Rajasthan Board RBSE Class 10 English Supplementary Reader Resolution Chapter 6 Feast of the Dead Notes, Summary, Word Meanings, Hindi Translation and Passages for comprehension.
Feast of the Dead RBSE Class 10 English Notes
Feast of the Theme Of The Lesson
In the story ‘Feast of the Dead,’ the author wants to tell us the adverse effects of poverty on people. Poverty leads people to lead a miserable life. It makes one’s life hell. The poor have to bear many severe difficulties. He also makes us aware of the sudden arrival of a catastrophe. We should be ready to cope. with such a situation. Besides the author tells us that we ourselves are responsible for our sufferings. In the story “Feast of the Dead’, Dursun’s family had to cope with very tough time only because of their poverty. The family was dying due to hunger. But Dursun’s wife Gulnaz didn’t make a hard effort to face such situation. Instead, she kept waiting for good time. So, she was responsible for such stressful situation.
Feast of the Short Summary
The effects of the chilly winter: The chilly winter changed the lifestyle of the people. People didn’t want to go outside unless they had urgent work.
Dursun Agha’s capital and profession: Dursun Agha’s entire capital consisted of two water cans and a pole with a chain dangling from either end. Every morning Dursun Agha set out to a fountain to fetch water and sold it in the street. He kept going to and fro between the fountain and the houses the whole day. From this work, his earnings were so meagre that he barely made both ends meet. So his wife Gulnaz also earned some money by washing clothes of her neighbours.
Dursun Agha dies: Dursun Agha one day slipped while trying to stand up on the hardened ice and hit his head on the stone bowl under tap which resulted in his death.
His family gets delicious food from neighbours: In Muslims of Turkey, it is a tradition for neighbours to send food for a few days to the family where death has occurred. So for three or four days. Dursun’s family got delicious food from his neighbours.
The family face wretched condition: When neighbours stop sending food to Dursun’s family, the family started leading a tough life. They had to sleep on empty stomachs and became very weak. The younger boy told her mother that he was dying due to extreme hunger.
Gulnaz sends her older son to a grocer: Gulnaz sent her older son to Bodos, a grocer, to bring some food items on credit. The older boy went to the grocer and ordered a pound of rice, a pound of flour and a pound of potatoes. But the grocer refused to give these items on credit and the boy had to return empty-handed.
The older boy catches cold and fever: While coming back to his house in chilly cold, the older boy caught cold. His mother put a blanket and the clothes that she found in her house on his trembling body. After about two hours, the boy’s cold came to an end but then he caught a high fever. Gulnaz tried to cool his burning body with her cold hands. But his fever did not come down.
Feast of the पाठ का सार
‘फीस्ट ऑफ द डेड’ कहानी में लेखक हमें लोगों पर गरीबी के प्रतिकूल प्रभाव बताना चाहता है। गरीबी लोगों को एक दुखी जीवन जीने के लिए मजबूर करती है। यह जीवन को नरक बना देती है। गरीबों को कई गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह हमें आपात स्थिति के बारे में जागरूक बनाती है और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती है। इसके अलावा लेखक हमें बताता है कि हम अपने दुखों के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं। कहानी ‘फीस्ट ऑफ द डेड’ में दर्सन के परिवार को केवल गरीबी की वजह से बहुत कठिन समय का सामना करना पड़ा था। परिवार भूख की वजह से मर रहा था। लेकिन दर्सन की पत्नी गुलनाज ने ऐसी स्थिति का सामना करने के लिए कड़ी मेहनत नहीं की। इसके बजाय, वह अच्छे समय की प्रतीक्षा करती रही। इसलिए, वह इस तरह की तनावपूर्ण स्थिति के लिए जिम्मेदार थी।
संक्षिप्त सारांश
कड़ाके की सर्दियों के प्रभाव: कड़ाके की सर्दियों ने लोगों की जीवन शैली को बदल दिया। लोग तब तक बाहर नहीं जाना चाहते थे जब तक उन्हें कोई जरूरी काम न हो।
दर्सन आगा की पूँजी और पेशा: दर्सन आगा की पूरी पूँजी में दो पानी के टिन और एक डंडा थे, जिसके दोनों ओर एक एक चेन लटक रही थी। हर सुबह दर्सन आगा पानी लाने के लिए फव्वारे पर जाता और उसे लाकर सड़क पर बेच देता। वह पूरे दिन फव्वारे और घरों के बीच आता जाता रहता था। इस काम से उनकी कमाई इतनी कम थी कि मुश्किल से दो वक्त का खाना मिल पाता। इसलिए उनकी पत्नी गुलनाज भी अपने पड़ोसियों के कपड़े धोकर कुछ पैसे कमाती थी।
दर्सन आगा मर जाता है: दर्सन आगा एक दिन कठोर बर्फ पर खड़े होने की कोशिश करते हुए फिसल गया और उसका सर नल के नीचे एक पत्थर से टकरा गया जिसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई।
पड़ोसियों से उनके परिवार को स्वादिष्ट भोजन मिलता है: तुर्की के मुसलमानों में यह एक परंपरा है कि जहाँ मृत्यु हुई हो, उस घर में पड़ोसी परिवार को कुछ दिन तक भोजन भेजते हैं। तो तीन से चार दिन के लिए दर्सन के परिवार को अपने पड़ोसियों से स्वादिष्ट भोजन मिला।
परिवार का निराशाजनक स्थिति से सामनाः जब पड़ोसियों ने दर्सन के परिवार को खाना भेजना बंद कर दिया, तो, परिवार की मुश्किल जिंदगी शुरू हो गई। उन्हें खाली पेट सोना पड़ा और बहुत कमजोर हो गए। छोटे लड़के ने अपनी माँ को बताया कि वह अत्यधिक भूख के कारण मर रहा था।
गुलनाज अपने बड़े बेटे को एक किराने की दुकान पर भेजती है: गुलनाज ने अपने बड़े बेटे बोडोस को एक किराने की दुकान पर भेजा, ताकि कुछ खाद्य पदार्थ उधार ले आये। बड़ा लड़का दुकानदार के पास गया और आधा किलो चावल, एक पौंड आटा और एक पौंड आलू देने को कहा। लेकिन दुकानदार ने उधार देने से इनकार कर दिया और लड़के को खाली हाथ लौटना पड़ा।
बड़े लड़के को ठंड और बुखार जकड़ लेता है। कड़ाके की ठंड में अपने घर वापस आते समय बड़े लड़के को ठंड लग जाती है। उसकी माँ ने उसके ऊपर कंबल और कपड़े डाल दिए जो घर में पड़े थे। दो घंटों के बाद लड़के की ठंड समाप्त हो गई लेकिन उसे तेज बुखार हो गया। गुलनाज ने अपने हाथों से उसके जलते हुए शरीर को ठंडा करने की कोशिश की, लेकिन उसका बुखार नहीं उतरा।
Feast of the Main Points Of The Story
- It was chilly weather. People avoided going outside unless they had urgent work.
यह कड़ाके की ठण्ड का मौसम था। लोग तब तक बाहर नहीं जाते थे जब तक उन्हें कोई जरूरी काम न हो। - That noon a boy went to the fountain and found Dursun Agha was dead. He ran back to the street and informed the people of the street about it.
दोपहर को एक लड़का एक फव्वारे पर गया और पाया कि दर्सन आगा मर गया था। वह सड़क पर गया और लोगों को इसके बारे में बताया। - Dursun Agha, every morning, went to the fountain to fetch water that he sold in the street. He earned only a little amount that he was unable to feed his family properly.
दर्सन आगा, हर सुबह फव्वारे पर पानी भरने जाता था, जिसे वह सड़क पर बेच देता था। वह इतना कम पैसा कमाता था कि अपने परिवार को भरपेट खिलाने में असमर्थ था। - One day while trying to stand up on the hardened ice, he hit his head on the stone bowl under the tap which led to his death.
एक दिन वह कठोर बर्फ पर खड़े होने की कोशिश करते हुए फिसल गया और उसका सर नल के नीचे एक पत्थर से टकरा गया जिसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई। - His neighbours sent food for three or four days to his family as it is a custom in Turkey.
उनके पड़ोसियों ने उसके परिवार को तीन या चार दिन के लिए भोजन भेजा क्योंकि यह तुर्की में एक रिवाज है। - The family started to spend days with empty stomachs. They became very thin. The younger boy told his mother that he was feeling extremely hungry.
परिवार ने खाली पेट दिन बिताने शुरू कर दिए। वे बहुत पतले हो गए। छोटे लड़के ने अपनी माँ से कहा कि उसे बेहद भूख लग रही थी। - Gulnaz sent the older boy to a grocer to bring some food items on credit but the grocer refused.
गुलनाज ने बड़े बेटे को कुछ खाद्य पदार्थों उधार लाने के लिए एक किराने की दुकान पर भेजा, लेकिन दुकानदार ने इनकार कर दिया। - The older boy caught cold. His mother covered his body with a blanket and other clothes that she found in her house. The cold came to an end ofter two hours but at night he caught high fever.
बड़े लड़के को ठंड ने जकड़ लिया। उसकी माँ ने उसके ऊपर कंबल और कपडे डाल दिए जो घर में पड़े थे। दो घंटों के बाद लड़के की ठंड समाप्त हो गई लेकिन रात में उसे तेज बुखार हो गया। - Gulnaz thought of selling the clothes that she had taken off the boy’s body to a junk store to get some money but she had to wait till the morning as the junk store was closed.
गुलनाज ने जो कपड़े लड़के के शरीर से उतारे थे उन्हें कुछ पैसे पाने के लिए एक जंक स्टोर में बेचने के बारे में सोचा था, लेकिन वह जंक स्टोर बंद हो गया था और उसे सुबह तक इंतजार करना पड़ा। - The younger boy asked his mother if his older brother would die. The mother was stunned and frightened to hear it. When she asked him why he had asked it, he told her “Because, then food will come from the white house.”
छोटे लड़के ने अपनी मां से पूछा कि क्या बड़ा लड़का मेर जाएगा। माता यह सुनकर डर गई और दंग रह गई। जब उसने उससे कहा कि उसने यह क्यों पूछा था, उसने कहा, “क्योंकि तब पड़ोसी के घर से खाना आ जाएगा।”
Feast of the Passages For Comprehension With Hindi Translation
Passage-1: (Page 36)
January changed the colour of the air.
The world seemed grimmer and people went out only for work.
There was nobody under the oak trees, in the courtyards of the mosques and other cool places where children gathered in the summer.
The fountains were never completely deserted.
Almost every day there would be someone to go there to fetch the day’s water.
जनवरी ने हवा का रंग बदल दिया।
दुनिया विकट लग रही थी और लोग केवल काम के लिए बाहर निकलते थे।
ओक पेड़ों के नीचे, मस्जिदों के आंगनों में और अन्य ठंडे स्थानों पर जहाँ बच्चे गर्मियों में इकट्ठा होते थे, कोई भी नहीं था।
फव्वारे कभी भी पूरी तरह से निर्जन नहीं थे।
लगभग हर दिन पानी लाने के लिए वहाँ जाने वाला कोई न कोई होता था।
Passage-2: (Page 36)
That noon the boy who had been to the fountain ran back to the street panting and told the first man he saw,
“Dursun Agha is dead!”
Dursun Agha, the water carrier, was a familiar figure on the street.
He barely made both ends meet and lived with his wife and two children in a small house.
His entire capital consisted of two water cans and a pole, with a chain dangling from either end.
दोपहर को जो लड़का फाउंटेन पर गया, सड़क पर पलट कर भागा और उसने जिस पहले व्यक्ति को देखा, उसे बताया
“दर्सन आगा मर गया है।”
दर्सन आगा, जल वाहक, सड़क पर एक परिचित व्यक्ति था।
वह मुश्किल से अपना गुजर कर पाता था और एक छोटे से घर में अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहता था।
उनकी पूरी पूँजी में दो पानी के कनस्तर और एक डंडा थे, जिसमें दोनों ओर से एक चेन लटक रही थी।
Passage-3: (Page 36)
Hoisting the pole on his shoulder, hooking the cans by their handles to the chains, he set out every morning.
“Water. Anybody need water?”
His voice would carry as far as the last house on the street.
Those who needed water would call back, “Dursun Agha, one trip,” or “two trips,” or “three trips.
‘One trip’ meant two cans of water.
Then Dursun Agha would climb up the hill to the fountain, fill up his cans and go to and fro, between the fountain and the houses, all day long.
अपने कंधे पर डंडे को रखकर, चेन पर डिब्बे टाँगे हुए, वह हर सुबह बाहर निकलता।
“पानी। किसी को पानी की जरूरत है?”
उनकी आवाज सड़क पर अंतिम घर तक जाती।
जिन लोगों को पानी की जरूरत होती थी, वे वापस बुलाते, एक फेरा”, “दोसून आगा” या “दो फेरे” या “तीन फेरे’।
एक फेरे का मतलब ‘पानी के दो कनस्तर’ था।
फिर दर्सन आगा पहाड़ी पर चढ़ कर, फव्वारे से अपने डिब्बे भर कर, फव्वारे और घरों के बीच में सारा दिन आता जाता रहता था।
Passage-4: (Page 36)
He got three kurush for each trip.
This way of earning was like digging a well with a needle.
If they had had to rely only on his earnings, it would have been impossible to feed four mouths but thank God, his wife Gulnaz was called upon, three or four times a week to wash clothes.
She tried to help her husband earn just a little bit more, cheating in pathetic, harmless ways using a can or two more water, so that her husband could earn a few more than three kurus.
उन्होंने प्रत्येक फेरे के लिए तीन कुरुष मिलते थे।
कमाई का यह तरीका एक सुई से कुआँ खोदने जैसा था।
यदि उन्हें केवल उसकी कमाई पर भरोसा करना पड़ता, तो चार मुँह को खिलाना असंभव होता, लेकिन भगवान का शुक्र है, उनकी पत्नी गुलनाज को कपड़े धोने के लिए सप्ताह में तीन या चार बार बुलाया जाता था। उसने धोखा करके थोड़ा कम पानी उपयोग करते हुए अपने पति की मदद करने की कोशिश की, ताकि उसका पति तीन से अधिक कुरुष कमा सके।
Passage-5: (Page 36)
Now all this had ended suddenly.
Dursun Agha had slipped while trying to stand up on the ice that had hardened during the previous night and hit his head on the stone bowl under the tap.
When Gulnaz heard the news, she froze.
What was she going to do now?
It was not easy to be left with two children, one nine years old and the other six.
How could she feed them only by washing clothes two or three times a week?
She thought and thought but could not reach a decision.
अब यह सब अचानक खत्म हो गया।
पिछली रात के दौरान कठोर हो गई बर्फ पर खड़े होने की कोशिश करते हुए दर्सन आगा गिर गया और टैप के नीचे पत्थर पर उसका सिर टकरा गया।
जब गुलनाज ने खबर सुनी तो वह जम सी गई।
वह अब क्या करेगी?
यह दो बच्चों, नौ साल का और दूसरे छह साल का, के साथ अकेला पड़ जाना आसान नहीं था।
वह केवल सप्ताह में दो या तीन बार कपड़े धोकर उन्हें कैसे पाल सकती थी?
उसने सोचा, और सोचा, लेकिन किसी निर्णय तक नहीं पहुँच सकी।
Passage-6: (Pages 36 & 37)
It is a tradition for the neighbours to send food, for a day or two, to the house where death has occurred.
The first meal came to Gulnaz and her children from the white house where Raif Effendi, the wealthy businessman lived.
At noon, on the day after Dursun Agha died, the maid from the white house appeared with a large tray.
On it were dishes of noodles cooked in chicken broth, some meat in a rich sauce, cheese rolls and sweets.
यह एक परंपरा है कि जहाँ मौत हुई हो, पड़ोसी एक या दो दिन के लिए खाना भेजते है।
गुलनाज और उसके बच्चों को पहला भोजन श्वेत घर से आया था जहाँ श्री रईफ इफेंडी, अमीर व्यापारी रहते थे।
दर्सन आगा की मृत्यु के बाद दोपहर में, सफेद घर से नौकरानी एक बड़ी ट्रे के साथ आई।
यह चिकन शोरबा में पकाया नूडल्स के व्यंजन थे, कुछ मांस एक गाड़ी सॉस, पनीर रोल और मिठाई थी।
Passage-7: (Page 37)
To tell the truth, no one had thought of eating that day but as soon as the cover was lifted from the tray, the aroma of the food beckoned them. They gathered around the table and maybe because they had never had such good food before, it tasted exceptionally delicious.
Having eaten once, they found it natural to sit around the table at supper-time and satisfy their hunger with the leftovers of their lunch.
सच कहें तो, उस दिन खाने के बारे में किसी ने नहीं सोचा था, लेकिन जैसे ही ट्रे से कपड़ा उठाया गया, भोजन की सुगंध उन्हें अपनी ओर बुलाने लगी।
वे मेज के चारों ओर एकत्र हुए और हो सकता है, क्योंकि इससे पहले वे कभी भी ऐसा अच्छा भोजन नहीं करते थे, यह उन्हें बहुत स्वादिष्ट लगा।
एक बार भोजन करने के बाद, प्राकृतिक रूप से वे रात के खाने पर मेज के चारों ओर बैठ गए और अपने दिन के बचे हुए भोजन से अपनी भूख को संतुष्ट करने लगे।
Passage-8: (Page 37)
Another neighbour took care of the food for the next day.
This went on for three or four days.
None of the later meals were as tasty or generous as the food from the white house but they were all a great deal better than any that was ever cooked in Gulnaz’s pot.
If this could have continued, Gulnaz and her children could easily have borne their sorrow to the end of their lives
but when the trays stopped coming and the coal they were buying from the store on the main street could not be bought any more,
they began to realise that their sorrow was unbearable.
एक और पड़ोसी ने अगले दिन भोजन का ख्याल रखा।
यह तीन या चार दिनों के लिए चला।
बाद के भोजन में से कोई भी श्वेत घर से आए भोजन जैसा स्वादिष्ट नहीं था, लेकिन वे गुलनाज के घर कभी भी पकाए गए खाने से बेहतर थे।
अगर यह जारी रखा जा सकता, गुलनाज और उनके बच्चे आसानी से अपने जीवन के अंत तक अपने दुख को आसानी से उठा सकते हैं,
लेकिन जब ट्रे आनी बंद हो गई और मुख्य सड़क पर स्टोर से कोयला और नहीं खरीदा जा सका,
तो उन्होंने महसूस करना शुरू किया कि उनके दुख असहनीय थे।
Passage-9: (Page 37)
The first day the food stopped, they kept up their hopes till noon, running to the door each time they heard a footstep outside.
But it was only people going about their daily lives.
At supper time, they realised no one was going to bring them food, so they had to cook at home as they had done before.
पहला दिन जब खाना आना बंद हो गया तो उन्होंने दोपहर तक अपनी उम्मीदें बरकरार रखी, हर बार जब भी दरवाजे पर आहट होती वे भागकर जाते।
लेकिन यह केवल वे लोग होते जो अपने दैनिक जीवन के कामों के लिए जा रहे थे।
रात के खाने में, उन्हें एहसास हुआ कि कोई भी उन्हें भोजन नहीं देने वाला, इसलिए उन्हें घर पर खाना बनाना पड़ेगा जैसा कि उन्होंने पहले किया था।
Passage-10: (Page 37)
They had got used to quite a different type of food during the past few days and found it difficult to adjust to the meagre dish Gulnaz cooked with hardly a trace of butter.
They had no choice but to get used to it again.
It was not long before they ran out of butter, flour, potatoes and grain.
For the next few days they ate whatever they found in the house—two onions, a clove of garlic, a handful of dry beans found in a corner of the cupboard.
Finally, there came a day when all the pots, baskets, bottles and boxes in the house were empty.
That day, for the first time, they went to bed on empty stomachs.
वे पिछले कुछ दिनों के दौरान काफी भिन्न प्रकार के भोजन के आदी हो चुके थे और घर में गुलनाज द्वारा बनाया जाने वाला खाना, जिसमें मक्खन नाम मात्र को होता था, पसंद नहीं आया।
उनके पास फिर से इसका आदी होने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
बहुत जल्द घर में मक्खन, आटा, आलू और अनाज आदि समाप्त हो गए।
अगले कुछ दिनों के लिए उन्होंने घर में जो कुछ भी पाया उसे खा लिया-दो प्याज, लहसुन की एक डली, अलमारी के एक कोने में मिला एक मुट्ठी भर सूखा बीन्स।
अंत में, एक दिन आया जब घर में सभी बर्तन, बास्केट, बोतलें और बक्से खाली थीं।
उस दिन, पहली बार, वे खाली पेट सोए।
Passage-11: (Page 37)
The next day was the same.
By the next afternoon, the little one had started crying with hunger.
Gulnaz kept hoping someone would send for her to wash clothes but the people of the street thought it would be inconsiderate to call her for work.
The day after no one in the household thought of getting up.
They all had visions of food.
The younger boy saw soft and fluffy bread, the older boy saw sweets instead.
If only he had them once more, he would eat them one by one, savouring each mouthful.
What a fool he had been to have eaten all his share at once!
अगला दिन अन्य दिनों जैसा ही था।
अगली दोपहर तक छोटा लड़का भूख से रोने लगा।
गुलनाज ने उम्मीद जताई कि कोई उसे कपड़े धोने के लिए बुलाएगा, लेकिन बाहर लोगों ने सोचा कि काम करने के लिए उसे बुलाना उचित नहीं होगा।
अगले दिन घर में किसी ने भी उठने का नहीं सोचा।
वे सब भोजन के सपने देख रहे थे।
छोटे लड़के ने मुलायम और हल्की रोटी देखी, तो बड़े लड़के ने मिठाई को देखा।
यदि उन्हें केवल एक बार और मिल जाये, तो वह उन्हें एक-एक करके खाएँगे, प्रत्येक कौर का आनंद लेंगे।
वह कितना मूर्ख था कि एक ही बार में अपना पूरा हिस्सा खा गया!
Passage-12: (Pages 37 & 38)
Gulnaz lay in her bed, listening to the murmurs of her children, tears flowing silently down her cheeks.
Life went on in the street outside as before.
A door closed. She knew it was the boy next door going to school.
Footsteps sounded outside.
This time it was Tahsin Effendi, the barber, walking down the street to open his shop.
The next one was the clerk in the electric company, then the shoemaker and then the bread man, who comes to the white house every day at the same time. The big baskets tied to both sides of his horse were full of bread. The creaking of the baskets could be heard from far away.
गुलनाज अपने बिस्तर पर बैठी चुपचाप अपने बच्चों की फुसफुसाहट सुन रही थी, उसके गालों पर आँसू बह रहे थे।
बाहर सड़क पर जीवन पहले की तरह चल रहा था।
एक दरवाजा बंद हुआ। वह जानती थी कि अगले घर का लड़का स्कूल जा रहा था।
बाहर आहट हुई।
इस बार यह तहसीन एफेंडी नाई था, जो अपनी दुकान खोलने जा रहा था।
आगे एक बिजली कंपनी में लिपिक था, फिर मोची और फिर ब्रेड वाला आदमी, जो एक ही समय पर हर रोज सफेद घर में आता था।
उसके घोड़े के दोनों ओर से बड़ी टोकरी में ब्रेड भरी हुई थी।
टोकरियों की चरमराहट दूर से सुनी जा सकता थी।
Passage-13: (Page 38)
It was the older boy who first heard it and looked towards his younger brother.
Gulnaz got up in the cold room and put a wrap around her to go out.
She had decided to ask for two loaves of bread on credit.
She could pay when she got money, from laundering.
She opened the door and saw the baskets full to the brim with fresh spongy, white bread.
A beautiful smell went up her nose and just as she was about to say something to the bread man, he shouted, “Giddy yap,” to the horse.
And Gulnaz lost all her courage.
No words came from her mouth and heavenly smelling food passed by her house but she could not stretch out her hand and take it.
यह बड़ा लड़का था जिसने इसे पहले सुना और अपने छोटे भाई की ओर देखा।
गुलनाज ठंडे कमरे में उठी और बाहर जाने के लिए उसने कुछ लपेट लिया।
उसने दो रोटी उधार माँगने का फैसला किया।
जब उसे लाँडरिंग से पैसे मिलते, तब वह दे देती।
उसने दरवाजा खोला और ताजी मुलायम, फेद रोटी से भरी टोकरी देखी।
एक महक उसकी नाक में गई और बस वह रोटी के लिए आदमी को कुछ कहने ही वाली थी कि वह घोड़े को चिल्लाया, “गिड्डी यप।”
और गुलनाज ने अपना साहस खो दिया।
उसके मुँह से कोई शब्द नहीं आया था, महकदार खाना उसके सामने से निकल गया लेकिन वह उसे लेने के लिए अपना हाथ नहीं बढ़ा सकी।
Passage-14: (Page 38)
She came inside but did not dare look into the fevered eyes of her sons, waiting hopefully.
Not a word was spoken in the room.
The boys simply looked at her empty hands and turned their eyes away.
It was a long time later that the younger boy broke the silence.
“Mother, I can’t stand it any more.
Something is happening inside my tummy.”
“Don’t worry, my sweet son. It is hunger.
I feel it too.”
“I’m dying. I’m dying.”
वह अंदर आई थी लेकिन उसने अपने बेटों की आँखों में देखने की हिम्मत नहीं की, जो पूरी आशा से प्रतीक्षा कर रहे थे।
कमरे में एक शब्द नहीं बोला गया था।
लड़के ने केवल उसके खाली हाथों को देखा और अपनी आँखों को दूर कर दिया।
कुछ देर बाद छोटे लड़के ने चुप्पी तोड़ी।
“माँ, मैं इसे और अधिक सहन नहीं कर सकता।
मेरे पेट के अंदर कुछ हो रहा है।
“चिंता मत करो, मेरे प्यारे बेटे। यह भूख है।
मुझे भी यह महसूस होता है।”
“मैं मर रहा हूँ। मैं मर रहा हूँ।”
Passage-15: (Page 38)
The older boy opened his eyes and looked at his brother.
Gulnaz looked at both of them.
The little boy was silent.
His face was darker, his lips dry and parched, his bloodless skin faded and hollow.
Finally, Gulnaz beckoned to the older boy and they left the room to talk outside.
“We must go to Bodos, the grocer.
We must ask for some rice, flour and potatoes.
Tell him we will pay him in a few days.”
बड़े लड़के ने अपनी आँखें खोली और अपने भाई को देखा।
गुलनाज ने उन दोनों को देखा।
छोटा लड़का चुप था।
उनका चेहरा स्याह था, उसके होंठ सूख गए थे, उसकी रक्तहीन त्वचा फीकी और खोखली लग रही थी।
आखिरकार, गुलनाज ने बड़े लड़के को इशारा किया और वे कमरे से बाहर बात करने के लिए चले गए।
“हमें बोडोस, किराने वाले के पास जाना चाहिए,
हमें कुछ चावल, आटा और आलू माँगने चाहिए।
उसे बताओ कि हम उसे कुछ दिनों में भुगतान करेंगे।”
Passage-16: (Page 38)
The boy’s shabby coat was not heavy enough to keep out the cold outside.
He had no strength in his legs and had to steady himself against the walls as he walked.
Finally, he reached the store on the hill and entered the warm room.
He waited until all the other customers had left, hoping to be able to talk to the grocer in privacy and to enjoy the warmth a little longer.
Then he left his place by the fireside and ordered a pound of rice, a pound of flour and a pound of potatoes.
He put his hand into his pocket as if reaching for his money and then pretended to have left it at home.
लड़के का पुराना कोट इतना अच्छा नहीं था कि वह ठंड रोक सके।
उसके पैरों में ताकत नहीं थी और वह दीवारों को पकड़-पकड़ कर चल रहा था।
अंत में, वह पहाड़ी पर दुकान पर पहुँच गया और गर्म कमरे में प्रवेश किया।
वह तब तक इंतजार करता रहा जब तक कि अन्य सभी ग्राहक चले नहीं गए।
यह उम्मीद कर रहा था कि वे गोपनीयता में पंसारी से बात कर पाएगी और थोड़े समय तक
गर्मी का आनंद ले सकेगा। फिर वह फायरसाइड के पास से हटा और एक पाउंड चावल, एक पाउंड आटा और एक पौंड आलू का आदेश दिया।
उसने अपना हाथ जेब में रखा, जैसे कि पैसे निकालने लगा हो लेकिन वो घर पर छूट गए हों।
Passage-17: (Pages 38 & 39)
“Oh, I seem to have forgotten it at home.
I’d hate to have to go all the way home in this cold and come back again.
Write it down and I will pay you tomorrow.”
It was a brave effort but the grocer knew the tricks of the trade too well.
“First bring the money.
Then you can take the goods.
You have become so thin.
Someone who has money at home doesn’t get so thin.”
The boy hurried out, embarrassed to have his lie found out.
He found the iciness of the street more unbearable than he had before he entered the store.
“ओह, मुझे लगता है वह घर पर भूल गया।
मुझे इस ठंड में घर जाना और फिर से वापस आना पसंद नहीं है।
इसे लिख लो और मैं कल आपको भुगतान करूंगा।”
यह एक साहसिक प्रयास था, लेकिन दुकानदार व्यापार के तरीके बहुत अच्छी तरह जानता था।
“पहले पैसे लाओ।
तभी आप सामान ले सकते हो।
तुम इतने पतले हो गए हो।
जिनके पास घर पर पैसा है, वे इतने पतले नहीं होते हैं।”
लड़का अपनी झूठ पकड़े जाने पर शर्मिंदा होकर जल्दी बाहर निकल गया।
उसे अब ठंडक दुकान में प्रवेश करने से पहले से अधिक असहनीय लग रही थी।
Passage-18: (Page 39)
At the corner, he saw smoke coming out of the chimney of the white house.
How happy were the people who lived in it! It did not occur to him to be jealous of them.
He had only admiration for these people who had given him the best meal of his life.
He walked home as fast as he could, his teeth chattering.
There was no need to say anything to his mother and brother.
His empty hands told their own story.
He took off his clothes and went to his bed and when he spoke, he said,
“I am cold. I am cold.” The blanket rose and fell on his trembling body.
कोने में, उसने सफेद घर की चिमनी से धुआँ निकलते देखा।
इसमें रहनेवाले लोग कितने लोग खुश थे!
वह उनसे इष्र्या नहीं कर रहा था।
उन्हें केवल उन लोगों के लिए प्रशंसा थी जिन्होंने उन्हें जीवन का सबसे अच्छा भोजन दिया था।
वह कटकटाते दाँतों के साथ जितना तेज हो सका, घर की
ओर चल पड़ा। उसकी माँ और भाई को कुछ भी कहने की जरूरत नहीं थी।
उनके खाली हाथों ने सारी कहानी बता दी।
उसने अपने कपड़े उतार लिए और अपने बिस्तर पर चला गया और जब वह बोला तो कहा,
“मुझे ठण्ड लग रही है। मुझे ठण्ड लग रही है।” उसके काँपते शरीर पर कम्बल ओढ़ा दिया गया।
Passage-19: (Page 39)
Gulnaz piled on him whatever she could find.
The trembling lasted for nearly two hours.
Then came the fever and the exhaustion.
The boy lay on his back motionless, his eyes staring vacantly.
Gulnaz lifted the covers and tried to cool the burning body with her cold hands.
She paced through the house till evening, desperate.
She did not know what to do.
She could not think.
The sun went down.
She noticed the small pile of covers she had taken off the boy’s body.
Wouldn’t there be anybody to give some money for all that?
She remembered that her neighbours had talked of a junk store where they bought used things, but it must be closed.
She would have to wait till the morning.
गुलनाज ने जो कुछ भी पाया वह उस पर ढेर कर दिया।
काँपना लगभग दो घंटे तक चला।
फिर बुखार और थकावट आ गई।
लड़का अपनी पीठ पर स्थिर पड़ा था, उसकी आँखें रिक्त में घूर रही थी।
गुलनाज ने कवर को उठा लिया और अपने ठंडे हाथों से गर्म शरीर को ठंडा करने की कोशिश की।
वह शाम तक घर में हताश घूमती रही।
उसे नहीं पता था कि क्या करना है।
वह सोच भी नहीं पा रही थी।
सूरज नीचे चला गया।
वह उस लड़के के शरीर से हटाए हुए छोटे ढेर को देख रही थी।
क्या इसके लिए कुछ पैसे देने वाला कोई नहीं होगा?
उसे याद आया कि उसके पड़ोसियों ने एक जंक स्टोर की बात की थी, जहाँ उन्होंने कुछ चीजें खरीदी थीं, लेकिन यह बंद होगा।
उसे सुबह तक इंतजार करना होगा।
Passage-20: (Page 39)
With this decision came peace of mind and she stopped pacing and sat down by her son’s bedside.
The boy’s fever increased.
She sat staring, motionless.
The younger boy could not sleep for hunger.
He, too, was watching, his eyes open.
The sick boy moaned slowly and tossed and turned in his fever.
His cheeks were burning and he talked in delirium.
The younger one sat up in his bed and asked in a voice audible only to his mother, “Mother, will my brother die?”
इस फैसले से मन को शांति मिली और उसने घूमना बंद कर दिया और अपने बेटे के पास बैठ गई।
लड़के को बुखार बढ़ गया।
वह स्थिर होकर घूरती रही।
छोटा लड़का भूख से सो नहीं पा रहा था।
वह भी देख रहा था, उसकी आँखें खुली हुई थीं।
बीमार लड़का धीरे-धीरे बुखार में बेचौनी से बड़बड़ा रहा था।
उसके गाल जल रहे थे और बेहोशी में बात करने लगा।
छोटा अपने बिस्तर में बैठ गया और केवल अपनी माँ को सुनाकर बोला “माँ, क्या मेरा भाई मर जाएगा?”
Passage-21: (Page 39)
She shivered as if touched by a cold wind on her skin.
She looked at her son with frightened eyes.
“Why do you ask that?”
The boy was silent for a moment, then he leaned close to her ear and said softly, trying to hide his voice from his brother.
“Because, then food will come from the white house.”
वह काँप उठी जैसे उसकी त्वचा पर ठंडी हवा छू गई हो।
उसने अपने बेटे को भयभीत आँखों से देखा।
“तुम ऐसा क्यों पूछते हो?”
एक पल के लिए लड़का चुप था, फिर उसके कान के करीब झुककर, अपने भाई से आवाज को छिपाने की कोशिश कर धीरे से कहा-
“क्योंकि, तब श्वेत घर से भोजन आएगा।”
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