Rajasthan Board RBSE Class 8 Sanskrit व्याकरण कारकम्
(कारक एवं उपपद विभक्तियों का ज्ञान) वाक्य में क्रिया को शीघ्र ही अन्वय जिस पद अथवा शब्द के साथ होता है, उस पद को कारक कहते हैं। कारकों का अर्थ प्रकाशित करने के लिए जिन प्रत्ययों का संयोजन (मेल) शब्दों के साथ होता है वे प्रत्यय कारक-विभक्तियाँ होते हैं। सामान्यतः विभक्तियाँ दो प्रकार की होती हैं
- कारक-विभक्ति
- उपपद-विभक्ति।
कारक-विभक्ति-कारक द्वारा प्रयुक्त विभक्ति कारकविभक्ति होती है। जैसे-‘बालकः विद्यालयं गच्छति।’ यहाँ ‘बालकः’ इस पद में कर्तृकारक होने से प्रथमा विभक्ति है। विद्यालयम्’ यहाँ कर्मकारक होने से द्वितीया विभक्ति है।
उपपद-विभक्ति-पद को आश्रित करके जो विभक्ति प्रयुक्त होती है, उसे उपपद विभक्ति कहते हैं। जैसे-‘गुरवे नमः। यहाँ ‘नम:’ इस पद के प्रयोग के कारण ‘गुरवे’ में चतुर्थी विभक्ति है।
संस्कृत में कारक छः माने जाते हैं और प्रत्येक कारक के लिए एक विभक्ति आती है। सम्बन्ध और सम्बोधन को कारक नहीं मानते हैं, परन्तु इनके लिए विभक्ति आती है। कारक, विभक्ति तथा इसके चिह्न यहाँ दिये जा रहे हैं-
सामान्य रूप से कारक या विभक्ति का प्रयोग ऊपर लिखे चिह्न या अर्थ के लिए किया जाता है, परन्तु संस्कृत में कुछ अव्ययों, उपसर्गों, धातुओं या प्रत्ययों के कारण उनके साथ के पदों में विशेष विभक्ति आती है। इनको ‘उपपद विभक्ति’ कहते हैं। जैसे-
- अभितः, परितः, उभयतः-इन शब्दों के साथ द्वितीयाविभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे-ग्रामं परितः क्षेत्राणि सन्ति (गाँव के चारों ओर खेत हैं)। विद्यालयं अभितः वृक्षाः सन्ति (विद्यालय के दोनों ओरवृक्ष हैं) माम् उभयतः बालकौ स्तः (मेरे दोनों ओर दो बालक हैं)।
- हा, धिक्, प्रति-इन अव्ययों के साथ द्वितीया विभक्ति आती है। जैसे-धिक् दुर्जनम् (दुर्जन को धिक्कार), हा कष्टम् (हाय कष्ट है), सः ग्राम प्रति गच्छति (वह गाँव ३ की ओर जाता है), बालकाः गृहं प्रति धावन्ति (बालक घर की ओर दौड़ रहे हैं)।
- अलम् (मत या बस)-इस अव्यय के साथ तृतीया विभक्ति आती है। जैसे-अलं भोजनेन (भोजन मत करो)
- विना-इस अव्यय के साथ द्वितीया, तृतीया और पञ्चमी विभक्ति आती है। जैसे-धनं विना कार्यं न चलति (धन के बिना काम नहीं चलता है)।
- सह, साकम्, समम् (साथ)-इन अव्ययों के योग में तृतीया विभक्ति आती है। जैसे–रामेण सह सीता गच्छति (राम के साथ सीता जाती है)। बालकः पिता साकं गच्छति (बालक पिता के साथ जाता है)। छात्रः मित्रेण समं पठति (छात्र मित्र के साथ पढ़ता है)।
- अंग विकार-शरीर के जिस अंग में विकार हो अर्थात् विकृत अंगवाची शब्द में तृतीया विभक्ति आती है। जैसे-नेत्रेण काणः, कर्णाभ्याम् बधिरः (आँख से काना, कानों से बहरा)। पादेन खञ्जः (पैर से लंगड़ा)। शिरसा खाल्वाटः (सिर से गंजा)
- नमः (नमस्कार) तथा स्वस्ति (कल्याण हो)इन दोनों अव्ययों के साथ चतुर्थी विभक्ति आती है। जैसे-
- मित्राय नमः (मित्र को नमस्कार),
- छात्राय स्वस्ति (छात्र का कल्याण हो)। गुरवे नमः (गुरु को नमस्कार)। हनुमते नमः। गणेशाय नमः। सरस्वत्यै नमः। अध्यापकाय नमः।
- क्रुध, कथ्, रुच, दा (देना) धातु-इन धातुओं के क्रियापदों के साथ चतुर्थी विभक्ति आती है। जैसे-
- मूर्खाय क्रुध्यति,
- शिष्याय कथयति,
- बालकाय पठनं रोचते (बालक को पढ़ना अच्छा लगता है)।
- दरिद्राय धनं ददाति (गरीब को धन देता है)। पिता पुत्राय क्रुध्यति (पिता पुत्र पर क्रोध करता है)।
- भी (डरना), त्रा(रक्षा करना)-इन दोनों धातुओं के कारण पञ्चमी विभक्ति आती है। जैसे-अयं चौरस्त् बिभेति दुर्जनात् त्रायते बालकः सिंहात् बिभेति (बालक सिंह से डरता है) नृपः शत्रुभ्यः त्रायते सः तस्मात् बिभेति।
- तरप् प्रत्यय-इस प्रत्यय से दो की तुलना करने पर एक में पञ्चमी विभक्ति आती है। तुलनावाचक शब्द में पुल्लिंग में तरः, स्त्रीलिंग में तरा तथा नपुंसकलिंग में तरम् जुड़ता है। जैसे-रामात् पटुतरः सुरेशोऽस्ति [सुरेश राम से अधिक पटु (चतुर) है।] सीता गीतायाः चतुरतरा वर्तते इदं पुस्तकं तस्मात् दीर्घतरम् वर्तते
- तमप् प्रत्यय-बहुतों में से एक को विशिष्ट बतलाने पर षष्ठी या सप्तमी विभक्ति आती है। जैसे-
- छात्राणां रमेशः चतुरतमः अस्ति।
- छात्रेषु सुधीरः चतुरतमः अस्ति। (छात्रों में सुधीर सबसे चतुर है) नदीषु गंगा पवित्रतमा वर्तते फलेषु आम्रः मधुरतमः।
- इदम् पुस्तकं सर्वेषु दीर्घतमम् अस्ति
- लग्न, चतुरः, कुशलः, प्रवीण-इन शब्दों के साथ सप्तमी विभक्ति आती है। जैसे-
- श्यामः कार्ये लग्नः,
- देवेन्द्र पठने चतुरः। रमा गृहकर्मणि कुशला (रमा घर के कार्य में कुशल है)। प्रदीपः व्यापारे प्रवीणः (प्रदीप व्यापार में प्रवीण है)।
अन्य उदाहरण-
अभितः—ग्रामम् अभितः पर्वताः सन्ति
परितः—ग्रामं परितः उद्यानम् अस्ति।
उभयतः—विद्यालयम् उभयतः पुष्पवाटिका।
सर्वतः—पुष्पवाटिकां सर्वतः वृक्षाः सन्ति
सह—शशाङ्केण सह रोहिणी गृहं गतवती
साकं—मया साकं त्वं गच्छसि।
समम्—त्वया समम् अहं गच्छामि।
साधं—प्रधानमन्त्रिणा सार्ध मन्त्रिणः अपि गतवन्तः।
अलम्—अलम् विवादेन अलं श्रमेण रामः रावणाय अलम्
नमः—गुरवे नमः।
स्वाहा—अग्नये स्वाहा।
स्वधा—पितृभ्यः स्वधा
वषट्—देवतायै वषट्।
अभ्यासार्थ प्रश्नोत्तर
लघूत्तरात्मक प्रश्ना
प्रश्न 1.
अधोलिखितपदानां प्रयोगेन/योगेन एकैकं वाक्यंलिखत।
उत्तर:
प्रश्न 2.
कोष्ठकप्रदत्तशब्देषु समुचितविभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) बालकः …………………………………….. सह क्रीडति। (मित्र)
(ख) …………………………………….. परितः छात्राः सन्ति। (शिक्षक)
(ग) …………………………………….. नमः। (देव)
(घ) अहं …………………………………….. समम् गच्छामि। (रमा)
(ङ) …………………………………….. स्वधा (पितृ)
उत्तर:
(क) मित्रेण,
(ख) शिक्षकम्,
(ग) देवाय,
(घ) रमया,
(ङ) पितृभ्यः
प्रश्न 2.
‘गुरवे नमः’-रेखांकितपदे प्रयुक्तविभक्तिः कारणं च लिखत
उत्तर:
चतुर्थी विभक्तिः ‘नम:’ पदयोगे
प्रश्न 3.
अधोलिखितवाक्येषु रेखांकित पदेषु प्रयुक्तंविभक्तिं लिखत
- गृहम् अभितः जलमस्ति
- रामः मोहनेन सह विद्यालयं गच्छति
- रामाय नमः
- अलं हसितेन
- विद्यालयं परितः वृक्षाः सन्ति
- जनकेन सह पुत्र गत
- गणेशाय नमः
- अलम् विवादेन
उत्तर:
- द्वितीया
- तृतीया
- चतुर्थी।
- तृतीया।
- द्वितीया।
- तृतीया
- चतुर्थी।
- तृतीया।
प्रश्न 4.
अधोलिखितवाक्येषु रेखांकितपदेषु प्रयुक्तविभक्तिं लिखत
(क) स कलमेन लिखति।
(ख) चौरात् विभेति।
(ग) कविषु कालिदास श्रेष्ठतमः
(घ) गुरवे नमः
उत्तर:
(क) तृतीया
(ख) पञ्चमी
(ग) सप्तमी
(घ) चतुर्थी।
प्रश्न 5.
अधोलिखितवाक्येषु रेखांकितपदेषु प्रयुक्तविभक्तिं लिखत
(क) नगरं परितः वृक्षाः सन्ति
(ख) हनुमते नमः
(ग) अलं कलहेन
(घ) छात्रेषु सुधीर: चतुरतम:
उत्तर:
(के) द्वितीया
(ख) चतुर्थी
(ग) तृतीया
(घ) सप्तमी
प्रश्न 6.
अधोलिखितवाक्येषु रेखांकितपदेषु प्रयुक्तविभक्ति लिखत-
(क) सः वृद्धः शिरसा खल्वाट:।
(ख) ग्रामं परितः उद्यानम् अस्ति।
(ग) त्वया साकं अहं गच्छामि
(घ) हरि: वैकुण्ठम् अधितिष्ठति
उत्तर:
(क) तृतीया
(ख) द्वितीया
(ग) तृतीया
(घ) द्वितीया
प्रश्न 7.
अधोलिखितवाक्येषु रेखांकितपदेषु प्रयुक्तविभक्तिं लिखत-
(क) सोमदत्त: रात्रौ क्षेत्रे कार्यं करिष्यति
(ख) नदीनां गङ्गा पवित्रतमा
(ग) गङ्गा हिमालयात् प्रभवति
(घ) धनं विना जीवनं व्यर्थम्
उत्तर:
(क) सप्तमी
(ख) षष्ठी
(ग) पंचमी
(घ) द्वितीया
प्रश्न 8.
अधोलिखितवाक्येषु रेखांकितपदेषु प्रयुक्तविभक्तिं लिखत
(क) सः कलमेन लिखति।
(ख) वृक्षात् पत्राणि पतन्ति
(ग) बालकाय मोदकं रोचते
(घ) छात्रेषु गोपालः कुशलः।
उत्तर:
(क) तृतीया
(ख) पंचमी
(ग) चतुर्थी
(घ) सप्तमी।
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