• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 12 सुभाषितानि

April 1, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 12 सुभाषितानि is part of RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 6 Sanskrit Chapter 12 सुभाषितानि.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 6
Subject Sanskrit
Chapter Chapter 12
Chapter Name सुभाषितानि
Number of Questions 30
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 6 Sanskrit Chapter 12 सुभाषितानि

पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत- (उच्चारण कीजिए)।
अभिवादनशीलस्य वृद्धोपसेविनः आयुर्विद्यायशोबलम्। मूर्खशतान्यपि एकश्चन्द्रस्तमो सम्प्राप्ते। विद्वत्वम् नृपत्वम् प्रज्ञा लोचनाभ्याम् श्रोत्रस्य श्वाननिद्रस्तथैव।
उत्तर:
छात्रीः स्वयमेव उच्चारणं कुर्वन्तु। (छात्र स्वयं
उच्चारण करें।)

प्रश्न 2.
चित-उत्तरस्य क्रमाक्षरं कोष्ठके लिखत-(उचित उत्तर के क्रमाक्षर को कोष्ठक में लिखिए-)
(अ) अभिवादनशीलस्य चतुषु किं न वर्धते ?
(अभिवादनशील का चारों में क्या नहीं बढ़ता है ?)
(क) आयुः
(ख) विद्या
(ग) यशः
(घ) साहसम्
उत्तर:
(घ) साहसम्

(आ) मानः धनम् अस्ति-(सम्मान ही धन है)
(क) अधमानाम्
(ख) उत्तमानाम्
(ग) मध्यमानाम्
(घ) सर्वेषाम्।
उत्तर:
(ख) उत्तमानाम्

(इ) सत्यं भूषणम् अस्ति-(सत्य ही आभूषण है)
(क) हस्तस्य
(ख) नेत्रस्य
(ग) कण्ठस्य
(घ) श्रोत्रस्य
उत्तर:
(ग) कण्ठस्य

प्रश्न 3.
एकेनपदेन उत्तरत-(एक पद में उत्तर दीजिए-)
(क) विद्वान् कुत्र पूज्यते ? (विद्वान कहाँ पूजा जाता है ?)
(ख) काक-पिकयोः भेदः कदा ज्ञायते। (कौआ और कोयल का भेद कब मालूम होता है।)
(ग) हस्तस्य भूषणं किम् ? (हाथ का आभूषण क्या है ?)
(घ) के मानम् एव इच्छन्ति ? (कौन सम्मान ही चाहते हैं?)
(ङ) विद्यार्थिनः कति लक्षणानि ? (विद्यार्थी के कितने लक्षण हैं ?)
उत्तर:
(क) सर्वत्र
(ख) वसन्तकाले
(ग) दानं
(घ) उत्तमाः
(ङ) पञ्च

प्रश्न 4.
परस्परं सुमेलयत- (परस्पर मिलाइए)
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 12 सुभाषितानि 1

प्रश्न 5.
रेखाङ्कितपदानाम् अशुद्धि संशोधनं कृत्वा शुद्धं वाक्यं लिखत(रेखांकित शब्दों की अशुद्धि संशोधन करके शुद्ध वाक्य लिखिए-)
(क) काकः कृष्णः पिकः कृष्णं भवति।
(ख) लोचनाभ्यां विहिनात् दर्पणः किं करिष्यति ?
(ग) श्रोत्रं भूषणं शास्त्रं भवति।
(घ) अधम: धनमिच्छन्ति।
उत्तर:
(क) काकः कृष्णः पिकः कृष्णः भवति।
(ख) लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति ?
(ग) श्रोत्रस्य भूषणं शास्त्रं भवति।
(घ) अधमाः धनमिच्छन्ति।

प्रश्न 6.
अधोलिखितानां पदानां विभक्तिं वचनं च लिखत(नीचे लिखे पदों के विभक्ति और वचन लिखिए-)
उत्तर:
  पदम्                  विभक्तिः               वचनम्
RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 12 सुभाषितानि 2

योग्यता-विस्तार

1. प्रिय छात्रो ! तुम सबने इस पाठ में नीतिपूर्ण दस श्लोकों को पढ़ा। संस्कृत साहित्य में नीतियुक्त ऐसे श्लोकों का अतुल्य भण्डार है। उनके खोजने से और अभ्यास से तुम सबकी योग्यता और ज्ञान में वृद्धि होगी। इसलिए अधिक से अधिक श्लोकों के संग्रह के लिए प्रयत्न कीजिए।

2. कुछ अन्य श्लोक यहाँ दिये जाते हैं, इनको भी पढ़िए
षडेव तु गुणाः पुंसा न हातव्याः कदाचन।
सत्यं दानमनालस्यमनसूया क्षमा धृतिः।
1. अर्थ – मनुष्य को ये छ: गुण कभी नहीं छोड़ने चाहिए| सत्य, दान, आलस्य न करना, किसी से ईष्र्या न करना, क्षमा, धैर्य।

वृत्तं यत्नेन संरक्षेत्, वित्तमेति च याति च।।
अक्षीणो वित्ततः क्षीणः, वृत्ततस्तु हतो हतः ॥

2. अर्थ – चरित्र की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए, धन तो
आता और चला जाता है। धन नष्ट होने पर कुछ नहीं नष्ट हुआ परन्तु चरित्र के नष्ट होने पर मरे हुए के समान है। न कश्चित् कस्यचिन्मित्रं न कश्चित् कस्यचित् रिपुः। व्यवहारेण मित्राणि जायन्ते रिपवस्तथा॥

3. अर्थ – न कोई किसी का मित्र है, न कोई किसी का शत्रु है, व्यवहार से ही मित्र और शत्रु पैदा होते हैं। अर्थात् व्यवहार से ही बनाये जाते हैं।

प्रश्न 3.
अन्य दो श्लोकों का संग्रह करके यहाँ लिखिए
उत्तर:
1. अयं निज परोवेति गणनां लघुचेतशाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥
2. सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न च सत्यम् अप्रियम्।
प्रियं अनृतं न ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हस्तस्य भूषणं किम् अस्ति ?
(क) घटिका
(ख) कङ्गनं
(ग) पुण्यं
(घ) दानम्
उत्तर:
(घ) दानम्

प्रश्न 2.
उत्तमाः किम् इच्छन्ति ?
(क) धनं
(ख) मानं
(ग) स्वर्ण
(घ) रुप्यकानि
उत्तर:
(ख) मानं

प्रश्न 3.
राजा कुत्र पूज्यते ?
(क) गृहे
(ख) विदेशे
(ग) स्वदेशे
(घ) परदेशे
उत्तर:
(ग) स्वदेशे

प्रश्न 4.
वसन्तकाले कयो: भेदः जायते ?
(क) पिककाकयोः
(ख) काकः कृष्ण
(ग) पिकः कृष्णः
(घ) उभयो।
उत्तर:
(ग) पिकः कृष्णः

रिक्तस्थानानि पूरयत|
(क) अभिवादनशीलस्य ……………….. वृद्धोपसेविनः। ……………… च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन।
(ग) लोचनाभ्यां विहीनस्य ……………. किं करिष्यति।
(घ) अधनस्य कुतो मित्रम् ……………… कुतः सुखम्।
उत्तर:
(क) नित्यं
(ख) विद्वत्वं
(ग) दर्पण:
(घ) अमित्रस्य।

लघु उत्तरीय प्रश्न

(क) पिककाकयोः भेदः कदा ज्ञायते ?
(ख) कः अन्धकारः नाशयितुम् समर्थः भवति ?
(ग) अभिवादनशीलस्य किं वर्धन्ते ?
(घ) छात्रस्य लक्षणं वदतु
उत्तर:
पिककाकयोः भेदः वसन्तकाले ज्ञायते।
(ख) एकः चन्द्रः अन्धकारः नाशयितुम् समर्थः भवति।
(ग) अभिवादनशीलस्य आयुः विद्याः, यश: बलं च वर्धन्ते।
(घ) छात्रस्य लक्षणं काकचेष्टाः, बकध्यानः, श्वान निद्रः, अल्पाहारी, गृहत्यागी च अस्ति।

मूल अंश, अन्वय, शब्दार्थ, भावार्थ एवं हिन्दी अनुवाद

1. अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम्॥
अन्वयः – अभिवादनशीलस्य, नित्यं वृद्धानाम् सेविन: तस्य आयुः, विद्या, यशः, बलम् चत्वारि वर्धन्ते।
शब्दार्था: – अभिवादनशीलस्य = अभिवादन (नमस्कारादि) करने वाले का नित्यं = हमेशा। वृद्धोपसेविनः = बुजुर्गों की सेवा करने वाले। वर्धन्ते = बढ़ते हैं। यशः = कीर्ति (प्रसिद्धि) बलम् = ताकत।
भावार्थः – यः अभिवादनशीलः भवति अर्थात् अन्येषां नमस्कार-प्रणामादिभिः सदैव अभिवादनं करोति एवं नित्यं वृद्धानां सेवां करोति, तस्य जीवने एतेषां (1. आयुः, 2. विद्या, 3. यशः, 4. बलं) चतुर्णा वृद्धिः भवत
अनुवाद – जो अभिवादन (नमस्कार आदि) करता है और प्रतिदिन बुजुर्गों (बूढ़े मनुष्यों) की सेवा करता है उसके जीवन में इन चारों-आयु, विद्या, कीर्ति और बल की वृद्धि होती है।

2. उद्यमः साहसं धैर्यं बुद्धिः शक्तिः पराक्रमः।
षडेते यत्र वर्तन्ते तत्र देवः सहायकृत् ॥
अन्वयः – यत्र उद्यमः, साहस, धैर्य, बुद्धिः, शक्तिः , पराक्रमः। षड् ऐते वर्तन्ते तत्र देवः सहायकृत् ।
शब्दार्थाः – उद्यमः = परिश्रम। साहसं = साहसी बुद्धिः = बुद्धिमान। धैर्यं = धैर्यवान् । शक्तिः = शक्तियुक्त। पराक्रमः = पराक्रमी। षडेते = ये छः। यत्र = जहाँ । वर्तन्ते = हैं। देवः = ईश्वर। सहायकृत् = सहायता करता है।
भावार्थः – ईश्वरः अपि तस्य एवं सहायतां करोति यः स्वयम् उद्यमशीलः (उद्योगी) साहसी, धैर्यवान्, बुद्धिमान्, शक्तियुक्तः पराक्रमी च भवति।
हिन्दी अनुवाद – परिश्रमी, साहसी, धैर्यवान्, बुद्धिमान्, शक्तिशाली और पराक्रमी ये छः गुण जिसमें हैं ईश्वर भी उसकी ही सहायता करता है।

3. वरमेको गुणी पुत्रो न च मूर्खशतान्यपि।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च तारागणोऽपि सः॥
अन्वयः – सः एकोगुणी पुत्रो वरम् च न मूर्ख शतानि अपि। एक: चन्द्रः तमो हन्ति च न तारागणाः अपि।
शब्दार्थाः – वरमेको = एक श्रेष्ठ है। शतान्यपि = सैकड़ों भी। तमः = अन्धकार। हन्ति = नष्ट करता है। तारागणाः = तारों का समूह। चन्द्रः = चन्द्रमा। गुणी = गुणवान्। अपि = भी।
भावार्थ: – सहस्रशः तारागणा: मिलित्वा अपि यम् अन्धकार नाशयितुम् असमर्थाः भवन्तिः, तम् एव अन्धकारम् एकः चन्द्रः नाशयति। यथा-सहस्रशः तारांगणानाम् अपेक्षया एकः चन्द्रः उत्तमः भवति, तथा एव शतशः मूर्खपुत्राणाम् अपेक्षया एक: गुणी पुत्रः उत्तमः भवति।
हिन्दी अनुवाद – सौ मूर्ख पुत्रों की अपेक्षा एक गुणवान् पुत्र श्रेष्ठ होता है। जैसे हजारों तारे (तारागण) अन्धकार को नष्ट नहीं करते हैं, अकेला चन्द्रमा अन्धकार को हटा देता है।

4. काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेदः पिककाकयोः।
वसन्तकाले सम्प्राप्ते काकः काकः पिकः पिकः॥
अन्वयः – काकः कृष्णः, पिकः कृष्णः, पिककाकयोः को भेदः। सम्प्राप्ते वसन्तकाले काकः काकः, पिकः पिकः।
शब्दार्था: – काकः = कौआ। कृष्णः = काला। पिकः = कोयल। भेदः = अन्तर। सम्प्राप्ते = प्राप्त होने पर। वसन्तकाले = वसन्त ऋतु में।
भावार्थः – काकः अपि कृष्णवर्णीयः, पिकः (कोकिल:) अपि कृष्णवर्णीयः भवति। रूपेण समानयोः एतयोः कोऽपि भेदः न दृश्यते, किन्तु यदा वसन्तकालः आगच्छति, तदा ज्ञायते यत् यः कर्कशध्वनिं करोति, सः काकः। या मधुरध्वनि करोति, सा पिकः।

हिन्दी अनुवाद – कौआ काले रंग का होता है, कोयल भी काले रंग की होती है। कौआ और कोयल में क्या अन्तर है? वसन्त ऋतु आ जाने पर कौआ कौआ होता है और कोयल कोयल होती है।

5. विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन। । स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ॥
अन्वयः – विद्वत्वं नृपत्वं च कदाचन न एव तुल्यं । राजा स्वदेशे पूज्यते च विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।
शब्दार्थाः – विद्वत्वम् = विद्वत्ता। नृपत्वं = शासकता। एव = ही। तुल्यं = समान। कदाचन = कभी। स्वदेशे = अपने देश में। पूज्यते = पूजा जाता है। सर्वत्र = सब जगह।
भावार्थ: – विद्वत्ता नृपता च कदापि समाने न भवतः यतो हि राजा (नृपः) तु केवलं स्वराज्ये एव पूजितो भवति, किन्तु विद्वान् सर्वत्र पूजितो भवति। अतः विद्वत्ता एव श्रेष्ठा।
हिन्दी अनुवाद – विद्वत्ता और शासकता कभी भी समान नहीं होती है। क्योंकि राजा अपने ही देश में पूजा जाता है लेकिन विद्वान् सब जगह पूजा जाता है।

6. यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा शास्त्रं तस्य करोति किम्।
लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति॥
अन्वयः – यस्य स्वयं प्रज्ञा नास्ति, तस्य शास्त्रम् किम् करोति । लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति।
शब्दार्थाः – यस्य = जिसकी। नास्ति = नहीं है। प्रज्ञा = बुद्धि। तस्य = उसका। करोति = करता है। किम् = क्या। लोचनाभ्यां = आँखों से । विहीनस्य = रहित का। करिष्यति = करेगा।
भावार्थः – यस्य पाश्र्वे प्रज्ञा अर्थात् बुद्धिः नास्ति, शास्त्रम् तस्य किमपि साहाय्यं कर्तुं न शक्नोति; यथा नेत्रहीनं जनं दर्पण: रूपं दर्शयितुं न शक्नोति।
हिन्दी अनुवाद – जिसके पास अपनी बुद्धि नहीं है, शास्त्र उसकी क्या सहायता कर सकता है ? जैसे आँखों से हीन व्यक्ति के लिए दर्पण क्या कर सकता है ?

7. हस्तस्य भूषणं दानं सत्यं कण्ठस्य भूषणम्।
श्रोत्रस्य भूषणं शास्त्रं भूषणैः किं प्रयोजनम्॥
अन्वयः – दानं हस्तस्य भूषणं, सत्य कण्ठस्य भूषण, शास्त्रं श्रोत्रस्य भूषणं (अस्ति) । (स्वर्णस्य) भूषणै कि प्रयोजनम् ।
शब्दार्थाः – हस्तस्य = हाथ का। भूषणं = गहना। कण्ठस्य = गले का। श्रोत्रस्य = कान का। शास्त्रं = शास्त्र। किम् = क्या। प्रयोजनम् = मतलब।
भावार्थ: – गुणाः एव शरीरस्य शोभा वर्धयन्ति, अतः गुणाः एव आभूषणानि । यथा-हस्तस्य आभूषणं दानं भवति, कण्ठस्य आभूषणं सत्यभाषणं भवति, कर्णस्य आभूषणं शास्त्रश्रवणं भवति। एतानि आभूषणानि यस्य पाश्र्वे भवन्ति, तस्य कृते स्वर्णादिभिः निर्मितानाम् आभूषणानां काऽपि आवश्यकता न भवति
हिन्दी अनुवाद – हाथ का गहना दान है, गले का गहना सत्य बोलना है। कान का गहना वेद शास्त्र सुनना है। अतः सोने के गहनों की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

8. अधमाः धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः। उत्तमाः मानमिच्छन्ति मानो हि महतां धनम् ॥
अन्वयः – अधमाः धनम् इच्छन्ति, मध्यमाः धनं मानं च (इच्छन्ति)। उत्तमाः मानम् इच्छन्ति (यतो हि), मानो हि महतां धनम् (अस्ति) ।
शब्दार्था: – अधमाः = नीच व्यक्ति । इच्छन्ति = चाहते हैं। मानं = सम्मान। मध्यमाः = मध्यम मनुष्य। उत्तमाः = उच्च व्यक्ति । महताम् = श्रेष्ठ। भावार्थः-संसारे त्रिविधाः जनाः भवन्ति – अधमा: मध्यमाः उत्तमाः च । अधमजना: केवलं धनम् इच्छन्ति, मध्यमजनाः धनं सम्मानं च इच्छन्ति। उत्तमजनाः केवलं सम्मानम् इच्छन्ति, अतः सम्मानः एव सर्वश्रेष्ठः धनम् अस्ति ।
हिन्दी अनुवाद – नीच व्यक्ति केवल धन चाहते हैं, मध्यम व्यक्ति धन और सम्मान चाहते हैं। उत्तम मनुष्य केवल सम्मान चाहते हैं, क्योंकि सम्मान ही श्रेष्ठ धन है।

9. काकचेष्टो बकध्यानः श्वाननिद्रस्तथैव च। अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पञ्चलक्षणः ।
अन्वयः – विद्यार्थी पञ्चलक्षणः-काक चेष्टाः बकः ध्यानः, श्वान निद्रः तथा एवं अल्पाहारी, गृहत्यागी च ।
शब्दार्थाः – काकचेष्टाः = कौए जैसा प्रयत्न करने वाला। बकध्यानः = बगुले जैसा ध्यान वाला। श्वाननिद्रः = कुत्ते जैसी नींद वाला। अल्पाहारी = कम खाने वाला। गृहत्यागी = (पढ़ने के लिए) घर छोड़ने वाला।
भावार्थाः – श्रेष्ठविद्यार्थिनः पञ्च लक्षणानि भवन्ति-
1. सः सफलता प्राप्तुं काकः इव चेष्टां करोति।
2. सः लक्ष्यस्य उपरि बकः इव ध्यानं करोति।
3. सः शुनकः इव सावधानः भूत्वा निद्रां करोति।
4. स: अल्पम् आहारं करोति।
5. सेः अध्ययनार्थं गृहत्यागं करोति।
अनुवाद – विद्यार्थी के पाँच लक्षण ये ही हैं-कौए जैसा प्रयत्न करने वाला, बगुले जैसा ध्यान करने वाला, कुत्ते जैसी नींद वाला, थोड़ा खाने वाला और पढ़ाई के लिए घर छोड़ने वाला।

10. अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम्। अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतः सुखम्॥
अन्वयः – विद्या अलसस्य कुतो, धनम् विद्यस्य कुतो, मित्रम् अधनस्य कुतो सुखम् (च) अमित्रस्य कुतः।
शब्दार्थाः – अलसस्य = आलसी का। कुतः = कहाँ से। अविद्यस्य = बिना विद्या के। अधनस्य = बिना धन के। अमित्रस्य = बिना मित्र के। सुखम् = सुख।
भावार्थः – य: आलस्यं करोति, स; विद्यां प्राप्तुं न शक्नोति। यस्य पावें विद्या न भवति, सः धनं प्राप्तुं न शक्नोति। यस्य पाश्र्वे धनं न भवति, तस्य कोऽपि जनः मित्रं न भवति मित्ररहितः जनः कदापि सुखं न प्राप्नोति। अतः आलस्यस्य त्याग: करणीयः।
हिन्दी अनुवाद – आलसी को विद्या प्राप्त नहीं हो सकती है। विद्या के बिना धन नहीं मिलता है, बिना धन के मित्र नहीं बनते हैं। बिना मित्र के सुख प्राप्त नहीं होता है।

We hope the RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 12 सुभाषितानि will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 6 Sanskrit Chapter 12 सुभाषितानि, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 6

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 4 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 4 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 4 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions

 

Loading Comments...