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RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 2 बुद्धिर्यस्य बलं तस्य

May 16, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनीChapter 2 बुद्धिर्यस्य बलं तस्य

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 2 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखितशब्दानाम् उच्चारणं कुरुत-(निम्नलिखित शब्दों का उच्चारण कीजिए।) कश्चन, शृगालः, सन्तुष्टः, अन्त:पुरस्त्रियः, सुवर्णहारः, अरण्याभिमुखम्, प्रस्थितवान्, दृष्टवन्तः, यच्छ्क्य म्, पराक्रमैः।
उत्तर:
छात्राः स्वयमेव उच्चारणं कुर्वन्तु। (छात्र स्वयं ही उच्चारण करें।)

प्रश्न 2.
निम्नलिखितप्रश्नान् एकपदेन उत्तरत(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक पद में दीजिये-)
(क) वृक्षस्य कोटरे कः वसति स्म? (वृक्ष के कोटर में कौन रहता था?) ।
उत्तर:
कृष्णसर्पः। (काला साँप ।)
(ख) शृगालः कस्य मित्रम् आसीत्? (सियार किसका मित्र था?)
उत्तर:
काकस्य । (कौए का।)
(ग) काकः सुवर्णहार ग्रहीत्वा कुत्र प्रस्थितवान्? (कौवा सोने के हार को लेकर कहाँ रवाना हो गया?)
उत्तर:
अरण्याभिमुखं । (जंगल की ओर।)
(घ) के दण्डप्रहारेण कृष्णसर्प मारितवन्तः? (किन्होंने डण्डे के प्रहार से काले साँप को मार डाला ?)
उत्तर:
राजभटाः। (राजा के सैनिकों ने।)

प्रश्न 3.
निम्नलिखितप्रश्नान् एकवाक्येन उत्तरत(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिये-)
(क) काकः सुवर्णहार ग्रहीत्वा कुत्र पातितवान्? (कौआ ने सोने के हार को लेकर कहाँ गिरा दिया था?)
उत्तर:
काकः सुवर्णहारं ग्रहीत्वा महावृक्षस्य कोटरे पातितवान् । (कौए ने सोने के हार को लेकर विशाल वृक्ष के कोटर में गिरा दिया था।)

(ख) काकः शृगालस्य समीपं गत्वा किम् उक्तवान्? (कौआ ने सियार के पास जाकर क्या कहा?)
उत्तर:
काकः शृगालस्य समीपं गत्वा उक्तवान्, भो मित्र! कृष्णः सर्पः कथं मारणीयः। (कौए ने सियार के पास जाकर कहा हे मित्र! काला साँप कैसे मारा जाये?)

(ग) अन्तः पुरस्त्रियः कुत्र मग्नाः आसन्? (अन्त:पुर की स्त्रियाँ कहाँ तल्लीन थीं?) ।
उत्तर:
पुरस्त्रियः सरोवरे जलक्रीडायां मग्नाः आसन्। (अन्त:पुर की स्त्रियाँ सरोवर में जलक्रीड़ा में तल्लीन र्थी ।) (घ) काकस्य शावकान् कः खादति स्म? (कौए के बच्चों को कौन खा जाता था?) उत्तर-कृष्णसर्पः काकस्य शावकान् खादति स्म। (काला साँप कौए के बच्चों को खा जाता था।)

प्रश्न 4.
मजूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत| (मजूषा से पदों को चुनकर रिक्त स्थानों को भरिये-)

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 2 बुद्धिर्यस्य बलं तस्य 4

(क) महावृक्षे एकः काकः …………. सह वसति स्म।
(ख) सरोवरे ………….. जलक्रीडायां मग्नाः आसन्।
(ग) ……………….. कोपेन बहिः आगतवान्।
(घ) काकः अरण्यम् आगत्य महावृक्षस्य………. तं हारं पातितवान्।
(ङ) …………….. एकम् उपायं सूचितवान्।
उत्तर:
(क) पन्या
(ख) अन्त:पुरस्त्रियः
(ग) कृष्णसर्पः
(घ) कोटरे
(ङ) शृगालः

प्रश्न 5.
उपयुक्तशब्देन वाक्यं पूरयत-(उपयुक्त शब्द के द्वारा वाक्य को पूरा कीजिए-)
(क) राजभटा: दण्डप्रहारेण …………….. मारितवन्तः । (काक/ शृगालं/कृष्णसर्प)
(ख) ……………… काकम् उपायं सूचितवान्। (राजपुरुष:/शृगालः:/कृष्णसर्पः)
(ग) काकः महावृक्षस्य कोटरे ……………. पातितवान् । (हारं/फलं/वस्त्रम्)
(घ) …………….. तस्य शावकान् खादति स्म। (काक:/शृगाल:/कृष्णसर्पः)
उत्तर:
(क) कृष्णसर्प
(ख) शृगालः
(ग) हार
घ) कृष्णसर्पः।

प्रश्न 6.
रेखाङ्कितानिपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-(रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्नों का निर्माण कीजिये-)
(क) शृगालः एकम् उपायं सूचितवान् ।
(ख) एकः काकः महावृक्षे पत्न्या सह वसति स्म।
(ग) काकः शृगालस्य मित्रम् आसीत् ।
(घ) कृष्णसर्प; काकस्य शावकान् खादति स्म।
उत्तर:
(क) कः एकम् उपायं सूचितवान् ?
(ख) एकः काकः कुत्र पत्न्या सह वसति स्म?
(ग) काकः कस्य मित्रम् आसीत् ?
(घ) कृष्णसर्पः कस्य शावकान् खादति स्म?

प्रश्न 7.
निम्नलिखितपदानां विभक्तिं वचनं च लिखत-(निम्नलिखित पदों की विभक्ति और वचन लिखिए-)

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 2 बुद्धिर्यस्य बलं तस्य 2

प्रश्न 8.
प्रदत्तक्रियापदानां भूतकालिकानि क्तवतु प्रत्ययान्तानि रूपाणि लिखत-(दिये गये पदों के भूतकालिक क्तवतु प्रत्ययान्त रूपों को लिखिये।)
RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 2 बुद्धिर्यस्य बलं तस्य 3

प्रश्न 9.
वर्तमानकालस्य वाक्यानि क्तवतुप्रत्यय प्रयोगेण भूतकाले परिवर्तयत-(वर्तमानकाल वाक्यों को क्तवतु प्रत्यय के प्रयोग से भूतकाल में बदलिये-)

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 2 बुद्धिर्यस्य बलं तस्य 5

प्रश्न 10.
निम्नाङ्कितवाक्येषु वचनपरिवर्तनं कृत्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-(निम्नांकित वाक्यों में वचन परिवर्तन करके रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये-)

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 2 बुद्धिर्यस्य बलं तस्य 6

योग्यता-विस्तारः

प्रश्न 1.
हिन्दी अर्थ-
हितोपदेश के रचयिता नारायण पण्डित हैं। हितोपदेश में भारतीय जनमानस के परिवेश से प्रभावित होने वाली कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यन्त सरल, रस से युक्त और अच्छी प्रकार से ग्रहण करने योग्य होती हैं। सभी कथाएँ परस्पर एक-दूसरे पर आश्रित हैं। हितोपदेश में कथाएँ चार भागों में विभाजित हैं-
1. मित्रलाभ
2. सुहृद्भेद
3. विग्रह
4. सन्धि

प्रश्न 2.
मञ्जूषातः उचितशब्दं चित्वा अधोलिखित कथा पूरयत- (मञ्जूषा से उचित शब्द चुनकर नीचे लिखी गयी कथा को पूरा कीजिये-)

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 2 बुद्धिर्यस्य बलं तस्य 7

उत्तर:
एकदा एक: गजः गच्छति स्म। स मार्गे एकां पिपीलिकाम् दृष्ट्वान्। गजः अवदत् रे पिपीलिके! इतः | अपसर नो चेत् अहं त्वाम् मर्दयिष्यामि । पिपीलिका कथयति * भो गज ! भवान् तु महान् अस्ति” मां कथं मारयितुम् शक्नोति । बलवान् न एवं करोति । गर्वेण गर्वित: गज: पुनरवदत् । अपसर इति । गते काले एकदा पिपीलिका गजस्य शुण्डायाम् प्राविशत् । पीडित: गजः अवदत् कोऽयं मां मारयितुम् इच्छति । पिपीलिका वदति अहं सः एव तुच्छजीव: यं भवान् मारयितुम् प्रयतितवान्। किन्तु अहं त्वां न मारयामि। अहं न तुच्छचिन्तनशीला । (एक बार हाथी जा रहा था। उसने मार्ग में एक चींटी को देखा। हाथी बोला, हे चींटी ! इधर से हटो, नहीं तो मैं तुमको मसल दूंगा। चींटी बोली-“हे हाथी ! आप तो महान हैं”- मुझे कैसे मार सकते हो। बलवान ऐसा नहीं करता। गर्व से गर्वित हुआ हाथी फिर बोला-इधर से हटो। समय बीतने पर एक बार चटी हाथी की सैंड में प्रवेश कर गयी। पीड़ित हाथी बोला-कौन मुझे मारना चाहता है? चींटी बोली- मैं तो वही तुच्छ जीव हूँ जिसे आपने मारने का प्रयास किया था। किन्तु मैं तुमको नहीं मारूंगी। मैं तुच्छ विचार वाली नहीं हूँ।)

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 2 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 2 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
वृक्षस्य कोटरे आसीत्
(क) काक:
(ख) मयूरः
(ग) चटका
(घ) सर्पः।

प्रश्न 2.
शृगालस्य उपायं श्रुत्वा काकः अभूतवान्|
(क) भ्रमित:
(ख) सन्तुष्टः
(ग) निराश:
(घ) क्रुद्ध।

प्रश्न 3.
काकः सुवर्णारं गृहीत्वा प्रस्थितवान्
(क) नगराभिमुखम्
(ख) अधोमुखम
(ग) अरण्याभिमुखं
(घ) सम्मुखं ।
उत्तर:
1. (घ)
2. (ख)
3. (ग)।

घटनाक्रमानुसारं वाक्यानि लिखत-
1. तदन्तरं काकः उड़ीय नगरम् आगतवान् ।
2. एकस्मिन् वने कश्चन महावृक्षः आसीत्।
3. काकः अरण्यम् आगत्य महावृक्षस्य कोटरे तम् हारं पातितवान् ।
4.सरोवरस्य सोपानेषु आभरणानि वस्त्राणि च स्थापितानि ।
उत्तर:
एकस्मिन वने कश्चन महावृक्ष: आसीत्।
2. तदन्तरं काकः उड्ीय नगरम् आगतवान् ।
3. सरोवरस्य सोपानेषु आभरणानि वस्त्राणि च स्थापितानि।
4. काकः अरण्यम् आगत्य महावृक्षस्य कोटरे तम् हारं पातितवान्।

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 2 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कृष्ण सर्पः कानि खादति स्म?
उत्तर:
कृष्ण; सर्पः प्रसूताया: काकस्य पत्न्याः अण्डानि खादति स्म।।

प्रश्न 2.
एकदा काकः कुत्र गतवान् ?
उत्तर:
एकदा काकः स्वमित्रस्य शृगालस्य समीपं गतवान्।

प्रश्न 3.
काकः कुत्र आगतवान्?
उत्तर:
काक; अरण्यम् आगतवान्।

प्रश्न 4.
काकः तत्र किम् कृतवान्?
उत्तर:
काकः तत्र महावृक्षस्य कोटरे हारं पातितवान्।

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 2 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘बुद्धिर्यस्य बलं तस्य’ कथाया सारं हिन्दी भाषायां लिखत।
उत्तर:
किसी जंगल में एक विशाल वृक्ष था। उस पेड़ पर कौआ अपनी पत्नी के साथ रहता था। उसी वृक्ष की कोटर में एक भयंकर काला साँप था। कौए की पत्नी जब भी अंडे देती तो साँप अंडों को खा जाता था। अपने इस महान दुख को कौए ने अपने मित्र सियार को बताया। सियार ने उसे उपाय बताया। उपाय के अनुसार कौआ उड़कर नगर की ओर गया, वहाँ अंतपुर की रानियाँ सरोवर में जलक्रीड़ा कर रही , किनारे पर रखे रानी के हार को कौआ लेकर उड गया। कौए के पीछे राजा के सैनिक भी दौड़े। कौए ने वह हार लेकर साँप की कोटर में डाल दिया। राजा के सैनिकों ने हार पाने के लिए कोटर को देखा। वहाँ स्थित सर्प क्रोध से फैफकारते हुए बाहर निकला तो सैनिकों ने डंडों के प्रहार से उसे मार दिया। इस प्रकार कौए ने साँप को मरवा दिया। किसी ने सत्य ही कहा है कि उपाय से जो कार्य संभव है, वह पराक्रम से संभव नहीं हो सकता।

पाठ-परिचय
हितोपदेश में बालकों के ज्ञान के लिए पशु-पक्षियों के संवाद के माध्यम से रोचक कथाएँ लिखी गई हैं। उनमें से एक मनोहर कथा यहाँ दी गई है, जिसमें कौओ अपनी चतुराई व मित्र की सहायता से काले साँप को मारकर अपने बच्चों की रक्षा करता है।

(1) एकस्मिन् वने कश्चन महावृक्षः आसीत्। तत्र एकः काकः पत्न्या सह वसति स्म! तस्य एवं वृक्षस्य कोटरे एकः कृष्णः सर्पः अपि वसति स्म। यदा काकस्य पत्नी प्रसूता भवति तदा कृष्णसर्प; तस्याः अण्डानि खादति स्म। एतेन दु:खेन काकः तस्य च पत्नी मद् :खम् अनुभवतः स्म।

शब्दार्था:-मह्मवृक्षः = विशाल वृक्ष, तत्र = वहाँ, कोटरे = वृक्ष की कोटर में, एकस्मिन् वने = किसी वन में। कश्चन = कोई। वसति स्म = रहता था। यदा का जब। काकस्य। कौआ की। प्रसूता भवति = (जच्चा बनती) अण्डे देती। तदा = तब। तस्या = उसके। खादति स्म = खा जाता था। एतेन दुःखेन = इस दुःख से। तस्य = उसकी, उसका। महःखम- महान् दु:ख। अनुभवतः स्म – अनुभव करते थे।

हिन्दी अनुवाद-किसी वन में कोई विशाल वृक्ष था। वहाँ पर एक कौवा (अपनी) पत्नी के साध रहता था। उसी वृक्ष के कोटर में ही एक काला साँप भी रहता था। जब कौए की पत्नी अण्डे देती तो काला सर्प उसके अण्डों को खा जाता या। इस दुःख से कौवा और उसकी पत्नी महान् दुःख का अनुभव करते थे।

अवबोध के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत
(क) एकस्मिन् वने कः आसीत्?
(ख) तत्र वृक्षस्योपरि कः स्वपल्या सह वसति स्म?
(ग) प्रसूता का आसीत्?
(घ) तस्य वृक्षस्य कोटरे कः वसति स्म?
उत्तर:
(क) महावृक्ष:
(ख) काकः
(ग) काकस्य पत्नी
(घ) सर्पः।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) काकस्य अण्डानि क; खादति स्म। उत्तर:काकस्य अण्डानि कृष्ण: सर्प: खादति स्म।
(ख) काकः तस्य पत्नी च किम् अनुभवतः स्म?
उत्तर:
काक: तस्य पत्नी च महद्भुखम् अनुभवतः स्म।
(2) अतः एकदा काक; स्वमित्रस्य शृगालस्य समीपं गत्वा उक्तवान् भो मित्र! सः कृष्णसर्पः कथं मारणीयः। उपाय सूचयतु इति। शृगालः एकम् उपायं सूचितवान्। तत् श्रुत्वा काक: बहु सन्तुष्ट:। तदनन्तर काकः उष्ट्रीय नगरम् आगतवान्। तत्र महाराजस्य सरोवरे अन्त:पुरस्त्रिय: जलक्रीड़ाया मग्नाः आसन्। तासा वस्त्राणि आभरणानि च सरोवरस्य सोपानेषु स्थापितानि आसन्। काकः तत्र गतवान् एकं सुवर्णहारं गृहीत्वा अरण्याभिमुखं प्रस्थितवान्। तद् दृष्टवा राजभटा: काकम् अनुसृतवन्तः।।

शब्दार्थाः-अतः = इसलिये, एकदा = एकबार, गत्वा = जाकर, उक्तवान् – बोला, कथं कैसे, मारणीयः = मारा जाय, सूचयतु = बताइये, सूचितवान् = बताया, श्रुत्वा = सुनकर, उड्डीय = उड़कर, आगतवान् = आया, तत्र = वहाँ, तासां =उनके, मल्लराजस्य = महाराज के, अन्तःपुरस्त्रियः = राजमहल की रानियां, जलक्रीड़ायां मग्नाः = जल के खेल में तल्लीन, आसन् = थ, वस्त्राणि = कपड़े, आभरणानि = गहने, सोपानेषु = सीढ़ियों पर, स्थापितानि आसन् = रखे हुए थे, ग्रहीत्वा = ग्रहण करके, लेकर के, अरण्याभिमुखं = जंगल की ओर, प्रस्थितवान् ॥ प्रस्थान किया, तद् दृष्ट्वा = उसे देखकर, राजभटाः = राजा के सैनिकों ने, अनुसृतवन्तः = पीछा किया।

हिन्दी अनुवाद-अत: एक बार कौआ अपने मित्र सियार के पास जाकर बोला, हे मित्र! वह काला साँप कैसे मारा जाय। उपाय बताइये। सियार ने एक उपाय बताया। उसे सुनकर कौआ बहुत सन्तुष्ट हुआ। उसके बाद कौआ उड़कर नगर की और आया। वहाँ महाराज के सरोवर में अन्त:पुर की स्त्रियाँ जलक्रीड़ा में तल्लीन थीं। उनके कपड़े और गहने तालाब की सीढ़ियों पर रखे हुए थे। कौआ वहाँ गया, एक सोने के हार को लेकर जंगल की ओर रवाना हो गया। उसे देखकर राजा के सैनिकों ने कौए का पीछ किया।

अवबोध के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत
(क) शृगालस्य समीपं कः गतवान्?।
(ख) काकः शृगालम् किम् अपृच्छत्?
(ग) उपायं श्रुत्वा काकः किम् अनुभवत्?
(घ) तदनन्तरं काकः उड्डीय कुत्र आगतवान्?
उत्तर:
(क) काकः
(ख) उपाय
(ग) संतोषम्
(घ) नगरम्।।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) काकः एकदा कुत्र गतवान्?
उत्तर:
काक; एकदा स्वमित्रस्य शृगालस्य समीपं गतवान्।

(ख) महाराजस्य सरोवरे अन्त:पुरस्त्रियः किं कृतवन्तः?
उत्तर:
महाराजस्य सरोवरे अन्त:पुरस्त्रियः जलक्रीडाम् कृतवन्तः।।

(3) काक; अरण्यम् आगत्य महावृक्षस्य कोटरे ते हार पातितवान्। स्वयं दूर गतवान् च। राजभटा; तत्र आगतवन्तः। कोटरे हारं दृष्टवन्तः। तदा तत्र स्थित: कृष्णसर्पः कोपेन बहिः आगतवान्। राज भटाः दण्डप्रहारेण तु मारितवन्तः। हारं च नीतवन्तः। तदनन्तरं काक; स्वपत्न्या सह मुखेन जीवितवान्। “उपायेन हि यच्छ्यं न तच्छ्यं पराक्रमै;”

शब्दार्था:-अरण्यम् = जंगल, आगत्य = आकर, पातितवान् = गिरा दिया, गतवान् = चला गया, आगतवन्तः = आ गये, दृष्टवन्तः = देखा, तदा == तब, स्थितः = उपस्थित, कोपेन = क्रोधपूर्वक, बहिः = बाहर, आगतवान् = आया, तं = उसको, मारितवन्तः = मार डाला, नीतवन्तः = ले गये, स्व = अपनी, जीवितवान् = जीने लगा, उपायेन युक्ति (उपाय) से, हि = निश्चय ही, न = नहीं, यच्छक्यं (यत्-शक्य) = जो सम्भव हैं, तच्छक्यं (तत्-शक्य) = वह सम्भव है।

हिन्दी अनुवाद- कौआ ने जंगल में आकर विशाल वृक्ष के खोखल मैं उसे हार को गिरा दिया और खुद दूर चला गया। राजा के सिपाही वहाँ आये। खोखल में हार को देखा। तब वहाँ पर रहने वाला काला साँप क्रोध से बाहर आया। राजा के सैनिकों ने इण्डे के प्रहार से उसे मार डाला और हार को ले गये। उसके बाद कौआ अपनी पत्नी के साथ सुखपूर्वक रहने लगा।-“युक्ति (उपाय) से जो (कार्य) सम्भव है, वह पराक्रम से सम्भव नहीं हो सकता।”

अवबोध के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत
(क) काकः अरण्यं आगत्य मावृक्षस्य कोटरे किं पातितवान्?
(ख) राजभटाः कुत्र आगतवन्तः?
(ग) राजभटाः हारं कुत्र दृष्टवन्तः?
(घ) राजभटाः दण्डप्रहारेण कृष्णसर्प किं कृतवन्तः?
उत्तर:
(क) हारं
(ख) महावृक्षस्य समीपं
(ग) कोटरे
(घ) मारितवन्तः।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) काकः हार कोटरे पातयित्वा किं कृतवान्?
उत्तर:
काक: हारे कोटरै पातयित्वा स्वयं दूरं गतवान्।

(ख) कृष्णे सर्वे मृते जाते काकः किं कृतवान्?
उत्तर:
कृष्णे सर्दै मृते जाते काकः स्वपत्न्या सह सुखेन जीवितवान्।

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