Rajasthan Board RBSE Class 10 English Supplementary Reader Resolution Chapter 3 Growing up Pains Notes, Summary, Word Meanings, Hindi Translation and Passages for comprehension.
Growing up Pains RBSE Class 10 English Notes
Growing up Pains Theme Of The Lesson
The present story reflects on the problem of a teenager named Samir. The story presents a beautiful conflict between parents and their son. Obviously. parents have their own fear. They desire that their should become an ideal son. With such view they treat Samir like a child throughout the story. But Samir has his own way of thinking. He wants freedom as soon as it is possible. He wants to take self-decision which is not possible at this age.
Growing up Pains Short Summary
Samir’s problem: Samir is anxious of acne. It is destroying his face. But he knows that the acne is a mark of children becoming an adult. Changes in Samir: His voice is changed into rough. It has no sweetness anymore. He thinks perhaps he has caught cold. But such roughness often goes with the common cold.
What his parents think: The common cold is uncommon for his parents. He will call for a doctor, who is bound to pump all types of medicines into his system. His parents think that he is attacked by a dangerous cold, which may kill him.
Samir’s fear: He understands that his parents have their fear. But he is also not free from fear. His fear haunts his mind, too. But he decides that only cowards have fear. He is not a coward. So he should not fear.
Samir’s privacy: As he is growing up, he wants to maintain his privacy. A gossamer-thin-Curtain is also hanged on the door. But his no care for this curtain. She usually enters his room unmindful to the curtain of privacy. But Samir does feel better at this act of his mother.
Unhappy Samir: He wants to attend party at his friend Vishal’s house. He also desires to stay out of the house till his friends leave the party. But he is not allowed by his mother. His proposal is denied and he becomes impatient.
The final decision: At last Samir and his parents become real friends. They have decided that they would take the advice of one another. Samir’s problems will always be heard. His parents’ suggestions would be those as coming from true friends. Hence, they all have decided to learn from one another.
Growing up Pains पाठ का सार
वर्तमान कहानी समीर नाम के एक किशोर की समस्या पर प्रकाश डालती है। यह कहानी माता-पिता और उनके बच्चे के बीच एक सुंदर द्वंद्व को व्यक्त करती है। स्पष्ट रूप से, माता-पिता के कुछ अपने भय होते हैं। वे यह अपेक्षा करते हैं कि उनका पुत्र एक आदर्श पुत्र बने। पूरी कहानी में वे समीन को ऐसे ही बच्चे के रूप में मानते हैं। किंतु समीर के सोचने का अपना तरीका है। जितना ही जल्दी संभव हो सके वह अपनी स्वतंत्रता चाहता है। वह अपना निर्णय स्वयं लेना चाहता है जो कि इस उम्र में संभव नहीं है।
संक्षिप्त सारांश
समीर की समस्या: समीर मुँहासे से परेशान है। इसके कारण उसका चेहरा खराब हो रहा है। किंतु वह जानता है कि मुँहासे युवावस्था में प्रवेश करने वाले बच्चों के एक चिह्न हैं। समीर में परिवर्तनः उसकी आवाज बड़े ही भद्दे रूप में परिवर्तित हो गई। अब उसमें वो मिठास बिल्कुल नहीं रही।
वह सोचता है कि संभवत: ऐसा ठंड से ग्रसित होने के कारण हुआ है। किंतु इस तरह का भद्दापन सामान्य ठंड के साथ चला जाता है।
उसके माता-पिता क्या सोचते हैं: सामान्य ठंड उसके माता-पिता के लिए असामान्य है। वे एक डॉक्टर को बुलाएँगे जो कि अपनी समस्त दवाइयाँ उस पर उड़ेल देगा। उसके माता-पिता यह सोचते हैं कि उस पर खतरनाक ठंड का जानलेना प्रहार हुआ है।
समीर का भयः वह इस बात को समझता है कि उसके माता-पिता भय से ग्रसित हैं। किंतु वह भी भयमुक्त नहीं है। भय उसके दिमाग को भी कचोटते रहता है। किंतु वह यह फैसला लेता है कि भय कायरों को होता हैं। वह कायर नहीं है। इसलिए उसे भयग्रस्त नहीं होना चाहिए।
समीर की निजताः क्योंकि वह बड़ा हो रहा है, इसलिए वह अपनी निजता को बरकरार रखना चाहता है। एक जालीदार महीन परदा दरवाजे पर राँगा है। किंतु उसकी माँ उस परदे की चिंता नहीं करती। वह गोपनीयता हेतु टंगे परदे की परवाह न करते हुए अक्सर उसके कमरे में प्रवेश कर जाती है। किंतु समीर अपनी माँ के इस कार्य को ठीक नहीं मानता।
नाखुश समीर : वह अपने दोस्त विशाल के घर पर आयोजित होने वाली पार्टी में शामिल होना चाहता है। वह पार्टी में तब तक रहना चाहता है, जब तक कि उसके दोस्त वहाँ रहते हैं। । किंतु इसकी अनुमति उसकी माँ नहीं देती। उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया तथा वह अधीर हो उठा।
अंतिम निर्णय: अंत में समीर तथा उसके पिता उसके सच्चे दोस्त बन गए। उन्होंने यह निर्णय किया कि वे एक-दूसरे की सलाह लेंगे। समीर की समस्याएँ हमेशा सुनी जाएँगी। उसके माता-पिता की सलाह उसके सच्चे दोस्तों की तरह होंगी। अतएव, सबने यह निर्णय लिया कि वे एक-दूसरे से कुछ सीखेंगे।
Growing up Pains Main Points Of The Story
- Samir thinks life is rough for him.
समीर सोचता है कि उसका जीवन रूखा हो गया है। - He is growing -up.
वह बड़ा हो रहा है। - He has desire to maintain privacy.
वह अपनी निजता को बरकरार रखना चाहता है। - His mother has no care for his privacy.
उसकी माँ उसकी निजता का ध्यान नहीं रखती। - Samir’s mother treats him like a child, which he does not like.
समीर की माँ उससे बच्चों जैसा व्यवहार करती है, जिसे वह पसंद नहीं करता। - He responds to her mother that he is grown-up.
प्रत्युत्तर में वह अपनी माँ से बड़ों जैसा व्यवहार करता है। - His mother wants to put him under the leash.
उसकी माँ उसे अपने नियंत्रण में रखना चाहती है। - A child takes time to become mature.
एक बच्चे को वयस्क होने में समय लगता है। - His father is also fearful. But he is well aware of Samir’s fear.
उसके पिता भी भयग्रस्त रहते हैं। किंतु वे समीर के भय से भलीभाँति परिचित हैं। - At the end, Samir and his parents decide to be true friends so that they could understand one another. His parents may appreciate his concerns.
अंत में समीर तथा उसके माता-पिता आपस में एक सच्चा दोस्त बनने का फैसला करते हैं ताकि वे एक-दूसरे को समझ सकें। उसके माता-पिता उसकी चिंताओं को समझते हैं।
Growing up Pains Passages For Comprehension With Hindi Translation
Passage-1: (Page 15)
“Life is hard”, I tell myself, as I stand before The mirror and watch acne, that dreaded scum of Adisease, playing havoc with my face.
I wish I could drive the pimples out with a wave of the hand.
Then I tell myself that acne is a temporary ravage that makes life a little less comfortable for a teenager.
But it is a sure sign of a child molting into an adult.
“जीवन कठिन है”, मैंने अपने-आप से कहा जब मैं आईने के समक्ष खड़ा हुआ तथा अपने मुँहासों को देख जोकि अचानक गाज की तरह मेरे चेहरे को बर्बाद कर रहे थे।
मेरी इच्छा है कि मैं अपने हाथों से इन मुँहासों को खत्म कर दें।
तब मैंने अपने-आप से कहा कि मुँहासे एक अस्थायी क्षति हैं जो किशोरों जिंदगी को कष्टप्रद बनाते हैं।
किंतु यह निश्चित रूप से बच्चे को युवावस्था में प्रवेश करने का संकेत है।
Passage-2: (Page 15)
“Life is tough” I turn away from the mirror, When it strikes me like a bolt of lightning.
My voice has turned rough, almost raucous.
It grates, if I may add. Where has my sweet, soft voice gone?
Have I caught a cold?
Such gruffness goes hand in hand with a cold.
But, the common cold and I have nothing to do with each other, at least at this moment.
“जीवन कठिन है” मैं दर्पण से हट गया, जब उसने मुझे बिजली के बोल्ट की तरह झटका दिया।
मेरी आवाज परिवर्तित होकर भद्दी तथा कर्कश हो गई।
मेरी मीठी तथा मधुर आवाज कहाँ गुम हो गई।
क्या मुझे ठंड लग गई है।
इस तरह का रूखापन ठंड के साथ ही जाता है।
किंतु कम-से-कम अभी मेरे तथा सामान्य ठंड के बीच कोई संबम्ध नहीं है।
Passage-3: (Page 15)
‘Is there an uncommon cold?’ a light banter lifts my spirits.
A common cold is common to all mankind.
But every time I catch a cold, it becomes an uncommon one for Appa and Amma.
They think I have come down with a dangerous cold, one that could kill!
They force me into bed, send for the doctor Whopumps all sorts of medicines into my system.
क्या यहाँ कोई असामान्य ठंड है? इस परिहास से मेरा। उत्साहवर्धन हुआ।
सामान्य ठंड सभी मनुष्यों के लिए सामान्य ही होती है।
लेकिन जब कभी मुझे ठंड लगती है तो अप्पा और अम्मा के लिए यह असामान्य ही होती है।
वे सोचते हैं कि मैं खतरनाक ठंड की चपेट में आ गया हूँ। तथा यह मेरी जान भी ले सकती है।
उन्होंने मुझे बिस्तर पर जाने को मजबूर कर दिया। डॉक्टर को बुलाया गया, जिसने अपनी समस्त दवाइयाँ मुझ पर उड़ेल दीं।
Passage-4: (Page 15)
When I tease them for being over-protective, they grunt,
“How would you know? You are too young to understand our fears.
Our only child, the apple of our eye.”
As if they understand my fears! I too have my fear.
It was not there till the other day. But, suddenly, out of nowhere, it has appeared.
It fills all my waking thoughts and haunts my dreams too.
I try to dispel the fear, I tell myself, ‘Only cowards fear.
I am no coward. But this bravado doesn’t last long.
The more I think of it, the stronger becomes the hold of this fear.
I am no longer my usual self I have become a stranger to myself.
जब वह उन्हें उसको लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने का
ताना कसता तो वे गुर्राते हैं, “तुम कैसे जानते हो?” तुम अभी छोटे हो। हमारे भय को नहीं जान सकते।
हमारे इकलौते पुत्र, हमारी आँखों का तारा।” जैसे कि वो हमारे भीतर के भय को जानते हो। मुझे भी किसी बात का भय है।
अन्य दिनों में यह भय नहीं था। लेकिन यह एकाएक सामने आ गया।
यह मेरे जाग्रत विचारों को खत्म करने के साथ ही मेरे सपनों को भी परेशान करता है।
मैंने अपने भय को भगाने की कोशिश की। मैंने अपने-आप से कहा, ‘केवल कायर ही डरते हैं।
मैं कायर नहीं हूँ।’ किंतु यह डींग ज्यादा दिन तक नहीं चल सका।।
मैं जितना इस बारे में सोचता, भय उतने ही ताकत से मुझे अपने गिरफ्त में ले लेता।।
मैं बहुत अधिक देर तक स्वयं के अनुरूप नहीं रह सका।
मैं अपने लिए ही अजनबी हो गया।
Passage-5: (Page 15)
Till the other day, I used to feel happy When Amma walked in unannounced, surveyed the room, gently chided me, “Is this a room or a pigsty?” and quickly got down to the task of cleaning the room.
She would work at it with total dedication.
The books would go back into the bookcase or side rack;
the caps and pens, pulled apart by me, would get reunited;
bits and pieces of crayons that dot the floor would go into the bin;
the dust would be swept off the table and the room would gain a fresh look.
दूसरे दिन तक मैं खुश था, जब अम्मा बिना सूचना दिए मेरे कमरे में आईं, कमरे का निरीक्षण किया तथा मुझे हल्के स्वर में डाँटा, “यह कमरा है या एक सूअरबाड़ा?”
और तुरंत कमरे की सफाई में जुट गईं। वे इस कार्य को बड़े ही लगन से करती थीं।।
वे किताबों को पुन: किताबों के रखने के स्थान अथवा हैक के किनारे रखतीं।।
मेरे द्वारा फेंकी गई कलमें तथा टोपियों को पुनः एकत्रित करती।
चित्रांकनी के अंशों तथा छोटे-छोटे टुकड़ों जिन्होंने फर्श को बिंदु-बिंदु चिह्नों से भर दिया था, को धानी में रखा जाता।
मेज से धूल साफ की जाती तथा कमरा एक नए रूप में दिखाई पड़ता।
Passage-6: (Pages 15 & 16)
How I hate her now when she does that!
I have put up a warning on the door: Knock Before You Enter.
Beneath the above instructions a warning:
My Room! Love it or Hate it!
Amma sees the notice
but behaves as if it is Greek or Latin.
She continues to step into my room, unmindful of my privacy.
अब मैं उन्हें ऐसा करते देख उनसे घृणा कैसे कर सकता हूँ।
मैंने दीवार पर यह चेतावनी प्रदर्शित कर रखी है-प्रवेश करने के पूर्व दरवाजा खटखटाएँ।
उस निर्देश के नीचे एक चेतावनी भी लिखी थी-मेरा कमरा।
इसे प्यार करो अथवा घृणा करो।
अम्मा इस सूचना को देखती हैं किंतु ऐसी व्यवहार करती है।
जैसे कि वह ग्रीक अथवा लैटिन भाषा में लिखा गया हो।
वे मेरी निजता की परवाह किए बिना अक्सर मेरे कमरे में आ जाती हैं।
Passage-7: (Page 16)
How can I make her understand that I need privacy?
If only she senses the gossamer-thin curtain that has come up between me and my parents!
Is this what growing up is all about a matter of individuality, a snapping of bonds?
Who wants to snap bonds with one’s parents?
Not I. the very thought makes me cry.
Yet, I feell am drawing away from them.
मैं उन्हें यह कैसे समझाऊँ कि मुझे निजता की आवश्यकता है।
वे क्या केवल मेरे तथा माता-पिता के बीच के जालीदार एवं
बारीक परदे को ही देखती हैं। बड़ा होना क्या व्यक्तिवाद का विषय है अथवा अनुबंधों को तोड़नेवाला है?
कौन अपने माता-पिता के साथ के संबंध को तोड़ना चाहता
मैं तो तकई नहीं। यह विचार आते ही मुझे रुलाई आ गई।
अब मैं सोच रहा हूँ कि इनसे दूर होता जा रहा हूँ।
Passage-8: (Page 16)
Or am I imagining!
I think Appa is watchful And wary when he meets me.
Of course, his eyes gleam with joy whenever I walk into his presence.
But is it as spontaneous as it used to be?
Or am I unable to feel its warmth because of the curtain that has come up between us?
Maybe, because of the curtain, he sees me as someone different, a rather misty figure, imprecise, vague and elusive, developing a form that is difficult for him to gauge.
May be he too is scared of this new figure.
या मैं कल्पना में जी रहा हूं।
मुझे लगता है कि जब अप्पा मुझसे मिलते हैं तो वे बेहद चौंकने तथा सावधान होते हैं।
निश्चित रूप से, जब मैं उनके सामने से गुजरता हूँ तो उनकी आँखें आनंद से चमकने लगती हैं।
लेकिन क्या यह उतना ही स्वाभाविक है जितना कि इसका प्रयोग किया जाता है?
या कि मैं इसकी गरमाहट को उस परदे के कारण महसूस
नहीं कर पाता हूँ जो हमारे और उनके बीच टॅगा है।
हो सकता है कि परदे के कारण वे मुझे अन्य लोगों से अलग देखते हों, एक धुंधली तसवीर की तरह, अस्पष्ट तथा दुर्गाय-एक ऐसा विकसित स्वरूप जिसे उनके लिए आँकना कठिन हो।
हो सकता है कि वे भी इस नए चित्र से भयभीत हों।
Passage-9: (Page 16)
Is that why, at times, he makes extra efforts to be overtly affectionate!
I do not know.
Maybe he tries to kill the fear in him by treating me with caution.
He finds safety in treating me as a child.
He runs his fingers through my thick, curly hair, holds my head close to his chest and pats me.
क्या इसलिए वे खुल्लम-खुल्ला लगाव की अतिरिक्त कोशिश कर रहे हैं।
मुझे नहीं पता।
हो सकता है कि मुझे सचेत करते हुए वे अपने अंदर के भय को मारने की कोशिश कर रहे हों।
मुझे बच्चा मानकर उनमें सुरक्षा का बोध होता हो।
वे अपनी अंगुलियाँ मेरे घने, घंघराले बालों पर फेरते हैं, मेरे सिर को अपनी छाती से लगाकर थपकियाँ देते हैं।
Passage-10: (Page 16)
I would not say I hate him for doing that.
But I am not able to enjoy it as I used to.
Once, I would give the whole world for being held lovingly by Appa.
Now I feel as if it is not what Appa should do to me.
Is it not time, I tell myself, that he treats me as a grown-up.
Especially when he has been reminding me to behave like one.
मैं यह नहीं कहूँगा कि मुझे उनके इस कृत्य से घृणा है।
लेकिन इससे मुझे कोई आनंद की अनुभूति नहीं होती।
एक बार मैं पूरे विश्व को अप्पा को प्यार करने को दे दूंगा।
अब मैं सोचता हूँ कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो अप्पा को मेरे साथ क्या करना चाहिए।
यह वह समय नहीं है कि वे मेरे साथ बड़ों की तरह व्यवहार करें, मैंने अपने-आप से कहा।
खासतौर से तब, जबकि मुझे वे बड़ों जैसे व्यवहार करने का स्मरण दिलाते रहते हैं।
Passage-11: (Page 16)
I fall and slip and scream with pain because of a sprain.
Amma is all kindness.
Not Appa.
He growls, “You are fourteen, Samir.
It is time you learned how to bear pain with stoic courage.
You are no longer a child.”
I cannot forget those words.
मैं फिसलकर गिर गया तथा मोच के कारण पीड़ा से चीखा।
अम्मा में दयालुता की भावना है,
किंतु अप्पा में नहीं।
वे बड़बड़ाने लगते हैं-“तुम चौदह वर्ष के हो, समीर।।
तुम्हारे लिए यही जानने का समय है कि संयम और साहस के साथ पीड़ा को कैसे सहन किया जाता है।
अब तुम बच्चे नहीं रहे।” मैं इन बातों को भूल नहीं सकता।
Passage-12: (Page 16)
Next evening, before Appa has returned from office, I walk up to Amma.
She welcomes me witha big smile.
But the smile turns into a frown When I ask her whether I could go for a party at Vishal’s house.
Amma says, “Must be back before nine.”
“Amma, I am grown-up now.
Can I not stay out till all my friends leave?’ I ask.
दूसरे दिन शान को अप्पा के ऑफिस से आने से पहले मैं अम्मा के पास पहुँचा।
उन्होंने मुस्कुराकर मेरा स्वागत किया।
किंतु यह मुस्कुराहट अप्रसन्नता में तब बदल गई जब मैंने उनसे यह पूछा कि क्या मैं विशाल के घर में पार्टी में शामिल होने जा सकता हूँ।
अम्मा ने कहा, “नौ बजे के पूर्व चले आना।”
“अम्मा, अब मैं बड़ी हो गया हूँ।
अपने सभी दोस्तों के जाने तक क्या मैं वहाँ नहीं रुक सकता।”
Passage-13: (Page 16)
“You think you are old enough to be on your own, Samir?
Remember you are still a child even though you think otherwise.
You are at an in-between age.
A Teenager.
” That raises my hackles. I stamp my feet, shout at her,
“I am old enough, Amma.
Old enough to be on my own I will not allow myself to be treated like a kid!”
She gives me a stern look and asserts firmly,
“My decision is final.
No party for you.
Not today. Not ever.
I do not want you to end up as a wild colt.”
“क्या तुम खुद ही अपने-आप को बड़ा मानने लगे हो, समीर?
तुम चाहे जो सोचो, किंतु इतना याद रखो कि तुम अभी भी एक बच्चे हो।
तुम्हारी उम्र अभी भी किशोर वय की है।” इससे मेरे रोंगटे खड़े हो गए।
मैं अपने पैरों को पटकते हुए अम्मा पर चिल्लाया, “मैं बड़ा हो गया हूँ, अम्मा।।
मैं अपने-आप में बड़ा हूँ।
मैं अपने साथ बच्चों के जैसा व्यवहार करने की अनुमति नहीं दूंगा।”
उन्होंने मुझे कड़ी नजरों से देखते हुए सख्त लहजे में कहा, “मेरा निर्णय अंतिम है।
तुम्हारे लिए कोई पार्टी नहीं।
आज भी नहीं और कभी भी नहीं।
मैं तुम्हें बेलगाम अनाड़ी की तरह नहीं छोड़ सकती।”
Passage-14: (Page 17)
She has her way.
I miss the party.
But it does not endear her. I sulk.
I do not talk to her for a whole day.
She coaxes me, placates me till I succumb to her molly-coddling.
Then I hug her and cry.
Pat comes her remark, “At fourteen, a boy must know how to control his emotions!”
वे चली गईं।
मैं पार्टी में नहीं गया।
किंतु इससे भी उनमें प्रीतिकर भावना उत्पन्न नहीं हुई।
मैं नाराज हो गया। मैंने पूरे दिन उनसे बात नहीं की।
उन्होंने मुझे खुशामद करके राजी करने की तब तक कोशिश की, जब तक कि मैं उनके लाड़-प्यार से वशीभूत नहीं हो गया।
उसके बाद मैं उन्हें आलिंगन कर रोने लगा। तुरंत ही उनकी टिप्पणी आई,
“चौदह वर्ष की अवस्था वाले बालक को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना आना चाहिए।”
Passage-15: (Page 17)
That is the trouble. Am I a child?
Or have I grown-up?
When will my parents see clearly what I am?
Either I am a child or, I am a grown-up.
I cannot be both at the same time.
Maybe I am a mix of both. I do not know.
That is what makes my fear so scary.
यही समस्या है।
मैं बच्चा हूँ अथवा बड़ा हो गया हूँ?
मैं क्या हूँ-इस बारे में मेरे माता-पिता कब स्पष्ट देख पाएँगे।
या तो मैं बच्चा हूँ या बड़ा हो गया हूँ।।
एक साथ मैं दोनों ही नहीं हो सकता।
हो सकता है कि मैं इन दोनों को मिश्रण हूँ।
इसे मैं नहीं जानता। मेरा यही भय मुझे डरपोक बनाता है।
Passage-16: (Page 17)
I know my fear will die if my parents stop treating me like a child.
But no.
They will not do that.
They have their fears.
That is why Amma say severy time I try to assert myself, “At your age, you need to be kept on the leash.
It is for your good, Samir.
We shall take the leash off once you are capable of knowing what is right and what is wrong.
Freedom never comes in a day.
Freedom will be yours once we feel you are mature enough to handle situations.”
मैं जानता हूँ कि मेरा भय समाप्त हो जाएगा, यदि मेरे माता-पिता मुझसे बच्चे जैसा व्यवहार करना बंद कर दें।
लेकिन नहीं।
वे ऐसा नहीं करेंगे। उनके अपने भय हैं।
इसीलिए अम्मा कई बार कहती हैं, जिस पर मैं दृढ़ रहने की कोशिश करता हूँ।”
इस उम्र में तुम्हें नियंत्रण में रहने की जरूरत है।
इसमें तुम्हारी भलाई है, समीर।
जब तुम यह समझने में समर्थ हो जाओगे कि क्या सही है।
और क्या गलत, तब हम इस नियंत्रण को समाप्त कर देंगे।
स्वतंत्रता एक दिन में नहीं मिलती।
तुम्हें स्वतंत्रता तभी मिलेगी जब तुम स्थितियों से निपटने हेतु पूर्णत: सक्षम होगे।
Passage-17: (Page 17)
“When will that be?”
I ask.
Appa walks in.
Amma warms up to his presence with a gentle nod, then tells me, “Samir, everything takes time.
A flower take s time to turn into a fruit.
It takes a year for you to a year for you to go from one class to the next”
she grins.
ऐसा कब होगा?”
मैंने पूछा।
अप्पा अंदर आए।
अम्मा ने बड़े ही गर्मजोशी से उनका स्वागत किया तथा बड़े ही शालीन एवं सौम्य तरीके से मुझसे बोलीं, “समीर, हर चीज में समय लगता है।
एक फूल को फल के रूप में परिवर्तित होने में समय लगता हैं।
तुम्हें एक कक्षा से अगली कक्षा में जाने में कितने साल लग जाते हैं।”
वे मुस्कुराकर कहती हैं।
Passage-18: (Page 17)
Appa caresses my arm and says.
“I know you have your fears. We have ours.
We must fight our fears together.
You must understand our concerns.
There are so many temptations to which you this drawn.
I do not want to list them.
You know them now.
Come to us, talk to us openly.
Let us learn to be friends.
Take every advice we offer as coming from true friends.
We, in turn, promise to do all that we can to appreciate your viewpoint.
Will you let me be your true friend?”
अप्पा ने मेरे हाथों को प्यार से चूमा तथा कहा,
“मैं जानता हूँ कि तुम्हारे अपने भय हैं। हमारे अपने भय हैं।
हमें अपने भय को आपस में मिलकर दूर भगाना है।
तुम्हें हमारी चिंताओं को अवश्य समझना चाहिए।
अनेक प्रलोभन हैं, जिनमें से एक ने तुम्हें अपनी ओर खींचा है।
मैं उनकी सूची नहीं बनाना चाहता।
तुम अब उन्हें जानते हो।
हमारे पास आओ तथा हमसे खुले रूप से बात करो।
हम लोग मित्रवत एक-दूसरे से सीखें।
हमारे द्वारा दी गई सलाह को एक सच्चे मित्र की तरह ग्रहण करो।
प्रत्युत्तर में हम तुम्हें यह आश्वासन देते हैं कि तुम्हारे विचारों
को भी पूरा महत्व और सम्मान देंगे।
क्या तुम मुझे अपना सच्चा दोस्त बनाओगे?
Passage-19: (Page 17)
“Me too,” Amma lifts my chin and smiles into my eyes.
I press her palm and grin happily, “We are three friends, bound by love.
We will never do anything that hurts others.”
“That’s it! Happy are we now, we have been set free from fear.”
Papa gently ruffles my curly hair.
“मुझे भी,” अम्मा ने मेरी ठोढ़ी को ऊपर उठाते हुए मेरी आँखों में देखकर कहा मुस्कुराते हुए कहा।
मैंने उनकी हथेली को दबाया तथा खुशी से मुस्कुराया, “प्यार
में बँधे हम तीन दोस्त हैं।” हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे,
जिसके कारण एक-दूसरे को कष्ट पहुंचे। अब हम सब प्रसन्नचचित्त तथा भय से मुक्त हैं।”
पापा ने मेरे मुँघराले बालों को हल्के से लहराया।
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