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RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 23 ब्रिटिशकालीन भारतीय शासन व्यवस्था

March 8, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 23 ब्रिटिशकालीन भारतीय शासन व्यवस्था are part of RBSE Solutions for Class 8 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 23 ब्रिटिशकालीन भारतीय शासन व्यवस्था.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 8
Subject Social Science
Chapter Chapter 23
Chapter Name ब्रिटिशकालीन भारतीय शासन व्यवस्था
Number of Questions Solved 49
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 23 ब्रिटिशकालीन भारतीय शासन व्यवस्था

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

प्रश्न एक का सही उत्तर कोष्ठक में लिखेंप्रश्न
प्रश्न 1.
भारत के प्रथम वायसराय थे
(अ) लाई कैनिंग
(ब) लार्ड डलहौजी
(स) सर जान लारेन्स
(द) लार्ड मेयो
उत्तर
(अ) लाई कैनिंग

प्रश्न 2.
संघीय न्यायालय की स्थापना किस अधिनियम के तहत की गई?
उत्तर
संघीय न्यायालय की स्थापना 1935 के भारत शासन अधिनियम के तहत की गई

प्रश्न 3.
कृषि का वाणिज्यीकरण किसे कहा जाता है?
उत्तर
ब्रिटिश सरकार ने अपने आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए भारतीय कृषि का वाणिज्यीकरण किया। इसके अन्तर्गत कुछ विशेष फसलों का उत्पादन किसानों के उपयोग के लिए नहीं अपितु ब्रिटिश मण्डियों के लिए होने लगा। इसी को कृषि का वाणिज्यीकरण कहा जाता है।

प्रश्न 4.
लॉर्ड मिन्टो को साम्प्रदायिक निर्वाचन पद्धति का जन्मदाता क्यों कहा जाता है ?
उत्तर
1999 के भारत परिषद् अधिनियम द्वारा मुसलमानों के लिए पृथक् मताधिकार तथा पृथक् निर्वाचन क्षेत्रों की । स्थापना की गई। इसके जन्मदाता भारत सचिव माले तथा गवर्नर लाई मिन्टों थे। इसी कारण मानें और मिन्द्रों को साम्प्रदायिक निर्वाचन पद्धति का जन्मदाता कहा जाता है।

प्रश्न 5.
द्वैध शासन से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर
1919 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा प्रान्तों में लागू की गई शासन व्यवस्था को द्वैध शासन कहते हैं। अब प्रान्तों में आंशिक उत्तरदायी सरकार की स्थापना हो गई।द्वैध शासन का अर्थ है-दो शासकों का शासन । प्रान्तों के आरक्षित विषयों का शासन गवर्नर अपनी परिषद् की सहायता से चलाता था तथा हस्तान्तरित विषयों का प्रशासन गवर्नर मन्त्रियों की सहायता से करता था।

प्रश्न 6.
शिक्षा एवं समाज सुधार के जरिए अंग्रेजों द्वारा समाज को अपने पक्ष में डालने का उद्देश्य क्या था?
उत्तर
शिक्षा व समाज सुधार के जरिये अंग्रेजों द्वारा समाज को सरकार के पक्ष में दालना-अंग्रेजी शिक्षा लागू करने का उद्देश्य प्रारम्भ में कम्पनी को कम वेतन पर भारतीय कर्मचारियों की व्यवस्था करना, ईसाई धर्म का प्रचार करना तथा प्रशासनिक कार्यों की सहायता के लिए भारतीयों का सहयोग प्राप्त करना था। परन्तु इसका प्रभाव यह भी हुआ। कि अंग्रेजी पढ़ कर लोग पश्चिमी सभ्यता एवं संस्कृति और राजनीति को समझने लगे तथा उनकी अच्छाइयों को ग्रहण करने लगे।

अंग्रेज भारतीय धर्मो तथा रीति-रिवाजों की केवल आलोचना करते थे परन्तु उनकी अच्छाइयों पर प्रकाश नहीं डालते थे। वे पाश्चात्य सभ्यता तथा संस्कृति की विशेषताओं का ही उल्लेख करते थे। इस प्रकार शिक्षा व समाज के जरिये अंग्रेज समाज को सरकार के पक्ष में द्वालना चाहते थे।

प्रश्न 7.
वनक्युलर प्रेस एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
बर्नाक्युलर प्रेस एक्ट-1875 में ब्रिटिश सरकार ने ‘अर्नाक्युलर प्रेस एक्ट’ पास किया, जिसके अनुसार भारतीय भाषाओं के समाचार-पत्रों पर कठोर प्रतिबन्ध लगाए गए। इस एक्ट द्वारा जिला मजिस्ट्रेट को यह अधिकार मिला था कि वह किसी भारतीय भाषा के समाचार-पत्र से बाण्ड पेपर पर हस्ताक्षर करवा ले कि वह कोई भी ऐसी सामग्री नहीं छापेगा, जो सरकार विरोधी हो । यह ए इतना खतरनाक था जिसने देशी भाषाओं के समाचार-पत्रों की स्वाधीनता पर प्रतिबन्ध लगा दिया।

प्रश्न 8.
पील कमीशन की रिपोर्ट पर सेना विभाग में क्या परिवर्तन किये गए?
उत्तर
पील कमीशन की रिपोर्ट पर सेना विभाग में निम्नलिखित परिवर्तन किए गए

  1. पील कमीशन की रिपोर्ट पर सेना में भारतीय सैनिकों की तुलना में यूरोपियनों का अनुपात बढ़ा दिया गया।
  2. ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का अनुसरण करते हुए सेना के रेजिमेन्रों को जाति, समुदाय और धर्म के आधार पर विभाजित कर दिया गया।

प्रश्न 9.
ब्रिटिश सरकार द्वारा राजस्थान की रियासतों में ‘अभिभावक परिषद्’ का गठन क्यों किया गया?
उत्तर
राजस्थान की रियासतों में ‘अभिभावक परिषद् का गठन-नाबालिग राजकुमार के राजा बनने पर ब्रिटिश सरकार ने पॉलिटिकल एजेन्ट की अध्यक्षता में अभिभावक परिषद् का गठन किया। इसके माध्यम से रियासत का शासन प्रबन्ध ब्रिटिश सरकार के नियन्त्रण में आ गया। उदयपुर में ऐसा करने का अवसर ब्रिटिश सरकार को 1861 ई. में मिला।

गतिविधि 
(पृष्ठ संख्या 156 )

प्रश्न 1.
ब्रिटिशकालीन भारतीय शासन के समय ऐसे कौनसे परिवर्तन किये गए, जो आज भी चल रहे हैं? पता कीजिए।
उत्तर
ब्रिटिशकालीन भारतीय शासन के समय किये गए परिवर्तन जो आज भी चल रहे हैं

  1. भारत में संघात्मक सरकार को स्थापना
  2. एक संघीय न्यायालय की स्थापना
  3. केन्द्रीय विधान मण्डल में दो सदनों की व्यवस्था
  4. विषयों को तीन श्रेणियों में बाँटना–संघ सूची, प्रान्तीय सूची तथा समवर्ती सूची।
  5. डाक विभाग की स्थापना, रेलवे लाइनों का निर्माण
  6. सार्वजनिक निर्माण विभाग तथा लोकसेवा विभाग की स्थापना
  7. आधुनिक शिक्षा का विस्तार, अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाना, उच्च शिक्षा के विस्तार के लिए विश्वविद्यालयों की स्थापना करना, सर्जेन्ट योजना के अनुसार देश में प्रारम्भिक विद्यालय, उच्च माध्यमिक विद्यालय थापित करना एवं 6 से 11 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं के लिए व्यापक नि:शुल्क अनिवार्य शिक्षा को व्यवस्था करना
  8. कानून बनाकर सती प्रथा, बाल विवाह, कन्यावध, दास-प्रथा आदि को अवैध घोषित करना
  9. जिलों का जिलाधीशों द्वारा शासित होना, जिलाधीश का अपने जिले का पूर्ण रूप से मालिक होना, न्याय का कार्य जिरना मजिस्ट्रेट एवं शान्ति व्यवस्था का कार्य पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाना, जिलों में कलेक्टरों एवं पुलिस अधीक्षकों को नियुक्त किया जाना
  10. भारत में पुरातत्त्व विभाग की स्थापना करना

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न बहुविकल्पात्मक

प्रश्न 1.
किसे भारत में साम्प्रदायिक निर्वाचन पद्धति का जन्मदाता कहा जाता है?
(अ) डलहौजी
(ब) हेस्टिंग्ज
(स) कार्नवालिस
(द) मार्ले-मिन्टो
उत्तर
(द) मार्ले-मिन्टो

प्रश्न 2.
ब्रिटिश सरकार ने सेना के पुनर्गन के लिए कौनसी कमीशन नियुक्त किया?
(अ) स्ट्रेची कमीशन
(ब) पील कमीशन
(स) फ्रेजर कमीशन
(द) हष्टर कमीशन्
उत्तर
(ब) पील कमीशन

प्रश्न 3.
प्रान्तों में वैध शासन लागू किया गया
(अ) 1929
(ब) 1861
(स) 1919
(द) 192
उत्तर
(स) 1919

प्रश्न 4.
किस अधिनियम को मार्ले-मिन्टो सुधार के नाम से जाना जाता है?
(अ) 1861 को भारतीय परिषद् अधिनियम
(ब) 1892 का भारत परिषद् अधिनियम
(स) 1913 का अधिनियम्
(द) 1909 को भारत परिषद् अधिनियम
उत्तर
(द) 1909 को भारत परिषद् अधिनियम

प्रश्न 5.
किस अधिनियम द्वारा भारत में सर्वप्रथम संघात्मक सरकार की स्थापना की गई?
(अ) 1861 का अधिनियम
(ब) 19 का अधिनियम
(स) 1935 का अधिनियम
(द) 1919 का अधिनियम
उत्तर
(स) 1935 का अधिनियम

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. 1892 के भारत परिषद् अधिनियम का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान………… शुरुआत करनी थी।(चुनाव पद्धति द्वैध शासन)
2. 1999 के भारत परिषद् अधिनियम के जन्मदाता भारत सचिव मार्ने तथा गवर्नर जनरल………….. थे। (कैनिंग/लाई मिन्टो)
3. 1919 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा प्रान्तों में लागू की गई शासन व्यवस्था को…………कहते हैं। (इकहराद्वैध)
4. ………… के भारत शासन अधिनियम के द्वारा एक संघीय न्यायालय की स्थापना की गई। (1919/1935)
उत्तर

  1. चुनाव पद्धति
  2. लाई मिन्ट
  3. द्वैध शासन
  4. 1935

निम्नलिखित प्रश्नों में सत्य/असत्य कथन बताइये
1. मार्ने तथा मिन्टो को साम्प्रदायिक निर्वाचन पद्धति का जन्मदाता कहा जाता है।
2. 1919 के भारत सरकार अधिनियम के द्वारा प्रान्तों में वैध शासन की स्थापना की गई।
3. 1919 के भारत सरकार के अधिनियम के द्वारा एक संघीय न्यायालय की स्थापना की गई।
4. 1935 के अधिनियम के द्वारा विषयों को दो श्रेणियों में बाँटा गया।
5. राजस्थान में अंग्रेजी शिक्षा का आरम्भ अजमेर क्षेत्र से हुआ।
उत्तर

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. सत्य

स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित कीजिए
RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 23 ब्रिटिशकालीन भारतीय शासन व्यवस्था 1

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1861 के भारत परिषद् अधिनियम की दो विशेषताएँ बताइये।
उत्तर

  1. गवर्नर की कार्यकारिणी परिषद् के साधारण सदस्यों की संख्या 4 से बढ़ाकर 5 कर दी गई।
  2. गवर्नर जनरल को कार्यपालिका को सुचारु रूप से चलाने के नियम तथा आदेश बनाने के अधिकार दिए गए।

प्रश्न 2.
1892 के भारत परिषद् अधिनियम का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रावधान क्या था?
उत्तर
1892 के भाग्न पाँउपद् अधिनियम का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान चुनाव पद्धति को शुरुआत करनी थी। निर्वाचन की पद्धति पूर्णतया अप्रत्यक्ष थी।

प्रश्न 3.
1909 के अधिनियम के जन्मदाता कौन थे?
उत्तर
1909 के अधिनियम के जन्मदाता भारत सचिव मार्ने तथा गवर्नर जनरल लार्ड मिन्टो थे।

प्रश्न 4.
किस अधिनियम के द्वारा प्रान्तों में आंशिक उत्तरदायी सरकार को स्थापना की गई
उत्तर
1919 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा प्रान्तों में आंशिक उत्तरदायी सरकार की स्थापना की गई।

प्रश्न 5.
1919 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा विषयों को किस प्रकार बाँटा गया?
उत्तर

  1. केन्द्रीय सूची के मुख्य विषय थे-विदेशी मामले, रक्षा, डाक, तार, सार्वजनिक ऋण आदि।
  2. प्रान्तीय सूची के मुख्य विषय थे-स्थानीय स्वशासन, शिक्षा, चिकित्सा, भूमि कर, अकाल सहायता, कृषि व्यवस्था आदि

प्रश्न 6.
किस अधिनियम के द्वारा बर्मा को ब्रिटिश भारत से पृथक् कर दिया गया?
उत्तर
1935 के भारत सरकार अधिनियम के द्वारा बर्मा को ब्रिटिश भारत से पृथक् कर दिया गया।

प्रश्न 7.
1935 के भारत सरकार अधिनियम की दो विशेषताएँ बताइये
उत्तर

  1. इस अधिनियम के द्वारा भारत में सर्वप्रथम संत्रात्मक सरकार की स्थापना की गई।
  2. इस अधिनियम के द्वारा एक संघीय न्यायालय की स्थापना की गई।

प्रश्न 8.
किसे भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा कहा गया था?
उत्तर
1854 के चार्ल्स वुड डिस्पैच को भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा कहा गया था।

प्रश्न 9.
चार्ल्स वुड डिस्पैच क्या था?
उत्तर
1854 के चाल्र्स वुड डिस्पैच के अन्तर्गत उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ीं रखा गया एवं देशी भाषाओं को भी प्रोत्साहित किया गया।

प्रश्न 10.
सर जॉन सर्जेट योजना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर

  1. इस योजना के अन्तर्गत देश में प्रारम्भिक विद्यालय, उच्च माध्यमिक विद्यालय स्थापित करने का प्रावधान था।
  2. 6 से 11 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं के लिए व्यापक नि:शुल्क अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की गई।

प्रश्न 11.
राजस्थान में राजकुमारों को शिक्षित करने के लिए किस कॉलेज की स्थापना की गई
उत्तर
राजस्थान में राजकुमारों को शिक्षित करने के लिए अजमेर में मेयो कॉलेज की स्थापना की गई।

प्रश्न 12.
शक्ति पृथक्करण स्लिान्त से आप क्या समझते हैं।
उत्तर
शकिा पृथक्करण सिद्धान्त का आशय है, सरकार की शक्तियों को अलग-अलग संस्थाओं में बाँट देना, ताकि कोई एक संस्था हावी होकर विधि विरुद्ध काम नहीं करने लगे।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1892 के भारत परिषद् अधिनियम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
1892 का भारत परिषद् अधिनियम- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के पश्चात् संवैधानिक सुधारों की माँग की गई जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश संसद ने 1992 का भारत परिषद् अधिनियम पारित किया। इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

  1. इस अधिनियम का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान चुनाव पद्धति की शुरुआत करना थी।
  2. निर्वाचन की पद्धति पूर्णतया अप्रत्यक्ष थी तथा निर्वाचित सदस्यों को मनोनीत सदस्यों का दर्जा दिया जाता था।
  3. इस अधिनियम द्वारा केन्द्रीय तथा प्रान्तीय विधान परिषदों को सदस्य संख्या में वृद्धि की गई।

प्रश्न 2.
1909 के भारत परिषद् अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर
1909 को भारत परिषद् अधिनियम-इस अधिनियम के जन्मदाता भारत सचिव माले तथा गवर्नर जनरल लाई मिन्ट थे। इस अधिनियम को ‘मार्ले-मिन्टो सुधार’ के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-

  1. इस अधिनियम द्वारा मुसलमानों के लिए पृथक् मताधिकार तथा पृथक् निर्वाचन क्षेत्रों की स्थापना की गई। इसी कारण मार्ने तथा मिन्टों को साम्प्रदायिक निर्वाचन पद्धति का जन्मदाता कहा जाता है।
  2. भारत में शासन करने के लिए अंग्रेजों ने ‘फूट डालो राज करो’ की नीति अपनाई।

प्रश्न 3.
इल्बर्ट बिल सम्बन्धी विवाद क्या था? बतलाइये।
उत्तर
लार्ड रिपन के काल में प्रस्तुत इन्वर्ट बिल में कहा गया कि सभी न्यायाधीशों को, चाहे वे भारतीय हों या अंग्रेज उन समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए। इसके अनुसार भारतीय न्यायाधीश भी अंग्रेजों को दण्डित कर सकते थे लेकिन अंग्रेजों ने इसका पुरजोर विरोध किया। यही इल्बर्ट बिग सम्बन्धी विवाद था।

प्रश्न 4.
ब्रिटिशकालीन भारतीय शासन व्यवस्था को समझाइये।
उत्तर
ब्रिटिशकालीन भारतीय प्रशासन दो भागों में विभाजित

  1. ब्रिटिश भारत और
  2. रियासती भारत। ब्रिटिश भारत केन्द्रशासित प्रदेशों एवं 11 प्रान्तों में बंटा हुआ था और सभी प्रान्तों के अलग-अलग गवर्नर थे जो भारत के गवर्नर जनरल के प्रति उत्तरदायी थे। रियासती भारत में  राजाओं द्वारा शासित राज्य थे।

प्रश्न 5.
अंग्रेजों ने भारत में फूट डालो राज करो’ नीति को किस प्रकार क्रियान्वित किया?
उत्तर

  1. अंग्रेजों ने भारत में ‘फूट डालो राज करो’ नीति का अनुसरण करते हुए 1858 के अधिनियम के तहत सेना के रेजिमेंटों को जाति, समुदाय और धर्म के आधार पर विभाजित कर दिया।
  2. 1909 के अधिनियम द्वारा मुसलमानों के लिए पृथक मताधिकार तथा पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की स्थापना कर इस नीति को आगे बढ़ाया तथा 1919 और 1935 के अधिनियमों में इस नीति का और विस्तार किया।

प्रश्न 6.
ब्रिटिशकालीन शिक्षा के प्रभाव से सामाजिक व्यवस्था में होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
ब्रिटिशकालीन शिक्षा के प्रभाव से सामाजिक व्यवस्था में होने वाले प्रमुख परिवर्तन निम्नलिखित थे

  1. अंग्रेजी शिक्षा लागू करके ईसाई धर्म का प्रचार किया गया।
  2. लोग अंग्रेजी पढ़कर पश्चिमी सभ्यता एवं संस्कृति और राजनीति को समझने लगे और उनको ग्रहण करने लगे
  3. अंग्रेजों द्वारा भारतीय धर्मों और रीति-रिवाजों की आलोचना किए जाने पर शिक्षित वर्ग ने तर्कपूर्ण विरोध किया।
  4. ब्रिटिश शिक्षा के प्रभाव से भारतीय समाज की दोषपूर्ण प्रथाओं को समझा गया तथा कानून बनाकर सती प्रथा, बाल विवाह, कन्या वध व दास प्रथा आदि को अवैध घोषित किया गया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ब्रिटिशकालीन शासन व्यवस्था में शिक्षा एवं सामाजिक व्यवस्था में क्या परिवर्तन हाए ? वर्णन कीजिए।
उत्तर
ब्रिटिशकालीन शासन व्यवस्था में शिक्षा में हुए परिवर्तन–

  1. 1854 का ‘चाल्र्स वुड़ का डिस्पैच’ भारतीय शिक्षा का मैंग्नाकार्टा’ कहा जाता हैं। इसके अन्तर्गत उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी रखा गया एवं देशी भाषाओं को भी प्रोत्साहन दिया गया।
  2. सर जॉन सर्जेन्ट की योजना के अन्तर्गत देश में प्रारम्भिक विद्यालय, उच्च माध्यमिक विद्यालय स्थापित करने एवं 5 से 11 वर्ष तक के बालक-बालिकाओं के लिए व्यापक नि:शुल्क अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था के प्रावधान थे।

ब्रिटिशकालीन शासन व्यवस्था में सामाजिक व्यवस्था में हुए परिवर्तन

  1. अंग्रेजी शिक्षा लागू करके ईसाई धर्म का प्रचार किया गया।
  2. लोग अंग्रेजी पड़कर पश्चिमी सभ्यता तथा संस्कृति और राजनीति को समझने लगे तथा उसे ग्रहण करने लगे।
  3. अंग्रेजों द्वारा भारतीय धर्मो तथा रीति-रिवाजों की आलोचना की जाती थी। इस पर शिक्षित वर्ग उसको तर्कपूर्ण विरोध करता था।
  4. कानून बनाकर सती प्रथा, बाल विवाह, कन्या वध, दास प्रथा आदि को अवैध घोषित किया गया।

प्रश्न 2.
1935 के भारत शासन अधिनियम के प्रमुख प्रावधान लिखिए।
उत्तर
1935 के भारत शासन अधिनियम के प्रमुख प्रावधान
(1) इस अधिनियम द्वारा भारत में सर्वप्रथम संघात्मक सरकार की स्थापना की गई।
(2) प्रान्तों में लागू हैध शासन को समाप्त कर दिया गया। साथ ही केन्द्र में वैध शासन को लागू कर दिया गया।
(3) इस अधिनियम के द्वारा एक संघीय न्यायालय की स्थापना की गयी।
(4) इस अधिनियम के अन्तर्गत बर्मा को ब्रिटिश भारत से पृथक कर दिया गया।
(5) केन्द्रीय सरकार की कार्यकारिणी पर गवर्नर जनरल का नियन्त्रण था।
(6) केन्द्रीय विधान मण्डल के दो सदन थे

  1. राज्यसभा- इसे उच्च सदन कहा गया। यह एक स्थायी संस्था थी। राज्यसभा में कुल 260 सदस्यों का प्रावधान था। इनमें से 104 सदस्य देशी रियासतों से थे तथा शेष 156 प्रतिनिधि ब्रिटिश प्रान्तों के थे जिनमें से 1/3 सदस्य प्रति तीन वर्ष बाद अवकाश ग्रहण कर लेते थे तथा उनकी जगह नए सदस्य चुन लिए जाते थे।
  2. संघीय सभा- इसे निम्न सदन कहा जाता था। इस सभा का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता था। इसे समय पूर्व हो भंग किया जा सकता था। इसकी सदस्य संख्या 375 निर्धारित की गई। इनमें से 125 स्थान देशी रियासतों को दिए गए तथा शेष 250 स्थानों में से 246 स्थान साम्प्रदायिक व अन्य अगों को तथा चार स्थान प्रान्तीय थे जो व्यापार, उद्योग तथा भ्रम को दिए गए।

(7) इस अधिनियम के विषयों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया-

  1. संघ सूची
  2. प्रान्तीय सूची तथा
  3. समवर्ती सूची। संघ सूची में 59 विषय, प्रान्तीय सूची में 54 विषय तथा समवर्ती सूची में 36 विषय रखे गए।

संघ सूची के विषय- इसमें सेना, विदेशी विभाग, डाक, तार, रेल, संघ लोक सेवा, संचार, बीमा आदि थे।
प्रान्तीय सूची के विषय- इसमें शिक्षा, भू-राजस्व, स्थानीय स्वशासन, कानून और व्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, नहरे, जंगल, खान, व्यापार, उद्योग-धन्धे, न्याय, सड़क, प्रान्तीय लोक सेवाएँ आदि थे।
समवर्ती सूची के विषय- इसमें दीवानी तथा फौजदारी विधि, विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, दत्तक ग्रहण, ट्रस्ट, कारखाने तथा श्रम कल्याण आदि थे।

प्रश्न 3.
ब्रिटिश काल में राजस्थान की रियासतों में न्यायिक व्यवस्था में हुए प्रमुख परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
ब्रिटिश काल में राजस्थान की रियासतों में हुए प्रमुख न्यायिक परिवर्तन
(1) देशी रियासतों द्वारा अंग्रेजी न्यायिक व्यवस्था अपनाना– भारत की स्वतन्त्रता के पूर्व राजस्थान में केन्द्र शास्त्रि प्रदेश अजमेर के अतिरिक्त 19 देशी रियासतें थीं। इन रियासतों में रहने वाले अंग्रेज रेजिडेन्ट’ की निगरानी में ही इनका न्यायिक-शासन चलता था। धीरे-धीरे अनेक रियासतों ने अंग्रेजी न्यायिक व्यवस्था के कुछ अंशों को अपनाना शुरु कर दिया। 1839 में जब जयपुर की राजमाता को अभिभावक’ पद से हटा दिया गया, तब ब्रिटिशा एजेंट की देखरेख में एक शासन परिषद् का गठन किया गया। इस अवसर पर राज्य में दीवानी तथा फौजदारी अदालतों की स्थापना की गई।

ब्रिटिश एजेन्ट धर्सबी ने न्याय विभाग को शासन विभाग से अलग कर दिया। जयपुर राज्य में यह व्यवस्था 1852 तक चलती रही । कालान्तर में चार सदस्यों की अपील अदालतों की स्थापना की गई। इसके दो जज अपीलें सुनते थे तथा दो जज फौजदारी मुकदमे सुनते थे। कुछ समय बाद यह परिषद दो भागों में विभत हो गई प्रथम भाग को ‘इजलास’ तथा दूसरे भाग को ‘महकमावास कहा जाता था। महकमायास ही राज्य का सच न्यायालय होता था।

(2) राजस्थान की सभी रियासतों में ब्रिटिश न्याय  व्यवस्था के अनुरूप न्याय व्यवस्था लागू करना- 1930 ई. तक राजस्थान की सभी रियासतों में ब्रिटिश न्याय व्यवस्था के अनुरूप न्याय व्यवस्था लागू की गई। यह घोषणा की गई कि न्याय के समक्ष सभी व्यक्ति समान समझे जायेंगे। जाति, धर्म, वंश, पद और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के आधार पर न्याय करते समय भेदभाव नहीं किया जायेगा । न्याय व्यवस्था के सभी कार्य अब लिखित रूप से किये जाने लगे।

प्रश्न 4.
ब्रिटिश काल में राजस्थान की रियासतों में हुए प्रमुख प्रशासनिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
अथवा
राजस्थान की रियासतों में ब्रिटिश काल में आने वाले प्रमुख प्रशासनिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिये।
उत्तर
ब्रिटिश काल में राजस्थान की रियासतों में हुए प्रमुख प्रशासनिक परिवर्तन
(1) 1858 ई. के पश्चात् ब्रिटिश सरकार के अधीनस्थ शासकों का नाममात्र का शासक रहना- 1858 ई. के पश्चात् त्रिटिश सरकार के अधीनस्थ शासक नाममात्र के शासक बहू  गए। वे शासक वास्तव में कम्पनी सरकार के सेवक बनकर रह गए। शासक पड़ोसी राजा के साथ भी स्वतन्त्र रूप से व्यवहार नहीं कर सकते। ब्रिटिश सरकार उन्हें विदेश यात्रा पर जाने के लिए बाध्य कर सकती थी। उदाहरणार्थ, अलवर के शासक को इंग्लैण्ड जाने के लिए बाध्य किया गया। देशी  रियासतों के शासकों को वैवाहिक सम्बन्धों में भी ब्रिटिश सरकार की अनुमति लेनी पड़ती थी।

(2) अभिभावक परिषद् का गठन– नाबालिग राजकुमार के राजा बनने पर ब्रिटिश सरकार द्वारा पॉलिटिकल एजेन्ट की अध्यक्षता में ‘अभिभावक परिषद’ का गठन किया गया। इसके माध्यम से रियासत का शासन प्रबन्ध ब्रिटिश सरकार के नियन्त्रण में आ जाता था। उदयपुर में ऐसा करने का अवसर ब्रिटिश सरकार को 1361 ई. में मिली। जयपुर राज्य के बाद उदयपुर, जोधपुर, कोटी व बीकानेर राज्यों में ब्रिटिश कानून लागू किये गए।

(3) बीकानेर रियासत में ‘शकिा पृथक्करण सिद्धान्त  के आधार पर न्याय व्यवस्था लागू करना- बीकानेर रियासत में ‘शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त’ के आधार पर न्याय व्यवस्था लागू की गई। 1922 में बीकानेर रियासत में आधुनिक उच्च न्यायालय के अनुरूप मुख्य न्यायालय स्थापित किया गया।

(4) जिलों का शासन- ब्रिटिश काल में परगनों को जिलों में बदल दिया गया और जिलाधीशों द्वारा जिले शासित होने लगे। अब जिलाधीश अपने जिले का पूर्ण रूप से मालिक हो गया। उसके अधीन नाजिम, तहसीलदार, न्यायिक तहसीलदार, गिरदावर, पटवारी आदि कार्य करने लगे। इनका सम्बन्ध मूलत: लगान वसूली व किसानों की भूमि सम्बन्धी समस्याओं का निपटारा करना होता था। न्याय का कार्य जिला मजिस्ट्रेट एवं शान्ति व्यवस्था का कार्य पुलिस अधिकारी करने लगे।

प्रश्न 5.
1861 के भारत परिषद् अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर
1861 के भारत परिषद् अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ

  1. इस अधिनियम द्वारा गवर्नर की कार्यकारिणी परिषद् के साधारण सदस्यों की संख्या 4 से बढ़ाकर 5 कर दी गई।
  2. गवर्नर जनरल को कार्यपालिका को सुचारू रूप से चलाने के लिए नियम तथा आदेश बनाने के अधिकार दिए गए।
  3. विधान परिषद् को अब सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत के लिए कानून और नियम बनाने की शक्ति प्रदान की गई।
  4. किसी भी बिल को कानून बनाने के लिए गवर्नर जनरल की स्वीकृति नेनी आवश्यक थी।
  5. विधान परिषद् द्वारा पारित कोई विधेयक सपरिषद् भारत सचिव से विचार-विमर्श करने पर ईग्लैण्ड का सम्राट इसे रद्द कर सकता था।
  6. गवर्नर जनरल को विशेषाधिकार दिया गया।
  7. गवर्नर किसी प्रान्तीय सरकार द्वारा बनाए गए कानून को संशोधित यो रद्द कर सकता था।

प्रश्न 6.
1919 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए
उत्तर
1919 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ
(1) 1919 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा प्रान्तों में वैध शासन व्यवस्था लागू की गई। अब प्रान्तों में आंशिक उत्तरदायी सरकार की स्थापना की गई।
(2) इस अधिनियम को लागू कर ब्रिटिश सरकार यह चाहती थी कि भारत के एक प्रभावशाली वर्ग को अपना समर्थक बना लिया जाए।
(3) भारत सचिव को भारत सरकार से जो वेतन मिलता था, इस अधिनियम द्वारा अथ वह अंग्रेजी कोष से मिलना निश्चित किया गया।
(4) इस अधिनियम द्वारा विषयों को निम्नांकित रूप से केन्द्र तथा प्रान्तों में बाँटा गया

  1. केन्द्रीय सूची के मुख्य विषय विदेशी मामले, रक्षा, डाक, तार, सार्वजनिक ऋण आदि।
  2. प्रान्तीय सूची के मुख्य विषय–स्थानीय स्वशासन, शिक्षा, चिकित्सा, भूमि कर, अकाल सहायता, कृषि व्यवस्था आदि।

(5) इस अधिनियम को माण्टेग्यू चैम्सफोर्ड सुधार के नाम से जाना जाता है।

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