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RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

June 24, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

RBSE Class 11 Biology Chapter 22 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

RBSE Class 11 Biology Chapter 22 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
अष्ठिफल और बदरीफल में मुख्य अन्तर है –
(अ) उर्ध्ववर्ती अण्डाशय का
(ब) युक्ताण्डपी का
(स) गुठलीयुक्त अंत: फल भित्ति का
(द) गूदेदार मध्यफल भित्ति को

प्रश्न 2.
वेश्मस्फोटी फल होते हैं जो –
(अ) सूखने के उपरान्त शीघ्रता से फट जाते हैं।
(ब) सूखने के पश्चात अनेक वेश्मों में फटते हैं।
(स) सूखने के पश्चात पानी गिरने से फट जाते हैं।
(द) इनमें से कोई भी नहीं

प्रश्न 3.
शिम्ब फल को एकसेवनीक से पहचान सकते हैं, क्योंकि शिम्ब की विशेषता है –
(अ) इनका आकार बड़ा एवं कम बीज वाले होते हैं।
(ब) इनमें फल केवल एक सीवन से फटता है।
(स) इनमें फल दोनों सीवनियों से फटता है।
(द) इनमें आधारी बीजाण्डान्यास पाया जाता है।

RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

प्रश्न 4.
बहिर्भित्ति चमड़े के समान, मध्यभित्ति तन्तुमय, अंत: भित्ति वेश्मों में बंटी हुई व रसीले रोम युक्त कौनसे फल का अभिलाक्षणिक गुण हैं –
(अ) नारंगक
(ब) पोम
(स) एम्फीसारका
(द) पीपो

प्रश्न 5.
निम्न में से भ्रूणपोषी का उदाहरण है –
(अ) गेहूं
(ब) चना
(स) मटर
(द) मूंगफली

प्रश्न 6.
निम्न में से किसके बीजों में परिभ्रूणपोष पाया जाता है –
(अ) नारियल
(ब) कालीमिर्च
(स) गेहूं
(द) चना

उत्तर तालिका:
1. (स), 2. (ब), 3. (स), 4. (अ), 5. (अ), 6. (ब)

RBSE Class 11 Biology Chapter 22 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फल की परिभाषा दीजिये?
उत्तर:
पुष्पीय पादपों में निषेचन के पश्चात एक या अधिक अण्डाशयों के परिपक्वन से बनी संरचना को फल कहते हैं।

प्रश्न 2.
सेब में खाने योग्य भाग का नाम बताइये?
उत्तर:
गूदेदार पुष्पासन।

प्रश्न 3.
मक्का, चावल आदि में फल का प्रकार बताइये?
उत्तर:
केरियोप्सिस (Caryopsis)।

प्रश्न 4.
पुष्प के कौन से भाग से वास्तविक फल का विकास होता है?
उत्तर:
अण्डाशय से परिवर्धित होने वाला फल वास्तविक फल होता है।

RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

प्रश्न 5.
पुंजफल किसे कहते हैं?
उत्तर:
अनेक छोटे सरस फलों का समूह होता है जो बहुअण्डपी, पृथक अण्डपी अण्डाशयों से उत्पन्न होते हैं। इन फलों के समूह को पुंज कहते हैं।

प्रश्न 6.
संग्रथित फल को परिभाषित कीजिए?
उत्तर:
जो फल पूर्ण पुष्पक्रम से उत्पन्न होते हैं, उन्हें संग्रथित फल कहते हैं।

प्रश्न 7.
सरल या गूदेदार फलों की क्या विशेषता होती है?
उत्तर:
ऐसे फल परिपक्वता या मांसल या रसदार (juicy) होते हैं।

प्रश्न 8.
धतूरा, भिण्डी आदि में किस प्रकार का फल पाया जाता है ?
उत्तर:
सम्पुट (Capsuls) प्रकार का फल होता है।

प्रश्न 9.
पके आम में खाने योग्य भाग का नाम बताइये?
उत्तर:
मध्य फलभित्ति।

प्रश्न 10.
क्रूसीफेरी कुल के पादपों में कौनसा फल पाया जाता है?
उत्तर:
प्रायः सिलिकुआ (Siliqua) फल परन्तु कुछ में सिलिक्यूला (Silicula) भी होता है।

RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

प्रश्न 11.
बीज को परिभाषित कीजिए?
उत्तर:
आवृतबीजी पादपों में निषेचने के उपरान्त अण्डाशय के बीजाण्ड से परिवर्धित रचना को बीज कहते हैं।

प्रश्न 12.
बीज की संरचना, आकृति, आकार एवं जीवंतता का अध्ययन जीव विज्ञान की कौनसी शाखा में किया जाता है?
उत्तर:
स्पर्मालॉजी (Spermalogy)।

प्रश्न 13.
भ्रूणपोषी बीज किसे कहते हैं?
उत्तर:
बीज में भ्रूण परिवर्धन के दौरान भ्रूणपोष का अधिकांश भाग शेष रह जाता है तो ऐसे बीज को भ्रूणपोषी बीज कहते हैं, जैसे अरण्डी, नारियल आदि।

प्रश्न 14.
वरुथिका (Scutellum) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एकबीजपत्री पादपों के बीजों में एक बड़ा तथा ढालाकार बीजपत्र होता है जिसे वरुथिका कहते हैं।

प्रश्न 15.
एल्यूरोन पर्त किस पदार्थ की बनी होती है?
उत्तर:
प्रोटीन की बनी होती है।

RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

RBSE Class 11 Biology Chapter 22 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लोमेन्टम एवं लेग्यूम फलों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
लोमेन्टम एवं लेग्यूम फलों में अन्तर –

लोमेन्टम (Lomentum ) लेग्यूम (Legume)
1. यह भिदुर फल (Schizocarpic fruit) है। 1. यह स्फुटनशील (Dehiscent) फल है।
2. ये फल एकाण्डपी, उर्ध्व वर्ती व एक कोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। 2. ये एकाण्डपी, उर्ध्ववर्ती व एककोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं।
3. इसकी फली बीच-बीच में संकीर्ण होकर एक बीजी फलांशको (mericarps) में विभक्त हो जाती है। 3. ऐसा नहीं होता है।
4. स्फुटन दोनों सीवनी से होता है। उदा – इमली, अमलताश आदि। 4. इनका स्फुटन दोनों सीवनों (sutures) से होता है। उदा – मटर, चना आदि।

प्रश्न 2.
पोम तथा पीपो में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पोम तथा पीपो में अन्तर –

पोम (Pome ) पीपो (Pepo)
1. फल द्वि अथवा बहु- अण्डपी, युक्ताण्डप तथा अधो अण्डाशय (inferior ovary) से बनता है। 1. फल त्रि-अण्डपी, युक्ताण्डप, अधो अण्डाशय से बनता है।
2. फल का गूदेदार खाने योग्य भाग केवल पुष्पा सन (thalamus) से बनता है। 2. फल के बनने में पुष्पासन के साथ-साथ अण्डाशय भी पूरा योगदान करता है।
3. बाह्यफलभित्ति पतला व कड़ा होता है। 3. बाह्यफलभित्ति गूदेदार होता है।
4. बीज सूखे बाह्यफलंभित्ति के अन्दर होते हैं। 4. गूदेदार मध्यफलभित्ति तथा अन्तः फलभित्ति में बीज होते हैं।
5. बीजों की संख्या कम होती है। बीज स्तम्भीय बीजाण्डासन पर मिलते हैं। 5. बीजों की संख्या अत्यधिक होती है। बीज भित्तीय (parietal) बीजाण्डासन पर मिलते हैं।
6. यह फल रोजेसी कुल के कुछ पौधों में मिलता है; जैसे- सेब, नाशपती आदि। 6. यह फल कुकरबिटेसी कुल की अभिलक्षण हैं; जैसे- खीरा, ककड़ी करेला, लौकी आदि।
7. यह पूर्णतः कूट फल (False fruit) है। 7. यह आंशिक रूप से कूट फल है।

RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

प्रश्न 3.
सामूहिक फलों को संग्रथित फलों से आप किस प्रकार पहचानेंगे ?
उत्तर:
सामूहिक फल एक ही पुष्प में पाये जाने वाले बहुअण्डपी तथा पृथकाण्डपी अण्डाशय से बनते हैं। सभी अण्डप मिलकर एक संयुक्त फल बनाते हैं, इसमें प्रत्येक फल स्वतन्त्र रहकर एक गुच्छे में होते हैं। उदा – एकीनो, फॉलिकल, बेरी, अष्ठि फलों के पुंज फल। संग्रथिल फल सम्पूर्ण पुष्पक्रम से परिवर्धित होते हैं। इसमें पुष्पक्रम का प्रत्येक पुष्प एक छोटा फल बनाता है। सारे फल मिलकर एक फल बनाते हैं। ये गुच्छे में न होकर आपस में चिपके होते हैं। उदा. अनानास, अंजीर आदि। इन फलों को इनफ्रक्टेसेन्स (Infuctescence) भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
भिदुर फल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
इस प्रकार के फल अनेक अण्डपों तथा युक्ताण्डपी अण्डाशय से विकसित होते हैं। परिपक्वता पर फलभित्ति शुष्क होकर विशेष स्थानों से टूट जाती है। परन्तु बीज फलभित्ति के अन्दर बन्द रहते हैं। फल में अनेक बीज होते हैं जो छोटे टुकड़े प्रायः एकबीजी में विभक्त हो जाते हैं। इन टुकड़ों को फलांशक (mericarp) कहते हैं। लोमेन्टम, क्रीमोकार्प, रेग्मा, कार्सेरुलस तथा यूट्रिकल भिदुर फल होते हैं।

प्रश्न 5.
एस्टेरेसी कुल के पादपों में फलों का प्रकीर्णन में कौन सी संरचना सहायक है?
उत्तर:
एस्टेरेसी कुल में सिप्सेला फल होता है। फलों के साथ रोमिल, शुष्क चिरस्थायी बाह्यदलपुंज फल से लगे होते हैं जिसे पेपस (Pappus) कहते हैं। पेपस फलों के वायु प्रकीर्णन में पेराशूट (Parachute) की भांति सहायता करता है।

RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

प्रश्न 6.
एकसेवनीक ( Follicle) की संरचना सचित्र समझाइये?
उत्तर:
एकसेवनिक या फॉलिकल (Follicle): इस प्रकार के फल केवल एक सीवन अर्थात् अभ्यक्ष सीवन (ventral suture) से ही फटते हैं। जैसे मदार (Calotropis), चम्पा (Michelia) तथा सर्पगन्धा (Ratuwolfia) इत्यादि।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-1
प्रश्न 7.
सरसाक्ष ( sorosis ) फल का निर्माण कौन से पुष्पक्रमों द्वारा होता है, स्पष्ट समझाइये?
उत्तर:
इस प्रकार के फल शूकी (Spike), निलम्बक शूकी (Catkin) या छद शूकी (Spadix) पुष्पक्रम से बनते हैं। इसमें पुष्पक्रम अक्ष एवम् परिदलपुंज मांसल हो जाते हैं, जैसे- शहतूत, कटहल व अनानास।

प्रश्न 8.
अष्ठिफलों का समूहफल किसे कहते हैं ? सचित्र समझाइये?
उत्तर:
इस प्रकार के फल का उदाहरण रसभरी, ब्लैकबेरी (Rubus) है जिसमें अनेक छोटे-छोटे अष्ठिल गूदेदार फल पुष्पासन पर व्यवस्थित रहते हैं।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-2

RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

प्रश्न 9.
द्विबीजपत्री पादपों के बीजों में भ्रूण की संरचना सचित्र समझाइये?
उत्तर:
द्विबीजपत्री बीज की संरचना (Structure of dicotyledon): बीज की बाहरी परत को बीजावरण कहते हैं। बीजावरण की दो परतें होती हैं – बाहरी आवरण को बीजचोल (testa) तथा भीतरी परत कोटेगमेन (tegmen) कहते हैं। बीज के ऊपर एक क्षत चिन्ह की तरह का ऊर्ध्व होता है जिसके द्वारा बीज फल से जुड़ा रहता है। इसे नाभिक कहते हैं। प्रत्येक बीज में नाभिक के ऊपर छिद्र होता है जिसे बीजाण्डद्वार कहते हैं। जैसे ही बीजावरण हटाते हैं तो दो बीजपत्रों के बीच भ्रूणीय अक्ष होती है।

जिन बीजपत्रों में भोजन संग्रहित होता है। वे गूदेदार होते हैं। अक्ष के निचले भाग को मूलांकुर तथा ऊपरी भाग को प्रांकुर कहते हैं। इनमें भ्रूणपोष का निर्माण द्विनिषेचन के कारण होता है तथा इनकी ऊत्तकों में ही भोजन का संग्रह होता है। चना, सेम तथा मटर में भ्रूणपोष नहीं होता है अतः ये बीज अभ्रूणपोषी होते हैं परन्तु अरंड में भ्रूणपोष होता है अतः यह बीज भ्रूणपोषी होता है।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-3
प्रश्न 10.
मक्का के बीज की संरचना केवल नामांकित चित्र द्वारा समझाइये।
उत्तर:
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-4

RBSE Class 11 Biology Chapter 22 निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फल से आप क्या समझते हैं? शुष्क फलों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिये? ।
उत्तर:
सरल शुष्क फंल (Simple dry fruits): इन फलों में पतली एवं शुष्क फलभित्ति (Periearp) होती है। इन फलों के फटने एवं बीजों की संख्या के आधार पर इनको निम्न तीन प्रकारों में बांटा गया –

  1. सरल शुष्क स्फुटनशील फल (Simple dry dehiscent fruits)
  2. सरल शुष्क भिदुर फल (Simple dry schizocarpic fruits)
  3. सरल शुष्क अस्फुटनशील या एकीनियल फल (Simple dry Indehiscent or achenial fruits)

1. सरल शुष्क स्फुटनशील फल (Simple dry dehiscent Fruits ): इस प्रकार के फलों के परिपक्व होने पर फलभित्ति स्वतः ही फटकर बीजों को बाहर निकाल देते हैं। ये फल निम्न प्रकार के होते हैं –

(i) शिम्ब या फली (legume): ये फल एकाण्डपी, उर्ध्ववर्ती (superior) व एक कोष्ठकी (unilocular) अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। अण्डाशय में सीमान्त बीजाण्डन्यास (marginal placentation) होता है। इन फलों का स्फुटन दोनों सीवनों (sutures) से होता है। उदाहरण – उपकुल पैपिलियोनेसी (लोटोइडी) के सदस्य, जैसे मटर (Piscum sativum)। यदि फल में एक या दो बीज होते हैं तो इसे पाँड (Pod) कहते हैं जैसे चना (Cicer arietinium)।

(ii) एकसेवनिक या फॉलिकल (Follicle): इस प्रकार के फल केवल एक सीवन अर्थात् अभ्यक्ष सीवन (ventral suture) से ही फटते हैं। जैसे मदार (Calotropis), चम्पा (Michelia) तथा सर्पगन्धा (Ratuwolfia) इत्यादि।

(iii) कूटपटीक या सिलिकुआ (Siliqua): ये फल द्विअण्डपी, युक्ताण्डपी तथा उर्ध्ववर्ती अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। इस प्रकार के अण्डाशय में भित्तीय बीजाण्डन्यास (parietal placentation) होता है। प्रारम्भ में अण्डाशय एक कोष्ठीय किन्तु परिपक्वन के समय कूटपट (false septum or replum) बन जाने के कारण द्विकोष्ठीय (bilocular) हो जाता है। प्रत्येक कोष्ठक में अनेक बीज होते हैं जो कूटपट पर लगे होते हैं।

यह फल शुष्क, लम्बा, संकीर्ण (narrow) होता है, जो परिपक्व होने पर दोनों सीवनों (sutures) के द्वारा नीचे से ऊपर की ओर स्फुटित होता है। इस प्रकार फलभित्ति दो कपाटों में फट जाती है तथा बीच में कूटपट पर बीज लगे रहते हैं। कूटपट के सूखने पर तथा फल के हवा द्वारा हिलने से बीज गिर जाते हैं। इस प्रकार के फल क्रू सीफेरी (Crucifereae = Brassicaccae) कुल के पौधों में पाये जाते हैं। जैसेसरसों (Brassica campestris), मूली (Raphantus sativus) इत्यादि।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-5
(iv) कूटपटिका या सिलिक्यूला (Silicula): ये फुल ठीक सिलिकुआ की भांति होते हैं। जब सिलिकुआ का फल छोटा, चपटा व कम बीजयुक्त होता है तो उसे सिलिक्युला कहते हैं। जैसे- कैण्डीटपट (Candynift), कैप्सेला (Capsella bursa-pastoris) इत्यादि।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-6
(v) सम्पुटिका (Capsule): ये फल बहुअण्डपी, युक्ताअण्डपी तथा उर्ध्ववर्ती अण्डाशय से किन्तु कभी-कभी अधोवर्ती (inferior) अण्डाशय से भी परिवर्धित होते हैं। फल शुष्क, बहुकोष्ठीय तथा अनेक बीजयुक्त होते हैं। फलों का स्फुटन विविध विधियों द्वारा होता है, जैसे- छिद्रित (पोस्त), कोष्ठ विदारक (कपास, भिण्डी), पट विदारक (अरण्डी), पट भंजक (धतूरा) तथा अनुप्रस्थ (पोलाका) आदि।

2. सरले शुष्क वेश्म स्फोटी या भिदुर फल (Simple dry Schizocarpic fruits):
इस प्रकार के फल अनेक अण्डपों तथा युक्ताण्डपी अण्डाशय से विकसित होते हैं। परिपक्वता पर फलभित्ति शुष्क होकर विशेष स्थानों से टूट जाती है। परन्तु बीज फलभित्ति के अन्दर बंद रहते हैं। फल में अनेक बीज होते हैं जो छोटे टुकड़े प्रायः एकबीजी में विभक्त हो जाते हैं। इन टुकड़ों को फलांशक (mericarp) कहते हैं। भिदुर फल निम्न प्रकार के होते हैं –
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-7
(i) अनुप्रस्थ भेदी या लोमेण्टम (Lomentum):
यह फल वस्तुतः शिम्ब या पॉड (legume or pod) का रूपान्तरण है। ये फल एकाण्डपी, उर्ध्ववर्ती व एककोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। इसकी फली बीच-बीच में लोमेण्टम फल संकीर्ण होकर एकबीजी फलांशकों (छुई मुई) (mericarps) में विभक्त हो जाती है, जैसे ईमली (Tamarindus indica), अमलतास (Cassia fistula), छुई-मुई (Mimosa pudica) इत्यादि।

(ii) युग्मवेश्म या क्रीमोकार्प (Cremocarp):
ये फल द्विअण्डपी, युक्ताण्डपी, अधोवर्ती व द्विकोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। फल में दो बीज होते हैं जो परिपक्वता पर दो फलांशकों (mericarps) में टूट जाते हैं। दोनों फलांशक फलधर (carpophore) पर लगे होते हैं। इस प्रकार के फल अम्बेलीफेरी (Umbelliferae = Apiaccae) कुल के पौधों में पाये जाते हैं। जैसे – गाजर (Daucus carota), धनिया (coriander= Coriandum sativum), सौंफ (Foeniculum vutgare) इत्यादि।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-8
(iii) स्फोटी वेश्मी या रेग्मा (Regma):
इस प्रकार के फल त्रिअण्डपी, युक्ताण्डपी व उर्ध्ववर्ती अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। परिपक्वता पर तीन, एकबीजयुक्त गोलाणु (cocci) में बंट जाते हैं, जैसे अरण्ड (castor=Ricintus comnunis), जेट्रोफा (Jatropha) इत्यादि।

(iv) चतुरादिवेश्म या कार्सेरूलस (Carcerulus):
ये फल द्विअण्डपी, युक्ताण्डपी व उर्ध्ववर्ती अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। अण्डाशय में कूटपट (false septum) निर्माण से चार कोष्ठक बन जाते हैं तथा परिपक्वता पर चार एकबीजी फलांशकों में फट जाते हैं। जैसे तुलसी (Ocimum sanctium), साल्विया (Salvia)। मालवेसी कुल के हॉलीहॉक (Hollyhock) तथा एबूटीलोन (Abutilon) में फल बहुअण्डपी जायांग से विकसित होता है, इस कारण फलांशकों की संख्या अधिक होती है।

(v) यूट्रिकल (Utricle):
ये फल द्विअण्डपी, युक्ताण्डपी व उर्ध्ववर्ती अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। फल एक कोष्ठीय तथा एकबीजी होता है। इस प्रकार के फल प्रायः ढक्कन (lid) से स्फुटित होते हैं, जैसे चौलाई (Amaranthus), लटजीरा (Achyranthus) इत्यादि।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-9
(स) सरल शुष्क अस्फुटनशील या एकीनियल फल (Simple dry Indchiscent or achenial furits): इस प्रकार के फल एकबीजी (single seeded) होते हैं। परिपक्व होने पर फलभित्ति शुष्क तो हो – जाती है परन्तु स्फुटित नहीं होती। ये फल निम्न प्रकार के होते हैं –

(i) एकीन (Achene):
ये फल एकाण्डपी, उर्ध्ववर्ती व एककोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। फल एकबीजी तथा फलभित्ति बीजावरण से पृथक होती हैं, जैसेगुलेबॉस (Mirabilis)। अधिकांशतः एकीन फल पुंज (etacrio) में पाये जाते हैं। क्योंकि ये बहु अण्डपी, वियुक्ताण्डपी जायांग से विकसित होते हैं, जैसे – क्लीमैटिस (Clematis), रैननकुलमस (Ranuncultus), नारवेलिया (Naramvallia) इत्यादि।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-10
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-11
(ii) सचोल भित्तिफल या कैरिऑप्सिस (Carvopsis):
ये फल भी एकाण्डपी, उर्ध्ववर्ती व एककोष्ठीय बीजाण्ड से परिवर्धित होते हैं। फल छोटा तथा एकबीजी होता है। इसकी फलभित्ति, बीजावरण (seed coat) से संगलित (fused) होती है। इस प्रकार के फल ग्रेमिनी या पोयेसी (Gramineae or Poaceae) कुल में पाये जाते हैं। जैसे गेहूं (Wheat=Tritictim destivzunn), चावल (rice= Oryza sativa), मक्का (maize=Zea mays ), इत्यादि।

(iii) रोमवलय या सूर्यमुखी फल या सिप्सेला (Cypsela):
ये फल द्विअण्डपी, युक्ताण्डपी, अधोवर्ती व एककोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। फल एकबीजयुक्त तथा फलभित्ति, बीजावरण से पृथक होती है। फलों के साथ रोमिल बाह्यदलपुंज (calyx) फल से लगा होता है जिसे पेपस (pappus) कहते हैं। पेपस फलों के वायु प्रकीर्णन (air dispersal) में पेराशूट (parachute) की भांति सहायता करता है। इस प्रकार के फल कम्पोजिटी या ऐस्टरेसी (Compositae or Asteraceae) कुल के पौधों में पाये जाते हैं, जैसे- सूर्यमुखी (Helianthias anntus), गैंदा (Tagettis), डेहलिया (Dahlia) इत्यादि।

(iv) सपक्ष या समारा (Samara):
ये फल द्वि या त्रिअण्डपी, युक्ताण्डपी व उर्ध्ववर्ती अण्डाशय से विकसित होते हैं। फल में एक या दो बीज होते हैं। इसकी फलभित्ति पंख के समान चपटी होती है, जैसे चिलबिल (Holoptelea), डायोस्कोरिया (Dioscorea), मेपल (Acer) इत्यादि। परन्तु अन्य कुछ फल भी पंखदार होते हैं, जैसे साल (Shorea), डिप्टेरोकार्पस (Dipterocarpus) इत्यादि। परन्तु इनमें फलभित्ति पंखदार न होकर बाह्यदलपुंज (calyx) होते हैं।

(v) कोष्ठ फल या दृढ़फल (Nut):
ये फल द्वि या बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी, उर्ध्वर्ती तथा एककोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। फल में एकबीज होता है व इसकी फलभित्ति कठोर व काष्ठीय हो जाती है, जैसे-काजू (Cashew nut), सिंघाड़ा इत्यादि।

RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

प्रश्न 2.
फलों में स्फुटन की कौन-कौनसी विधियाँ अपनाई जाती हैं?
उत्तर:
फल बीजों को बिखेरने में सहयोग करते हैं तथा ये बीज फलभित्ति के फटने पर ही बाहर निकलते हैं। अतः फलभित्ति के फटने की विधि को स्फुटन कहा जाता है। फल अस्फुटनशील (indehiscent) तथा अन्य फल स्फुटनशील (dehiscent) होते हैं। अस्फुटनशील फलों में कोई ऐसा स्थान नहीं होता जिसके कारण फल विभाजित होकर बीजों को बाहर निकाल सके। इस प्रकार के फलों को अस्फुटनशील कहते हैं किन्तु स्फुटनशील बीजों में फटने का स्थान होता है। स्फुटनशील फलों में स्फुटन निम्न प्रकार से होता है –

  1. सीवनी स्फुटन (Sutural dehiscence): इस प्रकार के फल सीवनों (sutures) के द्वारा फटते हैं। मैग्नोलिया (Magnolia) में फल एक तरफ अपाक्ष (dorsal) सीवन से फटता है या फिर अभ्यक्ष (ventral) सीवन से फटता है, जैसे मदार का फॉलिकल फल (follicle fruit of Calotropis)। कुछ फल दोनों तरफ की सीवनों से फटते हैं। जैसे मटर या लैग्यूम फल (legume fruit)।
  2. छिद्रित स्फुटन (Porous dehiscence): प्रायः कैप्स्यूल (capsule) फलों में इस प्रकार का स्फुटन पाया जाता है। इसके फलों में शीर्ष पर छिद्र होते हैं जिनसे बीज बाहर निकल जाते हैं। जैसे पोस्त (poppy = papaver)।
    RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-12
  3. अनुप्रस्थ स्फुटन (Transverse dehiscence): इस प्रकार के फलों में फलभित्ति अनुप्रस्थ स्थिति में स्फुटित होती है जिससे ऊपर का भाग टोपी के रूप में पृथक हो जाता है तथा नीचे के भाग में स्थित बीज वायु द्वारा बिखेर दिये जाते हैं। इस प्रकार का स्फुटन भी प्रायः कैप्स्यूल फल में पाया जाता है, जैसे- पोलाका (Portulaca), अमरूद (Psidium gavava), सिलोसिया (Celosia) इत्यादि।
  4. कोष्ठ-विदारक (Loculicidal dehiscence): स्फुटन के समय फलभित्ति कोष्ठक (locules) के बीच में से फटती है तथा बीजाण्डासन भी विभाजित हो जाता है, जैसे- भिण्डी (Hibiscus esculentius = lady’s finger), कपास (Gossypium) इत्यादि।
  5. पट-विदारक (Scepticidal dehiscence): इस प्रकार के फल पटों (septa) के जोड़ से फटकर पृथक हो जाते हैं परन्तु बीजाण्डासन बीच में लगा रहता है, जैसे – अरण्डी (Ricinus commuimus = castor), सरसों (Brassica) इत्यादि।
  6. पट भंजक (Septifragal dehiscence): इसमें फलभित्ति कोष्ठक व पट दोनों टूटकर गिर जाते हैं तथा बीजाण्डासन यथावत रहता है, जैसे धतूरा (Dattara)।
    RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-13

प्रश्न 3.
सरस फलों का विस्तार पूर्वक वर्णन करिये?
उत्तर:
सरल सरस या गूदेदार फल (Simple fleshy or succulent fruits): इस प्रकार के फल परिपक्वता पर मांसल तथा रसदार (Juicy) होते हैं। इस श्रेणी के फल निम्न प्रकार के होते हैं –

(i) अष्ठिफल (Drupe):
ये फल एकाण्डपी या बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी, उर्ध्ववर्ती अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। परिपक्वता पर फल गूदेदार तथा एकबीजी होते हैं। इसकी फलभित्ति तीन भागों में विभेदित होती है- बाहर की बाह्य फलभित्ति (epicarp) छिलके जैसी, बीच की मध्य फलभित्ति (mesocarp) रसदार गूदेयुक्त खाने योग्य तथा अन्दर की अन्तः फलभित्ति (endocarp) कठोर।

जैसे – आम (Mangifera indica), बेर (Zizyphus jujuba), अखरोट (walnut=juglans regia), नारियल (Coconut=Coctus nucifera), बादाम (Almond=Pruns anmygdaltus) इत्यादि। नारियल में मध्यफल भित्ति मांसल न होकर रेशेदार होती है तथा इसके सूखने पर कॉयर (Coir) नामक रेशा प्राप्त किया जाता है। इसमें खाने योग्य भाग भ्रूणपोष (endosperm) होता है।

(ii)पोम (Pome):
ये फल द्वि या बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी तथा अधोवर्ती (inferior) अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। अण्डाशय के चारों ओर मांसल व रसदार पुष्पासनं (thalamus) के विकास से फल बनता है।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-14
वास्तविक फल मांसल भाग के अन्दर कठोर सूखे हुए कार्टिलेज जैसा (cartilagenous) होता है जिसमें बीज पाये जाते हैं। अतः यह एक आभासी फल (false fruits) है, जैसे – सेव (apple = Pyrus malius), नाशपती (Pear = Pyrius communis) इत्यादि।

(iii) बेकैट फल (Beccate):
सरस या गूदेदार फलों में डूप तथा पोम प्रकार के फलों को छोड़कर शेष सभी फल, बेकैट फल होते हैं। इन फलों के गूदे में अनेक बीज धंसे होते हैं तथा इनकी अन्तः फलभित्ति कभी भी कठोर नहीं होती है। ये फल निम्न प्रकार के होते हैं –

(क) बदरी फल या बेरी (Berry):
ये फल एक या बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी, उर्ध्ववर्ती या अधोवर्ती (superior or inferior) अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं । बीजाण्डन्यास स्तम्भीय (axile) या भित्तीय (parictal) होता है। फलभित्ति तीन परतों में विभेदित होता है- बाह्य फलभित्ति छिलके के रूप में, मध्यफलभित्ति गूदेदार तथा अन्तः फलभित्ति पतली झिल्ली के रूप में होती है। परिपक्व फलों में बीज गूदे (pulp) में बिखरे होते हैं; जैसे टमाटर (Lycopersicum esculentum), बैंगन (Solanum melongena), अंगूर (Vitis vinifera), सुपारी (Areca catechu), पपीता (papaya=Carica papaya), केला (Mausa paradisiaca), खजूर (Phoenix dactylifera) इत्यादि।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-15
(ख) पीपो (Pepo):
ये फल त्रिअण्डपी, युक्ताण्डपी, अधोवर्ती (inferior) अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। अण्डाशय एक कोष्ठीय व भित्तीय बीजाण्डन्यास वाला होता है। फल गूदेदार, अनेक बीजयुक्त होते हैं। इसके बीज यद्यपि बीजाण्डासन पर लगे होते हैं परन्तु गूदे में बिखरे रहते हैं। बाह्यफलभित्ति एक दृढ़ छिलके (rind) के रूप में होती है। मध्यफलभित्ति व अन्त:फलभित्ति मांसल व रसीली होती है। इस प्रकार के फल कुकरबिटेसी (cucurbitaccae) कुल के पौधों में पाये जाते हैं। जैसेwicht (bottle gourd = Lagenaria siceraria), खीरा (cucumber-Cucumis sativus), तरबूज (water melon = Cirullus lanatus), खरबूजा (melon = Cucumis melo) इत्यादि।

(ग) नारंगैक या हैस्परीडियम (Hesperidium):
ये फल बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी, उर्ध्ववर्ती तथा बहुकोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। अण्डाशय में स्तम्भीय बीजाण्डन्यास होता है। बाह्य फलभित्ति चर्मिल (leathery), अनेक तेल ग्रंथियों युक्त होकर फल का छिलका (rind) बनाती है। मध्य फलभित्ति एक सफेद रेशेदार भाग के रूप में होती है जो बाह्य फलभित्ति से चिपकी होती है।

अंतः फलभित्ति झिल्ली के रूप में रहकर, अन्दर की ओर घुसकर अनेक प्रकोष्ठ बनाती है अर्थात् यह प्रत्येक फॉक के ऊपर रहती है। इस कारण यह फल अनेक फॉको में विभक्त होता है। अतः फलभित्ति की अन्दर की सतह से अनेक सरस, ग्रंथिल रोम निकले होते हैं जो फल को खाने योग्य भाग होता है। इस प्रकार के फल रूटेसी (Rutancae) कुल के पौधों में पाये जाते हैं। जैसे – सन्तरा (orange= Citrus reticulata), नींबू (lemon= Citrus qurantifolia) इत्यादि।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-16
(घ) बैलोस्टा (Balausta):
ये फल बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी, अधोवर्ती (inferior) अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। फल अनेक प्रकोष्ठों तथा अनेक बीजों वाला होता है। इसमें बाह्यदल पुंज (calyx) आपाती (persistant) होते हैं जो एक मुकुट (crown) सी रचना बनाते हैं। फलभित्ति कठोर होती है। बीजचोल (testa) सरस व खाने योग्य होता है। किन्तु टेगमेन (tegman) कठोर होता है; जैसे- अनार (pomegranate= Punica granatum)।

(च) एम्फीसारका (Amphisarca):
इस प्रकार के फल बहुअण्डपी, युक्ताअण्डपी, उर्ध्ववर्ती तथा बहुकोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। फलभित्ति काष्ठीय होती है। मध्य तथा अन्त:फलभित्ति मांसल होती है। जिसमें अनेक बीज बिखरे होते हैं। फल में बीजाण्डासन भी मांसल होता है। अतः फल में मध्य व अन्तःफलभित्ति तथा बीजाण्डासन खाने योग्य भाग का निर्माण करते हैं; जैसे बेल (wood apple= Aegle marmelos)।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-17

RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

प्रश्न 4.
विभिन्न प्रकार के पुंज तथा संग्रथित फलों का वर्णन कीजिये?
उत्तर:
1. पुंजफल (Aggregate fruits = etaerio):
इस प्रकार के फल एक पुष्प से ही बनते हैं। जब एक पुष्प में अनेक अण्डप स्वतंत्र होते हैं तब प्रत्येक अण्डप से एक लघुफल (fruitlet) बनता है। अतः अनेक अण्डप से अनेक छोटे-छोटे फल एक समूह (aggregate) में बनते हैं। फल के प्रकार के आधार पर पुंजफल को नाम दिया जाता है। जैसे- यदि फल ड्रप (drupe) है। तो फलों के समूह को ड्रप का समूह फल (etaerio) कहते हैं। इस प्रकार के फल निम्न प्रकार के होते हैं –

  1. फॉलिकलों का पुंज (Etaerio of follicles):
    जब फॉलिकल फल एक पुंज में होते हैं तो इसे फॉलिकलों का पुंज कहते हैं। ये फल दीर्घित पुष्पासन (elongated thalamus) पर लगे होते हैं; जैसे मदार (Calotropis procera), सदाबाहर (Catharanthus roseus) में दो फॉलिकल से बना हुआ पुंज होता है।
  2. एकीनो का पुंज (Etaerio of achenes):
    जब एकीन फल पुंज में होते हैं तो इसे एकीनो का पुंज कहते हैं। गुलाब में अनेक एकीन फल प्याले के आकार के पुष्पासन में व्यवस्थित रहते हैं। कमल में अनेक एकीन गूदेदार पुष्पासन में धंसे रहते हैं। इसी प्रकार स्ट्राबेरी (Fragaria) में भी एकीन फल गूदेदार पुष्पासन में धंसे रहते हैं। इसके अन्य उदाहरण नारवेलिया (Narvellia) तथा क्लीमेटिस (Clematis) है।
  3. ड्रप का पुंजफल (Etaerio of drupes):
    इसमें अनेक छोटे-छोटे ड्रप फल गूदेदार पुष्पासन पर व्यवस्थित होते हैं। सभी छोटे-छोटे डूप फल एक ही पुष्प के पृथक अण्डपों से परिवर्धित होते हैं; जैसे – रसभरी (Rubus idaetus)।
    RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-18
  4. बेरी का पंजफल (Etaerio of berries):
    शरीफा (custard apple= Annona squamosa ) में अनेक छोटे-छोटे बेरी फल गूदेदार पुष्पासन के चारों ओर व्यवस्थित होकर एक फल बना लेते हैं। सभी बेरी फेलों का शीर्ष जुड़कर एक सामूहिक छिलके (fused rind) का निर्माण करते हैं, जैसे शरीफा (Annona squamosa)।

2. संग्रथित फल (Multiple or Composite fruits): इस प्रकार के फल सम्पूर्ण पुष्पक्रम से परिवर्धित होते हैं। अतः ये कूटफल (false fruit) होते हैं। इन फलों को इन्फ्रक्टेसेन्स (infructescence) भी कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं –

सरसाक्ष या सोरोसिस (Sorosis):
इस प्रकार के फल कणिश (spike), नतकणिश (catkin) या स्पैडिक्स (spadix) पुष्पक्रम से परिवर्धित होते हैं। इसमें सभी फल अपने मांसल परिदलों (succulent tepals) द्वारा जुड़कर एक फल का निर्माण करते हैं। अन्नानास (Ananas comosus) में अक्ष (रेकिस), परिदलपुंज (perianth) व सहपत्र (bract) गूदेदार होकर संगलित हो जाते हैं। शहतूत (Morus alba) में फल स्पैडिक्स से परिवर्धित होते हैं। इसमें सभी पुष्प अवृन्ती तथा मादा होते हैं। प्रत्येक पुष्प से एकीन फल बनता है। तथा इसमें परिदलपुंज सरस होता है। कटहल (Artocarplus heterophyllius) में सहपत्र, परिदलपुंज व बीज सरस (succulent) होते है।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-19
उदुम्बरक या साइकोनस (Syconus): इस प्रकार का फल हाइपै न्थोडियम (hvpanthodium) पुष्पक्रम से परिवर्धित होता है। जैसे अंजीर
(Ficus carica), पीपल (Fictus religosa) व बरगद (Ficus benghalensis) इत्यादि। इसमें पुष्पासन नाशपती पुष्पासन के आकार में होकर एक खोखली गुहिका बना लेता है। गुहिका एक छिद्र द्वारा खुलती है।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-20
गुहिका के अन्दर असंख्य एकलिंगी पुष्प व्यवस्थित होते हैं। छिद्र के आस-पास में नर (staminate) तथा नीचे की ओर मादा (pistillate) पुष्प लगते हैं। परिपक्वता के समय पुष्पासन मांसल हो जाता है तथा यही खाने योग्य भाग होता है। इसके अन्दर पुष्पों से अनेक एकीन प्रकार के फल बनते हैं (चित्र 16)।

प्रश्न 5.
सरल शुष्क अस्फुटनशील फल किसे कहते हैं? इसके प्रकारों का सचित्र वर्णन कीजिए?
उत्तर:
सरल शुष्क अस्फुटनशील या एकीनियल फल (Simple dry Indchiscent or achenial furits): इस प्रकार के फल एकबीजी (single seeded) होते हैं। परिपक्व होने पर फलभित्ति शुष्क तो हो – जाती है परन्तु स्फुटित नहीं होती। ये फल निम्न प्रकार के होते हैं –

(i) एकीन (Achene):
ये फल एकाण्डपी, उर्ध्ववर्ती व एककोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। फल एकबीजी तथा फलभित्ति बीजावरण से पृथक होती हैं, जैसेगुलेबॉस (Mirabilis)। अधिकांशतः एकीन फल पुंज (etacrio) में पाये जाते हैं। क्योंकि ये बहु अण्डपी, वियुक्ताण्डपी जायांग से विकसित होते हैं, जैसे
क्लीमैटिस (Clematis), रैननकुलमस (Ranuncultus), नारवेलिया (Naramvallia) इत्यादि।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-21
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-22
(ii) सचोल भित्तिफल या कैरिऑप्सिस (Carvopsis):
ये फल भी एकाण्डपी, उर्ध्ववर्ती व एककोष्ठीय बीजाण्ड से परिवर्धित होते हैं। फल छोटा तथा एकबीजी होता है। इसकी फलभित्ति, बीजावरण (seed coat) से संगलित (fused) होती है। इस प्रकार के फल ग्रेमिनी या पोयेसी (Gramineae or Poaceae) कुल में पाये जाते हैं। जैसे गेहूं (Wheat=Tritictim destivzunn), चावल (rice= Oryza sativa), मक्का (maize=Zea mays ), इत्यादि।

(iii) रोमवलय या सूर्यमुखी फल या सिप्सेला (Cypsela):
ये फल द्विअण्डपी, युक्ताण्डपी, अधोवर्ती व एककोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। फल एकबीजयुक्त तथा फलभित्ति, बीजावरण से पृथक होती है। फलों के साथ रोमिल बाह्यदलपुंज (calyx) फल से लगा होता है जिसे पेपस (pappus) कहते हैं। पेपस फलों के वायु प्रकीर्णन (air dispersal) में पेराशूट (parachute) की भांति सहायता करता है। इस प्रकार के फल कम्पोजिटी या ऐस्टरेसी (Compositae or Asteraceae) कुल के पौधों में पाये जाते हैं, जैसे- सूर्यमुखी (Helianthias anntus), गैंदा (Tagettis), डेहलिया (Dahlia) इत्यादि।

(iv) सपक्ष या समारा (Samara):
ये फल द्वि या त्रिअण्डपी, युक्ताण्डपी व उर्ध्ववर्ती अण्डाशय से विकसित होते हैं। फल में एक या दो बीज होते हैं। इसकी फलभित्ति पंख के समान चपटी होती है, जैसे चिलबिल (Holoptelea), डायोस्कोरिया (Dioscorea), मेपल (Acer) इत्यादि। परन्तु अन्य कुछ फल भी पंखदार होते हैं, जैसे साल (Shorea), डिप्टेरोकार्पस (Dipterocarpus) इत्यादि। परन्तु इनमें फलभित्ति पंखदार न होकर बाह्यदलपुंज (calyx) होते हैं।

(v) कोष्ठ फल या दृढ़फल (Nut):
ये फल द्वि या बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी, उर्ध्वर्ती तथा एककोष्ठीय अण्डाशय से परिवर्धित होते हैं। फल में एकबीज होता है व इसकी फलभित्ति कठोर व काष्ठीय हो जाती है, जैसे-काजू (Cashew nut), सिंघाड़ा इत्यादि।

RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज

प्रश्न 6.
बीजपत्रों की उपस्थिति के आधार पर बीज के प्रकार बताइये। द्विबीजपत्री बीज की संरचना सचित्र समझाइये?
उत्तर:
भ्रूणपोष के आधार पर बीज तीन प्रकार के होते हैं –

  1. भ्रूणपोषी बीज (Endospermic seeds): कुछ बीजों में भ्रूण के परिपक्व हो जाने के पश्चात भी पर्याप्त मात्रा में भ्रूणपोष (endosperm) बचा रह जाता है, जो चारों ओर से भ्रूण को घेरे रहता है। इस प्रकार के बीजों को भ्रूणपोषी बीज (Endospermic or albuminous seeds) कहते हैं, जैसे – अरंड।
  2. अभ्र णपोषी बीज (Non-endospermic or exalbuminous seeds): भूर्ण परिवर्धन के समय सम्पूर्ण भ्रूणपोष का उपयोग हो जाने से बीजों में भ्रूणपोष नहीं रहता। ऐसे बीजों में संचित खाद्य पदार्थ बीजपत्रों में संग्रहित रहता है, जैसे – चना, मटर इत्यादि।
  3. परिभ्रूणपोषी बीज (Perispermic seeds): इस प्रकार के बीजों में बीजाण्डकाय (nucellus) पतली झिल्ली के रूप में शेष रह जाता है, इसे परिभ्रूणपोष (perisperm) कहते हैं। अतः ऐसे बीजों को परिभ्रूणपोषी बीज कहते हैं, जैसे – कालीमिर्च।

द्विबीजपत्री बीज की संरचना (Structure of dicotyledon):
बीज की बाहरी परत को बीजावरण कहते हैं। बीजावरण की दो परतें होती हैं – बाहरी आवरण को बीजचोल (testa) तथा भीतरी परत कोटेगमेन (tegmen) कहते हैं। बीज के ऊपर एक क्षत चिन्ह की तरह का ऊर्ध्व होता है जिसके द्वारा बीज फल से जुड़ा रहता है। इसे नाभिक कहते हैं। प्रत्येक बीज में नाभिक के ऊपर छिद्र होता है जिसे बीजाण्डद्वार कहते हैं। जैसे ही बीजावरण हटाते हैं तो दो बीजपत्रों के बीच भ्रूणीय अक्ष होती है।

जिन बीजपत्रों में भोजन संग्रहित होता है। वे गूदेदार होते हैं। अक्ष के निचले भाग को मूलांकुर तथा ऊपरी भाग को प्रांकुर कहते हैं। इनमें भ्रूणपोष का निर्माण द्विनिषेचन के कारण होता है तथा इनकी ऊत्तकों में ही भोजन का संग्रह होता है। चना, सेम तथा मटर में भ्रूणपोष नहीं होता है अतः ये बीज अभ्रूणपोषी होते हैं परन्तु अरंड में भ्रूणपोष होता है अतः यह बीज भ्रूणपोषी होता है।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-23
प्रश्न 7.
एकबीजपत्री बीज की संरचना का सचित्र वर्णन कीजिये?
उत्तर:
एक बीजपत्री बीज की संरचना (Structure of Monocotyledons seed):
एकबीजपत्री बीज भ्रूणपोषी होते हैं परन्तु कुछ अभ्रूणपोषी भी होते हैं। अनाज के बीज जैसे मक्का में बीजावरण झिल्लीदार तथा फलभित्ति से संगलित होता है। इसमें भ्रूणपोष स्थूल होता है जो भोजन का संग्रह करता है। भ्रूणपोष की बाहरी भित्ति भ्रूण से एक प्रोटीन सतह द्वारा पृथक होती है जिसे एल्यूरोन सतह (Aleurone layer) कहते हैं।

भ्रूण आकृति में छोटा तथा भ्रूणपोष के एक सिरे पर खांचे में स्थित होता है। इसमें एक बड़ा तथा ढालाकार आकृति का बीजपत्र होता है जिसे स्कुटेलम (Scutellum) कहते हैं (चित्र 18)। इसमें एक छोटा अक्ष होता है। जिसमें प्रांकुर (plumule) तथा मूलांकुर (radical) होते हैं। प्रांकुर तथा मूलांकुर एक चादर से ढके होते हैं, जिसे क्रमशः प्रांकुर चोल (Coleoptile) तथा मूलांकुरचोल (Coleorhiza) कहते हैं।
RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 22 फल तथा बीज img-24

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