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RBSE Solution for Class 8 Hindi Chapter 17 हूंकार की कलंगी

May 23, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 8 Hindi Chapter 17 हूंकार की कलंगी

RBSE Class 8 Hindi Chapter 17 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

पाठ से
सोचें और बताएँ

प्रश्न 1.
कोसीथळ के कामदार के पास कहाँ से सन्देश आया?
उत्तर:
कोसीथळ के कामदार के पास उदयपुर से महाराणा का सन्देश आया।

प्रश्न 2.
कोसीथळ किस कुल की जागीर थी ?
उत्तर:
कोसीथळ चुंडावतों के कुल की जागीर थी।

प्रश्न 3.
कोसीथळ की सेना किसके नेतृत्व में लड़ाई में शामिल हुई ?
उत्तर:
कोसीथळ की सेना वहाँ के जागीरदार की विधवा ठकुराणी (माँ जी) के नेतृत्व में लड़ाई में शामिल हुई ।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 17 लिखेंबहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
मेवाड़ महाराणा की ओर से संदेश आया था-
(क) समस्त जागीरदार लगान जमा करें
(ख) उदयपुर में आयोजित उत्सव में शामिल हों।
(ग) मेवाड़ दरबार में अपनी उपस्थिति दें।
(घ) सैन्य बल सहित युद्ध में हाजिर हों।

प्रश्न 2.
कोसीथळ जागीर में महाराणा के संदेश से चिंता पैदा हो गई, क्योंकि-
(क) कोसीथळ जागीर के ठाकुर अस्वस्थ थे
(ख) कोसीथळ जागीर के पास सैन्य शक्ति का अभाव था
(ग) कोसीथळ के ठाकुर की उम्र अभी पाँच वर्ष से भी कम थी
(घ) कोसीथळ के ठाकुर युद्ध में शामिल होना नहीं चाहते थे
उत्तर:
1. (घ) 2. (ग)

RBSE Class 8 Hindi Chapter 17 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सळूबर रावजी ने हमले से पहले हडोलवालों को क्या समझाया?
उत्तर:
सळूबर रावजी ने समझाया कि दुश्मनों पर घोड़े चढ़ा दो, मर जाओ पर पीछे मत देखो। घोल में रहने की इज्जत और जिम्मेदारी का पूरा निर्वाह करो। देश की खातिर मरकर अमर बनना है।

प्रश्न 2.
सन्देश पढ़कर कोसीथळ ठाकुर की माँ ने क्या कहा?
उत्तर:
सन्देश पढ़कर ठाकुर की माँ ने कहा कि ठाकुर तो अभी पाँच वर्ष का नहीं हुआ, उसे साथ कैसे ले जावें? जो आदेश हो वही करें।

प्रश्न 3.
युद्ध में घायल महिला को देखकर राणाजी ने क्या पूछा?
उत्तर:
घायल महिला को देखकर राणाजी ने पूछा कि सच-सच बताओ, अपना नाम ठिकाणी सही बताओ, मैं तुम्हारा पूरा आदर करूंगा।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 17 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राणाजी की आँखों में करुणा एवं गर्व के आँसू क्यों छलक पड़े?
उत्तर:
घायल महिला ने कहा कि वह कोसीथळ ठाकुर की माँ है। आपका आदेश था कि जो लड़ाई में उपस्थित नहीं होगा, उसकी जागीर जब्त की जायेगी। मेरा बेटा लगभग पाँच वर्ष का है। वह तो लड़ाई में नहीं आ सकता, मैं ही आयी। नहीं आती तो स्वामी की और मेवाड़ की नमकहरामी होती। उस महिला का ऐसा उत्तर सुनकर राणाजी की आँखों से करुणा और गर्व के आँसू छलक पड़े।

प्रश्न 2.
राणाजी ने उस वीरांगना की सराहना कैसे की?
उत्तर:
राणाजी ने उस वीरांगना की सराहना इस प्रकार की-यह मेवाड़ वर्षों से अपनी मर्यादा निभा रहा है, वह आप जैसी देवियों के प्रताप से ही निभा रहा है। आप देवियों ने मेरा और मेवाड़ का मस्तक ऊँचा कर दिया है। जब तक ऐसी माताएँ रहेंगी, तब तक अपना देश पराधीन नहीं होगा। इस कथन से राणाजी ने उसकी वीरता की प्रशंसा गर्व से की।

प्रश्न 3.
कोसीथळ की वीर माता को राणाजी ने क्या सम्मान दिया?
उत्तर:
कोसीथळ की वीर माता की वीरता देखकर राणाजी ने उससे कहा कि इस वीरता की एवज में आपको मैं सम्मान देना चाहता हूँ, बताओ आपकी क्या इच्छा है? तब वीरमाता ने कहा कि ऐसी चीज दीजिए जिससे बेटे का सिर सभी के सामने ऊँचा हो सके। राणाजी ने वही सम्मान दिया, अर्थात् हँकार की कलंगी दी, जिसे सिर पर धारण कर उसे मस्तक ऊँचा रखने को कहा।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 17 दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मेवाड़ से आये सन्देश को पढ़कर कोसीथळ कामदार का चेहरा क्यों उतर गया?
उत्तर:
मेवाड़ से आये सन्देश का कागज पढ़कर कोसीथळ का कामदार सोचने लगा कि कोसीथळ चूंडावतों की छोटीसी जागीर है। वहाँ के ठाकुर दो-तीन वर्ष पहले एक लड़ाई में काम आ गये। वे दो वर्ष का बेटा छोड़ गये। मेवाड़ का आदेश अत्यन्त कठोर, जबकि वहाँ का ठाकुर लगभग पाँच वर्ष का ही है। बालपन के कारण वह उस आदेश को कैसे निभा पायेगा। बालक की माँ अर्थात् ठकुराणी इसी आशा से दिन बिता रही है कि बेटा बड़ा होगा और जागीर को चलो सकेगी। इस तरह की परिस्थितियों का चिन्तन कर, राणाजी का सन्देश कैसे पूरा होगा, इस बात से कामदार का चेहरा उतर गया था।

प्रश्न 2.
राणाजी के सन्देश से माँजी चिन्तित क्यों हो गई ?
उत्तर:
राणाजी के सन्देश से माँजी सोचने लगी कि बेटा अभी छोटा है। वह लड़ाई में नहीं जा सकता। परन्तु आदेश न मानने से जागीर छिन जायेगी। तब मेरा बेटा बाप-दादा के राज से बाहर हो जायेगा। पाँच लोगों के बीच में इसकी क्या इज्जत रह जायेगी। इसके पिता नहीं रहे, परन्तु मैं तो हूँ। मेरे जीते-जी इसका अधिकार छिन जावे, तो मेरे जीवन को धिक्कार है। क्या मैं ऐसी कायर-नादान हूँ जो पीढ़ियों की जमीन (जागीर) को गॅवा हूँ और मेरे वंश पर इसका दाग लग जावे? ऐसा सोचती हुई माँजी कल्पना करने लगी कि जब बेटा जवान होगा, तब उसे ताने सुनने को मिलेंगे। तब मैं उससे नजर नहीं मिला सकेंगी। इस तरह अनेक बातों के कारण माँजी बहुत चिन्तित हो गई।

प्रश्न 3.
युद्ध में शामिल होने के लिए कोसीथळ में क्याक्या तैयारियाँ की गई ?
उत्तर:
युद्ध में शामिल होने के लिए कोसीथळ में घुड़सवार सेना सजने लगी। नगाड़े पर प्रस्थान का डंका पड़ने लगा। सेना की ध्वजा की फर्रियाँ खोल दी गईं। पलाण या जीन से सज्जित घोड़ा सामने लाया गया। वीरमाता अपने मस्तक पर टोप, शरीर पर जिरह-बख्तर और हाथों में लोहे के कवच धारण कर, अपने अबोध बालक की कोमल बाँह पकड़कर, उसे गोद में उठाने के लिए आगे आयी। वह बालक अपनी माँ के उस भेष को देखकर सहम गया। बेटे को पुचकारती हुई माता घोड़े पर सवार हुई। फौज के आगे घोड़े पर सवार, अपने भाले को चमकाती एवं तानती हुई उस सेना की सेनापति बनकर वह वीरांगना उदयपुर के लिए चल पड़ी। इस प्रकार प्रयाण की पूरी तैयारियाँ की गईं।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित राजस्थानी शब्दों का सामने दिए हिन्दी शब्दों से मिलान कीजिए-
ससतर        दुश्मन
पड़दा         शस्त्र
धिरकार      प्रताप
दुसमण       धिक्कार
परताप        पर्दा
उत्तर:
ससतर       –     शस्त्र
पड़दा        –     पर्दा
धिरकार     –     धिक्कार
दुसमण      –     दुश्मन
परताप       –     प्रताप

प्रश्न 2.
निम्नलिखित राजस्थानी मुहावरों का अर्थ स्पष्ट कीजिए-
(क) मुंडो उतरणो
(ख) आसा रा दीवा
(ग) छाती धड़-धड़ करणो
(घ) छाती में दूध उतरणो
(ङ) माथो नीचो व्हैणो
(च) पग पाछा नीं देवणा
(छ) माथो ऊँचो व्हैणो
उत्तर:
मुहावरों का अर्थ-
(क) निराशा से चेहरा फीका पड़ जाना।
(ख) अच्छे भविष्य की उम्मीद करना।
(ग) भय एवं चिन्ता से छाती का धड़कना।
(घ) माता के हृदय में ममता जागना।
(ङ) समाज में सम्मान घट जाना।
(च) लड़ाई में पैर पीछे नहीं रखना, आगे ही बढ़ना।
(छ) सम्मान से सिरे ऊपर उठानी।

प्रश्न 3.
इस पाठ में ‘रु रु ऊभा हुग्या’ तथा ‘लड़ता लड़ता मरग्या’ जैसे वाक्यांश आए हैं जिनमें किसी ने किसी शब्द की आवृत्ति हुई है। पाठ पढ़कर ऐसे अन्ये शब्द छाँटिए व उनके अर्थ लिखिए।
उत्तर:
(1) छाती धड़-धड़ करवा लागी                 =     छाती धड़-धड़ धड़कने लगी।
(2) काळी-काळी, भोळी-भोळी आँख्यां      =     काली-काली एवं भोली-भाली आँखों।
(3) लारै रो लारै                                      =     साथ के साथ।
(4) लुगायां कसी-कसी                            =     औरतें कैसी-कैसी।
(5) कंवळी-कंवळी बाँहां                         =      कोमल-कोमल भुजाओं।
(6) अडाता-अड़ता                                 =     अड़ाते-अड़ाते, स्पर्श करते-करते।
(7) लारै लारै सारी जमीत                         =     साथ-साथ सारी सेना।
(8) उठाय उठाय                                    =      उठा-उठाकर।
(9) साँच-साँच बतावो                              =       सच-सच बताओ।

पाठ से आगे

प्रश्न 1.
अगर कोसीथळ की ओर से लड़ाई में कोई नहीं जाता तो क्या होता? कल्पना के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
अगर राणाजी के आदेश पर कोसीथळ की ओर से कोई लड़ाई में नहीं जाता, तो तब जागीर छिन जाती। वह जागीर किसी दूसरे चुंडावत सरदार को दी जाती। उस दशा में विधवा ठकुराणी और उसके अबोध बेटे का जीवन कष्टों से घिर जाता। उनका भविष्य अन्धकारमय हो जाता।

यह भी करें

प्रश्न 1.
इस पाठ की लेखिका लक्ष्मीकुमारी चुंडावत ने लोककथाओं को आधार बनाकर अनेक कहानियों की रचना की है। विद्यालय के पुस्तकालय से उनकी अन्य कहानियाँ तलाश कर पढ़िए।
उत्तर:
पुस्तकालय से लक्ष्मीकुमारी चूंडावत की पुस्तकें लेकर पढ़िए।

प्रश्न 2.
हाड़ी रानी, पन्नाधाय जैसी महिलाओं ने अपने जीवन से वीरता की मिसाल पेश की है। अपने शिक्षक/ शिक्षिका की मदद से ऐसे उदाहरणों का संकलन कर डायरी में लिखिए।
उत्तर:

  • हाड़ी रानी:
    मेवाड़ के एक युद्ध में सेना-प्रस्थान करने लगी, तो चूंडावत महाराज ने रानी को कोई ऐसी निशानी देने के लिए कहा, जिससे युद्ध में उनका जोश बना रहे। सेवक हाड़ी रानी के पास गया, तो उसने सोचा कि युद्ध में पति को मन मुझ पर ही लगा रहेगा। ऐसा होने से वे पूरी वीरता से नहीं लड़ पायेंगे। तब उसने एक थाल में अपना सिर काट कर निशानी के रूप में भेजा। इस तरह उसने आत्म-बलिदान का कार्य किया।
  • पन्ना धाय:
    राणाजी के निधन के अवसर पर राजकुमार उदयसिंह बालक ही थे। उसकी रक्षा एवं पालन-पोषण का भार पन्ना धाय को दिया गया। पन्ना ने पापी बनवीर के षड्यन्त्र को विफल कर उदयसिंह की रक्षा की और उसके स्थान पर अपने पुत्र चन्दन ‘सिंह को सुलाकर बलिदान की अनोखी मिसाल पेश की। अन्य कथाएँ शिक्षक/शिक्षिका से सुनकर संकलन कीजिए।

यह भी जानें

प्रश्न.
पुस्तकालय से झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी प्राप्त कर पढ़िए।
उत्तर:
निर्देशानुसार स्वयं करें ।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 17 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 8 Hindi Chapter 17 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
”करुणा अर गुमान रा आँसू राणाजी रे आख्या में छलक गिया।” पंक्ति में करुणा और गुमान का आशय निम्न में से है-
(क) दया और गर्व
(ख) घमण्ड और ईर्ष्या
(ग) भय और जलन
(घ) प्रेम और शर्म

प्रश्न 2.
‘हुँकार की कलंगी’ पाठ किस विधा की रचना है?
(क) निबन्ध
(ख) एकांकी
(ग) यात्रा-वृत्त
(घ) लोककथा

प्रश्न 3.
‘हँकार की कलंगी’ पाठ लिखा है-
(क) शिवानी ने
(ख) लक्ष्मीकुमारी चूंडावत ने
(ग) मीरा बाई ने
(घ) शरद जोशी ने

प्रश्न 4.
कोसीथळ की सेना का नेतृत्व किया-
(क) कामदार ने
(ख) फौजदार ने
(ग) ठकुराणी ने
(घ) बालक ठाकुर ने

प्रश्न 5.
“पणी धणी बिना फोज कसी।” ये किसने कहा?
(क) ठकुराणी ने
(ख) कामदार ने
(ग) फौजदार ने
(घ) राणाजी ने

प्रश्न 6.
“छाती में दूध उतरवा रो सो सरणाटो आयग्यो।” इससे वीरमाता को कौन-सा भाव प्रकट हुआ है?
(क) क्रोध
(ख) पछतावा
(ग) ममता
(घ) घृणा
उत्तर:
1. (क) 2. (घ) 3. (ख) 4. (ग) 5. (ख) 16. (ग)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 7.
निम्न रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिये गये सही शब्दों से कीजिए
(i) ठिकाणा में नैनपण! ……… रो यो करड़ो हुकम। (राणाजी/ठाकुरजी)
(ii) कामदार जनानी डोढी पर जाय …….. कराई। (नजर/अरज)
(iii) हमलो करै तो पैला …….. वाला ही आगे बढ़े।(हड़ोल/पाछला)
(iv) लोह री टोप हूँ बारै …….. लटक रिया।(जूड़ो/केस)
(v) थाँ देवियाँ म्हारो अर ………. रो माथो ऊँचो कर राख्यो है।(देश/मेवाड़)
उत्तर:
(i) राणाजी
(ii) अरज
(iii) हड़ोल
(iv) केस
(v) मेवाड़

RBSE Class 8 Hindi Chapter 17 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 8.
राणाजी ने अपने हस्ताक्षरों से क्या लिखा था?
उत्तर:
राणाजी ने लिखा था कि जो हाजिर नहीं होगा, उसकी जागीर एकदम जब्त की जायेगी, इसमें कोई रियायत नहीं होगी।

प्रश्न 9.
काफी सोच-विचार के बाद ठकुराणी ने कामदार से क्या कहा?
उत्तर:
ठकुराणी ने कामदार से कहा कि स्वामी का हुक्म सिर-माथे। सेना की तैयारी करो। घुड़सवार सेना को तैयार होने का आदेश दो।

प्रश्न 10.
‘धणी बिना फोज.कसी’-इसका ठकुराणी ने क्या उत्तर दिया?
उत्तर:
ठकुराणी ने उत्तर दिया कि में हूँ धणी, मैं ही सेना का नेतृत्व कर लड़ाई में जाऊँगी।

प्रश्न 11.
माँ को वीरांगना के भेष में देखकर बालक ने क्या सोचा?
उत्तर:
बालक ने सोचा कि बोली तो माँ की जैसी ही है, परन्तु यह वीरों का अनोखा भेष किसका है? क्यों रखा है?

प्रश्न 12.
वीर पुरुष के भेष में घायल ठकुराणी को सैनिकों ने कैसे समझा कि यह वीर नारी है?
उत्तर:
घांयल ठकुराणी के लोहे के टोप से बाहर निकल रहे लम्बे केशों को देखकर सैनिकों ने समझा कि यह कोई वीर नारी है।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 17 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 13.
युद्ध में जाने के लिए ठकुराणी ने कामदार को क्या तर्क दिया?
उत्तर:
ठकुराणी ने कहा कि मेवाड़ घराना की कई ठकुराणियों ने लड़ाइयों में भाग लिया। क्या आपको मालूम नहीं है कि प्रताप की माताजी और अन्य ठकुराणियों ने बादशाह अकबर से लड़ते-लड़ते वीरगति पायी थी। में भी वीरांगनाओं के वंश में आयी हूँ। अतः मैं भी युद्ध में जाऊँगी।

प्रश्न 14.
आक्रमण करने से पहले सलूम्बर रावजी ने क्या कहा?
उत्तर:
आक्रमण करने से पहले सलूम्बर रावजी ने कहा कि सेना की हरावल में चुंडावत राजपूतों की सेना रहती है। वे अपनी जिम्मेदारी को अच्छी तरह निभायें। दुश्मनों पर आक्रमण करें और मातृभूमि की खातिर मरकर अमर हो जावें यही हरावल में रहने की इज्जत है।

प्रश्न 15.
कोसीथळ में बालक ठाकुर की माँ का जीवन कैसा बीत रहा था?
उत्तर:
कोसीथळ के ठाकुर की जब मृत्यु हुई थी, तो उस समय उनका बालक दो वर्ष का था। ठकुराणी इसी आशा में उस बालक का पालन-पोषण कर रही थी कि यह भविष्य में उसके कुल का दीपक बनकर खुशियाँ देगा। इसी आशा से उसका जीवन सामान्य रूप से बीत रहा था।

प्रश्न 16.
भगवान चोखी बणाई’-कामदार ने ऐसी क्यों कहा?
उत्तर:
उदयपुर से राणाजी का सन्देश आया, तो उस समय कोसीथळ का ठाकुर पाँच वर्ष का बालक था। वह युद्ध में कैसे जा सकता था? परन्तु राणाजी का यह आदेश कि ‘हाजिर नहीं होने वाले की जागीर जब्त की जायेगी’ कामदार को अत्यन्त कठोर लगा। उस आदेश का पालन करना जरूरी था, परन्तु कौन उसका पालन करे? इसी बात पर कामदार ने भगवान् की सृष्टि को अनोखी बताया।

प्रश्न 17.
‘हुँकार की कलंगी’ से क्या आशय है?
उत्तर:
सिर पर पगड़ी यो मुकुट पर जो लाल-पीली कलंगी लगे, वह वीरता की द्योतक हो। उससे शत्रुओं को ललकारने की भावना प्रकट हो। एक प्रकार से वह कलंगी वीरता की निशानी या पहचान मानी गई और सम्मान के रूप में दी गई।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 17 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 18.
‘हुँकार की कलंगी’ पाठ से क्या सन्देश दिया गया है?
उत्तर:
इस पाठ में मेवाड़ के वीरतापूर्ण इतिहास की एक। घटना का वर्णन लोककथा रूप में किया गया है। राणाजी के आदेश पर मातृभूमि की रक्षा और शत्रुओं का सामना करने के लिए वीर क्षत्राणियाँ पीछे नहीं रहीं। चूंडावत राजपूतों को मेवाड़ की सेना में विशेष सम्मान मिलता रहा। इसी से वे मेवाड़ की खातिर वीरता का प्रदर्शन करने में अग्रणी रहे। वे युद्ध में मरण को महोत्सव मानते थे। इस पाठ से यह सन्देश दिया गया है कि कर्त्तव्यपालन में वीर नारियों का योगदान सदा स्मरणीय है। देश प्रेम की भावना रखना और कुल परम्परा की आन-बान का पालन करना हमारा परम कर्तव्य है। हमें मातृभूमि की रक्षा के लिए त्याग, शौर्य एवं आत्म बलिदान का परिचय देना चाहिए।

प्रश्न 19.
निम्न गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) माँजी रा माथा में चक्कर आयग्यो। जवान व्हीयां बेटो ई माँ ने जतरो धिक्कारे थोड़ो। वाँने याद आयगी आपरे बाप रा मुंडां हूँ सुणी जूनी काण्यां, लुगायां कसी कसी वीरता से झगड़ा कीधा। आँरे ईज खानदान में पत्ताजी चूण्डावत री ठुकराणी अकबर री फोज सँ लड़ी, गोळियाँरी रीठ बजाय दीधी।
प्रश्न.
(i) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
(ii) माँजी को कौन-सी बात याद आयी?
(iii) माँजी किस खानदान की ठकुराणी थी ?
(iv) अकबर की फौज से कौन लड़ी थी ?
उत्तर:
(i) कोसीथळ की ठकुराणी या वीर-माता के भाव।
(ii) माँजी को अपने पिताजी के मुख से सुनी बात याद आयी।
(iii) माँजी वृंडावत राजपूतों के खानदान की ठकुराणी थी।
(iv) बादशाह अकबर की फौज से चूंडावत ठकुराणी लड़ी थी।

(ख) करुणा अर गुमान रा आँसू राणाजी रे आँख्या में छलक गिया। ”धन्न है थाँ!” राणाजी गदगद व्हेग्यो। “यो मेवाड़ बरसाँ हूँ आन राख रियो जो थाँ जसी देवियाँ रो परताप है। थाँ देवियाँ म्हारो अर मेवाड़ रो माथो ऊँचो कर राख्यो है। जठा तक असी माँवां है जतरै आप रो देस पराधीन कोनी है।”
प्रश्न.
(i) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
(ii) मेवाड़ का माथा किसने ऊँचा किया?
(iii) राणाजी ने ‘धन्न है थाँ” किसे कहा?
(iv) अपना देश कब तक स्वाधीन रहेगा?
उत्तर:
(i) शीर्षक-मेवाड़ की वीरांगनाएँ।
(ii) मेवाड़ का माथा वीरांगना क्षत्राणियों ने ऊँचा किया।
(ii) कोसीथळ की ठकुरानी को लक्ष्य कर राणाजी ने उक्त वचन कहा।
(iv) जब तक देश पर प्राणों को न्योछावर करने वाली वीरांगनाएँ रहेंगी, तब तक अपना देश स्वाधीन रहेगा।

हँकार की कलंगी पाठ-सार

यह पाठ मेवाड़ के इतिहास पर आधारित लोककथा है। महाराणा ने मेवाड़ के सभी सरदारों एवं रियासतदारों को युद्ध में सम्मिलित होने का आदेश दिया। कोसीथळ की जागीर में पाँच वर्ष का बालक जागीरदार था। जागीर नहीं छिने इस आशय से ठकुराणी ने युद्ध में मर्दानी भेष में भाग लेकर वीरगति प्राप्त की। प्रसन्न होकर राणा ने उसके पुत्र को हुँकार की कलंगी देकर सम्मानित किया।

कठिन शब्दार्थ-हुकम = आदेश। ससतरौं = शस्त्रों। दसगताँ = हस्ताक्षर। ओठाँ = पंक्तियाँ। रियायत = छूट। तरै = तरह। वेळा = समय। दीधा = दिया गया। पाई = प्राप्ति। मूडो = चेहरा। टाबर = बालक। नैनपण = बचपन। करड़ो = कठोर। जूण = जिन्दगी। कामदार = रियासतकालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी। दीवा = दीपक। अरज = निवेदन। डोढ़ी = ड्योढी, मुख्य द्वार। माँयने = अन्दर। ऊभा = खड़ा। लेर = साथ। सरणाटो = सन्नाटा। बळबळता = धधकते। जमारा = जीवन। वींरी = उसकी। परसंगी = रिश्तेदार। खोस लीधी = छीन ली। ठिमरास = धीरज। अणूती = अनोखी, नयी। कूच = रवानगी, प्रस्थान। निसाण = ध्वजा। पाखर = पलाण या जीन। कँवळी = कोमल। भेख = भेष, पहनावा। पैर = पहनकर। हड़ोल = हरावल, सेना की मुख्य अग्रिम टुकड़ी। खचाखच = तलवारों की टकराहट। पळाका = चमकना। भेलै = साथ। रान = लगाम। पाटा = मरहम पट्टी। लोयाँ = खून। गुमान = गर्व। आन = इज्जत। विपद = संकट। जसी = जैसी। पराधीन = गुलाम। एवज = बदला, स्थानापन्न। हुँकार = ललकारने का भाव। कलंगी = पगड़ी पर राजचिह्न की प्रतीक, पंख जैसी कली।

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