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RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

July 11, 2019 by Prasanna Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 बहुचयनात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अरबी भाषा में ‘जोखिम’ शब्द का तात्पर्य है –
(अ) संभावना
(ब) हानि
(स) पूर्वानुमान
(द) जीविका कमाना
उत्तरमाला:
(द) जीविका कमाना

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 2.
“जोखिम एक गणना योग्य अनिश्चितता है।” यह कथन किस विद्वान का है?
(अ) हेनरी फेयोल
(ब) टेलर
(स) फ्रेक नाइट
(द) बूने एवं कूज
उत्तरमाला:
(स) फ्रेक नाइट

प्रश्न 3.
परिकल्पी जोखिम से तात्पर्य है –
(अ) हानि की संभावना
(ब) लाभ की संभावना
(स) हानि व लाभ दोनों की समान संभावना
(द) न हानि और न लाभ की संभावना
उत्तरमाला:
(स) हानि व लाभ दोनों की समान संभावना

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 4.
मौद्रिक नीति का क्रियान्वयन किस बैंक के द्वारा किया जाता है?
(अ) RBI
(ब) SBI
(स) HDFC
(द) ICICI
उत्तरमाला:
(अ) RBI

प्रश्न 5.
जोखिम प्रबन्धन प्रक्रिया का दूसरा चरण क्या है?
(अ) जोखिम की पहचान
(ब) जोखिम विश्लेषण
(स) जोखिम मूल्यांकन
(द) जोखिम उठाने का निर्णय
उत्तरमाला:
(ब) जोखिम विश्लेषण

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 6.
विश्व में प्रथम साख निर्धारण एजेंसी की स्थापना किस देश में हुई?
(अ) ब्रिटेन
(ब) रूस
(स) भारत
(द) अमेरिका
उत्तरमाला:
(द) अमेरिका

प्रश्न 7.
“CRISIL” की स्थापना भारत में किस वर्ष हुई?
(अ) 1991
(ब) 1997
(स) 1987
(द) 2002
उत्तरमाला:
(स) 1987

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘जोखिम’ शब्द का अरबी भाषा में क्या अर्थ है?
उत्तर:
अरबी भाषा में ‘जोखिम’ शब्द का अर्थ “जीविका कमाना” है।

प्रश्न 2.
फ्रेंक नाईट ने जोखिम को कैसे परिभाषित किया है?
उत्तर:
“फ्रेंक नाईट के अनुसार, जोखिम एक गणना योग्य अनिश्चितता है।”

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 3.
शुद्ध जोखिमों से क्या आशय है?
उत्तर:
शुद्ध जोखिम वह है जहाँ केवल नुकसान होने की सम्भावना रहती है। लाभ होने की नहीं रहती।

प्रश्न 4.
देश की मौद्रिक नीति का क्रियान्वयन किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
केन्द्रीय बैंक (रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया) द्वारा।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बीमा व्यापार की दृष्टि से जोखिमें कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
बीमा व्यापार की दृष्टि से जोखिम दो प्रकार की होती है –

  1. शुद्ध जोखिम – शुद्ध जोखिम वह होती है जहाँ नुकसान होने की सम्भावना रहती है, लाभ होने की नहीं।
  2. परिकल्पी जोखिम – ऐसी जोखिम जिसमें लाभ या हानि की समाने सम्भावना पायी जाती है।

प्रश्न 2.
‘जोखिम’ शब्द का अर्थ बताइये।।
उत्तर:
अरबी’ भाषा में ‘जोखिम’ शब्द का अर्थ जीविका कमाना है। कोई भी व्यापारी जोखिम सहन करके ही अपनी जीविका कमा सकता है। व्यापार में व्यापारी के लिये जोखिम एक अनिवार्य अंग बन गया है। व्यापारी जोखिम उठाकर ही लाभ कमा सकता है, जो व्यापारी अपने व्यापार में किसी प्रकार की जोखिम उठाने की क्षमता नहीं रखता है उसके लिए लाभ की आशा करना अपने आप में बेईमानी होगी।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 3.
ऐसी दो जोखिमों को स्पष्ट कीजिए जो आर्थिक जोखिमें मानी जाती है?
उत्तर:
1. कर संरचना जोखिमें – सरकार द्वारा कर संरचना में परिवर्तन करना आर्थिक जोखिमें उत्पन्न करता है, कर में छूट, जोखिम की मात्रा कम करती है तथा अधिक कर लगाने से जोखिमों में वृद्धि होती है।

2. मौद्रिक नीति सम्बन्धी जोखिमें – मौद्रिक नीति द्वारा देश में मुद्रा एवं साख की मात्री एवं बैंकिंग क्रियाओं पर नियंत्रण रखा जाता है। मौद्रिक नीति व्यापारिक जोखिमों को अनुकूल एवं प्रतिकूल दोनों ही प्रकार से प्रभावित करती है।

प्रश्न 4.
दो गैर – आर्थिक जोखिमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. जलवायु सम्बन्धी जोखिमें – तापमान, वर्षा, नमी व ठंडक जलवायु के अंग माने जाते है, जो व्यावसायिक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं जिनके असन्तुलन से व्यापार की जोखिमें बढ़ जाती हैं। वर्षा की कमी, तापमान में अत्यधिक उतार – चढ़ावे आदि कारणों से व्यापारिक वस्तुओं की माँग व पूर्ति प्रभावित होती है।

2. जनसंख्या सम्बन्धी जोखिमें – जनसंख्या के आकार, वृद्धि दर, उम्र, लिंग, शैक्षिक स्तर; आदि का व्यापारिक क्रियाओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है। देश में निवास करने वाले व्यक्तियों की रूचियां और फैशन में विभिन्नता होने के कारण भी व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जोखिम से क्या आशय है? प्रमुख आर्थिक जोखिमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जोखिम से आशय एवं परिभाषा:
व्यवसाय एक आर्थिक क्रिया है जो भविष्य से सम्बन्धित है जिसका भविष्य अनिश्चित होता है और इस कारण अनेक आर्थिक एवं गैर – अर्थिक अनिश्चिततायें व्यवसाय को प्रभावित करती हैं। इन्हीं अनिश्चितताओं को जोखिम कहा जाता है।

फ्रेंक नाइट के शब्दों में, “जोखिम एक गणना योग्य अनिश्चितता है।” बूने एवं कूज के अनुसार, “जोखिम क्षति अथवा हानि की सम्भावना को कहते हैं।”
इस प्रकार जोखिम का अभिप्राय उस संयोग से है जिसमें किसी प्रकार की क्षति की सम्भावना या अनिश्चितता हो।

आर्थिक जोखिमें – ऐसी जोखिमें जो धनोपार्जन एवं व्यापार की मौद्रिक क्रियाओं को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं, आर्थिक जोखिमें कहलाती हैं। इन जोखिमों के कारण व्यवसाय का अस्तित्व भी समाप्त हो सकता है। प्रमुख आर्थिक जोखिमें निम्नलिखित हैं –
1. कर संरचना जोखिम – कर संरचना में परिवर्तन करना आर्थिक जोखिमें उत्पन्न करता है। सरकार द्वारा व्यापार पर यो सम्बन्धित व्यक्तियों पर आयकर, निगम कर, बिक्री कर, सम्पदा शुल्क और सीमा कर आदि लगाये जाते हैं। इन करों को कम करने या वृद्धि करने से जाखिमों पर प्रभाव पड़ेगा। अर्थात् कर में छूटे जोखिम को कम तथा वृद्धि जोखिम को बढ़ाता है।

2. उदारीकरण से उत्पन्न जोखिमें – उदारीकरण से आशय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये नियम एवं प्रतिबन्धों को उदार तथा लचीला बनाना है। जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत तथा टिकाऊ बनाया जा सके। उदारीकरण से व्यापारिक क्षेत्र की जोखिमों में कुछ कमी आती है लेकिन बाजार की प्रतिस्पर्धा जोखिमें बढ़ जाती है।

3. मौद्रिक नीति सम्बन्धी जोखिमें – मौद्रिक नीति द्वारा देश में मुद्रा एवं साख की मात्रा एवं बैंकिंग क्रियाओं पर नियन्त्रण रखा जाता है। मौद्रिक नीति का क्रियान्वयन देश के केन्द्रीय बैंक द्वारा किया जाता है। मौद्रिक नीति व्यापारिक जोखिमों को अनुकूल एवं प्रतिकूल दोनों ही प्रकार से प्रभावित करती है।

4. आर्थिक प्रवृतियाँ एवं दशाओं से सम्बन्धित जोखिमें – राष्ट्रीय आय, आर्थिक विकास का स्तर, रोजगार की स्थिति, मुद्रा की स्थिति, व्यापार चक्र आदि प्रमुख घटक हैं जो जोखिमों पर सीधा प्रभाव डालते है और व्यापारिक गतिविधियों के विकास में वृद्धि अवरोधक बनते हैं।

5. मुद्रा एवं पूंजी बाजार की दशा सम्बन्धी जोखिमें – जब देश के वित्तीय बाजार सही दिशा में क्रियाशील होते है तो विकास के लिये पर्याप्त कोष उपलब्ध हो जाते है और कोष प्रबन्धन की जोखिम कम हो जाती है। मुद्रा एवं पूँजी बाजार की दशा ठीक नहीं होने पर कोषों का प्रबन्ध करने पर जोखिम बढ़ जाती है।

6. निजीकरण से उत्पन्न जोखिमें – सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की पूँजी एवं प्रबन्ध को निजी क्षेत्रों के उपक्रमों में परिवर्तित करने से देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है। इस परिवर्तन से व्यापारिक क्षेत्र की जोखिमों में कुछ कमी तथा वृद्धि होती है।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 2.
“व्यापार जोखिम का खेल है” समझाइये। कौन – सी जोखिमें व्यापार को प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
“व्यापारे जोखिम का खेल है।” व्यापार छोटा हो या बड़ा उन सब में जोखिमें एक अनिवार्य अंग है। सभी व्यापारिक संगठनों में कुछ जोखिम के तत्त्व अवश्य ही पाये जाते है। उत्पादन में कच्ची सामग्री की नियमित आपूर्ति के कारण जोखिम, श्रम की थकावट, बाजार में मूल्यों के उतार – चढ़ाव के कारण जोखिम, प्रवृत्ति और फैशन में परिवर्तन, बिक्री पूर्वानुमान में गलत निर्णय, व्यापार चक्र आदि प्रमुख जोखिमें हैं।

इसके अतिरिक्त प्राकृतिक आपदायें, राजनीतिक अशान्ति भी व्यापार की जोखिमों को बढ़ावा देती है। इन सभी प्रकार के जोखिम से व्यापारिक क्रियायें प्रभावित होती है। लेकिन व्यापार में बहुत – सी जोखिमों को देखकर व्यापारिक क्रियायें समाप्त नहीं की जा सकती है। बल्कि जोखिम एवं साहस से व्यापार में लाभ की आशा की जा सकती है। अर्थात् कोई भी व्यापार जोखिम उठाकर ही सफल हो सकता है। सच तो यह है कि व्यापार जोखिम का खेल है। व्यापार को प्रभावित करने वाली जोखिमें – व्यापार को प्रभावित करने वाली जोखिमें निम्न हैं –
1. आर्थिक जोखिमें – धनोपार्जन एवं व्यवहार की मौद्रिक क्रियाओं को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने वाली जोखिमें आर्थिक जोखिम कहलाती है, जो निम्न प्रकार हैं –

  • मुद्रा एवं बाजार की दशा ठीक नहीं होने पर कोषों का प्रबन्ध करने की जोखिम।
  • कर संरचना में बदलाव से जोखिमों में वृद्धि।
  • उदारीकरण एवं निजीकरण से उत्पन्न बाजार प्रतिस्पर्धा की जोखिमें।
  • राष्ट्र की मौद्रिक नीति के परिवर्तन से होने वाली जोखिमें।
  • देश की राष्ट्रीय आय, आर्थिक विकास स्तर, रोजगार, मुद्रा की क्रय शक्ति एवं व्यापार चक्र से होने वाली जोखिमें)

2. गैर – आर्थिक जोखिमें – व्यापार एक आर्थिक प्रणाली ही नहीं है, वह एक सामाजिक एवं मानवीय संगठन भी है। व्यापार को निरन्तर सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश में कार्य करना होता है और मानवीय एवं सामाजिक जोखिमों का सामना करना पड़ता है, जो निम्न प्रकार है –

  • जनसंख्या का आकार, वृद्धि दर, उम्र, लिंग, शैक्षिक स्तर आदि व्यापारिक क्रियाओं पर प्रभाव डालते हैं।
  • पर्यावरण सन्तुलन सम्बन्धी जोखिमें।
  • राजनीतिक उथल – पुथल अधिक होना या राष्ट्रपति शासन आदि की जोखिमें।
  • भूकम्प, बाढ़, अकाल, तूफान, बिजली गिरना, चक्रवात आदि से होने वाली जोखिमें।
  • समाज की मान्यताओं, मूल्यों, विश्वासों एवं जीवन शैलियों से सम्बन्धित जोखिमें।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 3.
आर्थिक एवं गैर – आर्थिक जोखिमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यापार की आर्थिक एवं गैर – आर्थिक जोखिमें निम्नलिखित हैं –
आर्थिक जोखिमें:
1. उदारीकरण से उत्पन्न जोखिमें – उदारीकरण से आशय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये नियम एवं प्रतिबन्धों को उदार तथा लचीला बनाना है जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत तथा टिकाऊ बनाया जा सकता है। उदारीकरण से व्यापारिक क्षेत्र की जोखिमों में कुछ कमी आती है लेकिन बाजार की प्रतिस्पर्धा सम्बन्धी जोखिमें बढ़ जाती है।

2. मौद्रिक नीति सम्बन्धी जोखिमें – मौद्रिक नीति द्वारा देश में मुद्रा एवं साख की मात्रा एवं बैंकिंग क्रियाओं पर नियन्त्रण रखा जाता है। मौद्रिक नीति व्यापारिक जोखिमों को अनुकूल एवं प्रतिकूल दोनों ही प्रकार से प्रभावित करती है।

3. आर्थिक प्रवृत्तियाँ एवं दशाओं से सम्बन्धित जोखिमें – राष्ट्रीय आये, आर्थिक विकास को स्तर, रोजगार की स्थिति, मुद्रा की स्थिति, व्यापार चक्र आदि प्रमुख घटक हैं जो जोखिमों पर सीधा प्रभाव डालते हैं और व्यापारिक गतिविधियों के विकास में वृद्धि कारक या अवरोधक बनते हैं।

4. मुद्रा एवं पूंजी बाजार की दशा सम्बन्धी जोखिमें – जब देश के वित्तीय बाजार सही दिशा में क्रियाशील होते हैं तो विकास के लिये पर्याप्त कोष उपलब्ध हो जाते हैं और कोष प्रबन्ध नि की जोखिम कम हो जाती है। मुद्रा एवं पूँजी बाजार की दशा ठीक नहीं होने पर कोषों का प्रबन्ध करने की जोखिम बढ़ जाती है।

5. निजीकरण से उत्पन्न जोखिमें – सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की पूँजी एवं प्रबन्धं को निजी क्षेत्रों के उपक्रमों में परिवर्तित करने से देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है। इस परिवर्तन से व्यापारिक क्षेत्र की जोखिमों में कुछ कमी तथा वृद्धि होती है।

मैर – आर्थिक जोखिमें:
1. जनसंख्या सम्बन्धी जोखिमें – जनसंख्या के आकार, वृद्धि दर, उम्र, लिंग, शैक्षिक स्तर, आदि का व्यापारिक क्रियाओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है। देश में निवास करने वाले व्यक्तियों की रूचियाँ और फैशन में भिन्नता होने के कारण भी व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं।

2. जलवायु सम्बन्धी जोखिमें – तापमान, वर्षा, नमी व ठण्डक जलवायु के अंग माने जाते हैं, जो व्यावसायिक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं जिनके असन्तुलन से व्यापार की जोखिमें बढ़ जाती हैं। वर्षा की कमी, तापमान में अत्यधिक उतार – चढ़ाव आदि कारणों से व्यापारिक वस्तुओं की माँग व पूर्ति प्रभावित होती है।

3. राजनीतिक अस्थिरता सम्बन्धी जोखिमें – राजनीतिक स्थिरता व्यापारिक समृद्धि का प्राथमिक लक्षण है। यदि राजनीतिक अस्थिरता अधिक हो या राष्ट्रपति शासन की स्थिति हो तो व्यापारिक क्रियाओं की जोखिम बढ़ जाती है। राजनीतिक वातावरण ही व्यापार को उचित संरक्षण एवं पोषण प्रदान करता है।

4. सामाजिक वातावरण से सम्बन्धित जोखिमें – वर्तमान में व्यापारी को निरन्तर मानवीय आशाओं, भय – आकांक्षाओं, पसन्द, प्राथमिकताओं व विचारों के संसार में रहकर कार्य करना होता है। वह इनकी उपेक्षा नहीं कर सकता, उसे मानव समाज, इसकी संस्कृति, इसकी मूल्य प्रणालियों, इसके सामाजिक प्रारूपों का सम्मान करना होता है।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“जोखिम क्षति अथवा हानि की सम्भावना को कहते हैं।” यह कथन है –
(अ) बूने एवं कूज
(ब) हेनरी फेयोल
(स) फ्रेंक नाइट
(द) टेलर
उत्तरमाला:
(अ) बूने एवं कूज

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 2.
बीमा व्यापार में जोखिमों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) दो

प्रश्न 3.
शुद्ध जोखिम से तात्पर्य है –
(अ) लाभ की सम्भावना नहीं
(ब) हानि की सम्भावना
(स) अ और ब दोनों
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(स) अ और ब दोनों

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 4.
आर्थिक जोखिम है –
(अ) कर संरचना से सम्बन्धित
(ब) उदारीकरण से उत्पन्न जोखिम
(स) मौद्रिक नीति सम्बन्धी
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(स) मौद्रिक नीति सम्बन्धी

प्रश्न 5.
कर संरचना के अंग है –
(अ) आयकर
(ब) निगम कर
(स) बिक्री कर
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 6.
सरकार द्वारा ‘कर’ में छूट जोखिम की मात्रा में करती है –
(अ) कमी
(ब) वृद्धि
(स) कोई प्रभाव नहीं
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) कमी

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 7.
राष्ट्र की आर्थिक प्रवृत्तियाँ एवं दशाओं से सम्बन्धित घटक हैं –
(अ) राष्ट्रीय आय
(ब) मुद्रा की क्रय शक्ति
(स) व्यापार चक्र
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 8.
गैर – आर्थिक जोखिम नहीं है –
(अ) मौद्रिक नीति सम्बन्धी
(ब) राजनीतिक अस्थिरता सम्बन्धी
(स) पर्यावरण सन्तुलन सम्बन्धी
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) मौद्रिक नीति सम्बन्धी

प्रश्न 9.
जोखिम प्रबन्धन प्रक्रिया का तीसरा चरण है –
(अ) जोखिम की पहचान
(ब) जोखिम विश्लेषण
(स) जोखिम मूल्यांकन
(द) जोखिम उठाने का निर्णय
उत्तरमाला:
(स) जोखिम मूल्यांकन

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 10.
साख निर्धारण को कहा जाता है –
(अ) ऋणपात्रता निर्धारण
(ब) साख की परख
(स) अ और ब दोनों
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(स) अ और ब दोनों

प्रश्न 11.
विकासशील देशों में सर्वप्रथम साख निर्धारण एजेन्सी की स्थापना हुई थी –
(अ) श्रीलंका में
(ब) भारत में
(स) नेपाल में
(द) भूटान में
उत्तरमाला:
(ब) भारत में

प्रश्न 12.
भारत में साख निर्धारण एजेन्सी की स्थापना हुई थी –
(अ) सन् 1988 में
(ब) सन् 1841 में
(स) सन् 1970 में
(द) सन् 1870 में
उत्तरमाला:
(अ) सन् 1988 में

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 13.
विश्व में प्रथम साख निर्माण एजेन्सी की स्थापना हुई थी –
(अ) सन् 1841 में
(ब) सन् 1988 में
(स) सन् 1970 में
(द) सन् 1987 में
उत्तरमाला:
(अ) सन् 1841 में

प्रश्न 14.
फिचरेटिंग्स, मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस और स्टैण्डर्ड एण्ड पूअर्स साख निर्धारण एजेन्सी हैं –
(अ) जापान की
(ब) मलेशिया की
(स) अमेरिका की
(द) ऑस्ट्रेलिया की
उत्तरमाला:
(स) अमेरिका की

प्रश्न 15.
भारत में साख निर्धारण एजेन्सियों का नियमन किया जाता है –
(अ) RBI द्वारा
(ब) SEBI द्वारा
(स) SBI द्वारा
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(ब) SEBI द्वारा

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 16.
भारत की साख निर्धारण एजेन्सी है –
(अ) CRISIL
(ब) ICRA
(स) CARE
(द) उपरोक्त सभी
उत्तरमाला:
(द) उपरोक्त सभी

प्रश्न 17.
हमारे देश के महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश और केरल राज्य का क्रेडिट रेटिंग का कार्य करने वाली एजेन्सी है –
(अ) CRISIL
(ब) CARE
(स) ICRA
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरमाला:
(अ) CRISIL

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जोखिम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी आपदा या संकट से उत्पन्न होने वाली हानि की सम्भावना को जोखिम कहा जाता है।

प्रश्न 2.
“जोखिम क्षति अथवा हानि की सम्भावना को कहते है।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
बूने एवं कुटुंज।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 3.
बीमा व्यापार की जोखिमों को कितने भागों में बाँटा जाता है? नाम बताइये।
उत्तर:
बीमा व्यापार की जोखिमों को दो भागों में बाँटा जाता है –

  • शुद्ध जोखिमें
  • परिकल्पी जोखिमें।

प्रश्न 4.
परिकल्पी जोखिम से क्या आशय है?
उत्तर:
ऐसी जोखिम जिसमें लाभ या हानि की समान सम्भावना पायी जाती है उसे परिकल्पी जोखिम कहते हैं।

प्रश्न 5.
सभी प्रकार के व्यापार में पायी जाने वाली जोखिमों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
दो भागों में –

  • आर्थिक जोखिमें
  • गैर – आर्थिक जोखिमें।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 6.
आर्थिक जोखिमें किसे कहते है?
उत्तर:
वे जोखिमें जो धनोपार्जन एवं व्यापार की मौद्रिक क्रियाओं को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है, उन्हें आर्थिक जोखिमें कहते हैं।

प्रश्न 7.
मुद्रा एवं पूँजी बाजार की दशा ठीक न होने पर कोषों का प्रबन्ध करने पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
कोषों का प्रबन्ध करने की जोखिमें बढ़ जाती है।

प्रश्न 8.
सरकार द्वारा कर में वृद्धि करने पर जोखिमों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
कर वृद्धि जोखिमों को बढ़ाती है।

प्रश्न 9.
विकासशील देश में किस नीति के द्वारा वित्तीय संस्थाओं का निर्माण, विस्तार तथा समुचित ब्याज दरों का निर्धारण किया जाता है?
उत्तर:
मौद्रिक नीति।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 10.
किन्हीं दो आर्थिक जोखिमों को बताइये।
उत्तर:

  • मुद्रा एवं पूँजी बाजार की जोखिमें।
  • कर संरचना सम्बन्धी जोखिमें।

प्रश्न 11.
जोखिम प्रबन्धन की प्रक्रिया में किन – किन चरणों का समावेश किया जाता है?
उत्तर:

  • जोखिम की पहचान
  • जोखिम का विश्लेषण
  • जोखिम का मूल्यांकन
  • जोखिम उठाने का निर्णय।

प्रश्न 12.
विकासशील देशों में ऐसा कौन – सा देश है जहाँ सर्वप्रथम साख निर्धारण एजेन्सी की स्थापना हुई?
उत्तर:
भारत।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 13.
दुनिया की तीन बड़ी साख निर्धारण एजेन्सी कौन – कौन सी है?
उत्तर:

  1. फिचरेटिंग्स (अमेरिका)
  2. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (अमेरिका)
  3. स्टेन्डर्ड एण्ड पूअर्स (अमेरिका)।

प्रश्न 14.
भारत में कौन – कौन सी साख निर्धारण एजेन्सी कार्यरत् हैं?
उत्तर:
भारत में प्रमुख साख निर्धारण एजेन्सी CRISIL, ICRA, CARE आदि हैं।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – I)

प्रश्न 1.
जोखिम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यवसाय एक आर्थिक प्रक्रिया है जो भविष्य से सम्बन्धित है, जिसका भविष्य अनिश्चित होता है और इस कारण अनेक आर्थिक या गैर-आर्थिक अनिश्चिततायें व्यवसाय को प्रभावित करती हैं, इन्हीं अनिश्चितताओं को जोखिम कहा जाता है। बूने एवं कूज के अनुसार, “जोखिम क्षति अथवा हानि की सम्भावना को कहते हैं।”

प्रश्न 2.
मुद्रा एवं पूँजी बाजार की दशा सम्बन्धी आर्थिक जोखिमों को समझाइये।
उत्तर:
जब देश में वित्तीय बाजार सही दिशा में क्रियाशील होते हैं तो विकास के लिये पर्याप्त कोष उपलब्ध हो जाते हैं और कोष प्रबन्धन की जोखिम कम हो जाती है, लेकिन मुद्रा एवं पूँजी बाजार की दशा ठीक नहीं होने पर कोषों का प्रबन्ध करने में जोखिमें बढ़ जाती है क्योंकि मुद्रा एवं पूँजी बाजार ही वित्तीय आवश्यकता की पूर्ति करते हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 3.
सरकार द्वारा कर संरचना में परिवर्तन करने से व्यापारिक क्रियाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
सरकार आयकर, निगम कर, बिक्री कर, सम्पत्ति कर, सीमा कर आदि लगाकर बहुत बड़ी मात्रा में राजस्व प्राप्त करती है। लेकिन व्यापारिक संस्थाओं पर जब अधिक कर लगाये जाते हैं तो उनकी जोखिम बढ़ जाती है और करों में कमी की जाती है तो जोखिमों की मात्रा कम हो जाती है।

प्रश्न 4.
मौद्रिक नीति क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मौद्रिक नीति राष्ट्र की सामान्य आर्थिक नीति का प्रमुख अंग है। इसके द्वारा हमारे देश में मुद्रा एवं साख की मात्रा एवं बैंकिंग क्रियाओं पर नियन्त्रण रखा जाता है। भारत में मौद्रिक नीति का क्रियान्वयन रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा किया जाता है। विकासशील देशों में इस नीति के द्वारा ही वित्तीय संस्थाओं के निर्माण, विस्तार, समुचित ब्याज दरों का निर्धारण तथा सार्वजनिक ऋणों के प्रबन्ध आदि उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।

प्रश्न 5.
“राजनीतिक परिवेश उद्योगों व व्यापार का नियन्त्रणकारी घटक होता है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राजनीतिक स्थिरता व्यापारिक समृद्धि का प्राथमिक लक्षण है। यदि देश में राजनीतिक उथल – पुथल अधिक हो या राष्ट्रपति शासन की स्थिति हो तो व्यापारिक क्रियाओं की जोखिमें बढ़ जाती हैं तथा नये साहसियों को उपलब्ध करायी जाने वाली प्रेरणायें, सुविधाएँ व सहायता से व्यापारिक प्रगति की दिशा एवं आयाम निर्धारित होते है। अतः राजनीतिक परिवेश उद्योगों व व्यापार का नियन्त्रणकारी घटक है।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 6.
व्यापार की जोखिम एवं अनिश्चितताओं को किस प्रकार कम किया जा सकता है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
व्यापार की जोखिम एवं अनिश्चितताओं का अध्ययन व विश्लेषण करते हुये जोखिमों का प्रबन्ध करके निर्देशित और नियन्त्रित किया जा सकता है। इस कार्य को करने के लिये कुशल प्रबन्धन, विशेष ज्ञान और अनुभव की आवश्यकता पड़ती है। इस कार्य में प्रमुख साख निर्धारण एजेन्सी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA – II)

प्रश्न 1.
व्यापारिक क्रियाओं पर जनसांख्यिकीय जोखिमों का किस प्रकार प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
व्यापारिक क्रियाएँ जनसंख्या में आये बदलाव से बच नहीं सकती है। जनसंख्या के आकार, वृद्धि दर, उम्र, लिंग, शैक्षिक स्तर आदि का व्यापारिक क्रियाओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है। व्यापार में ग्राहकों की जाति, धर्म, भाषा, पहनावा, खान – पान स्तर पर विभिन्नता पायी जाती है। उनकी प्रत्येक आवश्यकता को पूरा करना अत्यन्त कठिन हो जाता है। इसी प्रकार जनसंख्या की विजातीयता के कारण माँग प्रारूपों एवं विपणन व्यूह रचनाओं में भी परिवर्तन करना पड़ता है। समाज में स्त्री – पुरुष एवं युवाओं की रुचि, फैशन भी अलग – अलग होती हैं, उन्हीं की माँग के अनुसार वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।

प्रश्न 2.
सामाजिक – सांस्कृतिक वातावरण से सम्बन्धित गैर – आर्थिक जोखिमों पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
आज व्यापारी को निरन्तर मानवीय आशाओं, भय – आकांक्षाओं, पसन्द, प्राथमिकताओं व विचारों के संसार में रहकर कार्य करना होता है। वह इनकी उपेक्षा नहीं कर सकता, उसे मानवं समाज, इसकी संस्कृति, इसकी मूल प्रणालियों, इसके सामाजिक प्रारूपों का सम्मान करना होता है। वह व्यापार समाज की मान्यताओं, मूल्यों, विश्वासों एवं जीवन – रीतियों की उपेक्षा नहीं कर सकता है। एक ओर उपभोक्तावाद व दूसरी ओर सामाजिक उत्तरदायित्व की अवधारणा ने व्यापार को उपभोक्ता व समाज अभिमुखी बना दिया है। इसी कारण आज व्यापार की जोखिमें अधिक व्यापक हो गई हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 3.
व्यापार में जोखिमों का मूल्यांकन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
व्यापार की जोखिम प्रबन्धन प्रक्रिया में मूल्यांकन जोखिमों के विश्लेषण के बाद का चरण है – इसमें किसी नये उत्पाद की अनूठी विशेषताएँ कितनी है? विद्यमान उत्पादों की तुलना में इसकी श्रेष्ठता कितनी है? कीमत स्तर क्या है? बाजार में इसे सबसे पहले कौन-से उपभोक्ता अपना सकते हैं? इसमें जिस धन का निवेश किया गया है उसमें कितना जोखिम है? इसमें सम्भावित बाधाएँ क्या हैं? यदि निवेश के लिये बहुत अधिक वित्त की आवश्यकता है तो क्या साख निर्धारण (क्रेडिट रेटिंग) के मापदण्डों पर खरा उतर पायेगा? इस तरह व्यापार में जोखिमों का मूल्यांकन किया जाता है।

प्रश्न 4.
सरकार द्वारा साहस पूँजी कोष का निर्माण क्यों किया गया है?
उत्तर:
आधुनिक तकनीकी शिक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के मन में कुछ नया करने के विचार उत्पन्न होते हैं किन्तु पूँजी के अभाव में उन विचारों को मूर्त रूप नहीं दे पाते हैं इसीलिए सरकार ने नये विचारों एवं तकनीकों को वास्तविक रूप में परिवर्तित करने के लिये आवश्यक पूँजी हेतु साहस पूँजी कोष का निर्माण किया है। वर्तमान में सरकारी एवं निजी बैंक तथा वित्त बाजार की विभिन्न कम्पनियाँ इस प्रकार के प्रयोगों को प्रोत्साहित करती है एवं उनके व्यापार हेतु पूँजी उपलब्ध करवाती है। साहस पूँजी कोष कम्पनियाँ पूँजी के अलावा व्यापार संचालन, उत्पादन प्रबन्ध, विपणन एवं विक्रय प्रबन्ध के काम में भी सहयोग करती है।

प्रश्न 5.
“साख निर्धारण एजेन्सी” निवेशकों की सहायता किस प्रकार करती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
साख निर्धारण एजेन्सी जोखिम और आय के बीच एक कड़ी का कार्य करती है। इससे निवेशकों को पूर्वानुमान लगाने में सहायता मिलती है कि उसके निवेश में जोखिम कितना है? वह उस क्रेडिट रेटिंग के आधार पर यह तय कर सकता है कि उसके निवेश पर आमदनी का जो प्रस्ताव है, वास्तव में उसे कितना मिल सकता है? इसके आधार पर वह किसी कम्पनी में, व्यापार में या किसी अर्थव्यवस्था में निवेश करने का निश्चय करता है। भारत में CRISIL, ICRA तथा CARE प्रमुख साख निर्धारण एजेन्सी निवेशकों की सहायता कर रही हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 6.
भारत में प्रमुख साख निर्धारण एजेन्सियों द्वारा किन – किन क्षेत्रों को साख निर्धारण (क्रेडिट रेटिंग) किया जाता है?
उत्तर:
आज सिर्फ कम्पनियों द्वारा निर्गमित समता अंशों, बॉण्ड्स, ऋणपत्रों, वाणिज्य पत्रों या सावधिक जमाओं के लिये ही साख का निर्धारण नहीं होता। देश की अर्थव्यवस्था, भूसम्पत्ति निर्माता व विकास चिट फंड बैंकों की क्रेडिट रेटिंग भी होती है। यहाँ तक कि एक ही देश में स्थित विभिन्न राज्यों की भी क्रेडिट रेटिंग होती है कि किन राज्यों में निवेश करना अधिक लाभकारी है? जैसे क्रिसिल (CRISIL) साख निर्धारण एजेन्सी ने हमारे देश के महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और केरल का क्रेडिट रेटिंग किया है।

RBSE Class 11 Business Studies Chapter 4 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यापार की जोखिमों का प्रबन्धन किस प्रकार किया जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
जोखिम प्रबन्धन की प्रक्रिया को सविस्तार समझाइये।
उत्तर:
जोखिम व्यापार का अभिन्न अंग है। इन जोखिमों का प्रभाव और परिणाम लाभकारी और हानिकारक दोनों ही रूपों में हो सकता है। व्यापारिक जोखिम का प्रबन्ध करके इसे निर्देशित और नियन्त्रित किया जा सकता है ताकि लाभों को बढ़ाया जा सके अथवा लाभों में होने वाली कमी को रोका जा सके। व्यापार की जोखिमों का प्रबन्धन निम्न प्रकार किया जा सकता है –

जोखिम प्रबन्धन की प्रक्रिया:
1. जोखिम की पहचान – जोखिम प्रबन्धन में जोखिमों की पहचान करना पहला कदम होता है। यहाँ यह निश्चित करना होता है कि व्यापार में होने वाली जोखिमों का सम्बन्ध किससे है – बाजार से, वित्त से, विपणन व्यवस्था से, उत्पादित वस्तुओं से या व्यावसायिक पर्यावरण से है?

2. जोखिम का विश्लेषण – व्यापारिक जोखिम की पहचान करने के बाद इनकी गहन जाँच की जाती है। व्यापारिक जोखिम के दूसरे कदम को जोखिमों का विश्लेषण कहा जाता है। इसके लिये यथासंभव सम्बन्धित पर्याप्त सूचनाओं के आधार पर महत्वपूर्ण बात को रेखांकित किया जाता है। जोखिम के विश्लेषण में उत्पाद जोखिम में यह देखा जाता है कि नये उत्पाद को बनाना तथा उसे बाजार में उतारना कहाँ तक सफल हो सकता है।

3. जोखिमों का मूल्यांकन – जोखिम प्रबन्ध के लिये तीसरे चरण पर जोखिम का मूल्यांकन किया जाता है जैसे किसी नये उत्पाद की अनूठी विशेषतायें कितनी हैं? विद्यमान उत्पादों की तुलना में इसकी श्रेष्ठता कितनी है? कीमत स्तर क्या है? बाजार में इसे सबसे पहले कौन – से उपभोक्ता अपना सकते हैं? इसमें जिस धन का निवेश किया गया है उसमें कितना जोखिम है? इसमें सम्भावित बाधाएँ क्या हैं? यदि निवेश के लिये बहुत अधिक वित्त की जरूरत है तो क्या क्रेडिट रेटिंग के मापदण्डों पर खरा उतर पायेगा? इन सबके आधार पर मूल्यांकन करके जोखिम को घटाने वाले उपायों का चयन किया जाता है।

4. जोखिम उठाने पर निर्णय – जोखिम मूल्यांकन के बाद जोखिम उठाने का निर्णय लिया जाता है। यहाँ ध्यान रखने हेतु महत्वपूर्ण बात है कि सभी व्यापारिक जोखिमों को समाप्त नहीं किया जा सकता है किन्तु प्राथमिकताओं के आधार पर नियन्त्रण के उपायों को लागू किया जा सकता है।

RBSE Solutions for Class 11 Business Studies Chapter 4 व्यापार: जोखिम एवं अनिश्चितताएँ

प्रश्न 2.
व्यापार जोखिम के सन्दर्भ में साहस पूँजी और साख निर्धारण पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
साहस पूँजी:
वर्तमान में तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों में कुछ नया करने के विचार पैदा होते हैं किन्तु वे पूँजी के अभाव में अपने विचारों को मूर्त रूप नहीं दे सकते हैं। इसीलिये सरकार ने नये विचारों और तकनीकों को वास्तविक रूप में परिवर्तित करने के लिये आवश्यक पूँजी हेतु साहस पूँजी कोष का निर्माण किया है। वर्तमान में सरकारी एवं निजी बैंक तथा वित्त बाजार की विभिन्न कम्पनियाँ इस प्रकार के प्रयोगों को प्रोत्साहित करती हैं एवं उनके व्यापार हेतु पूँजी उपलब्ध करवाती हैं। कम्पनियाँ साहस पूँजी कोष के अलावा व्यापार संचालन, उत्पादन प्रबन्ध, विपणन एवं विक्रय प्रबन्ध के काम में भी सहयोग प्रदान करती हैं जिसके द्वारा विभिन्न व्यापारिक संस्थाओं के विकास के दरवाजे खुले हैं।

साख निर्धारण:
आज व्यापार की भौगोलिक और आर्थिक परिस्थितियाँ बदल गयी हैं। विभिन्न व्यापारिक गतिविधियाँ एक देश तक सीमित न होकर विभिन्न देशों में सम्पन्न की जाती हैं जिससे व्यापार जोखिम गहन और विस्तृत हो गयी है। अब व्यापार जोखिम का क्षेत्र बढ़ाकर मुद्रा और विदेशी विनिमय बाजारों तक पहुँचा है। इससे व्यापार में लाभ कमाना जटिल – से – जटिलतर होता जा रहा है।

वहीं जो निवेशक किसी व्यापार में पूँजी उपलब्ध कराते हैं, वे इस बात से आश्वस्त होना चाहते हैं कि उनके द्वारा नई यो स्थापित कम्पनियों की प्रतिभूतियों में जो धन लगाया जा रहा है उस पर कितनी आमदनी होगी? उनका निवेश कहीं डूब तो नहीं जायेगा? इसके लिये साख निर्धारण (क्रेडिट रेटिंग) महत्वपूर्ण है। साख निर्धारण को ऋणपात्रता निर्धारण या साख की परख भी कहा जाता है।

सूचना प्रौद्योगिकी के विस्तार, वित्तीय बाजारों के भूमण्डलीयकरण, सरकारी सुरक्षा उपायों की कमी, निजीकरण और ऋणों के प्रतिभूतिकरण के चलते क्रेडिट रेटिंग का महत्व दिनों-दिन बढ़ रहा है। आज सिर्फ कम्पनियों द्वारा निर्गमित समता अंशों, पूर्वाधिकारी अंशों, बॉण्ड्स, ऋणपत्रों, वाणिज्य पत्रों या सावधिक जमाओं के लिये ही साख का निर्धारण नहीं होता। देश की अर्थव्यवस्था, भूसम्पत्ति निर्माता व विकास चिट फंड बैंकों की क्रेडिट रेटिंग भी होती है। यहाँ तक कि एक ही देश में विभिन्न राज्यों की भी क्रेडिट रेटिंग होती है।

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