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RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 22 भारत की अर्थव्यवस्था पर अंग्रेजी शासन का प्रभाव

March 8, 2019 by Fazal Leave a Comment

   

RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 22 भारत की अर्थव्यवस्था पर अंग्रेजी शासन का प्रभाव are part of RBSE Solutions for Class 8 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 22 भारत की अर्थव्यवस्था पर अंग्रेजी शासन का प्रभाव.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 8
Subject Social Science
Chapter Chapter 22
Chapter Name भारत की अर्थव्यवस्था पर अंग्रेजी शासन का प्रभाव
Number of Questions Solved 52
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 22 भारत की अर्थव्यवस्था पर अंग्रेजी शासन का प्रभाव

पाठगत प्रश्न

गतिविधि 
(पृष्ठ संख्या 147)

प्रश्न 1.
यूरोप के देशों में भारतीय सामान खरीदने लायक सम्पन्नता आ गई। कैसे ?
उत्तर
पन्द्रहवीं-सोलहवीं सदी में स्पेन के लोगों ने अमेरिका की खोज के पश्चात् अमेरिका में पाय लुट-पाट की। अमेरिका से काफी मात्रा में सोना-चाँदी लूटकर स्पेन में लाया गया। इससे यूरोप के देशों में भारतीय सामान को खरीदने लायक सम्पन्नता आ गई।

प्रश्न 2.
यूरोप में समुद्री रास्ते से होकर भारत आने का मार्ग एक पुर्तगाली नाविक ने खोज निकाला। उस नाविक का नाम क्या था? उत्तर
यूरोप से समुद्री रास्ते से होकर भारत आने का मार्ग खोज निकालने वाले पुर्तगाली नाविक का नाम “वास्कोडिगामा’ था।

प्रश्न 3.
नाके किसे कहते हैं?
उत्तर
चुंगी वसूल करने वाले स्थान ‘ना’ कहलाते हैं।

गतिविधि
(पृष्ठ संख्या 148
(आओ चर्चा करें)

प्रश्न 1.
मालगुजारी का क्या आशय है?
उत्तर
मालगुजारी से आशय हैकिसानों से वसूल किया जाने वाला भू-राजस्व।

प्रश्न 2.
मालगुजारी द्वारा शोषण किस प्रकार होता था ?
उत्तर
अंग्रेजी कम्पनी द्वारा वसूल की जाने वाली मालगुजारी किसानों को लूटने का सीधा तरीका था। इसमें कम्पनी के अधिकारी मनमाने ढंग से किसानों से मालगुजारी वसूल करत थे। इसका परिणाम यह हुआ कि किसानों ने खेती करनी बन्द कर दी। इससे किसानों के खेत उजड़ गए। एक अंग्रेज अधिकारी ने कहा था, “बीते दिनों में बंगाल के गांव विभिन्न जातियों के लोगों से भरे पड़े थे और पूर्व में वाणिज्य, धनसम्पदा व उद्योग के भण्डार थे, परन्तु हमारे कुशासन ने 20 वर्षों में ही इन गाँवों के बहुत सारे हिस्सों को बंजर बना दिया है। खेतों में अब खेती नहीं की जाती । किसान लुट चुके हैं। औद्योगिक निर्माताओं का दमन किया जा चुका है।

(पृष्ठ संख्या 149)

प्रश्न 1.
ईस्ट इण्डियन मैन किसे कहा जाता था ?
उत्तर
भारत के साथ व्यापार करने के लिए अंग्रेजों द्वारा उस समय बहुत बड़े जहाजों का इस्तेमाल किया जाता था। इन जहाजों को ‘ईस्ट इण्डियन मैन’ कहा जाता था।

प्रश्न 2.
सम्पत्ति के निकास का सबसे पहले विरोध करने वाले भारतीय व्यक्ति कौन थे ?
उत्तर
सम्पत्ति के निकास का सबसे पहले विरोध करने वाले भारतीय व्यक्ति दादाभाई नौरोजी थे।

प्रश्न 3.
इंग्लैण्ड की पार्लियामेन्ट ने भारतीय कपड़ों के इस्तेमाल पर पाबन्दी क्यों लगाई ?
उत्तर
सत्रहवीं शताब्दी के अन्त में बड़ी मात्रा में सस्ते और दिया कपड़े का इंग्लैण्ड में आयात हुआ। ये कपड़े लोगों को इतने अधिक पसन्द आए कि कपड़ों के उत्पादक गम्भीर रूप से इर गए। अतः सन् 17 व 1712 में इंग्लैण्ड की पार्लियामेंट ने कुछ विशेष कपड़ों को छोड़कर बाकी के इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबन्दी लगा दी।

(पृष्ठ संख्या 150)
कक्षा में चर्चा करें।

प्रश्न 1.
अंग्रेजों ने भारत में केवल वहीं उद्योग स्थापित स्थापना करना उनकी मजबूरी थी। शेष सारे उद्योग उन्होंने इंग्लैण्ड में स्थापित किये।
उत्तर
अंग्रेज पूँजीपति भारत में औद्योगीकरण के विरोधी थे। इसलिए उन्होंने वहाँ केवल वही उद्योग स्थापित किये, जिनकी स्थापना करना वहाँ पर भौगोलिक रूप से आवश्यक था। उन्होंने शेष समस्त उद्योग अपने देश में स्थापित किये।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न 

प्रश्न 1.
प्रश्न संख्या एक व दो के सही उत्तर कोष्ठक में लिखिए
(1) अंग्रेजों द्वारा किसानों को लूटने का सीधा तरीका भा
(अ) प्रत्यक्ष टमार द्वारा
(ब) मालगुजारी द्वारा
(स) कानून बनाकर
(द) मुक्त व्यापार, नीति
उत्तर
(ब) मालगुजारी द्वारा

(2) सम्पत्ति के निकास का सबसे पहले विरोध किया था
(अ) मोतीलाल नेहरू ने
(ब) महात्मा गाँधी ने
(स) दादाभाई नौरोजी ने
(द) सरदार पटेल ने
उत्तर
(स) दादाभाई नौरोजी ने

प्रश्न 2.
भाग ‘अ’ को भाग ‘ब’ से सुमेलित कीजिए
RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 22 भारत की अर्थव्यवस्था पर अंग्रेजी शासन का प्रभाव 1

RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 22 भारत की अर्थव्यवस्था पर अंग्रेजी शासन का प्रभाव 2

प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
विऔद्योगीकरण क्या होता है ?
उत्तर
विऔद्योगीकरण भारतीय परम्परागत उद्योगों के नष्ट होने की प्रक्रिया को कहा गया। यूरोप में विशेषकर इंग्लैण्ड | में औद्योगिक क्रान्ति शुरू होने से वह मशीनों से सामान बनाया जाने लगा। ऐसी स्थिति में हाथ से बनी वस्तुओं की माँग बाजार में कम होने लगी । परिणामस्वरूप यह हुआ कि हाथ से काम करने वाले कारीगर हस्तशिल्पी आदि बेरोजगार हो गए। इस प्रकार बंगाल एवं भारत के अन्य क्षेत्रों के अनेक हस्तशिल्प भी समाप्त हो गए। इस प्रक्रिया को इतिहासकारों ने विऔद्योगीकरण’ कहा।

प्रश्न 2.
एकतरफा मुक्त व्यापार नीति क्या है? इससे भारत के विदेशी व्यापार को किस प्रकार हानि हुई?
उत्तर
एकतरफा मुक्त व्यापार नीति- इंग्लैण्ड अपने कारखानों में बनी वस्तुओं को भारतीय बाजार में बेचना चाहता था। परन्तु यह भारतीय वस्तुओं की तुलना में पटिया होने के कारण सम्भव नहीं था। इसलिए भारतीय उद्योगों को जानबूझकर नष्ट किया गया। इस काल में मुक्त व्यापार की एकतरफा नीति अपनाई गई, जिसके अन्तर्गत इंग्लैण्ड में भारत के बने सूती वस्त्रों के आयात पर भारी शुल्क लगाया| गया, जबकि भारत द्वारा इंग्लैण्ड से आयात पर किसी तरह का कोई शुल्क नहीं था। इस प्रकार ब्रिटेन द्वारा भारत के बने सूती वस्त्रों के आयात पर भारी शुल्क लगाये जाने से भारत के विदेशी व्यापार को हानि हुई।

प्रश्न 3.
उन्नीसवीं सदी में यूरोप की औद्योगिक क्रान्ति को भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर

उन्नीसवीं सदी में यूरोप की औद्योगिक क्रान्ति
का भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

उन्नीसर्वी सदी में यूरोप में विशेषकर इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति शुरू हुई। अब वहाँ मशीनों से सामान बनाया जाने लगा। मशीनी सामान की गुणवत्ता हाथ से बनी वस्तु से ब्रेन होती थी। साथ ही उसके दाम भी कम होते थे।ऐसी स्थिति में हाथ से बनी वस्तुओं की माँग बाजार में कम होने लगी। परिणाम यह हुआ कि हाथ से काम करने वाले कारीगर, हस्तशिल्पी आदि बेरोजगार हो गए। इस तरह बंगाल एवं भारत के अन्य क्षेत्रों के अनेक हस्तशिल्प भी समाप्त हो गये । इससे भारत में विऔद्योगीकरण फैला अर्थात् भारतीय परम्परागत उद्योगों के नष्ट होने की प्रक्रिया चली

प्रश्न 4.
मच्छलीपट्टनम् बन्दरगाह का महत्त्व कम होने के कारण बताइये।
उत्तर
मच्छलीपट्टनम् बन्दरगाह का महत्त्व कम होने के कारण मछलीपट्टनम् सत्रहवीं शताब्दी में एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह के रूप में विकसित हुआ। अठारहर्वी सदी के आखिर में जब व्यापार बम्बई, मद्रास और कलकत्ता के नये ब्रिटिश बन्दरगाहों पर केन्द्रित होने लगा तो मच्छलीपट्टनम् का महत्त्व घटता गया।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

बहुविकल्पात्मक
प्रश्न 1.
कौनसा देश ‘सोने की चिड़िया’ कहलाता था?
(अ) अमेरिका
(ब) रूस
(स) इंग्लैण्डु
(द) भारत
उत्तर
(द) भारत

प्रश्न 2.
किस पुर्तगाली नाविक ने समुद्री रास्ते से भारत आने का मार्ग ढूंढ़ निकाला?
(अ) कोलम्बस
(ब) अमेरिगो
(स) वास्कोडिगामा
(द) मेगलान
उत्तर
(स) वास्कोडिगामा

प्रश्न 3.
मुगल सम्राट् फर्रुखसियर ने अंग्रेजी कम्पनी को कब फरमान दिया?
(अ) 1700
(ब) 1800
(स) 1757
(द) 1717
उत्तर
(द) 1717

प्रश्न 4.
18वीं सदी के अन्त तक बंगाल का लगभग सारा का सारा कौनसा उद्योग नष्ट हो गया?
(अ) चमड़ा उद्योग
(ब) कपड़ा उद्योग
(स) हीरे-जवाहरात का उद्योग
(द) धातु उद्योग
उत्तर
(ब) कपड़ा उद्योग

प्रश्न 5.
कौन लोग भारत में औद्योगीकरण के विरोधी थे?
(अ) भारतीय पूँजीपति
(ब) मुगल बादशाह
(स) अंग्रेज पूँजीपति
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(स) अंग्रेज पूँजीपति

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. लोग यहाँ तक मानने लगे थे कि अंग्रेज कम्पनी ने ढाका में ………………बनाने वाले कारीगरों के अंगूठे काट डाले। (जूट का सामान/मलमल की साड़ी)
2. 19वीं सदी में यूरोप में विशेषकर………………. में औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात हुआ। (फ्रांस/इंग्लैण्ड)
3. औद्योगिक क्रान्ति का अर्थ है मशीनों से उत्पादन करना। (हाथों के बजाय/पैरों के बजाय)
4. अंग्रेजों ने में केवल वही उद्योग स्थापित किये जिनकी स्थापना करना वहाँ पर भौगोलिक रूप से उनकी मजबूरी थी।(इंग्लैण्ड,भारत)
5…………….द्वारा वसूल की जाने वाली मालगुजारी किसानों को लूटने का सीधा तरीका था। (कम्पनी/नवाबों)
उत्तर

  1. मलमल की साड़ी
  2. इंग्लैण्डू
  3. हाथों के बजाय
  4. भारत
  5. कम्पनी

निम्नलिखित प्रश्नों में सत्य असत्य के धन बताइये

1. प्राचीन काल में इंग्लैण्ड ‘सोने की चिड़िया’ कहलाता
2. पुर्तगाल के नाविक कोलम्बस ने समुद्री रास्ते से भारत आने का मार्ग ढूंढ निकाला।
3. 1717 में मुगल सम्राट् फर्रुखसियर ने अंग्रेजी कम्पनी को एक फरमान दिया।
4.  मलमल की साड़ी बनाने वाले बंगाल के कारीगरों के सम्बन्ध में यह प्रसिद्ध था कि इनकी बनाई साड़ी इतनी महीन होती थी कि वह अंगूठी में से निकाली जा सकती थी।
5. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने सम्पत्ति के निकास का सबसे पहले विरोध किया।
उत्तर

  1. असत्य
  2. असत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. असत्य।

स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित कीजिए
RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 22 भारत की अर्थव्यवस्था पर अंग्रेजी शासन का प्रभाव 3

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत ‘सोने की चिड़िया’ क्यों कहलाता था?
उत्तर
भारत में सोना केवल आता था, यहीं से बाहर नहीं जाता था। इसी कारण भारत ‘सोने की चिड़िया’ कहलाता था।

प्रश्न 2.
उपनिवेश क्या होता है? संक्षेप में समझाइए।
अथवा
उपनिवेश किसे कहते हैं?
उत्तर
जब एक देश किसी अन्य देश पर आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टि से अधिकार कर लेता है, तो यह देश जिस पर अधिकार किया जाता है, उपनिवेश कहलाता है।

प्रश्न 3.
पन्द्रहवीं शताब्दी के मध्य तक आते-आते किस देश के किस नाविक ने समुद्री रास्ते से भारत आने का मार्ग ढूंढ़ निकाला था? उत्तर
पन्द्रहवीं शताब्दी के मध्य तक आते-आते पुर्तगाल के नाविक वास्कोडिगामा ने समुद्री रास्ते से भारत आने का मार्ग द निकाला था।

प्रश्न 4.
भारत के उद्योगों पर कम्पनी व्यवस्था का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
18विं शताब्दी के अन्त तक बंगाल का लगभग सारा का सारा कपड़ा उद्योग नष्ट हो गया।

प्रश्न 5.
विदेशों में ढाका के किस वस्त्र की सबसे अधिक माँग धी?
उत्तर
विदेशों में ढाका में निर्मित मलमल की साड़ी की सबसे अधिक माँग थी।

प्रश्न 6.
अंग्रेजों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था का शोषण किए जाने का क्या परिणाम निकला?
उत्तर
अंग्रेजों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था का शोषण किए जाने के परिणामस्वरूप भारत की समृद्ध अर्थव्यवस्था टूट गई और देश आर्थिक दृष्टि से पिछड़ गया।

प्रश्न 7.
इंग्लैण्ड में भारत से जाने वाले सस्ते और अड़िया कपड़े का आयात रोकने के लिए क्या कानूनी उपाय किए गए।
उत्तर
17 तथा 1712 में ब्रिटिश पार्लियामेंट में कुछ विशेष कपड़ों को छोड़कर बाकी के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा दी।

प्रश्न 8.
भारत की सम्पत्ति का निकास इंग्लैण्ड के लिए किए जाने का सर्वप्रथम विरोध भारत के किस विद्वान ने किया था?
उत्तर
भारत की सम्पत्ति का निकास इंग्लैण्ड के लिए किए जाने का सर्वप्रथम विरोध भारत के प्रसिद्ध विद्वान दादा भाई नौरोजी ने किया था।

प्रश्न 9.
अंग्रेजों ने बागान उद्योगों में किन उद्योगों का विकास किया?
उत्तर
अंग्रेजों ने बागान उद्योगों में चाय, कहवा तथा नील उद्योगों का विकास किया

प्रश्न 10.
1780 के दशक से कौनसे नये बन्दरगाह विकसित होने लगे थे?
उत्तर
1780 के दशक से बम्बई और कलकत्ता व्यापारिक बन्दरगाहों के रूप में विकसित होने लगे थे।

प्रश्न 11.
एकतरफा मुक्त व्यापार नीति में भारत के विदेशी व्यापार को किस प्रकार नुकसान हुआ? एक कारण लिखिए।
उत्तर
ब्रिटिश काल में एकतरफा मुक्त व्यापार नीति के अन्तर्गत इंग्लैण्ड में भारत में बने सूती वस्त्रों के आयात पर भारी शुल्क लगाया गया, जबकि भारत में इंग्लैण्ड में बने वस्त्रों के आयात पर कोई शुल्क नहीं लगाया गया। इससे भारत के विदेशी व्यापार को हानि हुई।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत ‘ सोने की चिड़िया’ क्यों कहलाता था ?
उत्तर
भारत से कपड़ा, अनाज, धातु का सामान आदि दुनिया को भेजा जाता था। बदले में बाहर से सोना, चांदी भारत में आता था। ऐसा प्रतीत होता है कि विदेशों में बने हुए किसी भी सामान के लिए भारत में मांग नहीं थी। यदि ऐसा होता तो वहाँ बनी चीजों का भारत आयात भी करता। वास्तव में स्थिति ऐसी हो गई थी कि भारत में सोना केवल आता था, यहाँ से बाहर नहीं जाता था। सम्भवत: इसी कारण भारत ‘सोने की चिड़िया’ कहलाता था।

प्रश्न 2.
भारतीय उद्योगपति प्रतियोगिता में नहीं ठहर सकेइसका क्या कारण था ?
उत्तर
भारत से कच्चा माल इंग्लैण्ड ले जाया जाता था तथा निर्मित माल भारत के बाजारों में बेचा जाता था। यह भारत में निर्मित माल की तुलना में सस्ता तथा अच्छा होता था। इससे भारत के उद्योगपति उनकी प्रतियोगिता में नहीं ठहर सके तथा वे बरबाद हो गए।

प्रश्न 3.
औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप हाथ से काम करने वाले कारीगर, हस्तशिल्पी आदि बेरोजगार हो गए। कारण बताओ।
उत्तर
उन्नीसवीं सदी में यूरोप में विशेषकर इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति शुरू हुई। अब वहाँ मशीनों से सामान बनाया जाने लगा। मशीनी सामान की गुणवत्ता हाथ से बनी वस्तु से श्रेष्ठ होती थी। इसके अतिरिक्त उसके दाम भी कम होते थे। ऐसी स्थिति में हाथ से बनी वस्तुओं की माँग बाजार में कम होने लगी। परिणामस्वरूप हाथ से काम करने वाले कारीगर, हस्तशिल्पी आदि बेरोजगार हो गए। इस प्रकार बंगाल एवं भारत के अन्य क्षेत्रों में अनेक हस्तशिल्प भी समाप्त हो गए।

प्रश्न 4.
सम्पत्ति के निकास से आप क्या समझते हैं? विस्तार से बताइये।
उत्तर
कराधान के द्वारा एकत्रित राशि तथा मुनाफे के रूप में एकत्रित सम्पत्ति को अंग्रेज अपने देश में ले जाते रहे एवं उस्का इस्तेमाल अपने देश में करते रहे। इससे भारत को सम्पत्ति का निकास इंग्लैण्ड के लिए होता रहा, जिससे भारत में ही अपनी सम्पत्ति का लाभ अपने देशवासियों को नहीं मिला। इसे ‘सम्पत्ति का निकास’ कहा जाता हैं। सर्वप्रथम दादाभाई नौरोजी ने सम्पत्ति के निकास का विरोध किया था। इतिहासकारों का कहना है कि यदि भारतीय सम्पत्ति को निकास न हुआ होता, तो आज यूरोप और अमेरिका इतने विकसित नहीं होते। इस प्रकार भारतीय सम्पत्ति का निकास भारत के विकसित अर्थतन्त्र के पतन के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न 5.
अंग्रेजों की औद्योगीकरण विरुद्ध नीति क्या थी ? इसका क्या परिणाम निकला ?
उत्तर
अंग्रेजों की औद्योगीकरण विरुद्ध नीति अंग्रेज पुंजीपति भारत में औद्योगीकरण के विरु% थे। इसलिए उन्होंने भारत में केवल वही उद्योग स्थापित किये, जिनकी स्थापना करना उनकी मजबूरी थी। उन्होंने शेष समस्त उद्योग इंग्लैण्ड में स्थापित किये । भारत से कच्चा माल इंग्लैंण्ड ले जाया गया और निर्मित माल भारत के बाजारों में बेचा गया। इसका परिणाम यह निकला कि भारत के उद्योगपति उनकी प्रतियोगिता में तुहर नहीं सके तथा चे थरबाद हो गए।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के उद्योगों पर ‘ब्रिटिश कम्पनी के प्रभावों का वर्णन कीजिये।
अथवा
भारत के उद्योगों पर कम्पनी का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
भारत के उद्योगों पर कम्पनी का प्रभाव-एलासी की लड़ाई (1757 ई.) में विजय के बाद अंग्रेजों ने भारत का शोषण करना शुरू कर दिया। अंग्रेज बंगाल के कारीगरों को कच्चा माल बढ़े हुए दामों पर देते थे और उनसे बना हुआ सामान एक-चौथाई से भी कम दामों पर खरीदते थे।

इसके परिणामस्वरूप आने वाले बीस वर्षों में तो कारीगर अपना काम छोड़कर भाग गए या फिर उनकी कमाई इतनी कम हो गई कि वे अब भुखमरी के कगार पर पहुंच गए। एक समय ऐसा भी था जब बंगाल से कोई 90 प्रकार का कपड़ा बनकर यूरोप के बाजारों में जाता था परन्तु अारहवीं सदी के अन्त तक बंगाल का लगभग समस्त कपड़ा उद्योग ही नष्ट हो गया। लोगों का कहना था कि अंग्रेज कम्पनी ने ढाका में मनमल की साड़ी बनाने वाले कारीगरों के अंगूठे काट डाले। इन कारीगरों के बारे में यह प्रसिद्ध था कि

इनकी बनाई साड़ी इतनी महीन होती थीं कि वह अंगूठी में से निकाली जा सकती थी किन्तु अंग्रेजों ने इन कारीगरों का अत्यधिक शोषण किया। इस प्रकार कम्पनी के शासन काल में बंगाल के गरीब जुलाहों को अमानवीय अत्याचारों का सामना करना पड़ा। यहाँ के उद्योग-धन्धे नष्ट हो गये।

प्रश्न 2.
आपके विचार से भारतीय सम्पत्ति के निकास तथा अंग्रेजों की आर्थिक नीति के क्या परिणाम हुए? बतलाइये।
उत्तर
भारतीय सम्पत्ति के निकास तथा अंग्रेजों की आर्थिक नीति के परिणाम

  1. पूँजी का अभाव- भारतीय सम्पत्ति के निकास के परिणामस्वरूप भारत में पूँजी का अभाव हो गया।
  2. कुटीर उद्योगों का पतन- अंग्रेजों की आर्थिक नीति के कारण भारत के कुटीर उद्योग नष्ट हो गए।
  3. कृषि उत्पादन में कमी- अंग्रेजों ने कृषि का वाणिज्यी-करण करके, व्यावसायिक फसलों के उत्पादन पर दबाव डाल कर भूमि की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर दिया। राजस्व वसूलने की कठोरता और उत्पादन में कमी ने कृषकों को निर्धन और भूमिहीन बना दिया।
  4. व्यापार को हानि- अंग्रेजों के व्यापारिक सौदे ने भारतीय व्यापार को प्रबल आघात पहुँचाया।
  5. गरीबी और भुखमरी की स्थिति- भूराजस्व की अधिकता, वसूली की कठोरता, सरकार को आयात-निर्यात की नीति आदि के कारण देश में अनाज की कमी हो गई । देश में गरीबी और भुखमरी की स्थिति बनी।
  6. औद्योगिक अवनति- देश की विपुल धन-सम्पत्ति के निष्कासन से औद्योगिक गति अवरुद्ध हो गई।

प्रश्न 3.
भारत में अंग्रेजों के शासन से पूर्व बहुत समृद्धि थी। अंग्रेजों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था का शोषण करने के किन्हीं तीन तरीकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
अंग्रेजों ने भारतीयों का शोषण करने के लिए अनेक तरीकों को अपनाया स्पष्ट कीजिए। उत्तर भारत में अंग्रेजों के आने से पहले यह देश उस समय के यूरोप की तुलना में उन्नत और समृद्ध था। लेकिन अंग्रेजी शासनकाल में अंग्रेजों ने भारत का जिस तरह शोषण किया, उससे यहाँ की समृद्ध अर्थव्यवस्था टूट गई और देश आर्थिक दृष्टि से पिछड़ गया। अंग्रेजों ने शोषण के लिए अनेक तरीके अपनाए। यथा
(1) प्रत्यक्ष लूट-मार- कम्पनी के एजेन्ट किसानों, व्यापारियों आदि को जबरदस्ती एक-चौथाई कीमत देकर उनके माल व उत्पादन को हड़प लेते थे तथा वे अपनी एक रुपये की चीज को जबरन पांच रुपये में बेचते थे। जो कम्पनी की अनुचित माँगों को नहीं मानते उन्हें दंडित किया जाता था।

(2) मालगुजारी- कम्पनी द्वारा वसूल की जाने वाली मालगुजारी किसानों को लुटने का सीधा तरीका था। कम्पनी के अधिकारी मनमाने ढंग से किसानों से मालगुजारी वसूल करते थे। परिणामत: किसानों ने खेती करनी बंद कर दी तथा किसानों के खेत उजड़ गये।

(3) एकतरफा मुक्त व्यापार नीति- भारतीय उद्योगों को नष्ट करने के लिए कम्पनी ने मुक्त व्यापार को एकतरफा नीति अपनाई जिसके अन्तर्गत इंग्लैण्ड में भारत के बने सूती वस्त्रों के आयात पर भारी शुल्क लगाया गया, जबकि भारत द्वारा इंग्लैंड से आयात पर किसी तरह का कोई शुल्क नहीं था।

(4) सम्पत्ति का निकास- कराधान तथा लाभ के रूप में एकत्रित सम्पत्ति को अंग्रेज अपने देश में ले जाते रहे । इससे अपने देश की सम्पत्ति इंग्लैंड जाती रही तथा देशवासी इस सम्पत्ति के लाभ से वंचित रहे । इससे भारतीय अर्थव्यवस्था का पतन हो गया।

(5) कानून बनाकर– सन् 1700 व 1712 में संसद में कुछ खास कपड़ों को छोड़कर बाकी के आयातित कपड़ों के प्रयोग पर इंग्लैंड में पूरी तरह रोक लगा दी गई। इससे भारत का निर्यात अवरुद्ध हो गया।

(6) औद्योगीकरण विरोधी नीति- अंग्रेज पूँजीपति भारत में औद्योगीकरण के विरोधी थे। इसलिए उन्होंने यहाँ जूट उद्योग को छोड़कर कोई अन्य उद्योग नहीं लगाया । फलत: यहाँ से कच्चा माल इंग्लैंड ले जाया गया और निर्मित माल यहाँ के बाजारों में बेचा गया। फलत: भारतीय उद्योगपति याद हो गए।

प्रश्न 4.
तात्कालिक भारत की आर्थिक स्थिति की विवेचना कीजिए।
उत्तर
तात्कालिक भारत की आर्थिक स्थिति-प्रारंभ में भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। लेकिन कम्पनी के समय तथा ब्रिटिश शासन के समय भारत की आर्थिक स्थिति दयनीय होती चली गई । वास्कोडिगामा द्वारा भारत के समुदी रास्ते की खोज के बाद युरोप के व्यापारी अधिकाधिक संख्या में भारत आने लगे। इस समय यूरोप के व्यापारी कम्पनियाँ बना कर दूर-दराज के इलाकों में व्यापार करने लगे थे। पुर्तगालियों ने अरब सागर के समुद्री रास्ते पर नाके स्थापित कर रखे थे। वहीं से आने-जाने वाले प्रत्येक जहाज से वे चुंगी वसूल करते थे। जो चुंगी नहीं देता था उस पर हमला किया जाता । यह तब तक चलता रहा, जब तक अंग्रेज कम्पनी के जहाजों ने तोपों के दम पर समुद्र पर अपना सामरिक वर्चस्व कायम नहीं कर लिया।

अठारहवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक अंग्रेज कम्पनी हिन्दुस्तान के साथ व्यापार करने वाली सबसे बड़ी यूरोपीय कम्पनी बन गई। सूरत बन्दरगाह से बीच-बीच में मुगल साम्राज्य के साथ कम्पनी की लड़ाई भी हुई। लड़ाई में कई बार मुगल सेनाओं ने कम्पनी को हराया तथा कम्पनी के अधिकारियों द्वारा माफी मांगने पर उन्हें छोड़ा भी गया। 1717 ई. में मुगल सम्राट फखसियर ने अंग्रेज कम्पनी को सालाना 300 रुपये के बदले में सारे देश में बगैर चुंगी दिए व्यापार का अधिकार दे दिया। इस तरह कम्पनी को हिन्दुस्तान में अपना व्यापार बढ़ाने का मौका मिल गया।

आने वाले समय में अंग्रेज कम्पनी ने नगभग सारी यूरोपीय कम्पनियों को बन्दूक के दम पर देश से मार भगाया तथा यहाँ के सारे व्यापार पर वर्चस्व स्थापित कर लिया । इस तरह कम्पनी को बन्दुक के बल पर व्यापार करने का चस्का लग गया था। बन्दुक के दम पर उसने भारत के मुगल सम्राट एवं बंगाल के नवाब को भी दबा दिया। बंगाल में कम्पनी के व्यापारी अपना कारोबार जोर-जबरदस्ती से करने लगे।

इस प्रकार इस समय मुगल सरकार की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गयी थी तथा कम्पनी अपना व्यापार बढ़ाकर भारी मुनाफा कमा रही थी तथा लोगों का शोषण कर रही थी।

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