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RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 17 उदासीनाचार्य: श्री चन्द्रः

May 20, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 17 उदासीनाचार्य: श्री चन्द्रः

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 17 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नपदानाम् उच्चारणं कुरुत-(निम्न पदों का उच्चारण कीजिए-)
योगसाधनायाम्, समगुणत्वात्, मातामहः, त्रीणिवर्षाणि, प्रचारार्थम्, राष्ट्रभक्तिभावनायाः
उत्तर:
छात्रा: स्वयमेव उच्चारणं कुर्वन्तु । (छात्र स्वयं उच्चारण करें ।)।

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरत-(एक वाक्य में उत्तर दीजिए-)
(क) सिक्ख सम्प्रदायस्य प्रतिष्ठापकः कः? (सिक्ख सम्प्रदाय के संस्थापक कौन हैं ?)
उत्तर:
सिक्खसम्प्रदायस्य प्रतिष्ठापकः गुरुनानक देव: आसीत्। (सिक्ख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरुनानक देव थे।)
(ख) बाल्याद् एव शिवः इव वीतरागः दानशीलः कः आसीत्? (बचपन से ही शिव की तरह आसक्तिरहित दानी कौन था?)
उत्तर:
श्रीचन्द्र: बाल्याद् एव शिवः इव वीतरागः दानशीलः आसीत् । (श्रीचन्द्र बचपन से ही शिव की तरह आसक्तिरहित, दानी थे।)
(ग) बालकं श्रीचन्द्रं पक्खोका ग्रामं कः अनयत्? (बालक श्रीचन्द्र को पक्खोका गाँव को कौन ले गया?)
उत्तर:
श्रीमूलचन्द्रः तं पक्खोका ग्रामं अनयत्। (श्रीमूलचन्द्र उनको पक्खोका गाँव ले गया ।)।
(घ) श्रीचन्द्रस्य यज्ञोपवीतसंस्कारः केन सम्पादितः? (श्रीचन्द्र का यज्ञोपवीत संस्कार किसके द्वारा किया गया?)
उत्तर:
पं. हरदयालु शर्मणा श्रीचन्द्रस्य यज्ञोपवीतसंस्कारः सम्पादितः। (पं. हरदयाल शर्मा द्वारा श्रीचन्द्र का यज्ञोपवीत संस्कार पूरा किया गया।)
(ङ) विद्यागर्वेण ग्रसितः कः आसीत्? (विद्या के गर्व से ग्रसित कौन था?) ।
उत्तर:
पं. सोमनाथ त्रिपाठी विद्यागर्वेण ग्रसितः आसीत् । (प. सोमनाथ त्रिपाठी विद्या के घमण्ड से प्रभावित था।)।
(च) श्रीचन्द्रः उपदेशं दत्त्वा के सत्पथे आनयत्? (श्रीचन्द्र उपदेश देकर किसको सत्य के रास्ते पर लाये थे?).
उत्तर:
श्रीचन्द्रः उपदेशं दत्त्वा हुमायूँ सत्पथे आनयत् । (श्रीचन्द्र हुमायूँ को उपदेश देकर सत्य के रास्ते पर लाये थे।)

प्रश्न 3.
रेखाङ्कितपदानि आधारीकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत(रेखाङ्कित शब्दों के आधार पर प्रश्न निर्माण कीजिए-)
(क) सः स्वधर्मं प्रति निष्ठाम् अपि स्थापितवान्। (उसने अपने धर्म के प्रति निष्ठा भी स्थापित की।)
उत्तर:
सः स्वधर्म प्रति काम् अपि स्थापितवान् ? (उसने अपने धर्म के प्रति किसको स्थापित किया ?)
(ख) तस्य कार्याणि अद्यापि प्रासङ्गिकानि सन्ति। (उसके कार्य आज भी समयोचित हैं।)
उत्तर:
तस्य कार्याणां अद्यापि कानि सन्ति? (उसके कार्य आज भी क्या हैं ?)
(ग) सः वैदिकधर्मस्य प्रचारार्थम् अनवरत रूपेण कार्यम् अकरोत्। (उसने वैदिक धर्म के प्रचार के लिए लगातार कार्य किया ।)
उत्तर:
सः कस्य प्रचारार्थम् अनवरतरूपेण कार्यम् अकरोत् ? (उसने किसके प्रचार के लिए निरन्तर रूप से कार्य किया?)
(घ) तस्य माता सुलक्षणा देवी आसीत्। (उनकी माता सुलक्षणा देवी थी।)
उत्तर:
तस्य माता का आसीत् ? (उसकी माता कौन थी ?)
(ङ) स: बाल्याद् एव योगसाधनायां रतः आसीत्। (वह बचपन से ही योग साधना में लगे हुए थे।)
उत्तर:
सः बाल्याद् एव कस्यां रतः आसीत् ? (वह बचपन से ही किसमें लगे हुए थे?)
(च) तस्य जन्म नवम्यां तिथौ भाद्रपादमासे शुक्लपक्षे अभवत्। (उनका जन्म नौर्वी (नवमी), तिथि में भादों के महीने में शुक्ल पक्ष में हुआ था।)।
उत्तर:
तस्य जन्म नवम्यां तिथौ कस्मिन् मासे शुक्लपक्षे अभवत् ? (उसका जन्म नवमी तिथि को किस महीने में शुक्लपक्ष में हुआ था?)

प्रश्न 4.
मजूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत(पेटिका से पद चुनकर खाली स्थान पूरा कीजिए-)

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 17 उदासीनाचार्य श्री चन्द्रः 2

(क) सः अनेकान् ग्रन्थान् रचयित्वा…………कार्यम् अकरोत् ।
(ख) स्वधर्मं प्रति …………… अपि स्थापितवान्।
(ग) पं. हरदयालुशर्मणा चन्द्रस्य …………… सम्पादितः।
(घ) पं. पुरुषोत्तमकौलात् शिक्षा प्राप्य, विद्यायां …….अभवत् ।
(ङ) श्रीचन्द्रः…….ग्रसितं पं. सोमनाथत्रिपाठिनं शास्त्रार्थे जितवान्।
उत्तर:
(क) मानव सेवायाः
(ख) निष्ठाम्
(ग) यज्ञोपवीतसंस्कारः
(घ) पारङ्गतः
(ङ) विद्यागर्वेण ।

प्रश्न 5.
विलोमपदानि सुमेलयत-(विलोम शब्दों को मिलाइये)
(क) जन्म दत्त्वा
(ख) प्राप्य मृत्युः
(ग) विद्यायाम् कुमार्गे
(घ) वीतरागः अविद्यायाम्
(ङ) सत्पथे विस्मृत्य
(च) स्मारयित्वा रागयुक्तः
उत्तर:
शब्द                विलोम
(क) जन्म          मृत्युः
(ख) प्राप्य          दत्त्वा
(ग) विद्यायाम्       अविद्यायाम्
(घ) वीतरागः          रागयुक्तः
(ङ) सत्पथे           कुमार्गे
(च) स्मारयित्वा       विस्मृत्य

प्रश्न 6.
अधोलिखितपदेषु यथापेक्षितं सन्धिं/विच्छेद कुरुत-(नीचे लिखे शब्दों में यथोचित सन्धि, सन्धि विच्छेद कीजिए-)
उत्तर:
(क) शीघ्रम् + एव = शीघ्रमेव। (म् + ए = में)
(ख) प्रतिष्ठा + अर्थम् = प्रतिष्ठार्थम् । (आ + अ = आ)
(ग) शास्त्र + अर्थः = शास्त्रार्थः। (अ + अ = आ)
(घ) रक्षण + अर्थम् = रक्षणार्थम्। (अ + अ = आ)
(ङ) अद्य + अपि = अद्यापि। (अ + अ = आ)

योग्यता-विस्तारः
हिन्दी अर्थ-श्री गुरु नानकदेव निष्काम कर्मयोगी, अनन्य निर्गुण भक्त और सन्तगुरु थे। नानकदेव का जन्म तलवण्डी नामक स्थान (अब पाकिस्तान में) हुआ था। वह स्थान ‘ननकाना-साहिब’ इस नाम से भी पुकारा जाता है। उनके पिता का नाम कालू मेहता और माता का नाम तृप्ता था।
बचपन से विलक्षण और असाधारण प्रतिभावान् थे। ग्रामीण वातावरण में रहते हुए इन्होंने संस्कृत, उर्दू, फारसी भाषा को अध्ययन किया।
नानकदेव के मुख्य सिद्धान्त इस प्रकार हैं –
* गुरु कृपा से, ईश्वर कृपा से और सदाचार से सब प्राप्त हो सकता है।
* मानव कल्याण के लिए एक ही मार्ग सत्य है। इसलिए सत्य का पालन ही हमेशा करना चाहिए।
* धर्मों में पाखण्ड, आडम्बर और असत्य आचरण नहीं होना चाहिये।
* समाज में भेदभाव दूर करना चाहिये।
* ईश्वर इच्छा ही बलवती है। इसलिए जो ईश्वर की इच्छानुसार कार्य करता है। इस प्रकार कठिन रास्ते पर भी सफलता प्राप्त कर लेता है।
* विद्वान वही है जो दूसरे के उपकार में और संसार की भलाई में लगा हुआ है।
‘गुरुग्रन्थ साहिब’ इस नाम का पवित्र ग्रन्थ नानकदेव के शब्दों का संग्रह है। आध्यात्मिक, सामाजिक, नैतिक मूल्यों के सम्बन्ध में नानकदेव की वाणी और व्यवहार हमेशा अनुकरणीय हैं। नानकदेव के द्वारा चलायी गयी परम्परा में दस गुरु हुए थे। अन्तिम गुरु श्री गोविन्द सिंह थे।

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 17 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 17 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न1.
श्रीचन्द्रः कस्य पुत्रः आसीत्?
(क) हरदयालु शर्मणः
(ख) नानकदेवस्य
(ग) मूलचन्द्रस्य
(घ) गोविन्दस्य।
प्रश्न2.
सिक्ख सम्प्रदायस्य कः गुरुः आसीत्?
(क) नानकदेवः
(ख) रामचन्द्रः
(ग) श्रीकृष्णः
(घ) हनुमानः।
उत्तर:
1. (ख)
2. (क) ।

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 17 लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न-(क)
श्रीचन्द्रस्य जन्मः कस्मिन् मासे अभक्त्?
उत्तर:
श्रीचन्द्रस्य जन्मः भाद्रपदमासे अभवत्।
प्रश्न-(ख)
तस्य मातामहस्य किं नामः आसीत्?
उत्तर:
तस्य मातामहस्य नामः मूलचन्द्रः आसीत् ।
(ग)
नानकदेवः बाल्याद् कीदृशः आसीत्?
उत्तर:
नानकदेवः बाल्याद् विलक्षणः आसीत् ।
(घ)
मानव कल्याणाय किम् मार्गम् अस्ति?
उत्तर:
मानवकल्याणाय सत्यम् एव मार्गम् अस्ति।

मूल अंश, शब्दार्थ, हिन्दी अनुवाद एवं प्रश्नोत्तर

(1) शिष्यः (सिक्ख्य) सम्प्रदायस्य प्रतिष्ठापकस्य गुरुनानकदेवस्य सुपुत्रः श्रीचन्द्रः नवम्यां तिथौ भाद्रपदमासे शुक्लपक्षे 1559 विक्रमाब्दे (1494 ख्रीस्ताब्दे) जन्म लब्धवान्। माता चास्य सुलक्षणवती सुलक्षणादेवी आसीत्। श्रीचन्द्रः बाल्याद् एव शिवः इव वीतराग; दानशील: योगसाधनायां रतः आसीद् अतः समगुणत्वात् जनाः तं शिवस्य अवताररूपे भावयन्ति स्म्। बालकस्य श्रीचन्द्रस्य मातामहः श्रीमूलचन्द्रः तं ‘पक्खोका’ नामधेयं स्वग्रामम् अनयत्। तत्र स: त्रीणि वर्षाणि अवसत्। पण्डित हरदयालुशर्मणा श्रीचन्द्रस्य यज्ञोपवितसंस्कार : सम्पादितः। कश्मीरवासिनः पण्डितपुरुषोत्तम कौलात् शिक्षा प्राप्य शीघ्रमेव विद्यायां पारङ्गत: भूत्वा स: श्रीचन्द्रमौली नाम्ना ख्यातः जातः।

शब्दार्थाः-नवम्यां = नौवीं में (नवमी)। शुक्लपक्षे = शुक्ल पक्ष में। लब्धवान् = प्राप्त किया। सुलक्षणवती = सुन्दर लक्षणों वाली। बाल्याद् = बचपन से। इव= तरह। वीतरागः = बिना आसक्ति के। रतः = लगे हुए। मातामहः = नाना। अनयत् = ले गये। अवसत् = रहे थे। सम्प्रदायस्य- सम्प्रदाय के। प्रतिष्प कस्य = संस्थापक के। नानकदेवस्य = नानक देव के। तिथौ = तिथि में। मासे = महीने में। आसीत् = था/थी। योगसाधनायां = योगसाधना में। समगुणत्वात्। समान गुणों के कारण। भावयन्ति = मानते थे। स्वग्रामम् = अपने गाँव को। त्रीणिवर्षाणि = तीन वर्ष तक। प्राप्य = प्राप्त कर। शीघ्रमेव = जल्दी ही। विद्यायां = विद्या में। सम्पादितः = पूरा कराया। पारङ्गतः = चतुर (होशियार)। भूत्वा = होकर। ख्यातः = प्रसिद्ध। जातः = हो गये।

हिन्दी अनुवाद-सिक्ख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरु नानकदेव के सुपुत्र श्रीचन्द्र का भादों महीने के शुक्ल पक्ष में नौंवी तिथि को विक्रम सम्वत् 1559 (1494 ई.) में जन्म हुआ। इनकी माता सुन्दर लक्षणों वाली सुलक्षणा देवी। श्रीचन्द्र बचपन से ही शिव की तरह आसक्ति रहित, दानी, योग-साधना में लगे रहते थे। इसलिए समान गुणों के कारण मनुष्य उनको शिव के अवतार रूप में मानते थे। बालक श्रीचन्द्र के नाना श्री मूलचन्द्र इनको पक्खोका नामक अपने गाँव को ले गये थे। वहाँ वह तीन वर्ष तक रहा। पण्डित हरदयालु शर्मा ने श्रीचन्द्र का यज्ञोपवीत संस्कार पूरा कराया। कश्मीरवासी पण्डित पुरुषोत्तम कौल से शिक्षा प्राप्त करके शीघ्र ही विद्या में निपुण होकर वह श्री चन्द्रमौली नाम से प्रसिद्ध हो गये।

♦ अवबोध के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत
(क) गुरुनानक देवस्य सुपुत्रः किं नामः आसीत्?
(ख) श्रीचन्द्रस्य माता का आसीत्।
(ग) बाल्यात् कः शिवः इव वीतरागः आसीत् ?
(घ) श्रीचन्द्रस्य मातामहस्य किं नामः आसीत्?
उत्तर:
(क) श्रीचन्द्रः,
(ख) सुलक्षणादेवी,
(ग) श्रीचन्द्रः,
(घ) मूलचन्द्रः

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) सिक्ख सम्प्रदायस्य गुरुः कः आसीत् ?
उत्तर:
नानकदेव: सिक्खसम्प्रदायस्य गुरुः आसीत्।

(ख) सुलक्षणा देवी कस्य माता आसीत् ?
उत्तर:
सुलक्षणा देवी श्रीचन्द्रस्य माता आसीत्।

(2) अध्ययनकाले चतुर्दशवर्षीय: श्रीचन्द्रः विद्यागर्वेण ग्रसितं १. सोमनाथत्रपाठिन शास्त्रार्थ विजित्य वैदिकधर्मस्य प्रचारार्थं सः सम्पूर्णभारतस्य विविध-स्थानेषु भ्रमणम् अकरोत्। धर्म प्रति निष्ठाम् अपि स्थापितवान्। स: हुमायू प्रजापालनस्य उपदेशं दत्वा सत्पथे आनयत्। सः महाराणाप्रतापं स्व गौरवमयिवंशपरम्परां स्मारयित्वा कर्तव्यपथे अग्रेसरं कृतवान्। श्रीमात्राशास्त्रम्, श्रीचन्द्रसिद्धान्तसागर :, श्री चन्द्रसिद्धान्तमञ्जरी, सिद्धान्त-पुचकर्म, रत्नपञ्चकर्मप्रभृतीन् ग्रन्थान् रचयित्वा मानवसेवायाः कार्यम् अकरोत्। आचार्यस्य श्रीचन्द्रस्य दार्शनिका: सिद्धान्ताः विशेषरूपेण अनुसरणीयाः सन्ति। परंमाचार्यश्रीचन्द्रस्य चत्वारः शिष्याः बालहासः, गोविन्ददेवः, पुष्यदेवः (फूलसाहब) कमलासनश्च अभवन्। एवं वैदिकधर्म प्रचारार्थ भारतीयसंस्कृते: रक्षणार्थ राष्ट्रभक्ति-भावनायाः विकासायं पञ्चदेवोपासनायाः प्रचाराय अनवरतरूपेण कष्टानि सोद्वा स्वजीवनस्य सार्थकता साधितवन्तः। तस्य कार्याणि उपदेशाः च अद्यापि प्रासङ्गिका उपयोगिनः च सन्ति।

शब्दार्था:-अध्ययनकाले = अध्ययन के समय में। चतुर्दशवर्षीय = चौदह वर्ष के। ग्रसित = खाया हुआ, भक्षण किया हुआ। धर्मस्य = धर्म के। विविध स्थानेषु = अनेक स्थानों में। भ्रमणम् = भ्रमण। अकरोत् = किया। निष्ठयम् = श्रद्धा। प्रजापालनस्य = प्रज्ञापालन का। दत्वा = देकर। सत्य पर्थ = सत्य के रास्ते पर। आनयत् = लाया। कर्तव्यपथे = कर्तव्य के रास्ते पर। मानवसेवायाः = मानव सेवा का। विशेषरूपेण = विशेषरूप से। अभवन् = हुए। विद्यागर्वेण = विद्या के अभिमान से। शास्त्रार्थे = शास्त्र चर्चा में। विजित्य= जीतकर। प्रचारार्थ = प्रचार के लिए। स्थापितवान् = स्थापित की। दत्वा = देकर। सत्पथे = सत्य के रास्ते पर। आनयत् = लाया। स्मारयित्वा = स्मरण कराकर। कृतवान् = किया। रचयित्वा = रचकर। चत्वारः = चार। रक्षणार्थ = रक्षा के लिये। प्रचाराय न प्रचार के लिए। अनवरत म निरन्तर। सोह्वा = सहन करके।

हिन्दी अनुवाद-चौदह वर्ष के श्रीचन्द्र ने अध्ययन काल में विद्या के घमण्ड से ग्रसित पं. सोमनाथ त्रिपाठी को शास्त्र चर्चा में जीतकर वैदिक धर्म के प्रचार के लिए उन्होंने सम्पूर्ण भारत के अनेक स्थानों में भ्रमण किया। धर्म के प्रति निष्ठा भी स्थापित की। उन्होंने हुमायूँ को प्रजापालन का उपदेश देकर सत्य के रास्ते पर लाये। उन्होंने महाराणा प्रताप को अपनी गौरवमयी वंश परम्परा को याद कराके कर्तव्य के रास्ते पर अग्रसर किया। श्रीमात्राशास्त्र, श्रीचन्द्र/सिद्धान्त सागर, श्रीचन्द्रसिद्धान्तमञ्जरी, सिद्धान्त-पुचकर्म, रत्नपञ्चकर्म आदि ग्रन्थों को रचकर मानव सेवा का कार्य किया। आचार्य श्रीचन्द्र के दार्शनिक सिद्धान्त विशेष रूप से अनुकरणीय हैं। परम आचार्य श्रीचन्द्र के चार शिष्य, बालहास, गोविन्ददेव, पुष्यदेव (फूलसाहब) और कमलासन हुए। इस प्रकार वैदिक धर्म के प्रचार के लिए भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए राष्ट्रभक्ति की भावना के विकास के लिए, पाँच देवों की उपासना के प्रचार के लिए निरन्तर कष्टों को सहन करके अपने जीवन को सार्थक करने में लगे रहे। उनके कार्य और उपदेश आज भी प्रासंगिक और उपयोगी हैं।

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत
(क) श्रीचन्द्र शास्त्रार्थे कम् अजयत्?
(ख) वैदिकधर्मस्य प्रचाराय कः भ्रमणम् अकरोत्?’
(ग) श्रीचन्द्रस्य शिष्यस्य किं नाम आसीत् ?
(घ) श्रीचन्द्रसिद्धान्त सागरः केन रचितः?
उत्तर:
(क) पं. सोमनाथ त्रिपाठिनं,
(ख) श्रीचन्द्रः,
(ग) बालास:
(घ) श्रीचन्द्रेन।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) सम्पूर्ण भारतवर्षे कः भ्रमणम् अकरोत्?
उत्तर:
श्री चन्द्रः सम्पूर्ण भारतवर्षे भ्रमणम् अकरोत्।

(ख) हुमायूँ सत्पथे क; आनयत्?
उत्तर:
श्रीचन्द्र: हुमायूँ सत्पथे आनयत्।

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