाले कार्य का फल पड़ता है, उसे ‘कर्म कारक’ कहते हैं। जैसे-“राम ने रावण को मारा।”
- करण कारक (चिहन-से, के – वाक्य में प्रयुक्त कर्ता जिसकी सहायता से क्रिया करता है, उसे करण कारक कहते हैं। जैसे “राम ने कलम से पत्र लिखा।”
- संप्रदान कारक (चिह्न-के लिए) – वाक्य में प्रयुक्त कर्ता जिसके लिए कोई क्रिया करे, उसे ‘संप्रदान कारक कहते हैं। जैसे-“चिड़िया बच्चों के लिए दाना लाती है।”
- अपादान कारक (चिह्न-से’-अलग होना) – जिससे किसी वस्तु का अलग होना ज्ञात हो, उसे अपादान कारक कहते हैं। जैसे-“राम पेड़ से गिर पड़ा।”
- संबंध कारक (चिह्न-का, की, के, रा, री, रे) – संज्ञा या सर्वनाम के उस रूप को, जिससे उसके किसी वस्तु या व्यक्ति के साथ संबंध का बोध होता है, ‘संबंध कारक’ कहते हैं। जैसे- “राम का भाई आ रहा है।”
- अधिकरण कारक (चिह्न-में, पे, पर) – जिन शब्दों से क्रिया के आधार का बोध होता है, वे अधिकरण कारक होते हैं। जैसे–“माँ कुर्सी पर बैठी है।” “बच्चा पालने में झूल रहा है।”
- संबोधन कारक (चिह्न-हे ! रे ! अरे ! ओ !) – वाक्य में संज्ञा के जिस रूप से उसे बुलाने, पुकारने या सावधान रहने का बोध होता है, उसे संबोधन कारक कहते हैं। जैसे-“अरे मोहन ! यहाँ आओ।’
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कारक किसे कहते हैं? परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य में प्रयुक्त अन्य शब्दों के साथ उसका संबंध ज्ञात होता है, उसे कारक कहते हैं।
प्रश्न 2.
अपादान कारक को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जिससे किसी वस्तु का अलग होना ज्ञात हो, उसे अपादान कारक कहते हैं। जैसे- शिक्षक विद्यालय से चले गये।
प्रश्न 3.
गिरीश, मुझे अपनी पुस्तक दो।’ इस वाक्य में गिरीश का कारक होगा –
(क) कर्ता कारक
(ख) कर्म कारक
(ग) संबोधन कारक
(घ) अधिकरण कारक
उत्तर:
(ग) संबोधन कारक।
प्रश्न 4.
राजू ने लाठी से साँप को मार दिया।’ इस वाक्य में लाठी से’ में कारक है
(क) कर्म कारक
(ख) करण कारक
(ग) अपादान कारक
(घ) संबंध कारक।
उत्तर:
(ख) करण कारक।
प्रश्न 5.
‘के लिए’ अर्थ का बोध कराने वाला कारक होता
(क) अपादान कारक
(ख) करण कारक
(ग) संप्रदान कारक
(घ) कर्ता कारक
उत्तर:
(ग) संप्रदान कारक
प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों के गहरे काले छपे शब्दों में प्रयुक्त कारकों के नाम लिखिए
(क) मोहन कलम से लिखता है।
(ख) बंदर पेड़ से गिर पड़ा।
(ग) डाल पर चिड़ियाँ गाती हैं।
(घ) अरे सुनील ! इधर आओ।
(ङ) कुत्ता कार में बैठा है।
(च) मोहन ने पुस्तक पढी।
उत्तर:
(क) करण
(ख) अपादान
(ग) अधिकरण
(घ) संबोधन
(ङ) अधिकरण
(च) कर्ता
प्रश्न 7.
निम्नलिखित कारक-चिह्नों के आगे उनके कारक का नाम लिखिए-से, द्वारा, रा, री, रे, से-पृथक् होना, को।
उत्तर:
से, द्वारा = करण कारक। रा, री, रे = संबंध कारक। से-पृथक् होना = अपादान कारक। को = कर्म कारक।
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